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Delhi Food Review

Tea Moments: Satya Niketan’s Hidden Gem for Chai Lovers

 

In the bustling area of Satya Niketan, located near South Campus of Delhi University, students, faculty, and locals flock to enjoy vibrant youthful energy and a variety of cafes. While some spots steal the limelight, there’s a hidden gem that has quietly become a go-to place for tea lovers- Tea Moments.  

Opened on April, 2023 , this rapidly growing cafe has quickly earned a loyal customer base. The cafe serves a wide variety of tea that have been meticulously prepared using hygienic, high-quality ingredients.

Affordable Price

With prices ranging from an unbelievably affordable from ₹12 to ₹25 , Tea Moments caters to everyone, from budget-conscious students to faculty members and even parents who want to enjoy a relaxing cup of chai.  

What sets Tea Moments apart from the many other cafes in Satya Niketan is not just its affordability or the diverse range of teas but the welcoming atmosphere created by its friendly owner. His passion for tea and commitment to quality has resonated with the crowd. Umesh’s background, rooted in his father’s legacy (his father received a National Award for Handicrafts), reflects the dedication to craftsmanship and customer satisfaction, making every visit here feel personal and warm. 

Despite starting small, Tea Moments has grown rapidly, thanks to its unbeatable combination of quality, hospitality, and affordability. The cozy environment adds to its charm, making it the perfect spot for anyone looking to spend some quality time, whether it’s catching up with friends, enjoying some alone time, or having a quick tea break between classes

tea moments satya niketan

Tea Moments is also conveniently located at 1/334 Motibagh, a short distance from the bustling heart of Satya Niketan. It’s not just a place to grab tea, it’s a heaven for those who cherish authentic chai experiences at pocket-friendly prices. 

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Other Attractions nearby

Besides the amazing tea,the café is close to several attractions: 

 1.)Motibagh Gurudwara : A beautiful Gurudwara located at just 500 metres away, attracting many religious visitors. 

Tea Moments: Satya Niketan's Hidden Gem for Chai Lovers"

 2.)Hostels and PGs : Due to nearby colleges,the area has plenty of accommodation options within walking distance. 

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 3.) Nearby colleges: Major institutions like Sri Venkateshwara college, Atmaram sanatan dharma college, Ramlal Anand College, Maitreyi College,Jesus and Mary college and Aryabhatta college are all nearby making tea moments a go to place for students. 

tea moments

So, if you find yourself in the Satya Niketan area, make sure to stop by Tea Moments. Whether you’re a student, professor, or simply someone who enjoys a good cup of tea, this place promises a delightful experience that keeps people coming back. 

Nearest metro station:Durgabai Deshmukh metro station (Pink line and Airport expressway) 

Distance from station: 200 metres 

Come for the tea, stay for the moments. 

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Culture Lifestyle Review

Fabric Prints: बिना कुछ बोले भी बहुत कुछ बता देते हैं ये फैब्रिक्स पर दिखने वाले विभिन्न प्रकार के प्रिंट

आप सभी ने अपने-अपने घरों में कई तरह के कपड़े देखे होंगे। खासकर महिलाओं की साड़ियां तो हर घर में होती हैं। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है? ये साड़ियां फैब्रिक में अलग होने के साथ-साथ उनके प्रिंटिंग स्टाइल्स के मामले में भी अलग-अलग होती हैं। कहीं आपको बांधनी प्रिंट के स्टाइल की साड़ियां दिखेंगी, तो कहीं आपको घेर प्रिंट या फिर छींट प्रिंट की साड़ियां देखने को मिलेंगी। आज का फाइव कलर्स ऑफ़ ट्रैवल (Five colors of travel) का यह ब्लॉग साड़ियों के इन्हीं विभिन्न प्रकार के प्रिंटिंग स्टाइल्स (Types of Fabric Prints) के ऊपर आधारित है। जिसमें हम आपको बताएंगे भारत में प्रचलित कुछ प्रसिद्ध साड़ी प्रिंट के बारे में जो लगभग हर महिला के वार्डरोब में आपको दिख जाएंगे, और इतना हीं नहीं हम आपको विविध फैब्रिक प्रिंटिंग स्टाइल्स के महत्व के बारे में भी बताएंगे।

बांधनी प्रिंट, भारतीय साड़ीयों में एक प्रमुख प्रिंट है जो गुजरात की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है। इस प्रकार के प्रिंट में विविध रंगों का उपयोग किया जाता है, जो साड़ी को एक विशेष और आकर्षक लुक देता है। बांधनी प्रिंट का निर्माण विशेषतः धागे को बिल्कुल विशेष ढंग से बांधकर किया जाता है, ताकि यह एक विशेष पैटर्न बने। इसमें छोटे-बड़े गोलियों का उपयोग किया जाता है, जिन्हें धागे से बांधकर रखा जाता है और उन्हें विभिन्न रंगों में रंगा जाता है। बांधनी प्रिंट एक प्राचीन और प्रतिष्ठित तकनीक है, जो पारंपरिक रूप से पीरियडिक वस्त्रों में उपयोग किया जाता था। यह प्रकार की साड़ी विशेष अवसरों और त्योहारों पर विशेषतः उत्सवों में पहनी जाती है, जैसे कि नवरात्रि, दिवाली, और विवाह।
इस प्रकार की साड़ी का निर्माण मुख्य रूप से कठिनाई से भरा होता है, क्योंकि हर छोटा गोला धागे से सही ढंग से बांधना होता है। इसके लिए कुशलता और महारत आवश्यक होती है। बांधनी प्रिंट के इतिहास में इसका एक महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि यह प्राचीन समय से ही उपयोग में था और अब भी भारतीय महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है। इस प्रकार की साड़ी का उपयोग उन्हें उनकी संस्कृति और परंपरा के साथ जोड़ता है, और उन्हें एक विशेष और आकर्षक लुक देता है।

लहरिया प्रिंट भारतीय साड़ियों का एक प्रमुख रूप है जो राजस्थान की पारंपरिक विरासत को प्रकट करता है। यह प्रिंट स्वतंत्रता, खुशी, और उत्सव के समय पहना जाता है और रंगों की खुशबू और रमज़ानी का रंग देता है। लहरिया प्रिंट विभिन्न धाराओं में बनाया जाता है, जिसमें हर धारा अपने आप में एक अलग कथा कहती है। यह प्रिंट एक विशेष तकनीक का उपयोग करके बनाया जाता है, जिसमें कपड़े को बाँधकर विभिन्न रंगों के डालों में डुबाया जाता है। जब कपड़े को सुखाया जाता है, तो वह लहराती लाइनों का एक खास पैटर्न बन जाता है, जो इस प्रिंट को विशेष बनाता है। लहरिया प्रिंट का उपयोग विभिन्न समाजिक और सांस्कृतिक अवसरों पर होता है, जैसे कि होली, त्योहार, और शादियां। इस प्रकार की साड़ी विशेष रूप से राजस्थान के लोगों द्वारा पसंद की जाती है और यहाँ की स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को प्रतिष्ठित करती है। लहरिया प्रिंट की साड़ियाँ विशेष रूप से रंगीनता और ऊर्जा का संदेश देती हैं। इनमें अलग-अलग रंगों का उपयोग किया जाता है, जो सामूहिक खुशी और उत्सव का अनुभव कराते हैं। लहरिया प्रिंट के वस्त्र में एक खास रंगों का मेल मिलता है, जो उत्साह और आनंद की भावना को प्रकट करता है। इस प्रकार की साड़ियों का उपयोग विभिन्न अवसरों में न केवल खूबसूरती और गरिमा लाता है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक विरासत को भी अद्वितीयता और समृद्धि के साथ जीवंत रखता है।

