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किसी का भी दिल चुरा सकते हैं हिमालयन रेंज के ये खूबसूरत ट्रेक

यह ट्रेक नेपाल का सबसे प्रसिद्ध और खूबसूरत ट्रेक है, जो दुनिया के सबसे ऊँचे पहाड़, माउंट एवरेस्ट के नजदीक स्थित है। यह ट्रेक एडवेंचरर्स और पहाड़ प्रेमियों के लिए एक सपनों का सफर है, जिसमें उन्हें हिमालयन रेंज की अद्भुद प्राकृतिक माहौल को एक्सपीरियंस करने का अवसर मिलता है। इस ट्रेक की शुरुआत काठमांडू (नेपाल की राजधानी), से होती है। यहाँ से, ट्रेकिंग ग्रुप्स लुकला या फापलू हवाई अड्डे तक उड़ान भर कर जाते हैं, जो ट्रेक का प्रारंभिक बिंदु होता है।
इस खूबसूरत से सफर के दौरान, यात्री लुकला या फापलू से नाम्चे बाजार, खुमजुंग, तेंगबोचे, डिंगबोचे, लोबुचे, गोरक शेप तक पहुंचते हैं, और अंत में एवरेस्ट बेस कैम्प तक जाते हैं। यह ट्रेक लगभग 12-14 दिनों तक का होता है, जिसमें दुर्लभ दृश्यों को देखने का अवसर होता है। आप इस ट्रेक में ढेर सारे अनएक्सपेक्टेड व्यूज को एक्सपीरियंस करने वाले हैं। जैसे कि नाम्चे बाजार का विशेष सौंदर्य, तेंगबोचे मोनास्ट्री का शांत वातावरण, एवरेस्ट, ल्होत्से, नुप्से, अमा डब्लम, र अन्नपूर्ण हिमालय पर्वत श्रेणियों का दर्शन। यह ट्रेक देखने में जितना खूबसूरत है उतना ही मुश्किल भी है। EBC ट्रेक की एक प्रमुख चुनौती है उसकी ऊँचाई। इस ट्रेक पर आप नेपाली शेर्पा समुदाय की संस्कृति और परंपराओं को अच्छे से एक्स्प्लोर है। यात्री नाम्चे बाजार और अन्य गांवों में स्थित गोम्पास और ध्यान केंद्रों को भी देखते हैं। एवरेस्ट बेस कैम्प पहुंचने पर यात्रियों को जो एक्सपीरियंस होता है उसको जो शब्दों में बयां करना मुश्किल है। यह एक ऊँचा पहाड़ों का मैदान है, जहाँ से एवरेस्ट की शिखर दर्शन करने का अवसर मिलता है और माउंट एवरेस्ट के समीप जाकर उसकी प्रतिष्ठा को महसूस किया जा सकता है। एवरेस्ट बेस कैम्प ट्रेक, अनुभवों का खजाना है, अगर आपने इसे एक्सपीरियंस कर लिया तो यह आपको को जिंदगी भर याद रहेगा

यह नेपाल का एक लोकप्रिय और रोमांचक ट्रेक है, जो अन्नपूर्णा हिमालय की प्राचीन श्रृंगारी और उसके चारों ओर घूमता है। यह ट्रेक एडवेंचरर्स के लिए एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है, जिसमें प्राकृतिक सौंदर्य, स्थलीय संस्कृति, और चुनौतियों से भरी यात्रा होती है। यह ट्रेक आमतौर पर लगभग 15-20 दिनों का होता है और यह ट्रेक जगह-जगह से शुरू हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर बेसिस भुलभुलैया या जगताप गाँव से शुरू होता है और फिर अन्नपूर्णा रेंज के चारों ओर घूमता है, जिसमें मुख्य गाँवों में मुक्तिनाथ, मानांग, तिलिचो, चम्जोंग, और पोखरा शामिल हैं। यह ट्रेक नेपाल की सबसे बड़ी हिमालयी श्रृंखलाओं के चारों ओर से गुजरता है और यात्रियों को अनेक प्राकृतिक दृश्यों का अनुभव कराता है, जैसे कि हिमनद झरने, श्वेता नदी के तट, उच्च पर्वतीय झीलें, और खेत। यह ट्रेक स्थानीय गाँवों में रहने और उनकी संस्कृति को जानने का अवसर प्रदान करता है। यात्री यहाँ पर नेपाली शेर्पा, मागर, रा लिम्बू समुदायों के साथ अन्य स्थानीय लोगों से मिल सकते हैं। यह ट्रेक ऊँचाइयों, पर्वतीय मौसम की अनियमितता, और दूसरी परिस्थितियों की चुनौतियों से भरा होता है, जिसमें विशेषकर ठंड, ऊँचे धारों के पार जाना, और खासकर अन्नपूर्णा पास से गुजरना शामिल है। अन्नपूर्णा सर्किट ट्रेक एक अनुभवों भरा सफर है जो यात्रियों को नेपाल के हिमालय का सच्चा अनुभव करने का अवसर देता है।

लांगतांग घाटी ट्रेक नेपाल का एक प्रमुख और प्रिय ट्रेक है जो हिमालय के दर्शनीय सुंदर पर्वत श्रेणी में स्थित है। यह ट्रेक हिमालय के समीप स्थित लांगतांग घाटी के मध्य से गुजरता है और यात्रियों को प्राकृतिक सौंदर्य, स्थानीय संस्कृति और एक शांतिपूर्ण वातावरण का अनुभव कराता है। लांगतांग घाटी ट्रेक नेपाल के लांगतांग राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है। ट्रेक की शुरुआत सिरोंग, धुनचे, और श्याब्रु बाजार से होती है और फिर यात्रा लांगतांग घाटी के माध्यम से गुजरती है, जिसमें बीउ, लांगटांग, और क्यांजीनजुंगा घाटी शामिल हैं। यह ट्रेक यात्रियों को हिमालय के अद्भुत पहाड़ियों के बीच से गुजरता है, जिनमें सफेद गंधर्व, श्रीकन्थ, गंधर्वधर, और लांगटांग हिमश्रृंग देखने को हैं। इसके अलावा, यहाँ स्थानीय वन्य जीवन का भी अनुभव किया जा सकता है। यहाँ यात्री स्थानीय गांवों में रुक सकते हैं और उनके साथ रहकर उनके दिनचर्या में शामिल हो सकते हैं। ट्रेक के दौरान यात्री स्थाई ऊँचाई, ठंड, और अनुयायियों के साथ मिलजुलकर चुनौतियों का सामना करते हैं। स्थानीय मौसम के अनियमित परिवर्तन भी यात्रियों के लिए एक परिचित चुनौती हो सकते हैं। लांगतांग घाटी ट्रेक एक शांतिपूर्ण और रोमांचक यात्रा है जो हिमालय के असीमित सौंदर्य और स्थानीय संस्कृति को एक्सप्लोर करने का अवसर देती है।

रूपकुंड ट्रेक उत्तराखंड, भारत में स्थित है और यह एक प्रसिद्ध और आकर्षक पर्वतीय ट्रेक है जो यात्रियों को रूपकुंड झील तक ले जाता है। यह ट्रेक रोमांचक और मनोरम दृश्यों के साथ पूरी तरह से भरा हुआ है। रूपकुंड ट्रेक उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। ट्रेक की शुरुआत मुंडली गाँव से होती है और फिर यात्रा रूपकुंड झील तक जाती है, जो एक प्राकृतिक झील है जिसका पानी शानदार नीला होता है। ये जगह आपको बिलकुल किसी जन्नत जैसी लगेगी। यह ट्रेक यात्रियों को हिमालय के सुंदर दृश्यों का अनुभव कराता है, जिनमें सुन्दर प्राकृतिक प्रदर्शनी, वन्य जीवन, और उच्च पर्वतीय गाँवों का आनंद लेना शामिल है।
ट्रेक के दौरान यात्री स्थानीय गाँवों के अत्यधिक आकर्षक स्थलों को देख सकते हैं और स्थानीय लोगों की संस्कृति को समझ सकते हैं। ट्रेक के दौरान, यात्री ऊँचाइयों, ठंड, और खुद की जरूरतों के लिए सामग्री के साथ मुसीबतों का सामना करते हैं। स्थानीय मौसम के अनियमित परिवर्तन भी यात्रियों के लिए एक चुनौती हो सकते हैं। रूपकुंड ट्रेक एक शांतिपूर्ण और प्राकृतिक ट्रेक है जो यात्रियों को खुद को डिस्कवर करने का देता है।

कंचनजंघा बेस कैम्प ट्रेक एक प्रसिद्ध और उत्कृष्ट पर्वतीय ट्रेक है जो सिक्किम, भारत में स्थित है। यह ट्रेक पूरे विश्व में पर्वतारोहण के लिए लोकप्रिय है, जिसमें यात्री कंगचेंजंगा पर्वत के नजदीक बेस कैम्प तक पहुंचते हैं। कंचनजंघा बेस कैम्प ट्रेक की शुरुआत युक्सोम गाँव से होती है, जो सिक्किम के पश्चिमी हिस्से में स्थित है। ट्रेक के दौरान, यात्री भगिन्तग रेंज के पार कंगचेंजंगा बेस कैम्प तक पहुंचते हैं। यह ट्रेक यात्रियों को स्थानीय प्राकृतिक सौंदर्य, वन्य जीवन, और पर्वतीय दृश्यों का अनुभव कराता है। यात्री कंचनजंघा पर्वत के मनोरम दृश्य का आनंद लेते हैं। कंचनजंघा ट्रेक के दौरान, यात्री स्थानीय सिक्किमी और भूटिया संस्कृति का अनुभव कर सकते हैं। वे स्थानीय गांवों में रुक सकते हैं और स्थानीय लोगों के साथ संवाद कर सकते हैं। यह ट्रेक उच्चतम ऊँचाई में चलता है, और अक्सर मौसम की अनियमितता का सामना करना पड़ता है। यात्री को ऊँचाइयों के अनुकूल तैयार होना चाहिए। कंचनजंघा बेस कैम्प ट्रेक एक रोमांचक और अनुभव समृद्ध यात्रा है जो यात्रियों को प्राकृतिक सौंदर्य और पर्वतीय अनुभव का आनंद देता है।(Trecking Destinations of Himalayas)

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अद्भुत और रोमांचक है हिमाचल की नृत्यों की संस्कृति

हिमाचल के प्रमुख नृत्य:

जाची (Jachi Dance of Himachal Pradesh)
जाची नृत्य हिमाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों में प्रसिद्ध (Famous) एक लोकनृत्य है, जो लोगों के बीच आदिवासी संस्कृति का प्रतिनिधित्व (represents) करता है। यह नृत्य विभिन्न समाजिक और धार्मिक अवसरों पर प्रदर्शित किया जाता है और इसमें प्राचीन रूप, गायन, और नृत्य का मिश्रण होता है। जाची नृत्य को विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, मंडी, और शिमला जिलों में प्रस्तुत किया जाता है। हिमाचल प्रदेश में विवाह समारोहों में जाची नृत्य का प्रदर्शन एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसमें लोग आदिवासी परंपराओं को महसूस करते हैं और इसे अपनाते हैं। हर्षोत्सवों और त्योहारों में भी जाची नृत्य का प्रदर्शन किया जाता है। इसमें स्थानीय समुदाय (local community ) का सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का संदेश होता है। जाची नृत्य में अपनी अद्वितीय भावनाओं को व्यक्त करने की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कलाकारों की आंखों में जीवंतता और उत्साह देखने को मिलता है, जो नृत्य को और भी आकर्षक बनाता है। हिमाचल प्रदेश में विभिन्न धार्मिक उत्सवों में भी जाची नृत्य का महत्वपूर्ण स्थान होता है।

