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जाने क्यों खास है मधुबनी पेंटिंग?

क्या आपने कभी पेंटिंग की है? इस सवाल पर अधिकतर लोगों का जवाब हाँ हीं होगा। क्योंकि कहीं ना कहीं बचपन में हम सभी ने अपनी ड्राइंग बुक्स में उन पहाड़ों और फूल पत्तियों को बनाते हुए ही अपना बचपन जिया है। अब आप सोचेंगे कि आज हम अचानक पेंटिंग्स की बात क्यों कर रहे हैं? तो वह इसलिए क्योंकि आज के इस ब्लॉग का पेंटिंग से सीधा-सीधा संबंध है। आज का यह ब्लॉग उत्तर भारत की एक ऐसी चित्रकला के बारे में है, जिसे दुनिया भर में अहम् स्थान मिल रहा है। इस पेंटिंग को बनाने की कला एक ऐसी कला है, जिसे ओलंपिक ने भी अपने गेम्स में शामिल किया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं बिहार राज्य की मधुबनी पेंटिंग के बारे में। आप सभी ने इसका नाम जरुर सुना होगा। अगर आप राजधानी दिल्ली में रहते हैं और कभी संसद भवन का चक्कर लगाए हैं तो आपने वहाँ के मुख्य द्वार पर भी मधुबनी पेंटिंग की झलकियां जरूर देखी होगी। लेकिन अब यह सवाल आता है कि ऐसा क्या खास है (Specialty of Madhubani painting) इस पेंटिंग में, कि इसे ओलंपिक तक में शामिल किया गया? तो चलिए इस सवाल के जवाब को हम इस ब्लॉग में ढूंढते हैं

मधुबनी पेंटिंग के अगर इतिहास की बात की जाए तो इसका सबसे पुराना इतिहास हमें श्रृंगार रस के कवि श्री विद्यापति के द्वारा रचित पुस्तक कीर्तिपताका में देखने को मिलता है। विद्यापति एक मैथिली कवि थे और उन्होंने अपने जीवन काल में एक से एक रचनाएं की थी। विद्यापति से जुड़ी एक और कहानी यह भी है कि मिथिला क्षेत्र में माना जाता है कि विद्यापति वह इंसान थे जिसके यहां स्वयं महादेव ने आकर 12 वर्षों तक उनकी सेवा की थी।

अगर बात करें मधुबनी पेंटिंग के प्रकार की तो यह मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं :
भित्ति चित्र
अरिपन
पट्ट चित्र

भित्ति चित्र की अगर बात की जाए तो यह मुख्यतः दीवारों पर की जाती है और तीन तरह की होती हैं। जिसमें पहले होता है गोसानी घर की सजावट, जो की मुख्यतः घर में बने मंदिर की दीवारों पर की जाती है। जिसमें देवी देवताओं की चित्रकारी की गई होती है।

दूसरी होती है कोहबर घर की सजावट जिसमें दांपत्य जीवन के दर्शन देखने को मिलते हैं। यह वैवाहिक समारोह में देखने को मिलती है और नव विवाहित जोड़ों के कमरे में इस तरह की चित्रकारी से सजावट की जाती है।

तीसरी होती है कोहबर घर की कोनिया सजावट जो की विशेषतः शादी के अवसर पर हीं की जाती है और इस सजावट में फूल पत्तियों और प्राकृतिक संकेत के जरिए दांपत्य जीवन के संदेश दिए जाते हैं। यह सजावट नव विवाह दंपति के कमरे के किसी दीवार के एक कोने पर की जाती है। जहां उनकी विवाह से जुड़ी वैवाहिक रस्में में निभाई जाती हैं।

यह मधुबनी पेंटिंग का एक ऐसा प्रकार है जिसमें भूमि पर चित्रकारी की जाती है। इस चित्रकला में रंग के तौर पर चावल को भींगो कर उसे पीसा जाता है और उसमें आवश्यकता अनुसार पानी मिलाकर उससे पेंटिंग की जाती है। यह चित्रकला आपको अधिकांशत बिहार में मनाए जाने वाले पर्व त्योहारों के अवसर पर देखने को मिलेंगे। इस चित्रकला में मुख्यतः आपको स्वास्तिक, श्री यंत्र, देवी-देवताएं, फूल-पत्तियां, घरों की कोठियाँ, खेतों में काम कर रहे मजदूर आदि देखने को मिलेंगे। आप जब भी कभी बिहार के उत्तरी क्षेत्र में दीपावली के अवसर पर जाएंगे तो आपको वहां हर घर में अरिपन देखने को मिल जाएगा।

पट्ट चित्र भी मधुबनी पेंटिंग का हीं एक प्रकार है जो ना सिर्फ बिहार बल्कि नेपाल के अधिकांश भागों में भी देखने को मिलता है। मधुबनी पेंटिंग को विश्व प्रसिद्ध बनाने में पट्ट चित्रों का विशेष योगदान रहा है। पट्ट चित्र मुख्यतः छोटे-छोटे कपड़ों या फिर कागज के टुकड़ों पर बनाया जाता है, हालांकि अब आजकल साड़ी, दुपट्टे और बड़े-बड़े शॉल पर भी मधुबनी पेंटिंग की झलक देखने को मिल जाती है। विशेष कर अगर आप ट्रेड फेयर में जाएंगे तो आपको वहां बिहार के पवेलियन में मधुबनी पेंटिंग के जीवंत उदाहरण देखने को मिल जाएंगे। अगर आप दिल्ली में रहते हैं और ट्रेड फेयर को अटेंड करने जा रहे हैं तो आप कोशिश करें कि बिहार के पवेलियन में जरूर जाएं। क्योंकि यहां पर आपको एक से एक मधुबनी पेंटिंग्स देखने को मिल जाएंगी। उनसे आप बिहार के कल्चर को बहुत हीं अच्छे तरीके से एक्सप्लोर कर पाएंगे।

मधुबनी पेंटिंग के खास होने के पीछे कई सारी वजहें हैं। सबसे पहले इस पेंटिंग को खास बनाने का काम करते हैं इसमें उपयोग में लाए जाने वाले रंग। जहां आज के समय में आधुनिक पेंटिंग ब्रश और आधुनिक रंगों का एक बड़ा बाजार तैयार हो चुका है, वहीं मधुबनी पेंटिंग के कलाकार इन सब से इतर प्रकृति में विश्वास रखते हैं। आपको मधुबनी पेंटिंग में प्राकृतिक रंगों के उपयोग देखने को मिलेंगे। जिन्हें पत्तों और फूलों से रस निकालकर बनाया जाता है। मधुबनी पेंटिंग को खास बनाने के पीछे इन रंगों का बहुत हीं बड़ा योगदान होता है। अगर हम बात करें कि मधुबनी पेंटिंग में कौन-कौन से रंग उपयोग में लाए जाते हैं तो आपको मधुबनी पेंटिंग में गहरे चटक नील, लाल, हरे, नारंगी और काले रंग बहुत हीं बहुतायत मात्रा में देखने को मिलेंगे। हालांकि बाकी रंगों का भी इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन वह रंग बहुत कम होते हैं। या ना की मात्रा में होते हैं।


मधुबनी पेंटिंग में मुख्यतः बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र की संस्कृति की झलक साफ-साफ देखने को मिल जाएंगी। इस पेंटिंग में काम कर रहे मजदूरों, महिलाओं, देवी-देवताओं, खासकर राम-सीता विवाह, पशुओं, पक्षियों, फूलों और पेड़ पौधों आदि की तस्वीरें देखने को मिल जाएंगी। यह पेंटिंग देखने में जितनी सरल लगती है बनाने में उतनी हीं कठिन होती है। इसे बनाने में महंगे ब्रशों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, बल्कि इसे बनाने के लिए प्राकृतिक रूप से कुच तैयार किए जाते हैं और फिर चित्रकारी की जाती है। इस पेंटिंग में महीन से महीन और बारीक से बारीक डिटेल की भी जानकारी रखी जाती है। जो इस पेंटिंग को और भी ज्यादा खास बना देती है। आपको मधुबनी पेंटिंग की झलक बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में तो हर जगह हीं मिल जाएंगे, लेकिन साथ हीं साथ आपको पटना रेलवे स्टेशन पर भी इसकी झलक देखने को मिलेंगे। इतना हीं नहीं भारत के संसद भवन के गेट पर भी इसकी झलक देखने को मिलती है।

