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पराठे और कुलचे- दिल वालों की दिल्ली का असली ज़ायका

भारत की राजधानी- दिल्ली, सिर्फ अपनी संस्कृति, इतिहास और बाजारों के लिए ही नहीं, बल्कि अपने लाजवाब खाने के लिए भी मशहूर है। यहाँ का खाना ऐसा है कि जो एक बार खाए, फिर उसका जी बार-बार ललचाये। दिल्ली की गलियों में आपको हर तरह का स्वाद मिलेगा, लेकिन अगर बात करें सबसे खास और लोकप्रिय व्यंजनों की, तो दिल्ली के पराठे और कुलचे का नाम सबसे पहले आता है। ये दोनों ही खाने की चीजें दिल्ली की शान हैं और यहाँ के लोगों के दिलों में खास जगह रखती हैं। चाहे आप दिल्ली के पुराने इलाकों की तंग गलियों में घूमें या फिर किसी मॉडर्न रेस्तरां में जाएं, पराठे और कुलचे हर जगह आपको अपने स्वाद से लुभाएंगे।

दिल्ली के पराठे सिर्फ खाना नहीं, बल्कि एक परंपरा हैं। पराठा एक ऐसा व्यंजन है जो दिल्ली की गलियों में हर कोने पर मिलता है। ये गेहूं के आटे से बनाया जाता है और इसमें तरह-तरह की स्टफिंग भरी जाती है। आलू, गोभी, पनीर, मूली, दाल या फिर मिक्स वेज, हर तरह का पराठा आपको दिल्ली में मिल जाएगा। लेकिन दिल्ली के पराठों की खासियत सिर्फ उनकी स्टफिंग में नहीं, बल्कि उनके बनाने के तरीके और परोसने के अंदाज में भी है।

दिल्ली के पराठे

पुरानी दिल्ली की गलियों में बनी पराठों की दुकानों पर आपको देसी घी में तले हुए पराठे मिलेंगे, जो इतने कुरकुरे और स्वादिष्ट होते हैं कि आप उंगलियां चाटते रह जाएंगे। चांदनी चौक का मशहूर पराठा बाली गली इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। यहाँ की दुकानें दशकों पुरानी हैं और आज भी लोग यहाँ दूर-दूर से पराठे खाने आते हैं। पराठों को दही, अचार, और मक्खन के साथ परोसा जाता है, जो उनके स्वाद को और बढ़ा देता है। लोग बिल्कुल सही कहते हैं दिल्ली जैसे लजीज पराठे और कहीं नहीं।

दिल्ली के पराठे हर वर्ग के लोगों को पसंद आते हैं। चाहे कोई स्टूडेंट हो, ऑफिस जाने वाला कर्मचारी हो, या फिर कोई पर्यटक, पराठे सबके लिए एक किफायती और स्वादिष्ट विकल्प हैं। यहाँ तक कि दिल्ली में कुछ जगहों पर आपको मीठे पराठे भी मिल जाएंगे, जैसे कि गुड़ या चीनी से भरे पराठे। ये पराठे न सिर्फ स्वाद में लाजवाब हैं, बल्कि दिल्ली की संस्कृति का भी एक हिस्सा हैं।
साहब कुलचे तो दिल्ली की शान हैं।

अगर पराठे दिल्ली का दिल हैं, तो कुलचे उसकी जान हैं। कुलचा एक तरह की रोटी है, जो मैदा से बनाई जाती है और तंदूर में सेंकी जाती है। दिल्ली में कुलचे का स्वाद कुछ ऐसा है कि एक बार खाने के बाद आप इसे बार-बार खाना चाहेंगे। कुलचे का सबसे मशहूर साथी है छोले, और दिल्ली में छोले-कुलचे की जोड़ी इतनी लोकप्रिय है कि इसे हर गली-नुक्कड़ पर देखा जा सकता है। कुलचे की खासियत है इसका नरम और हल्का कुरकुरा टेक्सचर। तंदूर में सेंके जाने की वजह से इसमें एक अलग ही स्मोकी स्वाद आता है।

दिल्ली में आपको कई तरह के कुलचे मिल जाएंगे, जैसे कि मसाला कुलचा, पनीर कुलचा, या फिर सादा कुलचा।

दिल्ली के पराठे

इनका स्वाद तब और बढ़ जाता है, जब इन्हें मसालेदार छोले, तीखी चटनी और प्याज के साथ परोसा जाता है। दिल्ली की सड़कों पर आपको कुलचे की रेहड़ी हर जगह दिख जाएगी। खासकर सुबह और दोपहर के समय ये रेहड़ियां लोगों की भूख मिटाने का काम करती हैं। दिल्ली के बाजारों, जैसे कि कमला नगर, लाजपत नगर या करोल बाग में आपको ऐसी कई दुकानें और ठेले मिल जाएंगे, जहाँ कुलचे का स्वाद आपको हमेशा याद रहेगा। कुलचे न सिर्फ स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि ये दिल्ली की तेज रफ्तार जिंदगी में एक आसान और जल्दी तैयार होने वाला खाना भी हैं। दिल्ली छोड़कर कहीं भी बसेरा कर लेना लेकिन आप दिल्ली के पराठे और कुलचे का स्वाद कभी नहीं भूल पाओगे।

