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दिल्ली का क्राफ्ट्स म्यूज़ियम: भारत की लोक कलाओं और हस्तकलाओं का जीवंत संग्रहालय

जब कभी आपका मन देश के शिल्प, लोक कला और हस्तकला की अद्भुत विरासत को समझने का करें, तो दिल्ली में पुराने किले के सामने राष्ट्रीय क्राफ्ट्स म्यूज़ियम एक ऐसी जगह है जो आपको बिल्कुल भी मायूस नहीं करेगा। यह म्यूज़ियम न सिर्फ भारत के हर कोने से लाए गए हस्तनिर्मित कला कृतियों को प्रदर्शित करता है, बल्कि यहां आने वाले लोगों को भारतीय संस्कृति, परंपराओं और लोक कला की गहराई का अनुभव भी कराता है।(The National crafts Museum)

The National crafts Museum

1956 में स्थापित इस संग्रहालय का मकसद था भारत की प्राचीन लोक कलाओं और हस्तकलाओं को संरक्षित करना और नए पीढ़ी तक पहुंचाना। दशकों से यह संग्रहालय कलाकारों और कला प्रेमियों के लिए एक प्रेरणास्रोत रहा है, जहां हर एक कलाकृति में देश की गहरी सांस्कृतिक परंपरा की झलक देखने को मिलती है। यहां आकर आप न सिर्फ भारत के हर राज्य की विशिष्ट कला का अनुभव करते हैं, बल्कि भारतीय समाज की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भी बेहतर ढंग से समझ पाते हैं।

म्यूज़ियम का निर्माण और वास्तुशिल्प

क्राफ्ट्स म्यूज़ियम का डिज़ाइन स्वयं में भारतीय वास्तुकला का एक अनूठा उदाहरण है। इस अद्भुत संरचना को प्रसिद्ध वास्तुशिल्पी चार्ल्स कोरेया ने डिज़ाइन किया था, जो भारतीय पारंपरिक शैली और आधुनिकता के सामंजस्य को दर्शाता है। म्यूज़ियम के गलियारों और गलियों की जटिल संरचना आपको एक सांस्कृतिक यात्रा पर ले जाती है, जहां हर मोड़ पर नया अनुभव और रोचक दृश्य आपका इंतजार करता है। यहाँ आकर आपको लगेगा कि आप देश के उन ग्रामीण हिस्सों में पहुँच गये हो जहाँ पहुंचना इतना आसान नहीं. यहां देश के विभिन हिस्सों की संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए प्रॉपर स्थान दिया गया है, जो इसे एक प्राकृतिक और जीवंत वातावरण प्रदान करता है। यहां के आंगनों और बाहरी प्रदर्शन स्थलों को देखकर ऐसा लगता है मानो आप किसी पुराने भारतीय गांव के चौपाल या हाट में घूम रहे हों, जहां कला और जीवन का अद्वितीय संगम होता है।

लोक कला के अनूठे संग्रह: भारत के विभिन्न कोनों से

भूता गैलरी: कर्नाटक की रहस्यमयी परंपरा

कर्नाटक की लोक परंपराओं में भूता पूजा का एक विशेष स्थान है, और इसी परंपरा से जुड़े विशालकाय मूर्तियों का प्रदर्शन इस म्यूज़ियम की भूता गैलरी में किया गया है। लकड़ी से बनी ये अद्भुत मूर्तियां कर्नाटक के ग्रामीण इलाकों में धार्मिक विश्वासों और प्राचीन कहानियों का प्रतीक हैं। इन मूर्तियों की बनावट और ऊंचाई देखकर आप दंग रह जाएंगे, क्योंकि कुछ मूर्तियां 15 फीट तक ऊंची हैं और इन्हें जैकफ्रूट के पेड़ से तराशा गया है। यह गैलरी दक्षिण भारत के आदिवासी और ग्रामीण जीवन के आध्यात्मिक और रहस्यमयी पक्ष को सामने लाती है

The National crafts Museum

कोंढा ब्रॉन्ज: ओडिशा की धातु कला की अद्भुत झलक

ओडिशा के कोंढा जनजाति की धातु कला अपने आप में अद्वितीय है, और म्यूज़ियम की एक गैलरी में इस कला के अद्भुत नमूनों का संग्रह किया गया है। ये कांस्य प्रतिमाएं और उपकरण न सिर्फ दैनिक जीवन की झलक दिखाते हैं, बल्कि हर एक वस्तु को कला के एक उच्चतम स्तर पर प्रस्तुत करते हैं। यहां एक साधारण सुपारी कटर को भी इतना सुंदर ढंग से कांस्य में ढाला गया है कि वह एक उत्कृष्ट शिल्पकला का उदाहरण बन गया है। यह गैलरी ओडिशा की अनूठी सांस्कृतिक धरोहर और कला परंपराओं को जीवंत रूप में प्रस्तुत करती है।