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भारतीय इतिहास की महानता के गवाह हैं बिहार के ये पाँच शहर

बिहार के प्रमुख शहर (Famous cities of Bihar)

  • नालंदा (Nalanda)
  • पटना (Patna)
  • वाल्मीकि नगर (Valmiki nagar)
  • बोधगया (Bodhgaya)
  • राजगीर (Rajgir)

1. नालंदा (Nalanda)

अगर आप भी ऐतिहासिक धरोहरों (Historical monuments) को देखने और नके इतिहास के बारे में समझने की चाहत रखते हैं तो, आपको बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय को देखना और समझना भी काफी पसंद आएगा। यह विश्वविद्यालय ना सिर्फ भारत बल्कि संपूर्ण संसार के प्राचीनतम विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है। इस विश्वविद्यालय का निर्माण गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त ने पांचवी सदी में करवाया गया था। बाद में कुमारगुप्त के उत्तराधिकारियों (successors) ने इसे सहेज कर रखा। गुप्त वंश के पतन (Downfall) के बाद आने वाले दूसरे शासकों ने भी इसके विकास में सहयोग दिया। इसे महान सम्राट हर्षवर्धन और पाल शासकों का भी संरक्षण (Protection) मिला। 19वीं शताब्दी में एक अंग्रेज (Englishman) को नालंदा में पढ़ रहे एक चीनी यात्री की डायरी मिली। जब वह उस डायरी (diary) में लिखे पते पर पहुंचा तो वह चारों ओर वीरान खंडहर (deserted ruins) थे। वहाँ टहलते हुए अंग्रेज ने देखा कि वहां कुछ चौथी शताब्दी के बने ईट के अवशेष हैं। फिर उसने हल्के हाथों से उस जगह को कुरेद (scrape) कर देखा तो उसे एक के बाद एक सजी हुई ईटों की श्रंखला (series) दिखाई दिया। उसके बाद उसने हीं वहां की खुदाई (digging) प्रारंभ करवाई और इस प्रकार खोज हुआ विश्व के प्राचीनतम विश्वविद्यालय, नालंदा विश्वविद्यालय की। नालंदा विश्वविद्यालय में 1500 से अधिक शिक्षक थे और 10,000 से अधिक छात्र पढाई किया करते थे। यहां विश्व के कोने-कोने से विद्यार्थी पढ़ने आते थे। यहां छात्रों के रहने के लिए 300 से अधिक कमरे बने हुए थे। सभी कमरे में रोशनी की व्यवस्था थी। विद्यालय के परिसर में जगह जगह पढ़ने का स्थान, प्रार्थना का प्रांगण (prayer hall) और स्टडी हॉल (study hall) बने हुए थे। एक कमरे में एक या एक से अधिक छात्रों के रहने की व्यवस्था थी।

कैसे पहुंचे नालंदा (How to reach Nalanda)?

अगर आप नालंदा आना चाहते हैं तो नालंदा का सबसे करीबी हवाई अड्डा पटना में स्थित जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (Jaiprakash Narayan International Airport) है। जहां से नालंदा शहर की दूरी लगभग 90 किलोमीटर है। आपको बता दें कि पटना का जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चंडीगढ़, देहरादून, जयपुर, अहमदाबाद और कोयंबटूर के साथ-साथ देश के काफी सारे अन्य हवाई अड्डों से जुड़ा हुआ है। जिसकी वजह से आपको फ्लाइट (Flight) से पटना पहुंचने में कोई भी तकलीफ नहीं होगी।
नालंदा का सबसे करीबी रेलवे स्टेशन नालंदा जिला में ही स्थित है। लेकिन नालंदा रेलवे स्टेशन के लिए आपको सिर्फ नालंदा के नजदीकी रेलवे स्टेशन पटना, दानापुर, गया, बिहार शरीफ और राजगीर से ही ट्रेन की सुविधा मिल पाएगी। अगर आप इन शहरों से जुड़े हुए हैं, तो आप आसानी से अपने शहर से ट्रेन पकड़ कर नालंदा पहुंच सकते हैं और नालंदा शहर को विजिट कर सकते हैं। लेकिन अगर आपके शहर से नालंदा के लिए डायरेक्ट (Direct) ट्रेन की सुविधा उपलब्ध नहीं है तो आपको अपने शहर से गया या पटना जंक्शन के लिए ट्रेन पकड़नी होगी।

2. पटना (Patna)

जब बात भारत के इतिहास की हो तो इस शहर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। हम बात कर रहे हैं पटना शहर की। यह शहर गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। अगर बात किया जाए इस शहर के वर्तमान की तो यह काफी विकसित हो चुका है। शहर के बड़े-बड़े बिल्डिंग्स, बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल और यहां की सड़कें यह बताने के लिए काफी हैं कि यह शहर भी किसी अन्य शहर से पीछे नहीं है। पटना पर्यटन के लिए भी काफी मशहूर है। जिन लोगों को इतिहास में रुचि है, यह शहर उनका बाहें फैलाकर स्वागत करता है। इस शहर के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल, जो इस शहर की शान माने जाते है निम्नलिखित है- गोलघर (Golghar), श्री कृष्ण साइंस सेंटर पटना (Shri Krishna Science Center Patna), बिस्कोमान भवन (Biscomaun Bhawan), गांधी मैदान (Gandhi maidan), बुद्धा स्मृति पार्क (Buddha smriti park), महावीर मंदिर (Mahaveer mandir), तारामंडल (Patna Planetarium – Taramandal), बिहार म्यूजियम (Bihar museum), गांधी म्यूजियम (Gandhi museum), पटना म्यूजियम (Patna museum), संजय गांधी जैविक उद्यान पटना (Sanjay Gandhi Biological Park), पटना साहिब (Patna sahib), इको पार्क (Eco park), गंगा घाट (Ganga Ghat), अगम कुआं (Agam Kuan) तथा कुम्हरार (Kumhrar)।

कैसे पहुंचे पटना (How to reach Patna)?

यदि आप पटना आना चाह रहे है तो आप तीनों मार्गों से यहाँ आसानी से आ सकते हैं। पटना सड़क मार्ग द्वारा भारत के सभी शहरों से जुड़ा हुआ है। दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता तथा सिलीगुड़ी से यहाँ के लिए बस सर्विस उपलब्ध है। भारत के किसी भी प्रमुख शहर से पटना के डायरेक्ट ट्रेन है। पटना के जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल एयरपोर्ट से भारत के किसी प्रमुख शहर के लिए डायरेक्ट फ्लाइट उपलब्ध है।

3. वाल्मीकि नगर (Valmiki nagar)

वाल्मीकि नेशनल पार्क जो बिहार का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है, पश्चिमी चंपारण जिले में स्थित है। यह नेशनल पार्क वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (Valmiki Tiger Reserve) का हिस्सा है। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व लगभग 900 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी स्थापना 1978 हुई थी। यह टाइगर रिजर्व भारत का अठारहवाँ टाइगर रिजर्व है। 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में 54 बाघ है। 1950 से पहले यह संरक्षित क्षेत्र, बेतिया महाराज के राज में आता था। सर्वप्रथम, 1978 में इस संरक्षित क्षेत्र को वन्य जीव अभ्यारण घोषित कर दिया गया। इसके पश्चात, 1990 में वाल्मीकि वन्य जीव अभ्यारण्य को नेशनल पार्क का दर्जा दे दिया गया। 1990 में ही, इसे प्रोजेक्ट टाइगर के तहत टाइगर रिजर्व बना दिया गया। वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान में कई प्रकार के फॉउना (Fauna) निवास करते हैं। यहाँ पाए जाने वाले मैमल्स (Mammals) निम्नलिखित हैं बंगाल टाइगर (Bengal Tiger), इंडियन लेपर्ड (Indian Leopard), एशियन एलीफैंट (Indian Elephant), भारतीय गैंडा (Indian Rhinoceros), क्लाउडेड लेपर्ड (Clouded Leopard), वाइल्ड वाटर बफैलो (Wild Water Buffalo), वाइल्ड बोअर (Wild Boar), भारतीय स्लॉथ भालू (Indian Sloth Bear), इंडियन गौर (Indian Gaur), स्पॉटेड डियर (Spotted Deer), सांभर (Sambar), बार्किंग डियर (Barking Deer), फिशिंग कैट (Fishing Cat), हॉग डियर (Hog Deer), बंदर (Monkey), उड़ने वाली गिलहरी (Flying Squirrel), वाइल्ड डॉग (Wild Dog)। अगर बात की जाए वाल्मीकि नेशनल पार्क के फ्लोरा की तो, यहाँ पाए जाने वाले फ्लोरा निम्नलिखित है करम (Karam), साल (Sal), सिमल (Simal), मंदार (Mandar), बंजन (Banjan), बहेरा (Bahera), सतसाल (Satsal), बोडेरा (Bodera), पियार (Piyar), असिद्ध (Asidh), असान (Asan), हर्रा (Harra), चिर पाइन (Chir Pine)।

कैसे पहुंचे वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान (How to reach Valmiki National Park)?

