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मैं इंदौर बोल रहा हूँ! भारत का सबसे साफ़ सुथरा और निर्मल शहर!

मैं इंदौर बोल रहा हूं। मेरी स्वच्छता की बातें पूरे देश में होती हैं, मुझे अपने लोगों  पर गर्व है की उन्होंने मुझे इस काबिल बनाया। मैं अपने वासियों का आभारी हूं, जो मुझे साफ-सुथरा रखने के लिए अथक प्रयास करते हैं। वैसे मेरी नीव आज की नहीं है। मैं उस समय से यहां हूं जब मेरा देश अध्यात्म का गुरु था। मैं मालवा क्षेत्र में आता हूं, जिसका अपना इतिहास बेहद खास है, मैं मालवा, सोलह महाजनपदों में से एक अवंती क्षेत्र में आता हूं। मेरी इस मिट्टी में शिव, विष्णु और जैन परंपराओं के धार्मिक स्थल प्राचीन समय से फलते फूलते आ रहे है। और आज भी श्रद्धा का ठिकाना बने हुए हैं।

इंदौर

मेरी मिट्टी खोदने पर तुमको कई परतें जमी मिलेंगी, मैं इतिहास के कई कालखंडों का साक्षी रहा हूं। सोलहवीं- सत्रहवीं शताब्दी में मुझपर कई राजाओं का शासन रहा है, इसी दौर में जमींदारों को मैने पाला पोषा है। और इसी दौर में होल्कर वंश ने अपनी विरासत को फैलाया था। मेरे इस इंदौर नाम के पीछे बहुत बड़े संत का योगदान है, उस महान संत, महान आत्मा का नाम था इन्द्रेश, इन्ही महान संत के नाम पर मेरी छाया में एक मंदिर का निर्माण हुआ था जिसका नाम था इन्द्रेश्वर महादेव, यह मंदिर आज भी मुझे गौरवान्वित करता है। मेरे इतिहास का गवाह यह इन्द्रेश्वर महादेव मंदिर।

सत्रहवीं शादी आते-आते मल्हारराव होल्कर को मल्हार का अधिराज बनाया गया। मैं उस समय एक प्रमुख केंद्र के रूप में काम करता रहा था। इतिहास का चर्चित नाम अहिल्याबाई होल्कर मेरी मिट्टी में ही जन्मी हैं। अहिल्याबाई के कमलचरणों ने मुझे प्रशासनिक, सांस्कृतिक और धार्मिक द्रष्टि से खास बनाया। आज में अपने इस इतिहास को लेकर खूब इठलाता हूं। आज जितने भी घाट, मंदिर, या फिर धर्मशालाएं मेरे आगोश में दिखती हैं, उनमें अहिल्याबाई होल्कर का अहम योगदान रहा है। मैं ब्रिटिश शासन में भी डटा रहा, खड़ा रहा अपने अस्तित्व को लेकर।

इंदौर

अठारहवीं सदी आते-आते मराठों की पराजय हुई और मुझ पर अंग्रेजों का शासन हुआ। और अंग्रेजों के संरक्षण में होलकरों की राजधानी मुझे बनाया गया। वैसे अठारहवीं सदी में मेरा काफी विकास हुआ। सड़कें-शिक्षा और प्रशासनिक सुविधाओं का विकास हुआ। क्योंकि में अब राजधानी के रूप में काम कर रहा था। स्वतंत्रता के समय मैने कई वीर दिए। जिन्होंने मेरी और अपनी रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने से पहले और दुश्मनों को ढेर करने से पहले एक बार भी नहीं सोचा। 1947 में जब देश को अंग्रेजों से आजादी मिली, तभी मुझे मध्यभारत का हिस्सा बनाया गया। बाद में 1956 में मुझे मध्यप्रदेश का हिस्सा बना दिया गया।

मध्य प्रदेश की व्यापारिक राजधानी और देश का सबसे स्वच्छ शहर हूं मैं। मैं सिर्फ अपनी सफाई और आधुनिकता के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी ऐतिहासिक धरोहर, धार्मिक स्थल, लज़ीज़ व्यंजन और प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध हूं। यदि आप मेरी यात्रा पर आ रहे हैं, तो आप मेरी पांच प्रमुख जगहें ज़रूर देखें, जो मेरी आत्मा को दर्शाती हैं।