कांथा प्रिंट एक प्रसिद्ध और प्राचीन प्रिंट है जो बंगाल की सांस्कृतिक विरासत को प्रकट करता है। इस प्रिंट का नाम ‘कांथा’ संबंधित बुनाई तकनीक से है, जिसमें धागे को साथ में बाँधकर एक नक्शे या डिज़ाइन का निर्माण किया जाता है। कांथा प्रिंट का मूल उद्देश्य था अवशेष कपड़े का पुनः उपयोग करना, जो आर्थिक संघर्षों के दौरान अच्छी से अच्छी उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं था। इस तकनीक के माध्यम से, पुराने कपड़ों को बारीक से बुनकर एक नया और रंगीन पैटर्न बनाया जाता है, जिसमें शान्ति, सौंदर्य, और सामाजिक समर्थन का संदेश छिपा होता है। यह प्रिंट विभिन्न रंगों, डिज़ाइन, और पैटर्न में उपलब्ध होता है, जो उसके विशेष और प्रभावी बनाते हैं। कांथा प्रिंट के पैटर्न में फूल, पत्तियाँ, जाल, और अभिलाषाएँ शामिल हो सकती हैं, जो इसे एक बड़ी रूप में पसंदीदा बनाते हैं। बंगाल की महिलाएं विशेष रूप से अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं में कांथा साड़ियाँ पहनती हैं, जैसे कि विवाह, जन्मदिन, और अन्य सामाजिक उत्सव। यह साड़ी उनके आधुनिक और पारंपरिक संगीत और रंगों को मिलाकर उनकी सांस्कृतिक विरासत को प्रकट करती है। कांथा प्रिंट के कपड़ों की अनोखी बुनाई और गुणवत्ता के कारण, यह आधुनिक फैशन में भी उत्कृष्ट माना जाता है। आज के युवा पीढ़ी के बीच, कांथा प्रिंट के कपड़े एक विशेष और स्थायी स्थान बना रखते हैं, जो उनके रूचि और भावनाओं को प्रकट करते हैं। कांथा प्रिंट एक सामूहिक सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है जो विभिन्न समुदायों और पीढ़ियों को जोड़ता है, और संगीत, कला, और रंगों के माध्यम से सामूहिक एकता का संदेश प्रदान करता है।

खाड़ी प्रिंट एक प्रसिद्ध और प्रीतियोगी साड़ी प्रिंट है जो पश्चिम बंगाल के खाड़ी क्षेत्र से निकलता है। यह प्रिंट खाड़ी कपड़े पर किया जाता है, जो उसे एक विशेष और प्राकृतिक लुक देता है। खाड़ी प्रिंट में आमतौर पर प्राकृतिक और ब्राइट रंगों का उपयोग किया जाता है। इस प्रिंट में जाने-माने मोतीफ्स, फूल, पत्तियाँ, और अन्य ग्राफिक आकृतियाँ शामिल होती हैं, जो साड़ी को एक आकर्षक और विशेष लुक देते हैं। खाड़ी साड़ी का प्रिंट धार्मिक और सांस्कृतिक अवसरों में बड़ा महत्व रखता है। इसे विवाह, त्योहार, और अन्य प्रतिष्ठात्मक आयोजनों में पहना जाता है। इसके साथ ही, खाड़ी प्रिंट की प्रक्रिया भी स्थानीय उद्योगों को समर्थन करती है और स्थानीय कलाकारों को रोजगार प्रदान करती है। इस प्रकार, खाड़ी प्रिंट साड़ी न केवल एक सुंदर और आकर्षक वस्त्र होती है, बल्कि यह भी सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व का प्रतीक है।

पैचवर्क प्रिंट एक रूपांतरण कला है जो विभिन्न कपड़ों के पैचों को मिलाकर एक नया और आकर्षक डिज़ाइन बनाती है। यह प्रक्रिया बहुत ही संगीतमय और संगठित होती है, जिसमें विभिन्न रंग, आकार, और टेक्सचर्स के पैचों को मिलाकर अनूठे और आकर्षक प्रिंट बनाए जाते हैं। पैचवर्क प्रिंट का उपयोग विभिन्न वस्त्र प्रकारों में किया जाता है, जैसे कि साड़ी, कुर्ती, लहंगा, और अन्य आभूषण। इस प्रकार के प्रिंट का विशेष लाभ यह है कि यह वस्त्र को अनूठा और स्वच्छंद बनाता है, जिससे धारक का व्यक्तित्व और स्टाइल प्रकट होता है। पैचवर्क प्रिंट की विशेषता यह है कि यह बहुत ही स्थानीय और परंपरागत है, और इसमें स्थानीय कलाकारों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इस प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले पैच अक्सर स्थानीय रंगों, डिज़ाइनों, और मोतीफ्स को प्रकट करते हैं, जो स्थानीय सांस्कृतिक और कला की धाराओं को दर्शाते हैं। पैचवर्क प्रिंट के माध्यम से, वस्त्र को न केवल सांस्कृतिक महत्व दिया जाता है, बल्कि यह वस्त्र के प्रति व्यक्तिगत रूप से भी साधारित किया जाता है, क्योंकि प्रत्येक पैच अपना विशेष महत्व रखता है।

“घेर प्रिंट” एक प्रसिद्ध प्रकार का साड़ी प्रिंट है जो साड़ी की हेम या घेर पर किया जाता है। यह एक साधारण और प्रभावी प्रिंटिंग तकनीक है जो साड़ी को और भी आकर्षक और शानदार बनाता है। घेर प्रिंट में, साड़ी की हेम या घेर पर विभिन्न प्रकार के रंग, मोतीफ्स, या डिज़ाइन को प्रिंट किया जाता है। इस प्रकार का प्रिंट साड़ी की छोटी-मोटी खींचावटों और गोदने पर भी ध्यान केंद्रित करता है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है। घेर प्रिंट का उपयोग विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक अवसरों में किया जाता है, जैसे कि विवाह, उत्सव, और परंपरागत उत्सव। यह साड़ी को एक प्रतिष्ठात्मक और शानदार लुक देता है, जो स्थानीय समुदायों में उत्साह और गरिमा का संकेत होता है। साथ ही, घेर प्रिंट का उपयोग आधुनिक और विशेष डिज़ाइनों में भी किया जाता है, जो आधुनिक स्वाद और फैशन को ध्यान में रखते हुए बनाए जाते हैं। इस प्रकार के प्रिंट साड़ी का महत्व उसके आकर्षक और अद्वितीय डिज़ाइन में होता है, जो लोगों को इसके प्रति आकर्षित करता है।

“छिंट प्रिंट” या “छिंटवार प्रिंट” एक प्रकार का साड़ी प्रिंट है जो मुख्य रूप से गुजरात और राजस्थान के क्षेत्रों में प्रचलित है। यह एक पारंपरिक प्रक्रिया है जिसमें साड़ी के कपड़े को छोटे रेखांकन से डिज़ाइन किया जाता है। छिंट प्रिंट का नाम छोटे चिन्हों (छिंटों) के अनुसार है, जो साड़ी के किनारे पर बने होते हैं और उन्हें खास रंगों में भरा जाता है। छिंट प्रिंट में विभिन्न प्रकार के गोल, त्रिकोण, या गहरे रंगों के चिन्ह होते हैं, जो साड़ी को एक विशेष और प्रतिष्ठात्मक लुक देते हैं। इस प्रकार का प्रिंट धागा और रंगों का प्रयोग करके हाथ से बनाया जाता है, जिससे साड़ी को एक अद्वितीय और पारंपरिक लुक मिलता है। छिंट प्रिंट का उपयोग मुख्य रूप से विवाह और अन्य समाजिक अवसरों में किया जाता है। यह साड़ी को एक स्पेशल और प्रतिष्ठित वस्त्र बनाता है, जिससे साधारण अवसर पर भी ध्यान आकर्षित होता है। इसके साथ ही, छिंट प्रिंट का उत्पादन स्थानीय उद्योगों को समर्थन करता है और स्थानीय कलाकारों को रोजगार प्रदान करता है।

