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राजस्थान की संस्कृति को बखूबी दर्शाते हैं यहां के प्रसिद्ध पारंपरिक लोक नृत्य

राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत में नृत्यों का विशेष स्थान है। यहां कई प्रकार के नृत्य प्रथमित हैं, जो इस क्षेत्र की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक धाराओं को प्रकट करते हैं। राजस्थानी नृत्य गायन, नृत्य और वाद्य का एक मेल है और इसका महत्वपूर्ण भूमिका भजन, कथा, और इतिहास में होता है।

घूमर:

यह एक प्रसिद्ध राजस्थानी नृत्य है जो महिलाओं द्वारा उत्सवों और विशेष परिस्थितियों में प्रदर्शित किया जाता है। यह नृत्य राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। घूमर एक प्रसिद्ध राजस्थानी नृत्य है जो महिलाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। यह नृत्य राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे विभिन्न उत्सवों और पर्वों में उत्साह के साथ प्रस्तुत किया जाता है। घूमर के विशेषताएँ उसके गतिशीलता, सज धज, और पल्लू की गति हैं। इस नृत्य में महिलाएं छाती और मैदान में घूमती हैं, अपने पल्लू को गाथा गाते हुए अलग-अलग आकृतियों में फैलाते हैं। यह नृत्य लोक गीतों के साथ संगत होता है और इसमें संतुलन, गति, और आकर्षण होता है। घूमर का प्रदर्शन अधिकतर विवाह, तीज, और अन्य पर्वों में किया जाता है। इस नृत्य के माध्यम से महिलाएं अपनी आत्मा को व्यक्त करती हैं और समृद्धि की कामना करती हैं। घूमर का प्रदर्शन दर्शकों को मनोहारी अनुभव प्रदान करता है और राजस्थानी सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करता है।

कठपुतली:

यह एक अन्य प्रसिद्ध राजस्थानी नृत्य है जो कथपुतली के साथ किया जाता है। इसमें पुतली भटकते हुए दिखाई देती हैं और वे विभिन्न किरदारों को प्रस्तुत करती हैं। यह एक रंगबज और आकर्षक नृत्य है जो दर्शकों को मनोरंजन करता है। कठपुतली नृत्य एक प्रसिद्ध राजस्थानी नृत्य है जो कठपुतली (पुतले) के साथ प्रदर्शित किया जाता है। इस नृत्य का प्रमुख लक्ष्य कथाओं और किरदारों को प्रस्तुत करना होता है। कठपुतली नृत्य के प्रमुख कलाकार पुतली कलाकार होते हैं, जो विभिन्न रंगमंच पर पुतलियों को बेहद कुशलता से गतिशीलता से गति देते हैं। इन पुतलियों के माध्यम से किरदारों की भूमिकाओं को दर्शाने के लिए कहानी को संबोधित किया जाता है। कठपुतली नृत्य के दौरान, पुतली कलाकार विभिन्न भावनाओं, भूमिकाओं, और किरदारों को प्रस्तुत करते हैं। वे विभिन्न गीतों, संगीत, और लहजों के साथ पुतलियों को हिलाते हैं और किरदारों की भूमिकाओं को विशेषता से दिखाते हैं। कठपुतली नृत्य न केवल मनोरंजन के लिए होता है, बल्कि इसका महत्वपूर्ण भूमिका होती है राजस्थानी सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखने में। इस नृत्य के माध्यम से कथाएं, किरदारों, और लोक कथाओं को जीवंत किया जाता है और संदेशों को दर्शकों तक पहुंचाया जाता है।

भोपा:

यह नृत्य पश्चिमी राजस्थान में प्रसिद्ध है और इसमें भोपाओं की बहुत ही गतिशील नृत्यार्मिकता होती है। इसमें छलकाव, नृत्य, और साहित्य का एक सामंजस्य होता है। भोपा नृत्य राजस्थान का एक प्रसिद्ध लोक नृत्य है जो पश्चिमी राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में प्रचलित है। इस नृत्य का मुख्य उद्देश्य धारावाहिक रूप से किसी अद्भुत कथा का प्रस्तुत करना होता है। भोपा नृत्य में कलाकार अपने शारीरिक और भावात्मक कौशल का प्रदर्शन करते हैं। इस नृत्य के कलाकार अपने गतिशील और चुस्त नृत्य से दर्शकों को प्रभावित करते हैं। भोपा नृत्य के प्रमुख लक्षण में अंगों की गतिशीलता, उच्चारण, और रंगमंच पर भावनात्मक प्रस्तुति शामिल होती है। इस नृत्य का मुख्य अंश भाषण (मुखवाद्य), नृत्य, और गाना होता है। भोपा नृत्य के द्वारा विभिन्न कथाएं, किस्से, और लोक कहानियाँ प्रस्तुत की जाती हैं जो राजस्थानी संस्कृति और धार्मिक विचारों को प्रकट करती हैं। भोपा नृत्य राजस्थानी सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका प्रदर्शन राजस्थान के लोगों के बीच उत्साह और गर्व का स्रोत बनता है।

कच्छी घोड़ी:

यह नृत्य लोक गीतों के साथ किया जाता है और इसमें कच्ची घोड़ी की नकल की जाती है। इसमें नृत्यार्मिकता और सटीकता की आवश्यकता होती है जो इसे बेहद रोमांचक बनाती है। कच्छी घोड़ी एक प्रसिद्ध लोक नृत्य है जो राजस्थान के लोगों के बीच बहुत पसंद किया जाता है। इस नृत्य में कलाकार घोड़े की तरह कपड़े पहनते हैं और एक झूले पर बैठे होते हैं। साथ ही साथ, संगीत बजता है और कलाकार विभिन्न कहानियों को नृत्य के माध्यम से दिखाते हैं। इसमें तेज़ और आनंददायक गतियाँ होती हैं, जो दर्शकों को मनोरंजन प्रदान करती हैं। यह नृत्य न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह राजस्थानी संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। उत्साही संगीत के साथ, जिसमें ढोलक, हारमोनियम, और नगाड़ा (केतल ढोल) जैसे पारंपरिक राजस्थानी लोक वाद्य शामिल होते हैं, कलाकारों द्वारा स्थानीय लोक कथाओं, पौराणिक कथाओं, या ऐतिहासिक घटनाओं के विभिन्न प्रसंगों का अभिनय किया जाता है। यह एक कहानी सुनाने का एक साधन भी है, जो राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं को प्रतिबिंबित करती है।

भवाई:

यह राजस्थान का एक अन्य प्रसिद्ध लोक नृत्य है, जो कहानियों के माध्यम से किया जाता है। इसमें कलाकारों के बीच मॉक लड़ाइयाँ और कॉमेडी देखने को मिलती है। भवाई नृत्य राजस्थानी सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह किसानों की जीवनशैली, परंपरा, और समाज की भावनाओं को प्रकट करता है। इसके अलावा, भवाई नृत्य के माध्यम से राजस्थानी समाज की विभिन्न पहलुओं को समझाया जाता है। यह नृत्य सम्पूर्ण अभिनय, संगीत, और नृत्य की संगति में एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है। भवाई नृत्य में कलाकार कथा के आधार पर विभिन्न भूमिकाओं में अभिनय करते हैं। इस नृत्य की विशेषता यह है कि कलाकारों के बीच मॉक लड़ाइयाँ, हास्य और दर्शकों के साथ संवाद भी होते हैं। कलाकार बाजार, मेले और अन्य सामाजिक आयोजनों में इस नृत्य का प्रदर्शन करते हैं। भवाई नृत्य का परिधान और संगीत भी बहुत विशेष होता है। कलाकार विशेष रूप से विविध और रंगीन परिधान पहनते हैं जो उनके विभिन्न भूमिकाओं को प्रतिनिधित करते हैं। इसके साथ ही, भवाई नृत्य के लिए गीत और ताल का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है जो किसानों की जीवनशैली, सामाजिक संस्कृति और वास्तविकताओं को प्रकट करता है।

कलबेलिया:

