Best Hindi Travel Blog -Five Colors of Travel

Categories
Destination Haryana Punjab Travel

Best Places To Visit In Punjab

1. अमृतसर (Amritsar)

इस शहर का नाम सुनते हीं हमारे मन में कई तरह की भावनाएं जन्म लेती हैं। इस शहर के मायने सभी के लिए अलग-अलग हैं। किसी के लिए यह सिख धर्म का सबसे पवित्र स्थान है, तो किसी के लिए यह स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का सबसे दर्दनाक आहुति देने वाला शहर है। नजरिया भले हीं अलग हो इस शहर के लिए सम्मान सभी के दिलों में एक बराबर हीं है।

अमृतसर में घूमने के लिए ऐतिहासिक और धार्मिक दोनों हीं तरह के पर्यटन स्थल मौजूद हैं। यही वजह है कि यह शहर हर तरह के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। अमृतसर में घूमने लायक जगहों में पार्टीशन म्यूजियम (Partition Museum), वाघा बॉर्डर (Wagah Border), जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh), स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) और महाराजा रणजीत सिंह म्यूजियम (Maharaja Ranjit Singh Museum) शामिल है।

अमृतसर कैसे पहुंचे? (How to reach Amritsar)

अमृतसर पहुंचने के लिए आप अगर फ्लाइट से आना चाह रहे हैं तो आप श्री गुरु रामदास जी इंटरनेशनल हवाई अड्डा के लिए फ्लाइट ले सकते हैं। यह अमृतसर से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वहीं अगर आप ट्रेन के जरिए अमृतसर जाना चाहते हैं तो अमृतसर जंक्शन देश के अन्य भागों से काफी अच्छे तरीके से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग के द्वारा भी अमृतसर पहुंचा जा सकता है। आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट, या फिर कैब, या फिर अपनी गाड़ी का उपयोग करके अमृतसर पहुंच सकते हैं।

2. चंडीगढ़ (Chandigarh)

पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ एक बहुत खूबसूरत शहर है। ये भारत के केंद्र शासित प्रदेशों में से भी एक है। चंडीगढ़ सिटी को बेहद खूबसूरती के साथ बसाया गया है जो अपनी कला और संस्कृति (art and culture) के लिए जाना जाता है। दोस्तों हम लोगों में अक्सर ये इच्छा रहती है कि सभी जगह के कल्चर को अच्छे से जाने, इसलिए अगर आप भी छुट्टियों के लिए हिमाचल प्रदेश की ओर जाने वाले हैं तो आप पंजाब और हरियाणा के कल्चर को ठीक से समझने के लिए चंडीगढ़ भी जरूर आए।

हेरिटेज (Heritage) को अच्छे से समझने वालो के लिए और बाकी सबके लिए भी चंडीगढ़ एक बेस्ट डेस्टिनेशन (Best Destination) है क्योंकि यहां आपको हर दूसरे कदम पर कलाओं का भंडार (art store) मिलेगा। चंडीगढ़ अपने कई खूबसूरत पार्कों और बगीचों की वजह से ‘गार्डन सिटी’ (Garden City) के नाम से फेमस है। ये पार्क और बगीचे भी चंडीगढ़ में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक हैं। चंडीगढ़ में ऐसे कई टूरिस्ट प्लेस हैं जहां आप न जाकर बड़ी गलती कर सकते हैं।

चंडीगढ़ में आप जाकिर हुसैन रोज़ गार्डन (Zakir Hussain Rose Garden), इस्कॉन मंदिर (Iskcon temple), सुखना लेक (Sukhna lake), सेक्टर 17 मार्केट (Sector 17 Market), इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम (International Doll Museum), रॉक गार्डन (Rock garden) और हॉप्स एन ग्रेन्स (Hops n Grains) जैसे जगहों पर घूमने जा सकते हैं।

चंडीगढ़ कैसे पहुंचे? (How to reach Chandigarh)

चंडीगढ़ पहुंचने के लिए आप फ्लाइट ट्रेन और सड़क मार्ग, हर तरह के यातायात के साधनों का उपयोग कर सकते हैं। चंडीगढ़ पहुंचने का सबसे आसान मार्ग है हवाई मार्ग। आप सीधा चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट ले सकते हैं। चंडीगढ़ एयरपोर्ट देश के सभी महत्वपूर्ण हवाई अड्डों से अच्छे तरीके से कनेक्टेड है।
अगर आप ट्रेन के जरिए चंडीगढ़ पहुंचाना चाहते हैं तो चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन ले सकते हैं। देश के अधिकतम शहरों से चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेनें चलती हैं।
अगर आप सड़क मार्ग के द्वारा चंडीगढ़ पहुंचाना चाहते हैं तो आसपास के शहरों से आपको बस की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। अगर आप अपनी गाड़ी से आना चाहते हैं तो यह भी एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। क्योंकि चंडीगढ़ सड़क मार्ग से भी देश के अन्य भागों से जुड़ा हुआ है।

3. मोहाली (Mohali)

कहते हैं भारत क्रिकेट प्रेमियों का देश है। भारत में कोई भी ऐसा क्रिकेट प्रेमी नहीं होगा जिसे नहीं पता हो कि मोहाली कहां है। मोहाली शहर क्रिकेट प्रेमियों के दिल में एक खास स्थान रखने वाला शहर है। यह शहर चंडीगढ से सिर्फ सिर्फ 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अक्सर जब भी भारत का मैच मोहाली स्टेडियम में होता है तो दूर-दूर से लोग यहाँ मैच देखने आते हैं। क्रिकेट ने मोहाली शहर को एक अलग पहचान देने का काम किया है। अगर आप भी मोहाली में मैच देखने आए हैं और मोहाली को एक्सप्लोर करना चाहते हैं तो इस शहर में घूमने लायक काफी कुछ है।
इस शहर में घूमने लायक जगहों में बाबा बंदा सिंह बहादुर वॉर मेमोरियल, गुरुद्वारा अंब साहिब, फतेह बुर्ज, पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन इन बिंद्रा स्टेडियम, रोज गार्डन और मनसा देवी टेंपल आदि का नाम प्रमुख है

मोहाली कैसे पहुंचे? (How to reach Mohali)

मोहाली पहुंचने के लिए आप पहले चंडीगढ़ पहुंच सकते हैं। चंडीगढ़ से मोहाली सिर्फ 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और आसानी से पब्लिक ट्रांसपोर्ट या फिर कैब से मोहाली पहुंचा जा सकता है।

Categories
Destination Punjab Travel

अमृतसर के बेस्ट टूरिस्ट प्लेस

अमृतसर– इस शहर का नाम सुनते हीं हमारे मन में कई तरह की भावनाएं जन्म लेती हैं। इस शहर के मायने सभी के लिए अलग-अलग हैं। किसी के लिए यह सिख धर्म का सबसे पवित्र स्थान है, तो किसी के लिए यह स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का सबसे दर्दनाक आहुति देने वाला शहर है। नजरिया भले हीं अलग हो इस शहर के लिए सम्मान सभी के दिलों में एक बराबर हीं है।

आज के युग में हम आपको पंजाब के इस पवित्र शहर की सैर करवाने वाले हैं और बताने वाले हैं इस शहर से जुड़े मुख्य पर्यटन स्थलों के बारे में

  • पार्टीशन म्यूजियम (Partition Museum)
  • वाघा बॉर्डर (Wagah Border)
  • जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh)
  • स्वर्ण मंदिर (Golden Temple)
  • महाराजा रणजीत सिंह म्यूजियम (Maharaja Ranjit Singh Museum)

1. पार्टीशन म्यूजियम (Partition Museum)

पंजाब के अमृतसर शहर में पार्टीशन म्यूजियम के नाम का एक बहुत बड़ा संग्रहालय है। जो भारत-पाकिस्तान के विभाजन के कहानी को बखूबी बयां करता है। आप यहां जाकर उस समय के हालातों और फैसलों के बारे में बहुत हीं डिटेल (detail) से जान सकते हैं। अगर आपको भी भारत पाकिस्तान के बंटवारे को जानने में रुचि है या फिर इतिहास में रुचि है तो आप इस जगह पर एक बार जरूर विजिट करें।
इस म्यूजियम में विभाजन के समय की कुछ नायाब तस्वीरें और आर्टिकल्स (articles) भी रखी गई है। जिसे देखकर यहां आने वाले पर्यटक उसे समय के हालातों को और भी ज्यादा करीब से महसूस कर सकते हैं। यह जगह अमृतसर के हेरिटेज स्ट्रीट (heritage street) का भी हिस्सा है। अगर आप भी कभी अमृतसर आएं तो इस म्यूजियम को एक बार जरूर एक्सप्लोर (explore) करें। इससे आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

