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Top 5 National Parks of Rajasthan

  • रणथम्भोर नेशनल पार्क (Ranthambore National Park)
  • मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान (Mukundara Hills National Park)
  • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park)
  • अलवर सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान (Alwar Sariska National Park)
  • डेजर्ट राष्ट्रीय उद्यान (Desert National Park)

1. रणथम्भोर नेशनल पार्क (Ranthambore National Park)

रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के सवाई माधोपुर ज़िला में अवस्थित है। यह नेशनल पार्क लगभग 1334 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। सर्वप्रथम रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान को 1955 में सवाई माधोपुर खेल अभयारण्य के रूप में जाना जाता था। इसके पश्चात 1973 में इसे टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। 1 नवंबर 1980 को इस टाइगर रिजर्व को राष्ट्रीय उद्यान बना दिया गया। रणथम्भोर नेशनल पार्क में कई प्रकार के वन्य जीव निवास करते है जिनमे बाघ (Tiger), सांभर हिरण (Sambhar Deer), नर मोर (Male Peacock) और चित्तीदार हिरण (Spotted Deer) शामिल है। इसके अलावा यहाँ तेंदुए (Leopards) भी पाए जाते है।

कैसे पहुंचे रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान (How to reach Ranthambore National Park)?

  • सड़क मार्ग- यदि आप दिल्ली से आना चाहते हैं तो आप एनएच 8 और एनएच 11ए से आ सकते है जो रणथम्भोर को दिल्ली से जोड़ता है।
  • रेल मार्ग- इस नेशनल पार्क का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन सवाई माधोपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन है जो मात्र 11 किमी दूर है और जहाँ से आप टैक्सी या बस लेकर रणथम्भोर नेशनल पार्क पहुंच सकते है।
  • हवाई मार्ग- हवाई मार्ग से आने के लिए आपको जयपुर के सांगानेर एयरपोर्ट (145 किमी) आना होगा।

2. मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान (Mukundara Hills National Park)

मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान जिसे दर्राह नेशनल पार्क भी कहा जाता है राजस्थान के कोटा जिले के पास स्थित है। मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क लगभग 760 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी स्थापना 2004 में हुई थी। इस नेशनल पार्क में तीन वन्य जीव अभ्यारण्य सम्मलित हैं दर्रा वन्यजीव अभयारण्य, राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य और जवाहर सागर वन्यजीव अभयारण्य। इस राष्ट्रीय उद्यान में जंगलों का बहुत बड़ा भाग शामिल है जो पहले राजाओं का शिकारगाहों का हिस्सा था। यह नेशनल पार्क राजस्थान का तीसरा टाइगर रिजर्व है। एक समय इस राष्ट्रीय उद्यान को एशियाई शेर के पुनः उत्पादन के लिए माना जाता था। मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान में कई प्रकार के फॉउना (Fauna) निवास करते है जिनमे बंगाल टाइगर, भारतीय भेड़िया, भारतीय तेंदुआ, स्लॉथ भालू, सांभर, चिंकारा, हिरण, चीतल, नीलगाय और जंगली सूअर शामिल हैं। इसके अलावा यहाँ मगरमच्छ और घड़ियाल भी पाए जाते हैं ।

कैसे पहुंचे मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान (How to reach Mukundra Hills National Park)?

  • सड़क मार्ग- इस नेशनल पार्क का नजदीकी शहर कोटा है जहाँ से राष्ट्रीय उद्यान की दुरी 50 किमी है।
  • रेल मार्ग- इस नेशनल पार्क का निकटम रेलवे स्टेशन है- कोटा रेलवे स्टेशन जहाँ से आप टैक्सी या बस लेकर मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क पहुंच सकते है।
  • हवाई मार्ग- इस नेशनल पार्क का निकटम एयरपोर्ट 300 किलोमीटर दूर उदयपुर में हैं।

3. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park)

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भारत के वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सूची में शामिल, एक प्रसिद्ध बर्ड अभयारण्य है। इस नेशनल पार्क की प्रसिद्धि का कारण है सर्दियों के दौरान यहाँ आने वाले साइबेरियन सारस। यह नेशनल पार्क राजस्थान के भरतपुर में स्थित है जिसके कारण इस उद्यान को भरतपुर पक्षी विहार भी कहा जाता है। इस पक्षी विहार में हजारों की संख्या में लुप्तप्राय और दुर्लभ पक्षी पाए जाते है। केवलादेव नेशनल पार्क लगभग 28 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस राष्ट्रीय उद्यान को 1982 में नेशनल पार्क का दर्जा दे दिया गया। गंभीर और बाणगंगा नदी इस पार्क में बहती है। यह पक्षी विहार पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में कई प्रकार के फॉउना निवास करते है जिनमे पक्षियों की 350 से अधिक प्रजातियां, स्तनधारियों की कुल 36 प्रजातियां और मछलियों की 43 प्रकार की प्रजातियां पाई जाती है।

कैसे पहुंचे केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (How to reach Keoladeo National Park)?

  • सड़क मार्ग- केवलादेव नेशनल पार्क दिल्ली, चंडीगढ़, लखनऊ, जयपुर आदि प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
  • रेल मार्ग- इस नेशनल पार्क का नजदीकी रेलवे स्टेशन है- भरतपुर रेलवे स्टेशन जहाँ से आप टैक्सी या बस लेकर केवलादेव नेशनल पार्क पहुंच सकते है।
  • हवाई मार्ग- इस नेशनल पार्क का निकटम एयरपोर्ट 56 किलोमीटर दूर आगरा में है जो दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई आदि से जुड़ा हुआ है।

4. अलवर सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान (Alwar Sariska National Park)

दिल्ली के नजदीक स्थित अलवर सरिस्का सफारी अन्य जंगल सफारियों से काफी अलग है। क्योंकि आप यहां मानसून में भी जंगल सफारी का आनंद उठा सकते हैं। सरिस्का जंगल सफारी दिल्ली से मात्र ढाई घंटे की दूरी पर स्थित है और नेचर को एक्सप्लोर करने के लिए एक बेहतरीन जगह है। सरिस्का जंगल सफारी के पास हीं स्थित है, अलवर फोर्ट और बाला फोर्ट बफर जोन (buffer zone)। आप इन दोनों जगह पर जाकर भी घूम सकते हैं। अलवर के किले पर खड़े होकर आप पूरे सरिस्का नेशनल पार्क को देख सकते हैं। चारों ओर बड़े-बड़े पेड़, घना जंगल और जंगलों में बिना डरे चहल कदमी कर रहे हिरन आपका मन मोह लेंगे। खड़े होकर आसपास के सीनरी को निहारना भी सुकून दायक होता है।

कैसे पहुंचे अलवर सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान (How to reach Alwar Sariska National Park)?

  • सड़क मार्ग- अलवर सरिस्का नेशनल पार्क दिल्ली-अलवर-जयपुर रोड पर स्थित है।
  • रेल मार्ग- इस नेशनल पार्क का नजदीकी रेलवे स्टेशन है- अलवर रेलवे स्टेशन (37 किलोमीटर) जहाँ से आप टैक्सी या बस लेकर केवलादेव नेशनल पार्क पहुंच सकते है।
  • हवाई मार्ग- हवाई मार्ग से आने के लिए आपको जयपुर के सांगानेर एयरपोर्ट (122 किमी) आना होगा।

5. डेजर्ट राष्ट्रीय उद्यान (Desert National Park)

डेजर्ट राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान में एक नेशनल पार्क है जो, जैसलमेर और बाड़मेर जिले के पास स्थित है। डेजर्ट नेशनल पार्क लगभग 3162 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी स्थापना 1981 में हुई थी। यह नेशनल पार्क भारत के सबसे बड़े राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। यह नेशनल पार्क यहाँ पाए जाने वाले ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard) के कारण प्रसिद्ध है जो इस उद्यान में अच्छी-खासी संख्या में पाया जाता है। इस उद्यान में डायनासोर के अवशेष भी प्राप्त हुए है। डेजर्ट राष्ट्रीय उद्यान में कई प्रकार के फॉउना (Fauna) निवास करते है जिनमे रेगिस्तानी लोमड़ी, भेड़िया, बंगाल लोमड़ी, स्पाइनी-टेल्ड छिपकली, मॉनिटर छिपकली, चिंकारा, हाथी, छोटे पंजे वाले ईगल, टैनी ईगल और रेगिस्तानी बिल्ली शामिल है।

कैसे पहुंचे डेजर्ट राष्ट्रीय उद्यान (How to reach Desert National Park)?

  • सड़क मार्ग- इस मार्ग से आने के लिए आप जैसलमेर आ सकते है जहाँ से राष्ट्रीय उद्यान की दुरी 40 किमी है।
  • रेल मार्ग- इस नेशनल पार्क का निकटम रेलवे स्टेशन है- जैसलमेर जहाँ से आप टैक्सी या बस लेकर डेजर्ट नेशनल पार्क पहुंच सकते है।
  • हवाई मार्ग- इस नेशनल पार्क का निकटम एयरपोर्ट जोधपुर में है।
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पक्षियों की हजारों से अधिक प्रजातियां का निवास स्थल है केवलादेव पक्षी विहार

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) भारत के वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सूची में शामिल, एक प्रसिद्ध बर्ड अभयारण्य है। इस नेशनल पार्क की प्रसिद्धि का कारण है सर्दियों के दौरान यहाँ आने वाले साइबेरियन सारस। यह नेशनल पार्क राजस्थान के भरतपुर में स्थित है जिसके कारण इस उद्यान को भरतपुर पक्षी विहार भी कहा जाता है। इस पक्षी विहार में हजारों की संख्या में लुप्तप्राय और दुर्लभ पक्षी पाए जाते है। केवलादेव नेशनल पार्क लगभग 28 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस राष्ट्रीय उद्यान को 1982 में नेशनल पार्क का दर्जा दे दिया गया। गंभीर और बाणगंगा नदी इस पार्क में बहती है। यह पक्षी विहार पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है।

फॉउना और फ्लोरा (Floras and Faunas in Keoladeo National Park)

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में कई प्रकार के फॉउना निवास करते है जिनमे पक्षियों की 350 से अधिक प्रजातियां पायी जाती है। इनमे साइबेरियन सारस (Siberian Stork), घोमरा (Ghomra), उत्तरी शाह चकवा (Northern Shah Chakwa), जल पक्षी (Waterfowl), लाल सर बत्तख (Red-headed Duck) आदि शामिल है। इसके अलावा यहाँ स्तनधारियों की कुल 36 प्रजातियाँ रहती है जिनमे से कुछ प्रमुख ये है- (Sambar), हनुमान लंगूर (Hanuman Langur), चीतल हिरण (Chital Deer), नीलगाय (Nilgai) तथा धारीदार लकड़बग्घा (Striped Hyena)। यहां मछलियां की 43 प्रकार की प्रजातियाँ पाई जाती है। अगर बात की जाए फ्लोरा की तो, यहाँ के जंगलों में बबूल (Acacia nilotica), कदंब (Mitragyna parvifolia) और जामुन (Syzygium cuminii) के पेड़ बहुत अधिक संख्या में पाए जाते है। वही जलीय वनस्पतियों में यहाँ वाटर लिली (Nymphaea nouchali), लोटस (Nelumbo nucifera) तथा वॉटर फ़र्न (Azolla), पाए जाते हैं।

बेस्ट टाइम टू विजिट केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Best time to visit Keoladeo National Park)

यह राष्ट्रीय उद्यान साल के बारहों महीने खुला रहता है। आप यहाँ किसी भी महीने में आ सकते है। लेकिन अगर आप यहाँ माइग्रेटरी बर्ड्स (Migratory Birds) की ज्यादा प्रजातियाँ देखना चाहते है तो आप सर्दियों (अक्टूबर से फरवरी) में आने का कोशिश करें। वही यदि आप यहां के स्थानीय पक्षियों (Local Birds) के बारें में जानना चाहते है तो आप अगस्त से नवंबर के बीच कभी भी आ सकते है।

कैसे पहुंचे केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (How to reach Keoladeo National Park)?