गढ़वाली (Garhwali Dance of Himachal Pradesh)
गढ़वाली नृत्य हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में प्रचलित है, जैसे कि कुल्लू और गढ़वाल क्षेत्र। इस नृत्य में गीत, संगीत, और नृत्य का समाहार होता है, जो स्थानीय समुदाय की भावनाओं और सांस्कृतिक पहचान को प्रकट करता है। गढ़वाली नृत्य का एक प्रमुख विशेषता उसके रंगीन और समृद्ध परिधान हैं। परिधानों का अनुसरण विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजनों में किया जाता है और इसे उत्सवी और रंगीन बनाने के लिए बड़ी धूमधाम के साथ विशेष ध्यान दिया जाता है। गढ़वाली नृत्य के साथ गायन और संगीत का अभिन्न हिस्सा है। स्थानीय लोगों द्वारा गाए जाने वाले गीत और लोकसंगीत के साथ, नृत्य कलाकारों को संगीत के साथ नृत्य करने का सौभाग्य मिलता है। गढ़वाली नृत्य में कलाकारों की भूमिका और व्यक्तित्व का बहुत महत्व है। नृत्य के माध्यम से, कलाकार अपने भावनाओं, भावों, और आदिवासी संस्कृति को समाहित करते हैं। गढ़वाली नृत्य में विभिन्न गतिविधियों और आवाजों का उपयोग किया जाता है, जो इसे अत्यंत विविध (Diverse) बनाता है। यह नृत्य विभिन्न प्रकार के भावों को उत्कृष्टता से प्रस्तुत करता है। गढ़वाली नृत्य का प्रदर्शन विवाह, त्योहार, समाजिक उत्सव, और अन्य सामाजिक अवसरों पर किया जाता है। इसमें समाज की भावनाओं का प्रतिबिम्ब होता है और सांस्कृतिक (cultural) एकता और समरसता (Unity) को बढ़ावा दिया जाता है।

छाम (Chham Dance of Himachal Pradesh)
छाम हिमाचली लोकनृत्यों की अद्वितीय पहचान है। इसमें लोग विविध रंगों और परंपरागत वस्त्रों में सजे होते हैं। यह नृत्य अक्सर धर्मिक और सामाजिक अवसरों पर प्रदर्शित किया जाता है और इसमें देवी-देवताओं के रूप में विभिन्न चित्रित चेहरे भी होते हैं। छाम के नृत्य में गीत, संगीत और नृत्य का संगम होता है जो इसे अद्वितीय बनाता है। छाम नृत्य के परिधान में विभिन्न रंगों का प्रयोग किया जाता है जो नृत्य को और भी आकर्षक बनाता है। नृत्य कलाकार आदिवासी परंपरागत वस्त्र पहनते हैं जो इस नृत्य की विशेषता हैं।
छाम नृत्य समुदाय के विभिन्न सामाजिक और धार्मिक अवसरों पर प्रदर्शित किया जाता है, जैसे कि धार्मिक उत्सव, विवाह, और अन्य समाजिक समारोह। यह समुदाय की सांस्कृतिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा है और उनकी आत्मविश्वास को मजबूत करता है। छाम नृत्य हिमाचल प्रदेश की विशेष सांस्कृतिक धरोहर (Cultural heritage) का प्रतिनिधित्व करता है और इसके माध्यम से लोग अपनी आदिवासी सांस्कृतिक पहचान को गर्व से महसूस करते हैं।

राखड़ौंडा (Rakhdaunda Dance of Himachal Pradesh)

यह नृत्य भारतीय सेना के सैनिकों की बलिदान को अभिव्यक्त करता है और इसे विशेष पर्वतीय अवसरों पर प्रस्तुत किया जाता है। राखड़ौंडा एक पारंपरिक लोक नृत्य है जो हिमाचल के वीर सैनिकों की शौर्य की कथाओं को याद करता है। इसमें सैनिकों के युद्ध की कथाओं को दर्शाते हुए गायन और नृत्य होता है। यह नृत्य प्राय: हिमाचल प्रदेश के स्वांगीय नृत्य के रूप में जाना जाता है, जो किसी खुशी के अवसर पर नृत्य किया जाता है। राखड़ौंडा नृत्य समाज में एकता, सामूहिकता, और सम्मान के संदेश को प्रोत्साहित करता है। यह नृत्य समाज के सदस्यों को साथ में लाता है और उन्हें एक संगठित और खुशहाल समुदाय के भागीदार बनाता है। राखड़ौंडा नृत्य हिमाचल प्रदेश की गहरी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा है, जो समुदाय के आत्मविश्वास और सामूहिक संबंधों को मजबूत करता है। इसके माध्यम से लोगों के बीच आनंद, उत्साह, और सामूहिक खुशियों का माहौल बनाए रखा जाता है। राखड़ौंडा नृत्य हिमाचल प्रदेश के अलावा पंजाब, उत्तराखंड और हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में भी प्रचलित है।

बिज्जू (Bijju Dance of Himachal Pradesh)
हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में लोकनृत्य (Folk dance) ‘बिज्जू’ का प्रचलन है। इस नृत्य में लोग अपने लोकगीतों के साथ गतिविधि करते हैं और अपनी संगीतिक परंपरा को प्रस्तुत करते हैं। बिज्जू का प्रदर्शन विवाह, त्योहार, या किसी अन्य सामाजिक अवसर पर किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य समाज में खुशहाली और समृद्धि का संदेश पहुँचाना होता है। यह नृत्य आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा है और इसके माध्यम से वे अपनी प्राचीनतम ट्रेडीशन्स (Traditions) को संजीवनी देते हैं। बिज्जू नृत्य का उद्भव हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में हुआ, जैसे कि चम्बा, कुल्लू, और किन्नौर। यह नृत्य विभिन्न प्राचीन कथाओं, लोक गाथाओं और धार्मिक अनुष्ठानों से प्रेरित होता है। बिज्जू नृत्य के परिधान आमतौर पर स्थानीय रंगीन और पारंपरिक वस्त्र होते हैं। ये परिधान कलाकारों को उत्साहित करते हैं और उन्हें अपने आदिवासी आभूषणों के साथ संगीत और नृत्य का आनंद लेने में मदद करते हैं। बिज्जू नृत्य हिमाचल प्रदेश की गहरी सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसके माध्यम से लोग अपनी प्राचीन और विशेष सांस्कृतिक भूमिका को बनाए रखते हैं। इसके द्वारा समुदाय की सामूहिकता और एकता को समझाया जाता है और लोग अपनी आदिवासी विरासत को मजबूत करते हैं।

जागर (Jagar Dance of Himachal Pradesh)

यह एक अन्य प्रसिद्ध नृत्य है जो हिमाचल में अत्यधिक लोकप्रिय है। इसमें ध्वनि, नृत्य, और नृत्यार्चना का एक अद्वितीय संगम होता है। जागर हिमाचल की जनपद साहित्य की एक प्रमुख धारा है, जो अपने ध्वनियों, नृत्य, और नृत्यार्चना के माध्यम से जाति, जाति, और सामाजिक समूहों के बीच एकता का सन्देश प्रस्तुत करता है। हिमाचल प्रदेश का जागर नृत्य एक प्रसिद्ध लोकनृत्य (Folk Dance) है जो सामाजिक और धार्मिक अवसरों पर प्रदर्शित किया जाता है। यह नृत्य प्राय: हिमाचल प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्रों में प्रस्तुत किया जाता है और लोगों को एक साथ मिलकर गाने और नृत्य का आनंद लेने का अवसर देता है। यह नृत्य अपने विशेष और उत्साही अभिनय (Exciting acting) के लिए प्रसिद्ध है। जागर नृत्य समाज में भक्ति, श्रद्धा, और सामूहिक ध्यान को प्रोत्साहित करता है। इसके माध्यम से लोग अपनी देवी-देवताओं की प्रति आदर और समर्पण का अभिवादन करते हैं।
जागर नृत्य हिमाचल प्रदेश की गहरी सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसके माध्यम से लोग अपने धार्मिक और सामाजिक विचारों को दिखाते हैं। इसके माध्यम से लोग अपनी परंपरागत संदेशों को समझते हैं और अपने सामूहिक भक्ति का अभिव्यक्ति करते हैं।

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बुरांश के फूल : फूल एक फायदे अनेक

बुरांश के फूल आमतौर पर फरवरी से मई के बीच खिलते (Blooms) हैं। इसका फूलना वर्ष के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकता है, लेकिन यह सामान्यतः बहार के मौसम में होता है। ये बुरांश के फूल इतने खूबसूरत होते हैं कि जब आप फरवरी से में के बीच पहाड़ी इलाके में जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश या कश्मीर आदि की सैर करेंगे तो आपको वहां के पहाड़ों पर लाल रंग के फूलों की चादर (Red Flower) देखने को मिलेंगे। जो पहाड़ों की खूबसूरती को और भी अधिक बढ़ा देते हैं। गोल और घुमावदार पहाड़ी रास्ते इन लाल फूलों की वजह से और भी ज्यादा रोमांचक हो जाते हैं। अगर आप ऐसे मौसम में अपने प्रिय जन (Loved Ones) के साथ पहाड़ी इलाकों की सैर पर निकलते हैं तो यह खूबसूरत सफर इतना खूबसूरत बन जाता है कि आप जिंदगी भर कभी नहीं भूल सकते हैं।

फूल: बुरांश के पेड़ के फूल बहुत ही सुंदर होते हैं और अक्सर गुलाबी, लाल, या सफेद रंगों में पाए जाते हैं।

चयापथ्य: इसके पत्तों और फूलों का अर्क चिकित्सा में उपयोग किया जाता है। बुरांश के अर्क में कुछ औषधीय गुण होते हैं जो कई स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं के इलाज में मदद कर सकते हैं।

स्थायित्व: बुरांश के पेड़ अक्सर हिमालयी क्षेत्र में पाए जाते हैं और यहाँ के शान्त और शीतल जलवायु को सहने की क्षमता रखते हैं।

पर्यावरणीय महत्व: बुरांश के पेड़ अपने पर्यावरणीय महत्व के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनकी रूपरेखा और पेड़ों का विस्तार पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं।

  • 1 कप बुरांश के फूल (धोए और छोटे कट लें)
  • 2 हरी मिर्च (बारीक कटी हुई)
  • 1 छोटा आदा (कटा हुआ)
  • 1/2 छोटा अदरक (कटा हुआ)
  • 2 टेबलस्पून नामकीन
  • 1 टेबलस्पून लाल मिर्च पाउडर
  • 1 टेबलस्पून लाल मिर्च सॉस
  • 2 टेबलस्पून टमाटर की प्यूरी
  • 1/2 टेबलस्पून गुड़
  • 1 छोटी चम्मच नींबू का रस
  • नमक स्वादानुसार
  • 1 टेबलस्पून तेल
  1. एक कड़ाही में तेल गरम करें। फिर उसमें हरी मिर्च, आदा, और अदरक डालें और सांघने तक पकाएं।
  2. अब इसमें बुरांश के फूल, नामकीन, लाल मिर्च पाउडर, और लाल मिर्च सॉस डालें। मिलाएं और 2-3 मिनट के लिए पकाएं।
  3. फिर इसमें टमाटर की प्यूरी, गुड़, नींबू का रस, और नमक डालें। अच्छे से मिलाएं और 2-3 मिनट के लिए पकाएं।
  4. चटनी तैयार है! इसे ठंडा करके सर्व करें।

इस चटनी को पराठे, रोटी, या चावल के साथ स्वादिष्टीकरण के रूप में सर्व किया जा सकता है। परिणाम स्वादिष्ट होगा!

