पिथौरागढ़ यानि छोटे कश्मीर में आपका स्वागत है
Written by – Sakshi Joshi
Edited by- Pardeep Kumar
हरी-भरी पहाड़ियां, और बर्फ से ढके पहाड़ हैं,
यहाँ खूबसूरत नज़ारे और हरयाली की भरमार है,
रस्ते भले ही टेड़े है, पर लोग बड़े ही भोले है,
पूछो जो रास्ता किसी से, मंजिल तक छोड़ने को तैयार हैं,
पूछो- क्या नहीं है यहाँ,
नाचनी है यहाँ, बिर्थी है यहाँ
मुंश्यारी है यहाँ, बर्फ गिरती है जहाँ,
जूलाघाट है यहाँ, खूबसूरत झरने है जहाँ,
घिंघारू की झाड़ी है यहाँ, माता कोटगाडी है यहाँ,
थल केदार में बैठा भोला भंडारी है यहाँ,
आप फुर्सत निकाल कर देखने तो आओ कितनी सुन्दर खेती-बाड़ी है यहाँ।
हाँ, यही तो है पिथौरागढ़।

अगर कश्मीर अपनी बेइंतहां खूबसूरती के लिए मशहूर है तो इस मिनी कश्मीर की खूबसूरती भी किसी लिहाज़ में काम नहीं। और यकीन मानिये पिथौरागढ़ की चमक आपको अपना दीवाना बना ही देगी। दिल्ली से चलना शुरू करें तो टनकपुर पहुँचते ही खूबसूरत पहाड़ दिखाई देने लगते हैं और ठण्ड का एहसास होना भी शुरू हो जाता है। कुछ समय बाद इस सफर में थोड़ा चलने पर घाट का पुल आपको बता देगा कि आप पिथौरागढ़ में दस्तक दे चुके हैं।
‘देवभूमि’ है, तो शुरुवात मंदिर से होना तो जायज ही है। सड़क के किनारे गुरना माता का मंदिर पिथौरागढ़ की खूबसूरती की अपनी अलग पहचान देता है। यहाँ आने वाले सब यात्री एक बार दर्शन करने जरूर रुकते हैं और माता के आशीर्वाद से ही अपनी यात्रा की शुरुवात करते है।

पिथौरगढ़ का इतिहास :
अगर पिथोरा गढ़ के इतिहास की बात करें तो इसका पुराना नाम सोरघाटी है। सोर का अर्थ है- सरोवर। माना जाता है कि पहले इस घाटी में सात सरोवर थे। धीरे-धीरे सरोवरों का पानी सूखता चला गया और यहाँ पर पठारी भूमि का जन्म हुआ। पठारी भूमि होने के कारण इसका नाम पिथौरा गढ़ पड़ा, पर ज्यादातर लोगों का मानना है कि यह राय पिथौरा की राजधानी थी। उन्हीं के नाम से इस जगह का नाम पिथौरागढ़ पड़ा। पिथौरागढ़ अल्मोड़ा की तहसील थी। इसी तहसील से 24 फरवरी 1960 को पिथौरागढ़ ज़िला का जन्म हुआ। और इस पुरे ज़िला पिथौरागढ़ को सुचारु रुप से चलाने के लिए चार तहसीलों (पिथौरागढ़, डीडीहाट, धारचुला और मुन्स्यारी) का निर्माण 1 अप्रैल 1960 को हुआ।
बेस्ट प्लेसेस ऑफ़ पिथौरागढ़ :
जब आप पिथौरा गढ़ घूमने आएंगे तो यहाँ के कुछ बेहद पॉपुलर टूरिस्ट प्लेस हैं जहाँ आप नहीं गए तो समझिये आपकी यात्रा मुकम्मल नहीं हुयी।
1. मुंश्यारी :

मुंश्यारी, पिथौरागढ़ का एक बहुत ही खूबसूरत हिल स्टेशन है, जो कि बर्फीली पहाड़ियों और खूबसूरत नज़ारो के लिए मशहूर है। मुंश्यारी जाने की बात करे तो पिथौरागढ़ बाजार से मुंश्यारी की दूरी 129 किमी है। मुंश्यारी पहुँच कर आपको वैसे तो बहुत कुछ देखने को मिल जायेगा पर इन जगहों में जाना बिलकुल न भूले – बिर्थी फॉल, हेमकुंड, खलिया टॉप, नंदा देवी मंदिर। इसके साथ-साथ मुंश्यारी में स्थित पांच चोटियों से मिलकर बना पंचाचूली पर्वत ना सिर्फ मुंश्यारी बल्कि पिथौरागढ़ की भी शान है।
2. चंडाक :

चंडाक को पिथौरागढ़ का दिल कहना गलत नहीं होगा क्योकि पूरे शहर के नज़ारे आप यहाँ से देख सकते हैं।
पूरे पिथौरागढ़ में इससे बेहतर पिकनिक स्पॉट शायद ही कहीं होगा। ये पिथौरागढ़ से सिर्फ 7 किमी दूर है। यहाँ शहर का मशहूर रेस्टोरेंट है मेघना, जहाँ से आप पूरे पिथौरागढ़ का नज़ारा देख सकते हैं।

चारों और देवदार के पेड़ों से घिरी हुई पहाडियां किसी को अपना बना लेने के लिए काफी हैं। चंडाक की फेमस जगहें – मेघना, मोस्टमानू मंदिर, भुरमुनि वॉटरफॉल, प्लस पॉइंट, व्यू पॉइंट, ऑन द रॉक्स, ग्रीन आइलैंड आदि।

