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गरबा(Garba): स्त्री शक्ति का महापर्व और ज़िन्दगी का जश्न

गरबा की परंपरा और उद्भव
गरबा का उद्भव प्राचीन गुजरात से माना जाता है, जहाँ लोग इस नृत्य को अपनी संस्कृति का हिस्सा समझते थे। पहले के समय में गरबा सिर्फ स्त्री शक्ति और माँ दुर्गा की आराधना के रूप में किया जाता था। यह नृत्य माँ दुर्गा के चिन्हित प्रतिमा के चारों ओर गोल घूमते हुए किया जाता है, जो जीवन के चक्र को दर्शाता है। डांसर्स एक गोलाकार में नृत्य करते हैं, जो जीवन के अनंत चक्र को प्रतिबिंबित करता है, और धीरे-धीरे डांस की गति बढ़ती जाती है।

Garba

इस नृत्य का पूरा जो शब्द है “गर्भ दीप”, वह एक मिट्टी के मटके को दर्शाता है जिसमें एक दिया जलता रहता है, और यह दिया जीवन का प्रतीक होता है, जो माँ दुर्गा के आशीर्वाद के रूप में दिया गया है। इसलिए, गरबा स्त्री का जीवन देने का अधिकार और उसके गर्भ का सम्मान करता है। पहले के समय में, यह नृत्य लड़कियों के प्रथम मासिक धर्म चक्र को सेलिब्रेट करने के लिए किया जाता था, जो एक स्त्री के जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत होती थी। शादी के समय भी गरबा एक विशेष रूप में परफॉर्म किया जाता था

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आज के समय में यह नृत्य नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना में किया जाता है, जो हिंदू महीना आश्विन के दौरान आता है (सितंबर-अक्टूबर)। हर साल यह त्योहार भारत के कई शहरों में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। गुजरात के अलावा महाराष्ट्र, राजस्थान, और मध्य प्रदेश में भी इस नृत्य का प्रचलन काफी है। यह नृत्य दुनिया भर की हिंदू कम्यूनिटीज़ के बीच भी काफी पॉपुलर हो चुका है, जहाँ लोग अपनी संस्कृति को यह नृत्य के जरिए जीवंत रखते हैं।

गरबा की साज-सज्जा और नई परंपराएँ

Garba

गरबा के ट्रेडिशनल म्यूजिक में ढोल ढोलक और शहनाईका उपयोग होता था, जो डांसर्स को ताल देने का काम करते थे। लेकिन आजकल के मॉडर्न गरबा में सिंथेसाइज़र और हार्मोनिय का उपयोग भी होता है। मॉडर्न बीट्स के साथ यह नृत्य और भी ज़्यादा अपबीट और एनर्जेटिक बन गया है।

गरबा और फाल्गुनी पाठक का जादू
फाल्गुनी पाठक का नाम सुनते ही हर किसी के दिमाग में एक ही चीज़ आती है—गरबा के वाइब्रेंट गाने और उनका बेहतरीन म्यूजिक। उनके गाने हर गरबा नाइट का दिल होते हैं।”मैंने पायल है छनकाई” और “इंधना विनवा”जैसे गाने तो हर गरबा इवेंट का मस्ट-हैव बन चुके हैं। उनका म्यूजिक और उनकी सोलफुल आवाज़ लोगों को घंटों तक नाचने पर मजबूर कर देती है। फाल्गुनी ने गरबा को सिर्फ गुजरात तक सीमित नहीं रखा, बल्कि पूरे देश में उसकी पहचान बनाई है।

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गरबा का ग्लोबल रूप

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फोक डांसेस का जो ऑरिजिनल एसेंस था, वो अब गरबा के मॉडर्न रेंडिशन में दिखाई देता है। यहाँ तक कि तमिलनाडु और राजस्थान जैसे राज्यों में भी गरबा के प्राचीन रूप के सम्मिलित डांस फॉर्म्स देखने को मिलते हैं।

गरबा बियॉन्ड नवरात्रि
यह बात सच है कि गरबा का असली चार्म नवरात्रि के नौ दिनों में ही होता है, लेकिन आज के समय में यह नृत्य सिर्फ नवरात्रि तक सीमित नहीं रहा। शादी के फंक्शन्स में, संगीत नाइट्स पर, और अलग-अलग खुशी के अवसर पर भी लोग गरबा का आनंद लेते हैं। हर खुशी के पल में जब फैमिली और दोस्तों के बीच जश्न मनाना हो, तो गरबा से बेहतर और क्या हो सकता है?यह नृत्य अपनी पॉजिटिविटी और अपनी ऊर्जा के लिए जाना जाता है। छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग तक, हर कोई इस नृत्य को एंजॉय करता है। गरबा सिर्फ एक नृत्य नहीं, बल्कि एक ऐसी एक्टिविटी है जो सबको झूमने, नाचने, और जीवन का उत्सव मनाने का एक मौका देती है।

गरबा सिर्फ एक लोक नृत्य नहीं, बल्कि एक भावना है। यह नृत्य स्त्री शक्ति का प्रतीक है, जो जीवन देने का आशीर्वाद माँ दुर्गा से प्राप्त करता है। हर नवरात्रि जब यह नृत्य होता है, तो लोगों के दिलों में एक नई ऊर्जा और नया उत्साह भर जाता है। फाल्गुनी पाठक के गाने, दया भाभी का नृत्य, और वाइब्रेंट कॉस्ट्यूम्स सब मिलकर गरबा को एक अल्टीमेट सेलिब्रेशन बना देते हैं। अगर आपने अब तक गरबा का अनुभव नहीं किया है, तो इस साल नवरात्रि जरूर इस नृत्य का मज़ा लीजिए। अपने दोस्तों और परिवार के साथ गरबा ग्राउंड पर जाकर फाल्गुनी के बीट्स पर नाचिए, और इस डिवाइन उत्सव का पूरा आनंद उठाइए!

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