  • सड़क मार्ग- केवलादेव नेशनल पार्क दिल्ली, चंडीगढ़, लखनऊ, जयपुर आदि प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
  • रेल मार्ग- इस नेशनल पार्क का नजदीकी रेलवे स्टेशन है- भरतपुर रेलवे स्टेशन जहाँ से आप टैक्सी या बस लेकर केवलादेव नेशनल पार्क पहुंच सकते है।
  • हवाई मार्ग- इस नेशनल पार्क का निकटम एयरपोर्ट 56 किलोमीटर दूर आगरा में है जो दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई आदि से जुड़ा हुआ है।

आईआरसीटीसी के साथ कीजिए राजस्थान की सैर

घूमने के शौकीन लोगों के लिए आईआरसीटीसी द्वारा आए दिन नए-नए पैकेज का ऐलान किया जाता रहता है। आज मैं आपको बताने जा रही हूं आईआरसीटीसी के ऐसे पैकेज के बारे में जिसके जरिए आप उदयपुर, कुंभलगढ़ और माउंट आबू का दौरा करेंगे तो आईए जानते हैं, इस पैकेज के बारे में और भी गहराई से।

आइये जानते है आईआरसीटीसी के इस पैकेज के बारें में

  • इस टूर का नाम है ‘एंजॉयबल ट्रिप टू उदयपुर, कुंभलगढ़ एंड माउंट आबू’ (ENJOYABLE TRIP TO UDAIPUR, KUMBHALGARH AND MOUNT ABU PACKAGE)।
  • यह पैकेज पाँच दिनों और चार रातों का होगा।
  • इस पैकेज के तहत आप उदयपुर, कुंभलगढ़ और माउंट आबू का दौरा करेंगे।
  • इस टूर की शुरुआती तारीख 13 दिसम्बर 2023 है।
  • इस यात्रा के पहले दिन आप दिल्ली से उदयपुर की ओर रवाना होंगे।
  • इस यात्रा के अंतिम दिन आप उदयपुर से दिल्ली वापस आएंगे।

कुछ ऐसा होगा आपका टूर प्लानर

पहला दिन
पहले दिन आपके उदयपुर आगमन करते हैं आपको होटल ले जाया जायेगा। होटल पहुंचकर आप दोपहर का भोजन लेंगे। शाम में उदयपुर के ही विंटेज कार म्यूजियम, बागोर की हवेली और सहेलियों की बाड़ी का दौरा करेंगे। शहर घूमने के बाद वापस होटल आ जाएंगे। आप रात्रि विश्राम उदयपुर में ही करेंगे।

दूसरा दिन
अगले दिन सुबह जल्दी नाश्ते के बाद आप उदयपुर के द लेक पैलेस और सिटी पैलेस की ओर बढ़ जाएंगे। इन दोनों पैलेसेज को देखने के बाद आप जग मंदिर, जगदीश मंदिर, बड़ा महल, पिछोला झील और फतेहसागर झील का दौरा करेंगे। शाम में वापस होटल लौटकर उदयपुर में ही रात्रि विश्राम करेंगे।

तीसरा दिन
तीसरे दिन सुबह नाश्ता करके होटल से चेकआउट करेंगे। वहां से आप कुंभलगढ़ की ओर निकल जाएंगे। कुंभलगढ़ पहुंचकर होटल में चेक इन करने के बाद आप वहां के कुंभलगढ़ किले का भ्रमण करेंगे। यह किला एक विश्व धरोहर स्थल है जो अरावली पहाड़ियों की पश्चिम श्रृंखला में स्थित है। शाम में कुंभलगढ़ वन्यजीव अभ्यारण और परशुराम मंदिर का दौरा करेंगे। आप रात्रि विश्राम कुंभलगढ़ में करेंगे।

चौथा दिन
अगले दिन नाश्ता करके माउंट आबू के लिए निकल जाएंगे। माउंट आबू पहुंचकर आप होटल में चेक इन करेंगे। होटल में कुछ देर आराम करने के बाद आप रघुनाथ मंदिर, दिलवाड़ा मंदिर और नक्की झील का दौरा करेंगे। भोजन तथा रात्रि विश्राम आप माउंट आबू में करेंगे।

पांचवा दिन
अंतिम दिन सुबह नाश्ते के बाद आप होटल से चेक आउट कर करेंगे। होटल से चेक आउट करने के बाद आप उदयपुर की ओर बढ़ेंगे। शाम में उदयपुर के महाराणा प्रताप हवाई अड्डे से दिल्ली के लिए उड़ान भरेंगे। दिल्ली पहुंचकर आपकी यात्रा सुखद यादों के साथ समाप्त हो जाएगी।

बजट (Budget)

अगर बात करें इस पैकेज के बजट की है तो कॉस्ट पर पर्सन में, स्टैण्डर्ड क्लास के लिए सिंगल ऑक्यूपेंसी पर ₹48100, डबल ऑक्यूपेंसी पर ₹39400 और ट्रिपल ऑक्यूपेंसी पर 37700 रुपए आपको भुगतान करना होगा। वही चाइल्ड विथ बेड में ₹32600, चाइल्ड विथाउट बेड में ₹31900 और चाइल्ड विथाउट बेड (छोटे बच्चो के लिए) में 25900 रुपए पे करने होंगे।

इस पैकेज में क्या शामिल है (What is included in this package)?

  • आपको जाते वक्त दिल्ली से उदयपुर और वापसी के समय उदयपुर से दिल्ली के लिए हवाई टिकटें मिलेंगी।
  • इस पैकेज के तहत आपको चार बार सुबह का नाश्ता और चार बार रात का खाना मिलेगा।
  • आप सभी दर्शनीय स्थलों का दौरा एसी वाहन से करेंगे।
  • इस पैकेज में आपको यात्रा बीमा भी मिलेगा।
  • आप इस यात्रा के दौरान दो रात उदयपुर, एक रात कुंभलगढ़ और एक रात माउंट आबू में एसी रूम में बिताएंगे।
  • उपरोक्त सेवाओं के लिए सभी प्रकार के कर लागू होंगे।

इस पैकेज में क्या शामिल नहीं है (What is not included in this package)?

  • अगर आप दोपहर का भोजन या किसी भी अन्य प्रकार की भोजन सेवाएं लेते हैं तो उसके लिए आपको पैसे देने होंगे।
  • आप किसी भी प्रकार की स्थानीय परिवहन का उपयोग करते हैं तो उसके लिए आपको पे करना होगा।
  • आपको सभी दर्शनीय स्थलों के टिकट खुद ही खरीदने होंगे।
  • आप अगर किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत खर्च जैसे कपड़े धोने का खर्च, शराब, मिनरल वाटर, भोजन या फिर पेय पदार्थ का उपयोग करते है तो उसके लिए आपको पे करना होगा।
  • आपको एयरपोर्ट पर प्रतिनिधियों की सेवाएं नहीं मिलेगी।
  • इस पैकेज में आपको टूर मैनेजर की सेवाएं नही मिलेंगी।
  • कोई भी सेवाएं जो इन्क्लूजन में निर्देशित नहीं है तो वे सेवाएं आपको नहीं मिलेंगी।
  • आपको टूर के दौरान शाम में किसी प्रकार का स्नैक्स नहीं मिलेगा।
  • ख़राब मौसम, ख़राब स्वास्थ या किसी भी कारण से अगर उड़ान रद्द होता है और उड़ान रद्द होने के कारण किसी भी प्रकार का बदलाव के लिए अगर अचानक लागत लगता है तो उसके लिए आपको भुगतान करना होगा।

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अगर आपको सोने जैसे रेतों वाला रेगिस्तान, शानदार किले, पुरानी हवेलियों और राजशाही ठाठ-बाट की झलक देखनी हो तो राजस्थान से बेहतरीन कोई दूसरा जगह नहीं हो सकता है। भारत में राजस्थान को राजा महाराजाओं का गढ़ माना जाता है। यहीं वजह है कि इस राज्य का नाम राजस्थान रखा गया है। यहां के बाजारों में मिलने वाली ऑक्सिडाइज्ड ज्वैलरी की बात हो या फिर यहां के महलों की, हर जगह राजसी शान की झलक देखने को मिल जाती है। अगर आप भी राजस्थान के टूर का प्लान बना रहे हैं तो यह ब्लॉग आपके लिए ही है। आईआरसीटीसी ने राजस्थान के टूर के लिए एक बेहतरीन टूर पैकेज प्लान किया है।

आइए इस टूर पैकेज के बारे में अधिक गहराई से जानते हैं।

  • ये पैकेज 7 दिनो और 6 रातों का होगा।
  • इस पैकेज के तहत आप बीकानेर, जयपुर, जैसलमेर, जोधपुर और पुष्कर की यात्रा करेंगे।
  • इस पैकेज का नाम है ‘रॉयल ​​राजस्थान एक्स चेन्नई’
  • आपके इस यात्रा की शुरुआत चेन्नई के एयरपोर्ट से होगी।

कुछ ऐसा होगा आपका टूर प्लानर

दिन 1 (Day 1)

पहले दिन सुबह आप चेन्नई से सुबह 8:00 बजे जयपुर के लिए प्रस्थान करेंगे। हवाई अड्डा पहुंचने के बाद जयपुर (jaipur) से पुष्कर (Pushkar) की ओर सड़क मार्ग से आगे बढ़ेंगे। पुष्कर जाने के मार्ग में अजमेर के दरगाह शरीफ (Dargah Sharif) जाएंगे। पुष्कर पहुंचकर होटल में चेक इन करेंगे। आपको भोजन तथा रात्रि विश्राम पुष्कर में ही करना होगा।

दिन 2 (Day 2)

अगले दिन आप नाश्ते के बाद जोधपुर (jodhpur) की ओर आगे बढ़ जाएंगे। जहां पहुंचकर होटल में चेक इन करेंगे फ्रेश होने के बाद मेहरगढ़ किला (Mehargarh fort) और उन्मेद भवन संग्रहालय (Unmed bhawan palace) का दौरा करेंगे। आप रात्रि विश्राम जोधपुर में ही करेंगे।

दिन 3 (Day 3)

तीसरे दिन आप होटल में सुबह नाश्ता करेंगे। नाश्ते के बाद जैसलमेर की ओर आगे बढ़ेंगे। जैसलमेर पहुंचकर फ्रेश होने के बाद सूर्यास्त का आनंद ले। आप रात्रि विश्राम जैसलमेर के ही डेजर्ट कैंप टेंट (Desert Camp Tent) में करेंगे।

दिन 4 (Day 4)

अगले दिन सुबह नाश्ते के बाद जैसलमेर किला (Jaisalmer Fort), पटवों की हवेली और युद्ध संग्रहालय (War museum) जैसे दर्शनीय स्थल घूमेंगे। दोपहर में बीकानेर की ओर बढ़ जाएंगे। भोजन तथा रात्रि विश्राम आपको बीकानेर में ही करना होगा।

दिन 5 (Day 5)

पांचवें दिन आप नाश्ते करके बीकानेर(Bikaner) के दर्शनीय स्थल जूनागढ़ किला(Joonagarh fort) और देशनोक मंदिर का भ्रमण करेंगे। बीकानेर के पर्यटन स्थलों को घूमने के बाद आप जयपुर की ओर बढ़ेंगे। जयपुर पहुंचकर होटल में चेक इन करेंगे। आपको रात्रि विश्राम जयपुर में ही करना होगा।

दिन 6 (Day 6)

अगले दिन आप सुबह नाश्ता करेंगे नाश्ता करने के बाद आमेर किला (Amer fort), जल महल (Jal mahal), हवा महल (Hawa mahal), सिटी पैलेस (City palace) और जंतर मंतर (Jantar Mantar) को देखने जाएंगे। शाम मे वापस होटल आकर विश्राम करेंगे।

दिन 7 (Day 7)

अंतिम दिन आप सुबह नाश्ता करके होटल से चेक आउट करेंगे। इसके बाद जयपुर एयरपोर्ट (Jaipur airport) के लिए निकल जाएंगे वहां से अपने फ्लाइट (flight) से शाम में चेन्नई एयरपोर्ट पर लैंड करेंगे। चेन्नई पहुंचकर आपकी यात्रा समाप्त हो जाएगी।