2. वाघा बॉर्डर (Wagah Border)

वाघा बॉर्डर को अगर भारत का सबसे चर्चित इंडो पाकिस्तान बॉर्डर कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा। इसका एक कारण यह भी है कि वाघा बॉर्डर भारत-पाकिस्तान के बीच की एकमात्र सड़क सीमा रेखा है। हम कह सकते हैं कि जमीन के रास्ते भारत से पाकिस्तान जाने के लिए एकमात्र रास्ता वाघा बॉर्डर हीं है। इसे अटारी वाघा बॉर्डर के नाम से भी जाना जाता है। यह बॉर्डर पंजाब के अमृतसर और पाकिस्तान के लाहौर के बीच एक सैनिकों की चौकी की तरह स्थित है। अमृतसर शहर से इस बॉर्डर की दूरी तकरीबन 28 किलोमीटर और लाहौर से इसकी दूरी लगभग 22 किलोमीटर है। अटारी वाघा बॉर्डर पर हर रोज “लोवेरिंग ऑफ़ द फ्लैग सेरेमनी” (Lowering of the Flag Ceremony) आयोजित किया जाता है जहां दोनों देशों की सेनाओं का बहुत हीं बेहतरीन कोलैबरेशन (collaboration) देखने को मिलता है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। वाघा बॉर्डर पर स्थित सीमा चौकी के प्रवेश द्वार को स्वर्ण जयंती गेट कहते हैं। अगर आप भी कभी अमृतसर जाए या फिर आप अमृतसर के ही निवासी हैं तो वाघा बॉर्डर जरुर विजिट (visit) करें। यह एक्सपीरियंस (experience) आपके लिए कुछ अलग होगा।

3. जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh)

इस बाग की कहानी किसे नहीं पता? जिसने भी इस बाग की कहानी को सुना, वो रो पड़ा है और जिसने समझा है, वह एक बार के लिए जरूर भावुक हो जाता है। यह वहीं बाग है जहां भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास की सबसे बड़ी आहुति दी गई थी। जिसके निशानियां को आज भी इस बाग में संजोकर रखा गया है।

अगर बात करें इस बाग के इतिहास की तो 13 अप्रैल 1919 को इस बाग में एक शांतिपूर्ण सभा बुलाई गई थी। जो रॉलेट एक्ट के विरोध में थी। जलियांवाला बाग से निकलने का सिर्फ एक रास्ता था। जनरल डायर ने उसे रास्ते को ब्लॉक (block) करते हुए हजारों की भीड़ पर अंधाधुंध गोलियां चलाने का आदेश दे दिया। जिन गोलियों के निशान आज भी यहां की दीवारों में देखे जा सकते हैं। आज के समय में इस बाग को एक स्मारक के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। जहां दूर-दूर से पर्यटक घूमने आते हैं और भारत के इतिहास को जानने और समझने का प्रयास करते है।

4. स्वर्ण मंदिर (Golden Temple)

गोल्डन टेंपल अमृतसर हीं नहीं बल्कि पूरे देश के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में माना जाता है। सिख समुदाय के लोगों के लिए यह गुरुद्वारा बहुत ही विशेष महत्व रखने वाला गुरुद्वारा है। लेकिन यहां हर धर्म के लोग घूमने के लिए आते हैं और हर साल यहां के पर्यटकों की संख्या लाखों में होती है। इस गुरुद्वारे का निर्माण 16वीं शताब्दी में सिखों के पांचवे गुरु अर्जुन देव सिंह जी ने करवाया था। बाद में 19वीं शताब्दी में महाराजा रणजीत सिंह जी ने इस गुरुद्वारे के छत को 400 किलो सोने से जड़ दिया था। तब से यह स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस गुरुद्वारे की बनावट जितनी खूबसूरत है, यहां का माहौल भी उतना ही ज्यादा शांत और सुकून देने वाला है। स्वर्ण मंदिर को सफेद संगमरमर से बनाया गया है और इसे हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है।

5. महाराजा रणजीत सिंह म्यूजियम (Maharaja Ranjit Singh Museum)

महाराजा रंजित सिंह म्यूजियम अमृतसर के रामबाग में मौजूद है। जहां पर गर्मियों के समय में महाराज और उनका परिवार अपना वक्त बिताया करते थे। वर्तमान में इस ऐतिहासिक स्थल को एक म्यूजियम में परिवर्तित कर दिया गया है। पर्यटक यहां पर कई ऐतिहासिक चित्रों, सिक्कों और युद्ध के शस्त्रों को देख सकते हैं और उनके बारे में जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत में कोहिनूर हीरा का एक प्रतिरूप भी है। जिसे इसी म्यूजियम में संजोकर रखा गया है। इस हीरे का नाम परीक परवाना है। जो इस जगह का सेंटर आफ अट्रैक्शन (centre of attraction) माना जाता है।

Categories
Best of My Blogs Destination Food Lifestyle Punjab Travel

Amritsar- आस्था और सुकून का शहर

मुझे जब भी अपने व्यस्त शेड्यूल में या रोज़मर्रा की ज़िंदगी में थोड़े सुकून के पल चाहिए होते हैं तब अनायास ही यात्रा का ख्याल आता है। जब कभी ऐसा लगता है कि इस तनावपूर्ण और भागदौड़ भरी ज़िंदगी से थोड़ी निजात चाहिए तब मेरे पास अंतिम विकल्प यात्रा का ही बचता है। इस बार कार्यक्रम बना अमृतसर का। वो भी प्रसिद्ध त्यौहार बैसाखी के अगले दिन।

स्टेशन से उतरते ही फ्री बस

बैसाखी के त्यौहार की शुरुआत भारत के पंजाब राज्य से ही हुई है और इसे रबी की फसल की कटाई शुरू होने की ख़ुशी के रूप में मनाया जाता है। बैसाखी के दिन गोल्डन टेम्पल को जगमगाती लाइटों से सजाया जाता है। देश भर से सिख श्रद्धालु इस दिन अमृतसर पहुँचते हैं। बैसाखी से अगले दिन जाने का फायदा ये हुआ कि भीड़ इतनी नहीं थी। वैसे अमृतसर घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च ही रहता है। हम हिसार से अमृतसर ट्रैन से पहुंचे। स्टेशन से उतरते ही बाहर फ्री बस सेवा का भी इंतेज़ाम रहता है जो ‘सतनाम वाहेगुरु’ के जयकारें लगाते हुए सीधे गोल्डन टेम्पल ले जाती है। गुरूद्वारे पहुँचते-पहुँचते रात के 11 बज चुके थे। हमनें अंदर परिसर में ही स्थित गंगा निवास में वातानुकूलित रूम बुक करवाया था। भले ही अप्रैल के महीने में ठीक-ठाक गर्मी होती है पर अंदर परिसर में ठंडक थी। थोड़ा आराम करने के बाद जैसे ही हमनें हरमंदिर साहिब में कदम रखा एक हमें अलग ही वातावरण की अनुभूति हुई। और लगा जैसे यहाँ आना पूरी तरह सार्थक हो गया। मेन हाल में दर्शन के लिए लम्बी-लम्बी लाइनें लगी हुयी थी। सुबह तड़के पालकी के दर्शन किये। दर्शन के लिए भले ही भीड़ कितनी ही क्यों न हो पर थकान जरा-सी भी नहीं होती, बस यही खासियत है यहाँ की।

परमात्मा एक है और वो सब जगह मौज़ूद है।
एक औंकार, सतनाम करता पुरख निरभउ निरवैर…...