यह नृत्य राजस्थान की कलबेलिया समुदाय के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इसमें उच्च गति के नृत्य, शानदार परिधान और धार्मिक तत्त्व होते हैं। कलबेलिया एक प्रसिद्ध राजस्थानी लोक नृत्य है जो कलबेलिया समुदाय के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। यह नृत्य गुज्जर जाति के लोगों के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है, जो पश्चिमी राजस्थान के जिलों में बसे हुए हैं। कलबेलिया नृत्य का विशेषता यह है कि इसमें कलाकार उच्च गति और चमकदार अभिनय के साथ लड़कियों के बीच खिलखिलाते हुए नृत्य करते हैं। इस नृत्य का मुख्य उद्देश्य प्रेम और सौंदर्य की महत्ता को दर्शाना है। कलबेलिया नृत्य में कलाकारों के परिधान और आभूषण बहुत ध्यान दिया जाता है। वे विशेष रूप से रंगीन और आकर्षक परिधान पहनते हैं, जो उनके नृत्य को और भी चमकदार बनाते हैं। कलबेलिया नृत्य के माध्यम से गुज्जर समुदाय की विविधता, उनके संगीत, संस्कृति, और पारंपरिक जीवन का उत्कृष्ट प्रतिनिधित्व किया जाता है। यह नृत्य राजस्थान की रमणीयता और समृद्धि का प्रतीक है और लोगों को उसकी सांस्कृतिक विरासत का अनुभव कराता है।

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Best Places to visit in Jaipur

Jaipur is the capital city of the Indian state of Rajasthan, known for its rich history, vibrant culture, and stunning architecture. Often referred to as the “Pink City” due to the distinctive pink color of its buildings, Jaipur is a popular tourist destination renowned for its palaces, forts, and monuments.(Best Places to visit in Jaipur)

Best Places to visit in Jaipur

1. Hawa Mahal – which translates to “Palace of Winds,” is a stunning palace located in Jaipur, India. It was built in 1799 by Maharaja Sawai Pratap Singh, designed by Lal Chand Ustad in the form of the crown of Lord Krishna. The palace is renowned for its unique architecture, featuring intricate lattice-work windows (jharokhas) that allow cool air to pass through, keeping the palace’s interior comfortable during hot summers. Hawa Mahal is a prominent landmark and a popular tourist attraction in Jaipur, offering visitors a glimpse into Rajasthan’s rich cultural heritage and architectural marvels.

2.  Birla Temple-also known as the Laxmi Narayan Temple, is a famous Hindu temple located in Jaipur, Rajasthan, India. It was built by the Birla family, a prominent industrialist family in India, in the early 1980s. The temple is dedicated to Lord Vishnu (Narayan) and his consort, Goddess Lakshmi.

The temple is constructed using white marble and features intricate carvings and sculptures, depicting scenes from Hindu mythology. The main deity, Lord Vishnu, along with Goddess Lakshmi, is enshrined within the sanctum sanctorum. The temple complex also includes shrines dedicated to other Hindu deities such as Lord Shiva, Lord Ganesha, and Goddess Durga.

The Birla Temple is not only a place of worship but also a significant architectural landmark in Jaipur, attracting visitors with its serene ambiance and stunning craftsmanship. It stands as a symbol of devotion and religious harmony in the vibrant city of Jaipur.     

3.Amer fort– which is one of the most famous forts in Jaipur, Rajasthan, India. Amer Fort is situated in Amer, a town located 11 kilometers from Jaipur city center. It was built by Raja Man Singh I in the late 16th century and later expanded by successive rulers.

Amer Fort is renowned for its impressive architecture, blending Hindu and Mughal styles. The fort is made of red sandstone and marble, featuring grand palaces, intricate carvings, beautiful courtyards, and stunning views of the surrounding hills and Maota Lake. One of the highlights of Amer Fort is the Sheesh Mahal (Hall of Mirrors), adorned with thousands of tiny mirrors that reflect light in a mesmerizing manner.

Amer Fort is a UNESCO World Heritage Site and a popular tourist destination, attracting visitors from around the world to marvel at its historical significance and architectural beauty.

Some of the notable films shot at Amer Fort include “Jodhaa Akbar,” “Veer,” “Bajirao Mastani,” “Shuddh Desi Romance,” “Mughal-e-Azam,” and “Rang De Basanti,” among others. Additionally, Amer Fort has been featured in various documentaries and television shows that explore Rajasthan’s rich cultural heritage and historical sites.

the big kadai’s that were used to prepare food for jodha-akbar’s wedding at raja mansingh’s palace. between these kadai’s there is a grinding machine(jata) when any of the queens interfered in the kings matters she was given punishment to grind flour on this jata.

4. Jantar Mantar-Jantar Mantar in Jaipur is an ancient astronomical observatory built in the 18th century by the Rajput king, Maharaja Jai Singh II. It was constructed for the purpose of studying astronomy and astrology, and it was used to estimate time and directions for celestial events and planetary positions.

Famous Markets in Jaipur

1. Johri Bazaar: Known for its exquisite jewelry, including precious and semi-precious stones, gold, and silver ornaments.

2.Bapu Bazaar: Renowned for its textiles, including traditional Rajasthani fabrics, sarees, and dress materials. It’s also a great place to shop for souvenirs and handicrafts.

bapu bazar jaipur

Best places to stay in Jaipur

There are hundreds of budget options to choose from in Jaipur.

Personally, I’m a fan of the little boutique Haveli’s (traditional Rajasthan hotels) as I feel it just adds to the adventure of where I am!

Nearby the railway station there are a lot of midrange Havelis which will cost you around £30-40 per night.

I stayed at Umaid Bhawan in Jaipur.

If you’re looking for high-end luxury, look no further than Rambagh Palace.

It has a hefty price tag but it looks SO worth the money if you have it spare. If you’d like to just peak inside they have a good cocktail bar and restaurant to visit.

Best Food in Jaipur

One famous food in Jaipur is “Dal Baati Churma,” a traditional Rajasthani dish consisting of lentil curry (dal), baked wheat balls (baati), and sweet crumbled wheat (churma). It’s a must-try for anyone visiting Jaipur.

Gatte ki Sabzi: A delicious curry made from gram flour dumplings cooked in a spicy yogurt gravy.

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Kachori: Deep-fried pastries stuffed with spicy lentil or potato filling, often served with tangy tamarind chutney.

Mirchi Bada: Spicy green chilies stuffed with potato filling, coated in gram flour batter, and deep-fried until crispy.

Pyaz Kachori: Flaky pastries filled with spiced onion mixture, deep-fried to golden perfection.

Mawa Kachori: Sweet kachori filled with a rich mixture of mawa (khoya), nuts, and spices, deep-fried and dipped in sugar syrup.

These are just a few highlights of the diverse and

 flavorful cuisine you can enjoy in Jaipur.        

How to reach

Jaipur is easily accessible in India and it’s only 4 hours out of Delhi by train. The best train which I would personally recommend is the Shatabdi express which leaves early in the morning.

There are limited stops and you get fed breakfast which is great.

Best time to visit

The best time to visit Jaipur is from October to March. During this time, the weather is cool and pleasant, making it perfect for exploring the city. So get ready for your Jaipur trip! 

A reason to visit Jaipur is to experience its rich history and culture. The city is known for its magnificent palaces, vibrant festivals, and traditional Rajasthani cuisine. Plus, the warm hospitality of the people will make you feel right at home. It’s a destination that offers a perfect blend of tradition and modernity. 

