अगर आप असम की राजधानी गुवाहाटी जा रहे हैं, तो कामाख्या देवी मंदिर के साथ एक और पवित्र जगह है जिसे भूलना नहीं चाहिए नवग्रह मंदिर। यह सिर्फ मंदिर नहीं, बल्कि खगोल और आस्था का ऐसा स्थान है जहां हर ग्रह को देवता के रूप में पूजा जाता है। गुवाहाटी की पहाड़ियों पर स्थित यह मंदिर एक शांत, रहस्यमयी और आध्यात्मिक जगह है।

कहा जाता है कि नवग्रह मंदिर की स्थापना अहोम राजा राजेश्वर सिंह ने 18वीं सदी में कराई थी। यह मंदिर नीलाचल पहाड़ी की एक दूसरी चोटी पर स्थित है, जो गुवाहाटी शहर को ऊपर से निहारती है। नवग्रह यानी नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु सभी को यहां अलग-अलग पत्थर के शिवलिंगों के रूप में स्थापित किया गया है। हर शिवलिंग के ऊपर खास रंग का कपड़ा चढ़ा होता है, जिससे लोग पहचान पाते हैं कि कौन-सा ग्रह कौन-सा है।

मंदिर के अंदर का माहौल बहुत ही दिव्य और भव्य लगता है। दीये की लौ, अगरबत्ती की महक, और पुजारियों की आवाज़ में गूंजते मंत्र यह सब मिलकर एक अद्भुत अनुभव देते हैं। यहां आने वाला हर भक्त अपनी कुंडली के ग्रहों को शांत करने और जीवन की परेशानियों से मुक्ति पाने की कामना करता है। बहुत से लोग यहां नवग्रह शांति पूजा करवाते हैं, खासकर वे जिनकी कुंडली में ग्रह दोष वगैरह होते हैं।( यह सिर्फ मंदिर नहीं, बल्कि खगोल और आस्था का ऐसा स्थान है )

नवग्रह मंदिर सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि खगोल शास्त्र के लिहाज से भी बेहद खास है। प्राचीन काल में यह जगह खगोलीय अध्ययन केंद्र मानी जाती थी। कहा जाता है कि यहीं से पुराने विद्वान ग्रहों की चाल और समय की गणना किया करते थे। इसलिए इसे “असम का खगोल मंदिर” भी कहा जाता है। मंदिर से गुवाहाटी शहर और ब्रह्मपुत्र नदी का दृश्य लाजवाब दिखता है। सूर्योदय के वक्त जब ब्रह्मपुत्र की लहरों पर सुनहरी रोशनी गिरती है और मंदिर की घंटियां बजती हैं, तो लगता है जैसे खुद सूरज देवता आशीर्वाद देने उतरे हों। पर्यटकों के लिए यह पल हमेशा यादगार बन जाता है।

कैसे पहुंचें?
नवग्रह मंदिर गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर है। लोकल ऑटो, टैक्सी या कैब आसानी से मिल जाते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए थोड़ी सी चढ़ाई करनी होती है, लेकिन ऊपर पहुंचने के बाद सारी थकान मिट जाती है।

घूमने का सही समय?
अक्टूबर से मार्च तक का मौसम यहां आने के लिए सबसे बढ़िया होता है। इन महीनों में असम की हवा ठंडी और आसमान साफ रहता है। अगर आप संक्रांति, महाशिवरात्रि या ग्रह परिवर्तन के समय आते हैं, तो मंदिर में विशेष पूजा होती है और बहुत भीड़ रहती है।

क्या करें, क्या न करें?
यह जगह बहुत पवित्र मानी जाती है, इसलिए जूते-चप्पल बाहर ही उतारें। पूजा में शामिल होते समय शांत रहें। पहाड़ी इलाका है, इसलिए पानी और हल्का सामान साथ रखें। नवग्रह मंदिर सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा स्थान है जहां विज्ञान और आस्था एक साथ खड़े दिखाई देते हैं। यहां की हवा में अध्यात्म घुला है और वातावरण में एक अजीब-सी सकारात्मक ऊर्जा महसूस होती है। अगर आप कभी असम जाएं, तो इस मंदिर को अपनी यात्रा सूची में ज़रूर शामिल करें। यहां की शांति, ब्रह्मपुत्र का नज़ारा और नवग्रहों की दिव्यता आपको भीतर तक छू जाएगी। यह वो जगह है जहां ग्रहों की गणना नहीं, बल्कि श्रद्धा की कहानी लिखी जाती है।