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अगर आपका लगाव ट्रेडिशनल चीज़ों से हैं और पारम्परिक खरीदारी और हस्तकलाओं का बेहद शौक रखते हैं और शहरी परिवेश में रहते हैं तो दिल्ली के आईएनए स्थित दिल्ली हाट जरूर जाइएगा। दिल्ली के शहरी परिवेश में ग्रामीण और पारम्परिक भारत का अहसाह कराने वाले बाजार यानी दिल्ली हाट (आईएनए) का अपना ही एक अलग स्वैग है। मेट्रो के आसान और सुहाने सफर का लुत्फ़ उठाते हुए उतर जाइए आईएनए मेट्रो स्टेशन पर। मेट्रो से बाहर निकलते ही सामने ही है आपका दिल्ली हाट।(Dilli Haat)
हाट के परिसर में घुसते ही सामने ही टिकट घर है। आपको ये टिकट घर कुछ अलग ही दिखाई देगा, जैसे मधुबनी की कोई हस्तनिर्मित झोपड़ी जो कि किसी का भी ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करेगी । यहाँ कोविड महामारी के बाद से पर्यटकों की कमी साफ दिखाई दी । और यहाँ खरीददारी के लिए आने वालों की कमी का असर टिकट के दामों पर साफ साफ़ दिखाई दिया, जो टिकट 30 रुपये की हुआ करती थी, इस वक्त वो 10 रुपये की कर दी गयी थी। पिछले एक साल से इस कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभाव पर्यटन और बाजारों पर ही देखने को मिला है। और खबर ये भी मिली कि दिल्ली हाट में खरीददारों के लिए आने वालों के लिए एक समय ये एंट्री मुफ्त भी कर दी गई थी।(Delhi Haat)
वैसे तो साल भर यहाँ पर्यटकों और खरीददारों का आना लगा रहता है लेकिन फिर भी अक्टूबर से मार्च का महीना यहाँ आने के लिए बेस्ट रहता है। लेकिन जब भी आपका मन कुछ एंटीक खरीदने का हो तब आप किसी भी समय यहाँ बेधड़क आ सकते हैं फिर चाहे कोई भी मौसम हो।
आप जैसे ही दिल्ली हाट में अंदर प्रवेश करेंगे तो आपको लगेगा आप एक बारगी तो जैसे किसी गांव के पारम्परिक बाजार में पहुंच गए हो। ईंटो की जालीदार शैली से बने छोटे-छोटे कमरे एक कतार में बड़ी सुंदरता से बनाए गए हैं। वहां सभी दुकानों में सीमेंट के पलस्तर की जगह हाथों से लिपाई-पुताई की गई है, इस तरह हट नुमा घर की बनावट आपको किसी भी सामान्य भारतीय गांव में आसानी से देखने को मिल जाती है। शायद यही ख़ूबसूरती दिल्ली हाट को बाकी सभी बाज़ारों से अलग करता है। इसलिए यहाँ जितने लोग खरीददारी करने आते हैं उतने ही वीकेंड पर मौज मस्ती, खाने-पीने या यूँ कहिये अपना क्वालिटी टाइम बिताने भी आते हैं। ये हाट पूरे भारत की एक छोटी सी पारम्परिक झलक दिखाता है।
इस जगह घूम कर आपको ऐसा लगेगा जैसे देश के अलग-अलग हिस्सों से आये कारीगरों ने यहाँ अपना एक अलग हस्तकला और क्राफ्ट से संबंधित गांव बसा दिया दिया हो। कहीं कोई अपने खिलौने बेच रहा था तो कोई महिलाओं से सम्बंधित वस्तुएं। खास बात ये थी कि ज्यादातर पूरे हाट में महिलाओं से सम्बन्धित प्रोडक्ट ही दिखाई दे रहे थे। हर दूसरी शॉप में कोई न कोई अपनी कारीगरी और कला का प्रदर्शन कर रहा था। देश के हर कोने से हुनरमंदों को एक छत्त के नीचे लाने से न केवल इन कलाकारों के हुनर को एक विशेष पहचान मिल रही है बल्कि यह उनके लिए आय का भी एक बेहतरीन जरिया सिद्ध हो रहा है। यहाँ ख़रीददारी के लिए आने वाले लोगो में इन हस्तनिर्मित चीज़ों को खरीदने की चाहत भी साफ देखी जा सकती थी। देश के छोटे-छोटे हिस्सों से आए इन कलाकारों के लिए ये जगह किसी सपने से कम नही वरना ऐसी कीमती कला कुछ हिस्सों तक सिमट कर रह जाती हैं और एक समय पर अपना अस्तित्व ही खो बैठती हैं।
अगर आप परिवार और दोस्तों के साथ इस जगह पर आने की सोच रहे हों तो यह एक शानदार निर्णय रहेगा। हाट के परिसर में सामने की ओर एक रंगमंच भी है जो मनोरंजन के उद्देश्य से बनाया गया है। इस ओपन रंगमंच में विभिन्न प्रदेशों के कलाकारों द्वारा पारम्परिक वाद्ययंत्र और संगीत की ध्वनि आपको थिरकने पर मजबूर कर देगीं।
हस्तनिर्मित वस्तुओं और संगीत संध्या के अलावा दिल्ली हाट अपने खान-पान के लिए भी प्रसिद्ध है। विभिन्न कलाओं के साथ-साथ यहां के भोजन में भी पूरे भारत की झलक मिलती है। गुजराती ढोकला खाने की इच्छा हो या दक्षिण का उत्तपम यहां हर राज्य के पकवान आपका स्वागत करेंगे। सिक्किम से लेकर कश्मीर तक सब कुछ मिलेगा यहां। समझ लीजिए छोटा-सा भारत दिल्ली हाट के रूप में बसा दिया गया है। इतना तय है कि ये जगह आपको निराश तो बिल्कुल नहीं कर सकती।(Delhi Haat)
तो आइये और छोटे भारत के दर्शन पर निकल पड़िए। मधुबनी से लेकर चिकनकारी तक सब कुछ है यहां। कोल्हापुरी हो या गोटापत्ती हर चीज़ आपको यहां देखने को मिलेगी तो इंतज़ार किस बात का शहरों के मॉल देख कर थक गए हो तो आओ कुछ नया अनुभव करने। ग्रामीण अनुभव और सुंदर कलाओं के इस जश्न में।
Research – Nikki Rai
Written & Edited by Pardeep Kumar
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