In the bustling area of Satya Niketan, located near South Campus of Delhi University, students, faculty, and locals flock to enjoy vibrant youthful energy and a variety of cafes. While some spots steal the limelight, there’s a hidden gem that has quietly become a go-to place for tea lovers- Tea Moments.
Opened on April, 2023 , this rapidly growing cafe has quickly earned a loyal customer base. The cafe serves a wide variety of tea that have been meticulously prepared using hygienic, high-quality ingredients.
Affordable Price
With prices ranging from an unbelievably affordable from ₹12 to ₹25 , Tea Moments caters to everyone, from budget-conscious students to faculty members and even parents who want to enjoy a relaxing cup of chai.
What sets Tea Moments apart from the many other cafes in Satya Niketan is not just its affordability or the diverse range of teas but the welcoming atmosphere created by its friendly owner. His passion for tea and commitment to quality has resonated with the crowd. Umesh’s background, rooted in his father’s legacy (his father received a National Award for Handicrafts), reflects the dedication to craftsmanship and customer satisfaction, making every visit here feel personal and warm.
Despite starting small, Tea Moments has grown rapidly, thanks to its unbeatable combination of quality, hospitality, and affordability. The cozy environment adds to its charm, making it the perfect spot for anyone looking to spend some quality time, whether it’s catching up with friends, enjoying some alone time, or having a quick tea break between classes.
Tea Moments is also conveniently located at 1/334 Motibagh, a short distance from the bustling heart of Satya Niketan. It’s not just a place to grab tea, it’s a heaven for those who cherish authentic chai experiences at pocket-friendly prices.
Besides the amazing tea,the café is close to several attractions:
1.)Motibagh Gurudwara : A beautiful Gurudwara located at just 500 metres away, attracting many religious visitors.
2.)Hostels and PGs : Due to nearby colleges,the area has plenty of accommodation options within walking distance.
3.) Nearby colleges: Major institutions like Sri Venkateshwara college, Atmaram sanatan dharma college, Ramlal Anand College, Maitreyi College,Jesus and Mary college and Aryabhatta college are all nearby making tea moments a go to place for students.
Satya Niketan is known for its vibrant café culture, sometimes called “café-lane” due to many cafes in this area.Despite the competition, Tea moments stands out with its affordable,high quality teas and cozy atmosphere,offering a unique experience that keeps people coming back.
So, if you find yourself in the Satya Niketan area, make sure to stop by Tea Moments. Whether you’re a student, professor, or simply someone who enjoys a good cup of tea, this place promises a delightful experience that keeps people coming back.
Nearest metro station:Durgabai Deshmukh metro station (Pink line and Airport expressway)
Distance from station: 200 metres
Come for the tea, stay for the moments.
Story by- Khushi Aggarwal/Edited by- Pardeep Kumar
पहाड़ों(mountains) पर जाना किसे पसंद नहीं? हर कोई पहाड़ों पर जाकर अपने और अपने परिवारजनों के साथ कुछ समय व्यतीत करना चाहता है। लेकिन यह चाहत तब और ज्यादा बढ़ जाती है जब कड़ाके की ठंड के खत्म होने के बाद धीरे-धीरे तीखी धूप पड़ने लगती है। फिर हमें एहसास होता है कि अरे अभी तो साल की शुरुआत हुई थी, अब तुरंत मार्च कैसे आ गया? और यहीं सब सोचते सोचते हम अपना बैक पैक (Pack your bag) करते हैं और निकल जाते हैं पहाड़ों की सैर पर! क्योंकि यह वह समय होता जब पहाड़ी इलाके में बहुत कम भीड़ देखने को मिलती है और साथ हीं साथ मौसम बहुत हीं खुशनुमा सा होता है। लेकिन खूबसूरत नजारों के अलावा इस समय पहाड़ी इलाकों में एक और खूबसूरत चीज देखने को मिलती है वह है बुरांश के फूल(Rhododendron Tree)।
बुरांश के फूल आमतौर पर फरवरी से मई के बीच खिलते (Blooms) हैं। इसका फूलना वर्ष के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकता है, लेकिन यह सामान्यतः बहार के मौसम में होता है। ये बुरांश के फूल इतने खूबसूरत होते हैं कि जब आप फरवरी से में के बीच पहाड़ी इलाके में जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश या कश्मीर आदि की सैर करेंगे तो आपको वहां के पहाड़ों पर लाल रंग के फूलों की चादर (Red Flower) देखने को मिलेंगे। जो पहाड़ों की खूबसूरती को और भी अधिक बढ़ा देते हैं। गोल और घुमावदार पहाड़ी रास्ते इन लाल फूलों की वजह से और भी ज्यादा रोमांचक हो जाते हैं। अगर आप ऐसे मौसम में अपने प्रिय जन (Loved Ones) के साथ पहाड़ी इलाकों की सैर पर निकलते हैं तो यह खूबसूरत सफर इतना खूबसूरत बन जाता है कि आप जिंदगी भर कभी नहीं भूल सकते हैं।
आज का ये ब्लॉग पहाड़ी इलाके में खिलने वाले बुरांश के फूलों के उपर हैं। इस ब्लॉग में लोग हम आपको बताएंगे की पहाड़ी इलाके में बुरांश के फूलों से बनाई जाने वाली चटनी की रेसिपी क्या होती हैं और यह चटनी क्यों इतना खास होता है।
बुरांश के पेड़ की कुछ मुख्य खासियतें हैं:
फूल: बुरांश के पेड़ के फूल बहुत ही सुंदर होते हैं और अक्सर गुलाबी, लाल, या सफेद रंगों में पाए जाते हैं।
चयापथ्य: इसके पत्तों और फूलों का अर्क चिकित्सा में उपयोग किया जाता है। बुरांश के अर्क में कुछ औषधीय गुण होते हैं जो कई स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं के इलाज में मदद कर सकते हैं।
स्थायित्व: बुरांश के पेड़ अक्सर हिमालयी क्षेत्र में पाए जाते हैं और यहाँ के शान्त और शीतल जलवायु को सहने की क्षमता रखते हैं।
पर्यावरणीय महत्व: बुरांश के पेड़ अपने पर्यावरणीय महत्व के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनकी रूपरेखा और पेड़ों का विस्तार पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं।
यह थीं कुछ मुख्य खासियतें, लेकिन बुरांश के पेड़ के और भी कई महत्वपूर्ण गुण हो सकते हैं। बुरांश के फूलों से बनी चटनी एक स्वादिष्ट और अनोखी स्वाद की विधि है। यहां एक सामान्य रेसिपी है:
सामग्री:
1 कप बुरांश के फूल (धोए और छोटे कट लें)
2 हरी मिर्च (बारीक कटी हुई)
1 छोटा आदा (कटा हुआ)
1/2 छोटा अदरक (कटा हुआ)
2 टेबलस्पून नामकीन
1 टेबलस्पून लाल मिर्च पाउडर
1 टेबलस्पून लाल मिर्च सॉस
2 टेबलस्पून टमाटर की प्यूरी
1/2 टेबलस्पून गुड़
1 छोटी चम्मच नींबू का रस
नमक स्वादानुसार
1 टेबलस्पून तेल
विधि:
एक कड़ाही में तेल गरम करें। फिर उसमें हरी मिर्च, आदा, और अदरक डालें और सांघने तक पकाएं।
अब इसमें बुरांश के फूल, नामकीन, लाल मिर्च पाउडर, और लाल मिर्च सॉस डालें। मिलाएं और 2-3 मिनट के लिए पकाएं।
फिर इसमें टमाटर की प्यूरी, गुड़, नींबू का रस, और नमक डालें। अच्छे से मिलाएं और 2-3 मिनट के लिए पकाएं।
चटनी तैयार है! इसे ठंडा करके सर्व करें।
इस चटनी को पराठे, रोटी, या चावल के साथ स्वादिष्टीकरण के रूप में सर्व किया जा सकता है। परिणाम स्वादिष्ट होगा!
