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बुरांश के फूल : फूल एक फायदे अनेक

बुरांश के फूल आमतौर पर फरवरी से मई के बीच खिलते (Blooms) हैं। इसका फूलना वर्ष के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकता है, लेकिन यह सामान्यतः बहार के मौसम में होता है। ये बुरांश के फूल इतने खूबसूरत होते हैं कि जब आप फरवरी से में के बीच पहाड़ी इलाके में जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश या कश्मीर आदि की सैर करेंगे तो आपको वहां के पहाड़ों पर लाल रंग के फूलों की चादर (Red Flower) देखने को मिलेंगे। जो पहाड़ों की खूबसूरती को और भी अधिक बढ़ा देते हैं। गोल और घुमावदार पहाड़ी रास्ते इन लाल फूलों की वजह से और भी ज्यादा रोमांचक हो जाते हैं। अगर आप ऐसे मौसम में अपने प्रिय जन (Loved Ones) के साथ पहाड़ी इलाकों की सैर पर निकलते हैं तो यह खूबसूरत सफर इतना खूबसूरत बन जाता है कि आप जिंदगी भर कभी नहीं भूल सकते हैं।

फूल: बुरांश के पेड़ के फूल बहुत ही सुंदर होते हैं और अक्सर गुलाबी, लाल, या सफेद रंगों में पाए जाते हैं।

चयापथ्य: इसके पत्तों और फूलों का अर्क चिकित्सा में उपयोग किया जाता है। बुरांश के अर्क में कुछ औषधीय गुण होते हैं जो कई स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं के इलाज में मदद कर सकते हैं।

स्थायित्व: बुरांश के पेड़ अक्सर हिमालयी क्षेत्र में पाए जाते हैं और यहाँ के शान्त और शीतल जलवायु को सहने की क्षमता रखते हैं।

पर्यावरणीय महत्व: बुरांश के पेड़ अपने पर्यावरणीय महत्व के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनकी रूपरेखा और पेड़ों का विस्तार पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं।

  • 1 कप बुरांश के फूल (धोए और छोटे कट लें)
  • 2 हरी मिर्च (बारीक कटी हुई)
  • 1 छोटा आदा (कटा हुआ)
  • 1/2 छोटा अदरक (कटा हुआ)
  • 2 टेबलस्पून नामकीन
  • 1 टेबलस्पून लाल मिर्च पाउडर
  • 1 टेबलस्पून लाल मिर्च सॉस
  • 2 टेबलस्पून टमाटर की प्यूरी
  • 1/2 टेबलस्पून गुड़
  • 1 छोटी चम्मच नींबू का रस
  • नमक स्वादानुसार
  • 1 टेबलस्पून तेल
  1. एक कड़ाही में तेल गरम करें। फिर उसमें हरी मिर्च, आदा, और अदरक डालें और सांघने तक पकाएं।
  2. अब इसमें बुरांश के फूल, नामकीन, लाल मिर्च पाउडर, और लाल मिर्च सॉस डालें। मिलाएं और 2-3 मिनट के लिए पकाएं।
  3. फिर इसमें टमाटर की प्यूरी, गुड़, नींबू का रस, और नमक डालें। अच्छे से मिलाएं और 2-3 मिनट के लिए पकाएं।
  4. चटनी तैयार है! इसे ठंडा करके सर्व करें।

इस चटनी को पराठे, रोटी, या चावल के साथ स्वादिष्टीकरण के रूप में सर्व किया जा सकता है। परिणाम स्वादिष्ट होगा!