सबसे पहले आप राजवाड़ा की ओर रुख करें
18वीं शताब्दी में होल्कर शासकों द्वारा बनवाया गया, यह सात मंजिला महल मराठा वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। मेरे ह्रदय स्थल पर स्थित राजवाड़ा न सिर्फ एक ऐतिहासिक स्मारक है, बल्कि यह आपको उस दौर में ले जाता है जब मैं मराठा साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। इसके भव्य दरवाज़े और लकड़ी की नक्काशी देखते ही बनती है।

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राजवाड़ा के बाद बारी आती है लालबाग पैलेस की, जो होल्कर वंश की शाही जीवनशैली को बखूबी दर्शाता है। यूरोपीय शैली में निर्मित यह महल आज भी अपनी भव्यता और सजावट से पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहां की संगमरमर की सीढ़ियां, विशाल नृत्य कक्ष और राजसी फर्नीचर आपको इतिहास के पन्नों में ले जाते हैं।

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मेरे पास धार्मिक आस्था से जुड़ा खजराना गणेश मंदिर भी है
खजराना गणेश मंदिर जो एक शानदार आकर्षण है। इस मंदिर की स्थापना अहिल्याबाई होल्कर ने ही की थी। यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी होने की आशा से गणपति बप्पा के दर्शन करते हैं। त्यौहारों के समय मंदिर का वातावरण और भी भव्य हो जाता है। इतिहास और आस्था के बाद अब बात करते हैं स्वाद की।

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साराफा बाज़ार
दिन में यह एक ज्वेलरी मार्केट होता है, लेकिन रात ढलते ही यह मेरा सबसे मशहूर स्ट्रीट फूड हब बन जाता है। यहां पोहा, भुट्टे का कीस, गार्लिक पोहे, दही बड़े, और जलेबी जैसे लज़ीज़ व्यंजन आपका दिल जीत लेंगे।

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एक शानदार जगह है। मेरे यहां से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित यह झरना मानसून के समय अपनी पूरी खूबसूरती में दिखाई देता है। चारों ओर फैली हरियाली और गिरते पानी की आवाज़ सुकून भरा माहौल बनाती है। मैं आपको इतिहास, संस्कृति, स्वाद और प्रकृति, सबका सफर करवाऊँगा। मेरे हर मोड़ पर आपको नई कहानी, नया स्वाद और नई अनुभूति होगी। अगली बार जब भी आप मुझे घूमने आयें, तो इन पांच जगहों पर जरूर आना क्योंकि मेरी असली पहचान यही जगहें हैं।

अगर मुझे महसूस करना है, तो मेरे खान-पान और बाज़ारों में जाइए। सराफा बाज़ार की रातें सिर्फ रोशनी से नहीं, बल्कि लज़ीज़ स्वादों से भी जगमगाती हैं। दिन में यह गहनों का बाज़ार होता है, लेकिन रात ढलते ही यहां पोहा, दही बड़े, भुट्टे का कीस, गराडू और जलेबी की खुशबू फैल जाती है। हर स्टॉल पर आपको एक नया स्वाद, एक नया अंदाज मिलेगा।

मेरे छप्पन दुकान इलाके की भी अपनी अलग पहचान है। यहां सुबह से शाम तक स्ट्रीट फूड का मेला लगा रहता है। सैंडविच, पिज़्ज़ा, चाट और इंदौरी नमकीन, सब कुछ यहीं मिलेगा। मेरे बाज़ार सिर्फ खरीदारी की जगह नहीं, बल्कि मेरी संस्कृति का आईना हैं। राजवाड़ा के आसपास की गलियां रंग-बिरंगी दुकानों, कपड़ों और हस्तशिल्प से भरी रहती हैं।

यहां की रौनक और लोगों की मुस्कान आपको अपनेपन का एहसास दिलाएगी। मैं अपने खाने में मिठास, मसाले और प्यार मिलाकर हर मेहमान का स्वागत करता हूं। मेरे बाज़ारों में घूमना और मेरे खाने का स्वाद लेना, मेरे दिल की धड़कन महसूस करने जैसा है

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Hello! I Pardeep Kumar

मुख्यतः मैं एक मीडिया शिक्षक हूँ, लेकिन हमेशा कुछ नया और रचनात्मक करने की फ़िराक में रहता हूं।

लम्बे सफर पर चलते-चलते बीच राह किसी ढ़ाबे पर कड़क चाय पीने की तलब हमेशा मुझे ज़िंदा बनाये रखती
है।

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