गोल्डन टेम्पल में दिन रात शब्द कीर्तन और गुरुबाणी चलती रहती है जो दुनिया की भाग दौड़ से थके हारे मन को रूहानी सुकून देती है

अद्भुत और अलौकिक गुरुद्वारा

Golden Temple, Amritsar, Sri Harmandir Sahib

स्वर्ण मंदिर में प्रवेश के लिए चार द्वार है जो इस बात के प्रतीक हैं की यहाँ के दरवाज़े हर धर्म के लोगो के लिए खुले हैं। रात में जगमगाती रौशनी में संगमरमर और सोने के आवरण से बना यह गुरुद्वारा अद्भुत और अलौकिक लगता है

Golden Temple, Amritsar, Sri Harmandir Sahib

दुनिया की सबसे बड़ी रसोई

अंदर परिसर में ही दुनिया की सबसे बड़ी रसोई में से एक गुरु के लंगर में रोज़ाना हज़ारों लोग प्रशाद रूप में भोजन ग्रहण करते है। इतनी बेहतरीन व्यवस्था, इतना स्वाद और इतना अपनापन। सच में अद्भुत। इसी कारण कहते हैं अमृतसर में कोई भूखा नहीं सोता।

Golden Temple, Amritsar, Sri Harmandir Sahib

पवित्र जल के तालाब के बीचों-बीच गुरुद्वारा साहिब है व चारों तरफ बड़ा-सा प्रांगण है। जहाँ आपको सैंकड़ों श्रद्धालु सिमरन करते मिल जायेंगे। गुरूद्वारे में एक भव्य म्यूजियम भी है जहां सिख धर्म से जुडी ऐतिहासिक चीज़ें रखी गयी है।

Golden Temple, Amritsar, Sri Harmandir Sahib

गुरुओं की देन- अमृतसर शहर

वैसे तो अमृतसर को देश विदेश में सब जानते हैं लेकिन दरबार साहिब (गोल्डन टेम्पल ) इस शहर की लाइफ लाइन है। पूरा अमृतसर शहर गोल्डन टेम्पल के इर्द गिर्द ही बसा हुआ है। अमृतसर शहर गुरुओं की देन माना जाता है। चौथे गुरु रामदास जी ने पांच सौ बीघा जमीन लेकर यह शहर बसाया था। तभी इसका नाम पड़ा रामदासपुर। महाराज रंजीत सिंह ने हरमिंदर साहिब पर उन्नीसवीं शताब्दी में सोने का आवरण चढ़वाया था और तब से अमृतसर को स्वर्ण नगरी भी कहा जाने लगा। एक शहर के तौर पर देखें तो यह सिर्फ अपने गुरुद्वारों के लिए प्रसिद्ध नहीं है बल्कि कौमी एकता का एक बेहतरीन उदाहरण भी है – यहाँ जहां एक तरफ बेहद खूबसूरत दुर्गियाना मंदिर है वहीँ आज़ादी की लड़ाई की गवाह दिल्ली की जामा मस्जिद जैसी दिखती खैरउद्दीन मस्जिद भी है। जहाँ हज़ारों लोग इबादत के लिए आते हैं।(Golden Temple, Amritsar)

Golden Temple, Amritsar, Sri Harmandir Sahib

वाघा बॉर्डर

अमृतसर शहर से 30-32 किलोमीटर एकऔर डेस्टिनेशन है वाघा बॉर्डर। यहाँ पर रोज़ शाम को दोनों देशों के सिपाहियों द्वारा बहुत ही जोशीले ढंग से अपने-अपने राष्ट्रीय ध्वज को वापिस उतरा जाता है। इस दौरान देशभक्ति का ऐसा रंग चढ़ जाता है जिसकी कल्पना करना भी सम्भव नहीं। यहाँ की ये जोशीली परेड देखने के लिए आपको समय से पहले ही जाना पड़ता है वरना भीड़ इतनी हो जाती है कि वहां पर खड़े होने की भी जगह नसीब नहीं होती।

Golden Temple, Amritsar, Sri Harmandir Sahib

जलियावालां बाग

अमृतसर में ही भारत की आज़ादी के इतिहास का साक्षी प्रसिद्ध जलियावालां बाग भी है। आज जलियावालां बाग एक पर्यटक स्थल बन गया है और रोजाना हजारों सैलानी इसे देखने आते हैं। यहाँ की दीवार पर आज भी उन गोलियों के निशान मौज़ूद हैं जो जनरल डायर ने निहत्थी भीड़ पर चलवाई थी जिसमे हज़ारों लोग मारे गए थे।

Golden Temple, Amritsar, Sri Harmandir Sahib

अमृतसर शहर के पुराने बाजार आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं जैसे किसी ज़माने में हुआ करते थे। आप शाम के समय पैदल ही बाजार की सैर पर निकल सकते हैं। भीड़-भाड़ वाले ये बाजार एक बार तो आपको चांदनी चौक की याद दिला देंगे। अगर आप खाने के शौकीन हैं तो अमृतसर आपके लिए किसी जन्नत से कम नहीं होगा। अमृतसर लस्सी, छोले भटूरे, राजमा चावल और पिन्नी का स्वाद पूरी दुनिया में मशहूर है। बात चाहे धार्मिक आस्था की हो, इतिहास की हो, संस्कृति की या फिर खानपान की, अमृतसर का कोई सानी नहीं।

by Pardeep Kumar
Categories
Bazar Culture Destination Haryana Punjab Travel

Best places to visit in Chandigarh –

पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ एक बहुत खूबसूरत शहर है। ये भारत के केंद्र शासित प्रदेशों में से भी एक है। चंडीगढ़ सिटी को बेहद खूबसूरती के साथ बसाया गया है जो अपनी कला और संस्कृति (art and culture) के लिए जाना जाता है। दोस्तों हम लोगों में अक्सर ये इच्छा रहती है कि सभी जगह के कल्चर को अच्छे से जाने, इसलिए अगर आप भी छुट्टियों के लिए हिमाचल प्रदेश की ओर जाने वाले हैं तो आप पंजाब और हरियाणा के कल्चर को ठीक से समझने के लिए चंडीगढ़ भी जरूर आए।

हेरिटेज (Heritage) को अच्छे से समझने वालो के लिए और बाकी सबके लिए भी चंडीगढ़ एक बेस्ट डेस्टिनेशन (Best Destination) है क्योंकि यहां आपको हर दूसरे कदम पर कलाओं का भंडार (art store) मिलेगा। चंडीगढ़ अपने कई खूबसूरत पार्कों और बगीचों की वजह से ‘गार्डन सिटी’ (Garden City) के नाम से फेमस है। ये पार्क और बगीचे भी चंडीगढ़ में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक हैं। चंडीगढ़ में ऐसे कई टूरिस्ट प्लेस हैं जहां आप न जाकर बड़ी गलती कर सकते हैं।

1. जाकिर हुसैन रोज़ गार्डन (Zakir Hussain Rose Garden)-

गुलाबों से भरा यह खूबसूरत और खुशबूदार गार्डन (Nice and Smelling garden) काफी बड़ा है जो की भारत के पूर्व राष्ट्रपति ज़ाकिर हुसैन को डेडिकेटिड (Dedicated) है। ज़ाकिर हुसैन गार्डन में अमेजिंग आर्किटेक्चर (Amazing Architecture) है जो फूलों की खूबसूरती को और भी ज्यादा बढ़ाती है।

इस गार्डन सबसे की स्पेशल बात ये है कि यहां 1500 से भी ज्यादा वैरायटी (Variety) के गुलाब लगाए गए हैं । पूरे इंडिया से गुलाब कलेक्ट (Collect) करके यहां लगाए गए हैं। अगर आप अपने हनीमून (Honeymoon) पर हैं और अपने हिमाचल हनीमून पैकेज (Himachal honeymoon package) पर चंडीगढ़ में रुक रहे हैं, तो इस गार्डन का विजिट (Visit) करना एक बढ़िया ऑप्शन (Option) है।
कपल्स (Couples) अक्सर ऐसी जगह की तलाश में रहते हैं जहां वो एक दूसरे के साथ कुछ क्वालिटी टाइम स्पेंड (Qualitiy time spend) कर पाएं तो जाकिर हुसैन गार्डन आपकी इस इच्छा को पूरा करने के लिए एक दम सही जगह है। जहां आप फूलों के बीच एक दूसरे से तसल्ली से समय बिता पायेंगे। यहां आने का सबसे अच्छा समय फरवरी और मार्च रहेगा। तो आप भी इस जगह को अपनी डेस्टिनेशन लिस्ट (Destination list) में शामिल कर लें।

