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सारा ज़माना पनीर का दीवाना! लेकिन आखिर पनीर ही क्यों?

पनीर, जिसको हम अपने खाने में बड़े चाव से खाते हैं, यह पनीर भारत के हर घर की रसोई में अपनी खास जगह बना चुका है। चाहे शादी-विवाह हो, जन्मदिन की पार्टी हो, या फिर रविवार का खास लंच, पनीर की कोई न कोई डिश हर मेज पर नजर आती है। मटर पनीर, शाही पनीर, पनीर टिक्का, या पनीर भुर्जी—हर खाने में पनीर अपने अनोखे स्वाद से दिल जीत लेता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि यह पनीर भारत में कैसे आया? इसका इतिहास क्या है? इसे अलग-अलग क्षेत्रों में कैसे बनाया जाता है, और इसकी लोकप्रियता का राज क्या है? तो आइए फाइव कलर्स ऑफ ट्रैवल की नई पेशकश में इन सभी सबालों का जबाब ढूंढते हैं।

पनीर भारत में इतना लोकप्रिय है कि इसे हर उम्र और हर वर्ग के लोग पसंद करते हैं। यह शाकाहारी खाने का एक ऐसा सितारा है, जो मांसाहारी व्यंजनों का मुकाबला करता है। पनीर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे कई तरह से बनाया जा सकता है। चाहे मसालेदार ग्रेवी हो, तंदूरी स्टाइल हो, या फिर स्टार्टर के रूप में। मटर पनीर, शाही पनीर, पनीर मखनी, और पनीर टिक्का जैसी डिशेज़ न सिर्फ भारत में, बल्कि विदेशों में भी मशहूर हैं। एक सर्वे के अनुसार, पनीर मखनी भारत में सबसे ज्यादा ऑर्डर किए जाने वाले पाँच फूडस में शामिल है। पनीर की लोकप्रियता का एक बड़ा कारण इसकी पौष्टिकता है।

पनीर

इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, और विटामिन डी भरपूर मात्रा में होता हैं, जो इसे शाकाहारियों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनाते हैं। यह उन लोगों के लिए भी अच्छा खाना है, जो मांस नहीं खाते, लेकिन अपने भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाना चाहते हैं। खैर, दिल्ली के ढाबों से लेकर दक्षिण भारत के रेस्तरां तक, पनीर हर जगह अपनी छाप छोड़ रहा है। 2011 में एक रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण भारत में पनीर की बिक्री हर साल 30% की दर से बढ़ रही थी। यह दिखाता है कि पनीर अब पूरे भारत में लोकप्रिय हो चुका है।

विदेशों में भी भारतीय रेस्तरां में पनीर की डिशेज़ को खूब पसंद किया जाता है। पनीर टिक्का और शाही पनीर को विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ पनीर व्यंजनों में शामिल किया गया है। पनीर की लोकप्रियता का एक और कारण इसका किफायती होना है। इसे घर पर आसानी से बनाया जा सकता है, और बाजार में भी यह आसानी से उपलब्ध होता है। इसके अलावा, पनीर का इस्तेमाल न सिर्फ सब्जियों में, बल्कि स्नैक्स, पराठों, और मिठाइयों में भी होता है। यह बहुमुखी गुण पनीर को हर रसोई का पसंदीदा बनाता है। चाहे आप किसी गाँव में रहते हों या शहर में, पनीर हर जगह आपको मिल जाएगा।

पनीर का भारत में आना एक रोचक कहानी है। कई लोग सोचते हैं कि पनीर भारतीय मूल का है, लेकिन इसका इतिहास हमें विदेशी सभ्यताओं तक ले जाता है। पनीर शब्द फारसी शब्द “पनिर” से आया है, जिसका अर्थ होता है चीज़। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि पनीर सोलह वीं सदी में ईरानी और अफगानी व्यापारियों और शासकों के साथ भारत आया। उस समय यह बकरी या भेड़ के दूध से बनाया जाता था और इसे तबरीज़ कहा जाता था। यह पनीर मुलायम और हल्का होता था, जो आज के पनीर से थोड़ा अलग था।

हालांकि, कुछ विद्वानों का कहना है कि पनीर की उत्पत्ति भारत में ही हुई है। ऋग्वेद और चरक संहिता जैसे प्राचीन ग्रंथों में छेना जो की पनीर का ही एक रूप होता है का जिक्र मिलता है, जो दूध को फाड़कर बनाया जाता था। ओड़िया महालक्ष्मी पुराण में भी छेना का उल्लेख है, जो बताता है कि बचे हुए दूध को छेना बनाकर खाना प्राचीन भारत में आम था। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि सिंधु घाटी सभ्यता में भी दूध को खट्टे पत्तों या फलों से फाड़कर पनीर बनाया जाता था। यह प्रक्रिया आज के पनीर बनाने की विधि से मिलती-जुलती थी।

