सर्दी के मौसम में शॉल का फैशन ट्रेंड में आ जाता है। यह एक ऐसा परिधान है जो कभी भी ट्रेंड से बाहर नहीं होता है और आउट डेटेड नही होता। इसे भारतीय और विदेशी दोनों हीं प्रकार के परिधानों के साथ पेयर कर के पहना जा सकता है। शॉल में भी अलग अलग प्रकार की वेरायटी उपलब्ध होती है। अगर आप भी इस सर्दी में दूसरे लोगों से जरा हट कर दिखना चाहते हैं तो आप शॉल को अपने वार्डरोब में शामिल कर सकते हैं। फाइव कलर्स ऑफ ट्रेवल (Five colors of travel) के इस ब्लॉग में आज हम आपको कश्मीरी पशमीना शॉल (Pashmina Shawl) के बारे में बताने जा रहे हैं। जो देश हीं नहीं बल्कि दुनिया भर में मशहूर है।
कश्मीर की पहचान है पशमीना शॉल (Pashmina shawl is the identity of Kashmir)

पशमीना शॉल कश्मीर के संस्कृति की एक पहचान है। इसे कश्मीरी ऊन को कात कर बनाया जाता है। कश्मीरी ऊन को बहुत हीं अच्छी किस्म का ऊन माना जाता है। जिसे लद्दाख मूल की चांगथांगी बकरी के बाल से बनाया जाता है। यह ऐसी बकरियाँ होती हैं जो ठंड के मौसम में अपने शरीर से बाल को खुद व खुद हीं अलग कर देती हैं। इसलिए उनके बालों को काटना नहीं होता है। बकरी के बाल से ऊन कात कर उससे शॉल बुना जाता है। क्योंकि एक बार में एक बकरी से 100 ग्राम के करीब हीं ऊन प्राप्त होता है और पशमीना शॉल को तैयार करने के लिए कई कई दिनों की कड़ी मेहनत लगती है। इसलिए यह शॉल काफी महंगा होता है।
पशमीना शॉल की कीमत (Price of Pashmina Shawl)
अगर बात करें पशमीना शॉल के कीमत की तो भारत में इस शॉल की कीमत 10,000 से लेकर 50,000 तक की होती है। पशमीना शॉल के इतना अधिक महंगा होने के पीछे कई कारण है। पहला इसे जिस नस्ल की बकरी के बाल से बनाया जाता है वह बकरी 1 साल में बहुत कम बालों को शरीर से अलग करती है। इसके महंगा होने का दूसरा सबसे बड़ा कारण है इस शॉल को हाथ से बुना जाता है। जिसके कारण इसमें कई दिनों का समय लगता है। इसके महंगा होने का तीसरा बड़ा कारण यह है कि पश्मीना शॉल क्वालिटी में बहुत हीं हाई क्वालिटी का होता है। बताया जाता है कि एक पशमीना शॉल में 6 स्वेटर के बराबर गर्मी होती है। इन्हीं सब क्वालिटीज की वजह से यह शॉल इतना महंगा हो जाता है।

मिला हुआ है जी आई टैग (GI tag Pashmina Shawl)
पशमीना शॉल को जी आई टैग मिला हुआ है। क्योंकि यह कश्मीर की संस्कृति की पहचान है। इसलिए इसे ज्योग्राफिकल टैग दिया गया है। आपको बता दे कि जिस भी पशमीना शॉल को जी आई टैग मिला हुआ होता है, वह पूरी तरीके से हाथ से बन गया शॉल होता है। इसलिए अगर आपको पशमीना शॉल की पहचान करनी हो तो आप उस पर जी आई टैग देख सकते हैं। पश्मीना शॉल के नाम पर कई बार लोग ठगी का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में अगर आप पशमीना शॉल खरीदने जा रहे हैं तो आप यह सुनिश्चित करें कि आप जो शॉल ले रहे हैं वह जी आई टैग वाला हो।
कई कारणों से खास है पश्मीना शॉल (Pashmina shawl is special for many reasons)
पशमीना शॉल लोगों में कई कारणों से बहुत अधिक फेमस है। यह शॉल बहुत हीं अधिक मुलायम और आरामदेह होता है। इस वजह से लोग इसे खरीदना पसंद करते हैं। इसके अतिरिक्त यह बहुत हीं गर्म शॉल होता है। जो ठंड के मौसम में लोगों के काफी काम आता है। इतना हीं नहीं पश्मीना शॉल के रेशे बहुत हीं महीन और पतले होते हैं। जिसके कारण यह वजन में भी हल्के होते हैं। इसके अतिरिक्त खूबसूरती के मामले में भी पश्मीना शॉल बेहतरीन क्वालिटी के होते हैं यही वजह है कि लोगों में पशमीना शॉल के लिए एक अलग ही क्रेज देखने को मिलता है।
दुनिया के सबसे खूबसूरत और सबसे अच्छे क्वालिटी के शॉल में पशमीना शॉल की गिनती शीर्ष पर होती है। क्योंकि इसकी क्वालिटी, इसकी बुनाई, इसकी खूबसूरती और इसकी गर्माहट बाकी किसी भी शॉल से कहीं गुना ज्यादा अधिक होती है। हर मामले में यह शॉल बेजोड़ है। यहीं वजह है कि दुनिया भर में इस साल को पसंद किया जाता है।

- यह कश्मीर की सांस्कृतिक विरासत है। जो सदियों से कश्मीर की पहचान बनकर दुनिया के सामने प्रस्तुत है। इसे बनाने वाले कश्मीरी कारीगर काफी कुशल और निपुण होते हैं। जो अपने कार्य को दक्षता से करना जानते हैं। यही वजह है कि इतने महीन रेशे से इतना बेहतरीन शॉल बना पाते हैं। पशमीना शॉल कश्मीर के शिल्पकारी का एक प्रतीक है जो कश्मीर के विरासत को परिभाषित करता है। यह दुनिया भर में भारत के स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर के विरासत की अभूतपूर्व पहचान है।









