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जानिए नीम करोली बाबा के बारे में, एप्पल के एक्स सीईओ स्टीव जॉब्स भी जिन्हें अपना गुरु मानते थे!

दोस्तों उत्तराखंड का नाम तो पर्यटन (Tourism) के लिए दुनियाभर में काफी प्रसिद्ध (Famous) है। लेकिन क्या आपको पता है? उत्तराखंड के प्रसिद्धि का एक और कारण भी है जिसके कारण यहां दूर-दूर से लोग घूमने आते हैं। या यूं कहें कि समय बिताने आते हैं। यहां तक कि दुनिया के प्रसिद्ध एप्पल कंपनी (Apple Company) के एक्स सीईओ (EX CEO) स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) और फेसबुक (Facebook) कंपनी के मालिक मार्क ज़ुकेरबर्ग (Mark Zuckerberg) अमेरिका से भारत के इस छोटे से राज्य में आ चुके हैं। दरअसल उत्तराखंड की प्रसिद्धि दूर दूर तक फैली पहाड़ियों की खूबसूरती के कारण तो है हीं लेकिन इसके अलावा इस राज्य के प्रसिद्धि में कैंची धाम और नीम करोली बाबा का भी एक बहुत ही बड़ा योगदान माना जाता है। अगर आप भी उत्तराखंड जाना चाहते हैं या फिर उत्तराखंड गए हुए हैं तो आप भी कैंची धाम के दर्शन करने जा सकते हैं। यहां की फिजाओं में घुली पॉजिटिविटी (positivity) के कारण आप अपने सारे तनाव से मुक्त हो जाएंगे। इस ब्लॉग में हम आपको नीम करोली बाबा के कैंची धाम के बारे में बताने जा रहे हैं।

क्या है नीम करोली बाबा का इतिहास? (What is the history of Neem Karoli Baba?)

नीम करोली बाबा भारत ही नहीं दुनिया में मशहूर हैं। उनके नाम ऐसे कई सारी चमत्कारी कहानियां जुड़ी हुई हैं जो आज भी लोगों को हैरान करती हैं। नीम करोली बाबा का असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। अगर इनके जीवन की बात की जाए तो इनका जन्म(birth) 1900 के आसपास हुआ था और उनकी मृत्यु(death) 1972 में हो गई। बताया जाता है कि एक बार नीम करोली बाबा ट्रेन से सफर कर रहे थे। लेकिन जब टीसी (ticket collector) उनके पास टिकट चेक करने आया तो उनके पास टिकट नहीं था। ऐसे में टीसी ने उन्हें अगले स्टेशन पर उतार दिया। बाबा ने अगले स्टेशन पर जाकर वहीं अपना अपना चिमटा धरती पर रखकर बैठ गए। जब ट्रेन के खुलने की बारी आई और स्टेशन मास्टर ने हरी झंडी दिखाई तो ट्रेन अपने जगह से 1 इंच भी नहीं हिला। यह स्टेशन नीम करोली रेलवे स्टेशन (Neem karoli railway station) था। बताया जाता है कि उस समय के वहां के मजिस्ट्रेट को बाबा लक्ष्मी नारायण शर्मा के बारे में पता था। तब उन्होंने स्टेशन मास्टर और टीसी को बाबा जी से माफी मांगने को कहा। स्टेशन मास्टर और टीसी ने भी उनकी बात मान ली और बाबा से माफी मांग कर उन्हें पूरे सम्मान के साथ ट्रेन में बिठाया गया। जिसके बाद ट्रेन वापस अपने रास्ते पर चल पड़ी। इस घटना के बाद से बाबा भारत में काफी प्रसिद्ध हुए और उन्हें नीम करोली बाबा के नाम से जाना जाने लगा।
नीम करोली बाबा के धाम को कैंची धाम के नाम से जाने जाने के पीछे भी एक बहुत बड़ा कारण है। नीम करोली बाबा के कैंची धाम के पीछे दो पहाड़ हैं और दोनों पहाड़ों को चीरती हुई बीच से शिप्रा नदी बहती है। जो बिल्कुल कैंची का शेप बनाती है। इसी कारण से इस धाम को कैंची धाम के नाम से जाना जाता है। नीम करोली बाबा के बारे में एक और खास बात यह है की बाबा ने अपने आप को कभी भी भगवान का दर्जा नहीं दिया। उन्होंने कभी अपने भक्तों को अपने पैर छूने नहीं दिए। उन्होंने हमेशा हीं अपने चमत्कारों को नकारा और बताया कि वह बस एक पथ प्रदर्शक (Guide) हैं।

एप्पल की कंपनी का लोगो (Logo of Apple Company) जो कि खाया हुआ एप्पल है, इसके पीछे भी नीम करोली बाबा का हीं योगदान है। जब स्टीव जॉब्स इंडिया आए हुए थे और नीम करोली बाबा के दरबार में थे तब बाबा ने उन्हें एक एप्पल आधा खा कर दिया था। जो बाद में एप्पल कंपनी का लोगो बना। आप सभी यह तो जानते हीं होंगे कि आज के समय में एप्पल कितना फेमस ब्रांड (World Famous Brand) है।
इतना ही नहीं स्टीव जॉब्स के सलाह पर मार्क ज़ुकेरबर्ग भी इंडिया आए और नीम करोली बाबा के धाम दर्शन करने के लिए गए। मार्क ज़ुकेरबर्ग ने भी वहां 2 दिन समय बिताया।

कैसे पहुंचे कैंची धाम? (How to reach Kainchi Dhaam?)

अगर आप भी नीम करोली बाबा के कैंची धाम का दर्शन करना चाहते हैं तो नीम करोली बाबा का यह आश्रम कैंची धाम उत्तराखंड के नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां के सबसे निकटतम हवाई अड्डा (Nearest Airport) का नाम पंतनगर हवाई अड्डा (Pantnagar Airport) है। जो कि यहां से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप हवाई, रेल और सड़क तीनों ही मार्गो के द्वारा ही कैंची धाम के दर्शन करने जा सकते हैं।

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