कुछ लोग मानते है की सत्रह वीं सदी में पुर्तगालियों ने भारत में पनीर बनाने की एक नया तरीका पेश किया। उन्होंने बंगाल में दूध को नींबू के रस या साइट्रिक एसिड से फाड़कर पनीर बनाने का तरीका सिखाया। यहीं से आधुनिक पनीर की शुरुआत हुई, जो धीरे-धीरे पूरे भारत में फैल गया। बंगाल में पहले छेना और पनीर बनने लगे और फिर यह उत्तर भारत के पंजाब, दिल्ली, और अन्य क्षेत्रों में लोकप्रिय हुआ। मुगलकाल में पनीर का फैलाव और बढ़ता गया, जब इसे शाही रसोइयों में शामिल किया जाने लगा। शाही पनीर और पनीर मखनी जैसे व्यंजन इसी दौरान बनाए गए। इस तरह, पनीर का भारत में आगमन प्राचीन भारतीय और विदेशी प्रभावों का मेल माना जा सकता है।

पनीर का इतिहास हजारों साल पुराना और रहस्यों से भरा है। यह न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया में विभिन्न रूपों में मौजूद रहा है। पनीर का मूल फारसी और मध्य पूर्वी संस्कृतियों से जुड़ा है। फारसी शब्द “पनिर” से इसका नाम लिया गया, और यह ईरान, अफगानिस्तान, और तुर्की जैसे देशों में आम था। इसके अलावा इसे मिडिल ईष्ट में नमक के साथ संरक्षित किया जाता था, जिससे यह लंबे समय तक ताज़ा रहता था। भारत में पनीर का इतिहास विवादास्पद है।

कुछ स्रोत कहते हैं कि प्राचीन भारत में दूध को फाड़ना अशुभ माना जाता था, क्योंकि गाय को पवित्र माना जाता था। वेदों में दही, घी, और मक्खन का जिक्र है, लेकिन पनीर का नहीं। फिर भी, कुछ ग्रंथों में छेना का उल्लेख मिलता है, जो बताता है कि दूध को खट्टे पदार्थों से फाड़ने की प्रथा काफी प्राचीन थी। उदाहरण के लिए, ओड़िया ग्रंथों में छेना को मिठाइयों और भोजन में इस्तेमाल करने का ज़िक्र है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि सिंधु घाटी सभ्यता में भी दूध को खट्टे फलों, जैसे नींबू या इमली, से फाड़कर पनीर बनाया जाता था।

सोलहवीं सदी में ईरानी और अफगानी शासकों ने भारत में पनीर को लोकप्रिय किया। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के अनुसार, उस समय बकरी के दूध से बना पनीर भारत में लाया गया था। मुगलकाल में पनीर को शाही व्यंजनों में शामिल किया गया। शाही पनीर का नाम मुगल बादशाहों के “शाही” दरबार से प्रेरित है। मुगलों ने पनीर को मलाई, मसालों, और सूखे मेवों के साथ बनाना शुरू किया, जिससे यह और स्वादिष्ट हो गया। सत्रहवीं सदी में पुर्तगालियों ने बंगाल में पनीर बनाने का नया तरीका शुरू किया।

उन्होंने दूध को नींबू के रस से फाड़कर पनीर बनाना सिखाया, जो तरीका आज तक चल रहा है। बीस वीं सदी में भारत में श्वेत क्रांति ने दूध का उत्पादन बढ़ाया, जिससे पनीर का उत्पादन और खपत दोनों बढ़ गए। अमूल जैसे ब्रांडों ने पनीर को हर घर तक पहुँचाया। आज पनीर भारत का एक महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ है, जो शाकाहारी भोजन का आधार बन चुका है। इसका इतिहास प्राचीन भारत, फारसी संस्कृति, मुगलकाल, और पुर्तगाली प्रभाव का मिश्रण है, जो इसे और भी खास बनाने में सहायक है।

पनीर बनाना एक सरल और मजेदार काम है, जिसे हर कोई अपने घर पर आसानी से आजमा सकता है। यह इतना आसान है कि आपको बस कुछ सामग्रियाँ और थोड़ा समय चाहिए। पनीर बनाने के लिए दूध को फाड़कर छेना तैयार किया जाता है, जिसे बाद में दबाकर पनीर का आकार दिया जाता है। इसके लिए आपको गाय या भैंस का दूध, नींबू का रस या सिरका, और बस एक मलमल का कपड़ा चाहिए। सबसे पहले, एक बड़े बर्तन में दो लीटर दूध को मध्यम आँच पर उबाल लें। दूध को बार-बार हिलाते रहें ताकि वह बर्तन के तले में न चिपके। जब दूध में उबाल आ जाए, तो आँच को कम करें और धीरे-धीरे नींबू का रस डालें।

