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रहस्यों का गढ़ है-सांची का स्तूप

भारत का हृदय कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में स्थित है सांची, जो रायसेन जिले के अंतर्गत आता है। जिसका निर्माण सम्राट अशोक ने करवाया था। सांची अपनी कलाकृतियों से पर्यटकों को भावविभोर करता है। इसकी कलाकृतियों में जुड़े चार शेर वाला राष्ट्रीय चिह्न यही से लिया गया है। जिसको आप रुपयों, बैंको और अन्य सरकारी चीजों पर देखते हैं। इस ब्लॉग में हम साँची के स्तूप के विषय में बेहद जरुरी और दिलचस्प तथ्यों के बारे में बात करेंगे (Stupa of Sanchi)

Stupa of Sanchi
sanchi ka stoop

मुख्य रूप से इसका उपयोग सरकारी मुहर लगाने में या पासपोर्ट पर मुद्रित किए जाने में होता है। इस चार शेर वाले चिह्न को 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया था। किसी भी निजी संस्था द्वारा इसका उपयोग करना दंडनीय हो सकता है। इस राष्ट्रीय चिह्न में हम तीन ही शेर देख पाते हैं। दरअसल,  चारों शेर अपनी पीठ जोड़कर खड़े हुए हैं, जिसके चलते हमेशा एक शेर पीछे हो जाता है, जिसे हम नहीं देख पाते हैं। इन शेरों के पैरों के नीचे एक चक्र गढ़ा हुआ है जो तथागत बुद्ध के पहले उपदेश का साक्षी है जिसको धर्मोपदेश प्रवर्तन या धम्मचक्र प्रवर्तन पूर्णिमा कहा जाता है।  यह चक्र तब का प्रतीक है, जब तथागत ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला धर्म का उपदेश दिया था। तथागत का पहला धर्म उपदेश आज के उत्तरप्रदेश राज्य के सारनाथ में दिया गया था। वहां भी सम्राट अशोक ने एक अलौकिक बौद्ध स्तूप का निर्माण करवाया था। जो आज अपने ऐतिहासिक दृष्टिकोण से लोगों को अपनी और आकर्षित करता है।

सांची के स्तूप अपने आप में एक रहस्य हैं, जो कई प्रयासों के बाबजूद भी रहस्य ही बने हुए हैं। सांची स्तूप 91 मीटर ऊंची पहाड़ी की शिखर पर बना हुआ है। जो कई एकड़ जमीन में फैला हुआ है। स्तूप शब्द का निर्माण “थूप” शब्द से हुआ है, जिसका अर्थ होता था मिट्टी से गुथा हुआ।

विश्व विरासत स्थल और सम्राट अशोक से जुड़ा है साँची का स्तूप

सांची को यूनेस्को द्वारा सन् 1989 में विश्व विरासत घोषित कर दिया। यहां पर मुख्य स्तूप के अलावा 92 अन्य छोटे बड़े स्तूप हैं । एतिहासिक दृष्टिकोण से हमें पता है कि कलिंग युद्ध जोकि 261 ई० पू० सम्राट अशोक और कलिंग राजा पद्मनाभन के बीच हुआ था। इसी युद्ध के विजय के बाद सम्राट अशोक ने युद्ध में देखी त्रासदी से युद्ध का रास्ता त्यागकर बुद्ध का रास्ता अपना लिया। जिसके बाद सम्राट अशोक ने एक भी युद्ध नहीं किया और वह शांति प्रिय बन गए। इसी के बाद सम्राट अशोक ने अखंड भारत में 84,000 हजार बौद्ध स्तूपों को बनवाया था। क्योंकि उस समय तक भारत टुकड़ों में विभाजित नहीं था। जिनमें से एक महत्वपूर्ण स्तूप है, हमारा सांची का स्तूप।

जिसकी खोज सन 1818 में जर्नल टेलर के द्वारा की गई थी। जर्नल टेलर को यह स्तूप उस दौरान दिखा था, जब वह शिकार करने के लिए निकले थे। उस समय यह स्तूप जर्जर हालत में था। जिसका अग्रेजों के नेतृत्व में इसकी मरम्मत कर इसका पुनः निर्माण किया गया।