सड़क मार्ग- वाल्मीकि नेशनल पार्क सड़क मार्ग द्वारा प्रमुख शहरों (पटना, लखनऊ और प्रयागराज) से जुड़ा हुआ है। निकटतम शहर बेतिया (80 किमी) से यहाँ के डेली बस सर्विस है। रेल मार्ग- इस नेशनल पार्क के पास में निकटम रेलवे स्टेशन ‘वाल्मीकि रेलवे स्टेशन’ है जहाँ से आप टैक्सी या बस लेकर वाल्मीकि नेशनल पार्क पहुंच सकते है। हवाई मार्ग- इस नेशनल पार्क का निकटम एयरपोर्ट पटना (जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल एयरपोर्ट) में है जो नेशनल पार्क से 295 किलोमीटर दूर है।

4. बोधगया (Bodhgaya)

बोधगया महात्मा बुद्ध की धरती है और बिहार की राजधानी पटना (Patna) से लगभग 100 किलोमीटर दूर है। खूबसूरत पहाड़ियों और बुद्ध स्मृतियों से जुड़े हुए इस शहर में आकर लाइफ की सारी निगेटिविटी (Negativity) को खत्म किया जा सकता है। बोधगया एक प्राचीन शहर है जहां लगभग 500 साल पहले भगवान बुद्ध को फल्गु नदी के तट पर, बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। कहते हैं भगवान बुद्ध को वैशाख महीने में पूर्णिमा के दिन ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। जिसके बाद से वह बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए और यहां बौद्ध भिक्षुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया। वैशाख की पूर्णिमा जिस दिन भगवान महावीर को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, उस दिन को बौद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाने लगा। माना जाता है कि, बोधगया के महाबोधि मंदिर में स्थित बुद्ध की प्रतिमा उसी अवस्था में है, जिस अवस्था में महावीर बुद्ध ने तपस्या की थी। बोधगया में घूमने के लिए बहुत जगह जिनमे से कुछ प्रमुख है: महाबोधि मंदिर (Mahabodhi temple), थाई मठ (Thai Monastery), भगवान बुद्ध की प्रतिमा (Statue of Buddha), जापानी मंदिर (Japanese temple), आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम (Archaeological Museum), पितृपक्ष मेला (Pitrupaksha Mela)

कैसे पहुँचें बोधगया? (How to reach Bodhgaya)

बोधगया हवाई, रेल और सड़क तीनों ही मार्गो से जुड़ा हुआ है। बोधगया जाने के लिए सबसे आसान रास्ता हवाई मार्ग है। गया जिला का एयरपोर्ट बिहार का इंटरनेशनल एयरपोर्ट(International Airport) है, जो भारत के अन्य शहरों से भी अच्छी तरह से जुड़ा (Well connected) हुआ है। बोध गया आने का दूसरा सबसे सरल मार्ग रेल मार्ग है। बोधगया से 13 किलोमीटर दूर स्थित गया जंक्शन (Junction) भी भारत के अलग-अलग शहरों से जुड़ा हुआ है। गया आने के लिए आप पटना जंक्शन तक की ट्रेन भी ले सकते हैं। पटना गया की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है। जिससे रोड रेल दोनों ही रास्तों से आसानी से तय किया जा सकता है।

5. राजगीर (Rajgir)

अगर आप भी नेचर को करीब से महसूस करना चाहते हैं तो बिहार की राजधानी पटना से लगभग 100 किलोमीटर के दूरी पर स्थित राजगीर आपके लिए एक परफैक्ट हॉलीडे डेस्टिनेशन (Perfect holiday destination) हो सकता है। राजगीर आजकल प्रकृति प्रेमियों के लिए एक फेमस टूरिस्ट स्पॉट (Famous tourist spot) बनकर उभर रहा है। सिर्फ बिहार से ही नहीं बल्कि पूरे देश और दुनिया के अलग-अलग कोने से लोग यहां घूमने आ रहे हैं। यहां आप कई तरह के एडवेंचर एक्टिविटीज (Adventure activities) भी ट्राई कर सकते हैं। शहरों के शोर-शराबे से दूर और पॉल्यूशन फ्री (Pollution free) इस जगह पर आप बेहद ही शांति से खुद के या किसी अपने के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड (Quality time spend) कर सकते हैं। अगर बात करें राजगीर के पर्यटन स्थलों की तो वहां घूमने लायक जगह में राजगीर जंगल सफारी (Rajgir jungle safari), राजगीर जू सफारी (Rajgir zoo safari), पावापुरी जल मंदिर (Pawapuri Jal Mandir), राजगीर गंगा वॉटर लिफ्टिंग प्रोजेक्ट (Rajgir Ganga Water lifting project), घोरा कटोरा लेक (Ghora katora lake), विश्व शांति स्तूप (vishwa shanti stupa), गिरियक स्तूप (Giriyak stupa), बिंबिसार जेल (Bimbisar jail), ब्रह्म कुंड (Bramha Kund) और सप्तपर्णी गुफा (Saptparni Gufa) प्रमुख हैं

राजगीर कैसे पहुंचे?(How to reach Rajgir)
अगर आप फ्लाइट से राजगीर आना चाह रहे हैं तो पटना स्थित जयप्रकाश नारायण हवाई अड्डा के लिए आप फ्लाइट की बुकिंग करवा सकते हैं। वहीं अगर आप ट्रेन से राजगीर आने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आप राजगीर रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन ले सकते हैं। अगर आपके शहर से राजगीर के लिए डायरेक्ट ट्रेन नहीं है तो आप पहले पटना से और फिर वहां से राजगीर के लिए ट्रेन ले सकते हैं। इसके अलावा बस से भी राजगीर आया जा सकता है। अगर आप आसपास के शहरों में रहते हैं तो राजगीर आने के लिए आप बस की सुविधा का उपयोग कर सकते हैं। राजगीर शहर सड़क मार्ग से बहुत ही अच्छे तरीके से जुड़ा हुआ है। इसलिए आप अपनी गाड़ी या फिर कैब के जरिए भी राजगीर सकते हैं।

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पश्चिम चंपारण जिले में स्थित है बिहार का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान

वाल्मीकि नेशनल पार्क का इतिहास (History of Valmiki National Park)

1950 से पहले यह संरक्षित क्षेत्र, बेतिया महाराज के राज में आता था। सर्वप्रथम, 1978 में इस संरक्षित क्षेत्र को वन्य जीव अभ्यारण घोषित कर दिया गया। इसके पश्चात, 1990 में वाल्मीकि वन्य जीव अभ्यारण्य को नेशनल पार्क का दर्जा दे दिया गया। 1990 में ही, इसे प्रोजेक्ट टाइगर के तहत टाइगर रिजर्व बना दिया गया। वाल्मीकि नेशनल पार्क और वाल्मीकि वन्यजीव अभयारण्य वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) का हिस्सा है।

वाल्मीकि नेशनल पार्क में फॉउना (Fauna in Valmiki National Park)

वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान में कई प्रकार के फॉउना (Fauna) निवास करते हैं। यहाँ पाए जाने वाले जीव निम्नलिखित हैं।

1. मैमल्स (Mammals)