पनीर

आमतौर पर दो से तीन टेबलस्पून नींबू का रस पर्याप्त होता है। नींबू का रस डालते ही दूध फटने लगेगा, और आप देखेंगे कि छेना और पानी अलग हो रहे हैं। अगर दूध पूरी तरह न फटे, तो थोड़ा और नींबू का रस डालें। जब सारा दूध फट जाए, तो गैस बंद कर दें और मिश्रण को पाँच मिनट तक छोड़ दें। इसके बाद, एक मलमल के कपड़े को छलनी पर रखें और फटे हुए दूध को उसमें डालें। छेना को ठंडे पानी से धो लें ताकि नींबू का खट्टा स्वाद निकल जाए। फिर कपड़े को अच्छे से निचोड़कर पानी निकाल दें और इसे एक गाँठ में बाँध लें। इस गाँठ को एक प्लेट पर रखें और ऊपर कोई भारी वजन, जैसे भारी बर्तन, रख दें। इसे तीस से साठ मिनट तक दबाएँ ताकि पनीर सेट हो जाए। बस अब आपका पनीर तैयार है, जिसे क्यूब्स में काटकर किसी भी डिश में इस्तेमाल करिए और इसके स्वाद का मजा लीजिए।

भारत के हर क्षेत्र में पनीर को अपने अनोखे अंदाज में बनाया और खाया जाता है। जिससे इसके स्वाद में विविधता आती है। पंजाब में पनीर को मलाईदार और मसालेदार व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है। यहाँ शाही पनीर और पनीर मखनी बहुत लोकप्रिय हैं। पंजाब में पनीर को भैंस के दूध से बनाया जाता है, जिससे यह अधिक मलाईदार और मुलायम होता है। पंजाब में पनीर के पकौड़े भी खूब बनाए जाते हैं, जिनमें पनीर को बेसन के घोल में डुबोकर तला जाता है। यहाँ पनीर को अक्सर भारी मसालों और क्रीम के साथ पकाया जाता है, जो इसे शाही स्वाद देता है। दिल्ली में पनीर को ढाबा स्टाइल में बनाया जाता है। यहाँ पनीर टिक्का, पनीर भुर्जी, और कढ़ाई पनीर बहुत मशहूर हैं।

पनीर

दिल्ली में पनीर को तंदूर में सेंककर बनाया जाता है, जिससे इसमें स्मोकी स्वाद आता है। यहाँ पनीर में हरी मटर डालकर मटर पनीर बनाया जाता है, जो एक आम घरेलू डिश है। दिल्ली के ढाबों में पनीर को मसालेदार और तीखा बनाया जाता है, जो नान या पराठे के साथ खूब खाया मजे से खाया जाता है। बंगाल में पनीर को छेना के रूप में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। यहाँ रसगुल्ला जैसी मिठाइयाँ छेना से बनती हैं। बंगाल में पनीर को गाय के दूध से बनाया जाता है, और इसे हल्का और मुलायम रखा जाता है ताकि खाने में अच्छा लगे। बंगाल में पनीर की सब्जी कम बनती है, लेकिन छेना आधारित मिठाइयाँ विश्व प्रसिद्ध हैं। यहाँ छेना को चीनी के साथ पकाकर मिठाइयाँ बनाई जाती हैं, जो हर त्योहार में खाई जाती हैं।

दक्षिण भारत में पनीर पहले उतना लोकप्रिय नहीं था, लेकिन अब यहाँ भी पनीर की डिशेज़ खूब बनती हैं। यहाँ पनीर को चिली पनीर जैसे इंडो-चाइनीज व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है। दक्षिण भारत में पनीर को हल्के मसालों के साथ बनाया जाता है, और इसे डोसा या उत्तपम की स्टफिंग के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। मतलब हर क्षेत्र में पनीर को बनाने की तकनीक और सामग्री थोड़ी अलग होती है, लेकिन इसका मूल स्वाद हर जगह लोगों का दिल जीत लेता है

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Hello! I Pardeep Kumar

मुख्यतः मैं एक मीडिया शिक्षक हूँ, लेकिन हमेशा कुछ नया और रचनात्मक करने की फ़िराक में रहता हूं।

लम्बे सफर पर चलते-चलते बीच राह किसी ढ़ाबे पर कड़क चाय पीने की तलब हमेशा मुझे ज़िंदा बनाये रखती
है।

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