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ईद के मौके पर जानिए भारत के सबसे बड़े और प्रसिद्ध दरगाहों के बारे में

जामा मस्जिद दिल्ली :

अब भारत के सबसे प्रसिद्ध दरगाह की बात हो और भारत के सबसे प्रसिद्ध शहर का नाम ना आए तो यह तो नाइंसाफी होगी। जी हाँ भारत का सबसे प्रसिद्ध दरगाह भारत के सबसे प्रसिद्ध शहर दिल्ली में हीं स्थित है, जिसे हम जमा मस्जिद के नाम से जानते हैं।
जामा मस्जिद भारत का एक ऐसा मस्जिद है जिसे शायद ही कोई न जानता हो। लाल किला के सामने बना हुआ यह मस्जिद देश का सबसे प्रसिद्ध मस्जिद है। जामा मस्जिद अपनी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक, धार्मिक और वास्तुकला के कारण खास है। यह दिल्ली की सबसे बड़ी मस्जिद है और मुग़ल वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण है। इसे मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने 17वीं सदी में 1656 ईसवी में बनवाया था। इसकी बड़ी शानदार मीनारें, व्यापक सजावट, और विशाल आंगन उसे विशेष बनाती हैं।

जामा मस्जिद में ईद के दिन लाखों लोग एक साथ ईद की नमाज अदा करने के लिए इकट्ठा होते हैं। यह एक बड़ी समाजिक और धार्मिक आयोजन होता है जो मस्जिद के आसपासी क्षेत्र में भी लोगों को एक साथ आने का अवसर देता है।

हजरत निजामुद्दीन का दरगाह :

हजरत निजामुद्दीन दरगाह एक महत्वपूर्ण सुफी संत के समाधि स्थल के रूप में माना जाता है। यह दिल्ली में स्थित है और सूफी संत हजरत निजामुद्दीन के नाम पर नामित है, जिन्होंने 14वीं सदी में यहां बहुत से सामाजिक कार्य किए थे।

हजरत निजामुद्दीन के दरगाह की सबसे खास बात यह है कि यहां के माहौल में एक अपनेपन का भाव है। यहां के चारों ओर की रौनक, शांति, और भक्ति वातावरण आगंतुकों को आकर्षित करता है। अगर बात करें हजरत निजामुद्दीन औलिया के बारे में तो वह भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण सुफी संतों में से एक थे। उनका असली नाम शहबुद्दीन मोहम्मद था, और वे दिल्ली में 13वीं और 14वीं सदी के बीच रहा करते थे। उन्होंने विशेष रूप से सुफी पंथ को फैलाने और धर्मिक समरसता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके दरगाह पर आज भी लाखों श्रद्धालु आते हैं और उन्हें अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

अजमेर शरीफ दरगाह

जब हम भारतीय संस्कृति की बात करते हैं तो भारत एक ऐसा देश है जहां, हर तरह के रहन-सहन खानपान और बोलचाल वाले लोग एक साथ मिलजुल कर रहते हैं। भारतीय संस्कृति की इसी विशालता का एक बेहतरीन उदाहरण है अजमेर शरीफ दरगाह! अजमेर शरीफ दरगाह जिसे ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह शरीफ के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान के अजमेर में स्थित एक ऐसा दरगाह है, जो संतों सद्गुरुओं और अराधकों की भक्ति और श्रद्धा का केंद्र है। अजमेर शरीफ का दरगाह एक ऐतिहासिक स्थल है। जो सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती से जुड़ा हुआ है। अजमेर शरीफ दरगाह को मुस्लिम धर्म का पवित्रतम स्थान माना जाता है। आने वाले लोग अपनी इच्छाएं मनोकामनाएं और संकल्प ख्वाजा साहब के समक्ष रखते हैं और उनकी दुआओं के पूरी होने की कामना करते हैं। अजमेर शरीफ के दरगाह में माथा टेकने के लिए भारत अन्य राज्यों के पर्यटकों के अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी पर्यटक घूमने आते हैं।

सलीम चिश्ती की दरगाह

इस शहर में सलीम चिश्ती की दरगाह भी है। यहां सिर्फ देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने-कोने से लोग मन्नत मांगने आते हैं। जामा मस्जिद सफेद संगमरमर से बना हुआ है जहां आकर आपको अलग शांति महसूस होगी। फतेहपुर सीकरी में सलीम चिश्ती का दरगाह का इतिहास गौरतलब है। इसे मुग़ल बादशाह अकबर के पुत्र, सलीम चिश्ती, जिन्होंने बाद में जहाँगीर नाम से अभिज्ञान किया, के समय में बनवाया गया था। यह दरगाह उनकी मासूम बेटी के मृत बचपन की यादों को समर्पित किया गया था। इसे अकबर ने अपने बेटी के नाम पर “मारियम-उल-वश्त” का नाम दिया था। यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और लोग यहाँ आकर मन्नतें माँगते हैं।

हाजी अली दरगाह, मुंबई

हाजी अली दरगाह मुंबई के महिम परिसर में स्थित है और मुस्लिम समुदाय के लोग यहाँ नमाज अदा करने आते हैं। हाजी अली दरगाह की निर्माण तारीखों के मामले में कुछ अनिश्चितताएं हैं, लेकिन इसे इस्लामिक धर्मावलम्बियों के प्रमुख स्थलों में से एक के रूप में जाना जाता है। इस मस्जिद से बॉलीवुड अभिनेता धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन जैसे कई फ़िल्मी सितारों का संबंध रहा है।
हाजी अली दरगाह के पास मस्जिद और एक बड़ी मस्जिद है। यहाँ एक मुख्य महल भी है जिसमें विशाल अधिवेशन हॉल, श्रद्धालुओं के लिए आरामदायक बैठकरी, और प्रसाद की दुकानें शामिल हैं। दरगाह के चारों ओर रखी गई छतें और जालियां उसे भव्य बनाती हैं। यहाँ पर आने वाले लोगों के लिए धार्मिक और सामाजिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
हाजी अली दरगाह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है और यहाँ हर वर्ष बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ आती है। खासतौर पर जुम्मा के दिन और ईद के मौके पर यहाँ बहुत अधिक भीड़ उपस्थित रहती है। खास करके मुंबई में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए यह सबसे प्रसिद्ध इबादतगाह है।

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Bangle Market: जानिए क्यों देश विदेश के पर्यटकों की पहली पसंद है जयपुर की लाख की चूड़ी मार्किट

क्यों खास है जयपुर के लाख की चूड़ियाँ ?

जयपुर का बाजार लाख की चूड़ियों के लिए दुनिया भर में मशहूर है। यहां हर तरह की लाख की चूड़ियाँ बनवायी जाती है। आप यहां अपनी आंखों के सामने लाख की चूड़ियों को बनते हुए देख सकते हैं। चूड़ियां महिलाओं की खास पसंद होती है। इंडियन कल्चर को मानने वाली हर विवाहित महिला अपने हाथों में चूड़ियाँ पहनती हैं। …और सिर्फ विवाहित हीं नहीं अविवाहित लड़कियां भी अपने हाथ में चूड़ियाँ पहनना पसंद करती हैं। और अगर यह चूड़ियाँ उन्हें उपहार में दे दी जाए तो इससे बेहतर गिफ्ट उनके लिए और कुछ हो ही नहीं सकता है।

सामने बनाई जाती हैं चूड़ियाँ

अगर आपको भी अलग-अलग रंगों की चूड़ियाँ पहनना पसंद है तो आप जयपुर के चूड़ी मार्केट का रुख सकती हैं। जहां आप रंग बिरंगी चमचमाती चूड़ियाँ कस्टमाइज्ड करवा सकते हैं और अपने सामने इन चूड़ियों को बनता हुआ देख सकते हैं। यहां पर लाख की चूड़ियाँ बनाने वाले कलाकार आने वाले पर्यटकों के सामने चूड़ी बनाकर उन्हें दिखाते हैं। यह आपको काफी फैशिनेटिंग लगेगा। दूर से देखने पर लाख की चूड़ियाँ बनाना आसान काम लगता है। लेकिन इन कलाकारों से पूछने पर पता चलता है कि गर्म लाख को चूड़ी के खांचे में डालना एक चैलेंजिंग काम होता है। ये कलाकार बताते हैं कि इन लाख की चूड़ियों को बनाने के लिए सही तकनीक आना काफी जरूरी है। कोई भी व्यक्ति ऐसे ही फिनिशिंग के साथ चूड़ियों को नहीं बना पाएगा अगर उसे वह तकनीक पता ना हो। कलाकार बताते हैं कि लाख की चूड़ियाँ बनाने का यह तकनीक सिखाई नहीं जाती बल्कि अनुभव से आती है।

करवा सकते हैं कस्टमाइज

पर्यटक अपने हिसाब से इन लाख की चूड़ियों को डिजाइन करवा सकते हैं। अगर आप भी लाख की चूड़ियाँ बनवाना चाहते हैं तो आप अपने हिसाब से इन लाख की चूड़ियों के रंग, डिजाइन आदि को कस्टमाइज करवा सकते हैं। यहां आने वाले पर्यटक अपनी डिमांड्स चूड़ी निर्माता के सामने रखते हैं और चूड़ी बनाने वाले कारीगर उनकी डिमांड्स के अनुसार उनके सामने हीं चूड़ी बनाकर उन्हें पहना देते हैं।