  1. विटामिन और खनिजों का स्रोत: बुरांश के फूल विटामिन C और अन्य आवश्यक खनिजों का एक अच्छा स्रोत होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं और शरीर को संतुलित रखने में मदद करते हैं।
  2. पाचन को सुधारना: बुरांश के फूलों में पाया जाने वाला अदरक, लहसुन, और हरी मिर्च साइडर और पाचन को सुधारने में मदद कर सकता है।
  3. एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करना: बुरांश के फूलों में पाए जाने वाले विटामिन C और अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को रोगों से लड़ने में मदद कर सकते हैं और कैंसर जैसी बीमारियों के खिलाफ संरक्षण प्रदान कर सकते हैं।
  4. मधुमेह का प्रबंधन: बुरांश के फूलों के अदरक और नींबू के रस के प्रयोग से मधुमेह का प्रबंधन किया जा सकता है, क्योंकि इनमें उच्च अंतर्द्रव्य मौजूद होते हैं जो रक्त शर्करा को नियंत्रित कर सकते हैं।
  5. प्रोटीन का स्रोत: बुरांश के फूलों में प्रोटीन होता है, जो मांस या अन्य प्रोटीन स्रोत की कमी को पूरा करने में मदद कर सकता है।
  • 1 कप बुरांश के फूल (धोए और छोटे कट लें)
  • 1 टेबलस्पून नींबू का रस
  • 2 टेबलस्पून शहद (या चीनी), स्वादानुसार
  • 1 कप पानी
  • पानी के लिए बर्फ (वैकल्पिक)
  1. एक मिक्सर या ब्लेंडर में बुरांश के फूल, नींबू का रस, और शहद डालें।
  2. सभी सामग्री को अच्छे से मिलाएं, ताकि फूल अच्छे से पीस जाएं।
  3. अब इसमें 1 कप पानी डालें और पुनः मिलाएं।
  4. अगर आप चाहें, तो इसे छलने के बाद पानी में बर्फ डालकर ठंडा कर सकते हैं।
  5. बुरांश के फूलों का जूस ठंडा होते ही परोसें और स्वाद उठाएं।

यह स्वादिष्ट जूस आपको गर्मियों में ठंडा करने के साथ-साथ बुरांश के फूलों के सारे लाभ भी प्रदान करेगा। ध्यान दें कि इसे पीने से पहले हमेशा अच्छे से छानकर पीना चाहिए।

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कभी भी फैशन ट्रेंड से बाहर नहीं होते हैं ये कश्मीरी पशमीना शॉल

कश्मीर की पहचान है पशमीना शॉल (Pashmina shawl is the identity of Kashmir)

पशमीना शॉल कश्मीर के संस्कृति की एक पहचान है। इसे कश्मीरी ऊन को कात कर बनाया जाता है। कश्मीरी ऊन को बहुत हीं अच्छी किस्म का ऊन माना जाता है। जिसे लद्दाख मूल की चांगथांगी बकरी के बाल से बनाया जाता है। यह ऐसी बकरियाँ होती हैं जो ठंड के मौसम में अपने शरीर से बाल को खुद व खुद हीं अलग कर देती हैं। इसलिए उनके बालों को काटना नहीं होता है। बकरी के बाल से ऊन कात कर उससे शॉल बुना जाता है। क्योंकि एक बार में एक बकरी से 100 ग्राम के करीब हीं ऊन प्राप्त होता है और पशमीना शॉल को तैयार करने के लिए कई कई दिनों की कड़ी मेहनत लगती है। इसलिए यह शॉल काफी महंगा होता है।

पशमीना शॉल की कीमत (Price of Pashmina Shawl)

मिला हुआ है जी आई टैग (GI tag Pashmina Shawl)

पशमीना शॉल को जी आई टैग मिला हुआ है। क्योंकि यह कश्मीर की संस्कृति की पहचान है। इसलिए इसे ज्योग्राफिकल टैग दिया गया है। आपको बता दे कि जिस भी पशमीना शॉल को जी आई टैग मिला हुआ होता है, वह पूरी तरीके से हाथ से बन गया शॉल होता है। इसलिए अगर आपको पशमीना शॉल की पहचान करनी हो तो आप उस पर जी आई टैग देख सकते हैं। पश्मीना शॉल के नाम पर कई बार लोग ठगी का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में अगर आप पशमीना शॉल खरीदने जा रहे हैं तो आप यह सुनिश्चित करें कि आप जो शॉल ले रहे हैं वह जी आई टैग वाला हो।

कई कारणों से खास है पश्मीना शॉल (Pashmina shawl is special for many reasons)

  • यह कश्मीर की सांस्कृतिक विरासत है। जो सदियों से कश्मीर की पहचान बनकर दुनिया के सामने प्रस्तुत है। इसे बनाने वाले कश्मीरी कारीगर काफी कुशल और निपुण होते हैं। जो अपने कार्य को दक्षता से करना जानते हैं। यही वजह है कि इतने महीन रेशे से इतना बेहतरीन शॉल बना पाते हैं। पशमीना शॉल कश्मीर के शिल्पकारी का एक प्रतीक है जो कश्मीर के विरासत को परिभाषित करता है। यह दुनिया भर में भारत के स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर के विरासत की अभूतपूर्व पहचान है।
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200 हिम तेंदुओं का निवास स्थल है हेमिस नेशनल पार्क

