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कुंभ मेला:  जानिए दुनिया के सबसे बड़े मेले के बारे में

इस मेले का आयोजन चार प्रमुख पवित्र स्थानों – प्रयागराज (इलाहाबाद): यहाँ गंगा, जमुना, और सरस्वती नदियों का संगम होता है। हरिद्वार: यहाँ गंगा नदी का प्रवाह होता है। उज्जैन: यहाँ शिप्रा नदी के तट पर महाकुंभ होता है। नासिक: यहाँ गोदावरी नदी के तट पर महाकुंभ आयोजित होता है। इन चार स्थानों को ‘कुंभ’ का आयोजन स्थल माना जाता है। और जब ये चारों स्थान एक साथ महाकुंभ के आयोजन में शामिल होते हैं, तो इसे महाकुंभ कहा जाता है।

महाकुंभ का आयोजन एक निश्चित कालखंड में होता है, जो ज्योतिषीय गणना पर आधारित होता है। प्रत्येक कुंभ मेला लगभग तीन महीने तक चलता है, लेकिन सबसे बड़ी भीड़ विशेष स्नान दिवसों पर देखी जाती है। ये विशेष दिन माघ पूर्णिमा, शिवरात्रि, बसेरा स्नान, और सिंहस्थ के दिन होते हैं, जब खास अवसरों पर लाखों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं।

कुंभ मेले की पौराणिक कथा

कुंभ मेले की शुरुआत पौराणिक कथा से होती है। कहा जाता है कि जब देवताओं और असुरों के बीच अमृत के लिए समुद्र मंथन हो रहा था, तो अमृत की बूंदें चार स्थानों पर गिरीं – प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन। इसलिए ये स्थान पवित्र माने जाते हैं और यहाँ हर 12 साल में कुंभ मेले का आयोजन होता है। मान्यता है कि इस अमृत की बूंदों से इन स्थलों पर स्नान करने से आत्मा की शुद्धि होती है और पापों का नाश होता है। कुंभ मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन का दर्पण भी है, जिसमें एक साथ आकर समाज के हर वर्ग के लोग समान रूप से भक्ति और श्रद्धा से भाग लेते हैं।

Kumbh Mela

  कुंभ मेले का महत्व

कुंभ मेला एक ऐसा आयोजन है, जहां भक्त, साधु-संत, नागा साधु और संत महात्मा पवित्र स्नान के लिए आते हैं। कुंभ मेले में देश-विदेश से लोग आते हैं और एक असीमित आस्था का अनुभव करते हैं। नागा साधु, जो मेला के प्रमुख आकर्षण होते हैं, अपने तपस्या, योग और साधना के कारण भक्तों के लिए विशेष रूप से प्रेरणादायक होते हैं। वे हिमालय की कठिन तपस्या करने वाले साधु होते हैं, जो सिर्फ कुंभ मेले में दर्शन देते हैं और उनका दिखना एक दैवीय अनुभव के समान होता है। इस मेले में विभिन्न अखाड़ों के साधु संत अपने-अपने पंथों का प्रतिनिधित्व करते हैं और मेले में आध्यात्मिकता, योग, ध्यान और धार्मिक प्रवचनों के माध्यम से भक्तों का मार्गदर्शन  करते हैं।

 कुंभ मेले में स्नान का महत्व

कुंभ मेले में पवित्र स्नान का विशेष महत्व है। मेले के दौरान गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम में स्नान करना अत्यंत पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि इस पवित्र स्नान से व्यक्ति के पाप मिट जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्ति का अवसर मिलता है। इस अद्वितीय स्नान का अवसर विशेष तिथियों पर होता है, जिसे “शाही स्नान” कहा जाता है। शाही स्नान के दिन नागा साधु और विभिन्न अखाड़ों के संत सबसे पहले स्नान करते हैं, इसके बाद आम भक्तों को स्नान का अवसर मिलता है। स्नान का यह अनुभव न केवल धार्मिक होता है, बल्कि यह भक्तों के लिए आत्मा की शुद्धि और पापों से मुक्ति का प्रतीक है। कुंभ मेला में विशेष तिथियों पर स्नान करने के लिए भक्त कई दिन पहले से ही यात्रा की योजना बनाते हैं और हजारों किलोमीटर की यात्रा कर मेले में पहुंचते हैं।

Kumbh Mela
mahakumbh

 कुंभ मेले का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

कुंभ मेला न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव भी है, जो सभी जाति, वर्ग और समुदायों को एक ही मंच पर एकत्र करता है। इस मेले में साधु-संतों के अलावा आम लोग, व्यापारी, शिल्पकार और सांस्कृतिक कलाकार भी भाग लेते हैं। विभिन्न राज्यों के लोग अपनी कला और संस्कृति को प्रस्तुत करते हैं। इस मेले में लगने वाले विभिन्न पंडालों में धार्मिक प्रवचन, योग शिविर, ध्यान और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो भक्तों को आध्यात्मिक शांति और आंतरिक शक्ति प्रदान करते हैं। इसके अलावा, कुंभ मेला व्यापार का भी एक प्रमुख केंद्र होता है, जहां विभिन्न वस्त्र, आभूषण, धार्मिक पुस्तकें, और अन्य सामग्री की बिक्री होती है।  यहाँ व्यापारी और कारीगर अपनी विशेष कलाकृतियों और शिल्पकारियों को बेचने के लिए आते हैं। इस आयोजन में लोगों को विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प और स्थानीय कलाओं को देखने और खरीदने का अवसर मिलता है।

 कुंभ मेले में यात्रा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

1. समय का चयन– कुंभ मेला जनवरी से मार्च तक चलता है। विशेष तिथियों पर पवित्र स्नान के दिन सबसे अधिक भीड़ होती है, इसलिए यात्रा की योजना इसी के अनुसार बनानी चाहिए।

2. आवास की व्यवस्था: कुंभ मेले के दौरान अस्थाई तंबुओं में रहने का विशेष अनुभव मिलता है, जो साधारण होटल और गेस्टहाउस से अलग होता है। हालांकि, मेले में लोगों की भीड़ बहुत होती है, इसलिए आवास की अग्रिम बुकिंग कर लेना सबसे बेहतर होता है।

3. भोजन और स्थानीय व्यंजन: मेले में विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट और पारंपरिक भारतीय स्ट्रीट फूड मिलते हैं। जलेबी, चाट, पूरी-सब्जी जैसे व्यंजन तीर्थयात्रियों के बीच बहुत लोकप्रिय होते हैं। कुंभ मेले के दौरान स्थानीय भोजन का अनुभव भी एक अद्भुत आनंद देता है।

4. स्वास्थ्य और सुरक्षा व्यवस्था: कुंभ मेले में सरकार द्वारा सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाता है। पूरे मेले में पुलिस, स्वयंसेवक और स्वास्थ्य शिविर उपलब्ध रहते हैं, ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति में सहायता मिल सके।

5. मुख्य स्नान तिथियाँ: यदि आप कुंभ मेले में विशेष स्नान के दिन जाना चाहते हैं, तो मुख्य स्नान तिथियों की जानकारी पहले से प्राप्त कर लें। इन दिनों में साधु-संतों का जुलूस और स्नान बहुत आकर्षक होता है, जिसे देखकर आपको मेले का पूरा अनुभव प्राप्त होगा।

 कुंभ मेले के दर्शनीय स्थल और अनुभव

कुंभ मेला केवल धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विविधता का भी प्रतीक है। यहाँ साधु-संतों के साथ-साथ नागा साधु और अन्य प्रकार के साधु-संत अपने परिधान और साधना की परंपराओं के साथ मेले में आते हैं। मेले के दौरान योग और ध्यान के कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं, जो मानसिक शांति और आंतरिक संतुलन प्राप्त करने का एक अनोखा अवसर प्रदान करते हैं। कुंभ मेले में आने वाले लोगों को यह भी देखने का अवसर मिलता है कि कैसे विभिन्न अखाड़े, जो प्राचीन हिंदू परंपराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, यहाँ एकत्र होते हैं। यह मेला केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि भारत की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और मानवता की एकता को दर्शाता है। यहाँ आकर आप भारतीय समाज की विविधता, सहिष्णुता और एकता को महसूस कर सकते हैं। यूनेस्को ने कुंभ मेले को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में वर्णित किया है। अतः हम समझ सकते हैं कि महाकुंभ मेला सांस्कृतिक रूप से कितनी उत्कृष्टता को समेटे हुए है।

2025 में महाकुंभ– उत्तर प्रदेश के प्रयागराग में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ की शुरुआत होगी और इस मेले के दौरान देश विदेश से लाखों लोग पवित्र स्नान और अद्वितीय आध्यात्मिक का अनुभव कर सकेंगे.