2. इस्कॉन मंदिर (Iskcon temple)-

पूरे भारत में कृष्ण भगवान की पूजा करने वाले लोगो की संख्या हमारे इमेजिनेशन (Imazination) से भी कई ज्यादा है। और आजकल हम सब ने रील्स (Reels), पोस्ट (Post) और न्यूज (News) में भी इस्कॉन मंदिर का नाम तो सुना ही होगा जो कि काफी कम समय में काफी ज्यादा पॉपुलर (Popular) हो चुका है। इस्कॉन मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित एक बहुत लोकप्रिय मंदिर है। भारत भर में कई इस्कॉन मंदिर फैले हुए हैं और ये सभी मंदिर कृष्ण मंदिर हैं। हिंदू कैलेंडर (Hindu calender) में कुछ त्यौहार (Festivals) के दिनों में, इस्कॉन मंदिर में काफी ग्रैंड इवेंट्स (Grand events) होते हैं और कृष्ण भजन से पूरा माहौल भक्ति भरा होता है।

इस्कॉन मंदिर भारत आने वाले इंटरनेशनल ट्रैवलर्स (International travelers) के बीच एक बहुत फेमस डेस्टिनेशन (Famous destination) है। ये मंदिर चंडीगढ़ के फेमस प्लेसिस (Famous Places) में से एक माना जाता है।

किसी भी दिन, आप इस मंदिर में भक्तों की भीड़ को देख सकते हैं । परिवारों को मंदिर घुमाने और पिकनिक (Picnic) मनाने के लिए लोग अक्सर यहां समय निकालकर आते है। अक्टूबर से अप्रैल का मंथ (Month) इस जगह को विजिट करने के लिए एक दम परफेक्ट रहेगा।

3. सेक्टर 17 मार्केट (Sector 17 Market)-

चंडीगढ़ का 17 सेक्टर चंडीगढ़ शहर का सबसे ज्यादा बिजी एरिया (Busy area) माना जाता है। शॉपिंग और खाने पीने के लिए ये जगह सबसे बढ़िया है। इस जगह पर टीनएजर्स (teenagers) काफी ज्यादा आते है खासकर वो लोग, जो कपल्स है।

ये जगह दिल्ली के चांदनी चौक से कम बिल्कुल नही है। यहां भी आप हैंड क्राफ्ट (Hand craft), और कई ऐसे मीमेंटो (Memento) मिल जाएंगे जिसे देख कर आपके गेस्ट (Guest) आपसे जरूर पूछ बैठेंगे की कहाँ से लिया ये आपने? अगर आप अपनी बीवी बच्चो के साथ घूमने निकले है तो इस जगह पर जरूर आए, आफ्टरऑल वूमेन लव्स शॉपिंग (after all women’s love shopping)।

4. सुखना लेक (Sukhna lake)-

चंडीगढ़ का ये फेमस लेक काफी बड़े एरिया (Big area) में है और यह एक ऐसी जगह है जहाँ कई माइग्रेटरी बर्ड्स आते हैं। कुछ फेमस बर्ड्स (Famous Birds) जो यहां देखे जा सकते हैं वो हैं क्रेन (Crane) और साइबेरियन बत्तख (Siberian Duck)। अगर आप बर्ड्स (birds) के शौकीन हैं या फोटोग्राफर (Photographer) हैं तो ये जगह घूमने के लिए काफी शानदार है।

सुखना लेक उन रोमांटिक जोड़ों (Romantic couples) के लिए एक दम सही है जो यहां पीस (peace) के लिए आते हैं। अगर आप हिमाचल जाने के लिए चंडीगढ़ से गुजर रहे हैं तो आप अपने ट्रेवलिंग प्रोग्राम (Traveling program) में सुखना लेक को ऐड (Add) करने के लिए अपने किसी भी हिमाचल हनीमून पैकेज को आसानी से बुक कर सकते हैं।

वैसे तो ये जगह कपल्स के लिए है लेकिन आप यहां अपने फ्रेंड्स ग्रुप (Friends Group) या अपने फैमिली (Family) के साथ या फिर अकेले भी आ सकते हैं। यहां आप कई सारी फन एक्टिविटीज (Fun Activities) को एंजॉय (Enjoy) कर सकते है जैसे कि, वाटर स्कीइंग (Water Skiing), फिशिंग (Fishing) और बोटिंग (Boating) हैं। ये चंडीगढ़ के मोस्ट फेमस प्लेस (Most famous place) में से एक है।

5. हॉप्स एन ग्रेन्स (Hops n Grains)-

जो चीज़ चंडीगढ़ को एक ग्रेट सिटी (Great city) बनाती है वो है इसकी नाइटलाइफ़ (Nightlife)। फ्रेंड सर्कल या पार्टनर (Friend circle or partner) के साथ ट्रैवल (Travel) कर रहे एक एडल्ट (Adult) होने के नाते, आप हॉप एन ग्रेन्स को शाम या देर रात बिताने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक पाएंगे। यह सिटी का बेस्ट रेस्टोरेंट है जहाँ आपको डिलीशियस फूड (Delicious Food) और अमेजिंग ड्रिंक्स एंजॉय (Enjoy amazing drinks) करने को मिलेंगी।
चिंता मत कीजिए यह फैमिली के लिए स्पेशल प्लेस है जहां गुड अमाउंट (Good amount) पर टेस्टी फूड (Taty food) का टेस्ट (Taste) ले सकते हैं।

6. रॉक गार्डन (Rock garden)-

चंडीगढ़ के इस पॉपुलर (Popular) रॉक गार्डन की स्टार्टिंग (Strarting) 1957 में हुई थी और तब से ये चंडीगढ़ के बेस्ट टूरिस्ट प्लेसेस (Best tourist places) में टॉप (Top) पे है। रॉक गार्डन की सबसे यूनिक क्वालिटी (Unique quality) ये है कि, यहां 5000 से ज्यादा आर्ट पीसेस की कार्व्ड स्क्वॉट (Carved Squat Of Art Pieces) है जो कि काफी अट्रैक्टिव (Attractive) है।

कला प्रतिष्ठान (Art installation) और मूर्तियां (idols) कई चीज़ों से बनाई जाती हैं जैसे इंडस्ट्रियल वेस्ट (Industrial waste), टूटे हुए कांच (Broken glass), चट्टानें (Rocks) और कई पौधे (Many plants)। रॉक गार्डन के 3 एरिया में आर्ट आर्काइव सेटअप (art archive setup) हैं।

रॉक गार्डन चंडीगढ़ के सबसे अट्रैक्टिव टूरिस्ट प्लेस में से एक है। भले ही आप आर्ट और फैन ऑफ़ स्कल्पचर (fan of sculpture) नहीं हैं, फिर भी आपको कुछ ऐसा मिल जाएगा जो आपका ध्यान खींच लेगा। अगर आप अपने फैमिली के साथ बाहर एक दिन बिताना चाहते हैं, तो रॉक गार्डन एक बेहतरीन जगह है।

7. इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम (International Doll Museum)-

इंटरनेशनल डाल म्यूजियम एक शानदार जगह है जो आपको एक अनफॉरगेटेबल एक्सपीरिएंस देगी। ये म्यूजियम दुनिया भर की पइंस्पिरेशन से बनी डॉल से बना है। परियों की कहानियों (Stories of Fairies) और कहानियों के कैरेक्टर्स (Character) से लेकर दुनिया भर की ट्रेडिशनल डॉल (Traditional Doll) तक, म्यूजियम आर्ट (Art) की इन अमेजिंग क्रिएशन (Amazing creation) से भरा हुआ है।

अगर आप बच्चों के साथ ट्रैवल कर रहे हैं तो चंडीगढ़ का सबसे अट्रैक्टिव टूरिस्ट प्लेस (Attractive Tourist Place of Chandigarh) इंटरनेशनल डॉल्स म्यूजियम होगा। यह अपने परिवार के साथ दिन बिताने का भी एक शानदार तरीका है। आप यहां मिड ऑफ अक्टूबर (Mid of october) में आ सकते हैं।
इंडियन कल्चर को अच्छे से जानने और एक्सप्लोर (Explore) करने के लिए आप जब भी चंडीगढ़ आए तो ऊपर बताई गई जगहों पर जरूर जाएं।