अजरख प्रिंट एक प्राचीन और प्रसिद्ध प्रिंटिंग प्रक्रिया है जो भारत के गुजरात राज्य के कच्छ जिले में प्रमुखतः प्रयुक्त होती है। इस प्रक्रिया का उपयोग वस्त्रों, टेक्सटाइल, और कपड़ों को सजाने के लिए किया जाता है। अजरख प्रिंट का नाम ‘आज और राख’ शब्दों से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है ‘आज (इंडिगो) और राख (मुल्तानी मिट्टी)’। यह प्रिंट इस्लामी कला और हिंदू कला के युगीन संगम का प्रतीक है।अजरख प्रिंट का प्रयोग विभिन्न उत्पादों में किया जाता है, जैसे कि साड़ी, सुर्मे, कपड़े, चुनरी, और अन्य वस्त्र। यह एक प्राचीन और संगठित प्रक्रिया है जो महाराष्ट्र, गुजरात, और राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में भी प्रयुक्त होती है। अजरख प्रिंट का उपयोग आज भी भारतीय फैशन और कला में महत्वपूर्ण है और यह विश्वसनीयता और भारतीय विरासत का प्रतीक है। अजरख प्रिंट की प्रक्रिया में डिज़ाइन बनाने के लिए परंपरागत उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि डिज़ाइन ब्लॉक्स, छिद्रित पत्थर, और लकड़ी के छापू। अजरख प्रिंट के लिए प्राथमिक रंग होता है इंडिगो, जिसे नीला रंग प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके बाद, अन्य रंग जैसे कि पीला, हरा, लाल, और काला उपयोग किए जाते हैं। डिज़ाइन ब्लॉक को कपड़े पर छपाई जाता है। यह ध्यान देने वाला काम होता है क्योंकि यह डिज़ाइन की सही गणना और संरेखण को आवश्यक बनाता है।

इक्कत प्रिंट एक प्रसिद्ध और प्राचीन प्रिंटिंग प्रक्रिया है जो भारत के विभिन्न क्षेत्रों में प्रयुक्त होती है। इस प्रक्रिया में, धागों को ध्यानपूर्वक प्रेरित किया जाता है ताकि यह विशेष डिज़ाइन या पैटर्न बना सके। इक्कत प्रिंट के विशेषता यह है कि इसमें धागों को पहले से ही रेखांकित किया जाता है ताकि डिज़ाइन का एक विशिष्ट प्रभाव हो। इक्कत प्रिंट की प्रक्रिया के शुरुआत में, उन्नत धागों को तैयार किया जाता है, जो कि इक्कत के डिज़ाइन में प्रयोग होंगे। इक्कत प्रिंट के लिए धागों को प्रदर्शित डिज़ाइन के अनुसार बांधा जाता है। धागों को पहले बांधा जाता है और फिर डाइ के रूप में रंग दिया जाता है। बांधने के बाद, धागों को ध्यानपूर्वक सुखाया जाता है ताकि रंग स्थायित्व में बना रहे। धागों को बांधने के बाद, वस्त्र को कटा जाता है और अन्य संविधानिक कार्य किया जाता है ताकि इसे उत्पादित किया जा सके। इक्कत प्रिंट के परिणामस्वरूप बने वस्त्रों में उन्नत और समृद्ध रंगीन पैटर्न होते हैं, जो वस्त्र को आकर्षक और अनोखा बनाते हैं। इस प्रिंट का उपयोग साड़ी, कुर्ता, लेहंगा, और अन्य परिधानों के लिए किया जाता है और विशेष अवसरों और उत्सवों में इसकी बेहद मान्यता है।

कलमकारी प्रिंट एक प्राचीन और प्रसिद्ध प्रिंटिंग प्रक्रिया है जो भारतीय कला और कला के साथ गहरा जुड़ा हुआ है। इस प्रक्रिया में, शिल्पकार या कलाकार प्राकृतिक रंगों और धागों का प्रयोग करके विभिन्न माध्यमों पर डिज़ाइन बनाते हैं, जैसे कि बाणा, कपड़े, या चमचमाते हुए सिल्क या बेलवेट। इस प्रकार की प्रिंटिंग कला को इक्कट और अन्य प्रिंटिंग तकनीकों से अलग किया जाता है क्योंकि यह शिल्पकला की अद्वितीयता और रचनात्मकता को प्रकट करती है। कलमकारी प्रिंट का इतिहास बहुत पुराना है और इसकी उत्पत्ति को बौद्ध और हिंदू धर्मग्रंथों में मिलती है। इस प्रक्रिया के अनुसार, शिल्पकार या कलाकार प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करके विभिन्न विषयों पर प्रतिमाएँ या डिज़ाइन बनाते हैं, जिनमें प्राकृतिक तत्वों, पौधों, पक्षियों, और अन्य चीजों का चित्रण होता है। कलमकारी प्रिंट के लिए सिल्क कलम और ब्रश का प्रयोग किया जाता है। शिल्पकार धागों को ध्यान से रंगित करते हैं और विभिन्न पैटर्न और डिज़ाइन बनाते हैं। एक बार धागों पर डिज़ाइन बन जाए तो, वे कपड़ों के अनुसार काटे जाते हैं और सजावट के लिए तैयार किए जाते हैं। धागों को रंगने के बाद, वे उपयुक्त रंगों में डाइ किए जाते हैं ताकि रंग स्थायित्व में बना रहे। डाइ के बाद, कपड़े को सुखाने के लिए धूप में सुखाया जाता है। अंत में, सूखे कपड़े से अनेक प्रकार के वस्त्रों का उत्पादन किया जाता है, जिसमें वस्त्र की कटाई, सिलाई, और अन्य संविधानिक कार्य शामिल होते हैं।

      Written by- Shambhavi///Edited by- Pardeep Kumar

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      बुरांश के फूल : फूल एक फायदे अनेक

      बुरांश के फूल आमतौर पर फरवरी से मई के बीच खिलते (Blooms) हैं। इसका फूलना वर्ष के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकता है, लेकिन यह सामान्यतः बहार के मौसम में होता है। ये बुरांश के फूल इतने खूबसूरत होते हैं कि जब आप फरवरी से में के बीच पहाड़ी इलाके में जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश या कश्मीर आदि की सैर करेंगे तो आपको वहां के पहाड़ों पर लाल रंग के फूलों की चादर (Red Flower) देखने को मिलेंगे। जो पहाड़ों की खूबसूरती को और भी अधिक बढ़ा देते हैं। गोल और घुमावदार पहाड़ी रास्ते इन लाल फूलों की वजह से और भी ज्यादा रोमांचक हो जाते हैं। अगर आप ऐसे मौसम में अपने प्रिय जन (Loved Ones) के साथ पहाड़ी इलाकों की सैर पर निकलते हैं तो यह खूबसूरत सफर इतना खूबसूरत बन जाता है कि आप जिंदगी भर कभी नहीं भूल सकते हैं।

      फूल: बुरांश के पेड़ के फूल बहुत ही सुंदर होते हैं और अक्सर गुलाबी, लाल, या सफेद रंगों में पाए जाते हैं।

      चयापथ्य: इसके पत्तों और फूलों का अर्क चिकित्सा में उपयोग किया जाता है। बुरांश के अर्क में कुछ औषधीय गुण होते हैं जो कई स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं के इलाज में मदद कर सकते हैं।

      स्थायित्व: बुरांश के पेड़ अक्सर हिमालयी क्षेत्र में पाए जाते हैं और यहाँ के शान्त और शीतल जलवायु को सहने की क्षमता रखते हैं।

      पर्यावरणीय महत्व: बुरांश के पेड़ अपने पर्यावरणीय महत्व के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनकी रूपरेखा और पेड़ों का विस्तार पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं।

      • 1 कप बुरांश के फूल (धोए और छोटे कट लें)
      • 2 हरी मिर्च (बारीक कटी हुई)
      • 1 छोटा आदा (कटा हुआ)
      • 1/2 छोटा अदरक (कटा हुआ)
      • 2 टेबलस्पून नामकीन
      • 1 टेबलस्पून लाल मिर्च पाउडर
      • 1 टेबलस्पून लाल मिर्च सॉस
      • 2 टेबलस्पून टमाटर की प्यूरी
      • 1/2 टेबलस्पून गुड़
      • 1 छोटी चम्मच नींबू का रस
      • नमक स्वादानुसार
      • 1 टेबलस्पून तेल
      1. एक कड़ाही में तेल गरम करें। फिर उसमें हरी मिर्च, आदा, और अदरक डालें और सांघने तक पकाएं।
      2. अब इसमें बुरांश के फूल, नामकीन, लाल मिर्च पाउडर, और लाल मिर्च सॉस डालें। मिलाएं और 2-3 मिनट के लिए पकाएं।
      3. फिर इसमें टमाटर की प्यूरी, गुड़, नींबू का रस, और नमक डालें। अच्छे से मिलाएं और 2-3 मिनट के लिए पकाएं।
      4. चटनी तैयार है! इसे ठंडा करके सर्व करें।

      इस चटनी को पराठे, रोटी, या चावल के साथ स्वादिष्टीकरण के रूप में सर्व किया जा सकता है। परिणाम स्वादिष्ट होगा!