सबसे खास है नाम वाली चूड़ियाँ

आप कस्टमाइज्ड नाम वाले चूड़ियों का भी यहां ऑर्डर दे सकते हैं। लाख की चूड़ियों पर नग से लोगों के नाम को उकेर कर यह खास चूड़ियाँ तैयार की जाती है। यह चूड़ियाँ अक्सर नव विवाहिताओं के लिए डिजाइन करवाई जाती है। जिसमें उस नव विवाहिता के साथ उसके पति का नाम उसकी चूड़ी में लिखा गया होता है। लाख की ऐसी चूड़ियों की डिमांड काफी दूर-दूर से आती है

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राजस्थान की संस्कृति को वैश्विक पटल पर रखता है घूमर

भारी भरकम घेर वाला घाघरा पहनकर और माथे पर घूंघट डालकर किया जाने वाला यह नृत्य आज के समय में दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गया है।
इस नृत्य में महिलाएं बड़ा घेरा बनाकर नृत्य प्रस्तुत करती हैं। इस नृत्य के दौरान पहने जाने वाले पोशाक इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। हालांकि राजस्थान के अलग-अलग भागों में घूमर नृत्य की शैली तथा इस नृत्य के दौरान पहने जाने वाले पहनावे में थोड़ा बहुत अंतर देखने को मिलता है, लेकिन इस नृत्य को प्रस्तुत करने वाले लोगों के भावनाओं में कोई अंतर नहीं होता।
आपको बता दें कि घूमर राजस्थान का राजकीय नृत्य है और राजस्थान में होने वाले सामाजिक कार्यक्रमों में आपको इसकी झलक देखने को मिल जाएगी। ट्रेड फेयर जैसे मौके पर भी घूमर नृत्य की झलकियां देखने को मिल जाती हैं।

घूमर नृत्य की शुरुआत राजस्थान के भील जनजातियों के द्वारा किया गया था। भील जनजाति के लोग माता सरस्वती की आराधना में यह नृत्य प्रस्तुत किया करते थे। राजा-रजवाड़ों के समय यह नृत्य बहुत ही प्रसिद्ध हो गया। जिसके बाद राज्यसभाओं में इस नृत्य की प्रस्तुति होने लगी और वहीं परंपरा आज तक चली आ रही है। आज भी राजस्थान में अक्सर किसी भी शुभ अवसर पर घूमर की झलकी देखने को मिल जाती है। घूमर सिर्फ नृत्य नहीं राजस्थान की संस्कृति का एक अमूल्य धरोहर है। अक्सर नर्तकों द्वारा नृत्य के सभी विधाओं में घूमर को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इतना हीं नहीं आपको यह जानकर हैरानी होगी कि घूमर राजस्थान का सबसे प्राचीनतम लोक नृत्य है और सिर्फ महिलाओं के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।

घूमर सिर्फ एक नृत्य नहीं एक परंपरा है, जिसे वर्षों से राजस्थान में निभाया जाता रहा है। जब भी राजस्थान में कोई नव विवाहिता अपने ससुराल आती है तो वह घूमर नृत्य करके अपने वैवाहिक जीवन में कदम रखती है।इसके अलावा शादियों, त्योहारों और अलग-अलग सामाजिक तथा धार्मिक अवसरों पर घूमर नृत्य प्रस्तुत किया जाता है। इतना हीं नहीं समय-समय पर इस नृत्य की झलकियां फिल्मों में भी हमें देखने को मिलती रहती है।राजस्थान सरकार भी इस नृत्य को बढ़ावा देने का प्रयास करती रहती है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले जैसे जगहों पर भी इस नृत्य की प्रस्तुति हमें देखने को मिलती है।

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राजस्थानी आत्मसम्मान का प्रतीक है साफा

जब भी कभी साफा का जिक्र होता है हमारे ध्यान में सबसे पहले राजस्थान का नाम आता है। और आए भी क्यों ना साफा का इतिहास कहीं न कहीं राजस्थान से हीं जुड़ा हुआ है। सर पर बड़े-बड़े पगड़ी बांधे राजस्थानी लोग अपने राजसी संस्कृति को पूरे विश्व के सामने प्रस्तुत करते हैं। यह साफा न सिर्फ उनके लिए एक श्रृंगार है बल्कि उनका आत्मसम्मान भी है। राजस्थान में साफ़ा का बहुत हीं ऐतिहासिक और नैतिक महत्व है। लोग इसे आत्म सम्मान से जोड़कर देखते हैं।
आपको बता दें की राजस्थान के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग तरीके से साफा बांधने का प्रचलन रहा है। इतना हीं नहीं सफा के रंग में भी एक कहानी छुपी हुई होती है जो साफा के मूल्य से हमें अवगत करवाती है। जैसे सफेद साफा का राजस्थान में अपना ही एक महत्व है, वहीं केसरिया साफा के पीछे एक अलग ही कहानी छुपी हुई होती है। अगर रंगों के आधार पर साफा को विभाजित किया जाए तो वह विभाजन कुछ इस प्रकार का होगा। :-

क्यों पहना जाता है साफा (Why is Safa worn)?

अगर राजस्थान के जलवायु के बारे में बात की जाए तो यह भारत का सबसे गर्म प्रदेश है और यहां लगभग 9 महीने तक गर्मी पड़ती है। ऐसे में लंबे समय तक यहां लू की आंधी चलती रहती है। साफा का इतिहास भी कहीं ना कहीं गर्मी और लू से जुड़ा हुआ है। राजस्थानी लोग अपने आप को लू के थपेड़ों से बचाने के लिए कई परतों वाला साफा अपने सिर पर बांधते हैं। यह साफा लोगों को डिहाइड्रेशन से बचता है। इसके अलावा राजस्थान राजा रजवाड़ों का गढ़ रहा है। ऐसे में वहां अक्सर युद्ध जैसी परिस्थितियों आती रहतीं थी। सफा युद्ध के समय पर सिर पर किए गए अकस्मात आघात से योद्धाओं को बचता था। आज साफा राजस्थान के संस्कृति का एक अहम हिस्सा बन चुका है।

रंग है अलग-अलग समुदाय की निशानी (Color is a symbol of different communities):

पूरे राजस्थान में अलग-अलग समुदाय के लोग अलग-अलग तरह के साफा का उपयोग करते हैं। राजस्थान के लोगों के साफा के रंग और उसे बांधने के स्टाइल को देखकर काफी हद तक आप उनके समुदाय का पता लगा सकते हैं। जैसे बिश्नोई समुदाय के लोग हमेशा सफेद साफा बांधते हैं। वहीं रेवाड़ी और राईका समुदाय के लोग लाल रंग का साफा बांधते हैं। कलबेलिया, लंगा- मांगणियार लोग रंग बिरंगे छापों वाला साफा बांधते हैं, जबकि व्यापारी समुदाय गुलाबी केसरिया और लाल रंग का पगड़ी बांधते हैं।

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Top 5 National Parks of Rajasthan

  • रणथम्भोर नेशनल पार्क (Ranthambore National Park)
  • मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान (Mukundara Hills National Park)
  • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park)
  • अलवर सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान (Alwar Sariska National Park)
  • डेजर्ट राष्ट्रीय उद्यान (Desert National Park)

1. रणथम्भोर नेशनल पार्क (Ranthambore National Park)

रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के सवाई माधोपुर ज़िला में अवस्थित है। यह नेशनल पार्क लगभग 1334 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। सर्वप्रथम रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान को 1955 में सवाई माधोपुर खेल अभयारण्य के रूप में जाना जाता था। इसके पश्चात 1973 में इसे टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। 1 नवंबर 1980 को इस टाइगर रिजर्व को राष्ट्रीय उद्यान बना दिया गया। रणथम्भोर नेशनल पार्क में कई प्रकार के वन्य जीव निवास करते है जिनमे बाघ (Tiger), सांभर हिरण (Sambhar Deer), नर मोर (Male Peacock) और चित्तीदार हिरण (Spotted Deer) शामिल है। इसके अलावा यहाँ तेंदुए (Leopards) भी पाए जाते है।

कैसे पहुंचे रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान (How to reach Ranthambore National Park)?