तोरणद्वार

स्तूप एक गुंबदाकार आकृति होती है, इस सांची के मुख्य प्रथम स्तूप में 4 तोरणद्वार बने हुए हैं ।असल में तोरणद्वार स्वागत करने के लिए बनवाए जाते थे। यह चारों तोरणद्वार चार रास्ते हैं जो स्तूप को सुशोभित करते हैं। सांची स्तूप में लगे तोरणद्वार अपने आप में बौद्ध इतिहास को समेटे हुए है। इनके शीर्ष पर पंख वाले शेर बने हुए हैं, जिनको गिरफिन सिंह भी कहा जाता है। जो दोनों ओर अपना मुंह किए हुए हैं और एक दूसरे को पीठ दिखाते हैं। इन पंख लगाए शेरों के बारे में हमने पौराणिक काल में पढ़ा है। जो शायद एक काल्पनिक रचनाएं हैं।

Stupa of Sanchi

इस तोरण पर महिला महावत के साक्ष्य मिलते हैं। जिसके द्वारा हमें यह समझने में आसानी होती है कि मौर्य काल में या बौद्ध काल में महिलाएं भी पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चला करती थीं। इसके अलावा इस पर बकरे की सवारी के चित्र भी गढ़े हुए हैं।

स्तूप की बनावट और नक्काशी

स्तूप में भगवान बौद्ध की कई छोटी बड़ी मूर्तियां आज भी स्थापित हैं, और कई मूर्तियां खंडित भी हो चुकी हैं। इस स्तूप की नक्काशीदार बनाबट पर्यटकों का मन मोह लेती है। यहां पर्यटक देश से तो आते ही हैं, इसके अलावा विदेशी पर्यटकों की संख्या भी बहुत है। तोरणद्वार पर वह सभी दर्शाया गया है जो भगवान गौतम बुद्ध से जुड़ा हुआ है। इस तोरणद्वार पर भगवान बुद्ध का जन्म, बौद्धिवृक्ष, धर्मोपदेश, ग्रह त्याग और अन्य घटनाएं जो भगवान बुद्ध के जीवन में घटी हैं।भगवान बुद्ध के कई उपदेश यहां पर गढ़े हुए हैं, जो की पाली भाषा में हैं। बुद्ध के कई उपदेश, जातक कथाएं पाली भाषा और ब्राह्मी लिपि में उद्रत हैं। जिसको 1838 में जेम्स प्रिंसेप ने पढ़ा था

Stupa of Sanchi

इस स्तूप में तीन मुख्य स्तूप हैं। जिनमें दो स्तूप पास में हैं और एक अन्य स्तूप थोड़ी दूरी पर। पहला और तीसरा स्तूप एक दूसरे से कम दूरी पर हैं, लेकिन दूसरा स्तूप कुछ मीटर दूर है। दूसरे स्तूप में एक ही तोरणद्वार है, परंतु इसकी खास बात यह है कि इसमें दस वरिष्ठ गुरुओं की अस्थियां रखी हुई हैं। स्तूप के मुख्य प्रथम स्तूप में तोरणद्वार के बिल्कुल पास में एक अशोक स्तंभ खड़ा हुआ था। जो अब गिर चुका है कहा जाता है यह स्तूप एक जमींदार ने गन्ने पीसने की चक्की बनाने के लिए तोड़वा दिया था। स्तूप में एक तहग्रह है जहां आज भी भगवान बुद्ध की अस्थियां संभालकर रखी गई हैं। इस तहग्रह में जाना वर्जित है। इस तहग्रह की चाबी रायसेन कलेक्टर के पास होती है। इन अस्थियों के दर्शन आप नवंबर के महीने में कर सकते हैं, क्योंकि नवंबर के महीने में यहां मेला लगता है।

उस समय इस तहग्रह को खोल दिया जाता है। इस अस्थियों के संदूक को अस्ति मंजूषा कहा जाता है। इन अस्थियों को अंग्रेजों के समय में लंदन भेज दिया गया था। लेकिन वहां से इसे वापस लाया गया और यह आज सांची स्तूप में सुशोभित हैं। यह पूरा स्तूप बलुआ पत्थर से बना हुआ है। जिसको उदयगिरी से लाया जाता था, परंतु जो अशोक स्तंभ है उसका निर्माण मिर्जापुर से लाए गए पत्थर से किया गया था। जिसकी ऊंचाई 42 फीट थी। कहा जाता सांची सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र का ननिहाल था । सांची के स्तूप से सारी पुत्र मुद्गलाइन भी जुड़े हुए हैं।