Categories
Bazar Destination Haryana Punjab Travel

Best Tourist Places in Chandigarh

भारत की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक चंडीगढ़

Five Colors of Travel

यह बात तो सभी जानते हैं कि चंडीगढ़ भारत की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। अगर रहने की बात की जाए तो पूरे भारत में रहने के लिए चंडीगढ़ को बेस्ट प्लेस कहना गलत नहीं होगा क्योंकि यहां शांत वातावरण, हरियाली और भी सुविधा के तौर पर देखें लगभग सब कुछ ही मौजूद है। सबसे अच्छी बात तो यह है चंडीगढ़ में आपको कभी पार्किंग की असुविधा नहीं होगी और यहां की व्यवस्थित सड़कें और साफ सफाई आपको इस जगह का दीवाना बना देगी। तो चलिए आपको यहां की कुछ ऐसी खूबसूरत जगहों (Best Places in Chandigarh) से रूबरू कराते हैं, जिन्हें आपको चंडीगढ़ के ट्रिप के दौरान एक बार तो जरूर एक्स्प्लोर करना चाहिए।

सुखना झील

सुखना लेक को पूरे चंडीगढ़ की सबसे लाजवाब टूरिस्ट प्लेस में गिना जाता है, और यही कारण है कि यहां पर आपको सबसे ज्यादा टूरिस्ट आपको दिखाई देंगे। सुखना लेक, एक बहुत बड़ी और खूबसूरत लेक है जो कि काफी बड़ी और सुन्दर है। यहां आपको बोटिंग करने का मजा भी आएगा। अगर आप चंडीगढ़ घूमने आएं तो सुखना लेक को एक्स्प्लोर करना बिलकुल ना भूलें क्योंकि यह चंडीगढ़ का बेस्ट टूरिस्ट प्लेस माना जाता है।

सुखना लेक चंडीगढ़ सेक्टर 1 में पड़ती है जोकि सेक्टर 17 से 4km. की दूरी पर है। यहां तक आप बस में भी आसानी से आ सकते हैं, या फिर आप ऑटो या अपनी पर्सनल गाड़ी के माध्यम से भी पहुँच सकते हैं। यहां पर आप बच्चों या फिर पूरी फेमिली के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड कर सकते हैं, तो अगर आप पूरे दिन यहां पिकनिक के लिहाज़ से आएंगे तो यहाँ आपको खाने-पीने की भी सभी सुविधाएं मिल जाएंगी। इसके अलावा यहां आप 200 से लेकर 500 रुपए में अपनी स्केच भी बनवा सकते हैं। सुखना लेक एक काफी सुन्दर जगहों में शुमार हैं, तो इस जगह को जरूर एक्स्प्लोर करें।

रोज गार्डन

फूलों का दीवाना कौन नहीं होता और फिर बात गुलाब के फूल की हो तो इसके आगे तो पूरी कायनात सर जुखाए खड़ी हो जाती है। फिर चाहे कोई आशिक़ हो या दीवाना। तो चलिए आपको रूबरू करते हैं गुलाब के एक ऐसे बाग़ से जिसमें गुलाब के फूल की एक हज़ार स्पीशीज आपको देखने को मिल जाएगी। इस प्रमुख पर्यटन स्थल को जाकिर हुसैन रोज गार्डन भी कहा जाता है।

रोज गार्डन को 1967 में चंडीगढ़ के फर्स्ट चीफ कमिश्नर डॉ. एम् एस रंधावा जी ने बनवाया था। रोज गार्डन 30 एकड़ की जमीन में फैला हुआ है, जिसमें एक हज़ार से भी ज्यादा रोज की स्पीशीज देखने को मिलती है। यहां आपको हर एकपौधे के नीचे उनकी स्पीशीज का नाम भी लिखा गया है। यहां विजिट करने का बेस्ट समय है फरवरी और मार्च। यह गार्डन जन मार्ग, 16 बी, सेक्टर16 में स्थित है।

रॉक गार्डन

रॉक गार्डन सुखना झील के पास ही मौजूद है, जिसमें आपको काफी कुछ इंट्रेस्टिंग देखने को मिलेगा, और वेस्ट चीज़ो से किस तरह सजावटी सामान बनाए जाते है यह भी आप यहां देख सकते हैं। इसके अंदर हैंड मेड झरने और कई अन्य तरह की मूर्तियां बनी हुई हैं। जिसमें इसकी खासियत यह है कि यह मूर्तियां और कलाकृतियां स्क्रैप और अन्य तरह के वेस्ट चीज़ो से बनाई गई हैं जैसे बोतलें, गिलास, चूड़ियां, बर्तन, सिंक, टूटे पाइप आदि। यह गार्डन कम-से-कम चालीस एकड़ की जगह में फैला हुआ है। इसे नेक चंद द्वारा बनाया गया था, वह कचरे व अन्य प्रकार के वेस्ट मटेरियल को उठा कर उसे मूर्तियां बनाने में इस्तेमाल करता। जिसमें उस एक लाजवाब व्यक्ति की रचनात्मकता साफ़ झलकती दिखाई पड़ती है।

Best Places to visit in Chandigarh

अगर आप चंडीगढ़ की खूबसूरती को तराश रहे हैं तो आपको इस जगह को एक बार जरूर एक्स्प्लोर करना चाहिए। यह गार्डन सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है, और यह सप्ताह के सातों दिन खुला रहता है। रॉक गार्डन की एंट्री टिकट 30 रूपये है। इसकी लोकेशन की बात करें तो यह सुखना झील से केवल 2 किमी दूर है।

छत्तबीर चिड़ियाघर

चंडीगढ़ का यह प्रसिद्ध चिड़ियाघर महेंद्र चौधरी जूलॉजिकल पार्क के नाम से भी जाना जाता है। सभी चिड़ियाघर की तरह यहां भी आपको सबसे पहले एंट्री टिकट लेनी होगी जोकि 12 साल से उप्पर सभी की टिकट 100 रूपये है और बच्चों की टिकट 50 रूपये है।

और इसके अलावा अगर आप फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी के शौकीन हैं तो आपको यहां कैमरे के लिए भी आपको टिकट अलग से खरीदनी होगी जिसकी टिकट है 250 रूपये। यहां आपको कई सारे पशुओं को देखने व अलग अलग तरह की जानकारी लेने का मौका मिलेगा। तो इस चिड़ियाघर में एक बार जरूर आएं।

एलांते मॉल

मॉल तो वैसे हर बड़े शहर में आपको देखने को मिलते हैं वैसे ही चंडीगढ़ का सबसे बड़ा मॉल है एलांते मॉल। यहां बच्चों के फन से लेकर कपडे खाने पीने और मूवी जैसी हर एक सुविधा उपलब्ध है। यह लगभग 20 एकड़ की जगह में फैला हुआ है एलांते मॉल न सिर्फ चंडीगढ़ बल्कि देश भर का सबसे बड़ा मॉल है।

इसकी टाइमिंग सुबह 11 बजे से शाम 10 बजे तक है। एलांते मॉल फन और शॉपिंग हर लिहाज से काफी शानदार है। इसकी लोकेशन की बात करें तो 178, इंडस्ट्रियल एरिया, फेज 1, चंडीगढ़। यहां आप आपने वाहन या कैब के माध्यम से आसानी से पहुँच सकते हैं। इसके अलावा यहां के लिए बस भी उपलब्ध हैं। नेअरेस्ट बस स्टॉप है सेंट्रा मॉल बस स्टॉप। आप सेक्टर 17 बस स्टैंड से भी यहां की बस ले सकते हैं

Categories
Destination Punjab Travel

Jallianwala Bagh- Amritsar

पंजाब के अपने सफर में आज हम आ पहुंचे हैं अमृतसर के जलियांवाला बाग में जहां ना जाने कितने लोगों ने देश के लिए क़ुरबानी दी है। वीडियो में आगे बढ़ने से पहले अगर आपने हमारे चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया है तो सब्सक्राइब कर लें ताकि आपको हमारी आगे आने वाली वीडियोस की नोटिफिकेशन टाइम से मिलती रहे। Jallianwala Bagh Massacre Amritsar Punjab

दिल्ली से अमृतसर तक की दूरी

दिल्ली से अमृतसर तक की दूरी लगभग 460 किलोमीटर है और अगर आप वहां अपने व्हीकल से जाते हैं तो आपको करीबन  9 से 10 घंटे लग जाएंगे।