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Malai Mandir: The vibrant colors and Timeless Architecture of Delhi’s Hill Temple

 Historical and Cultural Significance

The Malai Mandir, whose name means “hill temple” in Tamil, become built to serve the Tamil-talking network of Delhi. Lord Murugan, to whom the temple is devoted, is a deity related to valor, young people, and information. As the son of Lord Shiva and Goddess Parvati, he’s frequently depicted as a warrior god driving a peacock, and his followers see him as a supply of non secular power and safety.

The Malai Mandir Delhi

The temple’s location on a hill complements its religious environment, allowing devotees to sense a feel of tranquility and detachment from the bustling town below. Malai Mandir is not just a temple, but a cultural image of harmony for the Tamil network in Delhi, supplying a space for cultural and spiritual gala’s, specifically the famous Thaipusam and Skanda Shasti celebrations.

Architectural Grandeur of Malai Mandir

The Malai Mandir Delhi

As a temple of cultures, the Malai Mandir architecture is an example of traditional Dravidian architecture. That mainly features flanking gopurams, rich in carving and stone structures. The design derives a lot of inspiration from the architecture of the temples of Southern India so that the devotees can be transported to the temple cities of Tamil Nadu.

The Gopuram and Vimana

Another unique aspect of the temple is a prominent feature found at the temple entrance, which is the gopuram. It is a pyramidal structure with multiple stories as well as numerous wooden and other sculptures of gods, heavenly beings and myths of gods. This entrance is not only an adornment but also indicates the architectural stage where heaven and earth meet, for it is the last physical structure passed before the worshippers enter the temple.

The Malai Mandir Delhi

Another case of an architectural wonder is the tower constructed just over the sanctum sanctorum or the vimana. It is more modest in proportion and embellishment than the gopuram but no less ornately decorated as it depicts the dweling place of the deity. Typically, the base of the vimana consists of the sculptures of Lord Muruga on a peacock and vel, symbolizing the strength and power of the Lord and his weapon respectively.

Pillars and mandapam

The Malai Mandir Delhi

Pillared halls of enormous proportions known as mandapams, also forms part of the temple providing space for gatherings and the performance of rituals. The pillars are elaborately cut out with motifs and figures. In the case of southern temples, these stone pillars are also taken into consideration because it makes the temple look solid as well as timeless, a quality worth for any temple.

A play of colours in architecture

The Malai Mandir Delhi

What makes of Malai Mandir also unique and different from most other temples is its use of bright colors in many places within the temple. The designing of Malai Mandir on the other hand makes use of many bright colors especially in the pictures of the gods and the religious images, something not often admired in many temples.

Exterior and stonework

The Malai Mandir Delhi

The temple orthography is plain and unassuming and is dominated by vermiculated beige and yellow sandstone. It helps to create a seamless transition from the structure to the terrain, in particular the hill upon which the temple is built. Generally, the Bed and the Wall cavity tend to be clad in more subdued colors of brown, white and gray, but rim treatment and inscriptions in the wall surfaces are more colorful with red, blue and gold colors portraying different energies.

The gopuram on the other hand is also described as painted going up from base to pinnacle which is as soul as the stages of spirituality as detailed in the gopuram. It is also very common to see phallic cult objects in temples. Gold, as a neural-elected color suggesting spiritual energy often sits along with a lot of the drama within the temples on pictures of red deity carving outlines towards the images of deities.

Interiors: A riot of colors

The interior of Malai Mandir is a very distinctive visible experience, with partitions embellished in vibrant colorations and patterns. The ceiling of the primary mandapam regularly capabilities complicated paintings, depicting scenes from the life of Lord Murugan, his battles with demons, and his benefits to devotees. These work of art are created the usage of ambitious sunglasses of yellow, inexperienced, and blue, with gold leaf highlights to signify the divine nature of the depicted activities.

The Malai Mandir Delhi

The statues of Lord Murugan, his consorts, and different deities in the temple also are richly adorned. The deities are draped in bright silk gowns, with embellishes that glimmer in gold and silver. These rich, colorful textiles carry a sense of grandeur and joyful celebration to the temple, mainly for the duration of unique events when the statues are elaborately embellished with garlands of clean flora.The temple’s lighting fixtures in addition complements the play of colours inside the space. Soft, warm light illuminates the brilliant interiors, casting a divine glow over the principal sanctum and making the colours greater pronounced, specifically all through evening prayers while the temple is full of the sounds of devotional music and the glow of oil lamps.

The Spiritual Experience of Color

The numerous colours used in the temple’s structure are not simply aesthetic selections. In Hindu lifestyle, shades preserve deep symbolic meaning. Red, for instance, represents energy and electricity, at the same time as yellow and gold are associated with expertise and know-how. Blue regularly represents the countless and divine, as visible in depictions of Lord Vishnu and Lord Shiva.

The Malai Mandir Delhi

In Malai Mandir, using those colorings targets to evoke unique spiritual feelings in devotees. The outdoors’s more subdued tones encourage contemplation and consciousness, whilst the colourful interiors create a sense of divine beauty and birthday party. This considerate use of shade facilitates beautify the religious adventure of the worshippers, providing them a multisensory revel in that deepens their connection to the divine.

The Malai Mandir Delhi
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अमृत उद्यान(Amrit Udyan)- यहाँ के प्राकृतिक नज़ारे आप का मन मोह लेंगे

राष्ट्रपति भवन, देश के राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास है, पर यह इतना खूबसूरत है कि इसे आम लोगों के लिए साल में दो बार खोला जाता है। अगर आप दिल्ली में भीड़-भाड़ और शोर शराबे से दूर प्राकृतिक नजारों का रसपान करना चाहते हैं, कुछ पल परिवार या दोस्तों के साथ इत्मिनान से बिताना चाहते हैं तो राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में स्थित अमृत उद्यान आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकता है। एक बार एंट्री करने के बाद यहाँ की शांति और पक्षियों की मधुर आवाज़ आपको यहीं ठहरने पर विवश कर देती है। नेचरलवर्स के लिए यह जगह ज़न्नत से कम नहीं।(Amrit Udyan)

अंदर जाने के लिए आपको पहले से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा। यहाँ प्रवेश सभी के लिए पूरी तरह निशुल्क है। सुरक्षा के दो स्तर पार करने के बाद, जब आप अंदर पहुंचते हैं, तो सबसे पहले जो चीज़ आपको आकर्षित करती है, वह है ‘प्रणब मुखर्जी लाइब्रेरी’, जो सफेद रंग में सजी है। इसे देखकर ऐसा लगता है मानो एक सफेद हंस अपनी सुंदरता का प्रदर्शन कर रहा हो। यह एक पब्लिक लाइब्रेरी है और बुक लवर्स के लिए अद्भुत स्थान है।

जैसे ही आप आगे बढ़ते हैं, ‘अमृत उद्यान’ दिखाई देता है, जो 15 एकड़ में फैला हुआ है। अगर आप बच्चों के साथ आए हैं, तो यह उनके लिए एक बेहतरीन जगह है। यहाँ एक विशेष ‘बाल वाटिका’ है, जिसमें 225 साल पुराना शीशम का पेड़ भी है। यह पेड़ अपने मधुर अनुभवों को बच्चों के साथ साझा करता है, जैसे कि एक कहानी सुनाने वाला दादी का प्यारा किस्सा। बच्चों के लिए यहाँ म्यूजिकल फाउंटेन और जगह जगह पक्षियों की रेप्लिका भी बनाई गई है।

अमृत उद्यान: भारत की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर

दिल्ली में स्थित अमृत उद्यान, जिसे पहले ‘मुगल गार्डन’ के नाम से जाना जाता था, भारत के सबसे प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। यहाँ की हरियाली और सुंदरता अद्भुत है, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। वर्ष 2023 में इसे आधिकारिक रूप से ‘अमृत उद्यान’ नाम दिया गया, जो भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्षों के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे ‘अमृत महोत्सव’ का हिस्सा है।

अमृत उद्यान की खासियत

अमृत उद्यान की डिज़ाइन पारंपरिक मुगल बागवानी कला से प्रेरित है और यह 1931 में सर एडविन लुटियन्स द्वारा डिज़ाइन किया गया था। इस उद्यान को चार हिस्सों में बांटा गया है – ईस्ट लॉन, सेंट्रल लॉन, लॉन्ग गार्डन और सर्कुलर गार्डन.

