फाइव कलर्स ऑफ़ ट्रेवल के इस ब्लॉग में हम आपको रूबरू करवाएंगे भारत की समृद्ध विरासत के प्रतीक और राजस्थान की शान “जोधपुर” से।
‘ब्लू सिटी’ के नाम से लोकप्रिय जोधपुर राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यहाँ अधिकांश महलों, मंदिरों, हवेली और यहां तक कि घरों को भी नीले रंग से रंगा गया है। साल भर सूर्य यहाँ अपनी विशेष दमक दिखाता है इसलिए जोधपुर को ’सूर्य नगरी’के नाम से भी जाना जाता है। जोधपुर में मुख्यतः मेहरानगढ़ फोर्ट, उम्मेद पैलेस, मंडोर गार्डन, जसवंत थड़ा, कायलाना झील और घंटाघर सरदार बाजार है जिसके लिए अगर आप ट्रिप प्लान करके चलें तो दो से तीन दिन पर्याप्त हैं। आज अपने इस व्लॉग में हम जोधपुर के खूबसूरत टूरिस्ट प्लेसेस के बारे में बताएंगे।
मेहरानगढ़ का किला
और इस फ़ेहरिस्त में सबसे पहले आता है- भारत के सबसे पुराने और विशाल किलों में से एक मेहरानगढ़ का किला जिससे भारत के समृद्धशाली अतीत की अनोखी झलक मिलती है। क्योंकि मेहरानगढ़ का यह किला देश के सबसे बड़े किलों में से एक है और बेहद ऊंचाई पर भी स्थित है इसलिए आपको यह जोधपुर शहर के किसी भी हिस्से से दिखाई देगा।

आपको जानकर थोड़ी हैरानी होगी कि मेहरानगढ़ का किला आज भी जोधपुर की रॉयल फेमिली के संरक्षण में है। जोधपुर का शाही परिवार ही किले का रख रखाव कर रहा है। शायद यही कारण है कि यहाँ की एंट्री टिकट भारतीय टूरिस्ट के लिए भी 200 रुपए की है। देश के बाकी किलों की तुलना में यह थोड़ा ज्यादा लगता है। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि किले को देखने के बाद यह पूरा पैसा वसूल लगता है। क्योंकि यह किला काफी बड़ा है और संरचनात्मक तौर पर शानदार भी, इसलिए इसको अच्छे से विजिट करने के लिए चार से पांच घंटे अवश्य रिज़र्व रखें।

यह ऐतिहासिक किला भारत में सर्वाधिक लोकप्रिय किलों में से एक हैं। यह किला करीब 125 मीटर की ऊंचाई पर बना है। 15वीं शताब्दी में इस किले की नींव राव जोधा ने रखी थी, जो रणमल के चौबीस पुत्रों में से एक पन्द्रहवां राठौर राजा था।

मेहरानगढ़ का यह किला भारत की समृद्धि व महानता का प्रतीक माना जाता है और प्राचीन समय मे की गई कारीगरी और खूबसूरत नक्काशी का बेजोड़ नमूना है। देश की अन्य बेहद प्रसिद्ध इमारतों की तरह मेहरानगढ़ किले का निर्माण भी सुंदर बलुआ पत्थरों से किया गया है। यह किला धरातल से लगभग 400 फिट की ऊंचाई पर है। मेहरानगढ़ किले के भीतर कई भव्य महल अद्भुत नक्काशी वाले दरवाजे अनेकों जालीदार खिड़कियां देखने लायक है।

जब आप इस किले की इमारतों की बनावट देखेंगे तो देखते ही रह जाएंगे। महाराजा अजीत सिंह के शासन के समय इस किले की कई इमारतों का निर्माण मुगल डिजाइन में किया गया है।
इस किले में पर्यटकों को आकर्षित कर देने वाले सात विशाल दरवाज़ों के अलावा मोती महल (पर्ल पैलेस), फूल महल (फूल महल), दौलत खाना, शीश महल (दर्पण पैलेस) जैसे कई शानदार शैली में बने कमरें हैं। शीश महल बेहद आकर्षक ढंग से बनाया गया है जो अपनी दर्पण के टुकड़ों पर जटिल डिजाइन की कारीगरी की वजह से जन्नत का टुकड़ा लगता है।

