अगर आपको भी लगता है कि जयपुर यानी पिंक सिटी में घूमने का मतलब बस किले देखना, बाज़ार घूमना और राजा-महाराजाओं की कहानियाँ सुनना ही होता है, तो ज़रा रुकिए। जयपुर में एक ऐसी जगह भी है जो आपको बिल्कुल अलग वाइब देती है। जिस जगह पर आप बिना मोबाइल फोन, वॉच के भी टाइम को देख सकते हैं। और वो है जयपुरा का जंतर-मंतर। यहां आकर सच में महसूस होता है कि पुराने ज़माने में बिना किसी मॉडर्न टेक्नोलॉजी के भी लोग कितनी कमाल की चीज़ें बना लेते थे। फाइव कलर्स ऑफ ट्रैवल के इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि आखिर जंतर-मंतर होता क्या है और ये जगह जयपुर में इतनी खास क्यों मानी जाती हैं।(Jantar Mantar Jaipur)

आखिर किसने बनवाया है Jantar Mantar?
18वीं सदी में जयपुर को बसाने वाले और अपने समय के बड़े खगोलशास्त्री महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय को सितारों और ग्रहों की चाल समझने का बहुत शौक था। इसी शौक की वजह से उन्होंने 1724 से 1734 ईस्वी के बीच कई खास खगोलीय यंत्र बनवाए, जिनसे उस समय के लोग समय जानना, ग्रहों की स्थिति को समझना और सूरज-चांद की चाल का सही अंदाज़ा लगा पाते थे। उन्होंने ये वेधशालाएँ भारत के पाँच शहरों जयपुर, दिल्ली, उज्जैन, वाराणसी और मथुरा में बनवाईं ताकि खगोल विज्ञान को अच्छे से समझा जा सके। इनमें से जयपुर की वेधशाला सबसे बड़ी और सबसे खास मानी जाती है, जो आज भी उस दौर की समझ, सोच और शानदार आर्किटेक्चर को दिखाती है।
पत्थर जो समय बताते हैं
यहाँ आते ही सबसे पहले आपकी नज़र उन बड़े- बड़े पत्थर से बने यंत्रों की बनावटों पर जाती है। पहली बार देखने पर तो लगता है जैसे ये कोई आर्ट पीस हों, लेकिन असल में ये ऐसे यंत्र हैं जिनसे समय, सूरज और ग्रहों की चाल को समझा और नापा जाता था। महाराजा सवाई जयसिंह ने छोटे पीतल के यंत्रों की जगह पत्थर और संगमरमर से बड़े-बड़े यंत्र इसलिए बनवाए, ताकि ये ज्यादा मज़बूत रहें और धूप, बारिश या मौसम से जल्दी खराब न हों। आज भी इन्हें देखकर समझ आता है कि उस समय लोग विज्ञान को कितनी समझदारी और दूर की सोच के साथ देखते थे।

19 यंत्र और हर एक की अपनी कहानी
जयपुर के जंतर-मंतर में कुल 19 खगोलीय यंत्र बने हुए हैं, और हर यंत्र का अपना अलग काम है। इनमें से सबसे खास सम्राट यंत्र है, जो दुनिया की सबसे बड़ी पत्थर की सूरज घड़ी मानी जाती है। करीब 27 मीटर ऊँचा यह यंत्र आज भी हैरान कर देता है, क्योंकि यह दो सेकंड तक का भी एक सटीक समय बता सकता है। जय प्रकाश यंत्र देखने में एक बड़े कटोरे जैसा लगता है, जिसमें आसमान का उल्टा नक्शा नजर आता है और इससे ग्रहों की स्थिति समझी जाती थी। वहीं राम यंत्र और राशि वलय यंत्र से यह पता चलता है कि उस दौर में भी भारत में खगोल विज्ञान कितनी ऊँचाई पर था। इन सभी यंत्रों को देखकर साफ समझ आता है कि पहले के लोग विज्ञान और समय की कितनी गहरी समझ रखते थे।

Jantar Mantar-खूबसूरती का एक अनोखा नमूना
यहां के स्थानीय पत्थर, ईंट, चूना और सफेद संगमरमर से बने ये यंत्र जितने काम के हैं, उतने ही देखने में भी सुन्दर हैं। इनकी बनावट ऐसी है कि आपको साइंस और आर्ट दोनों एक साथ नजर आते हैं। यही वजह है कि लोग यहाँ आकर सिर्फ जानकारी ही नहीं लेते। बल्कि इसकी खूबसूरती भी लोगो का ध्यान अपने ऊपर खींचती हैं। इसकी खासियत और साइंटिफिक इंपॉर्टेंट को देखते हुए साल 2010 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस अनोखी धरोहर को देख और समझ सकें।

आज भी सीख सकते हैं यहां टाइम देखना
आज जंतर-मंतर सिर्फ घूमने की जगह ही नहीं है। बल्कि ये तो ऐसी जगह है जहाँ आकर आपको चीज़ों को अपने आप समझने का मौका मिल जाता है। यहाँ खड़े होकर जब आप सूरज की छाया देखकर समय का अंदाज़ा लगाते हैं, तो मन में यही ख्याल आता है कि इतने साल पहले लोग बिना मोबाइल और घड़ी के भी आसमान और ब्रह्मांड को कितनी समझदारी से समझ लेते थे।
अगर आप आपकी जयपुर की ट्रिप में कुछ यूनिक देखना, और समझना चाहते है, तो जंतर-मंतर जरूर जाएँ। यहाँ से लौटते समय आप सिर्फ फोटो नहीं, बल्कि समय और आसमान से जुड़ा एक खास अनुभव अपने साथ ले जाएंगे।