विंध्य की पर्वत पर स्थित इस स्तूप की नीव सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ई० पू० रखी और उसने इसे ईंटो और मिट्टी से निर्मित करवाया था। जिसके बाद, मौर्य वंश के अन्य एक शासक अग्निमित्र द्वारा पत्थरों  से निर्मित करवाया गया। स्तूप के शीर्ष पर हार्निका बनी हुई है जो विश्व के सबसे ऊंचे पर्वत का प्रतीक है, गुंबदाकार स्तूप के अंदर एक कक्ष होता है, जहां पर अस्थियां रखी रखी हुई हैं।

कैसे पहुंचे साँची स्तूप

सांची पहुंचने के लिए भोपाल जोकि मध्यप्रदेश की राजधानी है, से आप टैक्सी या केब के द्वारा पहुंच सकते हैं। इसके अलावा रेल यात्रा कर भी आप यहां तक पहुंच सकते हैं। सांची का स्वयं का रेलवे स्टेशन सांची रेलवे स्टेशन है, जो देश के अन्य हिस्सों से भी जुड़ा हुआ है।

हवाई यात्रा के द्वारा आप सांची पहुंचना चाहते हैं तो, राजा भोज हवाई अड्डा यहां से सबसे निकटतम हवाई अड्डा है। चूंकि आप बस से यात्रा करना चाहते हैं तो सबसे नजदीक रायसेन बस स्टॉप के माध्यम से आप सांची की यात्रा कर सकते हैं।

खुलने का समय सुबह 6:00 बजे से शाम के 6:00 बजे तक है। घूमने का सबसे अच्छा समय सुबह या शाम का है। जिस समय आप बगैर धूप के इस पर्यटन स्थल का अच्छे से दौरा कर पाएंगे ।

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MP के इन जगहों पर भारतीय स्थापत्य कला और प्राकृतिक खूबसूरती की दिखती है झलक

मध्य प्रदेश में भारत के कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं जो न सिर्फ आर्कियोलॉजिस्ट को अपनी ओर आकर्षित करते हैं, बल्कि सामान्य पर्यटकों का भी ध्यान अपनी ओर खींचते हैं। सबसे अधिक क्षेत्रफल पर वन होने के कारण मध्य प्रदेश में कई सारे नेशनल पार्क्स भी हैं। इसी वजह से यह राज्य प्राकृतिक रूप से भी सुंदर और मनमोहक है। अगर आप भी मध्य प्रदेश घूमना चाहते हैं तो हम आपको बताने वाले हैं मध्य प्रदेश के कुछ ऐसे जगहों के बारे में जहाँ एक बार जाना तो बनता है।

  • उज्जैन (Ujjain)
  • मैहर माता मंदिर सतना (Maihar Mata Temple Satna)
  • खजुराहो (Khajuraho)
  • भोपाल (Bhopal)
  • कूनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park)

1. उज्जैन (Ujjain)

इस शहर को महाकाल की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। मध्य प्रदेश के इस शहर को पहले पूरे भारतवर्ष में अवंतिका नगरी कहा जाता था। यह शहर महाकालेश्वर महादेव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। भारत के कोने-कोने से लोग यहां महाकालेश्वर महादेव के दर्शन करने और उनकी पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं। इस शहर में इसके अलावा और भी कई पर्यटन स्थल हैं। जिनमें रामघाट, काल भैरव मंदिर और मंगलनाथ मंदिर प्रमुख हैं।

कैसे पहुंचे उज्जैन (How to reach Ujjain) : उज्जैन पहुंचाना बहुत हीं आसान है, क्योंकि शहर का अपना रेलवे स्टेशन भी है। जहां देश के अलग-अलग राज्यों से ट्रेनें आती हैं। इसके अलावा अगर आप फ्लाइट से उज्जैन पहुंचाना चाहते हैं तो आप इंदौर एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट ले सकते हैं। इंदौर उज्जैन से लगभग 50 किलोमीटर की ही दूरी पर स्थित है। इसलिए आप बहुत ही आसानी से इंदौर से उज्जैन पहुंच सकते हैं। उज्जैन शहर सड़क मार्ग के द्वारा भी देश के अन्य राज्यों से बहुत अच्छे से जुड़ा हुआ है। आप उज्जैन अपनी गाड़ी से भी आ सकते हैं।