मेहरानगढ़ फोर्ट भारत के सबसे पुराने किलों में से एक है, जो भारत के मजबूत और गौरवशाली इतिहास को खुद में समेटे है. मेहरानगढ़ किले का म्यूजियम राजस्थान के बेहतरीन और फेमस म्यूजियम में से एक है., जिसमें राजा-महाराजाओं की पोशाकें और उनके हथियार रखे गए हैं. साथ ही, उनके रहन-सहन, दैनिक जीवन और संस्कृति से जुड़ी चीजें आज भी यहां मौजूद हैं।

यह पढ़ना न भूलें : Jaisalmer: जैसलमेर – रेगिस्तान, शानदार किलों, पुरानी हवेलियों और राजसी ठाठ-बाट का शहर
जसवंत थड़ा
आप अगर जोधपुर विजिट करने निकले हैं तो जसवंत थड़ा देखना बिलकुल न भूलें। मेहरानगढ़ फोर्ट के बिलकुल पास में स्थित जसवंत थड़ा जोधपुर राजपरिवार का मेमोरियल है।

जसवंत थड़ा जोधपुर शहर से लगभग 10 किमी. की दूरी पर स्थित है, जो सफेद संगमरमर से बना हुआ है, जिसे “मारवाड़ का ताजमहल” भी कहते है। जसवंत थड़ा की संरचना तो ताजमहल जैसी नहीं दिखती है, लेकिन सफेद संगमरमर से बना जसवंत थड़ा ताजमहल जैसा ही लगता है। दोस्तों आपको बता दें कि जोधपुर में स्थित जसवंत थड़ा को देखने के लिए हर साल लाखों पर्यटक देश और विदेश से आते हैं। अगर आप भी जोधपुर शहर में जा रहे हैं, तो जसवंत थड़ा को विजिट जरूर करें।जसवंत थड़ा में जाने के लिए भारतीय पर्यटकों के लिए एंट्री टिकट 30 रुपए है और विदेशी पर्यटकों का एंट्री टिकट 50 रुपए है।
उम्मेद भवन पैलेस
मेहरानगढ़ फोर्ट के बाद जोधपुर की दूसरी सबसे खूबसूरत जगह है उम्मेद भवन पैलेस।

यह महल अपने इतिहास और बेहतरीन संरचना के लिए पूरे विश्व भर में विख्यात है। उम्मेद भवन पैलेस का निर्माण उस समय के महाराजा उम्मैद सिंह ने वर्ष 1929 से शुरू करवाया और यह महल साल 1943 में बनकर पूरा हुआ था। कहा जाता है कि यह महल दुनिया के सबसे बड़े निजी महलों में से एक है। कहा जाता है कि इस महल को बनाने में लगभग तीस हज़ार से भी अधिक लोगों ने दिनरात मेहनत करके इसका निर्माण किया है। एक अनुमान के तहत इस भवन के निर्माण में लगभग 11 मिलियन रूपये की लगत लगी थी। आज यह महल जोधपुर के सबसे बड़े आकर्षक पर्यटन स्थलों में से भी एक है। कहा जाता है कि इस भवन का निर्माण कराने के पीछे कई वजह थी। लेकिन, कई लोगों का मानना है इस पैलेस के निर्माण कराने के पीछे मुख्य उद्देश्य लोगों का भला करने के लिए था। कहा जाता है कि उस समय राज्य को कई महीनों तक सूखे का सामना करना पड़ा था, जिस वजह से राज्य के किसान और मजदुर काफी परेशान थे। इस परेशानी को देखते हुए महाराजा ने बेरोजगारी और भुखमरी में बचने के लिए इस महल का निर्माण करवाया, ताकि प्रजा को रोजगार मिल सके और भोजन भी। कहा जाता कि उम्मेद भवन पैलेस मौजूदा समय में तीन हिस्सों में विभाजित है। पहला-रॉयल निवास, दूसरा-उम्मेद भवन पैलेस म्यूजियम और तीसरा-उम्मेद भवन पैलेस होटल। रॉयल निवास को शाही परिवार का घर माना जाता है। आज भी रॉयल परिवार के सदस्य इस महल में रहते हैं। म्यूजियम में आपको शाही घराने की तमाम दुर्लभ चीजे देखने को मिल जाएँगी।
घूमने के लिए इस महल में भारतीय पर्यटकों के लिए 30 रूपये, बच्चों के लिए 10 रुपये और विदेशी सैलानी के लिए 100 रूपये टिकट की कीमत हैं। यहां आप सुबह नौ बजे से लेकर शाम के पांच बजे के बीच कभी भी घूमने के लिए जा सकते हैं।
मण्डोर गार्डन
जोधपुर में एक और बेहतरीन जगह है मण्डोर गार्डन।
इस स्थान का प्राचीन नाम माण्डवपुर था। यह पुराने समय में मारवाड़ राज्य की राजधानी हुआ करता था। पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण का ससुराल हुआ करता था। यहाँ सदियों से होली के दूसरे दिन रावण का मेला लगता है। मारवाड़ की प्राचीन राजधानी मण्डोर जोधपुर के उत्तर में स्थित है। यहां जोधपुर के शासकों के स्मारक एवं छतरियां हैं। राजस्थान स्थापत्य कला से बनी परम्परागत छतरियों की अपेक्षा ये हिन्दू मंदिरों की संरचना पर आधारित है। यहाँ पर्यटकों के लिए एंट्री बिलकुल फ्री है। लेकिन यहाँ पर बने म्यूजियम में जाने के लिए आपको 25 रुपए का टिकट लेना पड़ेगा।
कायलाना झील
अगर आप पहाड़ियों के बीच खूबसूरत झील में बोटिंग का आनंद लेना चाहते हैं तो जोधपुर की कायलाना झील एक बेहतरीन विकल्प है।