दिल्ली के पराठे और कुलचे सिर्फ खाने की चीजें नहीं हैं, बल्कि ये यहाँ की संस्कृति और परंपराओं का भी हिस्सा हैं। दिल्ली एक ऐसी जगह है, जहाँ अलग-अलग राज्यों और संस्कृतियों के लोग एक साथ रहते हैं। यहाँ के पराठे और कुलचे भी इस मिश्रित संस्कृति का प्रतीक हैं। पराठों की स्टफिंग में आपको पंजाबी, उत्तर भारतीय और यहाँ तक कि दक्षिण भारतीय प्रभाव भी दिखाई देता है। उदाहरण के लिए, कुछ जगहों पर आपको मसाला डोसा की स्टफिंग वाले पराठे भी मिल जाएंगे। इसी तरह कुलचे भी दिल्ली की मिली-जुली संस्कृति को दर्शाते हैं।

कुलचे की जड़ें पंजाब में हैं, लेकिन दिल्ली ने इसे अपना बनाकर इसमें अपना स्वाद और स्टाइल जोड़ा है। छोले-कुलचे की जोड़ी दिल्ली की सड़कों पर इतनी लोकप्रिय है कि इसे हर उम्र और वर्ग के लोग पसंद करते हैं और चाव से चटखार के साथ खाते हैं। यहाँ तक कि दिल्ली में कई बड़े रेस्तरां और कैफे भी अब अपने मेन्यू में छोले-कुलचे को शामिल कर रहे हैं। दिल्ली में त्योहारों और खास मौकों पर भी पराठे और कुलचे खूब बनाए और खाए जाते हैं। चाहे वो होली हो, दीवाली हो या कोई और उत्सव, इन व्यंजनों की मौजूदगी हर मेज को और रंगीन बना देती है। ये खाना सिर्फ पेट ही नहीं भरता, बल्कि लोगों को एक-दूसरे के करीब भी लाता है।

दिल्ली में पराठे और कुलचे खाने के लिए कई ऐसी जगहें हैं, जो दशकों से अपने स्वाद के लिए मशहूर हैं। अगर आप पुरानी दिल्ली में हैं, तो चांदनी चौक की पराठा वाली गली जरूर जाएं। यहाँ की दुकानें, जैसे कि कन्हैया लाल दुरगा प्रसाद या बाबू राम पराठा वाले, अपने अनोखे स्वाद के लिए मशहूर हैं। यहाँ आपको हर तरह के पराठे मिलेंगे, जिन्हें देसी घी में तला जाता है और दही, चटनी और सब्जी के साथ परोसा जाता है। अगर आप कुलचे खाने का मन बना रहे हैं, तो कमला नगर का मशहूर छोले-कुलचे वाला ठेला जरूर ट्राई करें। यहाँ के कुलचे इतने स्वादिष्ट होते हैं कि लोग दूर-दूर से इन्हें खाने आते हैं। इसके अलावा, लाजपत नगर, करोल बाग और सरोजिनी नगर जैसे बाजारों में भी आपको कई मशहूर ठेले और छोटी दुकानें मिल जाएंगी, जो अपने कुलचों के लिए जानी-मानी जाती हैं।

दिल्ली के पराठे

दिल्ली में कुछ मॉडर्न रेस्तरां भी हैं, जो पराठे और कुलचे को अपने स्टाइल में परोसते हैं। उदाहरण के लिए, साउथ दिल्ली के कुछ कैफे में आपको चीज और हर्ब्स से भरे पराठे या फिर फ्यूजन स्टाइल के कुलचे मिल जाएंगे। ये जगहें न सिर्फ स्वाद के लिए, बल्कि अपने माहौल के लिए भी मशहूर हैं। कभी यहाँ जाइए और पराठे-कुलचे खाइए और मौज कीजिए।

पराठे और कुलचों में दिल्लीवासियों का प्यार भी शामिल होता है
दिल्ली के लोगों का पराठे और कुलचे के प्रति प्यार किसी से छुपा नहीं है। ये दोनों व्यंजन दिल्लीवासियों की जिंदगी का एक अहम हिस्सा हैं। सुबह का नाश्ता हो, दोपहर का लंच हो या फिर रात का हल्का खाना, पराठे और कुलचे हर समय लोगों की पसंद रहते हैं। खासकर सर्दियों में, जब गर्मागर्म पराठे मक्खन के साथ परोसे जाते हैं, तो उसका स्वाद और भी दोगुना हो जाता है। दिल्ली के लोग न सिर्फ इन व्यंजनों को खाना पसंद करते हैं, बल्कि इन्हें अपने दोस्तों और परिवार के साथ बांटना भी पसंद करते हैं। चाहे कॉलेज के बाहर दोस्तों के साथ ठेले पर छोले-कुलचे खाना हो या फिर घर पर परिवार के साथ पराठों का लुत्फ उठाना, ये व्यंजन हर मौके को खास बना देते हैं।

दिल्ली के पराठे

दिल्ली के पराठे और कुलचे सिर्फ खाना नहीं, बल्कि एक भावना हैं। ये उस शहर का प्रतीक हैं, जो हर स्वाद को गले लगाता है और उसे अपना बनाता है अपनाता है। अगर आप दिल्ली में हैं और अभी तक यहाँ के पराठे और कुलचे नहीं खाए, तो आपने दिल्ली का असली स्वाद नहीं चखा। दरअसल आनंद भी तो तभी आता है, जब दिल्ली में दाबत पराठों की हो

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Hello! I Pardeep Kumar

मुख्यतः मैं एक मीडिया शिक्षक हूँ, लेकिन हमेशा कुछ नया और रचनात्मक करने की फ़िराक में रहता हूं।

लम्बे सफर पर चलते-चलते बीच राह किसी ढ़ाबे पर कड़क चाय पीने की तलब हमेशा मुझे ज़िंदा बनाये रखती
है।

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