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Hauz Khas Village – Best Tourist Attraction in Delhi

Hauz Khas- हौज़ ख़ास विलेज: दिल्ली के युवाओं की मनपसंद जगह

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दिल्ली के कल्चर को अच्छे से जानने के लिए सबसे परफेक्ट है हौज़ ख़ास। यही वो जगह है जहाँ आप दिल्ली वालों के स्वैग और स्टाइल दोनों को करीब से देख सकते हैं।

कैसे जाएं हौज़ ख़ास

हौज़ ख़ास मेट्रो स्टेशन से लगभग 3 किलोमीटर दूर बना हौज़ ख़ास विलेज(Hauz Khas Village) अपनी बनावट के लिए बहुत फेमस है, जहाँ जाते वक्त रास्ते में सबसे पहले आपकी नज़र छोटी गुमटी की तरफ जाएगी। अब आप कहेंगे ये क्या है? छोटी गुमटी एक गुमत है जो चारो तरफ से घिरी हरियाली के बीचों-बीच बनी है। यहाँ इतनी शांति है कि इस गुमटी में जाकर आप अलग-अलग किस्म के पक्षियों की आवाज़ें और यहाँ तक की अपनी धड़कनों को महसूस कर पाएंगे। अगर आपको शांत जगह खूब भाती हैं तब यह जगह आपके लिए बिलकुल अनुकूल रहेगी।(Hauz Khas)

        hauz khas vollage- cafe hub

हौज़ ख़ास मार्किट

छोटी गुमटी के बाद थोड़ा आगे चलने पर आएगा डियर पार्क और उसके बाद शुरू हो जाएगी हौज़ ख़ास मार्किट, जहाँ आपको चारों तरफ क्लब, कैफ़े और गानों की ध्वनि सुनाई देगी। आपको बता दें हौज़ ख़ास मार्किट कुछ खरीदने से ज्यादा पेट पूजा और एन्जॉय करने के मकसद से बनाई गयी है। यही कारण है कि वहां हर वक़्त युवाओं का जमावड़ा लगा रहता है। चाहे आपको किसी से मिलना हो, डेटिंग करनी हो या बर्थडे सेलिब्रेट करना हो, उसके लिए हौज़ ख़ास परफेक्ट प्लेस है। हौज़ ख़ास मार्किट में से गुजरते वक्त आपको फुल बेस में बजते हुए गाने और युवा लड़के-लड़कियों की टोलीयां नज़र आएंगी और बस यही इस मार्किट की खासियत है।

हौज़ ख़ास -महक का छोटा किला

हौज़ ख़ास मार्किट के बाद शुरू हो जाता है हौज़ ख़ास विलेज जो दूर तक फैला हुआ है। हौज़ ख़ास को महक का छोटा किला भी कहा जाता है। विलेज में एंट्री के लिए 25 रुपय की टिकट लगती है। टिकट लेते ही आपके सामने होगा हौज़ ख़ास विलेज, उसकी अद्भुत बनावट और चारों और फैली हरियाली ही हरियाली।

    hauz khas fort

वैसे आपको बता दें उर्दू के शब्द हौज़ का अर्थ है पानी की टंकी और ख़ास का अर्थ है राजसी अथार्त राजसी पानी की टंकी। माना जाता है कि इस बड़ी-सी टंकी का निर्माण अल्लाउद्दीन खिलज़ी द्वारा सिरी फ़ोर्ट के निवासियों के लिए करवाया गया था। इस्लामी वास्तुकला से बना ये हेरिटेज हौज़ खास में आकर्षण का मुख्य केंद्र बिंदु है।(Hauz Khas)

हौज़ ख़ास विलेज, विलेज बनने से पहले फिरोज शाह का मदरसा था। फिरोज शाह दिल्ली सल्तनत में तुगलक वंश के तीसरे शासक थे जिन्होंने 37 साल राज किया। फिरोज शाह ने ही हौज़ ख़ास विलेज में मदरसा बनवाया था और यहीं उनका मकबरा भी बनाया गया है।

इस मकबरे के गुंबद का शीर्ष पूरे परिसर में सबसे ऊंचा है। यह खड़े अष्टकोणीय और वर्गाकार छतरियों को मकबरे के रूप में बनाया गया था। इस इमारत की मरम्मत बादशाह सिकंदर लोदी ने करवाई थी। कक्ष के बीचों-बीच बनी कब्र फिरोज शाह की है, जबकि वहीँ आसपास संगमरमर की कुछ अन्य कब्रें भी बनी हैं।

हौज़ ख़ास विलेज फिरोज शाह के मकबरे के पश्चिम में दूर तक फैला है। ऊपरी मंजिल में खुले स्तंभों युक्त कमरे हैं और निचली मंजिल में मेहराबी कमरे हैं। निचली मंजिल में छोटी अंधेरी कोठरियां भी हैं जो शायद छात्रों के लिए बनी होंगी। जिसके अंदर रोशनी और हवा के लिए तंग रोखे हैं, और सामान रखने के लिए छोटे आले बने हैं कहा जाता है कोठरियों के सामने मेहराबी कमरे थे जो अब ढह चुके हैं। इस हिस्से के पश्चिमी छोर में एक बड़ा गुम्बदनुमा दो मंजिला भवन है।(Hauz Khas)

hauz khas fort

पिकनिक स्पॉट

हौज़ ख़ाज़ के परिसर में प्रवेश करते ही इतनी उम्दा वास्तुकला दिखती है जिसे देख कोई भी असमंजस में पड़ जाए कि पहले दाएं जाया जाए या बाएं। बनावट कुछ इस प्रकार की है जो गर्मी में धूप से बचाए और बरसात में बारिश से। पूरे विलेज में कही भी खड़े होने पर चारों तरफ विलेज के साथ बने डिअर पार्क की झील दिखती है जो आँखों को ठंडक देती और मन को तृप्त करती है। पूरे विलेज का एक-एक कोना इतना शानदार है कि वहां न सिर्फ दोस्तों के साथ मजे से घूमा जा सकता है बल्कि यह जगह क्वालिटी टाइम बिताने के लिए भी शानदार है।

selfie time with friends

विलेज के शांत माहौल व सुरक्षा के लिहाज़ से भी देखें तो यह जगह बेहतरीन विकल्प है। हमें अनेक जोड़ें यहाँ इत्मीनान से बैठे दिखाई दिए। साथ ही आप परिवार और दोस्तों के साथ पिकनिक के लिए भी यहाँ आ सकते हैं।

हौज़ ख़ास विलेज अपनी खूबसूरती और बनावट दोनों के कारण यहाँ आने वाले हर ऐज ग्रुप को अपनी ओर आकर्षित करता है। दौड़ती-भागती जिंदगी में दो पल सुकून से बिताने के लिए ये जगह बिल्कुल फिट बैठती है, ऐसे ही थोड़ी इसे महक का छोटा किला कहा जाता है।(Hauz Khas)

 

Research – Geetu Katyal
Written & Edited by Pardeep Kumar

 

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Hello! I Pardeep Kumar

मुख्यतः मैं एक मीडिया शिक्षक हूँ, लेकिन हमेशा कुछ नया और रचनात्मक करने की फ़िराक में रहता हूं।

लम्बे सफर पर चलते-चलते बीच राह किसी ढ़ाबे पर कड़क चाय पीने की तलब हमेशा मुझे ज़िंदा बनाये रखती
है।

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