जलियांवाला बाग हत्याकांड

जलियांवाला बाग में हुए हत्याकांड को आज शायद ही कोई भुला पाए।  इसी बाग़ में 103 साल पहले यानि 13 अप्रैल 1919 को एक बहुत ही भयानक नरसंहार हुआ था जिसमे सैकड़ों लोगो ने अपनी कुर्बानी दी थी जिसमे आदमी, औरत, बच्चे, और बूढ़े सब शामिल थे।Jallianwala Bagh Massacre Amritsar Punjab

दरअसल रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए बैशाखी के दिन जलियांवाला बाग़ में  एक सभा हो रही थी जिसमें जनरल डायर नामक एक अँग्रेज ऑफिसर ने बिना किसी वजह के उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं जिसमें सैंकड़ों लोग शहीद हुए और २००० से अधिक घायल हुए।

10  मिनट में कुल 1650 राउंड गोलियां

बताते हैं 10  मिनट में कुल 1650 राउंड गोलियां चलाई गईं। जलियांवाला बाग उस समय मकानों के पीछे पड़ा एक खाली मैदान था। वहाँ तक जाने या बाहर निकलने के लिए केवल एक संकरा रास्ता था और चारों ओर मकान थे। भागने का कोई रास्ता नहीं था। कुछ लोग जान बचाने के लिए मैदान में मौजूद एकमात्र कुएं में कूद गए, पर देखते ही देखते वह कुआं भी लाशों से पट गया। आज भी बाग में लगी पट्टिका पर आप पढ़ सकते हैं कि 120  शव तो सिर्फ कुए से ही मिले।

इतना दर्दनाक मंजर सहने वाला यह जलियावाला बाग़ अमृतसर के पवित्र गोल्डन टेम्पल से लगभग 200 300 मीटर दूर हेरिटेज मार्किट में स्थित है। जैसे ही आप इस बाग़ के अंदर जाएंगे तो आपको दीवारों पर उस समय की घटना की कुछ कलाकृतियां देखने को मिलेगी जो आपको हत्याकांड के टाइम की याद दिलाएगी कि उस समय कैसा भयानक मंजर रहा होगा। Jallianwala Bagh Massacre Amritsar Punjab

वॉर मेमोरियल

अंदर जाते ही आपको एक बहुत ही सुंदर और बड़ा बाग़ दिखाई देगा। इस बाग़ को बड़े ही सलिखे से संभाला जाता है। इसके एंट्री गेट से ही आपको वॉर मेमोरियल दिख जाएगा जिसे हमारे उन निर्दोष स्वतंत्रता सेनानियों की याद में बनवाया गया है।

यहीं पर पास में ही आपको वह मौत का कुआं दिखाई देगा जिसमें कूदकर लोगों ने उस क्रूर डायर की गोलियों की बौछार से बचना चाहा लेकिन बच नहीं पाए।

खूनी गोलियों के निशान

इसी कुएं के बगल में ही वो दीवार है जहां पर आपको उन खूनी गोलियों के निशान आज भी देखने को मिल जाएंगे। इस बाग़ की हर एक दीवार आज भी चींख-चींख कर उस समय की घटना को ब्यान कर रही है।

बाग़ के अंदर आपको अमर ज्योति भी दिखाई देगी जो उन लोगों को श्रद्धांजलि समर्पित करती है जो 1919 के हत्याकांड में मारे गए थे।

अमर ज्योति के बगल में ही आपको एक एक्सिबिशन दिखाई देगा जिसमें हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों के फोटो लगाए गए हैं जिनकी कुर्बानियों को भुला पाना शायद मुमकिन नहीं

शहीद उधम सिंह जी की अस्थियों के दर्शन भी आप इसी परिसर में कर सकतें हैं। और इसी जगह आपको इस भयावय नरसंहार की पूरी कहानी बड़े पर्दे पर दिखाई जाती है। (Jallianwala Bagh Massacre Amritsar Punjab)

Categories
Best of My Blogs Destination Lifestyle Punjab Travel

Best Places to visit in Amritsar

अमृतसर- आस्था और सुकून का शहर

मुझे जब भी अपने व्यस्त शेड्यूल में या रोज़मर्रा की ज़िंदगी में थोड़े सुकून के पल चाहिए होते हैं तब अनायास ही यात्रा का ख्याल आता है। जब कभी ऐसा लगता है कि इस तनावपूर्ण और भागदौड़ भरी ज़िंदगी से थोड़ी निजात चाहिए तब मेरे पास अंतिम विकल्प यात्रा का ही बचता है। इस बार कार्यक्रम बना अमृतसर का। वो भी प्रसिद्ध त्यौहार बैसाखी के अगले दिन।

कैसे पहुंचे अमृतसर

बैसाखी के त्यौहार की शुरुआत भारत के पंजाब राज्य से ही हुई है और इसे रबी की फसल की कटाई शुरू होने की ख़ुशी के रूप में मनाया जाता है। बैसाखी के दिन गोल्डन टेम्पल को जगमगाती लाइटों से सजाया जाता है। देश भर से सिख श्रद्धालु इस दिन अमृतसर पहुँचते हैं। बैसाखी से अगले दिन जाने का फायदा ये हुआ कि भीड़ इतनी नहीं थी। वैसे अमृतसर घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च ही रहता है। हम हिसार से अमृतसर ट्रैन से पहुंचे। स्टेशन से उतरते ही बाहर फ्री बस सेवा का भी इंतेज़ाम रहता है जो ‘सतनाम वाहेगुरु’ के जयकारें लगाते हुए सीधे गोल्डन टेम्पल ले जाती है। गुरूद्वारे पहुँचते-पहुँचते रात के 11 बज चुके थे। हमनें अंदर परिसर में ही स्थित गंगा निवास में वातानुकूलित रूम बुक करवाया था। भले ही अप्रैल के महीने में ठीक-ठाक गर्मी होती है पर अंदर परिसर में ठंडक थी। थोड़ा आराम करने के बाद जैसे ही हमनें हरमंदिर साहिब में कदम रखा एक हमें अलग ही वातावरण की अनुभूति हुई। और लगा जैसे यहाँ आना पूरी तरह सार्थक हो गया। मेन हाल में दर्शन के लिए लम्बी-लम्बी लाइनें लगी हुयी थी। सुबह तड़के पालकी के दर्शन किये। दर्शन के लिए भले ही भीड़ कितनी ही क्यों न हो पर थकान जरा-सी भी नहीं होती, बस यही खासियत है यहाँ की।

परमात्मा एक है और वो सब जगह मौज़ूद है।
एक औंकार, सतनाम करता पुरख निरभउ निरवैर…...

गोल्डन टेम्पल में दिन रात शब्द कीर्तन और गुरुबाणी चलती रहती है जो दुनिया की भाग दौड़ से थके हारे मन को रूहानी सुकून देती है

अद्भुत और अलौकिक गुरुद्वारा

स्वर्ण मंदिर में प्रवेश के लिए चार द्वार है जो इस बात के प्रतीक हैं की यहाँ के दरवाज़े हर धर्म के लोगो के लिए खुले हैं। रात में जगमगाती रौशनी में संगमरमर और सोने के आवरण से बना यह गुरुद्वारा अद्भुत और अलौकिक लगता है।

अंदर परिसर में ही दुनिया की सबसे बड़ी रसोई में से एक गुरु के लंगर में रोज़ाना हज़ारों लोग प्रशाद रूप में भोजन ग्रहण करते है। इतनी बेहतरीन व्यवस्था, इतना स्वाद और इतना अपनापन। सच में अद्भुत। इसी कारण कहते हैं अमृतसर में कोई भूखा नहीं सोता। पवित्र जल के तालाब के बीचों-बीच गुरुद्वारा साहिब है व चारों तरफ बड़ा-सा प्रांगण है। जहाँ आपको सैंकड़ों श्रद्धालु सिमरन करते मिल जायेंगे। गुरूद्वारे में एक भव्य म्यूजियम भी है जहां सिख धर्म से जुडी ऐतिहासिक चीज़ें रखी गयी है।