जैसलमेर रोड पर यह कायलाना झील, एक सुंदर पिकनिक स्पॉट है।
माछिया सफारी

जैसलमेर मार्ग पर कायलाना झील से लगभग 1 किलोमीटर दूर माछिया सफारी उद्यान स्थित है। यह एक पक्षीविहार है। यहां हिरण, रेगिस्तान की लोमड़ियां, विशाल छिपकली, नीलगाय, ख़रगोश, जंगली बिल्लियां, लंगूर, बंदरों जैसे कई पशु पाये जाते हैं। यह बायोडायवर्सिटी पार्क सूर्यास्त के खूबसूरत दृश्य के लिए भी फेमस है।
यह पढ़ना न भूलें : अलवर फोर्ट सफारी – दिल्ली के नजदीक लीजिये जंगल सफ़ारी का मजा
घंटाघर बाजार
जोधपुर शहर के बीचोबीच स्थित ऐतिहासिक घंटाघर बाजार यहाँ आने वाले टूरिस्ट्स को अपनी और जरूर आकर्षित करता है।

जोधपुर शहर के बीच में स्थित घंटाघर का निर्माण जोधपुर के महाराजा श्री सरदार सिंह ने करवाया था। यहां के सबसे व्यस्त सदर बाज़ार में स्थित यह घंटाघर अद्भुत व ऐतिहासिक है।

सदर बाजार देशी व विदेशी पर्यटकों में काफी लोकप्रिय है। यहां राजस्थानी वस्त्र, लाख की चूड़ियां, स्थानीय छपाई के कपड़े, मिट्टी की मूर्तियां व बर्तन, खिलौने, पीतल, लकड़ी व संगमरमर के बने ऊँट-हाथी और मार्बल-इन-ले में बना सजावटी सामान प्रचुर मात्रा तथा उचित दामों पर मिलता है। चांदी के जड़ाऊ गहने खरीदने के लिए भी यह उपयुक्त स्थान है।

कब जाएँ
गर्मियों के मौसम में जोधपुर की यात्रा करने की बजाए अगस्त, सितंबर, फरवरी और मार्च के महीनों के दौरान यात्रा करें। क्योंकि अप्रैल से जुलाई तक पूरे राजस्थान में चिलचिलाती गर्मी पड़ती है।
आज के इस ब्लॉग में फ़िलहाल इतना ही, फिर मिलते हैं किसी नए ब्लॉग में किसी नयी डेस्टिनेशन पर। तब तक हँसते रहिये, मुस्कुराते रहिये ।।









