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धनौल्टी में नेचर व्यू, एडवेंचर स्पॉट्स, ईको पार्क, सुरकंडा देवी मंदिर और स्थानीय गांव और बाजार देखने के बाद शेड्यूल के अनुसार अगले दिन हमारा प्रोग्राम था चम्बा और टिहरी बांध और शहर देखने का। जिसके बारें में हमने काफी सुना था।
टिहरी जाने का खास मकसद था एक ऐसे शहर को देखना, समझना जिसे डूबा कर उस पर बांध बना दिया गया था। सम्भवतः जिसकी गिनती देश के सबसे बड़े बांधों में की जाती है।
सुबह नाश्ते में मिक्स वेज परांठे लिए वो भी ताजा मक्खन और गरमा-गर्म चाय के साथ। पहाड़ों की सर्दियों में चाय आपको अवश्य रास आएगी। धनौल्टी से टिहरी लगभग ढाई-तीन घंटे का सफर था। चम्बा शहर के बाजार होते हुए हम तकरीबन एक बजे टिहरी झील पहुंचे। जिसे आज सुमन सागर के नाम से जाना जाता है। जहाँ आज लगभग बयालीस किलोमीटर लम्बी झील दिखाई देती है वहां कभी भरा-पूरा टिहरी शहर था। बताते हैं यह टिहरी शहर दो सौ साल से भी ज्यादा समय तक आबाद रहा। (Tehri, Uttarakhand)
आज भी जब गर्मियों में झील के पानी का लेवल कम हो जाता है तब आप आसानी से इस शहर के राजमहल के कुछ हिस्से इस विशाल झील में देख सकते हैं। आज इस पूरे क्षेत्र को एक सुन्दर टूरिस्ट स्पॉट के रूप में डेवेलप किया गया है। झील के किनारे पर बहुत सारे छोटे-छोटे फ़ूड स्टाल बनाये गए हैं जहाँ पर पर्यटक जलपान करते हुए पहाड़ों की तलहटी में दूर-दूर तक फैली झील को निहार सकते हैं, प्राकृतिक दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।
हमने वहां पहुँच कर सबसे पहले मैगी आर्डर की और चाय पीते हुए इत्मीनान से अपनी थकान उतारी। चाय के शौकीन लोगों के लिए इससे बेहतर तो क्या ही होगा। नीला आसमान और सर्द तेज हवाएं बड़े मेट्रो शहर और पहाड़ों के दरमियान जो बड़ा अंतर् है उसे बयान कर रही थी। वही चाय पीते हुए पता चला कि सिर्फ एक बांध बनाने के लिए एक पूरे टिहरी शहर को डूबा दिया गया। एक पूरा शहर विकास की भेंट चढ़कर सदा के लिये पानी में समा गया। बताते हैं इस बांध के निर्माण से यहाँ के लगभग 125 गांवों पर असर पड़ा था। इस दौरान 37 गांव पूरी तरह से डूब गए थे जबकि 88 गांव आंशिक रूप से प्रभावित हुए थे। और फिर नए टिहरी शहर को बनाने के लिए पहाड़ और असंख्य पेड़ों को अपनी कुबानी देनी पड़ी। यह नया टिहरी शहर वहां से लगभग चौदह-पंद्रह किलोमीटर दूर थोड़ी ऊंचाई पर बनाया गया।
यह बांध और झील जहाँ पर तरह-तरह के वाटर स्पोर्ट्स, जेट स्कीइंग से हॉट एयर बैलून सवारी तक कई अलग-अलग एक्टिविटीज शामिल हैं, और शायद वहां के बहुत सारे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का अवसर भी। टिहरी झील आकर पर्यटक नौका विहार, जेट स्पीड बोट सवारी, वाटर स्कीइंग, जोर्बिंग, बनाना वोट सवारी, बैंडवेगन वोट सवारी, हॉटडॉग सवारी और पैराग्लाइडिंग जैसे स्पोर्ट्स एडवेंचर्स कर सकते हैं।
वहीं टिहरी झील के किनारे एक जगह वाटर एक्टिविटीज के लिए टिकट काउंटर था जहाँ से हमने बोटिंग करने के लिए टिकट लिया और खूबसूरत पहाड़ों के बीच दूर तक फैली टिहरी झील का लगभग 4० मिनट जी भर कर आनंद लिया। आप एक लम्बा सफर तय करने के बाद जब इस झील में एक शिकारे टाइप बोट से प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेते हैं तब ऐसा लगेगा कि इतनी दूरी तय करके यहाँ आना किसी भी तरह घाटे का सौदा नहीं है।
झील के पास पहुँचते ही आपका हाथ अपने आप कैमरे या फोन तक जायेगा और आप स्वयं को यहाँ के खूबसूरत लम्हों को कैद करने से बिलकुल भी नहीं रोक पाओगे। मन करेगा यहाँ से सब कुछ समेट ले जाओ। आपको यहाँ अनगिनत नेचुरल सेल्फी पॉइंट मिल जायेंगे जहाँ आप जी भर कर फोटो ले सकते हैं।
दरअसल हिल स्टेशन अपने दृश्यों के लिए जाने जाते हैं ऐसे में वहां अगर आपको नेचुरल व्यूज के अलावा झील और एडवेंचर स्पॉट मिल जाये तो समझ लीजिए यात्रा सफल। इसी मनभावन सौदर्यता से परिपूर्ण टिहरी शहर में और इसके आसपास की खूबसूरत जगहों पर बॉलीवुड स्टार शाहीद कपूर और श्रद्धा कपूर की फिल्म बत्ती गुल मीटर चालू की लगभग सारी शूटिंग हुयी है।
हमने टिहरी में अच्छा-खासा समय व्यतीत किया। और शाम तक नए टिहरी शहर और चम्बा होते हुए वापिस धनौल्टी अपने रिज़ोर्ट पहुँच गए। अगले दिन वापिसी तय थी और फिर शामिल हो जाना था उसी भीड़ भाड़ और व्यस्तता भरी दुनिया में जहाँ लौटना हमारी मजबूरी थी। (Tehri, Uttarakhand)
Written by Pardeep Kumar
some glimpse of Tehri Lake….