गुरुओं की देन- अमृतसर शहर

वैसे तो अमृतसर को देश विदेश में सब जानते हैं लेकिन दरबार साहिब (गोल्डन टेम्पल ) इस शहर की लाइफ लाइन है। पूरा अमृतसर शहर गोल्डन टेम्पल के इर्द गिर्द ही बसा हुआ है। अमृतसर शहर गुरुओं की देन माना जाता है। चौथे गुरु रामदास जी ने पांच सौ बीघा जमीन लेकर यह शहर बसाया था। तभी इसका नाम पड़ा रामदासपुर। महाराज रंजीत सिंह ने हरमिंदर साहिब पर उन्नीसवीं शताब्दी में सोने का आवरण चढ़वाया था और तब से अमृतसर को स्वर्ण नगरी भी कहा जाने लगा। एक शहर के तौर पर देखें तो यह सिर्फ अपने गुरुद्वारों के लिए प्रसिद्ध नहीं है बल्कि कौमी एकता का एक बेहतरीन उदाहरण भी है – यहाँ जहां एक तरफ बेहद खूबसूरत दुर्गियाना मंदिर है वहीँ आज़ादी की लड़ाई की गवाह दिल्ली की जामा मस्जिद जैसी दिखती खैरउद्दीन मस्जिद भी है। जहाँ हज़ारों लोग इबादत के लिए आते हैं।(Golden Temple, Amritsar)

वाघा बॉर्डर

अमृतसर शहर से 30-32 किलोमीटर एकऔर डेस्टिनेशन है वाघा बॉर्डर। यहाँ पर रोज़ शाम को दोनों देशों के सिपाहियों द्वारा बहुत ही जोशीले ढंग से अपने-अपने राष्ट्रीय ध्वज को वापिस उतरा जाता है। इस दौरान देशभक्ति का ऐसा रंग चढ़ जाता है जिसकी कल्पना करना भी सम्भव नहीं। यहाँ की ये जोशीली परेड देखने के लिए आपको समय से पहले ही जाना पड़ता है वरना भीड़ इतनी हो जाती है कि वहां पर खड़े होने की भी जगह नसीब नहीं होती।

जलियावालां बाग

अमृतसर में ही भारत की आज़ादी के इतिहास का साक्षी प्रसिद्ध जलियावालां बाग भी है। आज जलियावालां बाग एक पर्यटक स्थल बन गया है और रोजाना हजारों सैलानी इसे देखने आते हैं। यहाँ की दीवार पर आज भी उन गोलियों के निशान मौज़ूद हैं जो जनरल डायर ने निहत्थी भीड़ पर चलवाई थी जिसमे हज़ारों लोग मारे गए थे।

अमृतसर शहर के पुराने बाजार आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं जैसे किसी ज़माने में हुआ करते थे। आप शाम के समय पैदल ही बाजार की सैर पर निकल सकते हैं। भीड़-भाड़ वाले ये बाजार एक बार तो आपको चांदनी चौक की याद दिला देंगे। अगर आप खाने के शौकीन हैं तो अमृतसर आपके लिए किसी जन्नत से कम नहीं होगा। अमृतसर लस्सी, छोले भटूरे, राजमा चावल और पिन्नी का स्वाद पूरी दुनिया में मशहूर है। बात चाहे धार्मिक आस्था की हो, इतिहास की हो, संस्कृति की या फिर खानपान की, अमृतसर का कोई सानी नहीं।

Categories
Culture Punjab

Maharaja Ranjit Singh Fort, Phillaur, Ludhiana

Ludhiana: महाराजा रंजीत सिंह के किले और डेरा बाबा मुराद शाह दरगाह के कारण वीरवार का दिन लुधियानवियों के लिए है बेहद खास

हर शहर की अपनी अलग खासियत होती है। यह खासियत खाने-पीने की चीजों से लेकर घूमने वाली जगहों से संबंधित भी हो सकती है। पंजाब का लुधियाना शहर जो देश भर में कपड़ा उद्योग और इंडस्ट्रियल कामकाज की वजह से जाना जाता है, इस शहर में आपको इनके अलावा भी बहुत कुछ देखने को मिलेगा। अगर आप लुधियाना के आसपास हैं या इस रुट से गुजर रहे हैं तो आप यहाँ की कुछ खूबसूरत जगहों का अच्छे से लुत्फ़ उठा सकते हैं। लुधियाना एक ऐतिहासिक शहर है, क्योंकि ऐतिहासिक स्मारक लोधी किला यही स्थित है। इस शहर को सन् 1480 में मुस्लिम शासक सिकंदर लोदी द्वारा सतलुज नदी के तट पर बसाया गया था, लोधी की वजह से शहर का नाम लुधियाना पड़ा। आज हम फाइव कलर्स ऑफ ट्रेवल के इस ब्लॉग में आपको लुधियाना की  प्रमुख जगहों से रूबरू करवाएंगे।

लुधियाना से 15 किलोमीटर के दायरे में आप एक साथ कई प्रमुख जगह घूम सकते हैं। सबसे पहले टाइगर सफारी, बुध विहार हार्डिस वर्ल्ड, शनि गांव, मैयाजी सरकार की दरगाह और महाराजा रणजीत सिंह किला, यह सब जगह आपको समराला चौक से फिल्लोर के रास्ते में मिल जाएंगी लेकिन ध्यान रहे इन सभी जगहों को घूमने के लिए आपको वीरवार का दिन ही चुनना होगा। तभी इन प्रमुख जगहों को घुमा जा सकता है।

महाराजा रंजीत सिंह किला

महाराजा रंजीत सिंह किले के अंदर प्रवेश करने के लिए किसी भी तरह की टिकट की आवश्यकता नहीं होती है। एंट्री बिल्कुल फ्री होती है। मुख्य द्वार पर पुलिस के जवान आपको टेंपरेचर चेक करने के बाद अंदर जाने देते हैं। किला अंदर से बहुत ही अद्भुत और विशालकाय दीवारों के साथ एक अलग ही नजारा पेश कर रहा था। किले के दरवाजे किसी फिल्मी किले से बिल्कुल भी कम नहीं थे। सच में  फिल्मों में दिखने वाले किलों से भी एक अलग नजारा वहां पर देखने को मिल रहा था आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि महाराजा जीत सिंह किला भी केवल वीरवार वाले दिन ही खुलता है, क्योंकि इसके अंदर भी दरगाह स्थित है।

जहाँ  श्रद्धालु वीरवार वाले दिन ही आते है। किले के अंदर बड़ा-सा दरवाजा पार करने के बाद दरगाह आती है। आसपास पुलिस का पहरा दिखाई देता है। किले के अंदर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र भी है। फोटोग्राफी करने की यहां सुरक्षा कारणों की वजह से सख्त मनाही है।आप फोटोग्राफी नहीं कर सकते हैं हालांकि लोग छुप-छुपा के एक दो फोटो ले रहे थे। अंदर एक संग्रहालय भी है।

डेरा बाबा मुराद शाह, नकोदर

लुधियाना से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित नकोदर में  डेरा बाबा मुराद शाह जी की दरगाह स्थित है जहाँ श्रद्धालुओं की खूब भीड़ उमड़ती है। अक्सर लुधियानवी वीरवार वाले दिन नकोदर घूमने जाते हैं। डेरा बाबा मुराद शाह जी की दरगाह का नजारा बहुत ही भव्य है।

