भारत के पूर्वोत्तर में बसे मणिपुर की लोकतक झील अपने बदलते रंगों, तैरते आईलैंड्स (फुमदी) और अद्भुत बायो डाइवर्सिटी के लिए जानी जाती है। लेकिन इस झील की सबसे खास पहचान है “चंपू खांगपोक” — एक ऐसा गाँव जो सचमुच पानी पर तैरता है। यह गाँव न केवल मणिपुर की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि यह दिखाता है कि इंसान और प्रकृति का रिश्ता कितना गहरा और शानदार हो सकता है। चंपू खांगपोक गाँव मणिपुर की लोकतक झील के बीचोंबीच स्थित है। लोकतक भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है और “फुमदी” नामक प्राकृतिक तैरते द्वीपों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। इन्हीं फुमदियों पर यह पूरा गाँव बसा हुआ है। लकड़ी और बांस से बने घर पानी की सतह पर टिके रहते हैं और हल्की लहरों के साथ धीरे-धीरे हिलते हैं — जैसे झील की गोद में झूलती ज़िंदगी।

क्या है फुमदी
फुमदी मिट्टी, वनस्पति, और जैविक पदार्थों के मिश्रण से बनने वाले तैरते द्वीप हैं। ये सैकड़ों वर्षों में प्राकृतिक रूप से बनते हैं और झील की पारिस्थितिकी का अहम हिस्सा हैं। इनके ऊपर लोग घर बनाते हैं, सब्ज़ियाँ उगाते हैं, पशु पालते हैं, और यहाँ तक कि मछलियाँ भी पकड़ते हैं। इस तरह, फुमदी सिर्फ ज़मीन का विकल्प नहीं बल्कि एक जीवंत पारिस्थितिक प्रणाली (ecosystem) हैं, जो इंसानों और झील दोनों को सहारा देती हैं।(जैसे झील की गोद में झूलती ज़िंदगी।)

चंपू खांगपोक का रहन-सहन
चंपू खांगपोक के लोग पारंपरिक रूप से मछली पकड़ने पर निर्भर हैं। यहाँ के घरों के बाहर छोटी नावें बंधी रहती हैं, जिन्हें स्थानीय लोग फुमशांग कहते हैं। सुबह होते ही पुरुष झील में मछली पकड़ने निकल जाते हैं, जबकि महिलाएँ घरों के आस-पास के फुमदियों पर सब्ज़ियाँ उगाती हैं या झील से पौधे इकट्ठा करती हैं। बच्चे नाव से स्कूल जाते हैं, और यहाँ का हर रास्ता पानी से होकर गुजरता है। यह गाँव आधुनिक सुविधाओं से भले थोड़ा दूर हो, लेकिन यहाँ के लोग आत्मनिर्भर हैं।
उनकी ज़िंदगी झील के साथ गहराई से जुड़ी है — झील उन्हें भोजन, आश्रय और पहचान देती है।

केइबुल लामजाओ नेशनल पार्क: तैरता जंगल, तैरती ज़िन्दगी
लोकतक झील का एक हिस्सा केइबुल लामजाओ नेशनल पार्क के रूप में सुरक्षित है यह दुनिया का एकमात्र तैरता नेशनल पार्क है। यहीं रहता है संगाई हिरण (Manipur brow-antlered deer), जो मणिपुर का राज्य पशु है और स्थानीय लोककथाओं में “नाचता हुआ हिरण” कहा जाता है। इस पार्क की उपस्थिति ने चंपू खांगपोक गाँव को विश्वभर में प्रसिद्ध कर दिया है, क्योंकि यह झील की पारिस्थितिकी और मानवीय जीवन के सह-अस्तित्व का जीवंत उदाहरण है।

टूरिज्म और कल्चर
आज चंपू खांगपोक गाँव दुनिया के उन दुर्लभ स्थानों में गिना जाता है जहाँ पूरा समुदाय पानी पर बसता है। यहाँ आने वाले पर्यटक न केवल झील की ख़ूबसूरती का आनंद लेते हैं, बल्कि मणिपुरी जीवनशैली, पारंपरिक मछली पकड़ने की तकनीक, और स्थानीय लोगों की सादगी से भी रूबरू होते हैं। हाल के वर्षों में यहाँ इको-टूरिज्म (Eco-tourism) को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि झील की प्राकृतिक सुंदरता और फुमदियों की पारिस्थितिकी को सुरक्षित रखा जा सके।

फाइव कलर्स ऑफ़ ट्रेवल की और से जरुरी यात्रा सुझाव
• बेस्ट टाइम: नवंबर से मार्च (साफ़ मौसम और शांत झील का अनुभव)
• कैसे पहुँचें: इंफाल से लोकतक झील लगभग 50 किमी दूर है। इंफाल से मुअरांग तक सड़क मार्ग और फिर नाव द्वारा गाँव तक पहुँचा जा सकता है।
• यह अनुभव तो आपको लेना ही चाहिए: स्थानीय नाव यात्रा, पारंपरिक भोजन, और झील के ऊपर सूर्यास्त का दृश्य — जो निश्चय ही आपको जीवनभर याद रह जाएगा।