बजट (Budget)

अगर आप 24 नवंबर के टूर के लिए यह पैकेज बुक करवाते हैं तो इस टूर पैकेज का बजट आपके लिए कुछ इस प्रकार का होगा।
सिंगल ऑक्युपेंसी की टिकट के लिए आपको पर पर्सन ₹65,100 वहीं डबल ऑक्युपेंसी के लिए आपको पर पर्सन ₹50,100 का भुगतान करना पड़ेगा। अगर आप ट्रिपल ऑक्युपेंसी का टिकट खरीदते हैं तो आपको पर पर्सन ₹47,000 कीमत अदा करनी होगी। अगर आपके साथ चाइल्ड विद बेड है, जिसकी उम्र 5 से 11 साल तक की है तो उस बच्चे की टिकट की प्राइस ₹40,500 होगी।

अगर आप 30 दिसंबर 2023 के टूर के लिए इनरोल करते हैं तो आपको सिंगल बेड ऑक्युपेंसी के लिए पर पर्सन ₹59,100, डबल बेड ऑक्युपेंसी के लिए पर पर्सन ₹54,100, ट्रिपल बेड ऑक्युपेंसी के लिए पर पर्सन ₹51,000 और चाइल्ड विद बेड के लिए ₹44,500 का भुगतान करना होगा।

इस टूर पैकेज में आपको निम्नलिखित सुविधाएं दी जाएंगी (inclusions

  • इस पैकेज के तहत आपको आगमन के समय चेन्नई से जयपुर और वापसी के समय जयपुर से चेन्नई की हवाई टिकट मिलेगी।
  • आप सभी दर्शनीय स्थलों का भ्रमण एसी वाहन द्वारा करेंगे।
  • इस पैकेज के तहत आप को 6 बार सुबह का नाश्ता तथा रात का खाना मिलेगा।
  • इस पैकेज में आपको दर्शनीय स्थलों पर आपको गाइड की सेवाएं भी मिलेगी।
  • इस पैकेज में आपको आईआरसीटीसी टूर मैनेजर की सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाएगी।
  • इस टूर के दौरान सभी प्रकार के कर लागू होंगे।

इस टूर पैकेज में निम्नलिखित प्रकार की सुविधाएं नहीं मिलेंगी (Exclusions)

  • इस टूर पर आपको दोपहर का भोजन नहीं मिलेगा।
  • इस टूर में उल्लेखित सेवाओं के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार का खर्च आपको खुद ही पे करना होगा।
  • सभी दर्शनीय स्थलों के प्रवेश टिकट आपको खुद ही खरीदने होंगे।
  • किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत खर्च जैसे टेलीफोन चार्ज, मिनरल वाटर, टिप्स और पोर्टेज का भुगतान को खुद ही करना होगा।
  • अगर आप किसी भी प्रकार की अतिरिक्त भोजन सेवाएं लेते हैं तो उसका पैसा आपको खुद ही देना होगा।
  • अगर आप किसी भी प्रकार की अन्य सेवाएं लेते हैं जो इस पैकेज में इंक्लूड नहीं है तो आपको उसका भुगतान खुद ही करना होगा।
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राजस्थान के राजसी ठाठ बाट का जीता जागता उदाहरण है जयपुर

“कुछ शहर खूबसूरत होते हैं और कुछ सुन्दर बनने की चाहत रखते हैं। लेकिन राजस्थान का जयपुर शहर तो शायद सुंदरता के लिए बनाया गया है जिसका नाम जेहन में आते ही मन गुलाबी हो उठता है। चाहे दिन का समय हो या रात का, इस शहर की चमक और बनावट मन से उतरती ही नहीं। चारों और अरावली की पहाडयों से घिरा, चौड़ी और साफ़ सुथरी सड़कों और अपने चमकीले और सैकड़ों साल पुराने बाज़ारों के कारण यह शहर किसी भी पर्यटक के मन को खुश करने में पूरी तरह सक्षम हैं।”

इस शहर में बने बेहतरीन ऐतिहासिक इमारतें (Historical sites in Jaipur) जयपुर के कल्चरल हेरीटेज (Cultural heritage of Jaipur) को खुद में समेटे हुए हैं। शायद इसीलिए तो यूनेस्को ने इस पुरे शहर को ही वर्ल्ड हेरिटेज साइट (word heritage site) के सूची में शामिल कर लिया।

1. आमेर का किला (Amer fort):

कहा जाता है कि इस शहर को वेल्स के राजकुमार (prince of wales) के स्वागत की खुशी में गुलाबी रंग से रंगा गया था और तभी से इसे गुलाबी शहर (pink city) के नाम से जाना जाता है। जयपुर शहर का नाम आते ही यहाँ के बड़े-बड़े और भव्य किले दिलोदिमाग में तैरने लगते हैं। और इन्हीं किलों में निसंदेह सबसे पहले जिस किले की छवि उभरती है वो है खूबसूरत आमेर का किला। राजस्थान के जयपुर शहर को और ज्यादा खूबसूरत बना देने वाला ये आमेर का किला, अम्बर किला के नाम से भी जाना जाता है। ये किला ना केवल जयपुर शहर बल्कि पूरे राजस्थान के शानदार पर्यटन (jaipur tourist attraction) स्थलों में से एक है। आमेर का किला इतना प्रसिद्ध है कि यहाँ पर हर रोज छह हजार से भी अधिक लोग घूमने के लिए आते हैं। यह किला राज्य की राजधानी जयपुर से 11 किलोमीटर की दूरी पर है।

आमेर कैसे पहुंचे? (How to reach Amer):


इस किले तक पहुंचने के लिए जयपुर से बस, ऑटो-रिक्शा, टैक्सी या कैब ली जा सकती है। आप अजमेरी गेट और एमआई रोड से आमेर शहर के लिए रोडवेज या प्राइवेट बसों से भी जा सकते हैं। आमेर का किला एक पहाड़ी पर है, इसलिए किले का दीदार करने के लिए आपको किले के थोड़ी दूर पहले से ही या तो पैदल चलना होगा या फिर आप टैक्सी या जीप से भी किले के मुख्य द्वार तक पहुँच सकते हैं। या फिर आप अपनी पर्सनल गाड़ी से भी यहां जा सकते हैं। किले के मुख्य द्वार के पास थोड़ी सपाट चढ़ाई है, इसलिए अगर आप एक्सपर्ट ड्राइवर हैं तो ही अपनी पर्सनल गाड़ी से किले तक जाने का रिस्क लें। अगर आप सीजन के दौरान यहां जा रहे हैं, तो खुद की गाड़ी से जाने से बचना ही बेहतर होगा, क्योंकि ट्रैफिक जाम आपके लिए सिरदर्द साबित हो सकता है। हालांकि ऐसा सीजनल टाइम में ही ज्यादा होता है।

2. जल महल (Jal mahal) :

जयपुर स्थित जलमहल एक पाँच मंज़िला इमारत है, जिसकी 4 मंज़िल पानी के भीतर बनी हैं और एक पानी के ऊपर नज़र आती है। उस समय के राजा इस महल का उपयोग अपने मनोरंजन के लिए करते थे।

जलमहल का इतिहास (History of Jal mahal) :

पिंक सिटी जयपुर की ‘मानसागर’ झील के बीचों बीच बना ‘जलमहल’ अनोखे सौन्दर्य और अद्भुत स्थापत्यकला का बेजोड़ उदाहरण है। इस महल का निर्माण आज से लगभग 300 साल पहले आमेर के महाराज सवाई मानसिंह ने सन् 1799 में करवाया था। आपको बता दें यह पाँच मंज़िला इमारत और इस झील की सुंदरता उस समय के राजाओं के आकर्षण का केंद्र (centre of attraction) हुआ करती थी और राजा अक्सर नाव में बैठकर इस महल की सैर किया करते थे।

कैसे पहुंचे जलमहल (How to reach Jal mahal?)

झील के बीचोंबीच बना ये जलमहल राजस्थान के जयपुर जिले के आमेर मार्ग पर स्थित है, दिल्ली से लगभग 260 किलो मीटर और अजमेर से 146 किलो मीटर की दूरी पर बना ये महल पर्यटकों के आकर्षण (jaipur tourist attraction) का विशेष केंद्र है।

3. मसला चौक जयपुर (Masala Chauk Jaipur) :

जयपुर शहर सिर्फ अपने राजसी ठाठ-बाट (jaipur traditional culture) के लिए नहीं बल्कि खाने के लिए भी काफी मशहूर है। क्योंकि यहां के प्रसिद्ध व्यंजन(Famous Foods), तरह-तरह की स्टाइल और तरह-तरह की चीजों से बने हुए होते हैं। इस रॉयल सिटी के लोग खाने के बहुत ही शौकीन माने जाते हैं और यह शहर फूड लवर्स (Food Lovers) के लिए खास मायने रखता है। अगर बात खाने से संबंधित हो तो जयपुर की खूबसूरत जगहों में से एक जगह है मसाला चौक! जो कि खाने को लेकर अपनी वैरायटी के लिए और अपनी क्वालिटी के लिए बहुत ही नामी जगह है।
किसी भी शहर में बहुत सारी पसंदीदा चीजों का एक साथ एक जगह पर मिलना बहुत ही मुश्किल हो जाता हैं। लेकिन जयपुर का मसाला चौक एक ऐसी जगह है जहां आपको सभी लोकप्रिय व्यंजन और स्ट्रीट फूड एक ही जगह पर आसानी से उपलब्ध हो जाएंगे।

जयपुर के मसाला चौक की शुरुआत जयपुर के सभी प्रसिद्ध स्ट्रीट फूड को सिर्फ एक जगह पर लाने के उद्देश्य से हुई। यह एक ओपन-एयर फूड कोर्ट (Open air food court) है जिसमें बैठने की अच्छी व्यवस्था है, जिसने इसे उन सभी लोगों के लिए एक टॉप हैंगआउट डेस्टिनेशन बना दिया है जो स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेना पसंद करते हैं।

मसाला चौक तक कैसे पहुंचे? (How to reach masala chauk?)

  • मसाला चौक का पता लगाना बहुत आसान है। यह बहुत प्रसिद्ध स्मारक, अल्बर्ट हॉल म्यूजियम के ठीक पीछे राम निवास बाग में स्थित है।
  • जयपुर के इस मशहूर हैंगआउट का समय सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक है। भीड़ से बचने के लिए मसाला चौक जाने का सबसे अच्छा समय दिन के समय या शाम को होता है।
  • प्रवेश शुल्क(entry fee) : मसाला चौक के लिए प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क के रूप में 10 रुपये लिए जाते हैं।
  • मसाला चौक मेन्यू (masala chauk menu) : यहां कुल 21 स्टॉल है, जो शहर के चारों ओर सबसे अच्छा स्ट्रीट फूड परोसते हैं।

4. जंतर मंतर (jantar mantar) :

राजस्थान की राजधानी जयपुर में सवाई जय सिंह द्वारा बनवाया गया जंतर-मंतर यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज (UNESCO World Heritage Site) सूची में शामिल है। यहाँ पर मौजूद उपकरण और यंत्र बेहद पुराने होने के बावजूद भी आधुनिकता (Modernity) का प्रमाण देते हैं। इन बेहद पुराने उपकरणों से समय को मापा जाता है।

जंतर मंतर में स्थित यहाँ के उपकरण आपको एक पल के लिए बांध देने की क्षमता रखते हैं और जैसे ही आप इनकी बनावट देखोगे, इनकी खूबियां देखते ही रह जाओगे। यहाँ पर बहुत सारे उपकरण हैं जो आपको अलग-अलग ज्यामितीय आकारों (geometrical shapes) के दिखाई देंगे। यही वो उम्दा उपकरण हैं जो जयपुर के जंतर मंतर को दुनिया के बेहतरीन वेधशालाओं में से एक बनाते हैं।

