दिल्ली के कनॉट प्लेस से गुरुग्राम तक के यात्रियों के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी सामने आ रही है। जल्द ही दिल्ली के कनॉट प्लेस से गुरुग्राम तक के लिए इलेक्ट्रिक एयर टैक्सी की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। अगर आप भी गुरुग्राम से कनॉट प्लेस या फिर कनॉट प्लेस से गुरुग्राम तक की यात्रा रेगुलरली करते हैं तो आप इस एयर टैक्सी की सुविधा लेकर बहुत ही कम समय में दिल्ली से गुरुग्राम पहुंच सकते हैं।
समय की होगी बचत :
बताया जा रहा है कि इलेक्ट्रिक एयर टैक्सी की सुविधा के आने के बाद दिल्ली से गुरुग्राम तक के सफर को सिर्फ 7 मिनट में तय कर लिया जाएगा। आपको बता दे अभी अगर आप दिल्ली से गुरुग्राम तक की यात्रा करेंगे तो आपको मेट्रो से भी कम से कम 60 se 70 मिनट का समय लग जाएगा। लेकिन एयर टैक्सी की सुविधा के आ जाने के बाद यह सफर बहुत ही आरामदायक और कम समय में पूरा होने वाला सफर बन जाएगा।
क्या है इस इलेक्ट्रिक एयर कार की खासियत :
इस सेवा के लिए उपयोग में लाए जाने वाले सभी इलेक्ट्रिक एयर कार मिडनाइट विमान (Electric Air Car Midnight Plane) होंगे। इंडिगो की शाखा इंटरग्लोबल एंटरप्राइजेज (InterGlobal Enterprises) इलेक्ट्रिक एयर टैक्सी आर्चर एविएशन (कैलिफोर्निया) (Electric Air Taxi Archer Aviation) से साझेदारी कर रही है और इस टेक्नोलॉजी को भारत में आम जनता के उपयोग के लिए उपलब्ध करवाने का प्रयास कर रही है। इस विमान की खासियत यह है कि इस विमान को लगातार प्रयोग में लाया जा सकता है। यह लगातार उड़ सकता है और इस विमान को चार्ज करने में भी बहुत कम समय लगता है। आपको बता दे कि एक मिडनाइट विमान में चार यात्री एक साथ बैठकर यात्रा कर सकते हैं।
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मई का महीना चल रहा है और गर्मी काफी बढ़ गई है। ऐसे में चिलचिलाती धूप और बढ़ते हुए तापमान (temperature) से निजात पाने का सबसे बेस्ट(best) तरीका है कि कुछ दिनों के लिए छुट्टियां मनाने किसी हिल स्टेशन(hill station) जाने की प्लानिंग की जाए। तो आइए जानते हैं दिल्ली एनसीआर (Delhi-NCR) के आसपास के कुछ ऐसे पापुलर टूरिस्ट डेस्टिनेशंस(Popular tourists destinations) के बारे में जहां आप इस गर्मी में छुट्टियां मनाने जा सकते हैं।
Solang Valley Hill Station
पहाड़ियों के गोद में बसे हुए हिमाचल प्रदेश के इस शहर की खूबसूरती देखने लायक है। सोलंग वैली पहुंचते हीं आपको सबसे पहले दिखेगा नेहरू कुंड मंदिर। जहां आप दर्शन करने रुक सकते हैं। इसी रूट में आगे जाकर आपको वह ब्रिज दिखेगा जहां टैंगो चार्ली मूवी की शूटिंग भी हुई थी। सोलंग वैली में आपको हर ओर पैराग्लाइडिंग और बाइक राइडिंग जैसी कई तरह की एडवेंचर एक्टिविटी (adventures activities) होती दिखाई देंगी। यूं तो सोलंग वैली आप कभी भी आ सकते हैं लेकिन, अगर आप बर्फ देखना चाहते हैं तो आपको दिसंबर या जनवरी के महीने में यहां आना चाहिए। इस समय यहां चारों ओर बर्फ हीं बर्फ दिखाई देंगे। यहाँ आप बहुत सारे स्नो एक्टिविटीज (snow activities) का लुफ्त उठा सकते हैं।
Best activities to do in sholang valley