इतिहास (History of Hemis National Park)

सर्वप्रथम, इस उद्यान की 1981 में स्थापना हुई थी और तब उस समय इस पार्क में मरखा और रुम्बक के जलग्रह को सम्मलित किया गया था और इसका क्षेत्रफल 600 वर्ग किमी था। 1988 में, हेमिस राष्ट्रीय उद्यान में कुछ और क्षेत्र को जोड़ा गया जिससे इसका क्षेत्रफल बढ़कर 3350 वर्ग किलोमीटर हो गया। इसके पश्चात, सन् 1990 में हेमिस नेशनल पार्क के क्षेत्रफल को बढ़ाकर 4400 वर्ग किमी कर दिया गया।

फॉउना (Faunas in Hemis National Park)

हेमिस राष्ट्रीय उद्यान में कई प्रकार के फॉउना निवास करते है जिनमे स्तनधारियों की कुल 16 प्रजातियाँ पायी जाती है। इनमे तिब्बती भेड़िया (Tibetan Wolf), यूरेशियन भूरा भालू (Eurasian Brown Bear), माउंटेन नेवला (Mountain Mongoose), हिमालयी माउस खरगोश (Himalayan Mouse Rabbit), एशियाई आइबेक्स (Asian Ibex), रेड फॉक्स (Red Fox) आदि शामिल है। इसके अलावा इस नेशनल पार्क में लगभग 200 हिम तेंदुए निवास करते है। यहाँ पक्षियों की 73 से अधिक प्रजातियां रहती है।

फ्लोरा (Floras in Hemis National Park)

अगर बात की जाए फ्लोरा की तो, यहाँ अल्पाइन वनस्पतियों की अनेक प्रजातियाँ पायी जाती हैं जिनमे से कुछ प्रमुख निम्नलिखित है- एनेमोन (Anemone), जेंटियाना (Gentiana), थैलिक्ट्रम (Thalictrum), लॉयडिया (Lloydia), वेरोनिका (Veronica), डेल्फ़िनम (Delphinum), केरेक्स (Carex) और कोब्रेसिया (Kobresia)। एक अध्ययन के अनुसार, इस पार्क में लगभग 15 दुर्लभ और लुप्तप्राय औषधियों की रिपोर्ट दी गयी है जिनमे हयोसायमस नाइजर (Hyoscymus niger), अर्नेबिया यूक्रोमा (Arnebia euchroma), आर्टेमिसिया मैरिटिमा (Artemisia maritima), फेरुला जैशकेना (Ferula jaschkeana), इफेड्रा जेरार्डियाना (Ephedra gerardiana), बर्गनिया स्ट्रेची (Bergenia strachii) और एकेंथोलिमोन लाइकोपोडायोइड्स (Acantholimon lycopodioides) शामिल हैं।

बेस्ट टाइम टू विजिट हेमिस नेशनल पार्क (Best time to visit Hemis National Park)

अगर आप यहाँ घूमने जाना चाहते है तो ठंड के समय यहाँ जाना के प्लानिंग से बचे क्योंकि विंटर में विज़िटर्स के लिए ये पार्क खुला नहीं होता है। इसका कारण यह है कि इस अवधि में यहाँ बहुत ठंड पड़ती है। आप यहाँ मानसून के महीनों (मई से अक्टूबर) में आ सकते है।

कैसे पहुंचे हेमिस राष्ट्रीय उद्यान (How to reach Hemis National Park)?

  • सड़क मार्ग- यदि आप सड़क मार्ग से आने के लिए आपको लेह आना पड़ेगा जो लद्दाख की राजधानी है।
  • रेल मार्ग- आप डायरेक्ट रूट से हेमिस नेशनल पार्क नहीं आ सकते है। इस नेशनल पार्क का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन जम्मू तवी है जो इस पार्क से 700 किलोमीटर दूर है।
  • हवाई मार्ग- इस नेशनल पार्क का निकटम एयरपोर्ट 5 किलोमीटर दूर लेह में है।
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