इस उद्यान में स्थित रोज गार्डन यहाँ की सबसे बड़ी विशेषता है। यहां 150 से अधिक विभिन्न प्रकार के गुलाब हैं। इसके अलावा, आप यहाँ ट्यूलिप्स, डहलिया और मैरीगोल्ड जैसे कई अन्य फूल भी देख सकते हैं। गुलाबों के अलावा, यहां माली जूता (Shoestring Acacia) और गोल्डन रेन ट्री भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

वार्षिक फूलों की प्रदर्शनी

अमृत उद्यान में हर साल फरवरी-मार्च में फूलों की प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है। यह वह समय होता है जब पूरा उद्यान रंग-बिरंगे फूलों से भर जाता है। प्रदर्शनी के दौरान, यहाँ बोंसाई गार्डन, हर्बल गार्डन और कैक्टस गार्डन भी देखने को मिलते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह समय बहुत ही खास होता है, क्योंकि यहाँ की सुंदरता और विविधता मन को मोह लेती है।

राष्ट्रपति भवन घूमने की सोच रहे हैं, तो यहां आने से पहले कुछ बातें ध्यान में रखें। यहाँ आप अपने साथ पानी की बोतल और छतरी लेकर आ सकते हैं, लेकिन बैग, चार्जर या पावर बैंक जैसी चीजें अंदर नहीं ले जा सकते। इन्हें जमा करने के लिए आपको लंबी कतार का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए इन्हें साथ लाने से बचें। खाने का सामान भी अंदर ले जाना मना है, लेकिन चिंता न करें, अंदर एक बहुत अच्छा फूड कोर्ट उपलब्ध है।


कैसे पहुंचें अमृत उद्यान?

अमृत उद्यान, दिल्ली के राष्ट्रपति भवन परिसर में स्थित है। यह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से लगभग 8 किलोमीटर और इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से लगभग 15 किलोमीटर दूर है। यहाँ पहुंचने के कुछ आसान विकल्प:

मेट्रो: निकटतम मेट्रो स्टेशन ‘सेंट्रल सेक्रेटेरिएट’ है, जो येलो लाइन और वायलेट लाइन से जुड़ा हुआ है। मेट्रो स्टेशन से उद्यान तक की दूरी केवल 2 किलोमीटर है, जिसे आप रिक्शा या ऑटो से तय कर सकते हैं

बस: दिल्ली परिवहन निगम (DTC) की कई बसें राष्ट्रपति भवन तक जाती हैं। आप कनॉट प्लेस, आईटीओ, या इंडिया गेट से बस लेकर यहाँ आसानी से पहुँच सकते हैं।

कैब या प्राइवेट वाहन: ओला, उबर जैसी सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं। यदि आप अपनी गाड़ी से आ रहे हैं, तो पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध है। लेकिन अंदर प्रवेश के लिए पहले से अनुमति प्राप्त कर लें।

जब अंग्रेजों ने कलकत्ता से बदलकर अपनी राजधानी दिल्ली शिफ्ट की। उस समय वायसरॉय के रहने के लिए दिल्ली में रायसीना की पहाड़ियों को काटकर वायसराय हाउस बनाया गया था। जिसे आजकल राष्ट्रपति भवन के नाम से जाना जाता है। अमृत उद्यान का निर्माण 1928-1929 में ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियन्स द्वारा किया गया था। पहले इसे मुगल गार्डन के नाम से जाना जाता था, क्योंकि इसका डिज़ाइन मुगल बागवानी शैली से प्रेरित था। लुटियंस ने इसको इस तरह बनाया था कि इसमें ब्रिटिश और इस्लामिक दोनों विरासतों की झलक दिखाई दें। इसका डिजाईन ताजमहल के बगीचों और देश में मुगलों के द्वारा बनाये गए चार बाग शैली से प्रेरित है। जिस कारण बनने के बाद इसका नाम मुग़ल गार्डन रखा गया।

यह सिर्फ एक साधारण उद्यान नहीं है, बल्कि भारत के शाही इतिहास का भी हिस्सा है। यहाँ की हरियाली और शांत वातावरण ने इसे राजनयिक गतिविधियों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण स्थल बना दिया है।


क्यों जाएं अमृत उद्यान?

  • प्राकृतिक सुंदरता: विभिन्न प्रकार के फूल और पौधे इसे प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग बनाते हैं।
  • सांस्कृतिक महत्व: अमृत उद्यान भारत के इतिहास और धरोहर का प्रतिनिधित्व करता है।
  • शांति और सुकून: यहाँ का हरा-भरा और शांत वातावरण एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है।
  • इसके अलावा इसमें 150 तरह के गुलाब, 10 हजार से ज्यादा ट्यूलिप बल्ब और 70 अलग-अलग प्रजातियों के लगभग 5 हजार मौसमी फूलों की प्रजातियां हैं। गार्डन में फूलों की अलग-अलग प्रजातियों के अलावा करीब 160 वेरायटी के 5 हजार पेड़ हैं। राष्ट्रपति भवन में नक्षत्र गार्डन भी है।

यदि आप दिल्ली में हैं और प्रकृति के साथ एक दिन बिताना चाहते हैं, तो अमृत उद्यान से बेहतर जगह कोई नहीं हो सकती। अगली बार जब आप दिल्ली में हों, तो इस अद्भुत स्थल की सैर अवश्य करें।

Written by- Rakhi Mishra/Edited by- Pardeep Kumar

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How To Save Money for a Trip

Saving money for a trip requires a mix of planning, discipline, and smart financial habits. Here are some steps to help you save effectively:

How To Save Money for a Trip

1. Set a Clear Goal

  • Determine Your Destination: Decide where you want to go and research the costs associated with the location.
  • Estimate Costs: Calculate the total cost of the trip, including airfare, accommodation, food, activities, transportation, and souvenirs.
  • Set a Timeline: Determine when you want to take the trip and how long you have to save.

2. Create a Budget

  • Track Your Expenses: Monitor your current spending to identify where you can cut back.
  • Set Monthly Savings Goals: Based on your trip’s total cost and your timeline, set monthly or weekly savings targets.
  • Separate Savings Account: Open a dedicated savings account for your trip to avoid spending the money on other things.
How To Save Money for a Trip

3. Reduce Unnecessary Expenses

  • Cut Back on Luxuries: Reduce spending on non-essential items like dining out, entertainment, and shopping.
  • Save on Utilities: Be mindful of your energy consumption and reduce utility bills where possible.
  • DIY Solutions: Find free or low-cost alternatives for services you usually pay for, such as doing your own nails or haircuts.

4. Increase Your Income

  • Side Jobs: Take on a part-time job, freelance work, or gig economy jobs to earn extra income.
  • Sell Unwanted Items: Declutter your home and sell items you no longer need online or at a garage sale.
  • Monetize Hobbies: If you have a hobby like crafting or photography, consider selling your creations or services.

5. Use Savings Tools and Apps

  • Budgeting Apps: Use apps like Mint, YNAB (You Need A Budget), or PocketGuard to track your spending and savings.
  • Automate Savings: Set up automatic transfers to your savings account to ensure you consistently save.
  • Cashback and Rewards: Use credit cards that offer cashback or rewards for purchases you need to make, but pay off the balance each month to avoid interest.

6. Find Ways to Save on Trip Costs

  • Travel Deals: Look for discounts on flights, accommodations, and activities. Sign up for alerts from travel deal websites.
  • Off-Season Travel: Travel during the off-season when prices are lower.
  • Flexible Dates: If possible, be flexible with your travel dates to take advantage of cheaper rates.