2. मैहर माता मंदिर सतना (Maihar Mata Temple Satna)

त्रिकूट पर्वत की ऊंचाइयों पर स्थित मैहर मंदिर की कहानी आदिशक्ति सती के आत्मदाह से जुड़ी हुई है। देश के 108 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ (Shaktipeeth) त्रिकूट पर्वत के इस पहाड़ी पर भी स्थित है। जिस स्थान पर इस मंदिर का निर्माण करवाया गया है। बताया जाता है कि इस स्थान पर माता का हार टूट कर गिरा था, इसलिए इस जगह को मैहर का नाम दिया गया। यह मंदिर मध्य प्रदेश के सतना जिला के त्रिकूट पहाड़ी पर स्थित है। जहां तक पहुंचाने के लिए भक्तों को पहाड़ी पर चढ़ाई करनी होती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरे भारत में माता शारदा का यह इकलौता मंदिर है। इस मंदिर में माता शारदा के साथ ही अन्य देवी देवताओं की पूजा भी की जाती है।

3. खजुराहो (Khajuraho)

इस स्थान को मध्य प्रदेश का सम्मान माना जाता है। यह वही स्थान है जहां आपको विभिन्न प्रकार की कलाकृतियों से समृद्ध मंदिरों का समूह देखने को मिलता है। मध्य प्रदेश का खजुराहो भारत के प्राचीन कालीन इतिहास को बखूबी बयां करता है। खजुराहो के मंदिरों के समूह का निर्माण आज से लगभग 1300 साल पहले हुआ था। मंदिरों पर बनाई गई कलाकृतियां यह दर्शाती हैं कि हमारा भारत आज से हजार साल पहले भी कितना मॉडर्न (modern) था।
खजुराहो में आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम (Archaeological Museum) है, जहां आपको कई सारे छोटे बड़े मंदिरों का समूह देखने को मिलेंगे। आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम के इस एरिया को पश्चिमी मंदिर समूह के नाम से भी जाना जाता है। आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम में जैसे ही आप इंटर करेंगे आपको बहुत ही खूबसूरत से गार्डन से होकर गुजर कर जाना होगा। यहाँ के मंदिरों में कंदरिया मंदिर, मतंगेश्वर मंदिर, लक्ष्मण मन्दिर, विश्वनाथ मंदिर, चित्रगुप्त मंदिर और विष्णु गुप्त मंदिर प्रमुख हैं।

4. भोपाल (Bhopal)

इस शहर को महाराजा भोज की नगरी के नाम से जाना जाता है। यह शहर आज के समय में मध्य प्रदेश की राजधानी है और इस शहर को एक अच्छा टूरिस्ट डेस्टिनेशन माना जाता है। क्योंकि यहां के टूरिस्ट प्लेसेस इतने बेहतरीन हैं कि यहां आने वाले लोगों को यही का हो कर रह जाने का मन करने लगता है। अगर आपको भी कभी मौका मिले मध्य प्रदेश जाने का तो आप एक बार भोपाल जरुर विजिट करें। (Visiting places of Bhopal) भोपाल की घूमने लायक जगहों की सूची में
अपर लेक (Upper Lake), वन विहार (Van Vihar), सैर सपाटा (Sair Sapata), गौहर महल (Gauhar Mahal), मध्य प्रदेश ट्राईबल म्यूजियम (Madhya Pradesh Tribal Museum), पीपल्स मॉल (People’s Mall), भीमबेटका की गुफ़ाएँ (Bhimvetka caves), ताज उल मस्जिद (Taj ul Masjid) और सांची स्तूप (Sanchi Stupa) का नाम आता है।

5. कूनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park)

देश के सबसे प्रसिद्ध नेशनल पार्क में से एक कूनो नेशनल पार्क हाल में ही काफी चर्चा का विषय रहा था। यहां कुछ दिनों पहले नामीबिया से 8 चीतों को ला कर रखा गया था। मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित इस नेशनल पार्क में आकर आपको एक अलग ही अनुभूति होगी। चारों ओर घने जंगल और बेफिक्र घूम रहे जंगली जानवर किसी अलग ही दुनिया का आभास करा देते हैं। यह नेशनल पार्क कूनो नदी के तट पर स्थित है। यह कह सकते हैं कि कूनो नदी यहां की जीवन रेखा है। यहां के जंगली जानवरों को गर्मी के समय सिर्फ इसी नदी का सहारा होता है। बात करें अगर इस पार्क के फैलाव की तो यह नेशनल पार्क 415 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और हजारों जानवरों का आसरा है।