बंगाल टाइगर (Bengal Tiger), इंडियन लेपर्ड (Indian Leopard), एशियन एलीफैंट (Indian Elephant), भारतीय गैंडा (Indian Rhinoceros), क्लाउडेड लेपर्ड (Clouded Leopard), वाइल्ड वाटर बफैलो (Wild Water Buffalo), वाइल्ड बोअर (Wild Boar), एशियाई काला भालू (Asiatic Black Bear), भारतीय स्लॉथ भालू (Indian Sloth Bear), इंडियन गौर (Indian Gaur), स्पॉटेड डियर (Spotted Deer), सांभर (Sambar), बार्किंग डियर (Barking Deer), फिशिंग कैट (Fishing Cat), हॉग डियर (Hog Deer), बंदर (Monkey), उड़ने वाली गिलहरी (Flying Squirrel), औटर (Otter), लेपर्ड कैट (Leopard Cat), वाइल्ड डॉग (Wild Dog), ब्लू बुल या नीलगाय (Blue Bull or Nilgai), लंगूर (Langur), नेवला (Mongoose)

2. बर्ड्स (Birds)

पैराडाईज फ्लाईकैचर (Paradise Flycatcher), कलिज तीतर (Kalij Pheasant), व्हाइट-आई बार्बलर (White-eye Barbler), तीन पंजों वाली बटेर (Three-toed Quail), पाइड हॉर्नबिल (Hornbill), स्टॉर्क (Storks), ग्रीन बारबेट (Green Barbet), प्लोवर (Plover), व्हाइट-ईयर नाइट हेरॉन (White-eared Night Heron), स्निप्स (Snipes), ट्री पिपिट (Tree Pipit), आइबिस (Ibis), ग्रे श्राइक (Gray Shrike), पन्ना डव (Emerald Dove), पिटा (Pitta), ग्रीन विलो वार्बलर (Green Willow Warbler), वेडर्स (Waders)

3. रेप्टाइल्स (Reptiles)

किंग कोबरा (King Cobra), अजगर (Python ), करैत (Krait), मॉनिटर लिजर्ड (Monitor Lizard), बैंडेड करैत (Banded Krait), घड़ियाल (Alligator), क्रोकोडाइल (Crocodile), दोमुंहा सांप (Two-headed Snake)

4. बटरफ्लाई (Butterfly)

ग्लासी टाइगर (Glassy Tiger), ग्रेट मॉर्मन (Great Mormon), ग्रेट एगफ्लाई (Great Eggfly), कॉमन मॉर्मन (Common Mormon), ग्रे पैंसी (Gray Pansy), क्लब बीक (Club Beak), कॉमन क्रो (Common Crow), लाइम बटरफ्लाई (Lime Butterfly)

वाल्मीकि नेशनल पार्क में फ्लोरा (Flora in Valmiki National Park)

अगर बात की जाए मुकुर्थी नेशनल पार्क के फ्लोरा की तो, यहाँ पाए जाने वाले फ्लोरा निम्नलिखित है।

1. महत्वपूर्ण पेड़ (Important Trees)

करम (Karam), साल (Sal), सिमल (Simal), मंदार (Mandar), बंजन (Banjan), बहेरा (Bahera), सतसाल (Satsal), बोडेरा (Bodera), पियार (Piyar), असिद्ध (Asidh), असान (Asan), हर्रा (Harra), चिर पाइन (Chir Pine),

2. घास (Grass)

इम्पेराटा सिलिंड्रिका (Imperata Cylindrica), कंस (Kans), चोरंथ (Choranth), मुंज (Munj), सबाई (Sabai), हाथी घास (Elephant Grass), वेटिवेरिया ज़िज़ानियोइड्स (Vetiveria Zizanioides), नरकट (Narkat)

3. औषधीय पौधे (Medicated Plants)

कुटज (Cottage), आंवला (Gooseberry), सतावर (Satawar), सफेद मूसली (Safed Musli), पाइपर (Piper)

बेस्ट टाइम टू विजिट वाल्मीकि नेशनल पार्क (Best time to visit Valmiki National Park)

अगर आप वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान आने की चाह रख रहे है तो आप समर (Summer) और मानसून (Monsoon) में यहाँ आने से बचें क्योंकि इस समय यहाँ बहुत गर्मी पड़ती है और यह नेशनल पार्क बंद रहता है। यह राष्ट्रीय उद्यान 1 अक्टूबर से 31 मई तक खुला रहता है। आप यहाँ नवंबर से फरवरी के बीच में आने की कोशिश करें क्योंकि इस समय यहाँ का मौसम सुहाना और परिस्थितियां सम रहती हैं और आपको यहाँ ज्यादा से ज्यादा जानवर देखने को मिलेंगे।

कैसे पहुंचे वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान (How to reach Valmiki National Park)?

सड़क मार्ग- वाल्मीकि नेशनल पार्क सड़क मार्ग द्वारा प्रमुख शहरों (पटना, लखनऊ और प्रयागराज) से जुड़ा हुआ है। निकटतम शहर बेतिया (80 किमी) से यहाँ के डेली बस सर्विस है। रेल मार्ग- इस नेशनल पार्क के पास में निकटम रेलवे स्टेशन ‘वाल्मीकि रेलवे स्टेशन’ है जहाँ से आप टैक्सी या बस लेकर वाल्मीकि नेशनल पार्क पहुंच सकते है। हवाई मार्ग- इस नेशनल पार्क का निकटम एयरपोर्ट पटना (जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल एयरपोर्ट) में है जो नेशनल पार्क से 295 किलोमीटर दूर है।

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जन्नत से कम नहीं हैं बिहार के राजगीर शहर की खूबसूरत पहाड़ियां

अगर आप भी नेचर को करीब से महसूस करना चाहते हैं तो बिहार की राजधानी पटना से लगभग 100 किलोमीटर के दूरी पर स्थित राजगीर आपके लिए एक परफैक्ट हॉलीडे डेस्टिनेशन (Perfect holiday destination) हो सकता है। राजगीर आजकल प्रकृति प्रेमियों के लिए एक फेमस टूरिस्ट स्पॉट (Famous tourist spot) बनकर उभर रहा है। सिर्फ बिहार से ही नहीं बल्कि पूरे देश और दुनिया के अलग-अलग कोने से लोग यहां घूमने आ रहे हैं। यहां आप कई तरह के एडवेंचर एक्टिविटीज (Adventure activities) भी ट्राई कर सकते हैं। शहरों के शोर-शराबे से दूर और पॉल्यूशन फ्री (Pollution free) इस जगह पर आप बेहद ही शांति से खुद के या किसी अपने के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड (Quality time spend) कर सकते हैं।

आइए जानते हैं राजगीर के टॉप टेन विजिटिंग प्लेसेस (Top ten Visiting Places) के बारे में :

  • Rajgir jungle safari
  • Rajgir zoo safari
  • Pawapuri Jal Mandir
  • Rajgir Ganga Water lifting project
  • Ghora katora lake
  • vishwa shanti stupa
  • Giriyak stupa
  • Bimbisar jail
  • Bramha Kund
  • Saptparni Gufa

1. राजगीर जंगल सफारी (Rajgir jungle safari)

राजगीर शहर का सबसे मुख्य आकर्षण राजगीर जंगल सफारी है। राजगीर जंगल सफारी में आप कई तरह के एक्टिविटीज (Activities) का आनंद उठा सकते हैं। साथ ही यहां पूर्वोत्तर भारत के सबसे पहले ग्लास ब्रिज (Glass bridge) का भी आनंद लिया जा सकता है।
राजगीर जंगल सफारी में सबसे पहले आपको एक थिएटर (Theatre) में एंट्री (Entry) मिलेगा। जहाँ आप पर्यावरण पर बने शॉर्ट फिल्म (Short film) और डॉक्युमेंट्री (Documentry) देखेंगे। इसके बाद आप जंगल सफारी के लिए निकलेंगे।
इसी जंगल सफारी में उत्तर पूर्वी भारत का सबसे पहला ग्लास ब्रिज भी है। ग्लास ब्रिज जाने के लिए लोगों को अपने जूते उतारने पड़ते हैं। यहां से दिखने वाला नजारा इतना खूबसूरत होता है कि उसे शब्दों में बयां किया जाना मुमकिन ही नहीं है। इसे जानने के लिए आपको यहां आकर खुद से उस फीलिंग को फील (Feel the feeling) करना होगा। ग्लास ब्रिज को एक्सप्लोर (Explore) करने के बाद आप बढ़ जाएंगे सस्पेंशन ब्रिज (Suspension bridge) की ओर।
सस्पेंशन ब्रिज पर भी आप को बिल्कुल ग्लास ब्रिज के जैसा ही चारों ओर का नैचुरल व्यू (natural veiw) मिलेगा। यहां आपको डर भी लग सकता है। लेकिन ट्रस्ट मी (Trust me)! यह बहुत ही एडवेंचरस (Adventurous) है। इसके अलावा आप यहां जिपलाइनिंग (Ziplining), आर्चरी (Archery), राइफल शूटिंग (Rifle Shooting) और स्काई साइकिलिंग (Sky Cycling) का भी मजा ले सकते हैं।