7. Stay Motivated

  • Visual Reminders: Keep photos of your destination or a countdown calendar to remind you of your goal.
  • Celebrate Milestones: Reward yourself for reaching savings milestones to stay motivated.
  • Involve Others: Share your goal with friends or family who can offer support and encouragement.

By setting a clear goal, creating a budget, cutting unnecessary expenses, finding additional income sources, using savings tools, and staying motivated, you’ll be well on your way to saving enough money for your dream trip.

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ऐतिहासिक एवं सामरिक दृष्टिकोण से कुतुब मीनार

एक ऐसी मीनार जो ईट से बनी दुनिया की सबसे ऊंची मीनार है। एक ऐसा भव्य आकर्षण जिसे देखने के बाद आश्चर्य होना लाजमी है। एक ऐसी खूबसूरत इमारत जिसकी दीवारों पर कुरान पाक की आयतें गढ़ी गईं हैं और अंत में एक ऐसा साक्षी जो मुगल साम्राज्य के भारत में प्रसार का प्रत्यक्षदर्शी है। वैसे तो पूरी दिल्ली ही देखने के लिहाज़ से बहुत खास है पर इसकी कुछ नायाब इमारतों को देखे बिना दिल्ली दर्शन अधूरा है। क़ुतुब मीनार इन्हीं खास और नायाब जगहों में से एक है। इस बात में कोई शक नहीं कि मुगलों ने दिल्ली को खूबसूरत बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। शायद इसी का परिणाम है दिल्ली चारों दिशाओं से बेहद खूबसूरत मुगल इमारतों से सजी हुई है। 

दुनिया के सबसे विशालतम मीनारो में शामिल इस मीनार का इतिहास भी उतना हीं विशाल है। यह बात उस समय की है जब भारत में अफगानी आक्रमणकारियों का आगमन हुआ था। सबसे पहले मोहम्मद गोरी ने यहां अपनी हुकूमत स्थापित की। लेकिन गोरी नहीं यहां लंबे समय तक शासन नहीं किया। वह अपने सबसे विश्वासनीय गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक की हाथ में सत्ता की बागडोर देकर वह वापस लौट गया। तब तक भारत में दिल्ली सल्तनत की स्थापना नहीं हुई थी। भारत छोटे-छोटे रियासतों में बंटा हुआ था। वर्ष 1199 कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस मीनार की नींव रखी।

लेकिन यह मीनार एक ही बार में बनकर तैयार नहीं हुआ, बल्कि इसे किश्तों में अलग-अलग मुगल शासकों द्वारा बनवाया गया था।
कुतुबुद्दीन ऐबक इस मीनार की पहली मंजिल का ही निर्माण करवा पाया। उसकी मौत के बाद उसके दामाद इल्तुतमिश ने कुतुब मीनार की दूसरी तीसरी और चौथी मंजिलों का निर्माण करवाया। इस मीनार की अंतिम मंजिल के निर्माण का श्रेय फिरोज शाह तुगलक को दिया जाता है। अब क्योंकि यह मीनार किश्तों में बनकर तैयार हुआ था इसलिए आप इस मीनार पर 12वीं सदी से 14वीं सदी तक मुगलकालीन स्थापत्य कला में आए बदलावों को भी साफ-साफ देख सकते है।

इस मीनार की सबसे पहली मंजिल के दीवारों को 12 गोल तथा 12 टिकों ने पिलरों से बनवाया गया है तथा इसके ऊपर पट्टियों में नक्काशियां की गई हैं। जब आप इन नक्काशीयों को गौर से देखेंगे आपको इनमें ज्यामितीय संरचनाओं, फूलों, अल्लाह के नामों तथा कुरान की आयतों के अंश देखने को मिलेंगे। इतना हीं नहीं, कुतुबुद्दीन ऐबक ने इनमें मोहम्मद गोरी का भी गुणगान किया है। ऐबक ने इन नकाशियों में अपने बारे में भी बहुत कुछ लिखवाया है।

कुतुबुद्दीन ऐबक के बाद इल्तुतमिश के द्वारा बनवाए गए अगले तीन मंजिलों में से दूसरी मंजिल की दीवार को गोल पिलर से किया गया है। इल्तुतमिश ने तीसरी मंजिल के दीवार को तिकोने पिलरों के सहायता से बनवाया गया है, जबकि चौथी मंजिल की दीवार सपाट गोल है। इल्तुतमिश ने अपने द्वारा बनवाई गई तीनों मंजिलों की दीवारों पर बनी पट्टियों में अपने बारे में खुदवाने के साथ-साथ कुरान पाक की आयत और फूल बेलों की नक्काशियां भी करवाई है।
कहा जाता है कि 13वीं और 14वीं शताब्दी में आए भूकंप और बिजली गिरने के कारण इस मीनार के ऊपरी महलों को काफी क्षति पहुंची थी। जिनकी मरम्मत करवाते हुए फिरोज शाह तुगलक ने 1368 ईस्वी में इस मीनार के अंतिम महले का निर्माण करवाया था।

अगर कुल मिलाकर कुतुब मीनार के लंबाई तथा चौड़ाई की बात की जाए तो इस पांच मंजिली भव्य इमारत की लंबाई 72.5 मीटर है। इस विशाल मीनार के आधार का विकास 14.3 मीटर तथा ऊपरी सिरे का व्यास 2.75 मीटर है।
कुतुब मीनार के सभी मंजिलों पर दरवाजे बनवाए गए हैं जिनसे मीनार के छज्जे पर जाया जा सकता है। इन सभी दरवाजों को एक सीध में बनवाया गया है तथा इन सभी दरवाजों तक पहुंचाने के लिए कुतुब मीनार में पूरे 379 सीढ़ियां हैं।

  • काली गुबंद वाली मस्जिद

पूरा कुतुब मीनार परिसर 13 अलग-अलग व्यूपोइंट्स में बंटा हुआ है। हम में से ज्यादातर लोग मुख्य कुतुब मीनार और लौह स्तम्भ से ही वाकिफ़ हैं पर और भी बहुत कुछ है अपनी नक़्क़ाशी के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध क़ुतुबमीनार के इस परिसर में। परिसर में घुसते ही सबसे पहले नजर आती है काली गुबंद वाली मस्जिद। अंदर आते ही सबसे पहले इस मस्जिद पर ही नजर पड़ती है। आगे बढ़ने पर विशिष्ट मुगल शैली के बगीचें दिखाई देते हैं  जो कि मुगलों की प्रसिद्ध चार बाग की शैली में बने हैं। ये चार बाग शैली किसी भी इमारत में जान डाल देती है। प्रसिद्ध मुगल इमारतों में बागों की इसी शैली का प्रयोग किया जाना आम बात है। मीनार के पास मण्डप जैसी दिखने वाली संरचना को कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद कहा जाता है। ये जानकारी पास लगे सूचना बोर्ड से ही मिली अन्यथा हम तो इसे एक सामान्य मण्डप भर समझ रहे थे। इस मस्जिद की स्थापना कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1190 के दशक में की थी। इस मस्जिद की खासियत इसकी स्थापत्य कला है। इंडो इस्लामिक शैली से बनी ये मस्जिद और इसकी नक्काशी एक बार तो आपको दीवाना ही बना देगी। नक्काशीदार स्तंभो पर खड़ी यह मस्जिद बनावट के मामले में बेहतरीन है। अगर यूं कहें कि कुतुब मीनार परिसर की शोभा बढ़ाने में इस मस्जिद का भी अमूल्य योगदान है, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। कुतुब मीनार का सीधा संबंध कुवत उल इस्लाम मस्जिद से भी जोड़ा जाता है, क्योंकि यह मीनार इसी मस्जिद के प्रांगण में स्थित है। बताया जाता है कि कुवत उल इस्लाम मस्जिद दिल्ली की सबसे पहली मस्जिद है। इस मस्जिद का निर्माण भी कुतुबुद्दीन ऐबक ने ही करवाया था। इस मस्जिद के निर्माण में 27 हिंदू मंदिरों के स्तंभों और अन्य अवशेषों का उपयोग किया गया था। इस बात की प्रमाणिकता स्वयं कुतुबुद्दीन ऐबक के समय के शिलालेख से मिलती है। इतना ही नहीं आप अगर इस मस्जिद के स्तंभों को गौर से देखेंगे तो आपको उनमें हिंदू देवी देवताओं, घंटियों फूल पत्तियां जैसे हिंदू स्थापत्य कला के नमूने देखने को मिलेंगे।