बुरांश के फूलों की चटनी के कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, जैसे कि:
विटामिन और खनिजों का स्रोत: बुरांश के फूल विटामिन C और अन्य आवश्यक खनिजों का एक अच्छा स्रोत होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं और शरीर को संतुलित रखने में मदद करते हैं।
पाचन को सुधारना: बुरांश के फूलों में पाया जाने वाला अदरक, लहसुन, और हरी मिर्च साइडर और पाचन को सुधारने में मदद कर सकता है।
एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करना: बुरांश के फूलों में पाए जाने वाले विटामिन C और अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को रोगों से लड़ने में मदद कर सकते हैं और कैंसर जैसी बीमारियों के खिलाफ संरक्षण प्रदान कर सकते हैं।
मधुमेह का प्रबंधन: बुरांश के फूलों के अदरक और नींबू के रस के प्रयोग से मधुमेह का प्रबंधन किया जा सकता है, क्योंकि इनमें उच्च अंतर्द्रव्य मौजूद होते हैं जो रक्त शर्करा को नियंत्रित कर सकते हैं।
प्रोटीन का स्रोत: बुरांश के फूलों में प्रोटीन होता है, जो मांस या अन्य प्रोटीन स्रोत की कमी को पूरा करने में मदद कर सकता है।
ये थे कुछ बुरांश के फूलों की चटनी के पौष्टिक फायदे। लेकिन बीमार लोग ध्यान दें कि इसका सेवन मात्राबद्ध और चिकित्सक की सलाह के साथ किया जाना चाहिए। बुरांश के फूलों का जूस एक स्वास्थ्यकर और रसीला पेय है जिसमें कई गुण होते हैं। यहां एक सरल बुरांश के फूलों का जूस बनाने की विधि है:
सामग्री:
1 कप बुरांश के फूल (धोए और छोटे कट लें)
1 टेबलस्पून नींबू का रस
2 टेबलस्पून शहद (या चीनी), स्वादानुसार
1 कप पानी
पानी के लिए बर्फ (वैकल्पिक)
विधि:
एक मिक्सर या ब्लेंडर में बुरांश के फूल, नींबू का रस, और शहद डालें।
सभी सामग्री को अच्छे से मिलाएं, ताकि फूल अच्छे से पीस जाएं।
अब इसमें 1 कप पानी डालें और पुनः मिलाएं।
अगर आप चाहें, तो इसे छलने के बाद पानी में बर्फ डालकर ठंडा कर सकते हैं।
बुरांश के फूलों का जूस ठंडा होते ही परोसें और स्वाद उठाएं।
यह स्वादिष्ट जूस आपको गर्मियों में ठंडा करने के साथ-साथ बुरांश के फूलों के सारे लाभ भी प्रदान करेगा। ध्यान दें कि इसे पीने से पहले हमेशा अच्छे से छानकर पीना चाहिए।
Ayodhya, located in the northern Indian state of Uttar Pradesh, is a city with immense historical and cultural significance, particularly in Hinduism. Here are some of the Best Places to Visit in Ayodhya:
Ram Janmabhoomi
This is believed to be the birthplace of Lord Rama. It is now the site where the construction of the Ram Mandir is underway. Pilgrims and tourists visit this site to pay their respects.
Hanuman Garhi:
A temple dedicated to Lord Hanuman, it is situated atop a hill. The temple is a popular pilgrimage site and offers panoramic views of Ayodhya.
Kanak Bhawan
Also known as Sone ka Mandir, Kanak Bhawan is a beautiful temple dedicated to Lord Rama and his consort Sita. The temple is known for its intricately carved interiors.
Treta Ke Thakur:
This temple is believed to be the spot where Lord Rama performed the Ashwamedha Yajna. It holds religious importance for followers of Rama.(Best Places to Visit in Ayodhya)
Swarg Dwar:
Swarg Dwar, meaning “Gateway to Heaven,” is a significant spot in Ayodhya. According to mythology, it is believed that Lord Rama ascended to heaven from this place.
Nageshwarnath Temple
This temple is dedicated to Lord Shiva and is considered one of the oldest temples in Ayodhya. It is believed to have been established by Kush, the son of Lord Rama.
Tulsi Smarak Bhawan
A museum dedicated to the renowned Hindi poet Tulsidas, the author of the epic Ramcharitmanas. The museum showcases artifacts related to Tulsidas and his works.
Guptar Ghat:
Situated on the banks of the Sarayu River, this ghat is considered sacred. Pilgrims often take a dip in the river here.
Remember that Ayodhya is a city with a rich history and deep cultural significance, so exploring its streets, interacting with locals, and immersing yourself in the spiritual atmosphere can also be rewarding experiences. Keep in mind that the availability of attractions and their accessibility might be subject to change, so it’s advisable to check with local authorities or reliable sources for the latest information before planning your visit.
Why is Ayodhya Famous
Ayodhya is primarily famous for its historical and religious significance, especially in Hinduism. Here are some reasons why Ayodhya is considered famous:
Birthplace of Lord Rama:
Ayodhya is believed to be the birthplace of Lord Rama, a significant deity in Hinduism and the central character of the ancient Indian epic, the Ramayana.
Ram Janmabhoomi:
The city gained prominence due to the Ayodhya dispute, which revolved around the Babri Masjid located in the city. The disputed site, known as Ram Janmabhoomi, is believed to be the birthplace of Lord Rama.
Ram Mandir Construction:
Ayodhya became the center of attention in 2019 when the Supreme Court of India ruled in favor of constructing a Ram Mandir at the disputed site. The construction of the Ram Mandir is an ongoing project, drawing pilgrims and tourists alike.
Ayodhya is a significant pilgrimage site for Hindus. Devotees visit the city to pay homage to Lord Rama and other revered figures associated with the Ramayana.
Historical Significance:
Ayodhya is one of the oldest continuously inhabited cities in the world, with a rich historical and cultural heritage. It has been mentioned in various ancient texts and scriptures.
Cultural and Literary Importance:
The city is associated with various ancient texts, including the Ramayana and several Puranas. It has also been the inspiration for numerous literary and artistic works.
Religious Festivals:
Ayodhya is known for grand celebrations during festivals like Diwali, as it is believed to be the place where Lord Rama returned after defeating the demon king Ravana.
Temples and Ghats:
Ayodhya is home to several temples, including the Hanuman Garhi, Kanak Bhawan, and Nageshwarnath Temple. The city also has ghats along the Sarayu River, where religious ceremonies and rituals take place.
The combination of religious, historical, and cultural significance has contributed to Ayodhya’s fame as a revered and celebrated city in India. The ongoing developments, including the construction of the Ram Mandir, continue to keep Ayodhya in the public eye.
Famous food spots in Ayodhya
Ayodhya, with its rich cultural and historical heritage, offers a variety of local dishes that reflect the traditional flavors of the region. While Ayodhya may not be as famous for its street food scene as some other cities in India, there are still local eateries and restaurants where you can enjoy authentic dishes. Keep in mind that the food scene might evolve, so it’s always a good idea to check for the latest recommendations.
Local Street Food Stalls
While Ayodhya may not have a prominent street food scene, you can explore local markets and streets for small food stalls offering snacks like chaat, samosas, and other Indian street food items.
Ayodhya Haat
Ayodhya Haat is a market area where you can find local vendors selling traditional snacks and sweets. It’s a good place to explore local flavors.
Remember that Ayodhya is known for its vegetarian cuisine, and you’ll find a variety of sweets and snacks that are popular in the region. Additionally, it’s always a good idea to ask locals for recommendations to discover hidden gems and local favorites.
How to reach Ayodhya
Ayodhya, located in the state of Uttar Pradesh, India, is well-connected by various modes of transportation. Here are the common ways to reach Ayodhya:
By Air:
Nearest Airport:
Ayodhya International Airport, officially named as Maharishi Valmiki International Airport, Ayodhya Dham, is an international airport serving the twin cities of Ayodhya and Faizabad in the state of Uttar Pradesh, India.
From the airport, you can hire a taxi or use other local transportation to reach Ram Janm Bhoomi Ayodhya.
By Train
Ayodhya Junction: Ayodhya has its own railway station, known as Ayodhya Junction (AY).
Several trains connect Ayodhya to major cities in India. You can check the train schedules and book tickets through the official website of Indian Railways or other online platforms.
By Road:
Road Transport: Ayodhya is well-connected by road to various cities in Uttar Pradesh and other neighboring states.
State-run and private buses operate on different routes to Ayodhya. You can also hire a taxi or use other private transportation services.
The city is connected to major highways, making it accessible by road.
By Car:
Self-Drive or Private Taxi: You can also reach Ayodhya by driving or hiring a private taxi. The city is accessible by road, and there are multiple routes depending on your starting location.
The road conditions and travel time may vary, so it’s advisable to plan your route and check for any necessary travel permits or restrictions.
Travel Tips:
Plan Ahead: Check the availability of transportation options and book your tickets in advance, especially during peak travel seasons.
Local Transportation: Once in Ayodhya, you can use local modes of transportation such as auto-rickshaws and cycle rickshaws to explore the city.