  • सड़क मार्ग- यदि आप दिल्ली से आना चाहते हैं तो आप एनएच 8 और एनएच 11ए से आ सकते है जो रणथम्भोर को दिल्ली से जोड़ता है।
  • रेल मार्ग- इस नेशनल पार्क का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन सवाई माधोपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन है जो मात्र 11 किमी दूर है और जहाँ से आप टैक्सी या बस लेकर रणथम्भोर नेशनल पार्क पहुंच सकते है।
  • हवाई मार्ग- हवाई मार्ग से आने के लिए आपको जयपुर के सांगानेर एयरपोर्ट (145 किमी) आना होगा।

2. मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान (Mukundara Hills National Park)

मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान जिसे दर्राह नेशनल पार्क भी कहा जाता है राजस्थान के कोटा जिले के पास स्थित है। मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क लगभग 760 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी स्थापना 2004 में हुई थी। इस नेशनल पार्क में तीन वन्य जीव अभ्यारण्य सम्मलित हैं दर्रा वन्यजीव अभयारण्य, राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य और जवाहर सागर वन्यजीव अभयारण्य। इस राष्ट्रीय उद्यान में जंगलों का बहुत बड़ा भाग शामिल है जो पहले राजाओं का शिकारगाहों का हिस्सा था। यह नेशनल पार्क राजस्थान का तीसरा टाइगर रिजर्व है। एक समय इस राष्ट्रीय उद्यान को एशियाई शेर के पुनः उत्पादन के लिए माना जाता था। मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान में कई प्रकार के फॉउना (Fauna) निवास करते है जिनमे बंगाल टाइगर, भारतीय भेड़िया, भारतीय तेंदुआ, स्लॉथ भालू, सांभर, चिंकारा, हिरण, चीतल, नीलगाय और जंगली सूअर शामिल हैं। इसके अलावा यहाँ मगरमच्छ और घड़ियाल भी पाए जाते हैं ।

कैसे पहुंचे मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान (How to reach Mukundra Hills National Park)?

  • सड़क मार्ग- इस नेशनल पार्क का नजदीकी शहर कोटा है जहाँ से राष्ट्रीय उद्यान की दुरी 50 किमी है।
  • रेल मार्ग- इस नेशनल पार्क का निकटम रेलवे स्टेशन है- कोटा रेलवे स्टेशन जहाँ से आप टैक्सी या बस लेकर मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क पहुंच सकते है।
  • हवाई मार्ग- इस नेशनल पार्क का निकटम एयरपोर्ट 300 किलोमीटर दूर उदयपुर में हैं।

3. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park)

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भारत के वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सूची में शामिल, एक प्रसिद्ध बर्ड अभयारण्य है। इस नेशनल पार्क की प्रसिद्धि का कारण है सर्दियों के दौरान यहाँ आने वाले साइबेरियन सारस। यह नेशनल पार्क राजस्थान के भरतपुर में स्थित है जिसके कारण इस उद्यान को भरतपुर पक्षी विहार भी कहा जाता है। इस पक्षी विहार में हजारों की संख्या में लुप्तप्राय और दुर्लभ पक्षी पाए जाते है। केवलादेव नेशनल पार्क लगभग 28 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस राष्ट्रीय उद्यान को 1982 में नेशनल पार्क का दर्जा दे दिया गया। गंभीर और बाणगंगा नदी इस पार्क में बहती है। यह पक्षी विहार पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में कई प्रकार के फॉउना निवास करते है जिनमे पक्षियों की 350 से अधिक प्रजातियां, स्तनधारियों की कुल 36 प्रजातियां और मछलियों की 43 प्रकार की प्रजातियां पाई जाती है।

कैसे पहुंचे केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (How to reach Keoladeo National Park)?

  • सड़क मार्ग- केवलादेव नेशनल पार्क दिल्ली, चंडीगढ़, लखनऊ, जयपुर आदि प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
  • रेल मार्ग- इस नेशनल पार्क का नजदीकी रेलवे स्टेशन है- भरतपुर रेलवे स्टेशन जहाँ से आप टैक्सी या बस लेकर केवलादेव नेशनल पार्क पहुंच सकते है।
  • हवाई मार्ग- इस नेशनल पार्क का निकटम एयरपोर्ट 56 किलोमीटर दूर आगरा में है जो दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई आदि से जुड़ा हुआ है।

4. अलवर सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान (Alwar Sariska National Park)

दिल्ली के नजदीक स्थित अलवर सरिस्का सफारी अन्य जंगल सफारियों से काफी अलग है। क्योंकि आप यहां मानसून में भी जंगल सफारी का आनंद उठा सकते हैं। सरिस्का जंगल सफारी दिल्ली से मात्र ढाई घंटे की दूरी पर स्थित है और नेचर को एक्सप्लोर करने के लिए एक बेहतरीन जगह है। सरिस्का जंगल सफारी के पास हीं स्थित है, अलवर फोर्ट और बाला फोर्ट बफर जोन (buffer zone)। आप इन दोनों जगह पर जाकर भी घूम सकते हैं। अलवर के किले पर खड़े होकर आप पूरे सरिस्का नेशनल पार्क को देख सकते हैं। चारों ओर बड़े-बड़े पेड़, घना जंगल और जंगलों में बिना डरे चहल कदमी कर रहे हिरन आपका मन मोह लेंगे। खड़े होकर आसपास के सीनरी को निहारना भी सुकून दायक होता है।

कैसे पहुंचे अलवर सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान (How to reach Alwar Sariska National Park)?

  • सड़क मार्ग- अलवर सरिस्का नेशनल पार्क दिल्ली-अलवर-जयपुर रोड पर स्थित है।
  • रेल मार्ग- इस नेशनल पार्क का नजदीकी रेलवे स्टेशन है- अलवर रेलवे स्टेशन (37 किलोमीटर) जहाँ से आप टैक्सी या बस लेकर केवलादेव नेशनल पार्क पहुंच सकते है।
  • हवाई मार्ग- हवाई मार्ग से आने के लिए आपको जयपुर के सांगानेर एयरपोर्ट (122 किमी) आना होगा।

5. डेजर्ट राष्ट्रीय उद्यान (Desert National Park)

डेजर्ट राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान में एक नेशनल पार्क है जो, जैसलमेर और बाड़मेर जिले के पास स्थित है। डेजर्ट नेशनल पार्क लगभग 3162 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी स्थापना 1981 में हुई थी। यह नेशनल पार्क भारत के सबसे बड़े राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। यह नेशनल पार्क यहाँ पाए जाने वाले ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard) के कारण प्रसिद्ध है जो इस उद्यान में अच्छी-खासी संख्या में पाया जाता है। इस उद्यान में डायनासोर के अवशेष भी प्राप्त हुए है। डेजर्ट राष्ट्रीय उद्यान में कई प्रकार के फॉउना (Fauna) निवास करते है जिनमे रेगिस्तानी लोमड़ी, भेड़िया, बंगाल लोमड़ी, स्पाइनी-टेल्ड छिपकली, मॉनिटर छिपकली, चिंकारा, हाथी, छोटे पंजे वाले ईगल, टैनी ईगल और रेगिस्तानी बिल्ली शामिल है।

कैसे पहुंचे डेजर्ट राष्ट्रीय उद्यान (How to reach Desert National Park)?

  • सड़क मार्ग- इस मार्ग से आने के लिए आप जैसलमेर आ सकते है जहाँ से राष्ट्रीय उद्यान की दुरी 40 किमी है।
  • रेल मार्ग- इस नेशनल पार्क का निकटम रेलवे स्टेशन है- जैसलमेर जहाँ से आप टैक्सी या बस लेकर डेजर्ट नेशनल पार्क पहुंच सकते है।
  • हवाई मार्ग- इस नेशनल पार्क का निकटम एयरपोर्ट जोधपुर में है।
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पक्षियों की हजारों से अधिक प्रजातियां का निवास स्थल है केवलादेव पक्षी विहार

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) भारत के वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सूची में शामिल, एक प्रसिद्ध बर्ड अभयारण्य है। इस नेशनल पार्क की प्रसिद्धि का कारण है सर्दियों के दौरान यहाँ आने वाले साइबेरियन सारस। यह नेशनल पार्क राजस्थान के भरतपुर में स्थित है जिसके कारण इस उद्यान को भरतपुर पक्षी विहार भी कहा जाता है। इस पक्षी विहार में हजारों की संख्या में लुप्तप्राय और दुर्लभ पक्षी पाए जाते है। केवलादेव नेशनल पार्क लगभग 28 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस राष्ट्रीय उद्यान को 1982 में नेशनल पार्क का दर्जा दे दिया गया। गंभीर और बाणगंगा नदी इस पार्क में बहती है। यह पक्षी विहार पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है।