  • इल्तुतमिश का मकबरा

अलाई मीनार से आगे बढ़कर परिसर में एक सफेद और लाल बलुआ पत्थर से बना मकबरा नजर आ रहा था। ये वही मकबरा था जिसमें दिल्ली के दूसरे शासक इल्तुतमिश को दफनाया गया था। ये मकबरा कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के ठीक पीछे ही है। मकबरा अपनी इस्लामिक बनावट के कारण अलग ही नजर आ रहा था। इसकी खूबसूरती को देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल था कि ये एक कब्र है। किसी शाही महल जैसी इसकी बनावट वास्तव में अद्भुत है। बीच-बीच में बने सफेद मेहराब और खुली छत इसे और भी आकर्षक बनाते हैं।

इस मीनार की पहली तथा दूसरी मंजिल के निर्माण में जहां हल्के गुलाबी पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, इसकी तीसरी मंजिल लाल रंग के पत्थरों से बनवाई गई है तथा इस मीनार की चौथी तथा पांचवी मंजिल का निर्माण सफेद संगमरमर से करवाया गया है।
बताया जाता है कि सन 1803 ईस्वी में भूकंप की वजह से कुतुब मीनार की ऊपरी मंजिल का ढांचा थोड़ा ढह गया था। जिसकी मरम्मत 1820 ईस्वी में अंग्रेजी सेना के मेजर रॉबर्ट स्मिथ ने करवाया था।

इस मीनार को बनवाने के कई उद्देश्य थे। कहा जाता है कि इस मीनार को बनवाने के पीछे कुतुबुद्दीन ऐबक का उद्देश्य अफगानिस्तान के जाम ए मीनार से भी ऊंची और खूबसूरत मीनार बनवाना था। वहीं कुछ इतिहास मानते हैं कि इस मीनार का निर्माण मुगल साम्राज्य की निशानी के तौर पर और निगरानी के लिए करवाया गया था।

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रक्श से लेकर राज तक,विवादों से भरा था कुदसिया बाग की बेगम कुदसिया का सफर

कुदसिया बेगम का व्यक्तिगत जीवन :

अगर बात करें कुदसिया बेगम के व्यक्तिगत जीवन के बारे में तो बताया जाता है कि उनका जन्म मूल रूप से एक हिंदू परिवार में हुआ था और उनका नाम उधम बाई था। कुदसिया बेगम को अपने जीवन काल में बाई-जू साहिबा, नवाब कुदसिया, साहिबा-उज़-ज़मानी और मुमताज महल जैसे कई प्रकार के उपनामों से भी नवाजा गया था।


हालांकि कुदसिया बेगम का जीवन बहुत विवादित माना जाता है, क्योंकि बताया जाता है कि उनका संबंध उन्हीं के हरम के प्रबंधक जावेद खान नवाब बहादुर के साथ था जो एक किन्नर था। उनके इस संबंध के बारे में यह भी कहा जाता है कि जब 1752 में जावेद खान नवाब बहादुर को सफदर जंग ने मार दिया तो कुदसिया बेगम ने उनकी हत्या पर न सिर्फ शोक जताया बल्कि अपने गहनों को भी त्याग दिया और सफेद वस्त्र को धारण कर लिया।कुदसिया बेगम बहुत हीं खर्चीली और उदार किस्म की व्यक्ति थीं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब महल में सैनिकों के तनख्वाह के बकाया को भुगतान करने के लिए दो लाख रुपए भी इकट्ठा नहीं किए जा सके, तब उन्होंने सिर्फ अपना जन्मदिन मनाने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च कर दिए। 26 मई 1754 को मल्हार राव होल्कर ने अहमद शाह बहादुर को हरा दिया था। इसके बाद कुदसिया बेगम सिकंदराबाद छोड़कर दिल्ली भाग कर आ गईं। लेकिन मल्हार राव होलकर ने दिल्ली तक उनका पीछा किया और अहमद शाह बहादुर के साथ-साथ कुदसिया बेगम की भी आंखें निकलवा दी।

क्या है इस बाग की खासियत?(What is the specialty of this garden?)

क्या है कुदसिया बाग की टाइमिंग?(What is the timing of Qudsiya Bagh?)

जहां अधिकतर हॉन्टेड जगहों की टाइमिंग फिक्स होती है और वहां 5:00 के बाद लोगों को जाने नहीं दिया जाता है, वहीं कुदसिया बाग उन सभी हॉन्टेड जगहों से थोड़ा अलग है।
अगर बात करें कुदसिया बाग के टाइमिंग (Qudsia Bagh timings) की तो यह चौबीसो घंटे खुला रहता है। यानी कि यहां पर आप कभी भी आ जा सकते हैं। इस बाग में आने जाने की कोई पाबंदी नहीं है और ना हीं आपको इस बाग में आने के लिए किसी भी प्रकार के टिकट (Qudsia Bagh ticket price) की आवश्यकता होगी।

जब हमने इस बाग को एक्सप्लोर किया और पूरी तरह से छानबीन की तो हमें इस बाग में ऐसा कुछ हाउंटेड नहीं दिखा। बल्कि हमें इस बाग में आकर बहुत हीं सुकून का अनुभव हुआ और हमारे हिसाब से आप भी बिना डरे इस बाग में घूमने जा सकते हैं। यकीनन आपको भी यहां पर बहुत हीं अच्छा महसूस होगा।

आईआरसीटीसी के साथ कीजिए कश्मीर की सैर

IRCTC package for Kashmir

  • इस टूर का नाम है ‘कश्मीर – पैराडाइज ऑन अर्थ’ (KASHMIR – PARADISE ON EARTH)।
  • यह पैकेज छह दिनों और पाँच रातों का होगा।
  • इस पैकेज के तहत आप गुलमर्ग, पहलगाम, श्रीनगर और सोनमर्ग की यात्रा करेंगे।
  • इस टूर की शुरुआत 26 अप्रैल 2024 को होगी।
  • इस यात्रा के पहले दिन आप कोलकाता से दिल्ली और फिर दिल्ली से श्रीनगर की ओर रवाना होंगे।
  • इस यात्रा के अंतिम दिन आप श्रीनगर से दिल्ली और फिर दिल्ली से कोलकाता वापस आएंगे।

कुछ ऐसा होगा आपका टूर प्लानर (Your tour planner will be something like this)

पहला दिन

पहले दिन आप सुबह कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस इंटरनेशनल एयरपोर्ट से वाया दिल्ली श्रीनगर के लिए प्रस्थान करेंगे। श्रीनगर के शेख उल-आलम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचकर अपने होटल की ओर बढ़ जाएंगे। होटल पहुंचकर चेक इन करेंगे। शाम में आप चाहे तो आपने पैसों से डल लेक में शिकारा राइड भी कर सकते है। रात्रि भोजन और विश्राम होटल में ही करेंगे।

दूसरा दिन

अगले दिन आप नाश्ता करके श्रीनगर से सोनमर्ग की ओर रवाना हो जाएंगे। सोनमर्ग को सोने का मैदान भी कहा जाता है। सोनमर्ग पहुंचकर आप वहां के नेचुरल ब्यूटी का आनंद उठाएंगे। सोनमर्ग में आप वहां के दर्शनीय स्थलों का दौरा भी कर सकते है। आप शाम तक श्रीनगर वापस आकर रात्रि भोजन और विश्राम करेंगे।

तीसरा दिन

तीसरे दिन आप नाश्ता करके गुलमर्ग की ओर आगे बढ़ेंगे। गुलमर्ग एक हिल स्टेशन है जो सर्दियों में स्कीइंग के लिए एक बेहतरीन डेस्टिनेशन है। गुलमर्ग ‘गोंडोला’ के लिए प्रसिद्ध है जो दुनिया की सबसे ऊंची केबल कारों में से एक है। आप शाम तक श्रीनगर वापस आकर रात्रि भोजन और विश्राम करेंगे।