      1. विटामिन और खनिजों का स्रोत: बुरांश के फूल विटामिन C और अन्य आवश्यक खनिजों का एक अच्छा स्रोत होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं और शरीर को संतुलित रखने में मदद करते हैं।
      2. पाचन को सुधारना: बुरांश के फूलों में पाया जाने वाला अदरक, लहसुन, और हरी मिर्च साइडर और पाचन को सुधारने में मदद कर सकता है।
      3. एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करना: बुरांश के फूलों में पाए जाने वाले विटामिन C और अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को रोगों से लड़ने में मदद कर सकते हैं और कैंसर जैसी बीमारियों के खिलाफ संरक्षण प्रदान कर सकते हैं।
      4. मधुमेह का प्रबंधन: बुरांश के फूलों के अदरक और नींबू के रस के प्रयोग से मधुमेह का प्रबंधन किया जा सकता है, क्योंकि इनमें उच्च अंतर्द्रव्य मौजूद होते हैं जो रक्त शर्करा को नियंत्रित कर सकते हैं।
      5. प्रोटीन का स्रोत: बुरांश के फूलों में प्रोटीन होता है, जो मांस या अन्य प्रोटीन स्रोत की कमी को पूरा करने में मदद कर सकता है।
      • 1 कप बुरांश के फूल (धोए और छोटे कट लें)
      • 1 टेबलस्पून नींबू का रस
      • 2 टेबलस्पून शहद (या चीनी), स्वादानुसार
      • 1 कप पानी
      • पानी के लिए बर्फ (वैकल्पिक)
      1. एक मिक्सर या ब्लेंडर में बुरांश के फूल, नींबू का रस, और शहद डालें।
      2. सभी सामग्री को अच्छे से मिलाएं, ताकि फूल अच्छे से पीस जाएं।
      3. अब इसमें 1 कप पानी डालें और पुनः मिलाएं।
      4. अगर आप चाहें, तो इसे छलने के बाद पानी में बर्फ डालकर ठंडा कर सकते हैं।
      5. बुरांश के फूलों का जूस ठंडा होते ही परोसें और स्वाद उठाएं।

      यह स्वादिष्ट जूस आपको गर्मियों में ठंडा करने के साथ-साथ बुरांश के फूलों के सारे लाभ भी प्रदान करेगा। ध्यान दें कि इसे पीने से पहले हमेशा अच्छे से छानकर पीना चाहिए।

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      Bangle Market: जानिए क्यों देश विदेश के पर्यटकों की पहली पसंद है जयपुर की लाख की चूड़ी मार्किट

      क्यों खास है जयपुर के लाख की चूड़ियाँ ?

      जयपुर का बाजार लाख की चूड़ियों के लिए दुनिया भर में मशहूर है। यहां हर तरह की लाख की चूड़ियाँ बनवायी जाती है। आप यहां अपनी आंखों के सामने लाख की चूड़ियों को बनते हुए देख सकते हैं। चूड़ियां महिलाओं की खास पसंद होती है। इंडियन कल्चर को मानने वाली हर विवाहित महिला अपने हाथों में चूड़ियाँ पहनती हैं। …और सिर्फ विवाहित हीं नहीं अविवाहित लड़कियां भी अपने हाथ में चूड़ियाँ पहनना पसंद करती हैं। और अगर यह चूड़ियाँ उन्हें उपहार में दे दी जाए तो इससे बेहतर गिफ्ट उनके लिए और कुछ हो ही नहीं सकता है।

      सामने बनाई जाती हैं चूड़ियाँ

      अगर आपको भी अलग-अलग रंगों की चूड़ियाँ पहनना पसंद है तो आप जयपुर के चूड़ी मार्केट का रुख सकती हैं। जहां आप रंग बिरंगी चमचमाती चूड़ियाँ कस्टमाइज्ड करवा सकते हैं और अपने सामने इन चूड़ियों को बनता हुआ देख सकते हैं। यहां पर लाख की चूड़ियाँ बनाने वाले कलाकार आने वाले पर्यटकों के सामने चूड़ी बनाकर उन्हें दिखाते हैं। यह आपको काफी फैशिनेटिंग लगेगा। दूर से देखने पर लाख की चूड़ियाँ बनाना आसान काम लगता है। लेकिन इन कलाकारों से पूछने पर पता चलता है कि गर्म लाख को चूड़ी के खांचे में डालना एक चैलेंजिंग काम होता है। ये कलाकार बताते हैं कि इन लाख की चूड़ियों को बनाने के लिए सही तकनीक आना काफी जरूरी है। कोई भी व्यक्ति ऐसे ही फिनिशिंग के साथ चूड़ियों को नहीं बना पाएगा अगर उसे वह तकनीक पता ना हो। कलाकार बताते हैं कि लाख की चूड़ियाँ बनाने का यह तकनीक सिखाई नहीं जाती बल्कि अनुभव से आती है।

      करवा सकते हैं कस्टमाइज

      पर्यटक अपने हिसाब से इन लाख की चूड़ियों को डिजाइन करवा सकते हैं। अगर आप भी लाख की चूड़ियाँ बनवाना चाहते हैं तो आप अपने हिसाब से इन लाख की चूड़ियों के रंग, डिजाइन आदि को कस्टमाइज करवा सकते हैं। यहां आने वाले पर्यटक अपनी डिमांड्स चूड़ी निर्माता के सामने रखते हैं और चूड़ी बनाने वाले कारीगर उनकी डिमांड्स के अनुसार उनके सामने हीं चूड़ी बनाकर उन्हें पहना देते हैं।

      सबसे खास है नाम वाली चूड़ियाँ

      आप कस्टमाइज्ड नाम वाले चूड़ियों का भी यहां ऑर्डर दे सकते हैं। लाख की चूड़ियों पर नग से लोगों के नाम को उकेर कर यह खास चूड़ियाँ तैयार की जाती है। यह चूड़ियाँ अक्सर नव विवाहिताओं के लिए डिजाइन करवाई जाती है। जिसमें उस नव विवाहिता के साथ उसके पति का नाम उसकी चूड़ी में लिखा गया होता है। लाख की ऐसी चूड़ियों की डिमांड काफी दूर-दूर से आती है

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      हर नव वधू के वार्डरोब में शामिल होने चाहिए ये सिल्क की साड़ियां, जानिए इनकी खासियत और कीमत

      अगर मूल रूप से सिल्क की बात की जाए तो भारत में चार प्रकार के सिल्क के रेशे बनाए जाते हैं- शहतूत रेशम, ओक तसर सिल्क, एरी सिल्क और मुगा रेशम।

      अगर आप कांजीवरम सिल्क की साड़ियां खरीद रहे हैं तो उन्हें खरीदते वक्त आप यह स्योर करें कि आप असली कांजीवरम हीं खरीद रहे हैं। क्योंकि आजकल कांजीवरम साड़ियों के नाम पर धोखाधड़ी के भी मामले देखे जाते हैं। कांचीपुरम साड़ियों को पहचानने का सबसे आसान तरीका है कि असली कांजीवरम साड़ी के प्लेट्स को एक दूसरे से घिसने पर किसी भी प्रकार की आवाज नहीं आती है।

      बलूचरी साड़ी की एक खास वैरायटी होती है जिसमें सोने के धागों से साड़ी पर बुनावट की जाती है। ये साड़ियां स्वर्णचेरी साड़ियां कहलाती हैं। अधिकतर बलूचरी साड़ियां चटक रंगों में पसंद की जाती हैं। इनका निर्माण बंगाल के मुर्शिदाबाद में किया जाता है

