वैसे तो देश में पूरे साल तीज-त्योहारों का सिलसिला चलता रहता है, लेकिन जैसे ही अक्टूबर का महीना दस्तक देता है, मानो उत्सवों की एक बहार सी आ जाती है। अक्टूबर की शुरुआत नवरात्रि से होती है और फिर इन खुशियों का कारवां महीनों चलता रहता है। फाइव कलर्स ऑफ़ ट्रेवल के इस ब्लॉग में हम बात करेंगे धनतेरस की, जिसे दीवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है।
1. क्या हैं धनतेरस के मायने ?
धनतेरस दो लफ्ज़ों से मिलकर बना है—धन यानी दौलत, और तेरस मतलब तेरहवीं तारीख़। यह दिन दीवाली के दो दिन पहले आता है और देवी लक्ष्मी की पूजा से जुड़ा होता है, जो धन और समृद्धि की मल्लिका मानी जाती हैं। इस दिन लोहे, चांदी, सोने या बरतनों की ख़रीदारी को बहुत मुबारक माना जाता है।

2 . आयुर्वेद और धनतेरस का रिश्ता
हमारी तहज़ीब में सेहत को सबसे बड़ी नेमत समझा गया है। इस बात का सबसे बड़ा सबूत धनतेरस है, जिसे राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत का प्याला लेकर प्रकट हुए थे। वो आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं और इन्होंने ही दुनिया भर में चिकित्सा विज्ञान का परचम लहराया। धनतेरस का ये दिन सेहत और इलाज के लिए बेहद अहम माना जाता है। इस दिन लोग घर के दरवाज़ों पर तेरस के दीए जलाते हैं, जो एक पुरानी रस्म है और यकीन किया जाता है कि इससे घर में सुकून, चैन और धन-दौलत आती है।
3 . धनतेरस दिवाली से दो दिन पहले क्यों मनाया जाता है?

पुरानी मान्यताओं के मुताबिक, समुद्र मंथन के चौदहवें दिन भगवान धन्वंतरि हाथ में अमृत का प्याला लिए प्रकट हुए थे। चूंकि वे प्याला लेकर समुद्र से निकले थे, इसीलिए इस दिन बरतन ख़रीदना शुभ माना जाता है। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के दो दिन बाद देवी लक्ष्मी भी समुद्र से निकली थीं, और इस वजह से दीवाली से दो दिन पहले धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है।
4 . धनतेरस पर क्या चीज़ सबसे ज्यादा खरीदी जाती है?
हमारे देश के लोग अपनी तहज़ीब और धर्म में विशेष आस्था रखते हैं। धनतेरस के दिन लोहा, चांदी, सोना, या बरतन ख़रीदना बेहद शुभ माना जाता है। खासतौर पर पीतल, स्टील या चांदी के बरतन ख़रीदने का दस्तूर है, क्योंकि भगवान धन्वंतरि भी अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस दिन घर में कोई भी नई चीज़ लाना घर में बरकत और खुशहाली लाता है। हिंदू धर्म ग्रंथों के मुताबिक, यह एक शुभ रिवाज़ है।

5 . भगवान धन्वंतरि और चिकित्सा विज्ञान
हमारे देश में हमेशा से यह माना गया है कि सेहत सबसे बड़ी दौलत है। इस दिन को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के तौर पर मनाया जाता है। भगवान धन्वंतरि, जिन्हें भगवान विष्णु का अंश माना जाता है, उन्होंने चिकित्सा विज्ञान का परचम लहराया था। इस दिन घर के बाहर दीए जलाने का दस्तूर है, जो सुकून और लंबी उम्र का तोहफा देता है।
6 . देवी-देवताओं की पूजा का रिवाज
धनतेरस के दिन सिर्फ देवी लक्ष्मी और धन्वंतरि की पूजा नहीं होती, बल्कि धन वैभव के देवता कुबेर और यमराज की भी पूजा की जाती है। हर प्रार्थना के पीछे एक अलग कहानी है, लेकिन मकसद एक ही है—घर में सुकून, दौलत और सेहत का आना।
7 . धनतेरस की पौराणिक कहानी
एक बार यमराज ने अपने फरिश्तों से पूछा कि क्या कभी किसी इंसान की जान लेते वक्त तुम्हें तरस आया है? फरिश्तों ने जवाब दिया, “महाराज, हम तो बस आपके हुक्म का पालन करते हैं।” लेकिन फिर यमराज ने पूछा, “कभी किसी इंसान की जान लेते वक्त तुम्हारा दिल पसीजा है?” तब एक फरिश्ते ने कहा, “हां, एक बार ऐसा वाकया हुआ था।” फरिश्ते ने कहानी सुनाई कि एक बार राजा हेम के घर एक बेटे का जन्म हुआ। ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी कि उसकी शादी के चार दिन बाद उसकी मौत हो जाएगी। राजा ने अपने बेटे को एक गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखा, जहां कोई औरत उसकी परछाई तक न देख सके। लेकिन एक दिन राजा हंस की बेटी उस गुफा तक पहुंच गई और दोनों ने गंधर्व विवाह कर लिया। शादी के चार दिन बाद वही हुआ जो ज्योतिषियों ने कहा था, उस बेटे की मौत हो गई। फरिश्ता कहता है कि उस नवविवाहिता के दर्द भरे विलाप को देखकर उनका दिल पिघल गया था। यह सुनने के बाद यमराज ने कहा, “यह तो तक़दीर का फैसला है।” लेकिन उन्होंने एक हल दिया कि जो लोग धनतेरस के दिन पूजा और दीपदान करते हैं, उन्हें अकाल मृत्यु से निजात मिलती है।
8. दीपदान की अहमियत: दिए जलाओ, घर में रोशनी और बरकत लाओ
इसलिए, धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी, कुबेर और यमराज की प्रार्थना की जाती है, और दीपदान किया जाता है, ताकि घर में दौलत के साथ-साथ सेहत और लंबी उम्र का आशीर्वाद हासिल हो।

धनतेरस के दिन खरीदारी का यह सिलसिला सिर्फ व्यक्तिगत समृद्धि तक सीमित नहीं है; यह हमारी अर्थव्यवस्था को भी बूस्ट करता है। जब लोग इस दिन सोने, चांदी और अन्य बहुमूल्य वस्तुओं की ख़रीदारी करते हैं, तो इससे बाजार में तेजी आती है। व्यापारियों के लिए यह एक सुनहरा अवसर होता है, और इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं। इस प्रकार, धनतेरस न केवल व्यक्तिगत समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि हमारे समाज और अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है। जब खरीदारी होती है, तो बाजार में हलचल बढ़ती है, जिससे व्यापारियों, कारीगरों और दुकानदारों का जीवन भी रोशन होता है। इस तरह, धनतेरस का यह त्यौहार हमें आर्थिक मजबूती की दिशा में भी एक कदम बढ़ाता है।
Research by- Rakhi Mishra/Edited by-Pardeep Kumar
Five Colors Of Travel