चौथा दिन

अगले दिन सुबह नाश्ता करके आप पहलगाम की तरफ आगे बढ़ेंगे। रास्ते में केसर के खेत और अवंतीपुर खंडहर को देखेंगे। पहलगाम भारतीय फिल्म उद्योग का एक महत्वपूर्ण स्थान है। आप पहलगाम के प्राकृतिक आकर्षण का आनंद ले सकते है। आप चाहे तो बेताब घाटी, चंदनवाड़ी और अरे घाटी की यात्रा अपने पैसों से कर सकते हैं। शाम में पहलगाम के होटल में चेक इन करेंगे। भोजन और विश्राम पहलगाम में करेंगे।

पाँचवा दिन

पांचवें दिन आप सुबह नाश्ता करके होटल से चेकआउट करेंगे। होटल छोड़ने के बाद आप श्रीनगर के लिए प्रस्थान करेंगे। श्रीनगर पहुंचकर शंकराचार्य मंदिर के दर्शन करेंगे। इसके बाद आप डल लेक के लेकर किनारे हजरतबल तीर्थ का दौरा करेंगे। शाम में हाउसबोट में चेक इन करेंगे। रात्रि भोजन और विश्राम हाउसबोट में ही करेंगे।

छठा दिन

अंतिम दिन आप सुबह हाउसबोट में नाश्ता करेंगे। नाश्ता करके होटल से चेक आउट करेंगे। होटल छोड़ने के बाद आप एयरपोर्ट की ओर आगे बढ़ जाएगी। आप श्रीनगर एयरपोर्ट से कोलकाता के लिए वाया दिल्ली उड़ान भरेंगे। कोलकाता पहुंचकर आपकी यात्रा सुखद यादों के साथ समाप्त हो जाएगी।

बजट (Budget)

अगर बात करें इस पैकेज के बजट की है तो कॉस्ट पर पर्सन में, डीलक्स क्लास के लिए सिंगल ऑक्यूपेंसी पर ₹57800, डबल ऑक्यूपेंसी पर ₹ 52300 और ट्रिपल ऑक्यूपेंसी पर 50700 रुपए आपको भुगतान करना होगा। वही चाइल्ड विथ बेड में 40930 रुपए और चाइल्ड विथाउट बेड में (छोटे बच्चों के लिए) 37850 रुपए पे करने होंगे।

इस पैकेज में क्या शामिल है (What is included in this package)?

  • आपको जाते वक्त कोलकाता से दिल्ली और फिर दिल्ली से श्रीनगर तथा वापसी के समय श्रीनगर से दिल्ली और फिर दिल्ली से कोलकाता के लिए इकॉनमी क्लास की हवाई टिकटें मिलेंगी।
  • आप सभी दर्शनीय स्थलों का दौरा एसी वाहन से करेंगे।
  • आप इस यात्रा के दौरान आप एक रात श्री नगर में हाउसबोट में रहेंगे।
  • इस पैकेज के दौरान आपको पांच बार सुबह का नाश्ता और पांच बार रात का खाना मिलेगा।
  • आप इस यात्रा के दौरान आप तीन रात श्री नगर और एक रात पहलगाम में रहेंगे।
  • उपरोक्त सभी सेवाओं पर जीएसटी लागू होगा।

इस पैकेज में क्या शामिल नहीं है (What is not included in this package)?

  • इस यात्रा के दौरान आपको टूर गाइड की सेवाएं नहीं मिलेंगी।
  • आप किसी भी प्रकार की स्थानीय परिवहन का उपयोग करते हैं तो उसके लिए आपको पे करना होगा।
  • चंदनवाड़ी की यात्रा और घुड़सवारी के लिए आपको पैसे देने होंगे।
  • आपको गोंडोला केबल कार यात्रा के लिए टिकट खरीदना होगा।
  • आपको टूर पैकेज में दोपहर के भोजन की सुविधाएं नहीं मिलेंगी।
  • अगर किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत खर्च जैसे कपड़े धोने का खर्च, शराब, मिनरल वाटर, टिप, बीमा, कैमरा, भोजन या फिर पेय पदार्थ का उपयोग करते हैं तो उसके लिए आपको पे करना होगा।
  • अगर आप किसी भी प्रकार के गाइड की सेवाएं लेते हैं तो उसके लिए आपको पैसे देने होंगे।
  • आपको दर्शनीय स्थलों के प्रवेश टिकट खुद ही खरीदने होंगे।
  • कोई भी सेवाएं जो इन्क्लूजन में निर्देशित नहीं है तो वे सेवाएं आपको नहीं मिलेंगी।
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एक होली ऐसी भी : चिता के भस्म से खेली जाती है यहाँ होली

The most famous story of Masan Holi of Banaras

क्या है इतिहास?

मणिकर्णिका घाट बनारस के सबसे प्रसिद्ध घाटों में से एक घाट है, जो पूरे भारतवर्ष में मोक्ष स्थल के नाम से जाना जाता है। महारानी अहिल्याबाई होलकर ने इस शमशान का निर्माण करवाया था। कहते हैं जो काशी में मरता है वह मोक्ष को प्राप्त करता है और इसी काशी के गंगा घाटों में से एक है यह मणिकर्णिका घाट जहां बाकी के गंगा घाट अपनी गंगा आरती, पूजा अर्चना और सैर सपाटा के लिए प्रसिद्ध है, वहीं मणिकर्णिका घाट जीवन के अंतिम यात्रा की गवाही देता है। हिंदू धर्म में विश्वास रखने वाले लोगों की यह ख्वाहिश होती है कि उनका अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया जाए। लेकिन ऐसा क्यों है? क्यों यह घाट इतनी पवित्र है कि यहां के चिता के भस्म से होली खेली जाती है? यह होली सिर्फ यहां के स्थानीय लोग नहीं खेलते, बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों से यहां लोग इस होली में भाग लेने आते हैं।

The most famous story of Masan Holi of Banaras

क्यों है इतना खास?

मणिकर्णिका घाट के मसान होली को समझने के लिए आपको पहले जानना होगा कि मणिकर्णिका घाट इतना प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण क्यों है?
दरअसल मणिकर्णिका देश के गिने चुने महाशमशानों में से एक है। बताया जाता है कि यह यहां चिता की अग्नि कभी ठंडी नहीं पड़ती है और यह शमशान कभी शांत नहीं होता है। चाहे कोई भी परिस्थिति हो, कोई भी मौसम हो, कोई भी दिन हो यहां चिताएं जलती रहती हैं। कहा जाता है कि जब से इस शमशान का निर्माण हुआ है तब से लेकर आज तक यह शमशान कभी शांत नहीं हुआ। यहाँ एक चिता की आग बुझने वाली होती है तो दूसरे को आग दे दी जाती है और यह प्रक्रिया सतत चलता रहती है।

कैसे पड़ा मणिकर्णिका नाम?

मणिकर्णिका घाट के बारे में बहुत सारी किंवदंतियाँ सामने आती हैं। लेकिन सबसे प्रसिद्ध लोक कथा के अनुसार माता पार्वती महादेव के व्यस्तताओं के कारण बहुत हीं परेशान थी। तो उन्होंने महादेव के साथ समय व्यतीत करने के लिए एक उपाय ढूंढा। उन्होंने अपने कर्णफूल को यहीं गिरा दिया और महादेव को ढूंढने के लिए कहा। महादेव उस कर्णफूल को नहीं ढूंढ पाए और मान्यता है कि यहां आने वाली प्रत्येक अर्थी के कान में महादेव स्वयं पूछते हैं कि वह कर्णफूल कहां है? साथ हीं साथ उन्हें तारक मंत्र का उपदेश देकर मोक्ष भी दिलाते हैं।

The most famous story of Masan Holi of Banaras

क्यों मनाई जाती है मसान होली?

