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ग्रामीण पर्यटन, गांवों से शहरों की ओर चल दिया कारवां !

भारत सरकार की राष्ट्रीय पर्यटन नीति (2022) के अनुसार ग्रामीण पर्यटन वह प्रक्रिया है जिसमें शहरी और बाहरी पर्यटक गांवों की संस्कृति और जीवन शैली को समझने के लिए और वहां का अनुभव लेने के लिए जाते हैं। यह पर्यटन केवल सैर सपाटा नहीं बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक सहभागिता का मंच भी है। जहाँ पर्यटन का रुख प्राकृतिक, सांस्कृतिक और सामुदायिक अनुभवों की ओर मुड़ जाए।

ग्रामीण पर्यटन में क्या होता खास?

जब आप किसी गांव में घूमने जाते हैं वहां कुछ दिन बिताते हैं तो आप केवल उसे जगह को ही नहीं बल्कि वहां की संस्कृति को समझते हैं। उसे जगह से जुड़ी, वहां के लोगों से जुड़ी परंपराओं को भी जानते हैं।

ग्रामीण इलाके अक्सर हरियाली से भरपूर होते हैं। गांव में रहने वाले एक व्यक्ति को पेड़ पौधों की अच्छी खासी समझ होती है। ग्रामीण पर्यटन के दौरान पर्यटक गांव के स्थानीय लोगों से रूबरू होते हैं जहां वे पर्यावरण और खेती-किसानी को उन लोगों से समझते हैं, जिनसे खेती सीधी तौर पर जुड़ी हुई है।

जब आप किसी हिल स्टेशन पर घूमने जाते हैं तब शायद आपके साथ जाने वाला पर्यटक ही आपका साथी हो, लेकिन जब आप एक गांव में घूमने जाते हैं तब स्थानीय समुदायों की भागीदारी संभावित रूप से बढ़ जाती है।

1980 के दशक में एग्रो टूरिज्म (Agro tourism) के रूप में यूरोप से ग्रामीण पर्यटन का विचार उभरा। भारत में ग्रामीण पर्यटन की धारणा Rural Tourism Strategy और End to end development of rural tourism योजना के बाद शुरु हुई।

  1. 16 फरवरी 2023 को ग्रामीण पर्यटन ग्राम पोर्टल लॉन्च किया गया।
  2. स्वदेश दर्शन योजना, जिसके तहत गांव के बुनियादी ढांचे को विकास के लिए ग्रामीण सर्किट के रूप में पहचाना गया।
  3. ग्रामीण पर्यटन के विकास के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति (Roadmap) तैयार की गई।
  4. केंद्रीय ग्रामीण पर्यटन नोडल एजेंसी (IITTM) के साथ पर्यटन मंत्रालय ने साझेदारी कर पर्यटक ग्राम प्रतियोगिता आयोजित की।

मावलिननोंग, मेघालय – एक मॉडल गाँव

ग्रामीण पर्यटन

मावलिननोंग, एशिया का सबसे स्वच्छ गांव है। मावलिननोंग, के स्थानीय स्कूलों में ‘पर्यटन और संस्कृति’ पाठ्यक्रम को जोड़ा गया और यहां के स्थानीय समुदायों ने अपशिष्ट प्रबंधन (Waste management) का इतना बेहतर कार्य किया कि यहां 70% तक ग्रामीण पर्यटन गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई।

इससे sustainable tourism को भी बढ़ावा मिलता है और पब्लिक-प्राइवेट कम्यूनिटी पार्टनरशिप जैसी योजनाओं में भी इजाफा होता है।

ग्रामीण पर्यटन केवल सैर सपाटे तक ही सीमित नहीं है बल्कि इससे बहुत सी ऐसी चीजें जुड़ी हैं जो शायद हम आमतौर पर सोचते भी नहीं हैं। इससे जुड़ा है गांव का विकास, इससे जुड़ी है संस्कृति को पहचान मिलने की एक दिशा, इससे जुड़ी है एक शहरी व्यक्ति को मिलने वाली शांति।
ग्रामीण पर्यटन, आगे बढ़ते हुए भी अपनी जड़ों के साथ चलने का बेहतरीन उदाहरण पेश करता है और जड़ों की ओर लौटने के सुकून का एहसास कराता है

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Hello! I Pardeep Kumar

मुख्यतः मैं एक मीडिया शिक्षक हूँ, लेकिन हमेशा कुछ नया और रचनात्मक करने की फ़िराक में रहता हूं।

लम्बे सफर पर चलते-चलते बीच राह किसी ढ़ाबे पर कड़क चाय पीने की तलब हमेशा मुझे ज़िंदा बनाये रखती
है।

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