बाबा मुराद शाह के बारे में कुछ रोचक बातें हैं जिसके कारण यह दरगाह दुनिया भर में प्रसिद्ध है। बताते हैं  ”बाबाजी बिजली बोर्ड दिल्ली में एसडीओ के पद पर तैनात थे, उनके साथ एक मुस्लिम महिला काम करती थी। बाबा मुराद शाह जी का नाम पहले विद्यासागर था, वह उस मुस्लिम महिला से बेइंतहा मोहब्बत करते थे। एक दिन उस मुस्लिम महिला की शादी किसी और से तय हो गई। बाबा जी ने उस मुस्लिम महिला को कहा कि वह शादी करना चाहते हैं। मगर मुस्लिम महिला ने यह कहकर शादी करने के लिए मना कर दिया कि वह मुस्लिम नहीं है,अगर शादी करनी है तो पहले मुसलमान बनना पड़ेगा। बस फिर क्या था मुस्लिम महिला की बात बाबा जी को इतनी चुभी कि उन्होंने नौकरी छोड़ दी और वापस अपने गांव नकोदर की ओर चल दिए। रास्ते में उन्होंने वारिस शाह की हीर पुस्तक खरीदी,उसके बाद बाबाजी की जिंदगी में नया मोड़ आ गया। हीर पुस्तक पढ़ते-पढ़ते बाबाजी नकोदर अपने घर के पास पहुंचे तो रास्ते में बाबा शेरेशाह जी ने उनको आवाज लगाते हुए कहा कि ओह विद्यासागर कहां जा रहे हो बाबा जी उनके पास गए, फिर शेरशाह जी कहते हैं “क्यों मुसलमान नहीं बनना है”। इतना सुनते ही बाबाजी सोच में पड़ गए। वह सोचने लगे कि आखिर उनको मेरा नाम और मेरी बातें कैसे पता चली। बाबा जी ने मन में सोचा कि यह जरूर कोई रूहानी इंसान हैं। इसके बाद बाबा जी ने कभी मुड़ कर पीछे नहीं देखा और घर वार छोड़कर शेरेशाह जी की शरण में आ गए। आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि बाबा शेरे शाह पाकिस्तान से आए हुए थे और जब वह पाकिस्तान लौट कर जा रहे थे तो जाते वक्त शेरे शाह जी ने कहा की मेरे जाने के बाद “तुम मेरे गद्दी के मालिक होगे और दुनिया तुम्हें मुराद शाह के नाम से जानेगी”। 24 साल की उम्र में बाबा मुराद शाह जी ईश्वर की भक्ति में इतना लीन हो गए कि मात्र 28 साल की उम्र में वह फकीर बन गए। मौजूदा समय में यहां की गद्दी पंजाबी सूफी गायक गुरदास मान के पास है।”(बाबा मुराद शाह वेबसाइट में छपे एक लेख के मुताबिक)

यहां पर वीरवार वाले दिन हजारों की संख्या में लोग आते हैं। यहां की साज-सज्जा बहुत ही अद्भुत है। वीरवार वाले दिन दरगाह में भंडारा दिन भर चलता रहता है। दरगाह के साथ ही बहुत बड़ी झील भी है जो कि मन को खूब शीतलता प्रदान करती है।

इस दरगाह तक आप बस और ट्रेन किसी भी तरह आसानी से पहुंच सकते हैं। लेकिन ट्रैन की की तुलना में आप यहाँ बस से आसानी से पहुँच सकते हैं।

 

Report by Pravesh Chauahan
Edited by Pardeep Kumar

Categories
Destination Haryana Lifestyle Punjab Travel

Sukhna Lake-चंडीगढ़

Sukhna Lake-चंडीगढ़ की मशहूर झील

by Pardeep Kumar

दोस्तों, आज इस ब्लॉग में हम आपको बताने वाले हैं चंडीगढ़ की मशहूर सुखना झील के बारे में। इससे पहले कि हम आज के सफर में आगे बढ़े, आप यह अवश्य जान लें कि इस शहर की एक नहीं, दो नहीं बल्कि कई खासियते हैं। अक्सर हम इस शहर को हिंदी पंजाबी गानों या फिल्मों में देखते हैं। जितनी खूबसूरत ये सिटी आपको स्क्रीन पर दिखाई जाती है यकीन मानिए यह देखने में उससे भी कहीं ज्यादा खूबसूरत है। बेहद ही तरतीब से बसाया गया यह शहर शांत वातावरण और हरियाली के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। (Sukhna Lake)

वहीं शिवालिक रेंज की तलहटी में सुंदर सुखना झील प्रकृति के साथ एक शांत, क्वालिटी टाइम स्पेंड करने और वॉटर राइड्स जैसे एडवेंचर्स के लिए एक बेस्ट डेस्टिनेशन है। सुखना झील एक मानव निर्मित झील है जिसे 1958 में ले कोर्बुसीयर और पी एल वर्मा द्वारा निर्मित किया गया था। कॉर्बूसियर ने सोचा था कि शहर के निवासी इसे ‘शरीर और आत्मा की देखभाल’ के लिए आकर्षित करेंगे। चंडीगढ़ शहर के योजनाकार इस झील से गहराई से जुड़े हुए थे।

सुखना झील चंडीगढ़ में 3 वर्ग किलोमीटर में फैली वर्षा आधारित झील है। सन 1958 में शिवालिक पहाड़ियों से नीचे आने वाली मौसमी धारा सुखना चो को बांधकर बनाई गई थी। मूल रूप से मौसमी प्रवाह सीधे झील में प्रवेश करता है जिससे भारी गाद निकलती है। गाद के प्रवाह को रोकने के लिए जलग्रहण क्षेत्र में लगभग 25.42 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया और 1974 में, चो को मोड़ दिया गया और झील को पूरी तरह से बाय-पास कर दिया गया।

जब भी आप अपनी फैमली या फ्रेंड्स के साथ सुखना झील आयेंगे तो झील के किनारे क्वालिटी टाइम स्पेंड कर सकते है।

अद्भुद नजारें और वाटर एक्टिविटीज

झील में बोट राइड एक्टिविटीज के अलावा आप शिकारा की सवारी भी एन्जॉय कर सकते है। यदि आप डेली की बिजी और थकान भरी लाइफ से दूर कुछ समय अपनी फैमली के साथ रिलेक्स करते हुए स्पेंड करना चाहते हैं तो आपको पूरे एक दिन के लिए सुखना लेक जरूर आना चाहिए। यकीन मानिये सुखना लेक चंडीगढ़ का  शांतिप्रिय वातावरण, अद्भुद नजारें और यहाँ की वाटर एक्टिविटीज आपको तरो ताजा कर देंगी।

कैफेटेरिया की सुविधाएं

बता दे झील के पास एक फेमस केफे भी है जिसे सिटको  कैफेटेरिया के रूप में जाना जाता है जिसमें इनडोर और आउटडोर दोनों बैठने की जगह है। जहाँ आप अपने फ्रेंड्स के साथ कॉफ़ी, चाय या ब्रेक फ़ास्ट कर सकते है। झील के आसपास के क्षेत्र में भी छोटे क्यूरियस खरीदने के लिए स्मारिका दुकानें हैं यहाँ शोपिंग करके आप अपनी ट्रिप को मेमोरिबल बना सकते है। अगर आप इस झील पर ज्यादा कुछ करना नहीं चाहते’ तो बस एक काम कीजिये इसके किनारे पर बैठकर सूर्यास्त का मज़ा लीजिये।

झील के दक्षिण में एक गोल्फ कोर्स और इसके पश्चिम में प्रसिद्ध रॉक गार्डन है। झील के बाहर पर्यटकों को ऊंट की सवारी भी कराई जाती है, यदि आपने अभी तक की ऊंट की सवारी नही की हैं तो आप यहाँ ऊंट की सवारी का अनुभव भी ले सकते है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यदि आप पूरे 1 दिन की ट्रिप पर हैं तो सूर्यास्त होने तक यहाँ जरूर रुकें क्योंकि सूर्यास्त के अद्भुद और अविस्मरणीय नजारों के साथ अपनी ट्रिप खत्म करने से बेहतर कुछ हो ही नही सकता है।

एंट्री शुल्क

आपको बता दें कि यहां एंट्री करने का कोई भी शुल्क नहीं है उसके पश्चात आप यदि बोटिंग करना चाहते हैं या कुछ खाना पीना चाहते हैं तो उसके लिए आपको काउंटर पर जाकर एक कार्ड बनवाना होगा जिसका इस्तेमाल आप हर दुकान पर हर चीज के लिए कर सकते हैं।

किस समय जाएँ

सुखना झील घूमने के लिए आप किसी भी समय जा सकते हैं गर्मियों में ठंडी हवा खाने और सर्दियों में खिली-खिली धूप का आनंद लेने आप यहां पहुंच सकते हैं, यहां जाने का सबसे उचित समय सूर्योदय और सूर्यास्त का है क्योंकि दिन की गर्मी में यहां ज्यादा देर घूम पाना काफी मुश्किल है।

सुखना झील कैसे पहुंचे

हवाई अड्डा शहर से 11 किमी दूर है। हवाई अड्डे के स्थानांतरण के लिए टैक्सी उपलब्ध हैं। इंडियन एयरलाइंस, जेट एयरवेज और एयर डेक्कन चंडीगढ़ को राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से जोड़ता है।चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली और अन्य बड़े शहरों से रेल द्वारा जुड़ा हुआ है चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन सेक्टर 17 में शहर के केंद्र से 8 किलोमीटर दूर है। चंडीगढ़ सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है और लगभग हर बड़े और छोटे शहरों से यहां के लिए बस आती जाती रहती है।

error: Content is protected !!