कहते हैं एक शहर है जिसकी हवा में भी खुला हुआ है और इस शहर का नाम है बनारस। बनारस,,,, गंगा किनारे बसे इस शहर के रंग ही अलग हैं। कहीं चिता के भस्म से होली खेली जाती है, तो कहीं गंगा के जल में खड़े होकर सूर्य को नमस्कार किया जाता है। आज के दौर में जहां बाकी सारे शहर आधुनिकीकरण की ओर बढ़ रहे हैं और अपनी संस्कृति के मूल स्वरूप को भूलते जा रहे हैं वहीं यह शहर यह शहर भारतीय संस्कृति को अपने अंदर सहेज कर एक अद्भुत उदाहरण पेश करता है। इस शहर को वाराणसी और काशी के नाम से भी जाना जाता है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरे हुए शहर का सिर्फ हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि जैन और बौद्ध धर्म में भी बहुत ही विशेष महत्व है, और लोग इसे मोक्ष नगरी के नाम से भी जानते हैं। पुराणों की मान्यता है कि, बनारस आकर मृत्यु को प्राप्त करने वाले लोग सीधा मोक्ष को प्राप्त करते हैं। इसलिए अध्यात्म में विश्वास रखने वाले लोग अपने जीवन के आखिरी क्षणों को बनारस आकर व्यतीत करना पसंद करते हैं।
1. गंगा घाट (Ganga Ghaat) अब क्योंकि यह शहर नदी के किनारे बसा हुआ है इसलिए यहां 80 से भी अधिक घाट हैं और इसे घाटों का शहर भी कहते हैं। अगर बात करें यहां के प्रमुख घाटों की तो उनमें दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट, मणिकर्णिका घाट, पंच गंगा घाट आदि प्रमुख हैं।
(i) मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat) मणिकर्णिका घाट को शमशान स्थल के रूप में भी जाना जाता है। जहां हर साल रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन चिता के भस्म से होली खेली जाती है, जिसे मसान होली या भस्म होली के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है की महादेव स्वयं अपने गणों के साथ उस दिन होली खेलते हैं।
(ii) दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat) यहां का दशाश्वमेध घाट बनारस की सबसे प्रसिद्ध घाटों में से एक है। मान्यता है कि आदि काल में ब्रह्मा जी ने यहां 10 अश्वमेध यज्ञ करवाया था। जिसके कारण इसे दशाश्वमेध घाट के नाम से जाना जाने लगा। इसे बनारस के सबसे पुराने घाट के रूप में भी जाना जाता है।
(iii) अस्सी घाट (Assi Ghat) अस्सी घाट बनारस का दक्षिणतम घाट है जो आगंतुकों और विदेशी पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र होता है। यह बनारस के सबसे खूबसूरत घाटों में से एक माना जाता है।
2. गंगा आरती (Ganga Aarti) गंगा घाट की बात हो और गंगा आरती का जिक्र ना हो भला ऐसा हो सकता है? जब यहां के घाटों पर संध्या के समय गंगा आरती होती है तब, चारों ओर हो रहे शंखनाद, गंगा की कलकल बहती धारा, ठंडी हवा के झोंके और मंत्र उच्चारण की मधुर ध्वनि वातावरण में एक अलग ही प्रकार की सकारात्मकता का प्रसार करती है। जिसके कारण यहां आने वाले लोगों की संख्या बहुत ज्यादा होती है, और कई खास मौकों पर तो यहां पैर रखने का भी जगह नहीं होता है। यहां के घाट नदियां और यहां के प्राचीन मंदिर, प्रकृति और संस्कृति के एक अद्भुत समन्वय को दर्शाती है। यही वजह है कि बनारस सिर्फ घाटों ही नहीं बल्कि अपने गंगा आरती के लिए भी सुप्रसिद्ध है।
काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग भी बनारस में ही स्थित है। जिसे काशी विश्वनाथ के नाम से भी जाना जाता है। काशी विश्वनाथ दशाश्वमेघ घाट के निकट स्थित है और श्रद्धालु दशाश्वमेध घाट के पानी में डुबकी लगाकर महाकाल के दर्शन के लिए मंदिर जाया करते हैं। कुछ समय पहले तक घाट और मंदिर के बीच में भवनों के बन जाने के कारण घाट से मंदिर जाना कठिन होता था। लेकिन हाल ही में यहां गंगा कॉरिडोर के निर्माण हो जाने के बाद गंगा नदी से मंदिर पूरी तरह जुड़ गया है। मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ वास किया था। इस मंदिर का इतिहास भी काफी चर्चा और विवाद का विषय रहा है क्योंकि इसे बार-बार तोड़ा और बनाया गया। वर्तमान के मंदिर को रानी अहिल्याबाई ने मंदिर के बचे अवशेषों के साथ 1770 ईस्वी में बनवाया था। जिसके बाद 1835 में राजा रंजीत सिंह ने इसके गुंबद को सोने से मंडवा दिया था जो इस मंदिर को और भी आकर्षक बनाता है।
3. रामनगर का किला (Ramnagar Fort) घाटों और मंदिरों के अतिरिक्त यहां एक बेहद खूबसूरत 18वीं शताब्दी का रामनगर का किला भी है, जिसकी शिल्प कला मुगल शिल्प का बेहतरीन उदाहरण पेश करती है।
4. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) बनारस सिर्फ संस्कृति के क्षेत्र में आगे नहीं है, बल्कि यह शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत आगे है और इसका जीता जागता उदाहरण है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय जिसे काशी हिंदू विश्वविद्यालय के नाम से भी जाना जाता है। इस की स्थापना स्वतंत्रता पूर्व ही हुई थी। जिसकी नींव पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा रखी गई थी। इसके स्थापना में एनी बेसेंट का भी बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा। आज बनारस हिंदू विश्वविद्यालय भारत के सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में से एक है। इस विश्वविद्यालय को “राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान” का
दर्जा प्राप्त है। इस विश्वविद्यालय के दो परिसर हैं, जिनमें मुख्य परिसर वाराणसी में स्थित है। इसके परिसर में हाल ही में एक नए काशी विश्वनाथ मंदिर की स्थापना की गई है। जो लोगों के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र होता है। 75 छात्रावासों के साथ यह विश्वविद्यालय एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है।
5. बनारस का खान पान (food of banaras) बनारस के खानपान भी बाकी शहरों से काफी अलग हैं। यहां के बनारसी पान और मलइयो की तो बात ही अलग है। यहां के सबसे प्रसिद्ध व्यंजन में से एक है टमाटर चाट, जो आपको बनारस की गलियों में कहीं भी मिल जाएगा। चाट का खट्टा मीठा और तीखा स्वाद आपको उंगलियां चाटने पर मजबूर हो जाएंगे।
बनारस आने का सबसे सही समय (Best time to visit Banaras) यूं तो आप बनारस कभी भी जा सकते हैं यह शहर हर समय हर मौसम में आने वाले पर्यटकों का भी खोलकर स्वागत करता है लेकिन महाशिवरात्रि और देव दीपावली के अवसर पर यहां जाना आपके लिए सबसे वर्थईट साबित होगा। अगर बात महाशिवरात्रि की हो तो इस दिन भारत के कोने कोने से महादेव के भक्त बनारस आकर काशी विश्वनाथ के दर्शन और गंगा स्नान करते हैं। यूं तो बनारस की गलियों में गंगा आरती को लेकर हर दिन ही भीड़ होती है, लेकिन महाशिवरात्रि एक ऐसा दिन है जिस दिन यहां अन्य दिनों के मुकाबले कई गुनी हो जाती है। पुराणों के अनुसार इस नगरी का महादेव के साथ विशेष संबंध रहा है। इसलिए शिव भक्तों के लिए यह शहर किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है। इस दिन भी विवाह उत्सव से पहले बाबा विश्वनाथ को हल्दी लगाई जाती है और मंगल गीत गाए जाते हैं। शाम के समय भगवान शिव को हल्दी लगाते देखने के लिए श्रद्धालुओं में बेहद उत्साह होता है। इसके बाद शिव की बारात निकलती है।
बनारस में देव दिवाली(Dev Diwali in Banaras) अगर यहां के देव दीपावली की बात की जाए तो यहां गंगा किनारे घाटों पर जलाए जाने वाले दियों और घाटों पर चलने वाले लेजर शो बनारस की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं। देव दीपावली दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। आस्था के पर्व के अवसर पर यहां के घाटों पर हर साल लाखों दिए जलाए जाते हैं। उन लाखों दियों की जगमगाहट सभी के मनो को मोह लेती हैं। इस पर्व को त्रिपुरोत्सव और त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
अगर आपको बनारस आना है तो बनारस सड़क मार्ग और रेल मार्ग दोनों से ही जुड़ा हुआ है।
मुझे जब भी अपने व्यस्त शेड्यूल में या रोज़मर्रा की ज़िंदगी में थोड़े सुकून के पल चाहिए होते हैं तब अनायास ही यात्रा का ख्याल आता है। जब कभी ऐसा लगता है कि इस तनावपूर्ण और भागदौड़ भरी ज़िंदगी से थोड़ी निजात चाहिए तब मेरे पास अंतिम विकल्प यात्रा का ही बचता है। इस बार कार्यक्रम बना अमृतसर का। वो भी प्रसिद्ध त्यौहार बैसाखी के अगले दिन।
स्टेशन से उतरते ही फ्री बस
बैसाखी के त्यौहार की शुरुआत भारत के पंजाब राज्य से ही हुई है और इसे रबी की फसल की कटाई शुरू होने की ख़ुशी के रूप में मनाया जाता है। बैसाखी के दिन गोल्डन टेम्पल को जगमगाती लाइटों से सजाया जाता है। देश भर से सिख श्रद्धालु इस दिन अमृतसर पहुँचते हैं। बैसाखी से अगले दिन जाने का फायदा ये हुआ कि भीड़ इतनी नहीं थी। वैसे अमृतसर घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च ही रहता है। हम हिसार से अमृतसर ट्रैन से पहुंचे। स्टेशन से उतरते ही बाहर फ्री बस सेवा का भी इंतेज़ाम रहता है जो ‘सतनाम वाहेगुरु’ के जयकारें लगाते हुए सीधे गोल्डन टेम्पल ले जाती है। गुरूद्वारे पहुँचते-पहुँचते रात के 11 बज चुके थे। हमनें अंदर परिसर में ही स्थित गंगा निवास में वातानुकूलित रूम बुक करवाया था। भले ही अप्रैल के महीने में ठीक-ठाक गर्मी होती है पर अंदर परिसर में ठंडक थी। थोड़ा आराम करने के बाद जैसे ही हमनें हरमंदिर साहिब में कदम रखा एक हमें अलग ही वातावरण की अनुभूति हुई। और लगा जैसे यहाँ आना पूरी तरह सार्थक हो गया। मेन हाल में दर्शन के लिए लम्बी-लम्बी लाइनें लगी हुयी थी। सुबह तड़के पालकी के दर्शन किये। दर्शन के लिए भले ही भीड़ कितनी ही क्यों न हो पर थकान जरा-सी भी नहीं होती, बस यही खासियत है यहाँ की।
परमात्मा एक है और वो सब जगह मौज़ूद है। एक औंकार, सतनाम करता पुरख निरभउ निरवैर…...