आपने कभी सूर्य तो कभी चंद्र ग्रहण के बारे में अवश्य सुना होगा, इन यंत्रो से भविष्य में आने वाले ऐसे ग्रहण के विषय में पता लगाया जाता है। वैसे भी जयपुर स्थित जंतर-मंतर भारत के सबसे बेहतरीन वेधशालाओं (Research Centre) में से एक है।

“कहते हैं महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने जयपुर की वेधशाला का निर्माण करवाने से पहले विभिन्न देशों में अपने शांति दूत भेजे और वहां से खगोल शास्त्र पर उम्दा दर्जे की पांडुलिपियां मंगवाई, जिनसे उन्होंने खगोल विज्ञान को समझा।

जंतर मंतर की टिकट (Ticket price of jantar mantar) :

जंतर-मंतर जयपुर में भारतीय एडल्ट्स के लिए टिकट की कीमत 50 रुपए है और भारतीय स्टूडेंट के लिए 15 रुपए है। वही दूसरी तरफ विदेशी पर्यटकों के लिए टिकट की कीमत ₹200 और फॉरेन स्टूडेंट के लिए 100 निर्धारित की गई है।

5. हवा महल जयपुर (Jaipur Hawa Mahal) :

यूं तो जयपुर में बहुत से पर्यटन स्थल (historical places) हैं, लेकिन हवा महल की बात हीं कुछ और है। इस महल का इतिहास (history), इसकी वास्तुकला(architecture), और यहां की शांति, पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है। इसके हल्की गुलाबी रंग की बालकनी और जालीदार खिड़कियां आप का मन मोह लेंगे। इन जालीदार खिड़कियों को झरोखा भी कहा जाता है। अगर इसके वास्तुकला की बात की जाए तो, इसमें मुगल और राजपूतानी वास्तुकला का मिश्रण देखने को मिलता है। अगर आप जयपुर आती हैं तो आप यहां खड़े होकर पूरे सिटी का एक बेहतरीन व्यू (best view of jaipur) देख सकती हैं।

हवा महल का इतिहास (history of Jaipur) :

जयपुर के राजसी शान के प्रतीक हवा महल को सन 1799 में सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था। हवा महल के वास्तुकार (architect) का नाम लालचंद उस्ताद था। इसके निर्माण में लाल एवं गुलाबी बलुआ पत्थर (red and pink sand stone) का इस्तेमाल किया गया है।
आपको यह बता दे कि हवा महल में कुल 953 खिड़कियां हैं। जिनके बारे में बताया जाता है कि, इन्हें राजस्थान की पर्दा प्रथा को ध्यान में रखते हुए बनवाया गया था। ताकि राजघराने की महिलाएं महल के नीचे शहर में होने वाली गतिविधियों और राजघराने के समारोहों (functions) को देख सकें।

6. जयगढ़ किला जयपुर (Jaigarh fort Jaipur) :

जयगढ़ का किला जयपुर में पहाड़ियों के बीच स्थित एक बेहतरीन और भव्य ऐतिहासिक इमारत है। जिसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1726 में करवाया था। बताया जाता है कि जयगढ़ के किले को आमेर के किले की सुरक्षा के लिए बनवाया गया था। और यह किला भूमिगत मार्गों से आमेर के किला से जुड़ा हुआ है। इस किला को विजय का किला भी कहा जाता है।

अद्भुत राजसी शान का है प्रतीक (symbol of royal legacy) :

इस किले की शान में चार चांद लगाता है यहां स्थित तोप जयवाना! यह पहाड़ियों पर चलने वाली दुनिया की सबसे बड़ी तोप है। जिसके पहिए बहुत हीं विशाल हैं। यह तो इस किले का मुख्य आकर्षण है। दूर दूर से लोग बस इस तोप को देखने के लिए यहां आते हैं।
इस किले में कई शस्त्रागार भी है।
यह किला लाल बलुआ पत्थर (Red sand stone) से बनवाया गया है और इस किले की वास्तुकला बेहद ही सुंदर और अनोखी है। किले के परिसर में संग्रहालय और उद्यान भी है। इस किले के आसपास दूर-दूर तक हरे भरे जंगल हैं, जोकि इस किले की खूबसूरती को और भी ज्यादा बढ़ा देते हैं।

7. बापू बाजार (Bapu Bazar) :

गुलाबी शहर जयपुर अपनी रॉयल् लुक और अद्भुत महलों, स्मारकों के लिए जाना जाता है। लेकिन, इसी के साथ यहां मिलने वाले ट्रेडिशनल आइटम्स इसे एक बेहतरीन शॉपिंग डेस्टिनेशन बना देते हैं। इस बात में कोई संदेह नहीं कि जयपुर में कई ऐसी बड़ी-बड़ी मार्केट हैं जहां आपको बहुत सारी अलग-अलग वेरायटीज की चीजें बहुत ही उचित दामों पर मिल जायेंगी।

जयपुर शहर के केंद्र में, सांगानेर गेट और गुलाबी शहर के नए गेट के बीच, बापू बाजार जूते से लेकर हैंडीक्राफ्ट्स (Handi crafts) तक, आर्टिफीसियल जूलरी (Artificial jewelry) से लेकर पीतल के काम और कीमती पत्थरों तक की खरीदारी के लिए एक बेहतरीन डेस्टिनेशन है, जहां आपको अपनी मनपसंद का हर एक सामान आसानी से मिल जाएगा।
बापू बाजार यहां मिलने वाली फेमस राजस्थानी आइटम्स (Rajsthani items) जैसे कलाकृतियों, हैंडीक्राफ्ट, परम्परागत कपड़े (Traditional dresses)और आर्टिफिशियल जूलरी के लिए देश भर में प्रसिद्ध है।
राजस्थान जिस चीज के लिए प्रसिद्ध है वह है इसकी जीवंतता और भव्यता। और अगर आप इसकी राजधानी जयपुर में घूमने के लिए आते हो तो आप बापू बाजार में शॉपिंग (shopping) करके अपनी ट्रिप को यादगार बना सकते हो।

जयपुर कैसे जाएं? (How to visit Jaipur) :

जयपुर जाने के लिए आप डायरेक्ट जयपुर एयरपोर्ट (Airport) का टिकट (tickets) ले सकते हैं। अगर आप सड़क या रेल मार्ग से जयपुर आना चाहते हैं तो इसके लिए भी साधन मौजूद हैं। जयपुर हर मार्ग से देश के अन्य शहरों से भलीभांति जुड़ा हुआ है। आप आसानी से ट्रेन या बस से भी जयपुर आ सकते हैं। आप चाहे तो अपनी गाड़ी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

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ये हैं देश के सबसे खूबसूरत और बड़े रेलवे स्टेशन

वैसे तो भारत अपनी सांस्कृतिक विविधता, शानदार विरासत और पर्यटन के लिए दुनिया भर में काफी मशहूर है। लेकिन यहाँ की ऐतिहासिक इमारतें और उनकी वास्तुकला भी अपने आप में अलग अहमियत रखती है। भारत में बहुत सी ऐसी इमारतें हैं जिनकी बनावट और वास्तुकला काफी नायाब और अनोखी है। आज हम आपको बताएंगे ऐसे ही कुछ रेलवे स्टेशंस के बारे में जिनकी बनावट और वास्तुकला बेहद खास है।

  1. लखनऊ चारबाग रेलवे स्टेशन(Lucknow Railway Station)

देश के सबसे सुंदर रेलवे स्टेशनों(beautiful Railway stations) के लिस्ट में सबसे ऊपर लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन का नाम आता है।यह ब्रिटिश काल की एक भव्य रचना है जो कि अंदर और बाहर दोनों से ही काफी आश्चर्यजनक और लुभावनी है। रेलवे स्टेशन को ऊपर से देखने पर इसकी आकृति चेसबोर्ड जैसी दिखती है जो कि काफी आकर्षक होती है साथ ही स्टेशन बनाए गए खंबे और गुंबद चेस की गोटी जैसी दिखती है। अगर हम इमारत को ध्यान से देखें तो वहां हमें इमारत की वास्तुकला में मुगल, राजपूत और अवधी संस्कृति की झलक भी मिलती है। ‌


2.कानपुर रेलवे स्टेशन (Kanpur Railway Station)

यह स्टेशन ना केवल भारत में सबसे बड़ा(Largest Railway station) है बल्कि सबसे ज्यादा व्यस्त भी है। भारत के चार प्रमुख केंद्र रेलवे स्टेशनों में से एक है। कानपुर रेलवे स्टेशन को लखनऊ के चारबाग स्टेशन के तर्ज पर ही बनाया गया है।


3.हावड़ा रेलवे स्टेशन (Howrah Railway Station)

हावड़ा रेलवे स्टेशन भारत का सबसे पुराना स्टेशन है। जिसे 1854 में बनाया गया था। इसके 23 प्लेटफार्म, हर दिन 10 लाख लोगों को सेवा प्रदान करते हैं। हुगली नदी के तट पर स्थित होने की वजह से यह स्टेशन काफी अमेजिंग लगता है।

4. जैसलमेर रेलवे स्टेशन(Jaisalmer Railway Station)

जैसा कि नाम में ही रॉयल की झलक रही है, यह स्टेशन भी काफी रॉयल है रेगिस्तान के मध्य स्थित यह भूरे रंग की इमारत है। यह स्टेशन पश्चिम रेलवे चित्र का एक हिस्सा है जोधपुर और जैसलमेर के बीच एक लिंक बनाता है।

5. कटक रेलवे स्टेशन (Cuttack Railway Station)
इस स्टेशन की खासियत यह है कि इस एक माह का विश्लेषण के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि 1896 में टैरिफ के लिए इसे खोला गया। इसका डिजाइन बाराबती किले के वास्तुकार से प्रभावित है, जो कि कलिंग क्षेत्र में सीरवी शताब्दी में निर्मित एक अद्भुत वास्तुशिल्प कृति है। कटक का आर्किटेक्चर काफी अनोखा है और लुभावना भी।(Architectural wonders of Indian Railways)

6. छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (Chhatarpati Shivaji Terminus)
1888 में निर्मित यह रेलवे स्टेशन, आर्थिक राजधानी मुंबई में स्थित है। स्टेशन को इसकी पुराने नाम विक्टोरिया टर्मिनस के नाम से भी जाना जाता है जो कि ब्रिटेन की रानी के नाम पर रखा गया था। बाहर से देखने रेलवे स्टेशन फाइव स्टार की तरह ही नायाब दिखता है।(Iconic Railway Station)

7. चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन (Chennai Railway Station)
चेन्नई सेंट्रल या मद्रास सेंट्रल, जिसका नाम सबसे पुराने स्टेशनों में गिना जाता है। इस स्टेशन को दक्षिण के प्रवेश द्वार के रूप में भी जाना जाता है। स्टेशन की ऊंची लाल बिल्डिंग आंखों को बहुत ज्यादा अट्रैक्ट करती है।

8. विजयवाड़ा रेलवे स्टेशन (Vijaywada Railway Station)
आंध्र प्रदेश में स्थित यह स्टेशन बेहद खूबसूरत(Stunning Railway Station) है। इसकी सफेद इमारत इसे और भी ज्यादा सुंदर बनाती है।

These Places are Best for Solo trip for Women

  • सोलो ट्रिप का मतलब होता है कुछ दिन के लिए अपने काम से दूर और अपनों से दूर होकर खुद के साथ समय बिताना और अगर सोलो ट्रिप किसी महिला का हो तो यह और भी ज्यादा स्पेशल हो जाता है। क्योंकि यह उन्हें आजादी का एहसास दिलाता है कि वह भी अकेले कहीं जा सकती हैं और बेफिक्र होकर घूम सकती हैं। यहीं असल खुशी (happiness) है। अब अगर महिलाओं को कहीं जाने की इच्छा होती है तो, उन्हें किसी से पूछने की और किसी को साथ ले जाने की जरूरत नहीं होती। वह खुद ही अपना ट्रिप प्लान भी करती हैं और कहीं घूमने भी जाती हैं। अगर आप भी ऐसे ही अकेले कहीं घूमने का प्लानिंग कर रही हैं तो आइए हम आपको इस ब्लॉग में बताते हैं आपके लिए उन सबसे बेस्ट जगहों के बारे में, जहां आप जाकर ना सिर्फ अपनी आजादी (independence) को महसूस कर सकती हैं, बल्कि साथ ही साथ आपको सामान्य तौर पर किसी भी तरह का खतरा भी नहीं होगा।
  1. GOA :