पंचाचूली की बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ चंडाक से बहुत ही खूबसूरत दिखाई पड़ती हैं। यहाँ की खूबसूरती बेशक ही आपको अपना दीवाना बना देगी।
3. कामाख्या मंदिर :

जूलाघाट मार्ग पर सैनिक छावनी के ठीक ऊपर कुसौली गांव की पहाड़ियों में यह भव्य मंदिर बना है। यह भव्य मंदिर माँ दुर्गा का है। यहाँ की खूबसूरती के तो क्या ही कहने जितना यह मंदिर सुन्दर है उतने ही सूर्यास्त और सूर्यौदय के बेहतरीन नज़ारे और दूसरी तरफ हरी भरी पहाड़ियाँ बेशक ही किसी भी नेचर लवर का दिल जीत लेती है।
4. थलकेदार मंदिर :

थल केदार पिथौरागढ़ शहर से 16 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। भगवान शिव का यह पवित्र मंदिर एक फेमस धार्मिक स्थल है जो अपनी सुंदरता और पवित्र शिव लिंग के लिए प्रसिद्ध है। हर साल महा शिवरात्रि के अवसर पर यहाँ एक बड़ा मेला लगता है। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु देखने को मिलते है। यह मंदिर सोर घाटी के 8300 फीट ऊँचे पहाड़ की चोटी पर स्थित है।

5. धारचूला : धारचूला, भारत और नेपाल बॉर्डर पर स्थित पहाड़ियों और खूबसूरत वादियों से घिरा हुआ है जोकि पिथौरागढ़ से 90 किमी दूर स्थित है। यहाँ की सबसे मशहूर और सुन्दर जगहे हैं – (ॐ) ओम पर्वत, नारायण आश्रम, चिरकिला डैम, आदि कैलाश।
कल्चर ऑफ़ पिथौरागढ़ :
ऐपण : ऐपण कुमाऊं की एक लोकप्रिय आर्ट है। जिसमें घर के दरवाजों के कोनों में चित्र बनाये जाते हैं, पूजा की थाल को भगवान के चित्र व अन्य तरीकों से सजाया जाता है.

हिलजात्रा महोत्सव : पिथौरागढ़ में कुछ उत्सव सबके साथ मनाये जाते हैं, हिलजात्रा उनमें से एक है। यहाँ गौरा-महेश्वर पर्व के आठ दिन बाद हर साल कुमौड़ में हिलजात्रा का आयोजन किया जाता है। जिसे भारी मात्रा में लोग देखने आते है। इस पर्व में मुखौटा पहने नृत्य नाटिका के रूप में लखिया भूत बनाया जाता है। जिसे महादेव शिव का सबसे प्रिय गण, वीरभद्र माना जाता है। लखिया भूत के आशीर्वाद को खुशाली का प्रतीक माना जाता है।

छलिया डांस : कुमाऊनी कल्चर में जिस शादी में छलियाँ ना हो वह शादी अधूरी है। सुन्दर-सुन्दर तैयार हुवे छलिया की टीम मनो शादी में चार चाँद लगा देती है। छलिया डांस और उनके करतब अनोखे देखने को मिलते हैं। सभी लोग बैंड-बाजा को परे रख छलिया डांस का आनंद लेते हैं। कुमाऊँ की मानें तो बैंड-बाजे में वो बात कहाँ जो छलियाँ डांस में है।
फेमस बाजार और खानपान : अगर आप पिथौरागढ़ आए और ममता जलेबी का स्वाद अपने नहीं लिया तो आपका सफर अधूरा ही माना जाएगा। वो गाना भी है ना (वड्डा की जलेबी खाऊलो ) तो इसका स्वाद लिए बिना आप कैसे कहीं जा सकते हैं। वड्डा की ममता जलेबी यहाँ काफी मशहूर है। 47 साल से यह दुकान जलेबी का स्वाद परोस रही है।

अगर पिथौरागढ़ के लोकल फ़ूड की बात करें तो मिलन के चिकन रोल्स के कहने ही क्या, छोटी सी जगह में स्वाद का पिटारा है ‘मिलन’।
फेमस बाज़ारो की बात करे तो गाँधी चौक, सिमलगैर, सुनार गली, पुरानी बाजार यहाँ काफी मशहूर है।
फेमस मेले :
चौपाकया मेला, मोस्टमानु मेला, लछैर मेला, सिरकोट मेला, जौलजीबी मेला। देश भर में अपनी अलग पहचान रखने वाले ये मेले आपको यहाँ के कल्चर और परम्पराओं से रूबरू करवाते हैं।
बेस्ट होटल्स और प्राइस : पिथौरागढ़ में वैसे तो आपको जगह- जगह बहुत से होटल्स और रिसॉर्ट्स आसानी से मिल जायेंगे। जिनका प्राइस आम तौर पर लगभग 1000-3000 तक होता है, आप अपनी सुविधा और बजट के अनुसार यहाँ रूम ले सकते हैं।
कैसे पहुंचे – पिथौरागढ़ का सफर अगर आप सड़क मार्ग से करें तो आप दो रास्तों से यहाँ पहुंच सकते हैं, टनकपुर और हल्द्वानी। पिथौरागढ़ से दिल्ली (457 किमी), नैनीताल (218 किमी), टनकपुर (147 किमी ) है। उत्तराखंड रोडवेज की बस के माध्यम से आप आसानी से यहाँ पहुंच सकते है। अगर आप ट्रैन द्वारा यहाँ आना चाहें तो सबसे पास टनकपुर और हल्द्वानी रेलवे स्टेशन है वहां से आप बस या टैक्सी बुक करके भी आसानी से आ सकते हैं।