पुराणों के अनुसार मसान होली मनाने के पीछे का कारण स्वयं भूतनाथ महादेव हैं। उन्होंने हीं सबसे पहले मसान होली मनाना आरंभ किया था। बताया जाता है कि जब महादेव और पार्वती जी का विवाह हुआ तो वह कुछ दिनों के लिए काशी घूमने आए थे। उस दिन रंगभरी एकादशी का दिन था। महादेव ने पार्वती माता को गुलाल लगाकर होली मनाई । लेकिन उनके भक्तगण में अधिकतर भूत पिशाच हीं थे। जो उन्हें दूर से देखकर हीं खुश हो रहे थे लेकिन खुद होली नहीं मना पा रहे थे। उनकी दुविधा को देखते हुए महादेव ने रंगभरी एकादशी के अगले दिन अपने उन भक्तों के साथ मणिकर्णिका के शमशान में होली खेली थी। उन्होंने चिता के भस्म को अपने शरीर पर मलकर अपने गणों के साथ नृत्य किया था। उसी दिन से यह प्रथा चली जा रही है कि हर साल रंगभरी एकादशी के अगले दिन यहां साधु संत और अघोर पंथ को मानने वाले लोग यहां आकर मसान होली खेलते हैं और जीवन के साथ-साथ मृत्यु का उत्सव मनाते हैं

The most famous story of Masan Holi of Banaras

कब मनाई जाती है मसान होली?

यहाँ हर साल रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन चिता के भस्म से होली खेली जाती है, जिसे मसान होली या भस्म होली के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है की महादेव स्वयं अपने गणों के साथ उस दिन होली खेलते हैं। अघोर पंथ को मानने वाले लोग इस होली में हिस्सा लेना पसंद करते हैं। क्योंकि यह होली संसार के मोह माया को त्यागने के लिए लोगों को प्रेरित करती है।

आईआरसीटीसी अप्रैल में लेकर आया है मध्य प्रदेश के लिए एक नया टूर पैकेज

IRCTC Package for MP (Madhya Pradesh)

मध्य प्रदेश हमेशा से ही पर्यटकों को आकर्षित करने वाला एक बहुत हीं बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। क्योंकि यहां हर तरह के टूरिज्म ऑप्शंस मौजूद हैं। यहां इतिहासकारों को लुभाने वाले खजुराहो के मंदिर भी हैं तो वहीं हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए ज्योतिर्लिंग भी हैं। यहां वाइल्डलाइफ भी है और यहां पंचमढ़ी की खूबसूरत पहाड़ियां भी हैं। ऐसे में आईआरसीटीसी द्वारा मध्य प्रदेश के लिए कई तरह के टूर पैकेज को लॉन्च किया जाता है। इस बार आईआरसीटीसी ने मध्य प्रदेश के लिए रिलिजियस टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए महेश्वर, ओंकारेश्वर और उज्जैन शहर के हिसाब से टूर पैकेज तैयार किया है। आइए इस टूर पैकेज के बारे में और भी गहराई से जानते हैं।

आइये जानते है आईआरसीटीसी के इस पैकेज के बारें में

  • इस टूर का नाम है ‘मध्य प्रदेश महा दर्शन’ (MADHYA PRADESH MAHA DARSHAN)।
  • यह पैकेज पांच दिनों और चार रातों का होगा।
  • इस पैकेज के तहत आप उज्जैन, ओंकारेश्वर और महेश्वर की यात्रा करेंगे।
  • इस टूर की शुरुआती तारीख 3 अप्रैल 2024 है।
  • इस यात्रा के पहले दिन आप हैदराबाद से इंदौर की ओर रवाना होंगे।
  • इस यात्रा के अंतिम दिन आप इंदौर से हैदराबाद वापस आएंगे।

कुछ ऐसा होगा आपका टूर प्लानर (Your tour planner will be something like this)

पहला दिन

पहले दिन दोपहर में हैदराबाद के राजीव गाँधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Rajiv Gandhi International Airport) से उड़ान भरकर इंदौर एयरपोर्ट (Indore Airport) पहुंचेंगे। इंदौर एयरपोर्ट से आप उज्जैन की ओर प्रस्थान करेंगे। उज्जैन पहुंचकर होटल में चेक इन करेंगे। रात्रि भोजन और विश्राम होटल में ही करना होगा।

दूसरा दिन

अगले दिन सुबह नाश्ते के बाद उज्जैन के मंदिरों (हरसिद्धि माता मंदिर, सांदीपनि आश्रम, मंगलनाथ मंदिर, चिंतामन गणेश मंदिर) के दर्शन करेंगे। शाम में अपने पैसों से महाकालेश्वर टेम्पल में महाकाल के दर्शन करने जायेंगे। शाम में होटल वापस आ जाएंगे। होटल में रात्रि भोजन और विश्राम करेंगे।

तीसरा दिन

तीसरे दिन सवेरे अपने पैसों से कालभैरव टेम्पल का दौरा करेंगे। होटल वापस आकर नाश्ता करके होटल से चेक आउट करेंगे तथा महेश्वर के लिए प्रस्थान करेंगे। महेश्वर में अहिल्यादेवी किला और नर्मदा घाट का दौरा करेंगे। इसके पश्चात ओंकारेश्वर के लिए प्रस्थान करेंगे। ओंकारेश्वर पहुंचकर होटल में चेक इन करेंगे। रात्रि भोजन और विश्राम होटल में ही करेंगे।

चौथा दिन

अगले दिन सुबह होटल में नाश्ता करेंगे। नाश्ते के बाद ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान के दर्शन करेंगे। दोपहर में होटल से चेक आउट कर इंदौर के लिए प्रस्थान करेंगे। रास्ते में पीतेश्वर हनुमान मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करेंगे। इंदौर पहुंचकर होटल में चेक इन करेंगे। रात्रि भोजन और विश्राम इंदौर में ही करेंगे।

पांचवा दिन

अंतिम दिन सुबह नाश्ता कर होटल से चेकआउट करेंगे। होटल छोड़ने के बाद आप अन्नपूर्णा मंदिर और लाल बाग पैलेस का दौरा करेंगे। इसके पश्चात इंदौर एयरपोर्ट के लिए निकल जाएंगे। एयरपोर्ट पहुंचकर हैदराबाद के लिए उड़ान भरेंगे। हैदराबाद पहुंचकर आपकी यात्रा सुखद यादों के साथ समाप्त हो जाएगी।

बजट (Budget)

अगर बात करें इस पैकेज के बजट की है तो कॉस्ट पर पर्सन में, कम्फर्ट क्लास के लिए, सिंगल ऑक्यूपेंसी पर ₹29400, डबल ऑक्यूपेंसी पर ₹23600 और ट्रिपल ऑक्यूपेंसी पर 22700 रुपए आपको भुगतान करना होगा। वही चाइल्ड विथ बेड में ₹20950, चाइल्ड विथाउट बेड में ₹18900 और चाइल्ड विथ बेड में (छोटे बच्चों के लिए) 15250 रुपए पे करने होंगे।

इस पैकेज में क्या शामिल है (What is included in this package)?

  • आपको जाते वक्त हैदराबाद से इंदौर और वापसी के समय इंदौर से हैदराबाद के लिए हवाई टिकटें मिलेंगी।
  • आप इंदौर में एक रात, ओंकारेश्वर में एक रात और उज्जैन में दो रात रहेंगे।
  • इस पैकेज के तहत आपको चार बार सुबह का नाश्ता और चार बार रात का खाना मिलेगा।
  • आपको इस पैकेज के दौरान आईआरसीटीसी की एस्कॉर्ट सेवाएं भी मिलेंगी।
  • आप सभी दर्शनीय स्थलों का दौरा IRCTC द्वारा दिए गए AC बस से करेंगे।
  • इस पैकेज में आपको यात्रा बीमा भी मिलेगा।
  • उपरोक्त सेवाओं के लिए सभी प्रकार के कर लागू होंगे।

इस पैकेज में क्या शामिल नहीं है (What is not included in this package)?