महिलाओं के लिए फ्रीडम महसूस करने के लिए सबसे बेस्ट जगह है, गोवा। जब आप गोवा के किसी बीच पर खड़े होकर दूर फैले समुंदर को देखेंगे और अपने चेहरे पर आ रही हवा की झोंकों को महसूस करेंगी तो आपको अपने आप ही हर बंधन से आजादी महसूस होगी। हर तरह के तनाव और थकान पल भर में गायब हो जाएंगे।  गोवा है ही ऐसी जगह, जहां आकर समुद्र की लहरों के साथ खुद को महसूस किया जा सकता है। महिलाओं के सोलो ट्रिप के लिए तो यह जगह सबसे बेस्ट है। ऐसा मैं नहीं कह रही, यह तो पिछले कुछ सालों के रिकॉर्ड कह रहे हैं। पिछले कई सालों में महिलाओं का गोवा की ओर रुझान काफी बढ़ा है।

आइए जानते हैं गोवा की कुछ मशहूर घूमने लायक जगहों के बारे में (places to visit in Goa) :-

कलंगुट बीच :- अगर गोवा के बीचों के बारे में बात की जाए तो सबसे पहले आता है – कलंगुट बीच। जिसे समुद्रों की रानी के नाम से भी जाना जाता है। यह गोवा के सबसे खूबसूरत बीचों में से एक है। लेकिन यह ध्यान देने वाली बात यह होती है कि यहां समुद्र की लहरें बहुत ही तेज होती हैं। गोवा का यह कलंगुट बीच लगभग 4 मील तक फैला हुआ है।

बागा बीच :- कलंगुट बीच के बगल में बागा बीच जहां कलंगुट बीच की सीमा खत्म होती है, वहां से बागा बीच की सीमा शुरू होती है। बागा बीच पर आप सुबह से शाम तक इंजॉय कर सकती हैं। यहां जैसे ही सनसेट होता है, चारों ओर पार्टी का माहौल बन जाता है। अगर आपको बीच पार्टी पसंद है तो आपके लिए सबसे बेस्ट डेस्टिनेशन हो सकता है।

बागा बीच और कलंगुट बीच के अलावा गोवा में बटरफ्लाई बीच और पालोलम बीच भी है। यह भी पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। बीजों के अलावा इस शहर में दूधसागर वॉटरफॉल, बॉम जीसस बेसिलिका, चोराव द्वीप, अगवाड़ा किला, सैटरडे नाइट मार्केट, मंगेशी मंदिर, नेवेल एवियशन म्यूजियम,  टीटू नाइटक्लब, मार्टिन कॉर्नर आदि भी हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

गोवा कैसे जाएं? (How to visit Goa) :-

गोवा आने के लिए आप गोवा एयरपोर्ट का रुख कर सकते हैं। या फिर आप सड़क मार्ग से भी गोवा आसानी से जा सकते हैं।  अगर बात किया जाए दिल्ली से गोवा के फ्लाइट के खर्च की तो आपको कम से कम करीब 5000 तक का खर्च आएगा। आप ट्रेन से भी गोवा जा सकती हैं। इसके अलावा सड़क मार्ग से भी गोवा जाया जा सकता है।

  1. Shimla :

अपने आप को नेचुरल रिट्रीट(natural retreat) देने का सबसे बेहतरीन तरीका है पहाड़ों की सैर पर निकल जाना। अब पहाड़ों की बात हो और शिमला का नाम ना आए ऐसा हो नहीं सकता। शोर-शराबे से दूर और प्रकृति के नजदीक स्थित इस शहर की ओर लोगों का काफी रुझान होता है। चारों ओर दिखने वाली बर्फ से ढकी सफेद पहाड़ियां और हरे-भरे देवदार के पेड़ किसी का भी मन मोह लेने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।

शिमला में घूमने के बेहतरीन जगह
(best places to visit Shimla) :

यह जगह सिर्फ सीनरी(scenery) के लिए नहीं बल्कि शॉपिंग के लिए भी प्रसिद्ध है। शिमला स्थित माल रोड शॉपिंग के लिए एक बेहतरीन जगह है। यहां आपको खान-पान से लेकर पुरानी एंटिक चीजों तक का एक बड़ा कलेक्शन देखने को मिल जाएगा। यहां शिमला के पारंपरिक परिधान भी खरीद सकते हैं।
शिमला में एक और फेमस जगह है वह जाखू हिल्स। इस जगह पर हनुमान जी का एक बड़ा मंदिर है। साथ हीं एक बहुत बड़ी मूर्ति भी है, जो काफी दूर से हीं दिख जाती है। इस मंदिर की खासियत है यहां आपको सैकड़ों दर्जनों लंगूर और बंदर खेलते हुए मिल जाएंगे। चारों ओर हरियाली से घिरा यह मंदिर उन लंगूरों और बंदरों के लिए घर की तरह है।

शिमला कैसे आए? (How to reach shimla?) :

शिमला की दिल्ली से दूरी लगभग 340 किलोमीटर है और यहां आप बाय रोड, ट्रेन और फ्लाइट तीनों ही रास्तों से जा सकते हैं। अगर आप टैक्सी(taxi) से शिमला जाना चाहते हैं तो आपको ₹5500 से ₹6000 तक का खर्च आता है। वहीं अगर आप ट्रेन से शिमला जाते हैं तो ₹700 से ₹800 में आपको टिकट मिल जाएगी। अगर आप फ्लाइट से शिमला जाते हैं तो इकोनामी क्लास के फ्लाइट की टिकट्स ₹2900 से शुरू हो जाते हैं।

  1. Mussoorie

खूबसूरत पहाड़ियों के बीच से अगर आप सनराइज सनसेट देखना चाहती हैं तो, इसके लिए मसूरी के गन हिल पॉइंट (gun hill point) और लाल टिब्बा पॉइंट(lal tibba point) से बेहतर कोई जगह नहीं हो सकता। लाल टिब्बा पॉइंट पर अपनों के साथ बैठकर सन सेट को देखना, अपने आप में ही एक अविस्मरणीय दृश्य होता है। वैसे तो यह जगह कपल्स के लिए बेस्ट माना जाता है लेकिन यहां सोलो ट्रिप के लिए भी जाया जा सकता है। मसूरी पहाड़ों झरनों और हरियाली के प्राकृतिक सौंदर्य का एक अद्भुत संगम है।

मसूरी में घूमने की जगह (Best places to visit in Mussoorie) :

अगर आपको वॉटरफॉल (water fall) में ज्यादा इंटरेस्ट है तो, आप यहां के केंपटी फॉल्स(campty falls) का रुख कर सकते हैं। इस शहर में पहाड़ों के बीच एक ज्वाला जी मंदिर भी है, जो अक्सर पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है।

मसूरी में आप कई तरह के एडवेंचरस एक्टिविटीज कर सकते हैं। जिनमें कुछ एडवेंचरस एक्टिविटीज की डिटेल नीचे दी गई है।
स्काईवॉक : यहां आप 120 फुट की ऊंचाई पर स्काईवॉक कर सकते हैं। जिसका खर्च आपको ₹300 पर पर्सन के हिसाब से आएगा। मसूरी में स्काईवॉक करने का समय सुबह 9:00 से श्याम 6:00 तक का होता है।
रिवर राफ्टिंग : यहां आफ रिवर राफ्टिंग का भी लुफ्त उठा सकते हैं, जो बारकोट से लखामंडल तक का एक ट्रिप होता है। यहां रिवर राफ्टिंग का टाइमिंग सुबह 10:00 से दोपहर 3:00  तक का होता है और इसका प्राइस आपके द्वारा तय की गई दूरी पर डिपेंड करता है।

रैपलिंग : मसूरी पहाड़ों का शहर है इसलिए आप यहां रैपलिंग भी कर सकते हैं।  जिसका प्राइस आपको ₹1000 तक का आएगा। रैपलिंग करने का समय सुबह 8:00 से दोपहर 2:00 बजे तक का होता है।

रैपलिंग के अलावा आप यहां रॉक क्लाइंबिंग कैंपिंग ट्रैकिंग आदि भी कर सकते हैं। अगर आप मसूरी को अच्छे से घूमना चाहते हैं तो, आप को कम से कम 3 दिन का समय निकालकर यहां आना होगा।

मसूरी कैसे आए ? (How to reach mussoorie?) :

दिल्ली से मसूरी तक की दूरी तकरीबन 274 किलोमीटर है। मसूरी से सबसे नजदीक एयरपोर्ट भुंटर एयरपोर्ट है। न्यू दिल्ली से भुंटर एयरपोर्ट जाने के लिए आपको ₹3500 से फ्लाइट टिकट मिलने स्टार्ट हो जाते हैं। आप वाया रोड और वाया ट्रेन में मसूरी जा सकते हैं। ट्रेन के लिए आपको ₹250 से ₹1500 तक का खर्च आएगा। वहीं बाय रोड टैक्सी से जाने के लिए आपको 4000 से 5000 तक का खर्च आ सकता है।

  1. जैसलमेर (jaisalmer) :

अगर आपको सोने जैसा रेत (Golden sand) वाला रेगिस्तान (desert), शानदार किले, पुरानी हवेलियां और राजसी ठाट बाट की झलक देखनी हो तो राजस्थान के जैसलमेर से बेहतरीन कोई दूसरा जगह नहीं हो सकता है। जैसलमेर किलों से तो भरा हुआ है हीं, यहां के बाजार में बेहतरीन राजस्थानी ज्वेलरी और राजस्थानी ब्लॉक प्रिंट (Block printing) के कपड़े भी मिल जाते हैं, जो शॉपिंग को पसंद करने वाली महिलाओं का ध्यान अपनी और आकर्षित करते हैं। आज के समय में महिलाओं के लिए जैसलमेर काफी पसंदीदा जगह बनता जा रहा है। अगर आप भी भारतीय संस्कृति को करीब से देखना चाहती हैं तो जैसलमेर आपके लिए एक अच्छा डेस्टिनेशन ऑप्शन हो सकता है।

जैसलमेर में घूमने लायक जगह :

गोल्डन फोर्ट (Golden Fort) :

यह किला दिन के समय में सूरज की रोशनी में बहुत ज्यादा चमकता है। इसलिए इसे सोनार किला के नाम से भी जाना जाता है। यह किला काफी बड़ा है और देखने में बहुत खूबसूरत है। इसे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ रेगिस्तानी किलों में से एक माना जाता है। सुबह के समय जब सूरज की पहली किरण इस पर पड़ती है तो यह किला सुनहरे रंग में चमक उठता है। इस किले को पीले रेत के पत्थरों (yellow sandstone) से जोड़कर बनाया गया है और इस किले को राजा रावल जैसल ने बनवाया था।

पटवों की हवेली :

अगर जैसलमेर के सबसे खूबसूरत नक्काशी दार हवेली की बात की जाए तो पटवों की हवेली का नाम सबसे पहले लिया जाता है। इस हवेली को गुमान चंद पटवा ने बनवाया था। इस को बनाने में 50 साल का समय लगा था। दरअसल यह घर 5 हवेलियों का समूह है। जिसे गुमान चंद ने अपने पांच बेटों के लिए बनवाया था।  लेकिन इस हवेली तक पहुंचने के लिए आपको संकरी गली से गुजरना होगा। यह हवेली शहर के मुख्य रोड (Main road) पर स्थित नहीं है।

बड़ी झील :

राजस्थान में झील या यूं कहें कि रेगिस्तान में झील,,,,, सुनकर थोड़ा अटपटा लगा ना? लेकिन यह सच है! राजस्थान के जैसलमेर में झील भी है। यह झील जैसलमेर के किले से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसे गड़ी सागर झील भी कहा जाता है। इसे लेक गार्सीयर के नाम से भी जाना जाता है। यह झील सैलानियों के बीच काफी प्रसिद्ध है। इस झील तक जाने के लिए एक शाही विशाल द्वार से रास्ता जाता है। जो फोटोग्राफी (photography) का मुख्य केंद्र बनता है।

