बुलंद दरवाजा-दुनिया का सबसे बड़ा प्रवेशद्वार :
भारत एक ऐसा देश है जहां आप जिधर नजर दोड़ाएंगे उधर एक अलग संस्कृति, खानपान और वेशभूषा के लोगों को पाएंगे। इतनी महान संस्कृतियों का घर होने के कारण, हमारे देश में ऐतिहासिक विरासतों की बिल्कुल भी कमी नहीं है। आप जिस जगह जाएंगे, उस जगह आपको कोई ना कोई ऐतिहासिक स्मारक देखने को मिल ही जाएगा। भारत के उन्हीं ऐतिहासिक स्मारकों में से एक मशहूर स्मारक है बुलंद दरवाजा। जो भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के फतेहपुर सीकरी में स्थित है। मुगल शासन काल में बना यह बुलंद दरवाजा दुनियाभर में मशहूर है और एक शानदार ऐतिहासिक स्थल के तौर पर गिना जाता है। इस ब्लॉग में हम बुलंद दरवाजा के बारे में बात करते हुए इसके ऐतिहासिक महत्व को समझेंगे और इसके विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानेंगे।
बुलंद दरवाजा का इतिहास :

बुलंद दरवाजा का निर्माण मुगल सम्राट अकबर द्वारा करवाया गया था। अकबर ने इसे गुजरात पर विजय प्राप्त करने के उपलक्ष में 1602 ईस्वी में बनवाया था। दरवाजे के पास रखे शिलालेख पर इस बात का उल्लेख मिलता है कि, अकबर ने इसे अपने 1601 इस्वी के गुजरात पर जीत के निशानी के रूप में बनवाया था। दूसरे शब्दों में बुलंद दरवाजा को मुगल सेनाओं की जीत का प्रतीक माना जाता है और इसे उनकी सेना की ताकत और महत्व का प्रतीक भी कहा जाता है।
बुलंद दरवाजे की बनावट :

इस दरवाजे का नाम बुलंद दरवाजा इसलिए पड़ा क्योंकि, यह विशाल आकार का एक दरवाजा है। इस दरवाजे की ऊंचाई लगभग 54 मीटर (176 फुट) है। इस दरवाजे का निर्माण मुख्यतः लाल और सफेद पत्थरों से किया गया है। बुलंद दरवाजे के दीवारों पर की गई शानदार नक्काशी, मुगल शैली की वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है। जो इतिहास में रुचि रखने वाले लोगों और पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है। बुलंद दरवाजा में 4 मंजिलें हैं और ऊपर की ओर जाने के लिए 42 सीढ़ियां हैं। आज के समय में बुलंद दरवाजा एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल होने के साथ-साथ कई तरह के साहित्यिक और ऐतिहासिक कार्यक्रमों का आयोजन स्थल भी बन गया है।
बुलंद दरवाजे से जुड़े कुछ अन्य पर्यटन स्थल :

बुलंद दरवाजे के आसपास और भी बहुत सारे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं। जो पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। आप जैसे हीं बुलंद दरवाजे में एंट्री कर आगे की ओर जाएंगे, आपको सामने सलीम चिश्ती की दरगाह और जामा मस्जिद देखने को मिलेगा। जो फतेहपुर सीकरी के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है और उनका मुस्लिम समुदाय में बहुत अधिक धार्मिक महत्व है। क्योंकि फतेहपुर सीकरी मुगल बादशाह अकबर की राजधानी थी, इसलिए इस शहर में बुलंद दरवाजा के अतिरिक्त आपको और भी कई सारे ऐतिहासिक पर्यटन स्थल देखने को मिल जाएंगे। फतेहपुर सिकरी यूनेस्को वर्ल्ड हेरीटेज साइट अर्थात विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल है। इस शहर को वर्ष 1986 में वैश्विक धरोहर के रूप में पहचान मिली थी। बुलंद दरवाजा के पास एक खूबसूरत बाग भी है। जहां बैठकर आप कुछ देर के लिए सुस्ता भी सकते हैं। इसके अलावा इस स्थान पर छोटे-बड़े फूड स्टॉल भी लगे रहते हैं। जहां आप आगरा के स्थानीय व्यंजनों का मजा ले सकते हैं।


बुलंद दरवाजा की खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए यहां हर शाम लाइटनिंग शो भी होते हैं। जिसे देखने के लिए पर्यटकों में एक अलग ही उत्साह होता है। यह दरवाजा इतना विशाल है और इसकी बनावट इतनी मनमोहक है कि कोई भी इंसान इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता है। जैसा कि इस दरवाजे का नाम है, वैसा ही इसका काम भी है। यह दरवाजा दुनिया का सबसे बड़ा प्रवेशद्वार है। जिसके कारण दूर-दूर से लोग इसको देखने आते हैं।
बुलंद दरवाजा तक कैसे आए?

फतेहपुर सीकरी में हवाई अड्डा नहीं है। रेलवे स्टेशन है लेकिन यह भी देश के बड़े शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ नहीं है क्योंकि यहां बहुत कम ट्रेनों का ठहराव है।लेकिन फतेहपुर सीकरी सड़क मार्ग से आसपास के शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। फतेहपुर सीकरी से आगरा मात्र 36 किमी और दिल्ली लगभग 243 किलोमीटर की दूरी पर है।
फतेहपुर सीकरी की सड़कों का रखरखाव अच्छी तरह से किया जाता है। यह शहर आगरा, दिल्ली, नोएडा, भरतपुर से जुड़ा हुआ है और टूरिस्ट वोल्वो, डीलक्स और नियमित उत्तर प्रदेश रोडवेज की बसें पकड़ सकते हैं।