2. राजगीर जू सफारी (Rajgir zoo safari)

जंगल सफारी के अलावा राजगीर में एक जू सफारी भी है। जू सफारी विजिट (Visit) के करने के लिए आप ऑनलाइन या ऑफलाइन (Online or Offline) किसी भी मोड में टिकट ले सकते हैं। जो सफारी में आपको एक एयर कंडीशनिंग (Air conditioning) वाले बस में पूरे जंगल में विजिट करवाया जाएगा और अगर आप लकी हुए तो आप यहां हर तरह के जानवरों को देख पाएंगे। राजगीर जू सफारी में घने जंगलों के बीच जंगली जानवरों को देखना अपने आप में एक बहुत ही खूबसूरत एहसास होता है। साथ ही साथ यह काफी एडवेंचरस भी होता है। क्योंकि कई बार वहीं जंगली जानवर आपके बस के बहुत हीं नजदीक आ जाते हैं।

3. पावापुरी जल मंदिर (Pawapuri Jal Mandir)

पावापुरी का जल मंदिर बिहार हीं नहीं बल्कि पूरे देश में फेमस (Famous) है। यहां दूर-दूर से लोग विजिट करने आते हैं। पावापुरी का जल मंदिर एक जैन मंदिर है। जो जैनों के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के लिए बनवाया गया है। भगवान महावीर ने इसी जगह पर समाधि लिया था। भगवान महावीर के बड़े भाई राजा नंदीवर्धन ने इस मंदिर को बनवाया था। यह मंदिर लेक के बीचों बीच बना हुआ है और काफी शांत वातावरण वाला जगह है। यहां लेक में चारों ओर कमल के फूल खिले हुए हैं। जो इस मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। अगर आप इस जगह पर घूमना चाहते हैं तो यह जगह मेन राजगीर सिटी से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर है और जैन धर्म के लोगों के के लिए यह विशेष आस्था का केंद्र है।

4. राजगीर गंगा वॉटर लिफ्टिंग प्रोजेक्ट (Rajgir Ganga Water lifting project)

वैसे तो यह जगह पर्यटकों के बीच ज्यादा फेमस नहीं है क्योंकि यह एक टूरिस्ट स्पॉट नहीं है। लेकिन अगर आप नेचर की खूबसूरती को शांति से एक्सप्लोर करना चाहते हैं तो आप इस जगह का विजिट कर सकते हैं। क्योंकि यहां दूर-दूर तक आपको इक्के दुक्के लोग हीं दिखाई देंगे। असल में यहां पाइप लाइन के जरिए गंगा नदी के पानी को लाया जाता है और यह चारों ओर से जंगलों से घिरा हुआ है। इसीलिए नेचर को एक्सप्लोर करने के लिए यह जगह परफेक्ट है। इस जगह पर आपको मिलने वाले व्यूज़ इतने खूबसूरत होते हैं कि यहां से जाने का आपका मन ही नहीं करेगा।

5. घोरा कटोरा लेक (Ghora katora lake)

इस लेक को इंसानों के द्वारा नहीं बनवाया गया है। यह एक नेचुरल लेक है। जिसके कारण इस लेक की खूबसूरती और भी ज्यादा बढ़ जाती है। इस लेक के बीचों बीच लगभग 70 फीट ऊंची भगवान बुद्ध की प्रतिमा है। जो इस लेक की खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ा देती है। इस लेक के चारों ओर ग्रीनरी हीं ग्रीनरी (Only greenry) है। जिसके कारण यहां आने वाले पर्यटकों का मन पूरी तरह से शांत हो जाता है।
इस लेक में ढेर सारे बत्तख भी मौजूद हैं जो आपके वोटिंग के एक्सपीरियंस (Experience of boating) को और ज्यादा खूबसूरत बना देते हैं।
आप इस लेक में वोटिंग भी कर सकते हैं। यहां पेडल (Paddle) वाली वोटिंग की सुविधा है। भगवान बुद्ध से जुड़ होने के कारण और अपने प्राकृतिक खूबसूरती के वजह से यह जगह काफी फेमस है।

6. विश्व शांति स्तूप (vishwa shanti stupa)

विश्व शांति स्तूप एक पहाड़ी पर स्थित है। जहां तक जाने के लिए आपको ट्रैकिंग (Tracking) करनी होगी या फिर आप रोपवे (Ropeway) का भी सहारा ले सकते हैं। मोस्टली लोग यहां एडवेंचर एक्सपीरियंस करने के लिए रोपवे के जरिए ही इस पहाड़ी पर जाते हैं। अगर आप भी कुछ अलग एक्सपीरियंस करना चाहते हैं तो आप भी रोपवे ट्राई कर सकते हैं। विश्व शांति स्तूप के पहाड़ी पर पहुंचने के बाद आपको बहुत हीं शांति और पॉजिटिविटी (Positivity) का एहसास होगा। साथ हीं यहां से मिलने वाले नजारे भी बहुत खूबसूरत होते हैं।

7. गिरियक स्तूप (Giriyak stupa)

गिरियक स्तूप तक पहुंचने के लिए आपको पहाड़ी पर चढ़ना होगा। जिसके लिए आपको लगभग 1:30 से 2 घंटे की ट्रैकिंग (Tracking) करनी होगी। इस पहाड़ी के बगल से हीं एक पंचानन नदी बहती है। साथ हीं यहां चारों ओर आपको हरे-भरे जंगल और पेड़ हीं पेड़ नजर आएंगे। जो आपके इस ट्रैकिंग के सफर को और ज्यादा खूबसूरत बना देंगे। यहाँ जाने के लिए आपके लिए हमारी ओर से एक सजेशन (Suggestion) है कि आप अपने साथ दो-तीन पानी के बोतल और कुछ स्नैक्स (Snacks) लेकर जाए। क्योंकि यहां दूर-दूर तक सिर्फ जंगल ही है। यहाँ दूर तलक फैली हुई हरियाली आपको बिल्कुल हीं अलग एहसास देगी। जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। यह इतना खूबसूरत व्यु होता है कि आप अपने सारे थकान को पल भर में भूल जाएंगे।

8. बिंबिसार जेल (Bimbisar jail)

अगर आपकी रुचि भी ऐतिहासिक स्थलों (historical sites) को एक्सप्लोर करने और उनके बारे में सीखने और समझने में है तो आप बिंबिसार जेल का भी विजिट कर सकते हैं। इस जेल को बिंबिसार के बेटे अजातशत्रु ने अपने ही पिता के लिए बनवाया था आत्महत्या कर ली इस जगह के बारे में सबसे पहले अंग्रेजों के शासनकाल में ही पता चला था इस जगह से खुदाई करके निकाले गए अवशेषों (remains) को नालंदा म्यूजियम (Nalanda musuem) में रखा गया है यहां आपको गाइड भी मिल जाएंगे जो आपसे कुछ रुपए लेकर आपको इस जगह के बारे में सारी कहानी डिटेल (Detail) में बताएंगे।

9. ब्रह्म कुंड (Bramha Kund)

राजगीर में टोटल 22 कुंड हैं जिसमें से यह कुंड सबसे प्रसिद्ध है। इस कुंड के इतना फेमस होने के पीछे का कारण यहां का गर्म पानी है। बताया जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से तरह-तरह के स्किन डिजीज (Skin dieseases) से छुटकारा मिलता है। आप भी इस जगह पर आकर स्नान कर सकते हैं। इस प्राकृतिक गर्म जल कुंड में नहाने के बाद आपके सारे थकान दूर हो जाएंगे और आप बिल्कुल तरोताजा हो जाएंगे। यह जगह बहुत ही शांत जगह है और राजगीर आने वाले लोगों के बीच बहुत फेमस है।

10. सप्तपर्णी गुफा (Saptparni Gufa)