गोल्डन टेम्पल में दिन रात शब्द कीर्तन और गुरुबाणी चलती रहती है जो दुनिया की भाग दौड़ से थके हारे मन को रूहानी सुकून देती है।
अद्भुत और अलौकिक गुरुद्वारा
स्वर्ण मंदिर में प्रवेश के लिए चार द्वार है जो इस बात के प्रतीक हैं की यहाँ के दरवाज़े हर धर्म के लोगो के लिए खुले हैं। रात में जगमगाती रौशनी में संगमरमर और सोने के आवरण से बना यह गुरुद्वारा अद्भुत और अलौकिक लगता है।
अंदर परिसर में ही दुनिया की सबसे बड़ी रसोई में से एक गुरु के लंगर में रोज़ाना हज़ारों लोग प्रशाद रूप में भोजन ग्रहण करते है। इतनी बेहतरीन व्यवस्था, इतना स्वाद और इतना अपनापन। सच में अद्भुत। इसी कारण कहते हैं अमृतसर में कोई भूखा नहीं सोता।
पवित्र जल के तालाब के बीचों-बीच गुरुद्वारा साहिब है व चारों तरफ बड़ा-सा प्रांगण है। जहाँ आपको सैंकड़ों श्रद्धालु सिमरन करते मिल जायेंगे। गुरूद्वारे में एक भव्य म्यूजियम भी है जहां सिख धर्म से जुडी ऐतिहासिक चीज़ें रखी गयी है।
गुरुओं की देन- अमृतसर शहर
वैसे तो अमृतसर को देश विदेश में सब जानते हैं लेकिन दरबार साहिब (गोल्डन टेम्पल ) इस शहर की लाइफ लाइन है। पूरा अमृतसर शहर गोल्डन टेम्पल के इर्द गिर्द ही बसा हुआ है। अमृतसर शहर गुरुओं की देन माना जाता है। चौथे गुरु रामदास जी ने पांच सौ बीघा जमीन लेकर यह शहर बसाया था। तभी इसका नाम पड़ा रामदासपुर। महाराज रंजीत सिंह ने हरमिंदर साहिब पर उन्नीसवीं शताब्दी में सोने का आवरण चढ़वाया था और तब से अमृतसर को स्वर्ण नगरी भी कहा जाने लगा। एक शहर के तौर पर देखें तो यह सिर्फ अपने गुरुद्वारों के लिए प्रसिद्ध नहीं है बल्कि कौमी एकता का एक बेहतरीन उदाहरण भी है – यहाँ जहां एक तरफ बेहद खूबसूरत दुर्गियाना मंदिर है वहीँ आज़ादी की लड़ाई की गवाह दिल्ली की जामा मस्जिद जैसी दिखती खैरउद्दीन मस्जिद भी है। जहाँ हज़ारों लोग इबादत के लिए आते हैं।(Golden Temple, Amritsar)
वाघा बॉर्डर
अमृतसर शहर से 30-32 किलोमीटर एकऔर डेस्टिनेशन है वाघा बॉर्डर। यहाँ पर रोज़ शाम को दोनों देशों के सिपाहियों द्वारा बहुत ही जोशीले ढंग से अपने-अपने राष्ट्रीय ध्वज को वापिस उतरा जाता है। इस दौरान देशभक्ति का ऐसा रंग चढ़ जाता है जिसकी कल्पना करना भी सम्भव नहीं। यहाँ की ये जोशीली परेड देखने के लिए आपको समय से पहले ही जाना पड़ता है वरना भीड़ इतनी हो जाती है कि वहां पर खड़े होने की भी जगह नसीब नहीं होती।
जलियावालां बाग
अमृतसर में ही भारत की आज़ादी के इतिहास का साक्षी प्रसिद्ध जलियावालां बाग भी है। आज जलियावालां बाग एक पर्यटक स्थल बन गया है और रोजाना हजारों सैलानी इसे देखने आते हैं। यहाँ की दीवार पर आज भी उन गोलियों के निशान मौज़ूद हैं जो जनरल डायर ने निहत्थी भीड़ पर चलवाई थी जिसमे हज़ारों लोग मारे गए थे।
अमृतसर शहर के पुराने बाजार आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं जैसे किसी ज़माने में हुआ करते थे। आप शाम के समय पैदल ही बाजार की सैर पर निकल सकते हैं। भीड़-भाड़ वाले ये बाजार एक बार तो आपको चांदनी चौक की याद दिला देंगे। अगर आप खाने के शौकीन हैं तो अमृतसर आपके लिए किसी जन्नत से कम नहीं होगा। अमृतसर लस्सी, छोले भटूरे, राजमा चावल और पिन्नी का स्वाद पूरी दुनिया में मशहूर है। बात चाहे धार्मिक आस्था की हो, इतिहास की हो, संस्कृति की या फिर खानपान की, अमृतसर का कोई सानी नहीं।
क्या आप जानते है जाजपुर शहर के बारे में ये बातें? वैसे ओडिशा के इस जाजपुर शहर के बारे में काफी कम लोग ही जानते हैं, लेकिन पर्यटन का ये क्षेत्र काफी दिलचस्प है। जिसे आपको बिलकुल भी विजिट करने से चूकना नहीं चाहिए।
भारत के ओडिशा का जोजपूर का एक एमजिंग ऑफबीट डेस्टिनेशन (Amazing Offbeat Destination) है। जो की आपके वेकेशन (Vacation) की खुशियों में जान डाल देगा।
ओडिशा के बारे में बात करें, तो सबसे पहले दिमाग में भुवनेश्वर (Bhubaneswar), पुरी (Puri), यूनेस्को साइट (UNESCO Site) या फिर सूर्य मंदिर कोणार्क (Sun Temple Konark) का नाम आता है। खैर, ये जल्द ही एक टूरिस्ट प्लेस (Tourist place) बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
जाजपुर का नाम कैसे पड़ा? (How did Jajpur get its name?) –
“जाजपुर पहले यज्ञपुरा के नाम से जाना जाता था” इसके अलावा इसे विराजा (Viraja), बैतरिणी तीर्थ (Baitarani Tirtha), जाजापुर (Rajapur) और पार्वती (Parvati) के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि राजा जजाती ने जजातिपुर को अपनी राजधानी बनाया और शहर का नाम बदलकर जाजापुरा रखा। इसे भारत के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थों में से एक माना जाता है।
जाजपुर में ऐसे कई मंदिर हैं जिन्हें आप विजिट (Visit) कर सकते हैं यहां आपको काफी पॉजिटिव एनर्जी (Positive Energy) मिलेगी। आप जा सकते हैं – बिराजा मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, बारहनाथ मंदिर, सूर्य देव मंदिर और सप्त मातृका मंदिर। ये सभी एक दूसरे के काफी नजदीक है। जिसकी दूरी कुछ ही घंटों में तय की जा सकती है।
बिराजा मंदिर शक्ति पीठ (Barahnath Temple) –
जाजपुरा के सभी मंदिरों में बिराजा मंदिर सबसे फैमस है। यह भारत के 18 प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। वैतरिणी नदी के तट पर स्थित इस मंदिर तक सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। विशाल मंदिर परिसर कई मंदिरों, एक विशाल बकुल वृक्ष (स्पेनिश चेरी) और कुछ नए निर्माणों से युक्त है।
बराहनाथ मंदिर (Barahnath Temple) –
यह मंदिर बराह ( वराह, भगवान विष्णु के सूअर अवतार) को समर्पित है। इसके छत पे की गई कारीगरी काफी एम्जिंग और यूनिक है, यही एक वजह है कि इस मंदिर को एक बार जरूर देखना चाहिए।
सूर्य देव मंदिर (Surya Dev Temple) –