फॉउना और फ्लोरा (Floras and Faunas in Keoladeo National Park)

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में कई प्रकार के फॉउना निवास करते है जिनमे पक्षियों की 350 से अधिक प्रजातियां पायी जाती है। इनमे साइबेरियन सारस (Siberian Stork), घोमरा (Ghomra), उत्तरी शाह चकवा (Northern Shah Chakwa), जल पक्षी (Waterfowl), लाल सर बत्तख (Red-headed Duck) आदि शामिल है। इसके अलावा यहाँ स्तनधारियों की कुल 36 प्रजातियाँ रहती है जिनमे से कुछ प्रमुख ये है- (Sambar), हनुमान लंगूर (Hanuman Langur), चीतल हिरण (Chital Deer), नीलगाय (Nilgai) तथा धारीदार लकड़बग्घा (Striped Hyena)। यहां मछलियां की 43 प्रकार की प्रजातियाँ पाई जाती है। अगर बात की जाए फ्लोरा की तो, यहाँ के जंगलों में बबूल (Acacia nilotica), कदंब (Mitragyna parvifolia) और जामुन (Syzygium cuminii) के पेड़ बहुत अधिक संख्या में पाए जाते है। वही जलीय वनस्पतियों में यहाँ वाटर लिली (Nymphaea nouchali), लोटस (Nelumbo nucifera) तथा वॉटर फ़र्न (Azolla), पाए जाते हैं।

बेस्ट टाइम टू विजिट केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Best time to visit Keoladeo National Park)

यह राष्ट्रीय उद्यान साल के बारहों महीने खुला रहता है। आप यहाँ किसी भी महीने में आ सकते है। लेकिन अगर आप यहाँ माइग्रेटरी बर्ड्स (Migratory Birds) की ज्यादा प्रजातियाँ देखना चाहते है तो आप सर्दियों (अक्टूबर से फरवरी) में आने का कोशिश करें। वही यदि आप यहां के स्थानीय पक्षियों (Local Birds) के बारें में जानना चाहते है तो आप अगस्त से नवंबर के बीच कभी भी आ सकते है।

कैसे पहुंचे केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (How to reach Keoladeo National Park)?

  • सड़क मार्ग- केवलादेव नेशनल पार्क दिल्ली, चंडीगढ़, लखनऊ, जयपुर आदि प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
  • रेल मार्ग- इस नेशनल पार्क का नजदीकी रेलवे स्टेशन है- भरतपुर रेलवे स्टेशन जहाँ से आप टैक्सी या बस लेकर केवलादेव नेशनल पार्क पहुंच सकते है।
  • हवाई मार्ग- इस नेशनल पार्क का निकटम एयरपोर्ट 56 किलोमीटर दूर आगरा में है जो दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई आदि से जुड़ा हुआ है।
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Best Places to visit in Alwar

Alwar is a beautiful city in the state of Rajasthan, India, known for its rich history, stunning palaces, and scenic landscapes. Here are some of the best places to visit in Alwar:

Bala Quila (Alwar Fort)

This ancient fort is perched on a hilltop and offers breath-taking panoramic views of the city and surrounding areas. It is an excellent spot for history enthusiasts and photographers.

Location: Bala Quila is situated atop the Aravalli Range, approximately 5 kilometers from the main city of Alwar. The strategic location provides stunning views of the surrounding landscape.

Points of Interest: Within the fort, you can explore various structures, including palaces, temples, and cenotaphs. Some notable attractions include Jai Mahal, Nikumbh Mahal, Salim Sagar Tank, and Suraj Kund.

Panoramic Views: Bala Quila offers breathtaking panoramic views of the Alwar city below and the picturesque hills of the Aravalli Range. It’s an excellent spot for photography and enjoying the scenic beauty.

Visiting Bala Quila is not only an opportunity to witness a historical marvel but also a chance to immerse yourself in the rich heritage and culture of Alwar. If you plan to visit, make sure to wear comfortable shoes and carry water, especially if you decide to trek to the top. The fort is a must-visit attraction for history enthusiasts, architecture admirers, and nature lovers alike.

Sariska Tiger Reserve

Sariska Tiger Reserve is a well-known wildlife sanctuary located in the Alwar district of Rajasthan, India. It is one of the important protected areas in the Aravalli Range and is famous for its diverse flora and fauna, including the majestic Royal Bengal Tigers. Here are some key details about the Sariska Tiger Reserve:

1. History: Sariska was declared a wildlife sanctuary in 1958 and later became a Tiger Reserve in 1978 under India’s Project Tiger initiative, aimed at conserving the endangered Bengal tiger population.

2. Location: The reserve is situated around 200 kilometres from Delhi and approximately 107 kilometres from Jaipur, making it easily accessible from both cities.

3. Geography: The Sariska Tiger Reserve covers an area of approximately 866 square kilometers. It encompasses hills, valleys, dry deciduous forests, and rocky landscapes typical of the Aravalli Range.

4. Wildlife: The reserve is home to a variety of wildlife species, including tigers, leopards, wild boars, sambar deer, spotted deer (chital), nilgai (blue bull), langurs, hyenas, jackals, and various bird species.

5. Bengal Tigers: Sariska is known for its Bengal tiger population, though the numbers have fluctuated over the years due to various factors, including poaching and habitat loss. Conservation efforts have been made to protect and increase the tiger population in the reserve.

6. Safari and Tourism: Visitors can explore the Sariska Tiger Reserve through guided safaris. The reserve offers both Jeep safaris and Canter (open-top bus) safaris, allowing tourists to get a glimpse of the wildlife in their natural habitat.

7. Other Attractions: Apart from wildlife, Sariska has several historical and architectural attractions nearby, such as the 17th-century Kankwari Fort, Neelkanth Temple, and the ancient Pandupol Temple.

8. Best Time to Visit: The best time to visit Sariska Tiger Reserve is during the cooler months between October and March when the weather is pleasant for wildlife viewing.

Siliserh Lake:

 A serene lake located about 13 km from Alwar, surrounded by hills and adorned with a beautiful palace-turned-hotel. Boating in the lake and enjoying the scenic beauty is a must.

Siliserh Lake is a picturesque lake located near Alwar city in the state of Rajasthan, India. It is a popular tourist destination known for its serene surroundings and historical significance. Here are some key details about Siliserh Lake:

1. Location: Siliserh Lake is situated about 13 kilometers southwest of Alwar city, nestled amidst the Aravalli Range.

2. Origin: The lake was built in 1845 by Maharaja Vinay Singh as a part of a water conservation project to provide water to the residents of Alwar and nearby villages. It was named after the queen, Shila, the consort of Maharaja Vinay Singh.

3. Scenic Beauty: The lake is surrounded by lush green hills, making it a tranquil and picturesque spot. The scenic beauty of the lake and its surroundings attracts visitors throughout the year.

4. Boating: Boating facilities are available at Siliserh Lake, allowing visitors to enjoy a peaceful boat ride on the serene waters. It’s a popular activity and provides an opportunity to take in the beauty of the lake from a different perspective.

5. Siliserh Palace: The lake also houses the beautiful Siliserh Palace, which was originally built as a royal hunting lodge. It has now been converted into a heritage hotel by the Rajasthan Tourism Development Corporation (RTDC). The palace offers a royal ambiance and a chance to experience the regal lifestyle.

6. Birdwatching: The lake and its surroundings attract a variety of bird species, making it a good spot for birdwatching. Bird enthusiasts can spot several resident and migratory birds around the lake.

7. Picnicking and Relaxation: Siliserh Lake is an ideal spot for picnics and leisurely walks. Many visitors come here to relax and enjoy the serene environment.

8. Light and Sound Show: The Siliserh Lake also hosts an evening light and sound show that narrates the history and legends associated with the lake and the surrounding region.

9. Accessibility: The lake is easily accessible from Alwar city, and it takes around 30 minutes by road to reach the lake.

10. Best Time to Visit: The best time to visit Siliserh Lake is during the monsoon and winter seasons, from July to March, when the weather is pleasant, and the surroundings are lush green.