कूनो राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचे (How to reach Kuno National Park)

ग्वालियर एयरपोर्ट कूनो नेशनल पार्क के सबसे नजदीक स्थित एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट देश के अन्य शहरों जैसे दिल्ली, कोटा, पटना, जयपुर आदि से भली भांति जुड़ा हुआ है। दिल्ली एयरपोर्ट से ग्वालियर के लिए फ्लाइट लगभग ₹2000 से ₹3000 तक की आती है। आप नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से ट्रेन के माध्यम से भी ग्वालियर पहुंच सकते हैं। इसके अलावा आप बाय रोड भी कूनो नेशनल पार्क पहुंच सकते हैं।

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भोपाल में घूमने की सबसे बेहतरीन 10 जगह

भोपाल– इस शहर को महाराजा भोज की नगरी के नाम से जाना जाता है। यह शहर आज के समय में मध्य प्रदेश की राजधानी है और इस शहर को एक अच्छा टूरिस्ट डेस्टिनेशन माना जाता है। क्योंकि यहां के टूरिस्ट प्लेसेस इतने बेहतरीन हैं कि यहां आने वाले लोगों को यही का हो कर रह जाने का मन करने लगता है। अगर आपको भी कभी मौका मिले मध्य प्रदेश जाने का तो आप एक बार भोपाल जरुर विजिट करें। आज हम आपको बताने वाले भोपाल के बेस्ट टूरिस्ट अट्रैक्शंस के बारे में जो इस शहर की शोभा को कई गुना बढ़ा देते हैं। (Visiting places of Bhopal)

  • अपर लेक (Upper Lake)
  • वन विहार (Van Vihar)
  • सैर सपाटा (Sair Sapata)
  • गौहर महल (Gauhar Mahal)
  • मध्य प्रदेश ट्राईबल म्यूजियम (Madhya Pradesh Tribal Museum)
  • पीपल्स मॉल (People’s Mall)
  • भोजपुर शिव मंदिर (Bhojpur Shiva temple)
  • भीमबेटका की गुफ़ाएँ (Bhimvetka caves)
  • ताज उल मस्जिद (Taj ul Masjid)
  • सांची स्तूप (Sanchi Stupa)

1. अपर लेक (Upper Lake)

अगर आप फैमिली और फ्रेंड्स के साथ हॉलीडे (holiday) बिताना चाहते हैं या वीकेंड प्लेन करना चाहते हैं तो भोपाल का अपर लेक आपके लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन (perfect destination) हो सकता है। यह जगह आपको वाकई बहुत पसंद आएगी। यहां आप वोटिंग भी कर सकते हैं। अलग-अलग टाइप के वोटिंग (boating) के लिए टिकट की प्राइस वैरी करती है। नॉरमल डेज में आप यहां क्रूज़ का भी मजा ले सकते हैं। यहां का माहौल बहुत ही शांत और रिफ्रेशिंग (refreshing) है। जोकि फैमिली टाइम बिताने के लिए बेस्ट है।

2. वन विहार (Van Vihar)

भोपाल में अपर लेक से कुछ दूरी पर स्थित है वन विहार। वन विहार के एंट्री टिकट की कीमत ₹20 से स्टार्ट होती है। अगर आप अपने व्हीकल (own vehicle) के साथ जाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको एक्स्ट्रा चार्ज लगेंगे। वन विहार फ्राइडे को बंद रहता है और सप्ताह के बाकी के दिनों में खुला रहता है। यहां आपको कई तरह के बड़े जंगली जानवर देखने को मिलेंगे। जिनमें बाघ, तेंदुआ, भालू, मगरमच्छ आदि शामिल है। हां यह आपके लक पर निर्भर करता है कि आप इनमें से कितने जानवरों को देख पाते हैं। वन विहार में काफी ग्रीनरी (greenery) है। अगर आप नेचर को पसंद करते हैं तो यह आपको बहुत हीं पसंद आने वाला है। साथ हीं यह आपके लिए एक तरह से जंगल सफारी (jungle safari on own vehicle) की तरह होगा। जिसे आप अपने खुद के गाड़ी से भी इंजॉय कर सकते हैं। यहीं बात इसे दूसरे जंगल सफारी से अलग बनाती है