सूर्य भगवान को समर्पित एक छोटा लेकिन खूबसूरती से बनया गया ये मंदिर काफी शानदार है। यह मूर्ति काफी सरप्राइजिंग है, जिसे 7 सफेद घोड़ों पर टिक एक रथ पर बैठे हुए दिखाया गया है।
ब्रह्नानाथ मंदिर और सूर्य देव मंदिर दोनों की यात्रा एक घंटे में की जा सकती है। क्यूंकि दोनो एक ही स्थान पर हैं। आप आसपास के छोटे मंदिरों को भी एक्सप्लोर कर सकते हैं । पास में भगवान शिव की एक बड़ी मूर्ति बनाई गई है और जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है। जो की आगे चलकर जाजपुर के लिए अट्रैक्शन का में रीजन होगा।
जजापुरा का जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple of Jajpur) –
ये मंदिर पुरी मंदिर के बाद भगवान जगन्नाथ के दूसरे निवास स्थान के रूप में बनाया गया है। यहां आप उस मंच पर मूल मंदिर के अवशेष देख सकते हैं जिस पर आज मंदिर खड़ा है, जो इस बात का सिगनीफाई करता है कि एक्चुअल मंदिर उस समय कितनी डिफिकल्ट नक्काशी वाला रहा होगा।
सप्त मातृका मंदिर (Sapta Matrika Temple) –
जिसका मतलब है सात माताओं (देवियों) का मंदिर। जिनमें ब्राह्मणी, वैष्णवी, नरसिम्ही, चामुंडा, इंद्राणी और वाराही की मूर्तियां शामिल हैं।
उदयगिरि बौद्ध मठ (Udayagiri Buddhist Monastery) –
तीनों में से, उदयगिरि त्रिकोण में सबसे बड़ा और सबसे कम उत्खनन वाला स्थल है। एक बड़े क्षेत्र में फैले हुए, आप दो मठों के खंडहर, आश्चर्यजनक मूर्तियां और महास्तूपों के अवशेष, प्रार्थना कक्ष, पहाड़ी की चोटी से मंत्रमुग्ध कर देने वाले मनोरम दृश्य देख सकते हैं। यह क्षेत्र आने वाले वर्षों में बहुत सारे कैफे, सौर ऊर्जा संचालित वाहनों के साथ विकसित होने जा रहा है जो दूर-दराज के स्थलों तक पहुंच को आसान बना देगा।
पक्षी प्रेमी विभिन्न प्रकार की देशी पक्षी प्रजातियाँ पा सकते हैं।
रत्नागिरी –
यह स्थल उदयगिरि की तुलना में छोटा है और इसे एक घंटे में कवर किया जा सकता है। इस स्थल ने महाविहार को बर्बाद कर दिया है। इतिहासकारों ने निष्कर्ष निकाला है कि रत्नागिरी मठ एक समय भारत का प्रमुख बौद्ध मठ था। यह उदयगिरि बौद्ध मठ से 13.5 किमी पूर्व में जाजपुर जिले में ब्राह्मणी और बिरुपा नदियों के बीच एक पहाड़ी पर स्थित है। अभी और भी बहुत कुछ खोदा जाना बाकी है।
हमने बुद्ध के बालों के घुंघराले बाल देखे, मुझे यकीन है कि यह बुद्ध के सिर का सिर्फ एक हिस्सा था। यदि टीले की खुदाई की जाए तो और भी कई खंडहर मिल सकते हैं।
ध्यान देने योग्य एक और दिलचस्प संरचना नीले-हरे क्लोराइट मजबूत दरवाजे का फ्रेम है। उदयगिरि और रत्नागिरि मठ जाजपुर ओडिशा। उपरोक्त दोनों मठों के लिए टिकट आवश्यक हैं।
गोपालपुर
गोपालपुर जाजपुर ओडिशा में बुनकरों के गांव का दौरा गोपालपुर टसर विशेष है और अपनी बुनाई के लिए विशिष्ट है। बुनाई की तकनीक को सात पीढ़ियों से आगे बढ़ाया जा रहा है।
हथकरघा के लिए रेशम के धागे चौड़े पंखों वाले पीले-भूरे रंग के कीट (वैज्ञानिक नाम: एंथेरिया पफिया) (Scientific name: Antheria paphia) के रेशम कोकून से प्राप्त किए जाते हैं। गोपालपुर की महिलाएं (पुरुष भी) सुंदर टसर रेशम कपड़ा बनाने में अत्यधिक कुशल हैं। 10 मीटर टसर रेशम का कपड़ा तैयार करने में उन्हें तीन दिन लगते हैं।
गोपालपुर गांव में एक हेरिटेज वॉक (Heritage walk) करें और देखें कि रेशम के कीड़ों को पालने से लेकर, कोकून से धागे निकालने, धागों को रंगने और अंत में कपड़े बुनने तक प्रत्येक घर एक या दूसरे तरीके से बुनाई उद्योग में कैसे योगदान देता है।
गोपालपुर टसर सिल्क को जीआई टैग मिला हुआ है
जाजपुर में क्या खाएं? (What to eat in Jajpur?) – जाजपुर के विभिन्न रेस्तरां में स्वादिष्ट उड़िया व्यंजनों का स्वाद चखें। ओडियानी रेस्तरां में हमारे पास एक उड़िया थाली थी जिसमें अधिक नहीं तो कम से कम 24 आइटम थे। वे व्यंजन जो आपको अवश्य आज़माने चाहिए:
1. दालमा (Dalma) – अलग ढंग से बनाई गई पौष्टिक दाल। यह व्यंजन विभिन्न प्रकार की दालों और सब्जियों के साथ बनाया जाता है और अंत में कई प्रकार के मसालों के साथ तड़का लगाया जाता है।
2. चोथरू पोडा (Chothru Poda) – मशरूम को विशेष रूप से तैयार करी पेस्ट के साथ मिलाया जाता है, केले के पत्तों में लपेटा जाता है और आग पर भुना जाता है। कभी नहीं पता था कि मशरूम इस तरह भी बनाया जा सकता है।
3. दही बैगाना (Dahi Bagana) – केवल दो मुख्य सामग्रियों से बना एक स्वादिष्ट व्यंजन: दही (दही) और बैंगन (बैंगन)।
4. चेन्ना पोडा (अनुवादित बेक्ड पनीर) (Chenna Poda) – यह एक पनीर मिठाई है, एक मीठा स्मोक्ड पनीर पैनकेक। मुझे इसका जला हुआ हिस्सा ज्यादा पसंद है.
5. नोलेन गुडर रोसोगुल्ला – सर्दियों के दौरान उपलब्ध एक मौसमी मिठाई। 6. ओडियानी थाली – यह यहाँ की स्पेशल थाली है। इस प्रथम सेवा के बाद अधिक आइटम परोसे गए
कला (Arts) – जाजपुर के गांवों में कई कुशल कारीगर हैं जो हैंडक्राफ्ट की कई बारीक वस्तुएं बनाते हैं।
1. पत्थर पर नक्काशी –
जाजपुर के बौद्ध मठों और मंदिरों में मूर्तियां पत्थर पर नक्काशी में उनकी स्पेशलिटी के बारे में बताती हैं।
2. कपड़ा –
गोपालपुर का टसर सिल्क घर पर आपके फेवरेट पर्सन को गिफ्ट करने के लिए बिल्कुल सही है। आपको यहां साड़ी, स्टोल या सिर्फ कपड़ा मिलता है।
3. सुनहरी घास शिल्प वस्तुएँ –
औरतों द्वारा अपने ख़ाली समय में अपनाई जाने वाली यह पारंपरिक शिल्प पीढ़ियों से चली आ रही है। वे सुनहरी घास से कई प्रकार की उपयोगी वस्तुएँ बनाते हैं। समय के साथ ये वस्तुएं खराब हो सकती हैं लेकिन कभी भी अपनी चमक नहीं खोती हैं ।
संस्कृति (Culture) – जाजपुर के फेस्टिवल्स (Festivals of jajpur) एक ट्रैवलर होने के नाते आप भी इस बात से इत्तफाक जरूर रखते ही होंगे कि अगर किसी जगह को अच्छे से समझना है तो वहां के कल्चर (Culture) को समझना बेहद जरूरी है, है की नहीं?