  • इस पैकेज के दौरान आपको दोपहर का लंच या किसी भी अन्य प्रकार का फूड सर्विस नहीं मिलेगा।
  • दर्शनीय स्थलों के टिकट आपको खुद खरीदने होंगे।
  • यदि आप किसी भी प्रकार का स्थलीय वाहन का उपयोग तो आपको उसके लिए पे करना होगा।
  • ड्राइवरों, गाइडों और प्रतिनिधियों को यदि आप टिप देते हैं तो उसका पैसा आपको अपनी जेब से भरना होगा।
  • आप अगर किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत खर्च जैसे कपड़े धोने का खर्च, शराब, मिनरल वाटर, भोजन या फिर पेय पदार्थ का उपयोग करते हैं तो उसके लिए आपको पे करना होगा।
  • इस पैकेज के दौरान आपको टूर गाइड सर्विस आईआरसीटीसी के द्वारा नहीं प्रदान की जाएगी।

आईआरसीटीसी की इस पैकेज से कीजिए अंडमान निकोबार की सैर

IRCTC package for Andaman Nicobar Islands

आइये जानते है आईआरसीटीसी के इस पैकेज के बारें में (Let us know about this package of IRCTC)

  • इस टूर पैकेज का नाम है ‘अमेजिंग अंडमान एक्स दिल्ली’ (AMAZING ANDAMAN EX DELHI)।
  • यह पैकेज छह दिनों और पाँच रातों का होगा।
  • इस पैकेज के तहत आप नील आइलैंड, नॉर्थ बे आइलैंड, पोर्ट ब्लेयर और रॉस आइलैंड का दौरा करेंगे।
  • इस टूर की शुरुआती तारीख 18 मार्च 2024 है।
  • इस यात्रा के पहले दिन आप दिल्ली से पोर्ट ब्लेयर की ओर रवाना होंगे।
  • इस यात्रा के अंतिम दिन आप पोर्ट ब्लेयर से दिल्ली वापस आएंगे।

कुछ ऐसा होगा आपका टूर प्लानर (Your tour planner will be something like this)

पहला दिन

पहले दिन आपके पोर्ट ब्लेयर के वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
(Veer Savarkar International Airport) आगमन करते ही आपको होटल ले जाया जायेगा। होटल पहुंचकर आप दोपहर का भोजन लेंगे। दोपहर में पोर्ट ब्लेयर के ही सेल्यूलर जेल (Cellular Jail) और कॉर्बिन कोव बीच (Corbyn’s Cove Beach) का दौरा करेंगे। शाम में साउंड एंड लाइटिंग शो (Sound and Lighting Show) देखने के लिए सेल्यूलर जेल वापस जायेंगे। शहर घूमने के बाद वापस होटल आ जाएंगे। आप रात्रि विश्राम पोर्ट ब्लेयर में ही करेंगे।

दूसरा दिन

अगले दिन सुबह जल्दी नाश्ते के बाद आप पोर्ट ब्लेयर के नौसेना संग्रहालय (Naval Museum) और मानव विज्ञान संग्रहालय (Anthropology Museum) की ओर बढ़ जाएंगे। इन दोनों को विजिट के बाद आप नॉर्थ बे आइलैंड (North Bay Island) का दौरा करेंगे। शाम में नेताजी सुभास चंद्र बोस आइलैंड (Ross Island) का दौरा करके वापस होटल लौट जायेंगे और पोर्ट ब्लेयर में ही रात्रि विश्राम करेंगे।

तीसरा दिन

तीसरे दिन सुबह जल्दी होटल से चेकआउट करेंगे। वहां से आप हैवलॉक आइलैंड (Havelock Island) की ओर निकल जाएंगे। हैवलॉक पहुंचकर आप विश्व प्रसिद्ध राधानगर बीच (Radhanagar Beach) पर घूमने जायेंगे। इसके पश्चात होटल में चेक इन करेंगे। शाम में काला पत्थर बीच (Kala Pathar Beach) का दौरा करेंगे। आप रात्रि विश्राम हैवलॉक में करेंगे।

चौथा दिन

अगले दिन नाश्ता करके होटल से चेक आउट कर एलिफेंटा बीच (Elephanta Beach) के लिए निकल जाएंगे। एलिफेंटा बीच पर कुछ समय बिताने के पश्चात नील आइलैंड (Neil Island) की ओर रवाना हो जायेंगे। नील आइलैंड पहुंचकर आप होटल में चेक इन करेंगे। होटल में कुछ देर आराम करने के बाद आप लक्ष्मणपुर बीच (Laxmanpur Beach) का दौरा करेंगे। भोजन तथा रात्रि विश्राम आप नील आइलैंड में करेंगे।

पांचवा दिन

अगले दिन सुबह नाश्ते के बाद होटल से चेक आउट कर आप वहाँ के नेचुरल ब्रिज का दौरा करेंगे और समुद्री तटों के नजारों का लुफ्त उठाएंगे। इसके पश्चात भरतपुर बीच का दौरा करेंगे और पोर्ट ब्लेयर के लिए प्रस्थान करेंगे। शाम में पोर्ट ब्लेयर पहुंचकर होटल में चेक इन करेंगे। भोजन और रात्रि विश्राम पोर्ट ब्लेयर में ही करेंगे।

छठा दिन

अंतिम दिन नाश्ते के बाद पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट के लिए निकल जाएंगे। पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट पहुंचकर दिल्ली के लिए उड़ान भरेंगे। दिल्ली पहुंचकर आपकी यात्रा सुखद यादों के साथ समाप्त हो जाएगी।

बजट (Budget)

अगर बात करें इस पैकेज के बजट की है तो कॉस्ट पर पर्सन में, कम्फर्ट क्लास के लिए सिंगल ऑक्यूपेंसी पर ₹79900, डबल ऑक्यूपेंसी पर ₹61800 और ट्रिपल ऑक्यूपेंसी पर 60100 रुपए आपको भुगतान करना होगा। वही चाइल्ड विथ बेड में ₹52600, चाइल्ड विथाउट बेड में ₹48850 और चाइल्ड विथाउट बेड (छोटे बच्चो के लिए) में 39700 रुपए पे करने होंगे।

इस पैकेज में क्या शामिल है (What is included in this package)?

  • आपको जाते वक्त दिल्ली से पोर्ट ब्लेयर और वापसी के समय पोर्ट ब्लेयर से दिल्ली के लिए हवाई टिकटें मिलेंगी।
  • पोर्ट ब्लेयर – नील – हैवलॉक – पोर्ट ब्लेयर क्रूज।
  • इस पैकेज के तहत आपको पांच बार सुबह का नाश्ता और पांच बार रात का खाना मिलेगा।
  • आपको हवाई यात्रा के दौरान भी भोजन मिलेगा।
  • इस यात्रा के दौरान आपको फेरी टिकट्स भी फ्री मिलेगी।
  • आप सभी दर्शनीय स्थलों का दौरा एसी वाहन से करेंगे।
  • आप इस यात्रा के दौरान तीन रात पोर्ट ब्लेयर में, एक रात नील आइलैंड पर और एक रात हैवलॉक में एसी रूम में बिताएंगे।
  • इस पैकेज में आपको यात्रा बीमा भी मिलेगा।
  • उपरोक्त सेवाओं के लिए जीएसटी तथा सभी प्रकार के कर लागू होंगे।

इस पैकेज में क्या शामिल नहीं है (What is not included in this package)?

  • आपको एयरपोर्ट पर प्रतिनिधियों की सेवाएं नहीं मिलेगी।
  • इस पैकेज में आपको टूर मैनेजर और एस्कॉर्ट की सेवाएं नही मिलेंगी।
  • अगर आप दोपहर का भोजन या किसी भी अन्य प्रकार की भोजन सेवाएं लेते हैं तो उसके लिए आपको पैसे देने होंगे।
  • आप किसी भी प्रकार की स्थानीय परिवहन का उपयोग करते हैं तो उसके लिए आपको पे करना होगा।
  • आपको सभी दर्शनीय स्थलों के टिकट खुद ही खरीदने होंगे।
  • आप अगर किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत खर्च जैसे कपड़े धोने का खर्च, शराब, मिनरल वाटर बोतल, भोजन या फिर पेय पदार्थ का उपयोग करते है तो उसके लिए आपको पे करना होगा।
  • कोई भी सेवाएं जो इन्क्लूजन में निर्देशित नहीं है तो वे सेवाएं आपको नहीं मिलेंगी।
  • आपको टूर के दौरान शाम में किसी प्रकार का स्नैक्स नहीं मिलेगा।
  • ख़राब मौसम, ख़राब स्वास्थ या किसी भी कारण से अगर उड़ान रद्द होता है और उड़ान रद्द होने के कारण किसी भी प्रकार का बदलाव के लिए अगर अचानक लागत लगता है तो उसके लिए आपको भुगतान करना होगा।
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