3. सैर सपाटा (Sair Sapata)

 भोपाल में घूमने की सबसे बेहतरीन 10 जगह

यह भोपाल के सबसे प्रसिद्ध टूरिस्ट स्पॉट (tourist spot) में से एक है। जहां बच्चे बहुत ज्यादा एंजॉय करते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ बच्चों के लिए है। यहां हर उम्र के लोग इंजॉय कर सकते हैं। सैर सपाटा की एंट्री फीस ₹30 है। इसका निर्माण मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा किया गया था। भोपाल का यह खूबसूरत स्थान लगभग 25 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है। जहां पर पर्यटक म्यूजिकल फाउंटेन, चिल्ड्रन प्ले एरिया और स्विंग ब्रिज (swing bridge) देख सकते हैं। सैर सपाटा में आप टॉय ट्रेन (toy train) और बोट राइडिंग (boat riding) का भी मजा ले सकते हैं।

4. गौहर महल (Gohar Mahal)

 भोपाल में घूमने की सबसे बेहतरीन 10 जगह

गौहर महल को भोपाल की पहली महिला शासक गौहर बेगम ने 1820 ईसवी में बनवाया था। गौहर महल इस शहर के सबसे भव्य महलों (palace) में से एक है। जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग जाते हैं। भोपाल की यह ऐतिहासिक इमारत (Historical place) हिंदू और मुगल स्थापत्य कला के मिश्रण का एक बेहतरीन नमूना पेश करती है। इतिहास को पसंद करने वाले लोगों के घूमने के लिए यह जगह परफेक्ट है।

5. मध्य प्रदेश ट्राईबल म्यूजियम (Madhya Pradesh Tribal Museum)

 भोपाल में घूमने की सबसे बेहतरीन 10 जगह

मध्य प्रदेश ट्राईबल म्यूजियम एक ऐसा म्यूजियम है, जहां लोग जनजाति समूह के लोगों के जीवन (learn about tribal life) को बहुत अच्छे से समझ सकते हैं और जनजाति वर्ग को और ज्यादा करीब से जान सकते हैं। यह भोपाल के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। जहां आपको जनजाति समूह के जीवन शैली (tribal lifestyle) को दर्शाने वाले शोपीसों का कलेक्शन (collection) देखने को मिलेगा। यहां पर रखा गया हर एक शो पीस आदिवासियों के कला, जीवन और संस्कृति को बहुत हीं बेहतरीन तरीके से दर्शाता है। यहां पर रखे गए वस्तुओं के संग्रह के मदद से यहां आने वाले टूरिस्ट जनजातियों के समूह के जीवन को और नजदीक से समझ पाते हैं।

6. पीपल्स मॉल (Peopel’s Mall)

 भोपाल में घूमने की सबसे बेहतरीन 10 जगह

पीपल्स मॉल भोपाल शहर के उत्तरी छोर पर मौजूद है। जहां पर दुनिया के सात अजूबों की प्रतिकृति बनाई गई है। घूमने के अलावा यहां पर खाने-पीने की कैंटींस (canteens) और बच्चों के लिए चिल्ड्रन प्ले एरिया (childrens play area) और वाटर पार्क (water park) भी मौजूद है। यह भोपाल शहर में स्थित फैमिली और फ्रेंड्स के साथ बिताने के लिए यह एक आदर्श पिकनिक का स्पॉट (picnic spot) है। जहां आप परफेक्ट फैमिली टाइम (spend family time) बिता सकते हैं।

7. भोजपुर शिव मंदिर (Bhojpur Shiva temple)

