Best Hindi Travel Blog -Five Colors of Travel

“मांडू” प्रेम, इतिहास और पहाड़ों की गोद में बसा मध्यप्रदेश का अनौखा शहर! क्यों है आपके लिए खास?

मांडू शहर के पत्थरों में बसी मोहब्बत की सांसें

मांडू

इंदौर से मांडू तक हर मोड़ पर एक कहानी

मांडू पहुंचने के लिए सबसे आसान रास्ता इंदौर से होकर जाता है। यह शहर इंदौर से करीब सौ किलोमीटर की दूरी पर है और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। आप टैक्सी, निजी वाहन या सरकारी बस से आराम से यहां पहुंच सकते हैं। अगर आप ट्रेन से यात्रा करना चाहते हैं, तो निकटतम रेलवे स्टेशन इंदौर और धर हैं। हवाई मार्ग से आने वाले यात्रियों के लिए इंदौर का देवी अहिल्या एयरपोर्ट सबसे नजदीक है। इंदौर से मांडू तक का सफर बेहद खूबसूरत है। रास्ते में हरियाली, पहाड़ और घुमावदार सड़कें आपको एक अलग ही अनुभव देती हैं। सर्दियों में जब हल्की धुंध रास्ते को ढक लेती है, तब यात्रा किसी फिल्मी सीन जैसी लगती है। रास्ते में छोटे-छोटे गांव, चाय की टपरियां और लोकल लोगों की मुस्कान इस सफर को यादगार बना देती हैं। मांडू पहुंचते ही पहला एहसास होता है जैसे किसी दूसरे युग में कदम रख दिया हो।(यह शहर भारत के उन कुछ स्थानों में से है जहां रोमांस और इतिहास एक साथ सांस लेते हैं।)

मांडू

मांडू बुलाता है जहां इतिहास गाता है प्रेमगीत

मांडू जाने का असली कारण इसका वातावरण और इसकी कहानी है। यह शहर आपको सिर्फ देखने का नहीं, महसूस करने का मौका देता है। यहां की हवा में प्रेम की मिठास है और इतिहास की गहराई भी। रानी रूपमती और बाज बहादुर की प्रेमकथा ने इस जगह को अमर बना दिया है। यह वही मांडू है जहां राजा बाज बहादुर ने अपनी रानी रूपमती के लिए गाने और कविताएं लिखीं, और रानी ने पहाड़ियों पर बैठकर नर्मदा नदी को निहारा। कहा जाता है, जब मुगलों ने मांडू पर हमला किया, तो रूपमती ने आत्मसमर्पण की बजाय मृत्यु को चुना। इस कहानी की गूंज आज भी रूपमती मंडप की हवा में सुनाई देती है। मांडू आने वाले यात्रियों को यहां की शांति, पहाड़ियों का सौंदर्य और इतिहास का रोमांच एक साथ मिलता है। यहां के जहाज महल से जब झील में सूरज की किरणें प्रतिबिंबित होती हैं, तो ऐसा लगता है जैसे समय खुद ठहर गया हो। मांडू में हर मौसम खास है, लेकिन सर्दियां इसे और भी मनमोहक बना देती हैं।

मांडू

मांडू का सुनहरा इतिहास जैसे समय ठहर गया हो

मांडू का इतिहास हजारों साल पुराना है। माना जाता है कि इसकी नींव छठी शताब्दी में पड़ी थी। पहले यह परमार वंश के अधीन था, फिर दिल्ली सल्तनत और मुगलों ने इस पर शासन किया। लेकिन मांडू का सबसे यादगार काल वह था जब यहां बाज बहादुर और रानी रूपमती का शासन था। यह समय कला, संगीत और प्रेम का स्वर्ण युग माना जाता है। उस दौर में मांडू में कई सुंदर इमारतें बनीं जहाज महल, हिंडोला महल, रानी रूपमती मंडप और जामी मस्जिद जैसी रचनाएं आज भी वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण हैं। जहाज महल दो झीलों के बीच बना है और सचमुच एक तैरते जहाज जैसा दिखता है। वहीं रूपमती मंडप से नर्मदा नदी का दृश्य इतना सुंदर है कि शब्द कम पड़ जाएं। मांडू का हर पत्थर उस दौर की कला और प्रेम का प्रमाण है। यहां घूमते हुए आप सिर्फ इतिहास नहीं देखते, उसे जीते हैं।