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      कभी भी फैशन ट्रेंड से बाहर नहीं होते हैं ये कश्मीरी पशमीना शॉल

      कश्मीर की पहचान है पशमीना शॉल (Pashmina shawl is the identity of Kashmir)

      पशमीना शॉल कश्मीर के संस्कृति की एक पहचान है। इसे कश्मीरी ऊन को कात कर बनाया जाता है। कश्मीरी ऊन को बहुत हीं अच्छी किस्म का ऊन माना जाता है। जिसे लद्दाख मूल की चांगथांगी बकरी के बाल से बनाया जाता है। यह ऐसी बकरियाँ होती हैं जो ठंड के मौसम में अपने शरीर से बाल को खुद व खुद हीं अलग कर देती हैं। इसलिए उनके बालों को काटना नहीं होता है। बकरी के बाल से ऊन कात कर उससे शॉल बुना जाता है। क्योंकि एक बार में एक बकरी से 100 ग्राम के करीब हीं ऊन प्राप्त होता है और पशमीना शॉल को तैयार करने के लिए कई कई दिनों की कड़ी मेहनत लगती है। इसलिए यह शॉल काफी महंगा होता है।

      पशमीना शॉल की कीमत (Price of Pashmina Shawl)

      मिला हुआ है जी आई टैग (GI tag Pashmina Shawl)

      पशमीना शॉल को जी आई टैग मिला हुआ है। क्योंकि यह कश्मीर की संस्कृति की पहचान है। इसलिए इसे ज्योग्राफिकल टैग दिया गया है। आपको बता दे कि जिस भी पशमीना शॉल को जी आई टैग मिला हुआ होता है, वह पूरी तरीके से हाथ से बन गया शॉल होता है। इसलिए अगर आपको पशमीना शॉल की पहचान करनी हो तो आप उस पर जी आई टैग देख सकते हैं। पश्मीना शॉल के नाम पर कई बार लोग ठगी का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में अगर आप पशमीना शॉल खरीदने जा रहे हैं तो आप यह सुनिश्चित करें कि आप जो शॉल ले रहे हैं वह जी आई टैग वाला हो।

      कई कारणों से खास है पश्मीना शॉल (Pashmina shawl is special for many reasons)

      • यह कश्मीर की सांस्कृतिक विरासत है। जो सदियों से कश्मीर की पहचान बनकर दुनिया के सामने प्रस्तुत है। इसे बनाने वाले कश्मीरी कारीगर काफी कुशल और निपुण होते हैं। जो अपने कार्य को दक्षता से करना जानते हैं। यही वजह है कि इतने महीन रेशे से इतना बेहतरीन शॉल बना पाते हैं। पशमीना शॉल कश्मीर के शिल्पकारी का एक प्रतीक है जो कश्मीर के विरासत को परिभाषित करता है। यह दुनिया भर में भारत के स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर के विरासत की अभूतपूर्व पहचान है।
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      देव भूमि उत्तराखंड में है दुनिया का सबसे खूबसूरत नेशनल पार्क जानिए इसके बारे में

      Valley of Flowers

      “क्या आपने कभी किसी ऐसे जगह घूमने जाने का सपना सजाया है जहां दूर-दूर तक पहाड़ियां हो, चारों ओर फूल के बगीचे हो और जहां खूबसूरत रंग-बिरंगे फूल खिले हुए हो? अपनी आंखों को बंद करके सोचिए कि कितना खूबसूरत होगा वह जगह, जहां यह सब सच होगा? अपने ख्यालों से पूछिए कि उस जगह की फिजाओं में घुली हुई फूलों की खुशबू कितनी खूबसूरत होगी? ….और फिर अपने दिल से पूछिए कि क्या आप उस जगह से वापस लौट कर आना चाहेंगे या वहीं का हो कर रह जाना चाहेंगे?”

      क्या है वैली ऑफ़ फ्लावर?( what is valley of flower)?

      वैली ऑफ़ फ्लावर उत्तराखंड में एक ऐसी जगह है जहां आपको चारों ओर हजारों प्रकार के फूलों, पौधों और छोटे-छोटे जीव जंतुओं को देखने का अवसर मिलेगा। यह जगह इतनी खूबसूरत है कि इस शब्दों में बयां किया जा सकना नामुमकिन है। इस जगह की खूबसूरती को महसूस करने के लिए और यहां के फिजाओं में बसे सुकून के एहसास को समझने के लिए आपको खुद ही यहां तक आना पड़ेगा। नेचर्स लवर के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है। यह जगह इतनी खूबसूरत है कि आप इसे तस्वीरों में कैद करने से खुद को रोक नहीं पाएंगे। इस जगह के बारे में आपको एक और खास बात यह है कि ये जगह वर्ल्ड हेरिटेज साइट के सूची में शामिल है। वैली ऑफ फ्लावर्स नेशनल पार्क पहले नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान का भाग था लेकिन बाद में इन दोनों नेशनल पार्कों को अलग कर दिया गया।

      इस फ्लॉवर वैली में खास क्या है? (What’s special in this valley of flower?)

      • जब आप इस वैली तक पहुंचेंगे तो आपको यहां लगभग 500 से भी ज्यादा प्रकार की पौधों और जड़ी बूटियों की प्रजातियाँ देखने को मिलेंगे।
      • उनके साथ-साथ यहां कई तरह की तितलियां और अलग-अलग तरह के इंसेक्ट्स भी देखने को मिलेंगे।
      • इस वैली के लिए ट्रैकिंग सिर्फ 4 महीने के लिए हीं खुली रहती है। आप सिर्फ मानसून के समय में ही यहां जा सकते हैं।
      • इस वैली से जुड़ी एक और खास बात यह है कि यहां हर सप्ताह आपको अलग रंग के फूल खिले हुए दिखेंगे कभी यह वैली बिल्कुल गुलाबी रंगों के फूलों से सजी होती है तो कभी यहां हर तरफ पीले या फिर नीले रंग के फूल देखने को मिलते हैं।
      • इस वाली से आपको हिमालय के ग्लेशियर बहुत ही आसानी से दिख जाएंगे।
      • जब इस वैली में कोहरा छा जाता है तब यह वैली परियों की कहानी से भी ज्यादा खूबसूरत हो जाती है।

      फ्लोरा (Floras in Valley of Flowers National Park)

      अगर बात की जाए फ्लोरा की तो, यहाँ लगभग 500 से भी ज्यादा प्रकार की पौधों और जड़ी बूटियों की प्रजातियाँ पायी जाती हैं जिनमे से कुछ प्रमुख निम्नलिखित है- एनीमोन (Anemone), जर्मेनियम (Germanium), मार्श (Marsh), गेंदा (Marigold), प्रिभुला (Pribula), पोटेन्टिला (Potentilla), जिउम (Geum), तारक (Aster), लिलियम (Lilium), हिमालयी नीला पोस्त (Himalayan Blue Poppy), बछनाग (Bacchanal), डेलफिनियम (Delphinium), रानुनकुलस (Ranunculus), कोरिडालिस (Corydalis), इन्डुला (Indula), सौसुरिया (Saussurea) और कम्पानुला (Campanula)।

      बेस्ट टाइम टू विजिट वैली ऑफ़ फ्लावर नेशनल पार्क (Best time to visit Valley of Flowers National Park)

      वैसे तो यहां बहुत सारे विजिटर्स घूमने आते रहते हैं। लेकिन अगर आप शांति से यहां घूमना चाहते हैं तो आप ऐसे समय का चयन करें जब बद्रीनाथ के लिए ट्रैकिंग बंद रहती है। क्योंकि यहां आने वाले अधिकतर विजिटर्स बद्रीनाथ के पर्यटक हीं होते हैं। ऐसे में जब बद्रीनाथ की ट्रैकिंग बंद हो जाती है तो यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या भी कम जाती है।

      कैसे पहुंचे फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (How to reach Valley of Flowers National Park)?

