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International trade fair 2025 : रंगों, खुशबुओं और दुनिया की नज़ाकत से भरा यह मेला क्यों है खास?

international trade fair 2025: क्या है इस मेले में ख़ास? international trade fair 2025: हर साल ऐसा माहौल लेकर आता है, जिसमें दुनिया के कोने-कोने की संस्कृति, कला, खाने-पीने

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गीता जयंती 1 दिसंबर 2025 को मनाई जाएगी! कुरुक्षेत्र में नजर आएंगी महाभारत की झलकियां!

गीता जयंती उत्सव गीता जयंती हर साल मार्गशीर्ष मा​ह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक

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दिल्ली मेट्रो रफ्तार की रेखाओं पर दौड़ती राजधानी! जानिए सभी बारह लाइनें क्यों हैं दिल्ली वासियों के लिए अहम?

दिल्ली मेट्रो सिर्फ एक साधन नहीं, बल्कि राजधानी की रफ्तार, और मॉडर्न होने का प्रतीक बन चुकी है। साल 2002 में शुरुआत करने वाली यह मेट्रो आज 12 लाइनों

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फास्ट फूड जो पलक झपकते हो जाए तैयार! जानिए क्या है इसे अपनाने का असली राज!?

आज का दौर तेज़ी का दौर है काम, पढ़ाई, रिश्ते और ज़िंदगी सब कुछ भागती हुई रफ़्तार में है। इसी भागदौड़ में जब पेट भूख की घंटी बजाती है,

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क्यों कहते हैं इस जगह को दिल्ली की रूह? चावड़ी बाज़ार की गलियों में छिपे हैं कई अनकहे राज़!

पहली झलक में चावड़ी बाज़ार चावड़ी बाज़ार एक मात्र ऐसा बाजार है जिसकी पहचान बस आवाजों से की जा सकती है, जैसे ही मैं मेट्रो स्टेशन से बाहर निकलता

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नानी के घर ने दी इतिहास को जानने की इच्छा,पूरी हुई दिल्ली में – मेरा सफरनामा

छुट्टियाँ हमेशा ही बचपन की सबसे प्यारी यादें होती हैं। मेरी छुट्टियाँ भी अक्सर नानी के साथ बीतती थीं, क्योंकि मेरी नानी आगरा में रहती हैं। आगरा, जो अपने

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हजरत निजामुद्दीन औलिया को आखिर क्यों कहा जाता है महबूब-ए-इलाही?

दिल्ली की हलचल भरी जिंदगी में एक ऐसी जगह है जो दिल को बेहिसाब सुकून देती है। हजरत निजामुद्दीन दरगाह, दिल्ली के निजामुद्दीन पश्चिम क्षेत्र में बसी, एक ऐसी

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सतयुग दर्शन वसुंधरा के सातों दरवाजों में छिपा है जीवन का सार!

किसी ने क्या खूब लिखा है “मुड़कर पीछे न देखना जो छूट गया वह तेरा था ही नहीं”। कहने का तात्पर्य है, जो हो गया, उसे तुरंत प्रभाव से

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राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय और हस्तकला अकादमी- मेरा सफरनामा

‎कहीं पहुंचने के लिए कहीं से निकलना बहुत जरूरी होता है। जब भी मैं किसी ऐसी जगह जाती हूँ जहां इतिहास से संबंधित विषय-वस्तु पर नज़र पड़ती है तो

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Hello! I Pardeep Kumar

मुख्यतः मैं एक मीडिया शिक्षक हूँ, लेकिन हमेशा कुछ नया और रचनात्मक करने की फ़िराक में रहता हूं।

लम्बे सफर पर चलते-चलते बीच राह किसी ढ़ाबे पर कड़क चाय पीने की तलब हमेशा मुझे ज़िंदा बनाये रखती
है।