बड़ा बाग स्मारक

जैसलमेर से लगभग 6 कि. मी. दूर चलने पर हम बड़ा बाग़ पहुंचे। दरअसल बड़ा बाग़ एक खूबसूरत पार्क है जो भाटी राजाओं की याद में बनाया गया है। यहाँ जैसलमेर के राजाओं की कब्रें मौजूद हैं, वो छतरियों की शेप में बनाई गयी हैं। छतरियों की अद्भुत कलाकृति एक बार तो आपको अचंभित कर सकती है। 

इसके अलावा इस शहर में कुलधारा हांटेड विलेज (haunted village) भी है। जिस गांव के उजड़ने के पीछे कई तरह की भूतिया कहानी बताई जाती हैं। अगर आप हांटेड प्लेस जाने में रुचि रखते हैं तो, आप यहां का रूख कर सकते हैं।

यहां घूमने जाने का सबसे बेस्ट समय :

वैसे तो साल भर यहां पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। लेकिन फिर भी अक्टूबर से मार्च का महीना यहां आने के लिए सबसे अच्छा रहता है। क्योंकि देखा जाए तो राजस्थान में साल भर गर्मी ही रहती है।
जब आप कहीं भी घूमने जाए तो किस दिन कहां जाएं? क्या दिख रहा है? सब का शेड्यूल पहले ही बना लें। इसका फायदा यह होता है कि आप बिना किसी फालतू के आपाधापी के आराम से घूम पाएंगी।  जैसलमेर घूमने के लिए आपको कम से कम 3 दिनों के ट्रिप का शेड्यूल बनाना होगा।

जैसलमेर कैसे जाएं
(How to visit Jaisalmer) :

अगर आप जैसलमेर हवाई रास्ते से जाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको जोधपुर हवाई अड्डा तक का टिकट बुक करना होगा। अगर आप ट्रेन या बस के माध्यम से जैसलमेर जाना चाहते हैं तो जैसलमेर रेलवे स्टेशन भारत के अन्य राज्यों से अच्छी तरीके से जुड़ा हुआ है। बस की सुविधा के लिए आपको परेशानी आ सकती है। लेकिन आप अपनी गाड़ी से भी जैसलमेर आ सकती हैं।

  1. जयपुर (Jaipur) :

जयपुर का नाम सुनते ही सबसे पहला ख्याल आता है गुलाबी शहर (pink city) पिछले कई वर्षों से जयपुर महिला सैलानियों (women visitors) के लिए एक पसंदीदा जलन की तरह उभरा है जहां ना सिर्फ भारत के दूसरे कोनों से बल्कि पूरी दुनिया से लोग घूमने आते हैं। जयपुर का नाम आते ही मन गुलाबी हो उठता है। चाहे दिन का समय हो या रात का, इस नगर का प्रकाश और मन स्थिर नहीं है। चारों और अरावली के पहाड़ों से घिरे, चौड़े और स्पष्ट सुथरी घूमते और अपने संकेत और सैकड़ों साल पुराने बाज़ारों के कारण यह शहर किसी भी पर्यटक के मन को खुश करने में पूरी तरह सक्षम है।

जयपुर में घूमने के बेहतरीन जगह (best places to visit in Jaipur) :

जल महल जयपुर (Jaipur jal Mahal) :

पिंक सिटी जयपुर की ‘मानसागर’ झील के बीचों बीच बना ‘जलमहल’ अद्वितीय सौन्दर्य और अद्भुत स्थापत्यकला का बेजोड़ उदाहरण है। इस महल का निर्माण आज से लगभग 300 साल पहले आमेर के महाराज सवाई मानसिंह ने सन् 1799 में किया था। 
सैर सपाटे और घूमने के साथ-साथ यह क्षेत्र अब लोगों के लिए आय का साधन भी बन गया है। यहां पर आपको राजस्थानी मोजड़ी, राजस्थानी जूती, हैंड बैग, होम डेकोरेटिव आइटम्स, ज्वैलरी और अलग-अलग क्लॉथ्स, मैग्नेटोनेट और कई डेली यूज के सामान मिलते हैं, इसी के साथ आपको यहां खाने-पीने के कई सारे आइटम भी मिलेंगे।

मसाला चौक (Masala chauk) :

भोजन-पीने के मामले में देखें तो पिंक सिटी जयपुर वास्तव में एक ऐसा शहर है जो कि बहुत प्रसिद्ध (famous) है यहां के बेहद लजीज ब्रेक के कारण, यहां के प्रसिद्ध व्यंजन, तरह-तरह की शैली और तरह-तरह की चीजों से बने हुए हैं। इस रॉयल सिटी (Royal city) के लोग खाने के बहुत ही शौकीन माने जाते हैं और यह सिटी फूड लवर्स (food lovers) के लिए विशेष मायने रखता है। अगर बात खाने से जुड़ी हो तो जयपुर की खूबसूरत जगहों में से एक जगह है मसाला चौक जो कि खाने को लेकर अपनी वैरायटी (variety) के लिए और अपनी खूबियों के लिए बहुत ही मशहूर है।

हवा महल जयपुर (Jaipur Hawa Mahal) :

यूं तो जयपुर में बहुत से पर्यटन स्थल (historical places) हैं, लेकिन हवा महल की बात हीं कुछ और है। इस महल का इतिहास, इसकी वास्तुकला, और यहां की शांति पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है। इसके हल्की गुलाबी रंग की बालकनी और जालीदार खिड़कियां आप का मन मोह लेंगे। अगर इसके वास्तुकला की बात की जाए तो, इसमें मुगल और राजपूतानी वास्तुकला का मिश्रण देखने को मिलता है। अगर आप जयपुर आती हैं तो आप यहां खड़े होकर पूरे सिटी का एक बेहतरीन व्यू (view) देख सकती हैं।

जयपुर कैसे जाएं? (How to visit Jaipur) :


जयपुर जाने के लिए आप डायरेक्ट जयपुर एयरपोर्ट (Airport) का टिकट (tickets) ले सकते हैं। अगर आप सड़क या रेल मार्ग से जयपुर आना चाहते हैं तो इसके लिए भी साधन मौजूद हैं। जयपुर हर मार्ग से देश के अन्य शहरों से भलीभांति जुड़ा हुआ है। आप आसानी से ट्रेन या बस से भी जयपुर आ सकते हैं।

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5 Best Tourist Places to Visit in Jodhpur | Rajasthan | 2023

फाइव कलर्स ऑफ़ ट्रेवल के इस ब्लॉग में हम आपको रूबरू करवाएंगे भारत की समृद्ध विरासत के प्रतीक और राजस्थान की  शान  “जोधपुर” से।

‘ब्लू सिटी’ के नाम से लोकप्रिय जोधपुर राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यहाँ अधिकांश महलों, मंदिरों, हवेली और यहां तक कि घरों को भी नीले रंग से रंगा गया है। साल भर सूर्य यहाँ अपनी विशेष दमक दिखाता है इसलिए जोधपुर को ’सूर्य नगरी’के नाम से भी जाना जाता है। जोधपुर में मुख्यतः मेहरानगढ़ फोर्ट, उम्मेद पैलेस, मंडोर गार्डन, जसवंत थड़ा, कायलाना झील और घंटाघर सरदार बाजार है जिसके लिए अगर आप ट्रिप प्लान करके चलें तो दो से तीन दिन पर्याप्त हैं। आज अपने इस व्लॉग में हम जोधपुर के खूबसूरत टूरिस्ट प्लेसेस के बारे में बताएंगे।

मेहरानगढ़ का किला

और इस फ़ेहरिस्त में सबसे पहले आता है- भारत के सबसे पुराने और विशाल किलों में से एक मेहरानगढ़ का किला जिससे भारत के समृद्धशाली अतीत की अनोखी झलक मिलती है। क्योंकि मेहरानगढ़ का यह किला देश के सबसे बड़े किलों में से एक है और बेहद ऊंचाई पर भी स्थित है  इसलिए आपको यह जोधपुर शहर के किसी भी हिस्से से दिखाई देगा।

आपको जानकर थोड़ी हैरानी होगी कि मेहरानगढ़ का किला आज भी जोधपुर की रॉयल फेमिली के संरक्षण में है। जोधपुर का शाही परिवार ही किले का रख रखाव कर रहा है।  शायद यही कारण है कि यहाँ की एंट्री टिकट भारतीय टूरिस्ट के लिए भी 200 रुपए की है। देश के बाकी किलों की तुलना में यह थोड़ा ज्यादा लगता है। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि किले को देखने के बाद यह पूरा पैसा वसूल लगता है। क्योंकि यह किला काफी बड़ा है और संरचनात्मक तौर पर शानदार भी, इसलिए इसको अच्छे से विजिट करने के लिए चार से पांच घंटे अवश्य रिज़र्व रखें

Best Places to Visit in Jodhpur, Five Colors of travel

यह ऐतिहासिक किला भारत में सर्वाधिक लोकप्रिय किलों में से एक हैं। यह किला करीब 125 मीटर की ऊंचाई पर बना है। 15वीं शताब्दी में इस किले की नींव राव जोधा ने रखी थी, जो रणमल के चौबीस पुत्रों में से एक पन्द्रहवां  राठौर राजा था।

मेहरानगढ़ का यह किला भारत की समृद्धि व महानता का प्रतीक माना जाता है और प्राचीन समय मे की गई कारीगरी और खूबसूरत नक्काशी का बेजोड़ नमूना है। देश की अन्य बेहद प्रसिद्ध इमारतों की तरह  मेहरानगढ़ किले का निर्माण भी सुंदर बलुआ पत्थरों से किया गया है। यह किला धरातल से लगभग 400 फिट की ऊंचाई पर है। मेहरानगढ़ किले के भीतर कई भव्य महल अद्भुत नक्काशी वाले दरवाजे अनेकों जालीदार खिड़कियां देखने लायक है।

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जब आप इस किले की इमारतों की बनावट देखेंगे तो देखते ही रह जाएंगे। महाराजा अजीत सिंह के शासन के समय इस किले की कई इमारतों का निर्माण मुगल डिजाइन में किया गया है।

इस किले में पर्यटकों को आकर्षित कर देने वाले सात विशाल दरवाज़ों के अलावा मोती महल (पर्ल पैलेस), फूल महल (फूल महल), दौलत खाना, शीश महल (दर्पण पैलेस) जैसे कई शानदार शैली में बने कमरें हैं। शीश महल बेहद आकर्षक ढंग से बनाया गया है जो अपनी दर्पण के टुकड़ों पर जटिल डिजाइन की कारीगरी की वजह से जन्नत का टुकड़ा लगता है।

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मेहरानगढ़ फोर्ट भारत के सबसे पुराने किलों में से एक है, जो भारत के मजबूत और गौरवशाली इतिहास को खुद में समेटे है. मेहरानगढ़ किले का म्यूजियम राजस्थान के बेहतरीन और फेमस म्यूजियम में से एक है., जिसमें राजा-महाराजाओं की पोशाकें और उनके हथियार रखे गए हैं. साथ ही, उनके रहन-सहन, दैनिक जीवन और संस्कृति से जुड़ी चीजें आज भी यहां मौजूद हैं।

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यह पढ़ना न भूलें : Jaisalmer: जैसलमेर – रेगिस्तान, शानदार किलों, पुरानी हवेलियों और राजसी ठाठ-बाट का शहर

जसवंत थड़ा

आप अगर जोधपुर विजिट करने निकले हैं तो जसवंत थड़ा देखना बिलकुल न भूलें। मेहरानगढ़ फोर्ट के बिलकुल पास में स्थित जसवंत थड़ा जोधपुर राजपरिवार का मेमोरियल है। 