सप्तपर्णी गुफा के बारे में बताया जाता है कि यह गुफा भगवान बुद्ध का साधना स्थल था। इस गुफा में बैठकर भगवान बुद्ध तपस्या किया करते थे। यह गुफा बहुत हीं संकरी है और बहुत हीं शांत जगह पर स्थित है। इस जगह को बौद्ध धर्म में बहुत हीं पवित्र माना जाता है। यहां दुनिया भर से बौद्ध धर्म के अनुयायी घूमने के लिए आते हैं। अगर आप राजगीर रहे हैं तो यह जगह आप जरूर से जरूर घूमें।

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ये हैं बिहार की राजधानी पटना के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल

आज हम आपको लेकर चलेंगे एक ऐसे शहर के सफर पर, जिसका भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। जब बात भारत के इतिहास की हो तो इस शहर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। हम बात कर रहे हैं पटना शहर की। यह शहर गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। अगर बात किया जाए इस शहर के वर्तमान की तो यह काफी विकसित हो चुका है। शहर के बड़े-बड़े बिल्डिंग्स, बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल और यहां की सड़कें यह बताने के लिए काफी हैं कि यह शहर भी किसी अन्य शहर से पीछे नहीं है। पटना पर्यटन के लिए भी काफी मशहूर है। जिन लोगों को इतिहास में रुचि है, यह शहर उनका बाहें फैलाकर स्वागत करता है। आइए जानते हैं इस शहर के प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में जो इस शहर की शान माने जाते हैं।(visiting places of Patna)

  • गोलघर (Golghar)
  • श्री कृष्ण साइंस सेंटर पटना (Shri Krishna Science Center Patna)
  • बिस्कोमान भवन (Biscomaun Bhawan)
  • गांधी मैदान (Gandhi maidan)
  • बुद्धा स्मृति पार्क (Buddha smriti park)
  • महावीर मंदिर (Mahaveer mandir)
  • तारामंडल (Patna Planetarium – Taramandal)
  • बिहार म्यूजियम (Bihar museum)
  • गांधी म्यूजियम (Gandhi museum)
  • पटना म्यूजियम (Patna museum)
  • संजय गांधी जैविक उद्यान पटना (Sanjay Gandhi Biological Park)
  • पटना साहिब (Patna sahib)
  • इको पार्क (Eco park)
  • गंगा घाट (Ganga Ghat)
  • अगम कुआं (Agam Kuan)
  • कुम्हरार (Kumhrar)

1. गोलघर (Golghar)
पटना शहर के बीच में स्थित है गोलघर! जिसे अंग्रेजों द्वारा अनाज के संग्रह के लिए 1786 में बनवाया गया था। एक समय था, जब गोलघर के ऊपर से पूरे पटना शहर के दर्शन किया जा सकता था। लेकिन समय के साथ-साथ इस शहर ने भी तरक्की की और यहां भी बड़े बड़े बिल्डिंग्स बन गए। जिसके कारण अब पूरे पटना शहर का तो दर्शन नहीं किया जा सकता है, लेकिन अब भी गोलघर के शीर्ष से तरक्की की राह पर बढ़ते हुए इस शहर को देखना काफी रमणीय दृश्य होता है।

2. श्री कृष्ण साइंस सेंटर पटना (Shri Krishna Science Center Patna)

पटना साइंस सेंटर विज्ञान के क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोगों और बच्चों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है। यहां जाकर आप अचंभित कर देने वाली वैज्ञानिक घटनाओं को देख और समझ सकते हैं। यहां बहुत से गाइड मौजूद होते हैं। जो वैज्ञानिक प्रयोगों और उनके कारणों के बारे में पर्यटकों को समझाते हैं। यहां लेजर शो की भी व्यवस्था की गई है।
पटना साइंस सेंटर की स्थापना 1978 में की गई थी और इसका नामकरण बिहार के पहले मुख्यमंत्री डॉ श्रीकृष्ण सिंह के नाम पर किया गया है। आपको जानकारियां हैरानी होगी कि यह देश का पहला क्षेत्रीय स्तर का विज्ञान केंद्र है।

पटना साइंस सेंटर के खुलने का समय सुबह 9:30 बजे से शाम के 6:00 बजे तक का होता है। लेकिन यहां टिकट का काउंटर हर रोज शाम 5:15 बजे हीं बंद हो जाता है।

3. बिस्कोमान भवन (Biscomaun Bhawan)

पटना साइंस सेंटर के बगल में स्थित है बिस्कोमान भवन। यह पटना हीं नहीं बल्कि पूरे बिहार का सबसे ऊंचा बिल्डिंग है। बिस्कोमान भवन में बहुत सारे ऑफिस हैं और इसके टॉप फ्लोर पर एक “पाइंड द रिवाल्विंग रेस्टोरेंट” है। जो अपने जगह पर 360 डिग्री तक घूमता रहता है। घूमते रहने की खासियत के कारण यह रेस्टोरेंट पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। आप भी यहां जाकर बेहद ही शांत माहौल में लंच इंजॉय कर सकते हैं।

बिस्कोमान भवन सुबह 8:00 बजे से शाम के 5:00 बजे तक खुला रहता है।

4. गांधी मैदान (Gandhi maidan)

गांधी मैदान जिसे पटना का हार्ट भी कहा जाता है, 62 एकड़ जमीन में फैला एक खुला मैदान है। जहाँ हर दिन पटना के बच्चे, बूढ़े और जवान आपको व्यायाम करते मिलेंगे।
गांधी मैदान का उपयोग मुख्यतः 26 जनवरी या 15 अगस्त के दिन झंडोतोलन, परेड और झांकियों के लिए किया जाता है। इसके अलावा यहां बिहार दिवस के अवसर पर भी कई तरह के कार्यक्रम होते हैं। इससे इतर इस मैदान का उपयोग चुनाव प्रचार प्रसार के लिए भी किया जाता है। इस मैदान के दीवारों पर आपको मधुबनी पेंटिंग्स की झलक देखने को मिल जाएंगी।

गांधी मैदान में हर वीकेंड पर रात को फिल्म चलाई जाती है। जिसके लिए किसी भी तरह का एंट्री फीस नहीं देना होता है। आप आराम से जाकर खुले आसमान के नीचे बैठकर मूवी को इंजॉय कर सकते हैं। अगर आप भी वीकेंड पर पटना में है तो एक बार गांधी मैदान का चक्कर जरुर लगाएं। यकीनन यह आपको काफी पसंद आएगा

5. बुद्धा स्मृति पार्क (Buddha smriti park)

बुद्धा स्मृति पार्क गांधी मैदान से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस पार्क की खासियत यह है कि यहां पर हर समय होने वाले बुद्धम शरणम गच्छामि के मंत्रोच्चारण के कारण यहां आने वाले पर्यटकों का मन शांत हो जाता है।

इस पार्क में एक 200 फीट ऊंचा एक स्तूप है। जिसमें भगवान बुद्ध की अस्थियों के अवशेष को रखा गया है। इस पार्क का उद्घाटन 27 मई 2010 को दलाई लामा ने किया था। उन्होंने पार्क के स्तूप का नाम पाटलिपुत्र करुणा स्तूप रखा। यह पार्क दुनिया भर के बौद्ध पर्यटकों की आस्था का केंद्र है।
यहाँ पार्क ऑफ मेमोरी म्यूजियम, लेजर शो, बोध वृक्ष, लाइब्रेरी और मेडिटेशन सेंटर भी है।
इस पार्क में बांकीपुर जेल के अवशेषों को भी सहेज कर रखा गया है।
बुद्धा स्मृति पार्क के एंट्री टिकट का प्राइस ₹20 है। यह पार्क सोमवार के अलावा सप्ताह के अन्य दिनों में खुला रहता है और इस पार्क के खुलने की टाइमिंग सुबह के 9:00 से शाम के 7:00 बजे तक की है।

6. महावीर मंदिर (Mahaveer mandir)

बुद्धा स्मृति पार्क से वॉकिंग डिस्टेंस पर हीं स्थित है महावीर मंदिर। जो उत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं और यह मंदिर देश के प्राचीनतम हनुमान मंदिरों में से एक है। अगर आप इस मंदिर में घूमना चाहते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि सामान्य दिनों में ही यहां आएं। क्योंकि रामनवमी, शिवरात्रि या फिर दशहरा के दिनों में यह मंदिर बहुत हीं व्यस्त रहता है। ऐसे में यहां बहुत अधिक मात्रा में श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर की एक और खासियत यह है कि इस मंदिर का ट्रस्ट उत्तर भारत का सबसे बड़ा धार्मिक ट्रस्ट है। जो गरीब लोगों के कैंसर का इलाज करवाने और जरूरतमंदों की सेवा और परोपकार के कार्यों के लिए जाना है।