      वैली ऑफ फ्लावर नेशनल पार्क पहुंचने के लिए आपको ट्रैकिंग करनी पड़ेगी। इसके लिए आपको सबसे पहले उत्तराखंड के गोविंद घाट से पुलना गांव तक पहुंचना होगा। पुलना गांव से आपकी ट्रैकिंग की शुरुआत होगी। जब आप पुलना गांव से अपनी ट्रैकिंग की शुरुआत करेंगे तो रास्ते में आपको सबसे पहले जंगल चट्टी नाम के एक बाजार से गुजरना होगा। जंगल चट्टी से गुजरते हुए आप भ्युवदार गांव पहुंचेंगे। भ्युवदार गांव इस ट्रक का सबसे इंपॉर्टेंट पॉइंट होगा। जहां से आप घांगरिया के लिए निकलेंगे। पुलना से घांगरिया तक का ट्रैक लगभग 10 किलोमीटर का होता है। घांगरिया पहुंचकर आपको एक दिन रुकना पड़ेगा, क्योंकि दिन के 12:00 के बाद घांगरिया से आगे की ट्रैकिंग रोक दी जाती है। अगले दिन आप वैली ऑफ फ्लावर के लिए ट्रैकिंग शुरू कर सकते हैं। घांगरिया से वैली ऑफ फ्लावर का रास्ता लगभग 4 किलोमीटर का है और आप बहुत ही आसानी से इस ट्रैक को पूरा कर लेंगे।

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      Different Types of Vacation Rentals in Portugal

      With its breath-taking coastline, historic cities, and charming countryside, Portugal has become a prime destination for travellers seeking a memorable vacation. While hotels are a popular accommodation choice, vacation rentals offer a unique and immersive experience that truly allows visitors to embrace the local culture.

      Whether you want to explore the charming cities of Lisbon and Porto, relax on the sunny beaches of the Algarve, or discover the scenic landscapes of the Douro Valley, Portugal have the perfect vacation rentals for you with diverse range of vacation rentals to cater to every preference and budget. You can enjoy the comfort and privacy of your own home away from home, with all the amenities and services you need. Book your flight to Portugal and vacation rental today and get ready for an unforgettable experience in Portugal. (Different Types of Vacation Rentals in Portugal)

      Let’s explore the different types of vacation rentals in Portugal

      Coastal Villas and Apartments

      Portugal’s stunning coastline, stretching along the Atlantic Ocean, is home to numerous villas and apartments that provide unparalleled views and easy access to the beach. From luxurious villas with private pools to modern apartments that are steps away from the ocean, these coastal rentals offer a serene and rejuvenating experience. These properties often come with direct access to the beach, offering a tranquil retreat for relaxation and enjoying the sunsets. Popular coastal destinations for vacation rentals include Algarve, Cascais, Lagos, and Ericeira.

      Rustic Cottages and Farmhouses

      Portugal’s countryside is dotted with charming cottages and farmhouses for a tranquil retreat amidst nature. These rustic rentals provide an authentic experience, immersing visitors in the rural lifestyle. Surrounded by rolling hills, vineyards, and olive groves, these accommodations offer a peaceful ambiance and opportunities for hiking, biking, and wine tasting. Regions such as Douro Valley, Alentejo, and Minho are known for their picturesque countryside rentals.

      City Apartments

      Portugal’s vibrant cities, such as Lisbon, Porto, and Coimbra, are filled with history, culture, and a lively atmosphere. Opting for a vacation rental in the heart of these urban centres allows you to be at the epicentre of all the action. Stylish apartments in historic buildings offer convenience, comfort, and easy access to iconic landmarks, museums, restaurants, and nightlife. Experience the vibrant city life while enjoying the comforts of a home away from home.

      Quintas and Manor Houses

      For a touch of elegance and grandeur, Quintas (country estates) and manor houses offer a regal experience in Portugal. These opulent rentals, often surrounded by landscaped gardens and vineyards, boast magnificent architecture and a rich history. Quintas are prevalent in the Douro Valley, while manor houses are found in regions like Sintra and the Alentejo. Staying in these properties gives a glimpse into Portugal’s aristocratic past and ensures a luxurious and memorable vacation.

      Eco-Friendly Retreats

      With an increasing focus on sustainable travel, eco-friendly vacation rentals are gaining popularity in Portugal. These environmentally conscious accommodations prioritize green practices and offer an eco-conscious experience without compromising comfort. From solar-powered villas to eco-lodges in the countryside, these rentals allow travelers to connect with nature while minimizing their carbon footprint. Costa Vicentina, Madeira, and Azores are known for their eco-friendly retreats.

      Portugal’s diverse landscapes and rich cultural heritage make it an ideal destination for travelers seeking unique vacation experiences. Whether you prefer the coastal allure, rural charm, urban excitement, or eco-conscious retreats, Portugal offers an array of vacation rentals to suit every taste. From luxurious villas to cozy cottages, each accommodation type presents a distinct opportunity to immerse you in the beauty and charm of this fascinating country. So, why make your next vacation unforgettable by choosing a vacation rental in Portugal ?

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      Chandni Chowk- All you need to know  

      Chandni Chowk is one of the oldest and most famous markets in Delhi, India. Located in the heart of Old Delhi, it is a vibrant and bustling area known for its historical significance, cultural heritage, and vibrant shopping experience. The name “Chandni Chowk” translates to “Moonlight Square” or “Moonlight Market,” and it has a rich history that dates back to the Mughal era. Chandni chowk was established in the 17th century by the Mughal Emperor Shah Jahan when he decided to shift the capital of his empire from Agra to Delhi. It was designed as one of the main streets of Shahjahanabad, the new walled city of Delhi. The construction of Chandni Chowk began in 1650 and was completed in 1656.

      In its early days, Chandni Chowk was a grand boulevard lined with trees, canals, and pools, flanked by imposing havelis (mansions) and significant structures. The street was broad and served as the main thoroughfare of Shahjahanabad. It quickly became the commercial and cultural hub of the city, teeming with traders, merchants, artisans, and nobility. The market’s name is said to have originated from the moon’s reflection on a large pool that once existed in the area, creating a beautiful moonlit ambiance. The Mughal royal processions would often pass through Chandni Chowk, adding to its prestige and grandeur.

      Over the centuries, Chandni Chowk has witnessed various historical events and changes. It experienced the rise and decline of the Mughal Empire, followed by the British colonial rule in India. Many havelis were demolished, and the area underwent modernization.

      Despite the transformations, Chandni Chowk has managed to retain its old-world charm and cultural heritage. Today, it remains a bustling and vibrant market, featuring narrow lanes filled with a plethora of shops, vendors, and traders selling a diverse range of products. Whether you’re shopping for textiles, jewellery, spices, or indulging in mouth-watering street food, a visit to Chandni Chowk is a must for anyone exploring the cultural and historical treasures of Delhi.

      Read More on Chandni Chowk

      1. Historic monuments near Chandni chowk
      2. Most famous four bazaars of Chandni Chowk
      3. Delectable street food and Iconic Restaurants
      4. Heritage Tours of Chandni Chowk

      Historic monuments near Chandni chowk

      Chandni Chowk is located in the heart of Old Delhi, which is steeped in history and dotted with numerous historic monuments and landmarks. Here are some of the prominent historic monuments around Chandni Chowk:

      Red Fort (Lal Qila): One of the most iconic landmarks of Delhi, the Red Fort, is situated just a short distance away from Chandni Chowk. Built by the Mughal Emperor Shah Jahan in the 17th century, the Red Fort served as the main residence of the Mughal emperors until 1857. It is a UNESCO World Heritage Site and an architectural marvel, with its impressive red sandstone walls, magnificent gates, and intricate designs.

      Jama Masjid: Another significant historical monument near Chandni Chowk is the Jama Masjid, which is one of the largest and most revered mosques in India. Constructed by Shah Jahan between 1644 and 1656, the Jama Masjid’s grandeur lies in its vast courtyard, onion-shaped domes, and two towering minarets. It can accommodate thousands of worshippers during prayers and offers stunning views of Old Delhi from its minarets.

      Fatehpuri Masjid: Located at the western end of Chandni Chowk, the Fatehpuri Masjid is an elegant mosque built by Fatehpuri Begum, one of Shah Jahan’s wives. The mosque’s architecture exhibits a blend of Mughal and Islamic styles and features a beautiful central dome and minarets.