सोलन वैली में स्कीइंग (skiing) करने का पूरा खर्च आपको ₹500 से ₹600 तक आएगा। यहां आप सुबह 9:00 से श्याम 4:00 तक कभी भी 15 से 20 मिनट के लिए स्कीइंग (skiing) कर सकते हैं। अगर आप की भी इच्छा खुले आकाश में उड़ने की है तो, आप यहां पैराग्लाइडिंग (paragliding) भी कर सकते हैं। जिसका खर्च आपको ₹2000 तक का आ सकता है। यहां सुबह के 8:00 बजे से शाम के 5:00 बजे तक 5 से 10 मिनट के लिए पैराग्लाइडिंग कर सकते हैं।
सोलंग वैली पहाड़ियों की गोद में बसा हुआ है, इसीलिए यहां एडवेंचर टूरिज्म(adventure tourism) बहुत ज्यादा फल फूल रहा है। यहां ट्रेकिंग की एक्टिविटीज (activities) भी की जा सकती हैं जिसका खर्च आपको ₹1200 से ₹1500 तक का आ सकता है। यहां आप लगातार 2 दिन तक ट्रैकिंग (tracking) भी कर सकते हैं। जो पहले दिन के 10:00 बजे सुबह शुरू होता है और दूसरे दिन के 1:00 बजे दोपहर में जाकर खत्म होता है। अगर आपको भी कैंपिंग करना पसंद है और टेंट हाउस और बोनफायर मैं दिलचस्पी है तो, आप सोलंग में कैंपिंग भी कर सकते हैं। जिसकी कीमत आपको ₹1000 से ₹1500 तक की पड़ेगी।
अगर आप सोलंग वैली जा कर अच्छे से घूमना चाहते हैं तो, आपको पूरे ट्रिप का मिनिमम खर्च 15000 रुपए तक का आएगा। आपको सोलंग वैली को अच्छे से एक्सप्लोर(explore) करने लिए कम से कम 3 दिन के ट्रिप की प्लानिंग करनी होगी। सोलंग वैली के आसपास होटल में रहने के लिए आपको एक रात का खर्च ₹1000 से ₹2000 तक का आ सकता है। यहां होटल की बहुत सारी वैरायटी है। आप अपने बजट के अनुसार अपना होटल चुन सकते हैं।
How to reach sholang valley इस हिल स्टेशन (hill station) की दिल्ली से दूरी लगभग 540 किलोमीटर है। बाय रोड टैक्सी से यहां जाने का लगभग खर्च ₹7000 से ₹8000 रुपए तक का आता है। वहीं अगर आप न्यू दिल्ली रेलवे स्टेशन (NDLS) से ट्रेन से सोलंग वैली जाते हैं, तो इसका खर्च ₹1500 तक का आता है। अगर आप फ्लाइट (flight) के द्वारा सोलंग वैली पहुंचना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको दिल्ली इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGIA) से कुल्लू मनाली एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट (flight) ₹9000 से ₹25000 तक में मिल सकती है।
SHIMLA
अपने आप को नेचुरल रिट्रीट(natural retreat) देने का सबसे बेहतरीन तरीका है पहाड़ों की सैर पर निकल जाना। अब पहाड़ों की बात हो और शिमला का नाम ना आए ऐसा हो नहीं सकता। शोर-शराबे से दूर और प्रकृति के नजदीक स्थित इस शहर की ओर कपल्स का काफी रुझान होता है। पनोर्मिक व्यूज़(panoramic views) वाला यह जगह काफी रोमांटिक डेस्टिनेशन(romantic destination) के रूप में जाना जाता है। चारों ओर दिखने वाली बर्फ से ढकी सफेद पहाड़ियां और हरे-भरे देवदार के पेड़ किसी का भी मन मोह लेने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। यह जगन सिर्फ सीनरी(scenery) के लिए नहीं बल्कि शॉपिंग के लिए भी प्रसिद्ध है। शिमला स्थित माल रोड शॉपिंग के लिए एक बेहतरीन जगह है। यहां आपको खान-पान से लेकर पुरानी एंटिक चीजों तक का एक बड़ा कलेक्शन देखने को मिल जाएगा। यहां शिमला के पारंपरिक परिधान भी खरीद सकते हैं।
शिमला में एक और फेमस जगह है वह जाखू हिल्स। इस जगह पर हनुमान जी का एक बड़ा मंदिर है। साथ हीं एक बहुत बड़ी मूर्ति भी है, जो काफी दूर से हीं दिख जाती है। इस मंदिर की खासियत है यहां आपको सैकड़ों दर्जनों लंगूर और बंदर खेलते हुए मिल जाएंगे। चारों ओर हरियाली से घिरा यह मंदिर उन लंगूरों और बंदरों के लिए घर की तरह है।
How to reach shimla
शिमला की दिल्ली से दूरी लगभग 340 किलोमीटर है और यहां आप बाय रोड, ट्रेन और फ्लाइट तीनों ही रास्तों से जा सकते हैं। अगर आप टैक्सी(taxi) से शिमला जाना चाहते हैं तो आपको ₹5500 से ₹6000 तक का खर्च आता है। वहीं अगर आप ट्रेन से शिमला जाते हैं तो ₹700 से ₹800 में आपको टिकट मिल जाएगी। अगर आप फ्लाइट से शिमला जाते हैं तो इकोनामी क्लास के फ्लाइट की टिकट्स ₹2900 से शुरू हो जाते हैं।
Tirthan Valley
अगर आप रोजमर्रा के शोर-शराबे से दूर कुछ दिन शांत और शुद्ध वातावरण में बिताना चाहते हैं तो, तीर्थन वैली आपके लिए एक अच्छा डेस्टिनेशन (destination) हो सकता है। चारों ओर हरे भरे पेड़ों और वनस्पतिक घासों से घिरा हुआ यह जगह ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क(Great Himalayan National Park) के बफर जोन( Buffer Zone) में स्थित है। आप यहां फिशिंग (fishing), रॉक क्लाइंबिंग (Rock climbing), रैपलिंग(rapling), साइट सीइंग (sightseeing) आदि जैसे एडवेंचरस एक्टिविटीज का आनंद ले सकते हैं। यह सारे एक्टिविटीज पूरी तरह फैमिली फ्रेंडली family-friendly हैं।
Best things to do in tirthan valley
तीर्थन वैली में कैंपिंग (camping) के पैकेज में ट्रैकिंग, फिशिंग, रैपलिंग आदि एक साथ ही इंक्लूड(include) होता है। यहां कैंपिंग(camping) के लिए पूरे पैकेज(pakage) का खर्च आपको 6500 रुपए से 7000 रुपए तक का आ सकता है। अगर आप तीर्थन वैली को अच्छे से घूमना चाहते हैं तो, बिना फिशिंग, रैपलिंग और ट्रैकिंग के आप इसे पूरे अच्छे तरीके से एक्सप्लोर(explore) नहीं कर सकते हैं। तीर्थन वैली का यह पैकेज आपके माइंड के लिए रिफ्रेसिंग गेटवे (refreshing gateway) का काम करेगा।
तीर्थन वैली में नाइट स्टे(night stay) के लिए आपको ₹1500 से ₹3000 तक में आसानी से होटल में सकता है।
तीर्थन वैली हिमाचल प्रदेश के कुल्लू से बेहद नजदीक स्थित है। अगर दिल्ली से चलना शुरू किया जाए तो, तीर्थन वैली की दूरी लगभग 488 किलोमीटर है।
तीर्थन वैली से सबसे नजदीक एयरपोर्ट कुल्लू मनाली एयरपोर्ट है, जिसके लिए दिल्ली से एक फ्लाइट का किराया ₹9000 से ₹25000 तक का सकता है। बाय रोड टैक्सी से तीर्थन वैली जाने के लिए आपको ₹7000 के आसपास का खर्च आएगा। वाया ट्रेन आप सबसे कम खर्च में तीर्थन वैली पहुंच सकते हैं।
Rajgarh Hills
राजगढ़ हिमाचल प्रदेश का एक ऐसा जगह है, जहां की खूबसूरती आपको अपलक निहारने के लिए मजबूर कर देगी। प्रकृति को पसंद करने वाले लोगों के लिए यह जगह किस स्वर्ग की तरह है। यहां आकर आपको एक अलग हीं सुकून का एहसास होगा। राजगढ़ की खूबसूरती में चार चांद लगाने का कार्य करती है गिरी नदी।
इस नदी के किनारे बैठकर सनसेट(sunset) को देखना अपने आप में एक अद्भुत दृश्य होता है। चारों ओर पहाड़, हरे-भरे जंगल और सूरज की लालिमा लिए खुला आसमान यह सब इतना खूबसूरत होता है कि आपका सारा थकान पल भर में छूमंतर हो जाता है। सिर्फ सन सेट (sunset) हीं नहीं सनराइज(sunrise) भी राजगढ़ की खूबसूरती का एक बेहतरीन नजारा होता है। अब पहाड़ों के शहर में आओ और सनराइज सनसेट का मजा ना लो तो सफर अधूरा माना जाता है। दो पहाड़ों के बीच से उगता हुआ सूरज, बचपन में स्कूल के ड्राइंग बुक में की गई सीनरी पेंटिंग के लैंडस्केप्स (Land Escapes) की आपकी परिकल्पना को सच बना देता है।
How to reach Rajgarh hills
दिल्ली से राजगढ़ लगभग 340 किलोमीटर दूर है। आप यहां जाने के लिए किसी भी माध्यम का उपयोग कर सकते हैं। अगर आपके पास अपनी गाड़ी है तो आपके लिए यह सफर और भी खूबसूरत हो जाएगा। क्योंकि पहाड़ियों के बीच रोड ट्रिप, खूबसूरत मौसम और ठंडी हवा का झोंका अपने आप में ही एक बेहतरीन अनुभव होता है।
अगर आप फ्लाइट से राजगढ़ आना चाहते हैं तो, आपको चंडीगढ़ एयरपोर्ट आना पड़ेगा और दिल्ली से चंडीगढ़ एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट की टिकट ₹3000 से मिलनी स्टार्ट हो जाती है। दिल्ली से चंडीगढ़ के लिए आपको ट्रेन भी आसानी से मिल जाएगा।
अगर आप राजगढ़ को अच्छे से एक्स्प्लोर करना चाहते हैं तो आपको कम से कम 3 दिनों का समय लेकर यहां आना होगा।
राजगढ़ में आपको 1500 रुपए से 3000 रुपए तक में अच्छे होटल रहने के लिए मिल जाएंगे।
खूबसूरत पहाड़ियों के बीच से अगर आप सनराइज सनसेट देखना चाहते हैं तो, इसके लिए मसूरी के गन हिल पॉइंट (gun hill point) और लाल टिब्बा पॉइंट(lal tibba point) से बेहतर कोई जगह नहीं हो सकता। लाल टिब्बा पॉइंट पर अपनों के साथ बैठकर सन सेट को देखना, अपने आप में ही एक अविस्मरणीय दृश्य होता है। यहीं वजह है कि यह जगह कपल्स के लिए बेस्ट माना जाता है। मसूरी पहाड़ों झरनों और हरियाली के प्राकृतिक सौंदर्य का एक अद्भुत संगम है।
अगर आपको वॉटरफॉल (water fall) में ज्यादा इंटरेस्ट है तो, आप यहां के केंपटी फॉल्स(campty falls) का रुख कर सकते हैं। इस शहर में पहाड़ों के बीच एक ज्वाला जी मंदिर भी है, जो अक्सर पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है।
अगर आप परफेक्ट फैमिली समर वेकेशन प्लान बनाना चाहते हैं तो, मसूरी आपके लिए बेहतरीन विकल्प है। मसूरी जाने के लिए आप फ्लाईट, ट्रेन और रोड तीनों में से किसी भी रूट का चुनाव कर सकते हैं। मसूरी से निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून रेलवे स्टेशन है, जहां तक के टिकट का मिनिमम प्राइस ₹215 का है वहीं एसी फर्स्ट क्लास का प्राइस आपको 1500 रुपए तक पड़ सकता है। अगर आप हवाई मार्ग से मसूरी को हंसना चाहते हैं तो, आपको तीन हजार के आसपास का मिनिमम खर्चा आएगा।
Adventures Activities to do in Mussoorie
मसूरी में आप कई तरह के एडवेंचरस एक्टिविटीज कर सकते हैं। जिनमें कुछ एडवेंचरस एक्टिविटीज की डिटेल नीचे दी गई है।
स्काईवॉक : यहां आप 120 फुट की ऊंचाई पर स्काईवॉक कर सकते हैं। जिसका खर्च आपको ₹300 पर पर्सन के हिसाब से आएगा। मसूरी में स्काईवॉक करने का समय सुबह 9:00 से श्याम 6:00 तक का होता है।
रिवर राफ्टिंग : यहां आफ रिवर राफ्टिंग का भी लुफ्त उठा सकते हैं, जो बारकोट से लखामंडल तक का एक ट्रिप होता है। यहां रिवर राफ्टिंग का टाइमिंग सुबह 10:00 से दोपहर 3:00 तक का होता है और इसका प्राइस आपके द्वारा तय की गई दूरी पर डिपेंड करता है।
रैपलिंग : मसूरी पहाड़ों का शहर है इसलिए आप यहां रैपलिंग भी कर सकते हैं। जिसका प्राइस आपको ₹1000 तक का आएगा। रैपलिंग करने का समय सुबह 8:00 से दोपहर 2:00 बजे तक का होता है।
रैपलिंग के अलावा आप यहां रॉक क्लाइंबिंग कैंपिंग ट्रैकिंग आदि भी कर सकते हैं। अगर आप मसूरी को अच्छे से घूमना चाहते हैं तो, आप को कम से कम 3 दिन का समय निकालकर यहां आना होगा।
How to reach Mussoorie
दिल्ली से मसूरी तक की दूरी तकरीबन 274 किलोमीटर है। मसूरी से सबसे नजदीक एयरपोर्ट भुंटर एयरपोर्ट है। न्यू दिल्ली से भुंटर एयरपोर्ट जाने के लिए आपको ₹3500 से फ्लाइट टिकट मिलने स्टार्ट हो जाते हैं। आप वाया रोड और वाया ट्रेन में मसूरी जा सकते हैं। ट्रेन के लिए आपको ₹250 से ₹1500 तक का खर्च आएगा। वहीं बाय रोड टैक्सी से जाने के लिए आपको 4000 से 5000 तक का खर्च आ सकता है।
Dhanaulti
पहाड़ों के बीच बसे इस शहर का मौसम साल भर खुशनुमा रहता है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप दिसंबर और जनवरी के समय यहां जाकर स्नोफॉल का आनंद लेना चाहते हैं या फिर गर्मियों के समय यहां जाकर गर्मी से राहत पाना चाहते हैं। इस जगह की ख़ूबसूरती किसी भी मौसम में पर्यटकों का मन मोह सकती है।
अगर आप एडवेंचर के शौकीन हैं तो धनोल्टी में आपको अपने शौक पूरा करने के पूरे अवसर मिलेंगे। यहां आप स्काईवॉक और स्काई ब्रिजिंग भी कर सकते हैं। धनोल्टी में स्काईवॉक 120 फीट की ऊंचाई पर तथा 360 फीट तक की दूरी के लिए किया जा सकता है। वहीं स्काई ब्रिजिंग 80 फीट की ऊंचाई पर और 300 फीट की दूरी तक के लिए किया जा सकता है। स्काईवॉक लिए यहां पर एंट्री फीस 500 रुपए हैं। वहीं स्काई ब्रिजिंग के लिए एंट्री फीस मात्र 25 रुपए हैं। आप यहां सुबह 8:00 बजे से शान 5:00 बजे तक स्काईवॉक और स्काई ब्रिजिंग कर सकते हैं। इन एडवेंचरस एक्टिविटीज का लुफ्त उठाने के लिए आपको धनोल्टी एडवेंचर पार्क जाना होगा।
धनोल्टी में स्थित इको पार्क पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र है। इको पार्क की एंट्री फीस ₹15 है। आप इस इको पार्क में बैठकर पहाड़ों के बेहतरीन सीनिक ब्यूटी(scenic beauty) का आनंद ले सकते हैं।
धनोल्टी में सुरकंडा देवी मंदिर भी है, जो घूमने के लिए बेहतरीन जगहों में से एक है। वैसे तो यहां की एंट्री फीस फ्री हीं है, लेकिन अगर आप हॉर्स राइड करके यहां जाना चाहते हैं तो आपको ₹400 पर पर्सन का खर्च आएगा।
अगर आपको बाइक राइडिंग पसंद है तो आप धनोल्टी में माउंटेन बाइकिंग भी कर सकते हैं। धनोल्टी में बाइक राइडिंग करने का खर्च आपको पर पर्सन ₹500 का आएगा।
दिल्ली से 370 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस शहर तक पहुंचने के लिए आपको वाया रोड से 7 घंटे लग सकते हैं।