Moosi Maharani ki Chhatri

Moosi Maharani ki Chhatri, also known as Moosi Rani ki Chhatri or Moosi Rani ki Chatri, is a historic cenotaph (chhatri) located in Alwar, Rajasthan, India. It is one of the notable architectural landmarks in the city and holds historical significance. Here are some key details about Moosi Maharani ki Chhatri:

1. History: Moosi Maharani ki Chhatri was constructed in the memory of Maharaja Bakhtawar Singh’s queen, Rani Moosi. Maharaja Bakhtawar Singh ruled Alwar in the 18th century, and the chhatri was built as a memorial for the late queen after her death.

2. Architecture: The cenotaph showcases the classic Rajasthani architectural style. It is an impressive structure with intricate carvings and ornamentations. The chhatri is built on a raised platform and features a dome-shaped roof supported by pillars.

3. Location: Moosi Maharani ki Chhatri is located on the banks of Siliserh Lake, adding to its picturesque setting.

4. Ornate Carvings: The cenotaph is adorned with beautiful carvings, including intricate floral patterns and geometrical designs. The exquisite craftsmanship reflects the artistic talent of the artisans of that era.

5. Royal Tombs: Inside the chhatri, there are cenotaphs or tombs of Maharaja Bakhtawar Singh and Rani Moosi. These cenotaphs are symbolic memorials and are designed to honor the deceased rulers.

6. Scenic Surroundings: The chhatri’s location near the serene Siliserh Lake adds to the overall charm of the place, making it a popular spot for visitors to enjoy the scenic beauty and take in the historical ambiance.

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राजस्थान के राजसी ठाठ बाट का जीता जागता उदाहरण है जयपुर

“कुछ शहर खूबसूरत होते हैं और कुछ सुन्दर बनने की चाहत रखते हैं। लेकिन राजस्थान का जयपुर शहर तो शायद सुंदरता के लिए बनाया गया है जिसका नाम जेहन में आते ही मन गुलाबी हो उठता है। चाहे दिन का समय हो या रात का, इस शहर की चमक और बनावट मन से उतरती ही नहीं। चारों और अरावली की पहाडयों से घिरा, चौड़ी और साफ़ सुथरी सड़कों और अपने चमकीले और सैकड़ों साल पुराने बाज़ारों के कारण यह शहर किसी भी पर्यटक के मन को खुश करने में पूरी तरह सक्षम हैं।”

इस शहर में बने बेहतरीन ऐतिहासिक इमारतें (Historical sites in Jaipur) जयपुर के कल्चरल हेरीटेज (Cultural heritage of Jaipur) को खुद में समेटे हुए हैं। शायद इसीलिए तो यूनेस्को ने इस पुरे शहर को ही वर्ल्ड हेरिटेज साइट (word heritage site) के सूची में शामिल कर लिया।

1. आमेर का किला (Amer fort):

कहा जाता है कि इस शहर को वेल्स के राजकुमार (prince of wales) के स्वागत की खुशी में गुलाबी रंग से रंगा गया था और तभी से इसे गुलाबी शहर (pink city) के नाम से जाना जाता है। जयपुर शहर का नाम आते ही यहाँ के बड़े-बड़े और भव्य किले दिलोदिमाग में तैरने लगते हैं। और इन्हीं किलों में निसंदेह सबसे पहले जिस किले की छवि उभरती है वो है खूबसूरत आमेर का किला। राजस्थान के जयपुर शहर को और ज्यादा खूबसूरत बना देने वाला ये आमेर का किला, अम्बर किला के नाम से भी जाना जाता है। ये किला ना केवल जयपुर शहर बल्कि पूरे राजस्थान के शानदार पर्यटन (jaipur tourist attraction) स्थलों में से एक है। आमेर का किला इतना प्रसिद्ध है कि यहाँ पर हर रोज छह हजार से भी अधिक लोग घूमने के लिए आते हैं। यह किला राज्य की राजधानी जयपुर से 11 किलोमीटर की दूरी पर है।

आमेर कैसे पहुंचे? (How to reach Amer):


इस किले तक पहुंचने के लिए जयपुर से बस, ऑटो-रिक्शा, टैक्सी या कैब ली जा सकती है। आप अजमेरी गेट और एमआई रोड से आमेर शहर के लिए रोडवेज या प्राइवेट बसों से भी जा सकते हैं। आमेर का किला एक पहाड़ी पर है, इसलिए किले का दीदार करने के लिए आपको किले के थोड़ी दूर पहले से ही या तो पैदल चलना होगा या फिर आप टैक्सी या जीप से भी किले के मुख्य द्वार तक पहुँच सकते हैं। या फिर आप अपनी पर्सनल गाड़ी से भी यहां जा सकते हैं। किले के मुख्य द्वार के पास थोड़ी सपाट चढ़ाई है, इसलिए अगर आप एक्सपर्ट ड्राइवर हैं तो ही अपनी पर्सनल गाड़ी से किले तक जाने का रिस्क लें। अगर आप सीजन के दौरान यहां जा रहे हैं, तो खुद की गाड़ी से जाने से बचना ही बेहतर होगा, क्योंकि ट्रैफिक जाम आपके लिए सिरदर्द साबित हो सकता है। हालांकि ऐसा सीजनल टाइम में ही ज्यादा होता है।

2. जल महल (Jal mahal) :

जयपुर स्थित जलमहल एक पाँच मंज़िला इमारत है, जिसकी 4 मंज़िल पानी के भीतर बनी हैं और एक पानी के ऊपर नज़र आती है। उस समय के राजा इस महल का उपयोग अपने मनोरंजन के लिए करते थे।

जलमहल का इतिहास (History of Jal mahal) :

पिंक सिटी जयपुर की ‘मानसागर’ झील के बीचों बीच बना ‘जलमहल’ अनोखे सौन्दर्य और अद्भुत स्थापत्यकला का बेजोड़ उदाहरण है। इस महल का निर्माण आज से लगभग 300 साल पहले आमेर के महाराज सवाई मानसिंह ने सन् 1799 में करवाया था। आपको बता दें यह पाँच मंज़िला इमारत और इस झील की सुंदरता उस समय के राजाओं के आकर्षण का केंद्र (centre of attraction) हुआ करती थी और राजा अक्सर नाव में बैठकर इस महल की सैर किया करते थे।

कैसे पहुंचे जलमहल (How to reach Jal mahal?)

झील के बीचोंबीच बना ये जलमहल राजस्थान के जयपुर जिले के आमेर मार्ग पर स्थित है, दिल्ली से लगभग 260 किलो मीटर और अजमेर से 146 किलो मीटर की दूरी पर बना ये महल पर्यटकों के आकर्षण (jaipur tourist attraction) का विशेष केंद्र है।

3. मसला चौक जयपुर (Masala Chauk Jaipur) :

जयपुर शहर सिर्फ अपने राजसी ठाठ-बाट (jaipur traditional culture) के लिए नहीं बल्कि खाने के लिए भी काफी मशहूर है। क्योंकि यहां के प्रसिद्ध व्यंजन(Famous Foods), तरह-तरह की स्टाइल और तरह-तरह की चीजों से बने हुए होते हैं। इस रॉयल सिटी के लोग खाने के बहुत ही शौकीन माने जाते हैं और यह शहर फूड लवर्स (Food Lovers) के लिए खास मायने रखता है। अगर बात खाने से संबंधित हो तो जयपुर की खूबसूरत जगहों में से एक जगह है मसाला चौक! जो कि खाने को लेकर अपनी वैरायटी के लिए और अपनी क्वालिटी के लिए बहुत ही नामी जगह है।
किसी भी शहर में बहुत सारी पसंदीदा चीजों का एक साथ एक जगह पर मिलना बहुत ही मुश्किल हो जाता हैं। लेकिन जयपुर का मसाला चौक एक ऐसी जगह है जहां आपको सभी लोकप्रिय व्यंजन और स्ट्रीट फूड एक ही जगह पर आसानी से उपलब्ध हो जाएंगे।

जयपुर के मसाला चौक की शुरुआत जयपुर के सभी प्रसिद्ध स्ट्रीट फूड को सिर्फ एक जगह पर लाने के उद्देश्य से हुई। यह एक ओपन-एयर फूड कोर्ट (Open air food court) है जिसमें बैठने की अच्छी व्यवस्था है, जिसने इसे उन सभी लोगों के लिए एक टॉप हैंगआउट डेस्टिनेशन बना दिया है जो स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेना पसंद करते हैं।

मसाला चौक तक कैसे पहुंचे? (How to reach masala chauk?)