      St. James’ Church: While Old Delhi is predominantly associated with Mughal-era monuments, St. James’ Church stands as an example of British colonial architecture. Built-in 1836, it is one of the oldest churches in Delhi and is known for its stunning white exterior and elegant design.

      Gurudwara Sis Ganj Sahib: This Sikh gurudwara holds immense historical and religious significance. It marks the site where the ninth Sikh Guru, Guru Teg Bahadur, was beheaded on the orders of Aurangzeb, the Mughal Emperor. The present gurudwara was built in his memory and is an essential place of worship for Sikhs.

      Gauri Shankar Temple: An ancient Hindu temple dedicated to Lord Shiva, the Gauri Shankar Temple is a prominent religious site in Chandni Chowk. The temple features an 800-year-old lingam (phallic symbol) of Lord Shiva and is visited by devotees throughout the year.

      These are just a few of the historic monuments around Chandni Chowk. Exploring these landmarks offers a glimpse into the rich history, architectural brilliance, and cultural diversity of Old Delhi.

      Most famous four bazaars of Chandni Chowk

      Chandni Chowk, being one of the oldest and busiest markets in Delhi, is divided into several smaller bazaars, each with its own specializations and unique offerings. The four main bazaars of Chandni Chowk are:

      Fatehpuri Market is one of the bustling markets located in Chandni Chowk, Delhi. It is named after Fatehpuri Begum, one of the wives of Mughal Emperor Shah Jahan. The market is well-known for its wholesale trade of a variety of goods and merchandise, catering to both locals and retailers.

      Fatehpuri Market is primarily a wholesale market, and you’ll find a wide range of products being traded in bulk quantities. Items such as textiles, garments, fabrics, shoes, hardware, kitchenware, and household items are among the commodities sold here. The market is particularly famous for its cloth and garment shops. Retailers from various parts of Delhi and neighboring states come here to purchase textiles and ready-made clothing at wholesale prices.

      The market area consists of various traditional bazaars, each specializing in specific types of products. For example, there are bazaars for jewelry, cosmetics, accessories, and more. Like many markets in Chandni Chowk, Fatehpuri Market also has its share of street food vendors. You can find some local favorites and quick snacks to refuel while exploring the area. Fatehpuri Market is located close to the historic Fatehpuri Masjid, which adds to the charm and cultural significance of the area. The mosque itself is worth a visit and showcases splendid Mughal architecture.

      If you’re looking for a unique shopping experience and want to buy goods in bulk or explore the vibrant ambiance of an old Delhi market, Fatehpuri Market in Chandni Chowk is a place worth visiting. Remember to brush up on your bargaining skills as negotiating prices is common in these wholesale markets.

      Dariba Kalan: Dariba Kalan is a famous street and market located in Chandni Chowk, Delhi. It is renowned for its historical significance and is one of the oldest and busiest markets in the area. The name “Dariba Kalan” translates to “Street of the Incomparable Pearl” in Persian, reflecting its historical association with the trade of precious stones and jewellery.

      Dariba Kalan is primarily known for its jewelry shops, making it a significant destination for those looking to purchase gold, silver, and precious stones. The market has a long history of trading in jewelry, dating back to the Mughal era, when it was a prominent center for jewelers and gem dealers. The jewelry shops in Dariba Kalan offer a wide variety of traditional Indian jewelry designs, including intricate gold necklaces, earrings, bangles, and more.

      The market is particularly famous for its stunning bridal jewellery, which attracts many soon-to-be brides and their families. Dariba Kalan is renowned for its kundan and polki jewellery, which are traditional Indian jewellery styles known for their elaborate designs and use of uncut diamonds. These types of jewelry are highly valued for their craftsmanship and cultural significance. Due to its reputation for selling exquisite jewelry, Dariba Kalan is a popular destination for wedding shopping. People from across the country visit this market to purchase jewelry for their weddings and other special occasions. Dariba Kalan’s history can be traced back to the Mughal era when the market flourished under the patronage of the Mughal emperors. The market’s architecture and atmosphere still retain some of the old-world charm, making it a unique experience for visitors.

      Dariba Kalan is a must-visit destination for jewellery enthusiasts and anyone interested in exploring the historical and cultural heritage of Delhi’s markets. Its combination of traditional charm, rich history, and vibrant atmosphere makes it a fascinating place to explore.

      Kinari Bazaar: Kinari Bazaar is a vibrant and bustling market located in the historic Chandni Chowk area of Delhi, India. It is a popular destination for shoppers and tourists alike, known for its wide array of wedding-related items and traditional Indian crafts.

      Kinari Bazaar is famous for being a one-stop destination for all things related to weddings. It offers a vast selection of items required for Indian weddings, including bridal attire, wedding accessories, jewelry, fabrics, trims, and decorative elements. The market is a treasure trove for those seeking traditional Indian crafts and textiles. Visitors can find beautifully embroidered fabrics, zari borders, laces, and other intricate materials used in Indian clothing and home decor.

      Chandni Chowk

      Kinari Bazaar is lined with shops selling a wide range of fabrics, from silk and brocade to georgette and chiffon. It’s a great place to shop for dress materials and fabrics for making customized outfits. The bazaar is renowned for its exquisite embroidery and embellishments. You can find handcrafted zardozi work, gota patti, mirror work, and other intricate detailing used in traditional Indian clothing. Kinari Bazaar offers an extensive collection of wedding accessories, including bridal and groom turbans, kalire (ornaments worn by brides), bridal choodas (bangles), and other traditional adornments.

      Kinari Bazaar is a shopper’s paradise, especially for those preparing for weddings and festive occasions. Its unique collection of traditional Indian crafts, textiles, and wedding-related items make it a must-visit destination for anyone exploring the cultural and shopping delights of Chandni Chowk in Delhi.

      Khari Baoli: Khari Baoli is a historic and famous spice market located in Old Delhi, India. It is one of the oldest and largest spice markets in Asia, known for its aromatic and colorful displays of various spices, herbs, nuts, and dried fruits. The market’s name “Khari Baoli” is believed to have originated from the Hindi word “khara” meaning salty, and “baoli” meaning stepwell, referring to a nearby stepwell that was once located in the area.

      Chandni Chowk

      Khari Baoli is a paradise for spice enthusiasts and food lovers. The market houses an incredible variety of spices, including cumin, cardamom, cloves, cinnamon, turmeric, red chili, saffron, and much more. The aromatic and colorful display of spices creates a sensory delight for visitors. Khari Baoli is primarily a wholesale market where traders, shopkeepers, and merchants from all over India come to buy spices in bulk. It serves as a major distribution hub for spices, catering to the demands of retailers and industries across the country.

      The history of Khari Baoli can be traced back to the 17th century when it was established by the Mughal Emperor Shah Jahan. The market thrived due to the popularity of Indian spices and the spice trade with other countries.

      In addition to spices, Khari Baoli also offers a variety of dried fruits, nuts, and seeds. You can find almonds, cashews, pistachios, raisins, and other dried goodies sold in bulk. Khari Baoli is not just a market; it’s an essential part of Delhi’s culinary culture. Many renowned restaurants and food businesses in the city source their spices from this market to maintain the authenticity of their recipes.

      Chandni Chowk

      The colourful and vibrant ambiance of Khari Baoli provides excellent photo opportunities for photographers and travellers looking to capture the essence of Old Delhi.

      Khari Baoli is a must-visit destination for anyone seeking an authentic and aromatic experience of India’s spice trade and culinary heritage. Exploring this market allows you to witness the age-old traditions of spice trading and appreciate the role spices play in Indian cuisine and culture.

      Delectable street food and Iconic Restaurants

      Chandni Chowk is not only famous for its markets and historical landmarks but also for its delectable street food and iconic restaurants. Here are some of the most popular restaurants and street food stalls you should try when visiting Chandni Chowk:

      Paranthe Wali Gali: Paranthe Wali Gali, located in Chandni Chowk, Delhi, is a narrow lane renowned for its delicious and diverse variety of paranthas. A “parantha” is a type of Indian flatbread that is typically stuffed with various fillings and then pan-fried to perfection. Paranthe Wali Gali translates to “the lane of paranthas” in Hindi, and it has a rich history dating back several decades.