राजस्थान की कठपुतली कला: कहानियों का जीवंत रूप

राजस्थान की कठपुतली कला न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि यह लोक कथाओं, ऐतिहासिक घटनाओं और सामाजिक संदेशों को भी जनता तक पहुंचाने का एक साधन रही है। म्यूज़ियम में कठपुतलियों की एक विशेष प्रदर्शनी है, जहां राजस्थान के पारंपरिक कठपुतलीकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। यह कला न केवल राजस्थान की प्राचीन परंपराओं को जीवंत रखे हुए है, बल्कि हर कठपुतली की कहानी आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाती है। यह लोककला आज भी मेलों और त्योहारों में जीवित है और भारत की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है।

The National crafts Museum

फड़ चित्रकला: राजस्थान की पौराणिक गाथाओं का चित्रण

फड़ चित्रकला राजस्थान की एक पुरानी परंपरा है, जिसमें भगवान पाबूजी और अन्य लोक देवताओं की कहानियों को चित्रों के माध्यम से जीवंत किया जाता है। ये चित्रकथाएं एक लंबी कपड़े की पट्टी पर बनाई जाती हैं, जिसे फड़ कहा जाता है। इन्हें भोपा नामक गायक प्रस्तुत करते हैं, जो अपनी गायन शैली से चित्रकथा को सजीव कर देते हैं। हर फड़ चित्रकला एक कहानी कहती है, जो राजस्थान के लोगों के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन को दर्शाती है। यह न केवल कला का माध्यम है, बल्कि एक पवित्र और आध्यात्मिक अनुभव भी प्रदान करती है।

The National crafts Museum

तिब्बत का अवलोकितेश्वर: करुणा और शांति का प्रतीक

तिब्बती बौद्ध धर्म में अवलोकितेश्वर करुणा के प्रतीक माने जाते हैं, और म्यूज़ियम में उनकी एक अद्भुत कांस्य मूर्ति भी देखने को मिलती है। यह मूर्ति बोधिसत्व की है, जो अपने निर्वाण का त्याग कर संसार के प्राणियों की भलाई के लिए पुनर्जन्म लेते हैं। मूर्ति के हाथों में कई आंखें बनी हैं, जो करुणा और दया का प्रतीक हैं। इस अद्भुत कला को देखने से मन को शांति और आध्यात्मिक अनुभूति का अहसास होता है।

The National crafts Museum

जीवंत कला का अनुभव: कलाकारों के प्रदर्शन

दिल्ली के क्राफ्ट्स म्यूज़ियम की सबसे खास बात यह है कि यहां सिर्फ स्थिर प्रदर्शनी ही नहीं, बल्कि भारत के विभिन्न हिस्सों से आए कलाकार अपने शिल्प और कला का जीवंत प्रदर्शन भी करते हैं। लोक नृत्य, लोक संगीत, और हस्तकला के प्रदर्शन यहां की प्रमुख आकर्षण हैं, जो इस म्यूज़ियम को न केवल एक संग्रहालय बल्कि एक जीवंत कला उत्सव बनाते हैं। यहां हर महीने नई-नई प्रदर्शनियां और कला उत्सव होते रहते हैं, जो पूरे देश के कलाकारों की प्रतिभा को दर्शाते हैं। यह म्यूज़ियम भारतीय संस्कृति के रंगीन और जीवंत स्वरूप को सजीव रखता है।

The National crafts Museum

यात्रा की योजना: समय और सुविधाएं

दिल्ली का क्राफ्ट्स म्यूज़ियम प्रगति मैदान के पास स्थित है, जो शहर के महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है। यहां पहुंचना बेहद आसान है क्योंकि यह स्थान मेट्रो, बस, और ऑटो से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। संग्रहालय का समय सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक है और अक्टूबर से जनवरी के बीच का समय यहां आने के लिए सबसे अच्छा होता है। इस समय मौसम ठंडा रहता है, और आप खुले में इस सांस्कृतिक विरासत का पूरा आनंद ले सकते हैं।

तो अगर आप भारतीय लोक कला और हस्तकला की समृद्ध विरासत से जुड़ना चाहते हैं, तो दिल्ली का क्राफ्ट्स म्यूज़ियम एक ऐसी जगह है जहां आपको भारत की सांस्कृतिक धरोहर, परंपराएं और प्राचीन कला का बेजोड़ संग्रह देखने को मिलेगा। हर एक कलाकृति, हर एक प्रदर्शनी आपको भारत की आत्मा और उसकी विविधता से जोड़ेगी, और यह अनुभव आपके दिलो-दिमाग में एक खास जगह बना लेगा।

Some more Pics related to National Craft Museum…….

The National crafts Museum
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