  1. विटामिन और खनिजों का स्रोत: बुरांश के फूल विटामिन C और अन्य आवश्यक खनिजों का एक अच्छा स्रोत होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं और शरीर को संतुलित रखने में मदद करते हैं।
  2. पाचन को सुधारना: बुरांश के फूलों में पाया जाने वाला अदरक, लहसुन, और हरी मिर्च साइडर और पाचन को सुधारने में मदद कर सकता है।
  3. एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करना: बुरांश के फूलों में पाए जाने वाले विटामिन C और अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को रोगों से लड़ने में मदद कर सकते हैं और कैंसर जैसी बीमारियों के खिलाफ संरक्षण प्रदान कर सकते हैं।
  4. मधुमेह का प्रबंधन: बुरांश के फूलों के अदरक और नींबू के रस के प्रयोग से मधुमेह का प्रबंधन किया जा सकता है, क्योंकि इनमें उच्च अंतर्द्रव्य मौजूद होते हैं जो रक्त शर्करा को नियंत्रित कर सकते हैं।
  5. प्रोटीन का स्रोत: बुरांश के फूलों में प्रोटीन होता है, जो मांस या अन्य प्रोटीन स्रोत की कमी को पूरा करने में मदद कर सकता है।
  • 1 कप बुरांश के फूल (धोए और छोटे कट लें)
  • 1 टेबलस्पून नींबू का रस
  • 2 टेबलस्पून शहद (या चीनी), स्वादानुसार
  • 1 कप पानी
  • पानी के लिए बर्फ (वैकल्पिक)
  1. एक मिक्सर या ब्लेंडर में बुरांश के फूल, नींबू का रस, और शहद डालें।
  2. सभी सामग्री को अच्छे से मिलाएं, ताकि फूल अच्छे से पीस जाएं।
  3. अब इसमें 1 कप पानी डालें और पुनः मिलाएं।
  4. अगर आप चाहें, तो इसे छलने के बाद पानी में बर्फ डालकर ठंडा कर सकते हैं।
  5. बुरांश के फूलों का जूस ठंडा होते ही परोसें और स्वाद उठाएं।

यह स्वादिष्ट जूस आपको गर्मियों में ठंडा करने के साथ-साथ बुरांश के फूलों के सारे लाभ भी प्रदान करेगा। ध्यान दें कि इसे पीने से पहले हमेशा अच्छे से छानकर पीना चाहिए।

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कसौली हिल स्टेशन के लिए ऐसे प्लान करें अपना ट्रिप

खूबसूरत पहाड़ियों के पनाह में एक छोटा सा हिल स्टेशन बसा हुआ है, जिसे लोग कसौली के नाम से जानते हैं। अगर आप चंडीगढ़ से शिमला की ओर बढ़ेंगे तो आपको रास्ते में सबसे पहला हिल स्टेशन कसौली हीं मिलेगा। अब क्योंकि यह शहर पहाड़ियों के गोद में बसा हुआ है इसलिए इसकी खूबसूरती भी काफी मनमोहक है। यहीं वजह है कि हर साल यहां हजारों लोग अपनी गर्मी की छुट्टियां मनाने आते हैं और जमकर एंजॉय करते हैं। आज के इस ब्लॉग में हम आपको बताने जा रहे हैं कसौली के उन खूबसूरत ठिकानों के बारे में जहां जाए बिना कसौली के सफर को अधूरा माना जाता है।
अगर आप कभी भी कसौली नहीं गए हैं तो आप यहां के लिए एक अच्छा सा वीकेंड का ट्रिप प्लान कर सकते हैं। क्योंकि कसौली दिल्ली और चंडीगढ़ से सबसे नजदीकी हिल स्टेशन है। अगर बात किया जाए कसौली के हिस्ट्री की तो अंग्रेजों ने यहां की प्राकृतिक खूबसूरती को देखते हुए इसे जगह को हिल स्टेशन के रूप में डेवलप किया था। आज के टाइम में यह सेना की छावनी के अधिकार का इलाका है।

इस जगह घूमने के लिए कई तरह के पॉपुलर डेस्टिनेशन हैं जिनके नाम निम्नांकित हैं :-

  • क्राइस्ट चर्च (Christ Church)
  • माल रोड (Mall road)
  • गिलबर्ट ट्रेल (Gilbert trail)
  • मंकी प्वाइंट ( Monkey point)
  • सनसेट पॉइंट (Sunset point)
  1. क्राइस्ट चर्च (Christ Church)

यह चर्च 1844 में अंग्रेजों के द्वारा बनवाया गया था। कसौली विजिट (visit) करते समय आप सबसे पहले इस पॉइंट (point) को विजिट कर सकते हैं। क्योंकि यह कसौली के मेन पार्किंग एरिया से बहुत हीं नजदीकी स्थित है। अगर आप कसौली अपनी गाड़ी से जा रहे हैं तो गाड़ी पार्क करने के बाद आप इस जगह को विजिट करने जा सकते हैं। यह बहुत हीं शांत जगह है और यहां पर्यटकों की अच्छी खासी संख्या होने के बावजूद भी आपको एक अलग हीं शांति का एहसास होगा। इस चर्च के बारे में एक और खास बात यह है कि यह हिमाचल प्रदेश का सबसे पुराना चर्च है। इसमें लगाए गए शीशे (glass) खास तौर पर इंग्लैंड से मंगवाए गए थे। इस चर्च में विजिट करने की टाइमिंग (timings) सुबह 7:00 बजे से शाम के 7:00 बजे की है।

  1. माल रोड एंड हेरिटेज मार्केट (Mall road & Heritage market)

माल रोड पर आपको कई तरह के कपड़ों के दुकान देखने को मिलेंगे। वहां से आप हिमाचल प्रदेश के पारंपरिक कपड़ों को खरीद सकते हैं। साथ ही साथ गर्म कपड़े भी खरीद सकते हैं। इसके अलावा आप माल रोड पर अपने घर वालों या अपने पसंदीदा लोगों को गिफ्ट करने के लिए कई तरह के वुडन आइटम्स भी खरीद सकते हैं। अगर आपको भी बाजारों को इग्नोर करना अच्छा लगता है तो मॉल रोड आपके लिए एक बेहतरीन शॉपिंग डेस्टिनेशन हो सकता है। बहुत हीं अलग-अलग तरह के आइटम आपको यहाँ मिल जाएंगे। आपको माल रोड में शॉपिंग की बहुत अच्छी वैरायटी देखने को मिल जाएंगी।
इसके अलावा माल रोड पर स्ट्रीट फूड के भी कई सारे आइटम्स मिलते हैं। आप भी इन लजीज स्ट्रीट फूड्स का लुफ्त उठाना ना भूलें।

  1. गिल्बर्ट ट्रेल (Gilbert trail)

गिलबर्ट ट्रेल डेढ़ किलोमीटर तक का एक बहुत हीं पतला संकरा सा रास्ता है। जो लोगों को ले जाता है सुसाइडल पॉइंट की ओर! जहां से मिलने वाले व्यूज बहुत हीं अमेजिंग होते हैं। जिन्हें शब्दों में बयां कर पाना बहुत हीं मुश्किल है। गिलबर्ट ट्रेल के लिए जब आप चढ़ाई करना शुरू करेंगे तो आपको यह ध्यान रखना होगा कि रास्ता बहुत ही संकरा है और बहुत हीं रिस्की भी। इस बात का ध्यान रखें और आराम आराम से चढ़ाई करें। यह रास्ता जितना पतला संकरा और डिफिकल्ट दिखता है एक्चुअल में यह उतना हीं ज्यादा एडवेंचरस भी है। आप अपने साथ एक पानी का बोतल जरूर कैरी करें। क्योंकि आपको इसकी बहुत ज्यादा जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा जब आप गिलबर्ट ट्रेल की ओर बढ़ेंगे तो रास्ता बहुत आगे तक जाता है। ऐसे में आप भटके ना इसके लिए सुसाइडल पॉइंट तक जाने के लिए एक हमारी ओर से एक लैंडमार्क टिप है।

जब आप गिलबर्ट ट्रेल के लिए चढ़ाई शुरू करेंगे और करीब 1.5 किलोमीटर तक चलेंगे तो आपको रास्ते में एक हट दिखेगा। जिसके पीछे से आपको सुसाइडल पॉइंट के लिए रास्ता मिलेगा। सुसाइडल पॉइंट से आप कसौली को एक बहुत हीं अलग नजरिए से एक्सप्लोरर कर सकते हैं। यहां से सनसेट को देखना काफी खूबसूरत होता है। अगर आप नेचर को इंजॉय करना पसंद करते हैं तो यह पॉइंट आपको काफी पसंद आने वाला है। साथ हीं अगर आप फोटोग्राफ़ी भी पसंद करते हैं तो भी यह जगह आपके लिए बहुत हीं बेहतरीन जगह होने वाला है।

  1. मंकी प्वाइंट (Monkey point)

मंकी प्वाइंट कसौली की सबसे ऊंची पहाड़ी है। जहाँ हनुमान जी का एक मंदिर भी है। इस मंदिर से जुड़ी एक कहानी यह भी है कि जब हनुमान जी संजीवनी लेकर जा रहे थे तब उनका एक कदम इस पहाड़ी पर भी पड़ा था। जहां पर आज के समय में यह मंदिर है। इस मंदिर में आपको बहुत सारे बंदर देखने को मिलेंगे। यहां आने वाले पर्यटकों में इस मंदिर को लेकर काफी क्रेज देखने को मिलता है। माल रोड से मंकी पॉइंट की दूरी लगभग 3.5 किलोमीटर के आसपास है। अगर आप मंकी पॉइंट जाना चाहते हैं तो आप चलते हुए भी जा सकते हैं। मंकी प्वाइंट के लिए टैक्सी की सुविधा भी उपलब्ध है। यहां विजिट करने की टाइमिंग सुबह 9:00 बजे से शाम के 5:00 बजे तक की है।

  1. सनसेट पॉइंट (Sunset point)

जैसा कि नाम से हीं पता चल रहा है यह कसौली का सबसे बेस्ट सनसेट पॉइंट है। यहां से आपको शाम के सबसे खूबसूरत नज़ारें देखने को मिलेंगे। जिसका एक्सपीरियंस आपकी लाइफ में अनफॉरगेटेबल हो सकता है। यहां पर बैठने के लिए जगहें भी बनाई गईं हैं। आप अपनों के साथ आराम से यहां बैठकर सनसेट को एंजॉय कर सकते हैं। यहां बैठकर जब आप सन सेट को देखोगे तो वह आपको बहुत हीं मैजिकल लगेगा और बहुत ही अच्छा एक्सपीरियंस होगा। अगर आपके पास समय की कमी हो और आपको गिलबर्ट ट्रेल और सनसेट पॉइंट को एक हीं दिन में विजिट करना हो तो आप पहले गिलबर्ट ट्रेल को विजिट कर सकते हैं उसके बाद सनसेट पॉइंट का रुख कर सकते हैं।
गिलबर्ट ट्रेल को विजिट करने के बाद सनसेट से लगभग 1 घंटे पहले आप इस पॉइंट पर पहुंच जाना। तब आप यहां बहुत हीं आराम से सनसेट को इंजॉय कर पाएंगे।

कसौली जाने का सबसे सही समय (Best time to visit kasauli)

वैसे तो कसौली आप कभी भी विजिट कर सकते हैं, लेकिन यहां पर जाने का सबसे सही समय अप्रैल से जून के बीच और सितंबर से नवंबर के बीच का होता है।
क्योंकि इस समय यहां का टेंपरेचर भी खुशनुमा होता है। आप बहुत हीं आराम से यहां के विजिटिंग प्लेसेस को एक्सप्लोरर कर सकते हैं। इसके साथ हीं इस समय आपको यहां बहुत ज्यादा ग्रीनरी देखने को मिलेगी। जिसके कारण यहां की खूबसूरती और ज्यादा बढ़ जाती है और आप बहुत हीं अच्छे तरीके से यहां एंजॉय कर पाओगे। अगर आप स्नोफॉल देखना चाहते हैं तो कसौली में नॉर्मली स्नोफॉल नहीं होता है। मॉनसून में कसौली आना आपके लिए थोड़ा रिक्की हो सकता है। क्योंकि यहां लैंड स्लाइड्स के चांसेस बहुत ज्यादा होते हैं।

कहां ठहरे? (Where to stay in kasauli?)

अगर बात करें कसौली में ठहरने की तो यहां रुकने के लिए तीन ऑप्शन होते हैं।
पहला माल रोड के आसपास होटल बुक करवाना, दूसरा ऑप्शन होता है कसौली चौक के आसपास होटल बुक करवाना और तीसरा ऑप्शन होता है कसौली के गांवों में विला में रूम बुक करवाना।

अगर आप माल रोड के पास होटल रूम लेते हैं तो यहां पर होटल रूम की प्राइस ₹1500 से स्टार्ट हो जाती है। हालांकि होटल रूम्स के प्राइस सीजन पर भी डिपेंड करते हैं। इसलिए आपको ऑफ सीजन में थोड़ी सी छूट देखने को मिल जाएगी। लेकिन माल रोड के पास होटल लेने का एक नुकसान यह होता है कि यहां के होटल रूम्स के बालकनी से आपको बहुत ज्यादा खूबसूरत व्यूज़ देखने को नहीं मिलेंगे। वहीं अगर आप कसौली चौक के पास रूम लेते हैं तो यहां से आपको बहुत हीं खूबसूरत व्यूज़ देखने को मिलेंगे। यहां पर होटल रूम्स के प्राइस ₹1200 से हीं शुरू हो जाते हैं। लेकिन यहां भी होटल रूम्स का प्राइस सीजन के हिसाब से घटता बढ़ता रहता है।

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मंजिल से कहीं ज्यादा खूबसूरत हैं ये सफर- जानिए भारत के सबसे खूबसूरत रोड ट्रिप्स के बारे में….

