आज का दौर तेज़ी का दौर है काम, पढ़ाई, रिश्ते और ज़िंदगी सब कुछ भागती हुई रफ़्तार में है। इसी भागदौड़ में जब पेट भूख की घंटी बजाती है, तो सबसे पहले दिमाग में जो चीज़ आती है, वो है फास्ट फूड। अब लोग वही खाना पसंद करते हैं जो जल्दी बने, तुरंत मिले और मुंह में स्वाद छोड़ जाए। इसीलिए आज बर्गर, पिज़्ज़ा, फ्रेंच फ्राइज़, मोमोज और सैंडविच जैसी चीज़ें न सिर्फ़ युवाओं की बल्कि हर उम्र के लोगों की पहली पसंद बन चुकी हैं। दिल्ली, मुंबई, भोपाल, जयपुर, लखनऊ हर शहर की गलियों में इनकी खुशबू घुली हुई है। आज ये डिशेज़ सिर्फ़ पेट नहीं भरतीं, बल्कि एक लाइफ़स्टाइल और मॉडर्न आइडेंटिटी बन चुकी हैं। फाइव कलर्स ऑफ ट्रैवल की इस पेशकश में जानेंगे हम भारत में सबसे प्रसिद्ध पांच फास्ट फूड के बारे में। और सबसे पहले तो यह जानेंगे फास्ट फूड है क्या?

फास्ट फूड क्या है?
फास्ट फूड वो खाना है जो जल्दी तैयार हो जाता है और तुरंत खाया जा सकता है। यह आम तौर पर रेस्तरां, स्टॉल या फूड ट्रकों पर मिलता है, जहां खाना ऑर्डर देने के कुछ मिनटों में तैयार कर दिया जाता है। इसमें मुख्य रूप से तला-भुना या पहले से तैयार सामग्री का इस्तेमाल होता है, ताकि समय बचे और ग्राहक को तुरंत सर्व किया जा सके। बर्गर, पिज़्ज़ा, फ्रेंच फ्राइज़, मोमोज, सैंडविच, रोल और नूडल्स जैसी चीज़ें फास्ट फूड के लोकप्रिय उदाहरण हैं। इसकी खासियत है स्वाद और सुविधा लोग इसे घर से बाहर, ऑफिस ब्रेक में या सफर के दौरान भी आसानी से खा सकते हैं। हालांकि फास्ट फूड स्वादिष्ट जरूर होता है, लेकिन इसमें तेल, नमक और कैलोरी ज़्यादा होती है, इसलिए इसे सीमित मात्रा में ही खाना बेहतर होता है। आज फास्ट फूड एक लाइफ़स्टाइल ट्रेंड बन चुका है। पर समय के साथ सब बदलता है। इसे भी हमें स्वीकारना चाहिए। खैर आइए जानते हैं पांच लोकप्रिय फास्ट फूड!

बर्गर – सॉफ्ट बन और स्वाद का कॉम्बिनेशन
कहते हैं कि किसी फास्ट फूड का नाम लो और सबसे पहले जो तस्वीर आंखों में आती है, वो बर्गर की होती है। दो गोल बन के बीच में सजी हुई कुरकुरी पैटी, ऊपर से टमाटर, प्याज़, सलाद और मेयोनीज़ की लेयर ये कॉम्बिनेशन हर उम्र के लोगों का फेवरेट है। बर्गर की कहानी विदेशों से शुरू हुई थी, लेकिन आज यह भारत के हर छोटे-बड़े शहर में अपनी जगह बना चुका है। यहां के स्वाद के मुताबिक इसे बदल दिया गया है कहीं आलू टिक्की वाला देशी वर्ज़न है, तो कहीं पनीर या चिकन वाला ज़ायका। अब तो हर नुक्कड़ और कैफ़े में मिलने वाला बर्गर किसी ब्रांडेड दुकान से कम नहीं। और मज़े की बात ये है कि भारत में अब बर्गर सिर्फ खाना नहीं, बल्कि मूड बूस्टर बन चुका है। कॉलेज के बच्चे, ऑफिस जाने वाले या देर रात तक जागने वाले सबका पसंदीदा साथी यही है। कई लोग बर्गर को अब “डेली स्नैक” जैसा है मानते हैं, क्योंकि इसमें स्वाद, स्पीड और सस्ती कीमत तीनों साथ मिलते हैं।(खैर आइए जानते हैं पांच लोकप्रिय फास्ट फूड!)

पिज़्ज़ा – चीज़ी लेयर और दोस्तों का मज़ा
अगर किसी खाने में मज़ा, फ्लेवर और जश्न तीनों चाहिए हों, तो नाम आता है पिज़्ज़ा का। इटली से निकला ये व्यंजन अब भारतीय ज़ुबान में घुल चुका है। मोटे या पतले बेस पर टमाटर की सॉस, ढेर सारा चीज़ और रंग-बिरंगी टॉपिंग्स देखकर ही मुंह में पानी आ जाता है। पिज़्ज़ा अब सिर्फ एक डिश नहीं, बल्कि कनेक्शन का बहाना है। दोस्तों के साथ मूवी देखते वक्त या ऑफिस पार्टी में जब पिज़्ज़ा का डिब्बा खुलता है, तो चेहरे पर मुस्कान अपने आप आ जाती है। दिलचस्प बात ये है कि भारत ने इसे अपने हिसाब से ढाल लिया है अब पनीर टिक्का पिज़्ज़ा, मसाला पिज़्ज़ा, बटर चीज़ पिज़्ज़ा जैसे फ्लेवर खूब चल रहे हैं। हर बड़े शहर में अब इतनी पिज़्ज़ा जगहें हैं कि लोग अपने मनपसंद स्वाद के लिए अलग-अलग स्टाइल आज़माते हैं। इसके चाहने वाले तो यह तक कहते हैं कि पिज़्ज़ा का एक स्लाइस कभी काफी नहीं होता और यही इसकी ताकत है। चाहे मॉडर्न कैफ़े हों या लोकल दुकानें, पिज़्ज़ा अब हर दिल का हिस्सा बन चुका है।

फ्रेंच फ्राइज़– कुरकुरी चाहत जो हर प्लेट में जरूरी है
अगर बर्गर हो और उसके साथ फ्राइज़ न हों, तो कॉम्बिनेशन अधूरा लगता है। पतली-पतली आलू की स्टिक्स, जो बाहर से सुनहरी और अंदर से मुलायम होती हैं, नमक और हल्के मसाले के साथ यही है फ्रेंच फ्राइज़ का जादू। कहते हैं कि इसकी शुरुआत यूरोप में हुई थी, लेकिन भारत ने इसे इतना अपनाया कि अब यह हर मेन्यू में जरूरी हिस्सा बन गया है। बच्चों से लेकर बड़ों तक, सबको फ्राइज़ की वो कुरकुरी आवाज़ और हल्का नमकीन स्वाद पसंद आता है। अब तो लोग नए-नए एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं चीज़ लोडेड फ्राइज़, मसाला फ्राइज़, और यहां तक कि पेरि-पेरि फ्राइज़। कई लोग कहते हैं कि फ्राइज़ किसी भी फास्ट फूड को कम्प्लीट कर देते हैं। और यही वजह है कि शाम के वक्त मॉल, कैफ़े या सिनेमा हॉल के बाहर सबसे ज्यादा मांग इन्हीं की होती है। आज फ्राइज़ सिर्फ साइड डिश नहीं, बल्कि अपने आप में स्टार बन चुके हैं।

मोमोज – पहाड़ों से उतरी खुशबू जिसने देश जीत लिया
अगर किसी डिश ने सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक अपनी अलग पहचान बनाई है, तो वो है मोमोज। भाप में पकते हुए इन छोटे-छोटे पोटलियों की खुशबू किसी को भी अपनी ओर खींच लेती है। कभी ये सिर्फ पहाड़ी इलाकों का हिस्सा थे, लेकिन अब हर शहर में मोमोज का ठेला या दुकान मिल ही जाती है। दिल्ली, देहरादून और गुवाहाटी जैसे शहर तो अब मोमोज की पहचान बन चुके हैं। स्टीम्ड, फ्राइड, तंदूरी या अफगानी मोमोज के इतने रूप हैं कि हर कोई अपना फेवरेट ढूंढ लेता है। इसके साथ दी जाने वाली तीखी लाल चटनी और सफेद मलाईदार मेयो जैसे जादू का काम करते हैं। मोमोज का सबसे बड़ा आकर्षण ये है कि ये सस्ते भी हैं और भरपेट भी। कई युवाओं के लिए शाम की सबसे बड़ी खुशी यही है कॉलेज खत्म होते ही दोस्तों के साथ किसी ठेले पर खड़े होकर गर्मागर्म मोमोज खाना।

सैंडविच – हेल्दी भी, स्वादिष्ट भी
जब बात फास्ट फूड की आती है तो सैंडविच को भुलाया नहीं जा सकता। ब्रेड की दो स्लाइसों के बीच भरी सब्ज़ियां, सॉस, चीज़ और मसाले यह सादगी में छिपा स्वाद है। सैंडविच की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे दिन के किसी भी वक्त खाया जा सकता है सुबह का नाश्ता, दोपहर का स्नैक या शाम की हल्की भूख। अब तो ग्रिल्ड, क्लब, वेज मेयो या चीज़ कॉर्न जैसे ढेरों वेरिएशन मिलने लगे हैं। हर शहर में छोटी-छोटी सैंडविच गाड़ियां लगती हैं जहां तवे की खनक और मक्खन की खुशबू लोगों को रोक लेती है। यह उन लोगों का पसंदीदा स्नैक है जो हेल्दी खाने की तरफ झुकाव रखते हैं लेकिन स्वाद से समझौता नहीं करना चाहते। सैंडविच आज के वक्त में एक ऐसा विकल्प है जो फास्ट लाइफस्टाइल के साथ पूरी तरह फिट बैठता है।

भारत में फास्ट फूड का बदलता चेहरा
भारत में फास्ट फूड का मतलब अब सिर्फ बाहर से आने वाली डिशेज़ नहीं रह गया। यहां के शेफ्स और लोकल दुकानदारों ने इन डिशेज़ को भारतीय स्वाद के हिसाब से बदल दिया है। अब पनीर टिक्का बर्गर, बटर चिकन पिज़्ज़ा, तंदूरी मोमोज या मसाला फ्राइज़ जैसी फ्यूज़न डिशेज़ आम हो गई हैं। इन बदलावों ने इस इंडस्ट्री को और भी रोचक बना दिया है। फूड डिलीवरी ऐप्स ने इसे और आसान कर दिया है अब घर बैठे आप अपनी मनपसंद डिश मिनटों में मंगा सकते हैं। भारत में फास्ट फूड मार्केट तेजी से बढ़ रहा है, और युवा पीढ़ी इसका सबसे बड़ा ग्राहक वर्ग है। अब गांवों-कस्बों तक यह संस्कृति पहुंच चुकी है। सस्ती कीमत, आसान उपलब्धता और लाजवाब स्वाद यही इसकी सबसे बड़ी ताकत है।

स्वाद के साथ समझदारी यही है असली फास्ट फूड कल्चर
फास्ट फूड का असली मज़ा तब है जब इसे संयम और समझदारी से खाया जाए। कभी-कभी बर्गर या पिज़्ज़ा खाना कोई बुरी बात नहीं, लेकिन इसे रोज़मर्रा की आदत बनाना सेहत के लिए ठीक नहीं। आजकल के युवा इसे अपने अंदाज़ में अपनाए हुए हैं कभी पार्टी में, कभी दोस्तों के साथ, कभी मूवी देखते वक्त। ये डिशेज़ सिर्फ खाने की नहीं, कनेक्शन और एंटरटेनमेंट की भी वजह बन चुकी हैं। बर्गर की सॉफ्ट बाइट, पिज़्ज़ा की चीज़ी लेयर, फ्राइज़ की क्रंच, मोमोज की गर्माहट और सैंडविच की सादगी ये सब मिलकर आज के भारत की फूड पहचान बना चुके हैं। यह स्वाद सिर्फ प्लेट में नहीं, अब हमारी आदतों में बस गया है। यही वजह है कि फास्ट फूड अब सिर्फ एक बिजनेस ही नहीं, बल्कि नए भारत की भूख और स्वाद दोनों का प्रतीक बन चुका है।