 भोपाल में घूमने की सबसे बेहतरीन 10 जगह

भोपाल शहर से करीब 27 किलोमीटर की दूरी पर भोजपुर नामक स्थान पर एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है। इसके बारे में बताया जाता है कि इसका निर्माण महाराजा भोजराज प्रथम ने 1010 ई से 1055 ई के बीच करवाया था। अगर आप इस मंदिर में सुबह-सुबह आ जाएंगे तो यहां की सुबह की आरती देखकर आपका मन बहुत हीं प्रसन्न हो जाएगा। यह मंदिर इतनी खूबसूरत लोकेशन (beautiful location) पर है कि यहां आने के बाद आपको चारों ओर बस ग्रीनरी हीं ग्रीनरी देखने को मिलेगी। यह मंदिर पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है। यहां भारत के कोने-कोने से लोग भोजेश्वर महादेव का दर्शन करने आते हैं। अगर आप भी भोपाल जा रहे हैं तो आप भी इस मंदिर को एक बार जरुर विजिट (Must visit) करें। यहां के हवाओं में घुली हुई पॉजिटिविटी (positivity and divinity) आपको बहुत हीं बेहतरीन एहसास दिलाएगा।

8. भीमबेटका की गुफ़ाएँ (Bhimvetka caves)

 भोपाल में घूमने की सबसे बेहतरीन 10 जगह

भीमबेटका की खोज डॉ विष्णु श्रीधर वकाडकर ने 1957-1958 के बीच की थी। यहां के पत्थरों पर प्राचीन मानव सभ्यता के चित्रकारी का दृश्य देखने को मिलता है। माना जाता है कि यह चित्रकारी (paintings) करीब 1 लाख साल पुरानी है। अगर आप इसे अच्छे से समझ कर घूमना चाहते हैं तो भीमबेटका में घूमने के लिए आपको लगभग 1 घंटे का समय लग सकता है। यह जगह इतिहास प्रेमियों के लिए एक मस्ट विजिट विजिटिंग प्लेस है। यहां आपको आदिमानव के समय के आवास देखने को मिलेंगे, जोकि मुख्यतः पत्थरों की बनी गुफाएं (caves of rocks) होती थी। यहां लगभग 600 से भी ज्यादा पत्थरों की गुफाओं का संग्रह देखने को मिलता है। यह भोपाल शहर से करीब 47 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और एक काफी फेमस टूरिस्ट स्पॉट है।

9. ताज उल मस्जिद (Taj ul Masjid)

 भोपाल में घूमने की सबसे बेहतरीन 10 जगह

ताज उल मस्जिद सिर्फ भोपाल हीं नहीं बल्कि पूरे दुनिया के सबसे प्रसिद्ध मस्जिदों में से एक है। इसको बनाने का कार्य 1877 में नवाब शाहजहां बेगम ने शुरू करवाया था। दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मस्जिद (largest mosque) होने के साथ-साथ यह मस्जिद भारत के सबसे खूबसूरत मस्जिदों में से एक है। इसकी संरचना बहुत हीं बेहतरीन और भव्य (beautiful architecture) है। जिसके गुंबद और नक्काशीदार खंभे देखने लायक हैं। जिस पर की गई नक्काशी बेहतरीन कलाकृति का एक उदाहरण पेश करती है। इस मस्जिद का मुस्लिम समुदाय में काफी महत्व है। रात के समय पर रंगीन लाइट्स में इस मस्जिद की खूबसूरती और भी ज्यादा निखर कर नजर आती है। जिसे देखना वाकई में एक खूबसूरत दृश्य होता है।

10. सांची स्तूप (Sanchi Stupa)

 भोपाल में घूमने की सबसे बेहतरीन 10 जगह

भोपाल में स्थित सांची स्तूप का भारतीय इतिहास में काफी महत्व रहा है। भोपाल शहर से 45 किलोमीटर की दूरी पर सांची गांव में स्थित यह तीन स्तूप भगवान बुद्ध को समर्पित स्तूप हैं। जिनका निर्माण दूसरी और तीसरी शताब्दी के बीच का माना जाता है। इन तीनों स्तूपों का बौद्ध धर्म में काफी विशेष महत्व माना जाता है। साथ हीं साथ सांची का स्तूप यूनेस्को के वर्ल्ड हेरिटेज साइट (world heritage site of UNESCO) में भी शामिल है। पर्यटकों के लिए यह जगह सुबह के 7:00 बजे से शाम के 5:00 बजे तक खुली रहती है। अगर आप भी भोपाल जा रहे हैं तो सांची के स्तूपों को देखना ना भूलें। यह बहुत हीं बेहतरीन और डिवाइन प्लेस है।

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