मंजिल पर पहुँच जाने की खुशी और एक्साइटमेंट तो सभी को होती है, लेकिन क्या कभी आपने सफर को इंजॉय किया है? इस सवाल पर आप में से ज्यादातर लोगों का यही जवाब होगा कि नहीं! लेकिन यकीन मानिए, आज हम आप सभी को कुछ ऐसे रोड ट्रिप्स के बारे में बताएंगे जो मंजिल से कहीं ज्यादा खूबसूरत हैं। बस जरूरत है उन्हें महसूस करने की और अपनी सारी परेशानियों को भूल कर उस सफर के हर लमहे को जीने की। इस ब्लॉग में हम आपको उन रास्तों के बारे में तो बताएंगे हीं लेकिन उनके साथ साथ हम आपको किन-किन बातों का ख्याल रखना है जिससे कि आपकी ट्रिप खराब ना हो और एक यादगार ट्रिप बन सके इसके बारे में भी बताएंगे।

  • आइए जानते हैं उन खूबसूरत रास्तों के बारे में जो मंजिल से कहीं ज्यादा खूबसूरत और हसीन हैं।

कुफरी से चैल (Kufri to Chail) :

कुफरी से चैल के सफर में आपको कहीं घने जंगलों के बीच से जा रही सांप की तरह घुमावदार सड़के दिखेंगी तो कहीं
एक ओर ऊंची ऊंची पहाड़ियां और दूसरी और गहरी खाई। यह सफर जितना खूबसूरत होता है, उतना हीं ज्यादा एडवेंचरस (Adventure) भी। खास करके बाईकर्स (biker) के लिए तो यह जगह सबसे बेस्ट मानी जाती है। ना शोर-शराबा और ना हीं पॉल्यूशन, एक साफ-सुथरे माहौल में नेचर (nature) को फील करते हुए बाइक राइडिंग (Bike riding) करना अपने आप में ही एक बेहतरीन फीलिंग होती है। लेकिन ऐसा नहीं है कि यह जगह सिर्फ बाइकर्स को पसंद आती है। आप यहां अपने कार में या किसी कैब को बुक करवा कर अपनी फैमिली के साथ भी टाइम स्पेंड (Time spending) करने आ सकते हैं। यहां कहीं आपको चारों ओर देवदार के घने जंगल और ऊंची पहाड़ियां तो कहीं गहरी खाई देखने को मिल जाएंगी। नेचर फोटो शूट के लिए भी यह जगह बेस्ट है। अगर आप भी फोटोग्राफी पसंद करते हैं कुफरी से चैल तक का यह सफर आपके लिए और इंटरेस्टिंग (Interesting) हो जाएगा।


लेकिन यहां आपको ड्राइविंग (driving) करते वक्त स्पीड (speed) का खास ख्याल रखना होगा। क्योंकि यहां की सड़कें काफी घुमावदार हैं और सड़क की दूसरी ओर गहरी खाई है जो इस सफर को खूबसूरत तो बनाती है लेकिन साथ ही साथ रिस्कीे (risky) भी बनाती है। इसके अलावा इस जगह पर आप को सितंबर के महीने में भी घना कोहरा देखने को मिल जाएगा। यहां मौसम भी बहुत ज्यादा चेंज होता है। कहीं आपको धूप दिख जाएगी तो कहीं कोहरा। कभी खुशनुमा माहौल होगा तो कभी बरसात! ऐसे में टूरिस्ट (tourists) के लिए लिए अपने साथ रेनकोट (rain coat) रखना बहुत ही जरूरी हो जाता है।

कुफरी से चैल के रास्ते में आपको देवदार के जंगल देखने को मिलेंगे। साथ ही साथ इस रास्ते में कुछ गिने-चुने घर भी देखने को आपको मिल जाएंगे।
इस सफ़र पर निकलने से पहले आपको मौसम की पूरी जानकारी रखनी होगी। क्योंकि कई बार यहां लैंडस्लाइड (landslide) की घटना हो जाती है। ऐसे में मौसम विभाग की दी गई जानकारियों का भी आपको ख्याल रखना होगा। जिससे आप सुरक्षित रोड ट्रिप का मजा ले सके।

कुफरी से चैल का रास्ता लगभग 25 किलोमीटर का है। जिसे पार करने में आपको लगभग 1 घंटे का समय लग सकता है। क्योंकि यहां आप तेज ड्राइविंग नहीं कर सकते हैं। आपको अपनी गाड़ी की स्पीड स्लो (slow) ही रखनी पड़ेगी।

शिमला से नारकंडा (Shimla to Narkanda) :

अगर आप भी कभी शिमला जाओ तो शिमला से नारकंडा के लिए रोड ट्रिप पर जाना ना भूले। यकीनन यह आपके जिंदगी की सबसे बेस्ट एक्सपीरिएंस (Best experience) में से एक होगा। साफ और खुला आसमान सुहाना का मौसम और घुमावदार सड़क देख कर आपको ऐसा लगेगा जैसे मानो किसी जन्नत में आ गए हो। पहाड़ी इलाकों की यहीं तो खास बात होती है। यहाँ हरियाली भी होती है, बर्फ भी होता है और तो और खुला आसमान भी होता है। बस नहीं होता है तो शोर शराबा और पॉल्यूशन (Pollution)।
अगर आप भी भागदौड़ की जिंदगी से दूर जाकर खुद के साथ समय बिताना हो तो आप शिमला से नारकंडा के रोड पर जा सकते हैं। यह आप पर निर्भर करता है कि आप सोलो ट्रिप (solo trip) पर जाना चाहते हैं या फिर फैमिली और फ्रेंड्स (family and friends) के साथ। अगर आप सोलो ट्रिपल जा रहे हैं तो बाइक राइडिंग का भी मजा ले सकते हैं। यहां भी आपको उन्हीं बातों का ख्याल रखना है, जिनका जिक्र मैंने पहले भी किया है। अपने साथ एक रेनकोट कैरी (Carry) करना होगा। साथ ही साथ स्पीड का भी ध्यान रखना होगा।

शिमला से नारकंडा का सफर लगभग 60 किलोमीटर के आसपास का है। इस सफर को पूरा करने के लिए आपको 2 से ढाई घंटे का समय लग सकता है। यहां आपको समय का भी का ख्याल रखना होगा। क्योंकि शिमला में बहुत ज्यादा ट्रैफिक (Trafic) रहती हैं। खासकर गर्मी के समय यहां ट्रैफिक की बहुत ज्यादा समस्या देखने को मिलती है। तो ट्राफिक से बचने के लिए आप अर्ली मॉर्निंग (early morning) हीं नारकंडा के लिए निकल सकते हैं।
क्योंकि अर्ली मॉर्निंग रश (rush) कम होता है या ना के बराबर होता है। ऐसे में आप अपने ट्रिप को अच्छे से इंजॉय (enjoy) कर पाएंगे।

मनाली से लेह (Manali to Leh) :


मनाली से लेह तक का रोड ट्रिप दुनिया के सबसे खूबसूरत रोड ट्रिप्स (world’s best road trips) में से एक है। इस सफर को और भी ज्यादा खास बनाते हैं यहां के खतरनाक रास्ते (dangerous roads)। जहां आपको कहीं दूर-दूर तक बर्फ के चादर नजरआएंगे तो कहीं रास्ते इतने पथरीले हो जाएंगे कि उन रास्तों पर ड्राइविंग करना अपने आप में ही एक चैलेंज हो जाएगा। मनाली से लेह (लद्दाख) का डिस्टेंस (distance between Manali to Leh) लगभग 427 किलोमीटर के आसपास है। जो आप आसानी से अपने बाइक या कार से कवर कर सकते हैं।

  • मनाली से लेह (लद्दाख) तक का सफर बाइकर्स को अपनी ओर लुभाता है। यहां दूर-दूर तक बर्फ की चादरों से ढकी ढकी हुई पहाड़ियां और साफ आसमान देखकर आपके सारे तनाव दूर हो जाएंगे। बस यहां ड्राइविंग करते वक्त आपको बहुत ज्यादा सावधानी बरतनी होगी। लेकिन यकीन मानिए यह रास्ते जितने खतरनाक हैं उतने ही खूबसूरत भी। थोड़ा अजीब है लेकिन यह सच है। मनाली से लेह लद्दाख तक पहुंचने में आपको जिसपा, बारालाचाला पास (Baralachala pass), पांग और सरजू से होकर गुजरना होगा। अगर बात किया जाए परमिट की तो मनाली से लेह पहुंचने के लिए आपको किसी भी तरह की परमिट की जरूरत नहीं होगी। 
  • अटल टनल (Atal tunnel) बनने के बाद से मनाली से लेह का सफर और भी आसान हो गया है। आप यहां किसी भी कार या बाइक से ट्रैवल (Travel) कर सकते हैं। बस आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि कहीं-कहीं रोड बहुत ज्यादा खराब होते हैं। ऐसे में आप को ड्राइविंग बहुत ही संभल कर करनी होगी। मनाली से लेह के लिए ट्रिप का प्लान (Plan of trip) आप जून से सितंबर तक कभी भी कर सकते हैं। बस आपको मॉनसून (Monsoon) का ध्यान रखना होगा। इस सफर के लिए आपको ठंड के कपड़े तो अपने साथ रखने ही होंगे साथ ही साथ सनस्क्रीन (Sunscreen) भी रखना होगा। क्योंकि मनाली से लेह तक के सफर में कभी भी आपको तेज गर्मी का सामना करना पड़ सकता है।
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Why Delhi Ncr’s People Visiting Hill Stations Nowadays | 2023


•Solang •Shimla •Tirthan valley (kullu) •Rajgarh hills •Mussoorie •Dhanoulti

मई का महीना चल रहा है और गर्मी काफी बढ़ गई है। ऐसे में चिलचिलाती धूप और बढ़ते हुए तापमान (temperature) से निजात पाने का सबसे बेस्ट(best) तरीका है कि कुछ दिनों के लिए छुट्टियां मनाने किसी हिल स्टेशन(hill station) जाने की प्लानिंग की जाए। तो आइए जानते हैं दिल्ली एनसीआर (Delhi-NCR) के आसपास के कुछ ऐसे पापुलर टूरिस्ट डेस्टिनेशंस(Popular tourists destinations) के बारे में जहां आप इस गर्मी में छुट्टियां मनाने जा सकते हैं।

Solang Valley Hill Station

पहाड़ियों के गोद में बसे हुए हिमाचल प्रदेश के इस शहर की खूबसूरती देखने लायक है। सोलंग वैली पहुंचते हीं आपको सबसे पहले दिखेगा नेहरू कुंड मंदिर। जहां आप दर्शन करने रुक सकते हैं। इसी रूट में आगे जाकर आपको वह ब्रिज दिखेगा जहां टैंगो चार्ली मूवी की शूटिंग भी हुई थी। सोलंग वैली में आपको हर ओर पैराग्लाइडिंग और बाइक राइडिंग जैसी कई तरह की एडवेंचर एक्टिविटी (adventures activities)  होती दिखाई देंगी। यूं तो सोलंग वैली आप कभी भी आ सकते हैं लेकिन, अगर आप बर्फ देखना चाहते हैं तो आपको दिसंबर या जनवरी के महीने में यहां आना चाहिए। इस समय यहां चारों ओर बर्फ हीं बर्फ दिखाई देंगे। यहाँ आप बहुत सारे स्नो एक्टिविटीज (snow activities) का लुफ्त उठा सकते हैं।

Best activities to do in sholang valley

सोलन वैली में स्कीइंग (skiing) करने का पूरा खर्च आपको ₹500 से ₹600 तक आएगा। यहां आप सुबह 9:00 से श्याम 4:00 तक कभी भी 15 से 20 मिनट के लिए स्कीइंग (skiing) कर सकते हैं।
अगर आप की भी इच्छा खुले आकाश में उड़ने की है तो, आप यहां पैराग्लाइडिंग (paragliding) भी कर सकते हैं। जिसका खर्च आपको ₹2000 तक का आ सकता है। यहां सुबह के 8:00 बजे से शाम के 5:00 बजे तक 5 से 10 मिनट के लिए पैराग्लाइडिंग कर सकते हैं।

सोलंग वैली पहाड़ियों की गोद में बसा हुआ है, इसीलिए यहां एडवेंचर टूरिज्म(adventure tourism) बहुत ज्यादा फल फूल रहा है।
यहां ट्रेकिंग की एक्टिविटीज (activities) भी की जा सकती हैं जिसका खर्च आपको ₹1200 से ₹1500 तक का आ सकता है। यहां आप लगातार 2 दिन तक ट्रैकिंग (tracking) भी कर सकते हैं। जो पहले दिन के 10:00 बजे सुबह शुरू होता है और दूसरे दिन के 1:00 बजे दोपहर में जाकर खत्म होता है।
अगर आपको भी कैंपिंग करना पसंद है और टेंट हाउस और बोनफायर मैं दिलचस्पी है तो, आप सोलंग में कैंपिंग भी कर सकते हैं। जिसकी कीमत आपको ₹1000 से ₹1500 तक की पड़ेगी।

