अपने हीरामंडी देखी क्या? अरे-अरे चिंता मत कीजिए! हम लाहौर जाकर हीरामंडी देखने की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम बात कर रहे हैं हीरामंडी सीरीज की। जी हाँ! हम संजय लीला भंसाली द्वारा डायरेक्टेड नई वेब सीरीज हीरामंडी की बात कर रहे हैं। यह वहीं वेब सीरीज है जिसने अपने पहले गाने के रिलीज के साथ हीं फिल्मी दुनिया में तहलका मचा दिया और फाइव कलर्स ऑफ़ ट्रैवल का आज का यह ब्लॉग भी इसी वेब सीरीज के एक गाने “सकल बन फूल रही सरसों” के ऊपर आधारित है। अगर आप सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं और इंस्टाग्राम यूज करते हैं तो आपने यह गाना जरुर सुना होगा। क्योंकि आजकल यह गाना रील की दुनिया में ट्रेंडिंग में चल रहा है। हर एक डांसर इस गाने पर रील बना रहा है, और बनाए भी क्यों ना? यह गाना इतना खूबसूरत है कि इस गाने के बोल (Lyrics of Sakal Ban) सुनते हीं आपके भीतर का क्लासिकल डांसर जाग उठता है। लेकिन क्या आपको पता है कि यह गाना भारत के इतिहास के एक ऐसी घटना के ऊपर आधारित है जहां सही मायने में गंगा-जमुनी संस्कृति का उदाहरण देखने को मिलता है। जहां हिंदू धर्म और मुस्लिम धर्म का समागम होता है।

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कुछ ऐसा है इसका लिरिक्स :
इस कहानी को बताने से पहले हम आपको इस गाने की लिरिक्स बता देते हैं तो गाने के लिरिक्स कुछ इस प्रकार है :-
ऐ सकल बन, सकल बन
फूल रही सरसों, सकल बन
फूल रही सरसों, सकल बन
अम्बवा फूटे, टेसु फुलाय
अम्बवा फूटे, टेसु फुलाय
गोरी करत सिंगार,
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन
फूल रही सरसों, सकल बन
फूल रही सरसों, सकल बन
तरह-तरह के फूल मंगाये
तरह-तरह के फूल मंगाये
लै गढ़वा हाथन में आये
लै गढ़वा हाथन में आये
निज़ामुद्दीन के दरवाजे पर
मेरे निज़ामुद्दीन के दरवाज़े पर
ओह मोहे आवन कह गये आशिक
रंग और बीत गये बरसों, सकल बन
फूल रही सरसों, सकल बन
फूल रही सरसों, सकल बन

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इतिहास :
और इस गाने के खूबसूरत बोल लिखे हैं अमीर खुसरो ने। जी हाँ! यह गाना आज का गाना नहीं है बल्कि इस गाने को अमीर खुसरो ने तब लिखा था जब वे अपने गुरु निजामुद्दीन औलिया के लिए अपने सम्मान को प्रदर्शित करते हुए सरसों के पीले फूल लेकर उनके मजार पर गए थे। यह घटना आज से लगभग 1000 साल पहले की है।

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बताया जाता है कि अमीर खुसरो ने एक बार वसंत पंचमी के अवसर पर कुछ लोगों को पीले कपड़े पहन कर हाथ में सरसों के पीले फूल लेकर मंदिर जाते हुए देखा। उन्होंने उनसे रोक कर पूछा कि आप यह क्या कर रहे हैं? तो लोगों ने खुसरो को बताया कि आज बसंत पंचमी है और हम आज के दिन ज्ञान की देवी की पूजा आराधना करते हैं और उनको प्रसन्न करने के लिए सरसों के फूल चढ़ाते हैं। अमीर खुसरो इस बात से बहुत हीं प्रभावित हुए और उन्होंने अपने गुरु हजरत निजामुद्दीन औलिया के लिए सरसों के फूल लेकर उनके दरगाह पर गए। जो उस समय अपने भतीजे के मृत्यु के शोक में डूबे हुए थे। खुसरो नाचते गाते सरसों के पीले फूल लेकर अपने गुरु के पास पहुंचकर उनके चरणों में उसे फूल को अर्पित करते हुए उन्हें बताया कि, आज के दिन लोग अपने भगवान को प्रसन्न करने के लिए पीले फूल चढ़ाते हैं और मेरे भगवान तो आप हैं इसलिए मैं अपने भगवान के लिए यह फूल लेकर आया हूंँ।
और उस दिन से यह परंपरा चली आ रही है। आज भी हजरत निजामुद्दीन के दरगाह पर वसंत पंचमी के दिन सरसों के पीले फूल चढ़ाए जाते हैं।

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हीरामंडी क्यों है खास?
आप जब संजय लीला भंसाली के निर्देशित हीरामंडी के गाने “सकल बन” को देखेंगे तो आप उसमें पाएंगे कि सरसों के फूल के प्रतीक को इस गाने में संजय लीला भंसाली ने किस तरह खूबसूरती से प्रयोग किया है। इस गाने में नर्तकियों को पीले रंग के वस्त्र पहनाए गए हैं और इसी से पता चलता है कि संजय लीला भंसाली अपने फिल्मों में एक-एक छोटी सी छोटी डिटेल का कितना ख्याल रखते हैं। तो आपको संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित हीरामंडी कैसी लगी? और उसका यह गाना कैसा लगा? हमें जरूर बताइएगा। आप हमें इंस्टाग्राम पर मैसेज कर सकते हैं फॉलो कर सकते हैं। हमारा इंस्टाग्राम आईडी फाइव कलर्स ऑफ़ ट्रैवल के नाम से हीं है।

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