      Paranthe Wali Gali is famous for offering an extensive range of paranthas, each with its unique and delectable fillings. Some popular choices include aloo (potato), gobhi (cauliflower), mooli (radish), matar (green peas), paneer (cottage cheese), kaju (cashew), badam (almond), and more.

      Chandni Chowk

      The paranthas at Paranthe Wali Gali are prepared in a traditional manner, with the stuffing freshly made and rolled into the dough. The paranthas are then cooked on a griddle with generous amounts of ghee or oil, ensuring a crispy and flavorful experience. Visiting Paranthe Wali Gali is not only a treat for the taste buds but also a chance to experience the vibrant street food culture and culinary traditions of Old Delhi. It is a place where tradition meets innovation, as some shops offer unique and modern twists to the traditional paranthas while still preserving the classic flavors that have made this place so beloved.

      Natraj Dahi Bhalle: Natraj is renowned for its mouthwatering dahi bhalla, a popular Indian street food. Dahi bhalla is a dish made of lentil dumplings soaked in yogurt and topped with tangy tamarind chutney and spices. It’s a must-try dish for a refreshing and flavorful experience.

      Chandni Chowk

      Kuremal Mohan Lal Kulfi Wale: Beat the Delhi heat with some delicious kulfi from Kuremal Mohan Lal Kulfi Wale. They offer a wide range of unique and traditional kulfi flavors, including mango, paan (betel leaf), and kesar pista.

      Old Famous Jalebi Wala: Satisfy your sweet tooth with the mouthwatering jalebis from this iconic sweet shop. Their jalebis are famous for their crispiness and sweetness, making them a beloved treat for locals and visitors alike.

      Ghantewala Halwai: Established in 1790, Ghantewala Halwai is one of the oldest sweet shops in Delhi. It’s famous for its traditional Indian sweets like sohan halwa and besan barfi.

      Ashok Chaat Bhandar: For chaat lovers, Ashok Chaat Bhandar is a go-to place. They serve a variety of chaat dishes like aloo tikki, papdi chaat, and bhalla papdi, which are bursting with flavors.

      Lotan Chole Kulche Wala: A popular breakfast spot, Lotan Chole Kulche Wala offers spicy and flavorsome chole (chickpea curry) served with soft and fluffy kulchas (bread).

      Chandni Chowk

      Babu Ram Paranthe Wale: Another legendary parantha shop in Chandni Chowk, Babu Ram Paranthe Wale, serves delicious and crispy paranthas with a variety of fillings.

      Chandni Chowk

      These are just a few of the many restaurants and street food stalls that make Chandni Chowk a gastronomic delight for food lovers. Exploring the food scene here is an essential part of experiencing the vibrant and diverse culture of Old Delhi.

      Heritage Tours of Chandni Chowk

      Chandni Chowk’s rich history and cultural heritage make it an excellent destination for heritage tours. Several tour operators and organizations offer guided tours that allow visitors to explore the historical landmarks, vibrant markets, and hidden gems of this iconic neighbourhood.

      Chandni Chowk

      The tour will likely include visits to prominent historical monuments such as the Red Fort, Jama Masjid, and Fatehpuri Masjid. Tour guides will provide historical context, architectural insights, and stories related to these iconic landmarks.

      Heritage walks are a fantastic way to immerse yourself in the ambiance of Old Delhi. As you stroll through the narrow lanes and bustling bazaars, the tour guide will share interesting anecdotes about the area’s past and present. Depending on the tour, you might get a chance to witness cultural performances, visit local art galleries, or attend workshops showcasing traditional crafts and arts.

      A heritage tour of Chandni Chowk is incomplete without savoring its famous street food. The tour may include stops at popular food stalls to sample mouth-watering chaats, paranthas, jalebis, and more. Chandni Chowk is home to several old havelis (mansions) and historical buildings. The tour might include visits to some of these heritage structures, providing a glimpse into the architectural heritage of the area.

      Chandni Chowk

      Rickshaw Rides: To navigate through the narrow streets and alleys of Chandni Chowk, heritage tours often include rickshaw rides, giving visitors an authentic experience of Delhi’s traditional transportation.

      When booking a heritage tour of Chandni Chowk, ensure you choose a reputable tour operator or organization with knowledgeable guides who can provide accurate historical information and cultural insights. These tours offer a fantastic way to discover the hidden gems and stories of Old Delhi, making your visit even more enriching and memorable.

      How to reach Chandni Chowk

      Chandni Chowk is a well-known area in Delhi and can be easily reached by various modes of transportation. Here are some common ways to reach Chandni Chowk:

      Metro: The Delhi Metro is one of the most convenient and efficient ways to reach Chandni Chowk. The Yellow Line of the Delhi Metro has a station called “Chandni Chowk,” which directly connects to the heart of the market area. It is well-connected to other parts of Delhi, making it a popular choice for both locals and tourists.

      Taxi/Cab: Taxis and cab services are also available in Delhi, and you can hire them to drop you off at Chandni Chowk. App-based ride-sharing services like Uber and Ola are popular and widely used in the city.

      Buses: Delhi has an extensive network of public buses, and there are several bus routes that pass through Chandni Chowk. You can check the Delhi Transport Corporation (DTC) website or inquire locally to find the bus routes that go to Chandni Chowk.

      It’s essential to plan your visit to Chandni Chowk based on the time of day and the traffic conditions, as the market area can get quite busy and congested during peak hours. Additionally, public transportation is a recommended option for tourists, as it can be challenging to find parking in the crowded lanes of Chandni Chowk. Remember to carry some cash, as some local shops and vendors might not accept card payments. Also, be cautious of pickpockets in crowded areas and keep your belongings secure.

      Overall, reaching Chandni Chowk is relatively straightforward, and it’s a destination that offers a unique and exciting experience of Delhi’s cultural and historical heritage.

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      Hotels vs Hostels – which is best during travelling

      The choice between staying in hotels vs hostels during traveling depends on various factors, including personal preferences, budget, travel style, and the destination. Both options have their advantages and disadvantages, and what might be considered the “best” can vary from one traveller to another. Here’s a comparison to help you decide which option suits you best:

      Hotels

      Advantages:

      1. Comfort and Privacy: Hotels generally offer more comfort and privacy with individual rooms and amenities like private bathrooms and room service.
      2. Security: Hotels often have better security measures in place, including key card access and front desk staff available 24/7.
      3. Facilities: Hotels may provide additional facilities such as swimming pools, gyms, spas, and on-site restaurants.
      4. Peace and Quiet: Hotels tend to be quieter and more conducive to relaxation and quality sleep.

      Disadvantages:

      1. Cost: Hotels are generally more expensive than hostels, especially if you’re looking for higher-end or luxury accommodations.
      2. Limited Social Interaction: Hotels can be less social compared to hostels, making it potentially harder to meet and connect with other travelers.

      Hostels

      Advantages:

      1. Affordability: Hostels are usually much more budget-friendly than hotels, making them an attractive option for budget travelers.
      2. Social Environment: Hostels encourage social interaction among guests, providing opportunities to meet and connect with other travelers from around the world.
      3. Shared Facilities: While some may view it as a disadvantage, shared facilities like dorm rooms and communal areas can foster a sense of community and camaraderie.
      4. Local Tips and Recommendations: Hostel staff and fellow travelers often share valuable local tips and recommendations, helping you discover off-the-beaten-path attractions and experiences.

      Disadvantages:

      1. Shared Spaces: If you prefer more privacy and personal space, sharing dorm rooms and common areas may not be ideal.
      2. Noise: The social atmosphere in hostels can sometimes lead to noise and disruptions, affecting your rest.

      Ultimately, the decision comes down to your preferences, travel goals, and budget. If you prioritize comfort, privacy, and are willing to spend more, hotels may be the better option. On the other hand, if you want to meet other travellers, have a limited budget, and don’t mind shared spaces, hostels can be a fantastic choice for a social and cost-effective travel experience. Many travellers often mix and match, staying in hotels for some portions of their trip and hostels for others to get the best of both worlds.