अगर आप सोलंग वैली जा कर अच्छे से घूमना चाहते हैं तो, आपको पूरे ट्रिप का मिनिमम खर्च 15000 रुपए तक का आएगा। आपको सोलंग वैली को अच्छे से एक्सप्लोर(explore) करने लिए कम से कम 3 दिन के ट्रिप की प्लानिंग करनी होगी। सोलंग वैली के आसपास होटल में रहने के लिए आपको एक रात का खर्च ₹1000 से ₹2000 तक का आ सकता है। यहां होटल की बहुत सारी वैरायटी है। आप अपने बजट के अनुसार अपना होटल चुन सकते हैं।

How to reach sholang valley
इस हिल स्टेशन (hill station) की दिल्ली से दूरी लगभग 540 किलोमीटर है। बाय रोड टैक्सी से यहां जाने का लगभग खर्च ₹7000 से ₹8000 रुपए तक का आता है। वहीं अगर आप न्यू दिल्ली रेलवे स्टेशन (NDLS) से ट्रेन से सोलंग वैली जाते हैं, तो इसका खर्च ₹1500 तक का आता है। अगर आप फ्लाइट (flight) के द्वारा सोलंग वैली पहुंचना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको दिल्ली इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGIA) से कुल्लू मनाली एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट (flight) ₹9000 से ₹25000 तक में मिल सकती है।

SHIMLA

अपने आप को नेचुरल रिट्रीट(natural retreat) देने का सबसे बेहतरीन तरीका है पहाड़ों की सैर पर निकल जाना। अब पहाड़ों की बात हो और शिमला का नाम ना आए ऐसा हो नहीं सकता। शोर-शराबे से दूर और प्रकृति के नजदीक स्थित इस शहर की ओर कपल्स का काफी रुझान होता है। पनोर्मिक व्यूज़(panoramic views) वाला यह जगह काफी रोमांटिक डेस्टिनेशन(romantic destination) के रूप में जाना जाता है। चारों ओर दिखने वाली बर्फ से ढकी सफेद पहाड़ियां और हरे-भरे देवदार के पेड़ किसी का भी मन मोह लेने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। यह जगन सिर्फ सीनरी(scenery) के लिए नहीं बल्कि शॉपिंग के लिए भी प्रसिद्ध है। शिमला स्थित माल रोड शॉपिंग के लिए एक बेहतरीन जगह है। यहां आपको खान-पान से लेकर पुरानी एंटिक चीजों तक का एक बड़ा कलेक्शन देखने को मिल जाएगा। यहां शिमला के पारंपरिक परिधान भी खरीद सकते हैं।


शिमला में एक और फेमस जगह है वह जाखू हिल्स। इस जगह पर हनुमान जी का एक बड़ा मंदिर है। साथ हीं एक बहुत बड़ी मूर्ति भी है, जो काफी दूर से हीं दिख जाती है। इस मंदिर की खासियत है यहां आपको सैकड़ों दर्जनों लंगूर और बंदर खेलते हुए मिल जाएंगे। चारों ओर हरियाली से घिरा यह मंदिर उन लंगूरों और बंदरों के लिए घर की तरह है।


How to reach shimla

शिमला की दिल्ली से दूरी लगभग 340 किलोमीटर है और यहां आप बाय रोड, ट्रेन और फ्लाइट तीनों ही रास्तों से जा सकते हैं। अगर आप टैक्सी(taxi) से शिमला जाना चाहते हैं तो आपको ₹5500 से ₹6000 तक का खर्च आता है। वहीं अगर आप ट्रेन से शिमला जाते हैं तो ₹700 से ₹800 में आपको टिकट मिल जाएगी। अगर आप फ्लाइट से शिमला जाते हैं तो इकोनामी क्लास के फ्लाइट की टिकट्स ₹2900 से शुरू हो जाते हैं।

Tirthan Valley

अगर आप रोजमर्रा के शोर-शराबे से दूर कुछ दिन शांत और शुद्ध वातावरण में बिताना चाहते हैं तो, तीर्थन वैली आपके लिए एक अच्छा डेस्टिनेशन (destination) हो सकता है। चारों ओर हरे भरे पेड़ों और वनस्पतिक घासों से घिरा हुआ यह जगह ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क(Great Himalayan National Park) के बफर जोन( Buffer Zone) में स्थित है। आप यहां फिशिंग (fishing), रॉक क्लाइंबिंग (Rock climbing), रैपलिंग(rapling), साइट सीइंग (sightseeing) आदि जैसे एडवेंचरस एक्टिविटीज का आनंद ले सकते हैं। यह सारे एक्टिविटीज पूरी तरह फैमिली फ्रेंडली family-friendly हैं।

Best things to do in tirthan valley

तीर्थन वैली में कैंपिंग (camping) के पैकेज में ट्रैकिंग, फिशिंग, रैपलिंग आदि एक साथ ही इंक्लूड(include) होता है। यहां कैंपिंग(camping) के लिए पूरे पैकेज(pakage) का खर्च आपको 6500 रुपए से 7000 रुपए तक का आ सकता है। अगर आप तीर्थन वैली को अच्छे से घूमना चाहते हैं तो, बिना फिशिंग, रैपलिंग और ट्रैकिंग के आप इसे पूरे अच्छे तरीके से एक्सप्लोर(explore) नहीं कर सकते हैं। तीर्थन वैली का यह पैकेज आपके माइंड के लिए रिफ्रेसिंग गेटवे (refreshing gateway) का काम करेगा।

तीर्थन वैली में नाइट स्टे(night stay) के लिए आपको ₹1500 से ₹3000 तक में आसानी से होटल में सकता है।

तीर्थन वैली हिमाचल प्रदेश के कुल्लू से बेहद नजदीक स्थित है। अगर दिल्ली से चलना शुरू किया जाए तो, तीर्थन वैली की दूरी लगभग 488 किलोमीटर है।

तीर्थन वैली से सबसे नजदीक एयरपोर्ट कुल्लू मनाली एयरपोर्ट है, जिसके लिए दिल्ली से एक फ्लाइट का किराया ₹9000 से ₹25000 तक का सकता है। बाय रोड टैक्सी से तीर्थन वैली जाने के लिए आपको ₹7000 के आसपास का खर्च आएगा। वाया ट्रेन आप सबसे कम खर्च में तीर्थन वैली पहुंच सकते हैं।

Rajgarh Hills

राजगढ़ हिमाचल प्रदेश का एक ऐसा जगह है, जहां की खूबसूरती आपको अपलक निहारने के लिए मजबूर कर देगी। प्रकृति को पसंद करने वाले लोगों के लिए यह जगह किस स्वर्ग की तरह है। यहां आकर आपको एक अलग हीं सुकून का एहसास होगा। राजगढ़ की खूबसूरती में चार चांद लगाने का कार्य करती है गिरी नदी।

इस नदी के किनारे बैठकर सनसेट(sunset) को देखना अपने आप में एक अद्भुत दृश्य होता है। चारों ओर पहाड़, हरे-भरे जंगल और सूरज की लालिमा लिए खुला आसमान यह सब इतना खूबसूरत होता है कि आपका सारा थकान पल भर में छूमंतर हो जाता है। सिर्फ सन सेट (sunset) हीं नहीं सनराइज(sunrise) भी राजगढ़ की खूबसूरती का एक बेहतरीन नजारा होता है। अब पहाड़ों के शहर में आओ और सनराइज सनसेट का मजा ना लो तो सफर अधूरा माना जाता है। दो पहाड़ों के बीच से उगता हुआ सूरज, बचपन में स्कूल के ड्राइंग बुक में की गई सीनरी पेंटिंग के लैंडस्केप्स (Land Escapes) की आपकी परिकल्पना को सच बना देता है।

How to reach Rajgarh hills

दिल्ली से राजगढ़ लगभग 340 किलोमीटर दूर है। आप यहां जाने के लिए किसी भी माध्यम का उपयोग कर सकते हैं। अगर आपके पास अपनी गाड़ी है तो आपके लिए यह सफर और भी खूबसूरत हो जाएगा। क्योंकि पहाड़ियों के बीच रोड ट्रिप, खूबसूरत मौसम और ठंडी हवा का झोंका अपने आप में ही एक बेहतरीन अनुभव होता है।

अगर आप फ्लाइट से राजगढ़ आना चाहते हैं तो, आपको चंडीगढ़ एयरपोर्ट आना पड़ेगा और दिल्ली से चंडीगढ़ एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट की टिकट ₹3000 से मिलनी स्टार्ट हो जाती है। दिल्ली से चंडीगढ़ के लिए आपको ट्रेन भी आसानी से मिल जाएगा।

अगर आप राजगढ़ को अच्छे से एक्स्प्लोर करना चाहते हैं तो आपको कम से कम 3 दिनों का समय लेकर यहां आना होगा।

राजगढ़ में आपको 1500 रुपए से 3000 रुपए तक में अच्छे होटल रहने के लिए मिल जाएंगे।

Mussoorie

खूबसूरत पहाड़ियों के बीच से अगर आप सनराइज सनसेट देखना चाहते हैं तो, इसके लिए मसूरी के गन हिल पॉइंट (gun hill point) और लाल टिब्बा पॉइंट(lal tibba point) से बेहतर कोई जगह नहीं हो सकता। लाल टिब्बा पॉइंट पर अपनों के साथ बैठकर सन सेट को देखना, अपने आप में ही एक अविस्मरणीय दृश्य होता है। यहीं वजह है कि यह जगह कपल्स के लिए बेस्ट माना जाता है। मसूरी पहाड़ों झरनों और हरियाली के प्राकृतिक सौंदर्य का एक अद्भुत संगम है।

अगर आपको वॉटरफॉल (water fall) में ज्यादा इंटरेस्ट है तो, आप यहां के केंपटी फॉल्स(campty falls) का रुख कर सकते हैं। इस शहर में पहाड़ों के बीच एक ज्वाला जी मंदिर भी है, जो अक्सर पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है।

अगर आप परफेक्ट फैमिली समर वेकेशन प्लान बनाना चाहते हैं तो, मसूरी आपके लिए बेहतरीन विकल्प है। मसूरी जाने के लिए आप फ्लाईट, ट्रेन और रोड तीनों में से किसी भी रूट का चुनाव कर सकते हैं। मसूरी से निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून रेलवे स्टेशन है, जहां तक के टिकट का मिनिमम प्राइस ₹215 का है वहीं एसी फर्स्ट क्लास का प्राइस आपको 1500 रुपए तक पड़ सकता है। अगर आप हवाई मार्ग से मसूरी को हंसना चाहते हैं तो, आपको तीन हजार के आसपास का मिनिमम खर्चा आएगा।

Adventures Activities to do in Mussoorie

मसूरी में आप कई तरह के एडवेंचरस एक्टिविटीज कर सकते हैं। जिनमें कुछ एडवेंचरस एक्टिविटीज की डिटेल नीचे दी गई है।

स्काईवॉक : यहां आप 120 फुट की ऊंचाई पर स्काईवॉक कर सकते हैं। जिसका खर्च आपको ₹300 पर पर्सन के हिसाब से आएगा। मसूरी में स्काईवॉक करने का समय सुबह 9:00 से श्याम 6:00 तक का होता है।

रिवर राफ्टिंग : यहां आफ रिवर राफ्टिंग का भी लुफ्त उठा सकते हैं, जो बारकोट से लखामंडल तक का एक ट्रिप होता है। यहां रिवर राफ्टिंग का टाइमिंग सुबह 10:00 से दोपहर 3:00  तक का होता है और इसका प्राइस आपके द्वारा तय की गई दूरी पर डिपेंड करता है।

रैपलिंग : मसूरी पहाड़ों का शहर है इसलिए आप यहां रैपलिंग भी कर सकते हैं।  जिसका प्राइस आपको ₹1000 तक का आएगा। रैपलिंग करने का समय सुबह 8:00 से दोपहर 2:00 बजे तक का होता है।

रैपलिंग के अलावा आप यहां रॉक क्लाइंबिंग कैंपिंग ट्रैकिंग आदि भी कर सकते हैं। अगर आप मसूरी को अच्छे से घूमना चाहते हैं तो, आप को कम से कम 3 दिन का समय निकालकर यहां आना होगा।