जाजपुर महोत्सव –
यह एक वार्षिक जाजपुर जिला महोत्सव (जाजपुर जिला महोत्सव) है । इस महोत्सव में विशाल मेले में सभी एक्साइटिंग चीजे होती है, जिसमें स्ट्रीट फूड, हैंडक्राफ्ट आइटम और बच्चों के लिए मजेदार गेम बेचने वाले कई स्टॉल थे, जिसमें एक बड़ा विशाल पहिया भी शामिल था। बॉलीवुड और ओलिवुड (उड़ीसा की फिल्मी दुनिया) के सुपरस्टारों ने दर्शकों को रोमांचित करने के लिए लोकप्रिय धुने बजाई जाती है।
दुर्गा पूजा –
दुर्गा पूजा नॉर्मली ओडिशा का सबसे इंपोर्टेंट फेस्टिवल है। जाजपुर में भी दुर्गा पूजा के समय काफी रौनक रहती है ।
पर्यटन (Tourism) –
जाजपुर घूमने के लिए सितंबर से मार्च का महीना सबसे बेस्ट माना जाता है। अपने इंट्रस्ट के हिसाब से आप जाजपुर में 3डी/2एन या 2डी/1एन का प्लान बना सकते हैं। जाजपुर में क्या है स्पेशल? बिराजा मंदिर, एक शक्ति पीठ और उदयगिरि और रत्नागिरि में बौद्ध मठों के खंडहर जाजपुर में घूमने के लिए फेमस प्लेस हैं। जाजपुर ओडिशा का टॉप सीक्रेट है।
क्या आप जानते हैं? (Do you know) – ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध के पहले शिष्य, तपसु (Tapsu) और भल्लिका (Bhallika), आधुनिक शहर जाजपुर से थे।
जाजपुर कैसे पहुंचे? (How to reach Jajpur?) –
1.हवाई मार्ग से (By Plane) – बीजू (IATA: BBI, ICAO: VEBS) एक घरेलू हवाई अड्डा और अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा जाजपुर का निकटतम हवाई अड्डा है। भुवनेश्वर से जाजपुर की दूरी 102 किमी है, 2 घंटे है। 2. ट्रेन से (By Train) – जाजपुर क्योंझर रोड रेलवे स्टेशन (Jajpur Keonjhar Road Railway Station) (स्टेशन कोड – जेजेकेआर JJKR) सभी प्रमुख भारतीय शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यह भारतीय राज्य ओडिशा के जाजपुर जिले और कलिंगनगर में कार्य करता है। 3. हाईवे से (By Highway) – जाजपुर ओडिशा भारत के अन्य प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
जाजपुर में कहाँ ठहरें? (Where to stay in Jajpur?) जाजपुर में काफी सारे होटल हैं जो बजट में है।
हम सभी को गर्मियों की छुट्टियों का बेसब्री से इंतजार रहता है। लेकिन हम अक्सर गर्मियों में घूमने के प्लान बनाने में काफी ट्रबल फेस करते हैं। हम अक्सर ऐसी जगह की तलाश करते हैं जहां हमें थोड़ी ठंडक मिली और जो एडवेंचर के लिए परफेक्ट हो। ऐसे में आप कैंपिंग प्लान कर सकते हैं जहां आप अपने बच्चों दोस्तों या फैमिली के साथ अपना बर्थडे इंजॉय कर सकते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि गर्मियों में दिल्ली के पास कौन सी बेस्ट जगह है जो कैंपिंग के लिए एकदम परफेक्ट है।
1. दमदमा लेक कैंप (Damdama Lake Camp): यह जगह गर्मी से बचने और तनाव मुक्त रहने के लिए एकदम सही है आप यहां कि ग्रामीण जीवन का अनुभव करने के साथ, अरावली घाटी की सुंदरता का भी लुत्फ उठा सकते हैं। यहां आप रॉक क्लाइंबिंग (Rock climbing) ,रैटलिंग (Rattling), बोटिंग (Boating), कमांडो नेट (Commando net), बैलेंस वॉक (Balance walk) और स्पाइडर नेट (Spider net) के साथ ही पैदल यात्रा जैसी चिली एक्टिविटी (chili activity) का मजा ले सकते हैं इसके अलावा और भी कई एक्साइटिंग एक्टिविटी है जैसे कि फ्लाइंग फॉक्स (Flying fox) ,जोर विंग पेंटबॉल इन (Jor Wing Paintball Inn) और ईटीवी सवारी (ETV ride) शामिल है जो कि काफी इंटरेस्टिंग (Interesting) है।
2. मसूरी की माउंटेन कैंपिंग (Mussoorie’s Mountain Camping): वीकली होलीडेज (weekly holidays) के लिए दिल्ली के करीब नियर फेमस जगह काफी बढ़िया है, जिसे क्विन ऑफ हिल्स (Queen of hills) के नाम से जाना जाता है। दे दारू के घने जंगलों के बीच बस यह जगह बेहद सुंदर है। यहां मौसम भी काफी ठंडा और सुहावना रहता है। यहां आप ट्रैकिंग वैली क्रॉसिंग और राफ्टिंग भी कर सकते हैं। यहां टिहरी बांध को एक्सप्लोर (Explore )सकते हैं साथ ही सुरकंडा देवी मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। यहां की ठंडी हवा और अद्भुत नजारे आंखों को बांध लेंगे। यकीनन आपको यहां से वापस लौटने का ही मन नहीं करेगा।
3. ऋषिकेश (Rishikesh): पवित्रता का अलौकिक स्वरूप ऋषिकेश गंगा घाटी के तट पर स्थित है, और कैंपिंग के लिहाज से काफी एक्साइटेड प्लेस (Excited place) है। यहां के रेतीले तट को कवर करते हुए जंगल के बीच संसद काफी सुंदर दिखता है। यहां आप गंगा की तेज लहरों का आनंद लेते हुए राफ्टिंग (Rafting) और कयाकिंग कर सकते हैं। साथ ही आप चाहिए तो अपने दोस्तों के साथ रात में तारों की भी चांदनी रात को निहार सकते हैं। जो कि सालों बाद भी आपको याद आएंगी।
4.कैंप ट्विंकलिंग (Camp Twinkling): दिल्ली से कुछ ही घंटे की दूरी पर, गुड़गांव के इस कैंप में जरूर आइए। जहां आप रॉक क्लाइंबिंग (Rock climbing), ट्रेकिंग (Tracking) भी कर सकते हैं। कैंपिंग करने के लिए यह बेस्ट प्लेस है। यहां सभी उम्र के लोगों को ध्यान में रखकर कई एक्टिविटी (Activity) बनाई गई है। यानी आप यहां अपने घर के छोटे से लेकर बड़े सभी लोगों को ले आ सकते हैं। यह जगह फैमिली टाइम के लिए बिल्कुल सही है और दिल्ली से मात्र 60 किमी की दूरी पर है।
5. कैंप मशीन (सोहना रोड) (Camp Machine Sohna road): दिल्ली की जगह नेचर शिकर के लिए एकदम परफेक्ट है। अगर आपको शांति पसंद है और आप नेचर के क्लोज (Close) जाना चाहते हैं। अरावली पहाड़ियों और खेतों से घिरी यह जगह आपके लिए है। यहां आप गेट टुगेदर (Get Together), फैमिली टाइम (Family Time)और दोस्तों के साथ टाइम स्पेंड (Time Spend) करने के लिए आ सकते हैं। यहां आप रॉक क्लाइंबिंग (Rock Climbing), साइकलींग (Cycling)और टेंट लगाकर अपने दोस्तों के साथ आउटडोर गेम (Out Door) भी खेल सकते हैं।
कहते हैं किसी जगह के खानपान को देख कर वहां की संस्कृति के बारे में बताया जा सकता है और खानपान समाज का आईना होते हैं। खाने में डाले जाने वाले मसाले भी किसी जगह के बारे में बहुत कुछ बयां कर देते हैं। जैसे कश्मीर के मुख्य व्यंजनों में केसर का मेहक होना तय है, वैसे ही साउथ इंडियन खानों में नारियल और केले के पत्ते का होना अनिवार्य है। भारत विविधताओं (diversity) का देश है और इसके हर भाग में अलग-अलग तरह की संस्कृति, रहन सहन और खानपान देखने को मिल जाते हैं। खानपान और संस्कृतियों के विविधताओं के बीच एक दिल्ली एक ऐसा शहर है, जहां हर संस्कृति का संगम हो जाता है। आपको इस शहर की हर गली में हर तरह के भारतीय पकवानों के दुकान और रेस्टोरेंट मिल जाएंगे।
इस ब्लॉग हम आपको बताने जा रहे हैं दिल्ली स्थित कुछ ऐसे रेस्टोरेंट्स के बारे में जहां आप प्रॉपर साउथ इंडियन डिशेज (proper south Indian dishes) का आनंद उठा सकते हैं। यहां आकर आपको ऐसा लगेगा कि आप केरल या फिर तमिलनाडु में बैठकर खाना खा रहे हैं।
दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित नैवेद्यम रेस्टोरेंट अपने साउथ इंडियन अंदाज़ के लिए काफी फेमस है। इसकी प्रसिद्धि का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि दिल्ली एनसीआर में इसके 10 ब्रांचेस है। कनॉट प्लेस स्थित इस रेस्टोरेंट के भीतर आते हीं आपको प्रॉपर साउथ इंडियन वाइब्स आने लगेंगे। यहां आते ही सबसे पहले आपको छोटे से गिलास में छाछ सर्व किया जाएगा जिसकी ठंडी तासीर आप को गर्मी से तुरंत रिलीफ दिला देगी। यहां के मेन्यू कार्ड में बहुत सारी साउथ इंडियन डिशेज की वैरायटी उपलब्ध है। आपको यहां हर तरह के साउथ इंडियन डिश खाने को मिल जाएंगे।