जसवंत थड़ा  जोधपुर शहर से लगभग 10  किमी. की दूरी पर स्थित है, जो सफेद संगमरमर से बना हुआ है, जिसे “मारवाड़ का ताजमहल” भी कहते है। जसवंत थड़ा की संरचना तो ताजमहल जैसी नहीं दिखती है, लेकिन सफेद संगमरमर से बना जसवंत थड़ा ताजमहल जैसा ही लगता है। दोस्तों आपको बता दें कि जोधपुर में स्थित जसवंत थड़ा को देखने के लिए हर साल लाखों पर्यटक देश और विदेश से आते हैं। अगर आप भी जोधपुर शहर में जा रहे हैं, तो जसवंत थड़ा को विजिट जरूर करें।जसवंत थड़ा में जाने के लिए भारतीय पर्यटकों के लिए एंट्री टिकट  30 रुपए  है और विदेशी पर्यटकों का एंट्री टिकट  50 रुपए है।

उम्मेद भवन पैलेस

मेहरानगढ़ फोर्ट के बाद जोधपुर की दूसरी सबसे खूबसूरत जगह है उम्मेद भवन पैलेस।

Best Places to Visit in Jodhpur

यह महल अपने इतिहास और बेहतरीन संरचना के लिए पूरे विश्व भर में विख्यात है। उम्मेद भवन पैलेस का निर्माण उस समय के महाराजा उम्‍मैद सिंह ने वर्ष 1929 से शुरू करवाया और यह महल साल 1943 में बनकर पूरा हुआ था। कहा जाता है कि यह महल दुनिया के सबसे बड़े निजी महलों में से एक है। कहा जाता है कि इस महल को बनाने में लगभग तीस हज़ार से भी अधिक लोगों ने दिनरात मेहनत करके इसका निर्माण किया है। एक अनुमान के तहत इस भवन के निर्माण में लगभग 11 मिलियन रूपये की लगत लगी थी। आज यह महल जोधपुर के सबसे बड़े आकर्षक पर्यटन स्थलों में से भी एक है। कहा जाता है कि इस भवन का निर्माण कराने के पीछे कई वजह थी। लेकिन, कई लोगों का मानना है इस पैलेस के निर्माण कराने के पीछे मुख्य उद्देश्य लोगों का भला करने के लिए था। कहा जाता है कि उस समय राज्य को कई महीनों तक सूखे का सामना करना पड़ा था, जिस वजह से राज्य के किसान और मजदुर काफी परेशान थे। इस परेशानी को देखते हुए महाराजा ने बेरोजगारी और भुखमरी में बचने के लिए इस महल का निर्माण करवाया, ताकि प्रजा को रोजगार मिल सके और भोजन भी। कहा जाता कि उम्मेद भवन पैलेस मौजूदा समय में तीन हिस्सों में विभाजित है। पहला-रॉयल निवास, दूसरा-उम्मेद भवन पैलेस म्यूजियम और तीसरा-उम्मेद भवन पैलेस होटल। रॉयल निवास को शाही परिवार का घर माना जाता है। आज भी रॉयल परिवार के सदस्य इस महल में रहते हैं। म्यूजियम में आपको शाही घराने की तमाम दुर्लभ चीजे देखने को मिल जाएँगी।

घूमने के लिए इस महल में भारतीय पर्यटकों के लिए 30 रूपये, बच्चों के लिए 10 रुपये और विदेशी सैलानी के लिए 100 रूपये टिकट की कीमत हैं। यहां आप सुबह नौ बजे से लेकर शाम के पांच बजे के बीच कभी भी घूमने के लिए जा सकते हैं।

मण्डोर गार्डन

जोधपुर में एक और बेहतरीन जगह है मण्डोर गार्डन।

इस स्थान का प्राचीन नाम माण्डवपुर था। यह पुराने समय में मारवाड़ राज्य की राजधानी हुआ करता था। पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण का ससुराल हुआ करता था। यहाँ सदियों से होली के दूसरे दिन रावण का मेला लगता है। मारवाड़ की प्राचीन राजधानी मण्डोर जोधपुर के उत्तर में स्थित है। यहां जोधपुर के  शासकों के स्मारक एवं छतरियां हैं। राजस्थान स्थापत्य कला से बनी परम्परागत छतरियों की अपेक्षा ये हिन्दू मंदिरों की संरचना पर आधारित है। यहाँ पर्यटकों के लिए एंट्री बिलकुल फ्री है।  लेकिन यहाँ पर बने म्यूजियम में जाने के लिए आपको 25 रुपए का टिकट लेना पड़ेगा।

कायलाना झील

अगर आप पहाड़ियों के बीच खूबसूरत झील में बोटिंग का आनंद लेना चाहते हैं तो जोधपुर की कायलाना झील एक बेहतरीन विकल्प है।

Best Places to Visit in Jodhpur

जैसलमेर रोड पर यह कायलाना झील, एक सुंदर पिकनिक स्पॉट है।

माछिया सफारी

जैसलमेर मार्ग पर कायलाना झील से लगभग 1 किलोमीटर दूर माछिया सफारी उद्यान स्थित है। यह एक पक्षीविहार है। यहां हिरण, रेगिस्तान की लोमड़ियां, विशाल छिपकली, नीलगाय, ख़रगोश, जंगली बिल्लियां, लंगूर, बंदरों जैसे कई पशु पाये जाते हैं। यह बायोडायवर्सिटी पार्क सूर्यास्त के खूबसूरत दृश्य के लिए भी फेमस है।

यह पढ़ना न भूलें : अलवर फोर्ट सफारी – दिल्ली के नजदीक लीजिये जंगल सफ़ारी का मजा

घंटाघर बाजार

जोधपुर शहर के बीचोबीच स्थित ऐतिहासिक घंटाघर बाजार यहाँ आने वाले टूरिस्ट्स को अपनी और जरूर आकर्षित करता है।

जोधपुर शहर के बीच में स्थित घंटाघर का निर्माण जोधपुर के महाराजा श्री सरदार सिंह ने करवाया था। यहां के सबसे व्यस्त सदर बाज़ार में स्थित यह घंटाघर अद्भुत व ऐतिहासिक है।

सदर बाजार देशी व विदेशी पर्यटकों में काफी लोकप्रिय है। यहां राजस्थानी वस्त्र, लाख की चूड़ियां, स्थानीय छपाई के कपड़े, मिट्टी की मूर्तियां व बर्तन, खिलौने, पीतल, लकड़ी व संगमरमर के बने ऊँट-हाथी और मार्बल-इन-ले में बना सजावटी सामान प्रचुर मात्रा तथा उचित दामों पर मिलता है। चांदी के जड़ाऊ गहने खरीदने के लिए भी यह उपयुक्त स्थान है।

कब जाएँ
गर्मियों के मौसम में जोधपुर की यात्रा करने की बजाए अगस्त, सितंबर, फरवरी और मार्च के महीनों के दौरान यात्रा करें। क्योंकि अप्रैल से जुलाई तक पूरे राजस्थान में चिलचिलाती गर्मी पड़ती है।

आज के इस ब्लॉग में फ़िलहाल इतना ही, फिर मिलते हैं किसी नए ब्लॉग में किसी नयी डेस्टिनेशन पर। तब तक हँसते रहिये, मुस्कुराते रहिये ।।

5 Reasons Why Homestays Are Better Than Hotels

क्यों बढ़ रहा है पहाड़ों की यात्रा करते समय होम स्टे का ट्रेंड, जानिए कारण

होम स्टे क्या है ?
होम स्टे कोई उस जगह पर रहने वाले का घर का एक हिस्सा होता है जहाँ विस्टर्स को ठहरने की सुविधा प्राप्त कराई जाती है शुल्क देके | उस घर में रहने वाला परिवार मुख्या रूप से रहने, सोने की व्यवस्था करते है लेकिन कुछ जगहों पर खाने, लोकल जगहों की यात्रा, और पिक-अप्स जैसी सुविधाएँ भी प्राप्त कराई जाती है |


होम स्टे के 5 फायदे (5 advantages of home stay)


1. एक स्थानीय अनुभव प्राप्त करें
नई चीज़ों को एक्सपीरियंस करना ही एक यात्रा का मुख्या आधार होता है | एक होम स्टे में रहने से अच्छा और कोई एक्साईटिंग और स्थानीय एक्सपीरियंस हो ही नहीं सकता | जहाँ एक होटल में आपको आरामदायक सुविधाएँ दी जाती वहीं एक होम स्टे में आपको जगह के वास्तविक सार का अनुभव करने को मिलता है |

Reasons Why Homestays Are Better Than Hotels


2. घर से दूर घर वाला एहसास
होटल में एक-दो दिन बिताने के बाद घर जैसे आराम और एहसास की कमी महसूस होने लगती है | होम स्टे एक सुखद अनुभव देता है, जिससे आपको घर जैसा एहसास मिलता है | आप घर की तरह अपनी बालकनी में आराम से बैठकर चाय और सीनरी का लुफ्त उठा सकते, घर में टहल सकते हैं या कभी भी कुछ भी कर सकते हैं |


3. अपने डेस्टिनेशन के असली रंग देखे
एक होम स्टे ओनर या वहाँ रहने वाला परिवार जो टूर गाइड आपको देंगे वो शायद ही आपको किसी गाइड बुक में मिले | वह अपने गेस्ट को ये सुविधा देते है जिससे विज़िटर गॉंव या लोकल एरिया को एक्स्प्लोर करे और वहाँ की सीनिक ब्यूटी को नज़र भर कर देखे और खूबसूरती से भरे शार्ट-कट रास्ते खोज कर देते है जिससे आपको एक्स्प्लोर में और आनंद मिलता है |


4. लोकल खाने का लुफ्त उठाएँ

Reasons Why Homestays Are Better Than Hotels


किसी भी जगह पर जाने के बाद आपको किसी भी होटल में आपको हर तरह के मन पसंदीदा व्यंजन तो मिल जाएँगे लेकिन जो मज़ा वहाँ के लोकल खाने में है वो शायद किसी और चीज़ में शायद ही मिले | वहाँ रहने से हमे पता चलता की उस खाने में किस किसम की चीज़ों का उपयोग किआ गया है और कुछ न्य सीखने को मिलता है |
5. एक किफायती विकल्प
एक होटल में आपको प्रोफेशनल और लक्ज़री सर्विस दी जाती है जिसका आपको अलग से और ज्यादा भुगतान देना पड़ता है जहाँ आपको सिर्फ व्ही देखने को मिलता है जो होटल के जरिए निर्धारित होता है लेकिन वहीं होम स्टे करना किफायती होता है और साथ ही आपको अलग-अलग चीज़ें एक्स्प्लोर करने को मिलती है |

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The Most Haunted Places in India

ऐसी जगह जो अपने खौफनाक किस्सों के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं और जिनका इतिहास आपको हैरान कर देगा(The Most Haunted Places in India)

Research By Sakshi Joshi/ Edited by Pardeep Kumar


वैसे तो भारत के हर शहर या हर गांव में कोई ना कोई कहानी या कहें भूतों की कहानियां काफी सुनाई पड़ती हैं। यहां किसी की खौफनाक मनगढ़ंत कहानियां मशहूर हो जाती है तो कुछ लोग इस बारे में बात करने से कतराते हैं, और कुछ साफ मुंह फेर के कह देते हैं कि भूत-वूत कुछ नहीं होता। पर आज भी देश भर में बहुत-सी ऐसी जगहें हैं जिनके इतिहास के पन्नों में लिखी कहानियां भयानक लगती हैं। हालांकि आज के समय इस विषय में बात करना काफी नॉर्मल है, या यूं कहें कि आज इन सब भूत-प्रेत की बातों में काफी कम लोग विश्वास करते हैं। लेकिन क्या आप वाकिफ हैं, भारत की कुछ ऐसी जगहों से जिनका इतिहास आपको इस विषय में सोचने पर मजबूर कर देगा। तो चलिए आज आपको रूबरू कराते हैं भारत की कुछ ऐसी हॉन्टेड जगहों से जिनसे जुड़ी दिलचस्प कहानियां आपको हैरान कर देंगी।(The Most Haunted Places in India)