  • मसाला चौक का पता लगाना बहुत आसान है। यह बहुत प्रसिद्ध स्मारक, अल्बर्ट हॉल म्यूजियम के ठीक पीछे राम निवास बाग में स्थित है।
  • जयपुर के इस मशहूर हैंगआउट का समय सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक है। भीड़ से बचने के लिए मसाला चौक जाने का सबसे अच्छा समय दिन के समय या शाम को होता है।
  • प्रवेश शुल्क(entry fee) : मसाला चौक के लिए प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क के रूप में 10 रुपये लिए जाते हैं।
  • मसाला चौक मेन्यू (masala chauk menu) : यहां कुल 21 स्टॉल है, जो शहर के चारों ओर सबसे अच्छा स्ट्रीट फूड परोसते हैं।

4. जंतर मंतर (jantar mantar) :

राजस्थान की राजधानी जयपुर में सवाई जय सिंह द्वारा बनवाया गया जंतर-मंतर यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज (UNESCO World Heritage Site) सूची में शामिल है। यहाँ पर मौजूद उपकरण और यंत्र बेहद पुराने होने के बावजूद भी आधुनिकता (Modernity) का प्रमाण देते हैं। इन बेहद पुराने उपकरणों से समय को मापा जाता है।

जंतर मंतर में स्थित यहाँ के उपकरण आपको एक पल के लिए बांध देने की क्षमता रखते हैं और जैसे ही आप इनकी बनावट देखोगे, इनकी खूबियां देखते ही रह जाओगे। यहाँ पर बहुत सारे उपकरण हैं जो आपको अलग-अलग ज्यामितीय आकारों (geometrical shapes) के दिखाई देंगे। यही वो उम्दा उपकरण हैं जो जयपुर के जंतर मंतर को दुनिया के बेहतरीन वेधशालाओं में से एक बनाते हैं।

आपने कभी सूर्य तो कभी चंद्र ग्रहण के बारे में अवश्य सुना होगा, इन यंत्रो से भविष्य में आने वाले ऐसे ग्रहण के विषय में पता लगाया जाता है। वैसे भी जयपुर स्थित जंतर-मंतर भारत के सबसे बेहतरीन वेधशालाओं (Research Centre) में से एक है।

“कहते हैं महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने जयपुर की वेधशाला का निर्माण करवाने से पहले विभिन्न देशों में अपने शांति दूत भेजे और वहां से खगोल शास्त्र पर उम्दा दर्जे की पांडुलिपियां मंगवाई, जिनसे उन्होंने खगोल विज्ञान को समझा।

जंतर मंतर की टिकट (Ticket price of jantar mantar) :

जंतर-मंतर जयपुर में भारतीय एडल्ट्स के लिए टिकट की कीमत 50 रुपए है और भारतीय स्टूडेंट के लिए 15 रुपए है। वही दूसरी तरफ विदेशी पर्यटकों के लिए टिकट की कीमत ₹200 और फॉरेन स्टूडेंट के लिए 100 निर्धारित की गई है।

5. हवा महल जयपुर (Jaipur Hawa Mahal) :

यूं तो जयपुर में बहुत से पर्यटन स्थल (historical places) हैं, लेकिन हवा महल की बात हीं कुछ और है। इस महल का इतिहास (history), इसकी वास्तुकला(architecture), और यहां की शांति, पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है। इसके हल्की गुलाबी रंग की बालकनी और जालीदार खिड़कियां आप का मन मोह लेंगे। इन जालीदार खिड़कियों को झरोखा भी कहा जाता है। अगर इसके वास्तुकला की बात की जाए तो, इसमें मुगल और राजपूतानी वास्तुकला का मिश्रण देखने को मिलता है। अगर आप जयपुर आती हैं तो आप यहां खड़े होकर पूरे सिटी का एक बेहतरीन व्यू (best view of jaipur) देख सकती हैं।

हवा महल का इतिहास (history of Jaipur) :

जयपुर के राजसी शान के प्रतीक हवा महल को सन 1799 में सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था। हवा महल के वास्तुकार (architect) का नाम लालचंद उस्ताद था। इसके निर्माण में लाल एवं गुलाबी बलुआ पत्थर (red and pink sand stone) का इस्तेमाल किया गया है।
आपको यह बता दे कि हवा महल में कुल 953 खिड़कियां हैं। जिनके बारे में बताया जाता है कि, इन्हें राजस्थान की पर्दा प्रथा को ध्यान में रखते हुए बनवाया गया था। ताकि राजघराने की महिलाएं महल के नीचे शहर में होने वाली गतिविधियों और राजघराने के समारोहों (functions) को देख सकें।

6. जयगढ़ किला जयपुर (Jaigarh fort Jaipur) :

जयगढ़ का किला जयपुर में पहाड़ियों के बीच स्थित एक बेहतरीन और भव्य ऐतिहासिक इमारत है। जिसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1726 में करवाया था। बताया जाता है कि जयगढ़ के किले को आमेर के किले की सुरक्षा के लिए बनवाया गया था। और यह किला भूमिगत मार्गों से आमेर के किला से जुड़ा हुआ है। इस किला को विजय का किला भी कहा जाता है।

अद्भुत राजसी शान का है प्रतीक (symbol of royal legacy) :

इस किले की शान में चार चांद लगाता है यहां स्थित तोप जयवाना! यह पहाड़ियों पर चलने वाली दुनिया की सबसे बड़ी तोप है। जिसके पहिए बहुत हीं विशाल हैं। यह तो इस किले का मुख्य आकर्षण है। दूर दूर से लोग बस इस तोप को देखने के लिए यहां आते हैं।
इस किले में कई शस्त्रागार भी है।
यह किला लाल बलुआ पत्थर (Red sand stone) से बनवाया गया है और इस किले की वास्तुकला बेहद ही सुंदर और अनोखी है। किले के परिसर में संग्रहालय और उद्यान भी है। इस किले के आसपास दूर-दूर तक हरे भरे जंगल हैं, जोकि इस किले की खूबसूरती को और भी ज्यादा बढ़ा देते हैं।

7. बापू बाजार (Bapu Bazar) :

गुलाबी शहर जयपुर अपनी रॉयल् लुक और अद्भुत महलों, स्मारकों के लिए जाना जाता है। लेकिन, इसी के साथ यहां मिलने वाले ट्रेडिशनल आइटम्स इसे एक बेहतरीन शॉपिंग डेस्टिनेशन बना देते हैं। इस बात में कोई संदेह नहीं कि जयपुर में कई ऐसी बड़ी-बड़ी मार्केट हैं जहां आपको बहुत सारी अलग-अलग वेरायटीज की चीजें बहुत ही उचित दामों पर मिल जायेंगी।

जयपुर शहर के केंद्र में, सांगानेर गेट और गुलाबी शहर के नए गेट के बीच, बापू बाजार जूते से लेकर हैंडीक्राफ्ट्स (Handi crafts) तक, आर्टिफीसियल जूलरी (Artificial jewelry) से लेकर पीतल के काम और कीमती पत्थरों तक की खरीदारी के लिए एक बेहतरीन डेस्टिनेशन है, जहां आपको अपनी मनपसंद का हर एक सामान आसानी से मिल जाएगा।
बापू बाजार यहां मिलने वाली फेमस राजस्थानी आइटम्स (Rajsthani items) जैसे कलाकृतियों, हैंडीक्राफ्ट, परम्परागत कपड़े (Traditional dresses)और आर्टिफिशियल जूलरी के लिए देश भर में प्रसिद्ध है।
राजस्थान जिस चीज के लिए प्रसिद्ध है वह है इसकी जीवंतता और भव्यता। और अगर आप इसकी राजधानी जयपुर में घूमने के लिए आते हो तो आप बापू बाजार में शॉपिंग (shopping) करके अपनी ट्रिप को यादगार बना सकते हो।

जयपुर कैसे जाएं? (How to visit Jaipur) :

जयपुर जाने के लिए आप डायरेक्ट जयपुर एयरपोर्ट (Airport) का टिकट (tickets) ले सकते हैं। अगर आप सड़क या रेल मार्ग से जयपुर आना चाहते हैं तो इसके लिए भी साधन मौजूद हैं। जयपुर हर मार्ग से देश के अन्य शहरों से भलीभांति जुड़ा हुआ है। आप आसानी से ट्रेन या बस से भी जयपुर आ सकते हैं। आप चाहे तो अपनी गाड़ी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।