यहां आपका ऑर्डर केले के पत्ते में परोस कर लाया जाता है। इसके साथ ही यहां काम करने वाले सभी स्टाफ प्रॉपर साउथ इंडियन गेट-अप (South Indian get up) में होते हैं। जिसे देखकर आपको बिल्कुल भी ऐसा नहीं लगेगा कि आप दिल्ली में हैं।
यहां के मैन्यू कार्ड में आपको 15 से भी ज्यादा टाइप के डोसा, इडली, वडा और उत्तपम देखने को मिल जाएंगे। अगर आप खाने के बाद डेजर्ट खाना पसंद करते हैं तो आपको डेजर्ट के ऑप्शन भी यहां मिल जाएंगे। खाने के बाद दिया जाने वाला सौंफ और मिश्री सोने पर सुहागा का काम करता है। यह रेस्टोरेंट दिल्ली के कनॉट प्लेस में रीगल बिल्डिंग के पास स्थित है।
ग्रेटर कैलाश स्थित यह पद्मनाभम रेस्टोरेंट अपने साउथ इंडियन टेक्सचर (South Indian texture) के लिए पूरे दिल्ली में काफी मशहूर है। इस रेस्टोरेंट का खाना ही नहीं बल्कि यहां की इंटीरियर भी वाकई लाजवाब है।
आप जब रेस्टोरेंट के अंदर एंटर करते हैं तो आपको चारों ओर वॉल पर लगाई गई पेंटिंग्स और रेस्टोरेंट के एक कोने में बनाए गए छोटे से मंदिर में रखी गई बालाजी की मूर्ति को देख कर भारतीय संस्कृति की संपन्नता का अद्भुत झलक देखने को मिलेगा। अगर बात करें यहां के मैन्यू की तो यहां के मैन्यू वीक में दिनों के हिसाब से चेंज होती रहती है। या यूं कहें की यहां के मैन्यू कार्ड दिन-ब-दिन बदलते रहते हैं। इस रेस्टोरेंट में चार दक्षिण भारतीय राज्य केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के पारंपरिक भजनों को परोसा जाता है। यहां सप्ताह में दिन के हिसाब से किसी एक राज्य पर फोकस किया जाता है। इस रेस्टोरेंट की एक और खास बात यह है कि यहां के डिशेज में स्पेशल साउथ इंडिया से मंगाए गए मसाले डाले जाते हैं, जो यहां के खाने का स्वाद और निखार देते हैं। यहीं वजह है कि आपको हर बाइट (Bite) में स्पेशल साउथ इंडियन जायके का अनुभव होगा।
अपने अनोखे साउथ इंडियन स्वाद के लिए मशहूर पदमनाभम खाने के शौकीन लोगों के आकर्षण का केंद्र है। यहीं वजह है कि यहां वीकेंड्स (weekend) में आपको पहले ही बुकिंग करवा कर रखना होगा। हो सकता है कि वीकडेज (weekdays) में भी आपको यहां लंच करने के लिए इंतजार करना पड़े।
यह रेस्टोरेंट दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में स्थित है। आप दिल्ली के किसी भी कोने से यहां पहुंच सकते हैं। बात करें इस रेस्टोरेंट्स के बारे में तो यह सिर्फ खाने की डिश के लिए हीं मशहूर नहीं है बल्कि यहां की प्रेजेंटेशन भी लाजवाब है। रेस्टोरेंट में इंटर करते ही आपका अतिथि सत्कार किया जाता है और आपको टीका लगाया जाता है। जिसमें अतिथि देवो भवः की झलक देखने को मिलती है। इस तरह का अतिथि सत्कार भारतीय संस्कृति की संपन्नता को दर्शाता है। एंट्री के पास हीं आपको साउथ इंडियन स्नैक्स (South Indian snacks) मिल जाएंगे, जिन्हें आप अपनी इच्छा अनुसार खरीद सकते हैं। इस रेस्टोरेंट में बैठने की व्यवस्था फर्स्ट और सेकंड फ्लोर पर की गई है। अगर आप वीकेंड में आते हैं तो आपको यहां अपनी बारी के लिए इंतजार करना पड़ेगा। हो सकता है, इंतजार एक घंटे का भी हो जाए। वहीं वीकडेज में भी कभी-कभार आपको रश देखने को मिल सकता है। ऐसे में आप पहले से ही अतिरिक्त समय लेकर आए।
अगर बात किया जाए यहां के इंटीरियर की तो यहां के हर एक कोने कोने से आपको भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। इस रेस्टोरेंट की बनावट कुछ ऐसी है कि यहां आप खाना खाते हुए बाहर के ग्रीनरी व्यू का भी मजा ले सकते हैं। अगर यहां के खाने की बात की जाए तो यहां बैठने के साथ ही आपको और पापड़ और रसम सर्व किए जाएंगे। जिसका स्वाद आपकी भूख को और जगाने का काम करेगा। यहां के मैन्यू में आपको हर तरह के साउथ इंडियन फूड जैसे इडली, डोसा, मेदू वडा, अप्पम और उत्तपम आदि मिल जाएंगे।
दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित यह रेस्टोरेंट सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर भी अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। इसकी प्रसिद्धि के बारे में जितना कहा जाए उतना कम है। अगर आप यहां आते हैं तो यहां आपको टाइम मार्जिन लेकर चलना होगा। क्योंकि हो सकता है आपको अपनी बारी के लिए घंटे भर तक वेट करना हो। यह एक प्रॉपर साउथ इंडियन रेस्टोरेंट है। जिसके 33 ब्रांच इन इंडिया में और 78 ब्रांच इंडिया से बाहर हैं। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि, यह कितना पॉपुलर है। जनपथ मेट्रो स्टेशन (Janpath Metro Station) से वॉकिंग डिस्टेंस (walking distance) पर स्थित यह रेस्टोरेंट लोगों के बीच अपने साउथ इंडियन जायके के लिए जाना जाता है। अगर बात करें यहां के खाने की तो अगर आप डोसा खाना पसंद करते हैं तो यह रेस्टोरेंट आपके लिए सबसे बेस्ट ऑप्शन हो सकता है। यहां डोसा की इतनी वैरायटी है कि, यहां के मेन्यू कार्ड को देखकर आप खुद सोच में पड़ जाएंगे कि कौन सा डोसा खाया जाए।
अगर साउथ इंडियन रेस्टोरेंट्स की बात की जाए तो वहां की कॉफी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। साउथ इंडियन रेस्टोरेंट्स में फिल्टर कॉफी (filter coffee) एक रिवाज की तरह है जिसे पीना, खाने के बाद अनिवार्य माना जाता है। यहां आपको हर तरह के साउथ इंडियन डिशेज खाने को मिल जाएंगे। अगर बात करें यहां के खाने के स्वाद की तो यकीनन यहां खाना खाने के बाद आप उंगली चाटने पर मजबूर हो जाएंगे। यहां खाने के लिए आपको वेटिंग लाइन में लगना पड़ेगा। खासकर वीकेंड पर यहां काफी रश होता है।
भीमेश्वरा रेस्टोरेंट दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित साउथ इंडियन रेस्टोरेंट है। आप जैसे हीं इस रेस्टोरेंट में एंट्री (entry) लोगे यहां की इंटीरियर और यहां के दीवारों पर लगी हुई महाभारत तथा रामायण की पेंटिंग आपको एकदम रिच कल्चरल वाइब्स (Rich cultural wives) देंगी। रेस्टोरेंट एक टिपिकल साउथ इंडियन रेस्टोरेंट है, जो साउथ इंडियन खाने की शौकीन लोगों को अक्सर अपनी ओर आकर्षित करता है। अगर इसके नाम की बात की जाए तो इस रेस्टोरेंट का नाम महाभारत के भीम के नाम पर रखा गया है। जिनके बारे में कहा जाता है कि वह भी खाने के शौकीन थे। भीमेश्वरा फूड लवर्स के लिए एक परफेक्ट प्लेस है। जहां आपको हर तरह के साउथ इंडियन डिशेज खाने को मिल जाएंगे। यहां की स्पेशलिटी है भीमेश्वरा वेज थाली (Bheemeshwara Veg Thali)। जिसकी प्राइस 299 रुपए है और एक ही थाली में आपको कई तरह की डिशेस मिल जाएंगी। भीमेश्वरा वेज थाली टिपिकल आंध्र प्रदेश सेंटरर्ड थाली होती है जिसका स्वाद आपको आंध्र प्रदेश लेकर चला जाएगा।
अगर आप भी साउथ इंडियन खाना पसंद करते हैं और दिल्ली में रहते हैं तो इन रेस्टोरेंट्स का रुख जरूर कीजिएगा। इनमें से कुछ रेस्टोरेंट्स ऐसे भी हैं जिनके ब्रांच दिल्ली के बाहर भी हैं। आप उनके अपने शहर वाले ब्रांच में जाकर अपना खाना खा सकते हैं। उम्मीद है इस ब्लॉग में दी गई जानकारियों से आपको मदद मिली होगी।
हां, बेशक ही आपने दिल्ली हाट के बारे में तो सुना ही होगा, पर क्या आपको पता है दिल्ली में “तीन” हाट हैं। दिल्ली हाट सुनते ही सबके दिमाग में आने लगता है दिल्ली का सबसे लोकप्रिय हाट आई.एन.ए, पर इसके अलावा भी दिल्ली में दो हाट और मौजूद हैं, जनकपुरी और पीतमपुरा। आज के इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे क्यों मशहूर हैं दिल्ली हाट और क्या है इसमें ख़ास।
सबसे पहले बात करते हैं दिल्ली के सबसे मशहूर और लोकप्रिय हाट आई.एन.ए की।