How to reach Mussoorie

दिल्ली से मसूरी तक की दूरी तकरीबन 274 किलोमीटर है। मसूरी से सबसे नजदीक एयरपोर्ट भुंटर एयरपोर्ट है। न्यू दिल्ली से भुंटर एयरपोर्ट जाने के लिए आपको ₹3500 से फ्लाइट टिकट मिलने स्टार्ट हो जाते हैं। आप वाया रोड और वाया ट्रेन में मसूरी जा सकते हैं। ट्रेन के लिए आपको ₹250 से ₹1500 तक का खर्च आएगा। वहीं बाय रोड टैक्सी से जाने के लिए आपको 4000 से 5000 तक का खर्च आ सकता है।

Dhanaulti

पहाड़ों के बीच बसे इस शहर का मौसम साल भर खुशनुमा रहता है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप दिसंबर और जनवरी के समय यहां जाकर स्नोफॉल का आनंद लेना चाहते हैं या फिर गर्मियों के समय यहां जाकर गर्मी से राहत पाना चाहते हैं। इस जगह की ख़ूबसूरती किसी भी मौसम में पर्यटकों का मन मोह सकती है।

अगर आप एडवेंचर के शौकीन हैं तो धनोल्टी में आपको अपने शौक पूरा करने के पूरे अवसर मिलेंगे। यहां आप स्काईवॉक और स्काई ब्रिजिंग भी कर सकते हैं। धनोल्टी में स्काईवॉक 120 फीट की ऊंचाई पर तथा 360 फीट तक की दूरी के लिए किया जा सकता है। वहीं स्काई ब्रिजिंग 80 फीट की ऊंचाई पर और 300 फीट की दूरी तक के लिए किया जा सकता है। स्काईवॉक लिए यहां पर एंट्री फीस 500 रुपए हैं। वहीं स्काई ब्रिजिंग के लिए एंट्री फीस मात्र 25 रुपए हैं। आप यहां सुबह 8:00 बजे से शान 5:00 बजे तक स्काईवॉक और स्काई ब्रिजिंग कर सकते हैं। इन एडवेंचरस एक्टिविटीज का लुफ्त उठाने के लिए आपको धनोल्टी एडवेंचर पार्क जाना होगा।

धनोल्टी में स्थित इको पार्क पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र है। इको पार्क की एंट्री फीस ₹15 है। आप इस इको पार्क में बैठकर पहाड़ों के बेहतरीन सीनिक ब्यूटी(scenic beauty) का आनंद ले सकते हैं।

धनोल्टी में सुरकंडा देवी मंदिर भी है, जो घूमने के लिए बेहतरीन जगहों में से एक है। वैसे तो यहां की एंट्री फीस फ्री हीं है, लेकिन अगर आप हॉर्स राइड करके यहां जाना चाहते हैं तो आपको ₹400 पर पर्सन का खर्च आएगा।

अगर आपको बाइक राइडिंग पसंद है तो आप धनोल्टी में माउंटेन बाइकिंग भी कर सकते हैं। धनोल्टी में बाइक राइडिंग करने का खर्च आपको पर पर्सन ₹500 का आएगा।

दिल्ली से 370 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस शहर तक पहुंचने के लिए आपको वाया रोड से 7 घंटे लग सकते हैं।

अगर आप वाया टैक्सी दिल्ली से धनोल्टी जाते हैं तो, दिल्ली से धनोल्टी के लिए 4000 रुपए से टैक्सीमिलनने स्टार्ट हो जाते हैं। फ्लाइट से धनोल्टी आने के लिए आपको मिनिमम खर्च ₹3000 का पड़ेगा। वहीं अगर आप ट्रेन से धनोल्टी आते हैं तो 250 रुपए से 1500 रुपए तक में आप आराम से धनोल्टी आ सकते हैं।

धनोल्टी घूमने के लिए आपको कम से कम  2 दिनों का समय चाहिए होगा, जो आप वीकेंड गेटावेज (weekend gateways) के तौर पर निकाल सकते हैं।

ये थीं कुछ नियर बाय हिल स्टेशन (nearby hill station) के बारे में जानकारियां। आशा है ये जानकारियां आपके ट्रैवल डेस्टिनेशन (travel destination) चुनने में आपकी कुछ मदद कर पाई होगी। इन सभी ट्रैवल डेस्टिनेशंस की दिल्ली एनसीआर से एक्सेसिबिलिटी (accessibility from Delhi NCR) बहुत ही आसान है।

 

Written by Shambhavi/Edited by Pardeep Kumar

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Rajgarh, Himachal Pradesh – The Most Complete Guide

Pardeep Kumar -Five Colors of Travel

हिमाचल प्रदेश का राजगढ़ एक ऐसा टूरिस्ट प्लेस है जिसकी खूबसूरती यहां आने वाले टूरिस्ट्स को मंत्रमुग्‍ध कर देती है। नेचर लवर्स के लिए यह एक बेहतरीन जगह है। इस जगह का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां आकर आपको बिलकुल अलग ही अनुभव होगा।(Rajgarh, Himachal Pradesh)

दिल्ली से दूरी (How to reach Rajgarh)

हम सुबह करीब 5 बजे दिल्ली से रवाना हुए, और रास्ते का भरपूर आनंद लेते तकरीबन 4 बजे हम अपने डेस्टिनेशन राजगढ़ पहुंचे। सोलन से कंडाघाट होते हुए 45 किलोमीटर की दूरी तय करके आप यहाँ पंहुच सकते हैं। राजगढ़ दिल्ली से लगभग 340 किलोमीटर दूर है।

गिरी नदी और सुनहरी शाम

शाम के समय पहाड़ों में एक अलग-सा रंगीन मिजाज रहता है, ढलते सूरज की हल्की-हल्की रोशनी मन को मोह लेती है। रिजॉर्ट पहुंच कर हमने कुछ देर आराम किया और फिर निकल पड़े सामने बहती नदी की और, जहां और भी फैमिलीज और टूरिस्ट हमें दिखाई दिए।

शाम के समय नदी किनारे बैठकर नेचर को निहारने का आनंद ही अदभुत है। शाम के समय पहाड़ों में एक अलग-सा रंगीन मिजाज रहता है, ढलते सूरज की हल्की-हल्की रोशनी मन को मोह लेती है। और पहाड़ों के ऐसे खूबसूरत नजारे देखने के बाद सफर की थकान छुमंतर हो जाती है। बस यही नजारें तो हम घुमक्कडों को पहाड़ों की और बार-बार खींच लाते हैं।

जैसे-जैसे रात होने लगी तो हम अपने रिजॉर्ट  में वापस आ गए। हमें इंतज़ार था सुबह का, क्योंकि पहाड़ों में आकर भी सनराइज का आनंद नहीं लिया तो फिर यात्रा का कोई मज़ा नहीं। पहाड़ों के बीच से, बादलों से गुस्ताखी करते हुए सुबह-सुबह जब सूरज की किरणें आंखों में पड़ती हैं तो ऐसा लगता है, मानों आपका पूरा ट्रिप वसूल हो गया हो।

सनराइज के दीदार के बाद हम निकले मॉर्निंग वॉक पर, पहाड़ों में सुबह का मौसम मानों देखते ही बनता है। चारों तरफ सिर्फ शांति, पक्षियों की और नदी के बहते पानी की आवाज आपके मन को पॉजिटिव एनर्जी से भर देती है, जिससे आपका पूरा दिन खुशनुमा बीतता है। आप जब भी पहाड़ों में आएं तो ये अनुभव जरुर लेंं।

थान देवता मंदिर(Than Devta Temple)

रास्ते में हमें एक मंदिर दिखाई दिया। यह मंदिर यहां के स्थानीय लोगों में बहुत फेमस है, यहां सब इस मंदिर को थान देवता मंदिर के नाम से जानते हैं। यहां के लोगों की मान्यता है कि जो भी इस मंदिर में आकर पूजा करके थान यानी कपड़ा बांधकर मन्नत मांगता है तो उसकी मन्नत जरूर पूरी होती है। लोगों ने यहां बहुत सारे कपड़े बांधे हुए थे, जिससे इस मंदिर की शक्तियों का अंदाजा हो जाता है।

आपको उत्तराखंड और हिमाचल के गांवों में ऐसे छोटे-छोटे सिद्ध मंदिर बहुत दिखाई देंगे।

हमनें यहां के स्थानीय होटल व रिजॉर्ट से जुड़े हुए लोगो से रोजगार के मुददे पर बात की, कि किस तरह करोना के बाद यहां के रोजगार पर असर पड़ा।

मॉर्निंग वॉक के बाद हम अपने रिज़ॉर्ट पहुंचे और ब्रेकफास्ट करने के बाद हमने अपने शेड्यूल के अनुसार राजगढ़ हिल्स की एक बेहद फेमस और खूबसूरत जगह बारू साहिब गुरूद्वारे की ओर अपना रूख किया। राजगढ़ से बारू साहिब गुरूद्वारे तक की दूरी लगभग 25 km है।

राजगढ़ में एक लोकल मार्केट भी है, जहां आप अपनी जरूरत का सामान आसानी से खरीद सकतें हैं।

जब आप राजगढ़ सिटी से गुरुद्वारे की और जायेंगे तब आपको रास्ते में बेहद शानदार व्यूज देखने को मिलेंगे। खास बात यह कि यही देखने के लिए दूर-दूर से टूरिस्ट राजगढ़ हिल्स आते हैं।

मानसून के मौसम में हरे भरे पहाड़ों के चारों और सफेद बादल उमड़ आते हैं, जिनको देखकर आपको लगेगा जैसे एक बार आप जन्नत में आ गए हों। हमनें रास्ते में रूककर नेचर को बहुत ही करीब से महसूस किया। यह नजारा कभी न भूले जाने वाले नजारों में से एक था।

आप जब यहां आएं तो आप भी इन व्यूज का भरपूर आनंद ले सकते हैं। कुछ देर यहां रूकने के बाद हमारी गाड़ी नागिन जैसे बल खाते रास्तों पर बादलों को चीरते हुए आगे बढ़ी।

बारू साहिब गुरुद्वारा(Baru sahib Gurudwara)

पूरे रास्ते सड़क के साथ-साथ बहती गिरी नदी के पानी की मधुर आवाज एकदम मन को मोह रही थी। यक़ीनन यह खूबसूरत नज़ारे किस्मत वालों को मिलता है। कुछ समय बाद हम बारू साहिब गुरूद्वारे पहुंच गए। अंदर जाने के लिए यहां एंट्री बिलकुल फ्री है। और न ही यहां कार पार्किंग के लिए किसी तरह का चार्ज लिया जाता है। यह गुरूद्वारा सभी लोगों की आस्था का बहुत बड़ा प्रतीक माना जाता है। बारू साहिब को लैंड ऑफ़ मैडिटेशन यानी तपोभूमि भी कहा जाता है। सन 1959 में संत तेजा सिंह ने 15-20 भक्तों के साथ मिटटी के झोपड़ी में अखंड पाठ किया। और यह भविष्यवाणी की थी कि यह स्थल आध्यात्मिक शिक्षा के रूप में विकसित होगा जहां उच्च गुणवत्ता वाली वैज्ञानिक शिक्षा होगी। जहां गुरु नानक जी के लिए दिलों में प्यार होगा। बारू साहिब सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी की यहां की यात्रा के कारण भी फेमस है।
Rajgarh, Himachal Pradesh is best Hill station near Solan.
Rajgarh, Himachal Pradesh isbest Hill station near Solan.

 यहां पर लंगर हर समय चलता है और बहुत सारे बच्चे यहां सेवा भी करते हैं और पढ़ते भी है। यहां एक अकाल अकादमी भी है, जहां बच्चों को पढाई के साथ-साथ होस्टल सुविधा भी दी जाती है। यहां पर पहले हमनें दर्शन किये, फिर  कुछ देर बैठकर पाठ सुना, यक़ीनन मन को एकदम शांति का अहसास हुआ। आप जब भी राजगढ़ आए तो बारू साहिब गुरूद्वारे के दर्शन जरूर करें। यहां पर लंगर चख के हमनें वापस रिज़ॉर्ट की तरफ गाड़ी घूमा ली।

Rajgarh, Himachal Pradesh is best Hill station near Solan.