7. तारामंडल (Patna Planetarium – Taramandal)
पटना का तारामंडल उन लोगों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है, जिन्हें पृथ्वी के बाहर के ब्रह्मांड के बारे में जानने में अत्यंत रुचि होती है। यहां जाकर आप अंतरिक्ष के बारे में काफी कुछ सीख और समाझ सकते हैं। यह तारामंडल सुबह 10:00 बजे से शाम के 5:00 बजे तक खुला रहता है और यहां की एंट्री फीस ₹50 है। यहां प्रत्येक दिन दो शो चलते हैं जिनकी टाइमिंग 12:00 से 2:00 और 3:00 से 5:00 होती है। तारामंडल पटना शहर के बेली रोड में स्थित है और डाकबंगला चौराहे से वॉकिंग डिस्टेंस पर है।

8. बिहार म्यूजियम (Bihar museum)

बिहार म्यूजियम पटना, तारामंडल से कुछ हीं दूरी पर स्थित है। इस म्यूजियम में आकर ना सिर्फ पटना, बल्कि पूरे देश के इतिहास को देखा, समझा और जिया जा सकता है। यहां कई तरह की एंटी कलाकृतियां संजोकर रखी गईं हैं, जो ऐतिहासिक ज्ञान का केंद्र हैं।

बिहार म्यूजियम पटना के बेली रोड में स्थित है और एक पसंदीदा पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। बिहार म्यूजियम का इंटीरियर वाकई काबिल-ए-तारीफ है। यहां का परिसर बहुत साफ सुथरा है।

अगर आप बिहार म्यूजियम जाना चाहते हैं तो, यहां की टाइमिंग सुबह के 10:00 बजे से शाम के 5:00 बजे तक की है और यहां का टिकट प्राइस ₹15 है।

9. गांधी म्यूजियम (Gandhi museum)

पटना में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के यादों को सहेज कर रखा गया है। अगर आप भी महात्मा गांधी के बारे में जानना और समझना चाहते हैं तो पटना का गांधी म्यूजियम आपके लिए बेस्ट डेस्टिनेशन है। जहां गांधी जी के जीवन से संबंधित वस्तुओं का प्रदर्शनी लगवाया गया है। यह एक छोटा सा म्यूजियम है और निशुल्क म्यूजियम है। इस म्यूजियम में गांधीजी के सादे व्यक्तित्व और जीवन के दर्शन किए जा सकते हैं।(visiting places of Patna)

पटना का गांधी संग्रहालय दो शिफ्टों में खुलता है। पहला शिफ्ट सुबह 10:00 बजे से दोपहर के 1:00 बजे तक का होता है और दूसरा शिफ्ट दोपहर के 2:00 बजे से शाम के 5:45 तक होता है।
यहां जाने के लिए किसी भी प्रकार का टिकट नहीं लगता है।

10. पटना म्यूजियम (Patna museum)

पटना में एक जिला स्तरीय संग्रहालय भी है। जिसे पटना म्यूजियम के नाम से जाना जाता है। यह म्यूजियम भी बिहार म्यूजियम और गांधी म्यूजियम के तरह हीं बहुत सारे ऐतिहासिक धरोहरों को अपने में संजोए हुए है। अब क्योंकि पटना का इतिहास देश के इतिहास से जुड़ा हुआ है, इसलिए यहां भी भारत के इतिहास के दर्शन किए जा सकते हैं। अगर आपको भी इतिहास में रुचि है तो आप इस म्यूजियम का रुख कर सकते हैं।
म्यूजियम सोमवार को बंद रहता है और सप्ताह के दूसरे दिनों में सुबह 10:30 बजे से शाम के 4:30 बजे तक खुला रहता है।

11. संजय गांधी जैविक उद्यान पटना (Sanjay Gandhi Biological Park)

इस शहर में एक चिड़िया घर भी है। जिसका नाम संजय गांधी जैविक उद्यान है। संजय गांधी जैविक उद्यान पटना बेली रोड पर स्थित है। इसे 1973 में एक चिड़ियाघर के रूप में जनता के लिए खोला गया था। इस चिड़ियाघर में आज के समय में लगभग 110 प्रजातियों के 800 से अधिक जानवरों को रखा गया है। जिनमें बाघ, तेंदुआ, हिमालयी काला भालू, सियार हाथी, दरियाई घोड़ा, काला हिरन, चितौदार हिरण, मोर, पहाड़ी मैना, घडियाल, अजगर, आदि शामिल है।
यहां एक एक्वेरियम भी है। जिसमें मछलियों की लगभग 35 प्रजातियाँ हैं, और स्नेक हाउस में 5 अलग-अलग प्रजातियों के 32 साँप हैं।

अगर आप चिड़ियाँ घर घूमना चाहते हैं तो आपको चिड़ियों घर के लिए पटना जंक्शन से हीं बस मिल जाएगी। यहाँ के टिकट का शुल्क बड़ों के लिए ₹30, बच्चों के लिए ₹10 और स्टूडेंट्स के ग्रुप के लिए ₹5 है।

12. पटना साहिब (Patna sahib)

पटना सिटी में सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह साहिब का जन्म स्थान और गुरुद्वारा है। जिसे तख्त श्री हरमंदिर साहिब के नाम से जाना जाता है। इस गुरुद्वारा को पटना साहिब भी कहते हैं। इस गुरुद्वारे से गुरु नानक देव और गुरु तेग बहादुर सिंह जी की यादें भी जुड़ी हुई हैं। यह गुरुद्वारा भारत के सबसे प्रसिद्ध गुरुद्वारों में से एक है। जहां दूर-दूर से लोग मत्था टेकने आते हैं। इस गुरुद्वारे को महाराणा रंजीत सिंह ने बनवाया था और यह गुरुद्वारा सिख समुदाय के लोगों के लिए एक विशेष आस्था का केंद्र है।

13. इको पार्क (Eco park)

पटना में स्थित इको पार्क इस शहर के लोगों के लिए एक परफेक्ट पिकनिक डेस्टिनेशन है। यहां आप वोटिंग के साथ-साथ कई तरह के के राइट्स का भी मजा ले सकते हैं। यह पार्क पटना के सबसे खूबसूरत और फेमस पार्कों में से एक है। इस पार्क एंट्री फीस ₹20 है। लेकिन अगर आप बोटिंग करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको अलग से टिकट लेनी होगी। जो कि ₹60 पर पर्सन का होता है।

यह पार्क सप्ताह के सातों दिन खुला रहता है और इसकी टाइमिंग सुबह के 6:00 से शाम के 8:45 तक की है।

14. गंगा घाट (Ganga Ghat)

अब क्योंकि पटना शहर गंगा के किनारे बसा हुआ है तो ऐसे में यहाँ कई घाट भी हैं। जिनमें NIT घाट, गांधी घाट, कृष्णा घाट, बंशी घाट, काली घाट, गाय घाट आदि प्रमुख हैं। इन घाटों को जोड़ने के लिए गंगा के किनारे किनारे गंगा पाथवे बना हुआ है। शाम के समय कल कल बहती गंगा और ठंडी हवा के झोंके के बीच इस पाथवे पर चलना आपके दिन भर के थकान को खत्म करके आपको फिर से तरो ताजा कर देगा।

इस पाथवे के किनारे किनारे दीवारों पर खूबसूरत चित्रकारी की गयी है। जिसमें बिहार के अदभुत संस्कृति का झलक देखने को मिलता है।

15. अगम कुआं (Agam Kuan)

पटना शहर में सम्राट अशोक के शासनकाल से जुड़े बहुत सारे ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं जिनके बारे में जाने बिना पटना शहर को पूरी तरह से घुमा नहीं जा सकता है।ऐसे ऐतिहासिक स्थलों की सूची में अगम कुआं भी एक है। बताया जाता है कि सम्राट अशोक के बौद्ध धर्म को अपनाने से पहले तक अपराधियों को सजा देने के लिए इस कुएं का इस्तेमाल किया जाता था। इसलिए इस कुआं को “धरती का नर्क” भी कहा जाता था।
बताया जाता है कि इस कुएं का पानी कभी भी खत्म नहीं होता है और यह कुआं सीधा गंगासागर से जुड़ा हुआ है। कई बार बिहार सरकार के द्वारा इस कुएं के पानी को निकलवाने की कोशिश की गई। लेकिन ऐसा किया नहीं जा सका। बताया जाता है कि मुगल साम्राज्य के समय सम्राट अकबर ने इस कुएं का नवीनीकरण करवाया था। आज के समय में यह कुआं एक पर्यटन स्थल के तौर पर जाना जाता है।