भानगढ़ का किला,  Indian Ghost Town of Bhangarh

The Most Haunted Places in India

और इस लिस्ट में सबसे पहले नंबर पर है राजस्थान का भानगढ़ फोर्ट।अरावली की पहाड़ियों के बीच बसा भानगढ़ का किला अपने आप में बहुत लम्बा इतिहास समेटे हुए है। भानगढ़ का किला जयपुर और अलवर शहर के बीच सरिस्का से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस भव्य किले का निर्माण 17 वीं शताब्दी में राजा माधो सिंह, महान मुगल सेनापति, आमेर के मान सिंह के छोटे भाई द्वारा करवाया गया था। शाही महल के अलावा, भानगढ़ में 1720 तक 9,000 से अधिक घर थे जिसके बाद धीरे-धीरे ये आबादी में कम हो गई।

पूरी बस्ती के साथ भानगढ़ किला लगातार तीन किलेबंदी और पांच विशाल दरवाजों से सुरक्षित था। इस किले के परिसर के भीतर भव्य हवेलियों, मंदिरों और सुनसान बाजारों के अवशेष हैं, जो किले की विराटता और समृद्धता का संकेत देते हैं। यह जगह भूत प्रेत की वजह से ज्यादा जानी जाती है, भानगढ़ किला फिर भी अपने शांत वातावरण, सुंदर अरावली पर्वत के कारण पर्यटकों की भीड़ को आकर्षित करता है।


दिलचस्प कहानी : भानगढ़ किले को भारत में सबसे भूतिया स्थानों में से एक माना जाता है और इसे शापित कहा जाता है। किले से जुड़ी कई कहानियां हैं लेकिन दो ऐसी भी हैं जो स्थानीय आबादी के बीच काफी लोकप्रिय हैं। पहली कथा बाबा बालाऊ नाथ नाम के एक साधु की है। राजा माधो सिंह द्वारा भानगढ़ में एक किले का निर्माण करने का निर्णय लेने से बहुत पहले, यह क्षेत्र बाबा बालाऊ नाथ के लिए एक ध्यान स्थल था। साधु ने किले के निर्माण के लिए अपनी अनुमति इस शर्त पर दी थी कि किला या कोई भी इमारत उसके घर से ऊंची नहीं होनी चाहिए और यदि किसी संरचना की छाया उसके घर पर पड़ती है, तो इसका परिणाम किले का विनाश होगा। मगर कहा जाता है कि माधो सिंह के पोते अजब सिंह ने इस चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया और किले की ऊंचाई बहुत बढ़ा दी, जिसके परिणामस्वरूप साधु के घर पर छाया पड़ी, जिससे शहर का विनाश हुआ

ऐसी ही यहाँ के लोगों में बेहद प्रचलित एक दूसरी कहानी राजकुमारी रत्नावती से जुड़ी है, जो बहुत सुंदर थी और देश के शाही परिवारों के कई प्रेमी काले जादू में माहिर थे। एक जादूगर को राजकुमारी से प्यार हो गया। जैसे ही राजकुमारी एक दिन अपने दोस्तों के साथ खरीदारी करने गई, जादूगर ने उसे इत्र या कहें कि परफ्यूम खरीदते हुए देखा और इत्र को एक प्रेम दवाई से बदल दिया। हालाँकि, राजकुमारी को जादूगर की चाल का पता चला और उसने दवाई को पास के एक विशाल पत्थर पर फेंक दिया। इसके कारण वह विशाल पत्थर जादूगर की ओर लुढ़क गया और उसकी कुचलकर मौत हो गई। लेकिन मौत के मुंह में जाने से पहले, उसने शहर को यह कहते हुए शाप दिया कि इसे जल्द ही नष्ट कर दिया जाएगा और कोई भी इसके परिसर में नहीं रह पाएगा। बाद में आक्रमणकारी मुगल सेनाओं द्वारा राज्य को बर्खास्त कर दिया गया, जिससे किले के सभी निवासियों को राजकुमारी रत्नावती के साथ मार दिया गया।

जैसा कि इसे एक भूतिया स्थान माना जाता है, भानगढ़ का किला सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद पर्यटकों के लिए बंद रहता है।

भानगढ़ किले की ये कहानियां इसलिए भी और अधिक खौफनाक लगती हैं क्योंकि ASI यानी Archaeological Survey of India ने भानगढ़ के किले को भारत की सबसे डरावनी जगहों में सबसे ऊपर रखा है। बाकायदा यहाँ इस विषय में सूचना पट लगाया गया है जिसमें ये साफ़ दर्ज़ है कि सूर्योस्त के बाद यहाँ किसी भी व्यक्ति का आना वर्जित है।

अग्रसेन की बावली Agrasen ki Baoli,New Delhi

दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस में स्थित यह खूबसूरत अग्रसेन की बावली कब और किसके द्वारा बनाई गई इसका कोई स्पष्ट ऐतिहासिक रिकॉर्ड नहीं है। हालांकि कई इतिहासकारों का कहना है कि इसका निर्माण किसी और ने नहीं बल्कि अग्रोहा के महान राजा अग्रसेन द्वारा किया गया था। और फिर 14 वी शताब्दी में इसका पुनर्निर्माण तुगलक वंश या लोधी वंश के दिल्ली पर शासन के दौरान किया गया।

ऐसा कहा जाता है कि यहां पर कुएं के अंदर जानलेवा काला पानी है। यह आत्मघाती काला पानी लोगों को अपने वाश में कर लेता है। और इसके पास जाने पर यह लोगों को आत्महत्या करने पर मजबूर तक कर देता है। जैसे ही लोग सीढ़ियों से पानी की ओर जाते हैं, तो उन्हें ऐसा लगता है जैसे कोई अदृश्य शक्ति उन्हें अपनी ओर खींच रही है। ऐसी कितनी ही कहानियां इस बावड़ी के बारे में अच्छी खासी प्रसिद्ध हैं। और कहते हैं ना कि इन्ही कहानियों से भूतिया किरदार गढ़े जाते हैं और ऐसी पुराणी सुनसान जगह डरावनी बन जाती हैं।


लेकिन अग्रसेन की बावली को अक्सर दिल्ली की सबसे खूबसूरत जगहों में गिना जाता है। यह जगह फिल्म शूटिंग के लिए बॉलीवूड द्वारा बहुत पसंद की गई है। अग्रसेन की बावली को कई फिल्मों में दिखाया गया है और यह दिल्ली में प्रसिद्ध फिल्म शूटिंग स्थानों में से एक है

पुणे का शनिवारवाड़ा, Shaniwar Wada, Pune

भले ही देश में बहुत से लोग शनिवार वाड़ा (महल) के बारे में न जानते हो। पर घुम्मकड़ और खासकर मराठी लोग इसके बारे में बखूबी जानती हैं। शनिवार वाड़ा महाराष्ट्र के पुणे में स्थित है, जिसका निर्माण मराठा-पेशवा साम्राज्य को बुलंदियों पर ले जाने वाले बाजीराव पेशवा ने करवाया था। यह महल 1732 में यह पूरी तरह बनकर तैयार हो गया था। कहा जाता है कि उस समय इसे बनाने में करीब 16 हजार रुपये खर्च हुए थे। तब के समय में यह राशि बहुत अधिक थी।

उस समय इस महल में करीब 1000 लोग रहते थे। यह एक एतिहासिक महल है, जो कभी मराठा साम्राज्य की आन-बान और शान हुआ करता था, लेकिन आज से करीब 246 साल पहले इस महल में एक ऐसी घटना घटी थी, जिसकी गूंज आज भी सुनाई देती है।

जिसकी वजह से ही लोग इस महल को रहस्यमय मानते हैं। कहते हैं कि इसी महल में 30 अगस्त 1773 की रात 18 साल के नारायण राव की हत्या कर दी गई थी, जो मराठा साम्राज्य के नौवें पेशवा बने थे। कहा जाता है कि उनके चाचा ने ही उनकी हत्या करवाई थी। आस-पास के लोगों का कहना है कि आज भी अमावस्या की रात महल से किसी की दर्द भरी आवाज सुनाई देती है, जो बचाओ-बचाओ चिल्लाती है और यही कहानी इस जगह को डरावना बनाने के काफी है। आज भी लोग शाम के समय इस महल के आस पास से गुजरना भी नहीं चाहते।

जैसलमेर का कुलधरा गांव, The Ghost Village

बहुत सी जगह हैं जो अपने रहस्यमयी कारणों के चलते चर्चाओं में बनी रहती हैं। ऐसी ही जगहों में से एक है जैसलमेर का कुलधरा गांव। कहा जाता पिछले सैंकड़ों सालों से यह जगह शापित है। पर सवाल ये है कि ऐसा क्या हुआ था इधर कि सिर्फ एक रात में यहां लगभग 600 घरों के लोग गायब हो गए। करीब 200 साल से यह गांव सुनसान, उजाड़ और खाली पड़ा है। जबकि एक समय में यह काफी सुन्दर और सभी सुख सुविधाओं से भरपूर था। यहां के लोकल लोगों का कहना है कि यहां रात में कभी चूड़ियों के खनकने की आवाज आती है तो कभी किसी बच्चे के रोने की। इसलिए शाम को ६ बजे के यहाँ प्रवेश करने की सख्त मनाही है।

ऐसा माना जाता है कि इस गांव को साल 1300 में पालीवाल ब्राह्मण समाज ने सरस्वती नदी के किनारे इस गांव को बसाया था। किसी समय इस गांव में काफी चहल-पहल रहा करती थी। लेकिन आज यहां कोई इंसान भटकने से भी डरता है और 200 सालों से इस जगह पर फिर कभी कोई बसने नहीं आया।


कहा जाता है कि 1800 के दशक में, गांव मंत्री सलीम सिंह के अधीन एक जागीर या राज्य हुआ करता था, जो कर इख्ठा करके लोगों के साथ विश्वासघात किया करता था। ग्रामीणों पर लगाए जाने वाले कर की वजह से यहां के लोग बेहद परेशान रहते थे। ऐसा कहा जाता है कि सलीम सिंह को ग्राम प्रधान की बेटी पसंद आ गई और उन्होंने गांव वालों को इस पर धमकी दे डाली कि अगर उन्होंने इस बात का विरोध करने की कोशिश की या रस्ते में आए, तो वह और कर वसूल करने लगेगा। अपने गांव वालों की जान बचाने के साथ-साथ अपनी बेटी की इज्जत बचाने के लिए मुखिया समेत पूरा गांव रातों-रात फरार हो गया। गांव वाले गांव को वीरान छोड़कर किसी दूसरी जगह पर चले गए। ऐसा कहा जाता है कि गांव वालों ने जाते समय गांव को ये श्राप दिया था कि यहां आने वाले दिनों में कोई नहीं रह पाएगा। कहते हैं उस श्राप की वजह से उसके बाद यहाँ कभी कोई बस नहीं पाया।


कुलधरा गांव में आप रोजाना सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक घूमना-फिरना कर सकते हैं। ये जगह भूतिया मानी जाती है, इसलिए स्थानीय लोग सूर्यास्त के बाद द्वार बंद कर देते हैं।

दिल्ली कैंट , Delhi Cant, New Delhi

एक ऐसी खौफनाक जगह जहां शाम होने के बाद एक परिंदा भी पर नहीं मार सकता। दिल्ली कैंट इस इलाके में चारों तरफ आर्मी छावनियां है, पर यह रास्ता बिलकुल सुनसान है।

कहा जाता है कि रात में अगर यहां से कोई भी गाड़ी गुज़रती है तो एक औरत सफ़ेद लिबास में आपसे लिफ्ट मांगती है। और गाड़ी न रोकने पर उलटी रफ़्तार में गाड़ी के पीछे भागती है। जिसकी गति गाडी जितनी होती है। आपको बता दें कि सफ़ेद लिबास वाली महिला को देखने की पुष्टि कई लोगों ने की है। हालांकि किसी इंसान को नुक्सान पहुंचाने की कोई खबर नहीं आई है।The Most Haunted Places in India

ऐसी एकांत और सुनसान जगहों के पीछे ऐसी ही ना जाने कितनी कहानियां होती हैं जो इन्हें खौफनाक बनाती हैं। दरअसल कहानियां चाहे कुछ भी हो लेकिन ये सभी जगह बेहद खौफनाक मानी जाती हैं। और शाम ढलने के बाद लोग ऐसी जगहों पर जाने से बचते हैं।