दिल्ली हाट आई.एन.ए
तीनों हाटों में सबसे लोकप्रिय है आई.एन.ए, जहां आपको भारत की अलग-अलग कलाकृतियों की शानदार झलक देखने को मिलेगी। यहां पर आपको चंद मिनटों में पूरे भारत के दर्शन करने को मिलने वाले हैं इसके अलावा यहां पर भारत के विभिन्न क्षेत्रों की कलाओं से बने हैंडमेड आइटम्स को प्रदर्शित करती दुकानें भी मिल जाएंगी। शॉपिंग आइटम्स की बात करें तो फुलकारी दुपट्टा, कश्मीरी शॉल्स, होम डेकॉर आइटम्स, जूलरी, जूत्ती और भी लगभग सभी दुकानें, काफी वैरायटी में यहां आपको आसानी से मिल जाएंगी। इसके अलावा आपको बता दें कि आई.एन.ए मार्किट अलग-अलग फ़ूड वेरायटीज के लिए भी काफी मशहूर है।
दिल्ली हाट में मिलने वाला स्वादिष्ट खान-पान ‘दिल्ली हाट’ को ख़ास बनाता है। भारत के कोने -कोने से स्वाद का पिटारा लिए व्यंजनों की दुकानें यहाँ लगी हुई हैं। पंजाब के ‘मक्के दी रोटी सरसों दा साग’ हो, बंगाल के ‘माछेर-झोल’ और दक्षिण भारत के ‘इडली डोसा’ हो या फिर बिहार के मशहूर लिट्टी-चोखा यहाँ सब कुछ अलग-अलग संस्कृतियों के स्वाद के साथ मौजूद है।
आई.एन.ए मार्किट में समय-समय पर काफी प्रोग्राम्स डांस और म्यूजिक जैसे कार्यक्रम भी लगे रहते हैं।
आई.एन.ए में एडल्ट्स के लिए एंट्री टिकट 30 रुपए, और बच्चों की टिकट 20 रुपए है। इसके अलावा टाइमिंग की बात करें तो सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक हफ्ते में सातों दिन यह मार्केट खुली रहती है।
नियरेस्ट मेट्रो स्टेशन (यल्लो लाइन) दिल्ली हाट आई.एन.ए है।
दिल्ली हाट -जनकपुरी
अगर आप दिल्ली हाट बाजार को एक्स्प्लोर करने जा रहे हैं, तो यहां पर आप हैंडमेड क्राफ्ट्स, कपडे, होमडेकोर आइटम्स और स्वादिष्ट खाने का अनुभव ले सकते हैं, पर दिल्ली हाट जनकपुरी अब समय के साथ इसके बिलकुल विपरीत हो चुका है। ये पहले जितना मशहूर था अब उतना ही खाली पड़ा है, अब ना तो यहां पहले जितनी दुकानें हैं और ना ही खान-पान की वैराइटी, तो लाज़िम है ज्यादा भीड़ की कोई गुंजाइश ही नहीं। आप जब भी यहां आएं तो ज़हन में यह रखकर आएं कि आपको यहां आकर खाने-पीने और शॉपिंग करने के ज्यादा अलटरनेट नहीं मिलेंगे।
एंट्री फीस : यहां 20 रुप्पे एडल्ट्स के लिए और 10 रुप्पे बच्चों के लिए है।
नेअरेस्ट मेट्रो स्टेशन : जनकपुरी वेस्ट।
दिल्ली हाट- पीतमपुरा
दिल्ली हाट पीतमपुरा, नेताजी सुभाष प्लेस में स्थित है जब यहां कोई इवेंट्स होते हैं तो दिल्ली हाट में आपको सौ से भी ज्यादा क्राफ्ट स्टाल्स लगे दिखाई देंगे जहां आपको हैंडमेड और हैंडलूम आइटम्स आदि मिल जाएंगे और आपकी जानकारी के लिए बता दें की समय-समय पर यहां इवेंट्स भी होते रहते हैं। इसके अलावा यहां आपको ज्यादा भीड़ देखने को नहीं मिलेगी।
यहां भी एंट्री टिकट और टाइम और हाटों के जैसे ही हैं।
लेकिन यहाँ ध्यान देने की बात है कि रोजाना बेसिस में सिर्फ दिल्ली हाट आई.एन.ए में ही आपको दिल्ली हाट की खूबसूरती दिखाई पड़ेगी। क्योंकि यहाँ पर आपको बारह महीनों रौनक दिखाई देगी।
उत्तराखंड – नाम सुनते ही पहाड़ों की छवि मन में आना तो लाज़िमी ही है और फिर वो गाना भी तो गुनगुनाना है……
बताया गया है पुराणों में, यहीं से जाती है स्वर्ग की सीढी, रातों को गुज़रो तुम डांडो से डर लगता, भूत न मांग ले बीड़ी।। उत्तराखंड में पहाड़, वादियां, झरनें, ठण्ड और मौसम इन सब के बारे में तो आपने बेशक सुना ही होगा। पर , क्या आप जानते है उत्तराखंड के फेमस फ़ूड क्या हैं, आग में बनी भट्ट की चढ़कानी क्या है, शहर से दूर जाने पर माँ के हाथों से बनें सेल क्या हैं।और अगर आप उत्तराखंड से हैं तो इन्हें खाये बिना तो बेशक ही आपका कोई त्यौहार, त्यौहार सा नहीं लगता होगा। तो चलिए आज हम आपको पहाड़ों के खान-पान से रूबरू करवाते हैं, जहाँ बुजुर्गों के आशीर्वाद के बिना कुछ काम शुरू नहीं होता और इन पकवानों के बिना त्यौहार खत्म नहीं होता। (Famous Food of Uttarakhand)
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भटिया(Bhatia)
अगर आप उत्तराखंड से नहीं है तो “भट्ट” क्या होता है इससे आप बिल्कुल ही अनजान होंगे। भट्ट की खेती उत्तराखंड के कुमाऊँ रीजन में जेठ और आषाढ़ के महीने में की जाती है। भट्ट को एक तरह से दाल कहना गलत नहीं होगा क्योंकि इसे कुमाऊँ के लोग ज्यादातर चावल के साथ खाना पसंद करते हैं। ये ना सिर्फ एक दाल बल्कि सेहत के लिए काफी फायदेमंद भी है काले भट्ट में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है और इस दाल से कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मदद मिलती है। इसे बहुत ही आसानी से और दालों की तरह बनाया जाता है और फिर आग में नानी या दादी के हाथों से बनी भटिया तो हर पहाड़ी का एनेर्जी बूस्टर है। भटिया बनाने की एकदम सिंपल सी रेसिपी है जिसमें भट्ट को पीस के उसे पानी में पकाया जाता है। पर वो कहते हैं ना चूल्हे में बनी सिंपल दाल का मुकाबला तो शहर की दाल-मखनी क्या ही कर पायेगी। (Famous food of Uttarakhand)
बड़ी की सब्ज़ी (badi ki sabji)
अब आप सोच रहे होंगे कि बड़ी की सब्ज़ी में भी क्या स्पेशल है, बाजार से न्यूट्रीला का पैकेट लेकर हम भी बना लेते हैं, फिर उत्तराखंड में ये स्पेशल कैसे। पर नहीं ये बड़ी न्यूट्रीला के पैकेट वाली बड़ी नहीं है, उत्तराखंड में स्पेशल बड़ी उड़द की दाल से बनाई जाती है। उड़द की दाल को पीस कर उसमें मसाले डालकर उसे बड़ी के शेप में बनाया जाता है, और फिर धूप में सूखाने के लिए रख दिया जाता है और फिर सूखने के बाद फ्राई करके तैयार हो जाती है मसाला बड़ी। इसके स्वाद और क्रंच का अंदाज़ा अब आप बिना खाए भी लगा चुके होंगे। हाँ, सच में ये बेहद लाजवाब होती है।(famous food of Uttarakhand)
सेल
सेल एक ऐसा पकवान है जिसके बिना कुमाऊँ के तो सारे त्यौहार अधुरे हैं। भाई दूज, मकर सक्रान्त, राखी, सभी तैयारों में सेल पकाने की परंपरा कई पुश्तों से चली आ रही है। खासकर ठंड के मौसम में, चूल्हे में, बड़ी सी कढ़ाई में, जलेबी की तरह बनाये गए सेल एक अलग ही माहोल बना देते हैं। सेल चावल के आटे से बनाया जाता है। जिसमें केला और दौन के साथ पानी डालकर घोल बनाया जाता है और एकदम जलेबी की तरह कढ़ाई में गोल-गोल जलेबी का आकर दिया जाता है। और एक बात बता दू कि पहाड़ों में अगर एक घर में सेल बन रहें हो तो बाकि का आधा मोहल्ला भी वहीं गप्पें मारते दिखाई पड़ता है। क्योंकि सेल कहें तो त्यौहार और त्यौहार भला कौन अकेले मनाता है।
जौला
उत्तराखंड में आपको न केवल सिर्फ स्वादिष्ट व्यंजन मिलेंगे बल्कि यहाँ के कुछ पकवान स्वास्थ्यवर्धक है, और जौला भी उनमें से एक है। क्योंकि यह खाने में हल्का है। उत्तराखंड में छोटे-छोटे बच्चे तो जौला इतना पसंद करते हैं कि वह सिर्फ बीमारी में ही नहीं बल्कि महीने में एक बार तो जौला खाने की परंपरा का निर्वाह करते है। इसे बनाने का तरीका भी एकदम सरल है, काले भट्ट को पीस कर मसालों में चावल के साथ उबाल दिया जाता है। जौला खासकर बच्चों का पसंदीदा व्यंजन माना जाता है।
डुब्का
दुबका सर्दियों में बनाए जाने वाला व्यंजन है और आमतौर पर सर्दियों में ही खाया जाता है। दुबका प्रोटीन का एक पावरहाउस है और कुछ ही समय में तैयार करने के लिए एक आसान रेसिपी है। आमतौर मूंग दाल डुब्का रेसिपी को उबले हुए चावल और कलौंजी गोभी आलू के साथ दोपहर के खाने में बनाया जाता है।
तो आप उत्तराखंड के इन परंपरागत और फेमस फ़ूड के बारे में तो जान ही गए पर चूल्हे के खाने का स्वाद लेने समय निकाल कर जरूर आएं इन पहाड़ों में। (Famous food of Uttarakhand)