16. कुम्हरार (Kumhrar)

बिहार की राजधानी पटना सम्राट अशोक के समय में अखंड भारत की राजधानी हुआ करती थी। पटना में इसके अवशेष आज भी जगह जगह देखने को मिलते हैं। पटना के कुम्हरार इलाके में आज भी गुप्त वंश के राज महलों के अवशेषों को देखा जा सकता है। अगर आपकी रूचि भी इतिहास को जानने में है और आप भी ऐसे ऐतिहासिक जगहों को एक्सप्लोर करना पसंद करते हैं तो यह जगह आपके लिए सबसे बेस्ट है।

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भारत के समृद्ध इतिहास के गवाह हैं नालंदा विश्वविद्यालय के ये खंडहर

अगर आप भी ऐतिहासिक धरोहरों (Historical monuments) को देखने और उनके इतिहास के बारे में समझने की चाहत रखते हैं तो, आपको बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय को देखना और समझना भी काफी पसंद आएगा। ऐसा विश्वविद्यालय जिसे पूरे दुनिया में ज्ञान का केंद्र माना जाता था, आज वह मात्र एक वर्ल्ड हेरिटेज साइट (World Heritage Site) के रूप में सिमट कर रह गया है। आइए जानते हैं इस विश्वविद्यालय के विनाश की कहानी और आप कैसे यहां घूमने जा सकते हैं इसके बारे में।
आइए जानते हैं नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में (Lets know about Nalanda University):-

किसने बनवाया ? who was the Founder of Nalanda University?
यह विश्वविद्यालय ना सिर्फ भारत बल्कि संपूर्ण संसार के प्राचीनतम विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है। इस विश्वविद्यालय का निर्माण गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त ने पांचवी सदी में करवाया गया था। बाद में कुमारगुप्त के उत्तराधिकारियों (successors) ने इसे सहेज कर रखा। गुप्त वंश के पतन (Downfall) के बाद आने वाले दूसरे शासकों ने भी इसके विकास में सहयोग दिया। इसे महान सम्राट हर्षवर्धन और पाल शासकों का भी संरक्षण (Protection) मिला।

  • विश्वविद्यालय का निर्माण मुख्यतः तीन राजाओं के द्वारा करवाया गया था। जिसमें पहले राजा थे कुमारगुप्त जिन्होंने इसकी पहली मंजिल का निर्माण करवाया था और इस विश्वविद्यालय की नींव (foundation) रखी थी। कुमारगुप्त एक महान शासक थे और उनका राज्य मगध कहलाता था। मगध की राजधानी राजगृह होती थी जो नालंदा विश्वविद्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। राजगृह आज के समय में राजगीर कहलाता है और बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थलों (major tourist destinations) में से एक है।
  • दूसरे थे कन्नौज के राजा हर्षवर्धन जिन्होंने सातवीं शताब्दी में इसकी दूसरी मंजिल का निर्माण करवाया और इसके बाद नालंदा विश्वविद्यालय पूरे दुनिया में प्रसिद्ध (Famous) हो गया।
  • इसके बाद तीसरे थे बंगाल के राजा देव पाल, जिन्होंने 9वीं शताब्दी में इसकी तीसरी मंजिल का निर्माण करवाया। जिसके बाद इस विश्वविद्यालय को दुनिया भर में और ज्यादा प्रसिद्धि (fame) मिल गई।

किसने खोजा? Discovery of Nalanda University

19वीं शताब्दी में एक अंग्रेज (Englishman) को नालंदा में पढ़ रहे एक चीनी यात्री की डायरी मिली। जब वह उस डायरी (diary) में लिखे पते पर पहुंचा तो वह चारों ओर वीरान खंडहर (deserted ruins) थे। वहाँ टहलते हुए अंग्रेज ने देखा कि वहां कुछ चौथी शताब्दी के बने ईट के अवशेष हैं। फिर उसने हल्के हाथों से उस जगह को कुरेद (scrape) कर देखा तो उसे एक के बाद एक सजी हुई ईटों की श्रंखला (series) दिखाई दिया। उसके बाद उसने हीं वहां की खुदाई (digging) प्रारंभ करवाई और इस प्रकार खोज हुआ विश्व के प्राचीनतम विश्वविद्यालय, नालंदा विश्वविद्यालय की।

19वीं सदी में नालंदा विश्वविद्यालय की खुदाई के समय सिर्फ 5% भाग हीं खुदाई करके बाहर निकाला गया। फिर इसकी खुदाई का काम रोक दिया गया। लेकिन नरेंद्र मोदी की गवर्नमेंट (Goverment) के नेतृत्व में 2016 में इसकी खुदाई और पुनरुद्धार (Restoration) का काम प्रारंभ किया गया। आज के समय में नालंदा विश्वविद्यालय भारत के प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों में से एक है। यूनेस्को (UNESCO) ने भी इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट के रूप में मान्यता दी है।

नालंदा विश्वविद्यालय में 1500 से अधिक शिक्षक थे और 10,000 से अधिक छात्र पढाई किया करते थे। यहां विश्व के कोने-कोने से विद्यार्थी पढ़ने आते थे।
यहां छात्रों के रहने के लिए 300 से अधिक कमरे बने हुए थे। सभी कमरे में रोशनी की व्यवस्था थी। विद्यालय के परिसर में जगह जगह पढ़ने का स्थान, प्रार्थना का प्रांगण (prayer hall) और स्टडी हॉल (study hall) बने हुए थे। एक कमरे में एक या एक से अधिक छात्रों के रहने की व्यवस्था थी।
इन कमरों का प्रबंधन (management) संस्थानों और छात्र संगठनों (Institutions and student organizations) के द्वारा संभाला जाता था।

नालंदा विश्वविद्यालय के नजदीक हीं एक म्यूजियम बनवाया गया है। यहां पर नालंदा विश्वविद्यालय की खुदाई से मिलने वाले मूर्तियों और अवशेषों को संरक्षित करके रखा गया है। इसमें कई तरह की बुद्ध की काँसे की मूर्तियां भी शामिल हैं।

कैसे पहुंचे? how to reach?

अगर आप नालंदा आना चाहते हैं तो नालंदा का सबसे करीबी हवाई अड्डा पटना में स्थित जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (Jaiprakash Narayan International Airport) है। जहां से नालंदा शहर की दूरी लगभग 90 किलोमीटर है। आपको बता दें कि पटना का जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चंडीगढ़, देहरादून, जयपुर, अहमदाबाद और कोयंबटूर के साथ-साथ देश के काफी सारे अन्य हवाई अड्डों से जुड़ा हुआ है। जिसकी वजह से आपको फ्लाइट (Flight) से पटना पहुंचने में कोई भी तकलीफ नहीं होगी।

नालंदा का सबसे करीबी रेलवे स्टेशन नालंदा जिला में ही स्थित है। लेकिन नालंदा रेलवे स्टेशन के लिए आपको सिर्फ नालंदा के नजदीकी रेलवे स्टेशन पटना, दानापुर, गया, बिहार शरीफ और राजगीर से ही ट्रेन की सुविधा मिल पाएगी। अगर आप इन शहरों से जुड़े हुए हैं, तो आप आसानी से अपने शहर से ट्रेन पकड़ कर नालंदा पहुंच सकते हैं और नालंदा शहर को विजिट कर सकते हैं। लेकिन अगर आपके शहर से नालंदा के लिए डायरेक्ट (Direct) ट्रेन की सुविधा उपलब्ध नहीं है तो आपको अपने शहर से गया या पटना जंक्शन के लिए ट्रेन पकड़नी होगी।

अगर प्राचीनतम इमारतों को देखने और उसके बारे में जानने में आपकी भी रुचि है, तो इस जगह पर आना आपके लिए बेहद ही रोमांचक सफर साबित होगा।