रास्ते में हम एक पहाड़ी गांव में नेचर का आनंद लेने के लिए रुके तो हमें वहां एक महिला-मंडली स्वतंत्रता दिवस मनाती हुई दिखी, तो हमनें भी उनको ज्वाइन कर लिया और उनके साथ  मिल कर हमारा राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस बड़े ही श्रद्धाभाव से मनाया। सभी ने देशभक्ति और पहाड़ी नाटी पर डांस किया, फ़ोटोज़  भी क्लिक करवाई। पहाड़ों और बादलों के बीच इस सेलिब्रेशन के यादगार क्षण अपनी यादों की किताब में इस तरह छप गए, जिनको कभी भूलाया नहीं जा सकता। हमनें वहां महिला-मंडल से बातचीत की और स्वतंत्रता दिवस को लेके उनके उत्साह के बारे में जाना

इसके बाद हमने यहां से रवानगी की और बढ़ चले अपने डेस्टिनेशन की और।

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Manali-Cheers to New Beginnings 

 

Manali is located in Himachal Pradesh’s Kullu Valley. Besides being a tourist destination it holds a particular preference for honeymoon couples. Manali Tour is a tailor-made itinerary as you visit comfortable cottages, heritage sites, cafes, green valleys, cascading waterfalls and snow-covered terrains. Enjoy a trek to the mesmerising Jogini Waterfalls, or stroll across the orchards filled with pine trees. Rohla Falls is an ideal spot for picnics and on the way to Rohtang Pass. Manali Honeymoon becomes more enticing if you visit quaint villages like Bhunter, Naggar, Kothi Village and Malana. The tranquillity and serenity of these places is perfect to escape from the bustling tourist sites. Beautiful mountain passes like Chandrakhani Pass, Rohtang Pass and Hamta Pass are not your usual trekking paths but are surrounded by lush green meadows, dense pine forests and snow-clad peaks. Partake in activities like paragliding, skiing, river rafting, sledging and zorbing at famous sites namely Rohtang Pass and Solang Valley. Vashisht Baths located near the Vashisht Temple is a hot water spring which is believed to have medicinal properties. Kullu is often clubbed with the sister town of Manali situated on the banks of River Beas is known for its Raghunath and Jagannath Devi Temple with panoramic views of hills decked with Deodar and Pine trees.(Manali)

manali

Old Manali

Manali Tour becomes more charming as you visit Old Manali located on the other side of the Manaslu river at an elevation of 6589 feet above sea level three kilometres uphill from Manali. It is a peaceful settlement with a vast expanse of apple orchards. Old Manali is less crowded and has a natural bounty of swaying eucalyptus, rushing waters of the Kullu river and beautiful hills. The sunrise and sunsets are mind-blowing and are famous for the Hidimba temple. The temple is located in the snow-covered hills of Manali and is dedicated to Hidimba Devi who was the wife of Bhima and mother of Ghatotkach is encompassed by cedar forests. Fondly known by the locals as Dhungri Temple has wooden doorways, a cone-shaped roof and wooden walls.

Naggar Castle, Naggar

Manali

With a stress-free Manali Honeymoon visit Naggar Castle. The castle in Naggar is a wooden and stone medieval mansion which looks over the valley of Kullu. It was built in 1406 AD and is an amalgamation of the Himalayan and Western styles of architecture.

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The property once belonged to Raja Sidh Singh and was later transformed into a heritage hotel in 1978. It features a gallery of paintings by Russian artist Nichola Roerich. The mansion also has a temple in the courtyard which is known as the Jagti Patt. Have a taste of Garhwali food at the restaurant situated in the Naggar Castle Complex.

Solang Valley

The next place for a thrilling experience for honeymooners with Manali Tour is the Solang Valley. During the winter Solang Valley gets covered with snow and making it a popular spot for adventure sports and skiing. Solang Valley is located fourteen kilometres away from the main town of Manali on the way to Rohtang Pass. Adventure seekers can enjoy paragliding, parachuting, and horse riding to ride open jeeps. In summer when the snow melts skiing is replaced with zorbing( a giant ball with a capacity to hold two people is rolled down from a hill from two hundred metres.)

Sethan Valley

Push the romance quotient by a notch with Manali Honeymoon as you head toward the tiny village of Sethan. Sethan is located some twelve kilometres from Manali. It is a quaint Buddhist hamlet which overlooks the Dhauladhar ranges which get covered in snow during the winter season.

Sethan is a beautiful place to enjoy snowboarding and skiing. Be a little adventurous and competitive as you try Bouldering where you climb rocks which are a blend of granite and gneiss as you choose from different grades to undertake. This activity can be enjoyed by both amateurs and experts alike. Sethan is also famous for its Igloo stays which is a unique experience where you sleep inside an Igloo. Keep yourselves warm inside the icy igloo as you watch a movie under a twinkling sky and warm those hands of yours as you sip a hot beverage.

Rohtang Pass

Manali Tour is your passport to the desert-like and heavenly landscapes of the stretch which connects Spiti and Lahaul. Rohtang Pass is located at a lofty height of 3,978 metres on the Pir Panjal mountain range of the Himalayas and about fifty -three kilometres from Manali. It is a must-visit point of interest on the itinerary of tourists and also serves as a gateway to Ladakh. Experience snow as you try sledge rides as you slide through the snow in a wooden toboggan. Another thrilling activity to try with your loved one is mountain biking. The twin peaks of Geypan are quite visible from here also visible are glaciers, Lahaul Valley and Chandra river. A perfect spot for honeymooners with glistening sheets of white snow. In 2020 honourable Prime Minister inaugurated the Rohtang Pass Tunnel which is also known as Atal Tunnel.

Van Vihar

Manali Honeymoon finds a utopian setting at Van Vihar. Van Vihar National Park is bedecked with sky-touching deodar trees and is located near Mall road. The main attraction of the park is the man-made lake which is accessible for boating. The lake has crystal-clear and still waters where visitors can easily spot fish swimming. Boats can seat two to four guests which are roared manually by oars. Also available are self-operable paddle boats which drift slowly as you pedal. There are many concrete and wooden benches present throughout the park where visitors can relax and unwind under the shade of jungle-like trees. The encompassing majestic deodar trees make Van Vihar an ideal spot for a picnic.

Jogini Waterfalls

The enchanting cascades of Jogini Falls are the next best place to visit with Manali Tour and are the most romantic place to be thronged by couples. The water flows down from a height of 160 feet, over the mountains into the Beas river and Kullu valley. It is located near the Vashist village in Manali and gets its name from the village goddess Jogini.

The falls are known for the trek as it passes through orchards and dense pine trees which takes around three hours to climb the Jogini waterfalls. Trekkers get enchanted as they see rushing streams along an alluring view of the Beas and the snow-covered peaks of Rohtang. On the route to the falls, there are restaurants which serve local snacks and Chai.

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Best Tourist Place of Himachal

अगर चाहिए सुकून के पल तो आईये चलते हैं हिमाचल

Written by – Sakshi Joshi/Edited by Pardeep Kumar

देश भर में अगर बेस्ट हिल स्टेशनों की बात करें तो हिमाचल प्रदेश सबसे पहले नंबर पर आता हैं। हिमाचल एक ऐसा राज्य है जहाँ देश भर के चहीते हिल स्टेशन मौजूद है, क्योंकि जहाँ पहाड़ों का सुकून, झरनों की झर-झर, कल-कल करती नदियाँ, और खूबसूरत नज़ारे, सब कुछ है तो इतनी खूबसूरत जगह से कोई कैसे दिल नहीं लगाएगा। यहाँ आपको बर्फीली पहाड़ियाँ, एडवेंचर, तिब्बती संस्कृति की झलक और भी लगभग बहुत कुछ देखने को मिलेगा, तभी तो इसे बेस्ट टूरिज्म प्लेस कहा जाता है।

तो बात करते है हिमाचल में घूमने की मशहूर और बेस्ट जगहों के बारे में। जब भी हिमाचल घूमने की बात होती है हमारे दिलो-दिमाग में जो सबसे पहले नाम आता है वो नाम है “शिमला”

शिमला :

शिमला शब्द सुनते ही हर किसी के मन में एक खूबसूरत नज़ारा आने लगता है खासकर कपल्स के। हाँ बेशक, शोर- शराबे से दूर बर्फ से ढके पहाड़ और हरे-भरे घिरे हुए देवदार के पेड़ किसी भी पर्यटक को यहाँ एक बार आने पर मजबूर कर ही देते है।


शिमला की बेस्ट प्लेसेज़ की बात करे तो उनमें सबसे मशहूर जगह है माल रोड।
माल रोड – अगर हम माल रोड को शिमला का मेन शॉपिंग सेंटर कहें तो ये गलत नहीं होगा। माल रोड शॉपिंग के लिए काफी मशहूर है। यहाँ आपको खान-पान की काफी पुरानी और मशहूर दुकानें देखने को मिल जाएँगी। जिसमें आप हिमाचल की फेमस मिठाई सिड्डू का मजा भी ले सकते हैं। जब आप माल रोड घूमने निकलेंगे तो यहाँ आपको रेस्टोरेंट, कॉफी शॉप, और बहुत सी अलग-अलग दुकानें भी दिखाई देंगी।
द रिज

माल रोड के किनारे दा रिज एक व्यू पॉइंट है जहाँ से आपको पूरे शिमला के बेहतरीन नज़ारे देखने को मिलेंगे। यहीं रिज रोड़ पर आपको नार्थ इंडिया का सबसे पुराना क्राइस्ट चर्च भी देखने को मिल जायेगा। जिसके सामने बड़े से मैदान पर हर साल सबसे बड़े समर फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। रिज पर महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी का स्टेचू है और अटल बिहारी वाजपेयी की हाल ही में स्थापित प्रतिमा भी देखने को मिल जाएगी जिसके आस पास बहुत सारे टूरिस्ट सेल्फी और फोटोग्राफी करते दिख जायेंगे।
जाखू हिल : जाखू हिल्स इस पूरे हिल स्टेशन की सबसे ऊँची चोटी है। जहाँ आपको भगवान हनुमान का सुन्दर मंदिर दिखाई देगा। जाखू मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है यहाँ पर पाए जाने वाले सैंकड़ों बन्दर। यहाँ जाते समय इन बंदरों का विशेष ध्यान रखें क्योंकि ये आपके हाथ से जरुरी सामान भी छीन सकते हैं। यहाँ जाते समय आप अपने पर्स और अन्य कीमती सामान को संभाल के रखें।


लक्कड़ बाजार : शिमला के इस फेमस बाजार में लकड़ी के आकर्षक और सुन्दर-सुन्दर सामान खरीदने को मिल जायेंगे। यहाँ न सिर्फ लड़की बल्कि सभी चीज़ों की दुकानें है पर इस बाजार की खासियत लकड़ी के सामानों से हैं, जिसे यादगार निशानी के तौर पे खरीदा जा सकता है। प्राकृतिक जड़ी बूटियाँ और सूखे मेवे भी आपको इस बाजार में मिल जायेंगे।

चैल :

चैल पहाड़ों की खूबसूरती के साथ-साथ पोलो और क्रिकेट लवर्स का पसंदीदा स्पॉट माना जाता है, क्योंकि यहाँ पर विश्व की सबसे ऊंचाई पर बना क्रिकेट स्टेडियम है, जिसका इस्तेमाल पोलो खेलने के लिए भी किया जाता है। चैल समुद्र तल से लहभग 2250 मीटर की ऊंचाई पर बसा है, इसलिए ये स्पॉट हाइकर्स के लिए जन्नत माना जाता है। अगर आप एडवेंचर लवर हैं तो ये आपके लिए बेस्ट डेस्टिनेशन है।


चैल की खूबसूरती में चार चाँद लगा देता है काली माता का प्रसिद्ध मंदिर। यह मंदिर शिमला की सबसे ऊँची पहाड़ियों में से एक में स्थित है। जहाँ से आपको पूरे शिमला के बेहतरीन नज़ारे देखने को मिल जायेंगे। और अगर बात करें चैल के बाजार की तो यहाँ का बाजार उतना बड़ा नहीं है। पर आपको छोटा-मोटा जरूरत का सामान यहाँ मिल जायेगा। चैल के बाजार में जब आप घूमे तो अपने सामान का विशेष ध्यान दें क्योंकि यहाँ बहुत बन्दर है, जो आपका सामान झपट सकते हैं।

सोलन वैली :