मांडू

स्वाद जो याद रह जाए, मांडू की थाली से मोहब्बत तक

मांडू की यात्रा अधूरी है अगर आपने यहां का लोकल खाना नहीं चखा। यहां का मालवी फ्लेवर हर व्यंजन में झलकता है। सर्दियों में गरमागरम भुट्टे का कीस, दाल-बाफला और देसी घी से बनी रबड़ी-जलेबी का स्वाद भूलना मुश्किल है। मांडू के छोटे ढाबों और लोकल होटलों में देसी तड़के की खुशबू हर यात्री को खींच लाती है। शाम के वक्त जब आप रूपमती मंडप के पास बैठकर गुड़ की चाय पीते हैं, तो हवा में ठंडक और इतिहास का जादू एक साथ महसूस होता है। यहां के लोग मेहमानों के साथ दिल खोलकर पेश आते हैं। कुछ ढाबों में लोकल संगीत भी चलता है जो अनुभव को और खास बना देता है। खाने के साथ-साथ यहां की मिठाइयां भी प्रसिद्ध हैं। खासकर मांडू का मालपुआ और रबड़ी, जो स्थानीय त्यौहारों में जरूर बनती हैं। हर निवाले में मालवा की मिट्टी की खुशबू महसूस होती है।

मांडू

फाइव कलर्स ऑफ़ ट्रेवल की और से जरुरी यात्रा सुझाव

सुबह जल्दी निकलें- रूपमती मंडप से सूर्योदय देखने का अनुभव शानदार होता है।सर्दियों में जाएं- अक्टूबर से मार्च तक मांडू का मौसम सबसे सुहाना रहता है।
लोकल गाइड लें- गाइड आपको मांडू की अनसुनी प्रेमकथाएँ और ऐतिहासिक रहस्य बताएगा।

लोकल खाना ज़रूर चखें- भुट्टे का कीस, दाल-बाफला और मालवा की मिठाई यह सब यात्रा को खास बना देंगे।

शाम को रुकें- झील किनारे बैठकर सूर्यास्त देखें, वहीं मांडू का असली जादू महसूस होगा।

मांडू

वो एहसास जो एक बार नहीं, बार-बार बुलाए

मांडू की सैर के लिए सर्दी का मौसम सबसे अच्छा है। अक्टूबर से मार्च तक का समय यहां घूमने के लिए आदर्श माना जाता है। इस दौरान मौसम ठंडा और आसमान साफ़ रहता है। तापमान करीब दस से बीस डिग्री के बीच रहता है, जो यात्रा को आरामदायक बनाता है। सुबह की हल्की धुंध में जब महलों की आकृतियां उभरती हैं, तो दृश्य किसी पेंटिंग जैसा लगता है। रात को जब झीलों पर चांदनी गिरती है, तो मांडू एक स्वप्नलोक बन जाता है। यहां हर कदम पर कहानी है, हर मोड़ पर नज़ारा है। अगर आप दिसंबर में आते हैं, तो मांडू फेस्टिवल का आनंद ज़रूर लें। यह त्यौहार लोक संगीत, नृत्य और हेंड़ी क्राफ्ट का बेजोड़ संगम है। यहां देशभर से कलाकार आते हैं और मांडू को रोशनी और रंगों से भर देते हैं। ठहरने के लिए कई अच्छे होटल हैं मालवा रिसॉर्ट, होटल रूपमती, जहाज महल रिसॉर्ट जैसे विकल्प हर बजट में फिट बैठते हैं। मांडू में दो दिन का ठहराव आपको एक नया अनुभव देगा, जो शायद जिंदगी भर याद रहेगा।

मांडू

मांडू का जादू जो किसी को भी बस में कर ले!

मांडू सिर्फ एक ऐतिहासिक शहर नहीं, बल्कि एक भावना है। यहां की गलियों में पुरानी कहानियाँ सांस लेती हैं, हवा में संगीत है, और झीलों में आसमान का प्रतिबिंब। यह शहर आपको सिखाता है कि इतिहास कभी पुराना नहीं होता, वह बस रूप बदलता है। मांडू में आपको रोमांस भी मिलेगा, रोमांच भी, और शांति भी। जब आप रूपमती मंडप से नर्मदा की ओर देखते हैं, तो मन में एक अजीब स ख्याल उतरता है। यह शहर आत्मा को छू जाता है। सर्दियों में अगर आप एक ऐसी जगह की तलाश में हैं जहां इतिहास, प्रकृति और प्रेम एक साथ मिलें, तो मांडू से बेहतर कोई जगह नहीं। यह शहर आपको मुस्कुराकर कहेगा ठहरिए, थोड़ी देर और जी लीजिए मुझमें।

final-4

Hello! I Pardeep Kumar

मुख्यतः मैं एक मीडिया शिक्षक हूँ, लेकिन हमेशा कुछ नया और रचनात्मक करने की फ़िराक में रहता हूं।

लम्बे सफर पर चलते-चलते बीच राह किसी ढ़ाबे पर कड़क चाय पीने की तलब हमेशा मुझे ज़िंदा बनाये रखती
है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *