दीपावली, भारत का सबसे बड़ा और सबसे खास त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश, और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है। जब भी दिवाली की बात होती है, तो भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने और माता लक्ष्मी के पूजन की कहानी सबसे पहले याद आती है।(दिवाली के 7 सबसे रोचक और अनसुने तथ्य)
लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह त्योहार सिर्फ हिंदू धर्म तक ही सीमित नहीं है?
फाइव कलर्स ऑफ़ ट्रेवल का यह ब्लॉग आपको दिवाली से जुड़े कुछ ऐसे अनसुने और रोचक तथ्यों (Interesting Facts) से रूबरू कराएगा जो इस त्योहार को बेहद खास बनाते हैं…
1. जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण दिवस: भगवान महावीर का निर्वाणोत्सव
दिवाली का पर्व जैन धर्म के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जहां इसे ‘महावीर स्वामी निर्वाणोत्सव’ या ‘वीर निर्वाण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
इसी दिन, कार्तिक अमावस्या को, जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर, भगवान महावीर को पावापुरी में मोक्ष (निर्वाण या अंतिम मुक्ति) की प्राप्ति हुई थी। जैन मान्यताओं के अनुसार, महावीर के ज्ञान की ज्योति बुझने के बाद, 16 गण-राजाओं, 9 मल्ल और 9 लिच्छवी राजाओं ने “ज्ञान की ज्योति जाने पर, हम द्रव्य की ज्योति करेंगे” (गये से भवुज्जोये, दव्वुज्जोयं करिस्समो) कहते हुए दीये जलाए थे। दिवाली की अगली सुबह, जैन मंदिरों में भगवान महावीर को प्रार्थना करने के बाद निर्वाण लड्डू चढ़ाया जाता है।
खास बात यह कि अहिंसा (non-violence) के सिद्धांत के कारण, जैन समुदाय दिवाली पर आतिशबाजी से परहेज करता है क्योंकि इससे जीवित जीवों को नुकसान पहुँच सकता है।
2. बंदी छोड़ दिवस: सिखों की आस्था का प्रकाश पर्व
सिख धर्म में दिवाली को बंदी छोड़ दिवस के रूप में भी जाना जाता है।

1619 में कार्तिक अमावस्या के दिन, सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद सिंह जी, को कई हिंदू राजाओं के साथ मुगल शासक जहांगीर की कैद से ग्वालियर के किले से रिहा किया गया था। गुरु की रिहाई की खुशी में अमृतसर में स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) को दीपों और आतिशबाजी से जगमगाया गया था। इसके अलावा, अमृतसर के प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास भी दीपावली के दिन ही हुआ था।
3. ‘दीपालिकया‘ (Dipalikaya) – दिवाली का प्राचीनतम उल्लेख
‘दिवाली’ शब्द संस्कृत के ‘दीप’ और ‘आवली’ (पंक्ति) से बना है। लेकिन इसका एक प्राचीनतम उल्लेख भी मिलता है: दिवाली का सबसे पुराना संदर्भ दालिकया (Dipalikaya) नामक शब्द में मिलता है, जो आचार्य जिनसेन द्वारा रचित हरिवंश पुराण में वर्णित है। दालिकया का मोटा-मोटा अनुवाद “शरीर से प्रकाश का जाना” या “दीपों का शानदार प्रकाश” होता है। 7वीं शताब्दी के संस्कृत नाटक नागानंद में राजा हर्ष ने इस त्योहार को दीपप्रतिपादुत्सव: कहा है। 4वीं शताब्दी ईसा पूर्व में रचित कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी कार्तिक अमावस्या को मंदिरों और घाटों पर बड़े पैमाने पर दीप जलाने का उल्लेख है।
4. दिवाली को क्यों माना जाता है ‘नया साल‘?
दिवाली को सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि नए साल के आरंभ के रूप में भी मनाया जाता है। हिंदू धर्म के व्यापारी वर्ग इसे नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत मानते हुए नए बही-खाते खोलते हैं। यह परंपरा चौथी शताब्दी ईस्वी में गुप्त साम्राज्य के समय से मानी जाती है। जैन व्यापारी भी पारंपरिक रूप से दिवाली से अपना लेखा वर्ष (Accounting Year) शुरू करते हैं। दिवाली के अगले दिन प्रतिपदा से जैन कैलेंडर, जिसे वीर निर्वाण संवत् कहते हैं, शुरू होता है। एक अन्य रोचक तथ्य यह है कि सम्राट विक्रमादित्य का राज्याभिषेक भी दीपावली के दिन ही हुआ था।

5. पहली दिवाली का दिव्य दृश्य: 1 करोड़ दीपों का अनुमान
जब भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे, तो वह दिन अमावस्या का था। इसी अंधकार को मिटाने के लिए पूरी नगरी को दीपों से जगमगाया गया था।

पौराणिक आख्यानों और इतिहासकारों के अनुसार, अयोध्या में उस रात लगभग 1 करोड़ से अधिक दीपक जलाए गए थे। यह संख्या प्रतीकात्मक है, लेकिन पुराणों में अनगिनत दीयों का उल्लेख मिलता है। यह भी कहा जाता है कि सरयू नदी के घाटों पर इतने लाखों दीप जलाए गए थे कि नदी का पानी भी सुनहरी रोशनी से चमक उठा था।

और इस साल 2025 में अयोध्या में एक साथ दो वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाये गए जिसमें पहला ये कि सरयू नदी पर 9वें दीपोत्सव के दौरान 26 लाख 17 हज़ार 215 दिए जलाए गए. और दूसरा 2128 बटुकों ने एक साथ माँ सरयू की आरती कर नया विश्व कीर्तिमान बनाया. दोनों रिकॉर्ड गिनीज बुक में दर्ज किये गए.
6. विदेश में भी जलती है दिवाली की ज्योति
दिवाली सिर्फ भारत का त्योहार नहीं है, बल्कि इसकी रोशनी वैश्विक स्तर पर फैल चुकी है। भारत के अलावा, यह त्योहार इंडोनेशिया, मलेशिया, फिजी, कनाडा और मॉरीशस जैसे देशों में भी मनाया जाता है। मॉरीशस, फिजी, और त्रिनिदाद में तो इसे राष्ट्रीय त्यौहार का दर्जा प्राप्त है। यूनाइटेड किंगडम (UK) का शहर लीसेस्टर (Leicester) भारत के बाहर सबसे बड़े दिवाली समारोहों में से एक की मेजबानी करता है। नेपाल में इसे तिहार के नाम से जाना जाता है, जहां कौए, कुत्ते, और गाय की पूजा बड़े पारंपरिक तरीके से की जाती है।

7. अलग-अलग राज्यों में दिवाली के अलग रंग
हालांकि राम की वापसी और लक्ष्मी पूजन मुख्य हैं, भारत के विभिन्न हिस्सों में दिवाली का महत्व और उत्सव मनाने का तरीका एकदम अलग है।
पश्चिम बंगाल: अधिकांश राज्य माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल में दिवाली की रात बुराई को नष्ट करने वाली काली मां की भव्य पूजा की जाती है।
दक्षिण भारत: यहां दिवाली मुख्य रूप से भगवान कृष्ण द्वारा राक्षस नरकासुर का वध करने की जीत के रूप में मनाई जाती है। खास बात यह कि तमिलनाडु में दीवाली पूरे देश से एक दिन पहले तमिल कैलेंडर के अनुसार मनाई जाती है।
गोवा: नरकासुर की बड़ी-बड़ी (25 फुट तक की) प्रतिमाएं बनाकर उन्हें पटाखों से भरकर जलाया जाता है।

हिमाचल प्रदेश: आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां दो बार दिवाली मनाई जाती है – एक आम दिवाली और दूसरी बुद्धी दिवाली, जो एक चंद्र मास बाद मनाई जाती है और इसमें देवदार या चीड़ की छाल से बनी विशाल अग्नि मशालें जलाई जाती हैं।

दिवाली का त्योहार वास्तव में प्रकाश, आशा और ज्ञान की विविधतापूर्ण विजयगाथा है। चाहे वह भगवान राम की अयोध्या वापसी हो, भगवान महावीर का मोक्ष, गुरु हरगोविंद सिंह जी की रिहाई, या माता लक्ष्मी का पृथ्वी पर भ्रमण – हर हर कथा इस पर्व को और अधिक समृद्ध करती है। अगली बार जब आप दीया जलाएं, तो इस त्योहार के इन अद्भुत और बहुआयामी ऐतिहासिक तथ्यों को याद रखें, जो इसे वास्तव में मानवता का त्योहार (Festival of Humanity and Light) बनाते हैं।
Written by- Dr. Pardeep Kumar