सोलन वैली जाने वाले रूट पे सबसे पहले आपको नेहरुकुन्द मंदिर दिखेगा जहाँ आप दर्शन करते हुए जा सकते है।और इसी रूट में एक ब्रिज आपको दिखेगा जहाँ टेंगो चार्ली मूवी की शूटिंग भी हुई थी। सोलन वैली में जगह जगह आपको एडवेंचर एक्टिविटीज होती दिखाई देंगी। पैराग्लाइडिंग और बाइक राइड जैसी बहुत सी एक्टिविटीज़ आप यहाँ कर सकते है। और अगर आप दिसंबर या जनवरी के महीने में यहाँ आएँ तो यहाँ आपको बर्फ ही बर्फ दिखाई देगी जिसमें आप बहुत सी स्नो एक्टिविटीज़ कर सकते है। सोलन वैली की खूबसूरती बेशक ही हिमालय का अहसास करा ही देती है।


सोलन जाकर जटोली शिव मंदिर में जाना बिलकुल ना भूलें। क्योंकि कहाँ जाता है की यह पूरे एशिया का सबसे ऊँचा मंदिर है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहाँ के पत्थरों को थपथपाने पर डमरू सी आवाज सुनाई देती है। इस मंदिर में हर तरफ अलग-अलग देवी देवताओ की मूर्तियां लगी हुई है। इसके अलावा मंदिर के ऊपरी हिस्से पर 11 फुट ऊंचा एक विशाल सोने का कलश स्थापित है, जो इसकी खूबसूरती को बेहद खास बना देता है।

कुल्लू :

इस खूबसूरत पर्यटक स्थल को देवताओं की घाटी और सिल्वर वैली भी कहा जाता है। कुल्लू की खूबसूरती से हर कोई वाकिफ है पर यह जगह बसंत के महीने में और भी खिल जाती है। सफ़ेद और गुलाबी फूलों से जो नज़ारा बन जाता है उसको शब्दों में बता पाना मुश्किल है। सिल्‍वर वैली के नाम से मशहूर यह जगह न सिर्फ सांस्‍कृतिक और धार्मिक स्पॉट बल्कि एडवेंचर एक्टिविटीज के लिए भी मशहूर है। कुल्लू में प्रसिद्ध दशहरा फेस्टिवल का आयोजन हर साल बड़ी धूम-धाम से किया जाता है। इसके अलावा कुल्लू में याक की सवारी काफी मशहूर है। जो कि समुद्र तल से 6000 मीटर ऊपर की जाती है। कुल्लू के खूबसूरत नज़ारे याक की पीठ पर बैठकर देखने से और भी खुशनुमा माहोल बन जाता है।


तीर्थन वैली :

अगर आप शोर-शराबे से दूर शांत जगह की तलाश में है तो तीर्थन वैली आपके लिए परफेक्ट स्पॉट साबित होगा। प्रकृति के भरपूर नज़रों से भरी यह जगह ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के बफर जोन में स्थित है। आप यहां ट्राउट फिशिंग, रैपलिंग, रॉक क्लाइम्बिंग के भरपूर मजे ले सकते हैं।

प्रसिद्ध मंदिर :

यहाँ बहुत से प्रसिद्ध मंदिर है तभी तो कुल्लू को देवताओं की घाटी भी कहा जाता है। कुल्लू के प्रसिद्ध मंदिर है बिजली महादेव मंदिर, हनोगी माता मंदिर, और वैष्णो देवी मंदिर। इसके अलावा कुल्लू शहर में प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है मणिकरण साहिब।

कुफरी :

कुफरी शिमला से लगभग 10 किमी की दूरी पर है। कुफरी को एक बेहतरीन पिकनिक स्पॉट मन जाता है। गर्मियों में भी यहाँ के प्राकृतिक नज़ारे देखने लायक होते हैं पर सबसे ज़्यदा मजा आपको यहाँ सर्दियों में आएगा क्योंकि तब आप यहाँ बर्फ का आनंद ले सकते है। यहाँ पर आपको बहुत सी एक्टिविटीज़ जैसे ट्यूब राइडिंग, हॉर्स राइडिंग और याक की सवारी करने को मिल जाएगी। इसके अलावा यहाँ पर फन पार्क है जहाँ आप एडवेंचर के मजे ले सकते हैं।


कुफरी की फेमस जगह है हिमयन नेचर पार्क।


हिमालयन नेचर पार्क :

यहाँ आपको 180 से ज्यादा पशु पक्षियों की प्रजातियाँ देखने को मिल जाएगी। अगर आप पहाड़ी पशुओं को देखने की इच्छा रखते तो तो वो आपको यहाँ देखने को मिलेंगे।

फागु :

कुफरी से लगभग 6 किमी दूर स्तिथ है फागु। यह जगह कुफरी की सबसे ऊँची जगह है , अगर आप ट्रैकिंग करने के शौकीन हैं तो यह जगह आपको बहुत पसंद आएगी। यहाँ से आपको हिमालय की ऊँचे बर्फ से ढके पहाड़ों के सुन्दर नज़ारे देखने को मिलेंगे।
कुफरी फन वर्ल्ड :

एडवेंचर के शौक़ीन लोगों के लिए कुफरी फन वर्ल्ड एक खास अनुभव साबित हो सकता है। ये एक मनोरंजन पार्क है जिसमें बच्चो के लिए कई मजेदार राइड्स हैं। इस पार्क में दुनिया का सबसे ऊँचा गो-कार्ट ट्रैक भी मौजूद है। अगर आप अपने बच्चों के साथ कुफरी की यात्रा कर रहे हैं तो कुफरी फन वर्ल्ड घूमने जरुर आएं, क्योंकि ये आपकी ट्रिप का बेस्ट पार्ट होगा।

बेस्ट टाइम तो विजिट इन हिमाचल :

बर्फीले पहाड़ो के नज़ारे अगर आपको देखने है तो हिमांचल के हिल स्टशनों में घूमने का बेस्ट टाइम होता है नवंबर से फरवरी। इस समय हिमाचल के लहभग सभी शहरों में बर्फ भारी मात्रा में गिर जाती है। तो इस समय आने से आप सभी एडवेंचर राइड्स और खूबसूरत नज़रों का भरपूर आनंद ले सकती है।

कैसे पहुंचे :

अगर दिल्ली से चलना शुरू करें तो दिल्ली से मनाली 405 किमी दूर है। दिल्ली से मनाली के लिए कश्मीरी गेट, मजनू का टीला, और आर.के.आश्रम से आपको डायरेक्ट वॉल्वो बस मिल जाएगी। जिसकी आप ऑनलाइन बुकिंग भी कर सकते हैं। इसके अलावा आप अपनी पर्सनल गाड़ी से भी जा सकते हैं।

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Places To Visit Near Delhi

दिल्ली के नजदीक ये जगह रहेंगी इन सर्दियों में आउटिंग के लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन

Written by Sakshi Joshi/Edited by Pardeep Kumar

आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी से हर कोई तनाव ग्रस्त है। और अगर आप दिल्ली से है तो जरूर ही आप वीकेंड का इंतज़ार बड़ी ही बेसब्री से करते होंगे क्योकि दिल्ली और वीकेंड एक दूसरे के बिना अधूरे है। मैं दावे के साथ कह सकती हूँ कि ज्यादातर लोग शहर के शोर से दूर किसी शांत जगह में सुकून की तलाश में निकल पड़ते है। और अक्टूबर का  महीना घूमने के लिए बहुत अच्छा माना जाता है ,क्योकि इस समय भारत के कुछ हिस्सों में मानसून अपने अंतिम पड़ाव पर होता है और हल्की -हलकी ठंड अपनी दस्तक दे रही होती है।  यही कारण है की ये महीना घूमने के लिए सबसे बेहतरीन माना जाता है। और अगर आप घूमने के शौकीन हैं तो इन जगहों पे जरूर जाए।

1. जयपुर (Jaipur ) – राजस्थान की राजधानी जयपुर एक बहुत खूबसूरत जगह है। दिल्ली से जयपुर तक की दुरी लगभग 268 km. है। जयपुर भारत के सबसे बड़े शहरो में गिना जाता है। इसे पिंक सिटी भी कहा जाता है। इस शहर में देखने को लगभग सब कुछ मौजूद है , जैसे – महल , किले , खूबसूरत पहाड़िया , बाग़ बगीचे, संग्रालय । जयपुर में घूमने की प्रसिद्ध जगहें हैं हवा महल , जंतर मंतर , सिटी प्लेस ,जल महल ,गैंटोर ,गलताजी अजमेर का किला ,गोविन्द देवाजी मंदिर , आदि। जयपुर की चका -चौंन  बाजरे गहने ,कपड़े व जूतों के लिए काफी मशहूर है।

2.  शिमला (Shimla) -बेशक ही शिमला का नाम सुनते ही हर किसी के दिलो दिमाग में पहाड़ो की खूबसूरत वादियां आने लगती है, तभी तो इसे पहाड़ो की रानी कहा जाता है।  शिमला की खूबसूरती आपको कुछ दिन और वहाँ रुकने में मजबूर कर देंगी। दिल्ली से शिमला तक का सफर  342 km. का है। अगर आप अक्टूबर या नवंबर के महीने में यहाँ घूमने जा रहे है तो आपने गरम कपडे जरूर ही साथ रखें। क्योकि अब तक इन खूबसूरत वादियों में ठंड अपनी दस्तक दे चुकी होगी। शिमला जाकर अगर आप माल रोड , कुफरी , जाखू हिल्स नहीं देखा तो क्या ही आप शिमला घूमे

3.  नैनीताल (Nainital ) – उत्तराखंड की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक ‘नैनीताल’ किसी जन्नत से कम नहीं है। वैसे मन बना लो तो दिल्ली से नैनीताल ज्यादा दूर नहीं है जनाब (315 km.)। नैनीताल की सबसे प्रसिद्ध झील है नैनी झील। कुमाऊं में पहाड़ियों से घिरी ये ‘नैनी झील’ यहाँ सबसे मशहूर है ,और ऐसे नज़रे के साथ चाय के स्टाल्स न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता। बर्फ से घिरे पहाड़ो के बीच यह झील बेशक एक अलग ही रोमांच भरा माहौल बना देती है । नैनीताल में घूमने की मशहूर जगहें हैं – ट्रिफिन टॉप (triffin top), किलबरी (kilbury),व्यू पॉइंट (snow view point),हनुमानगढ़ी , लैंड्स एन्ड ,आदि। इनकी खूबसूरती बेषक ही आपका दिल जीत लेगी।

4.  चंडीगढ़ (Chandigarh) – दिल्ली से चंडीगढ़ की दूरी लगभग 243 km. है। अगर आप दिल्ली से है तो आपके लिए चंडीगढ़ एक बहुत अच्छा विकल्प है।पंजाब की राजधनी चंडीगढ़ सिटी ऑफ़ ब्यूटी के नाम से मशहूर है। चंडीगढ़ की यात्रा के दौरान मुर्थल के फेमस पराठे खाना बिलकुल ना भूले। ये आपकी ट्रिप को यादगार बना देंगे। चंडीगढ़ जाकर  इन जगहों में जरूर जाये – फन सिटी ,अंतर्राष्ट्रीय गुड़िया संग्रालय, रोज गार्डन , रॉक गार्डन , सुखना लेक।

5. ऋषिकेश (Rishikesh) –  ऋषिकेश ,उत्तराखंड की सबसे खूबसूरत जगहों में एक है। देहरादून जिले में स्थित यह शहर हिन्दुओं के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलो में से एक माना जाता है।ये एक बेहतरीन वीकेंड डेस्टिनेशन है ,अगर आप एडवेंचर लवर है तो ऋषिकेश आपके लिए एक बहुत ही अच्छी जगह साबित होने वाली है।  क्योकि यहाँ दूर- दूर से पर्यटक रिवर राफ्टिंग ,और बहुत सारी एडवेंचर्स राइड के लिए आते है। पर ये राइड्स सिर्फ गर्मियों में करायी जाती है,क्योकिअक्टूबर और नवंबर के महीने में ठंड व बारिश के कारण ये राइड्स करा पाना दुर्लभ साबित हो सकता है। त्रिवें घाट , लक्ष्मण झूला , राम झूला , परमार्थ निकेतन आश्रम ,गंगा बीच , ऋषिकेश वेली , आदि यहाँ घूमने की प्रमुख जगह हैं। पहाड़ियों के बीच वाटरफॉल् निकलना तो आम बात है , लेकिन यहाँ के कुछ वाटरफॉल्स बहुत मशहूर है , नीर गढ़ , हिमशैल आदि। इन्हें देखे बिना आपकी ट्रिप अधूरी रह सकती है।