अगर आप वाया टैक्सी दिल्ली से धनोल्टी जाते हैं तो, दिल्ली से धनोल्टी के लिए 4000 रुपए से टैक्सीमिलनने स्टार्ट हो जाते हैं। फ्लाइट से धनोल्टी आने के लिए आपको मिनिमम खर्च ₹3000 का पड़ेगा। वहीं अगर आप ट्रेन से धनोल्टी आते हैं तो 250 रुपए से 1500 रुपए तक में आप आराम से धनोल्टी आ सकते हैं।
धनोल्टी घूमने के लिए आपको कम से कम 2 दिनों का समय चाहिए होगा, जो आप वीकेंड गेटावेज (weekend gateways) के तौर पर निकाल सकते हैं।
ये थीं कुछ नियर बाय हिल स्टेशन (nearby hill station) के बारे में जानकारियां। आशा है ये जानकारियां आपके ट्रैवल डेस्टिनेशन (travel destination) चुनने में आपकी कुछ मदद कर पाई होगी। इन सभी ट्रैवल डेस्टिनेशंस की दिल्ली एनसीआर से एक्सेसिबिलिटी (accessibility from Delhi NCR) बहुत ही आसान है।
शहरों के लोगों को अगर किसी चीज़ की कमी सबसे ज्यादा खलती है, तो वो है “प्राकृतिक सौंदर्य”। और दिल्ली में अगर आप ऐसी ही किसी जगह की तलाश में हैं तो आज आपकी तलाश मुकम्मल हो जाएगी। क्योंकि फाइव कलर्स ऑफ़ ट्रेवल के आज के इस ब्लॉग में हम आपको एक ऐसी ही जगह की जानकारी दे रहे हैं, जोकि नाम से ही सुन्दर है जिसका नाम है “सुन्दर नर्सरी”। Sunder Nursery: The Best Picnic spot in Delhi
Not a garden only, but “A Best Picnic Spot” as well : हुमायूँ टॉम्ब के सामने स्थित यह नर्सरी एक नर्सरी के साथ-साथ बायो-डाइवर्सिटी पार्क, एक ऐतिहासिक विरासत और एक गार्डन भी है। जहां आप 40 रुपए टिकट देकर प्रवेश कर सकते हैं।
नाम से समझ आता है कि यह सिर्फ एक गार्डन है। पर अंदर जाने पर आपको कुछ अलग ही माहौल देखने को मिलेगा। परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताने, दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने और नेचर के करीब जाने के लिए यह जगह बिलकुल परफेक्ट है।
Short History
टाइम्स मैगज़ीन ने 2018 के अपने सर्वे में सुन्दर नर्सरी को 100 सर्वश्रेष्ठ घूमने लायक जगहों में शामिल किया था। इस नर्सरी का ज़र्रा-ज़र्रा इसके बदलाव की तस्वीरों की गवाही देता है। दरअसल यह जगह लगभग पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी थी। अर्कोलॉजिकल डिपार्टमेंट के मार्ग दर्शन से इस जगह का पुनर्निर्माण शुरू किया गया। आज यह नर्सरी देखने के लिहाज़ से काफी सुन्दर है।
मुग़ल आर्किटेक्चर और बाग़-बगीचों से सजी ये नर्सरी लगभग 90 एकड़ में फैली हुई है। आप जब भी यहां आएं तो इस बात को ध्यान में जरूर रख लें कि खूब सारा पैदल चलना पड़ेगा, तभी इसकी नायाब खूबसूरती का आप दीदार कर पाएंगे।
Best Place for Photoshoot or Videography
एंट्री करते ही सबसे पहले आपको एक मकबरा नज़र आएगा, जिसका नाम सुन्दर बुर्ज़ है। इस मकबरे की अंदरूनी खूबसूरती का बखान करना मुश्किल है। 13वी सदी की इस मुग़ल कालीन ईमारत के अंदरूनी हिस्से में सफ़ेद चूना पत्थर से सजावट की गई है। पूरा मकबरा कुरान की आयतों से सजा हुआ है।
इस बेहतरीन मकबरे के दीदार से सफर की शुरुआत ही काफी शानदार और खूबसूरत होती है। ख़ास बात तो यह है कि यहां आपको जगह-जगह पर इस पूरी नर्सरी की बदलती तस्वीरों को दिखाया गया है। जो इस खूबसूरत क्षेत्र की हर कहानी को दिखने के लिए जरुरी भी है। चलते-चलते झील के सुन्दर नज़ारे भी आराम से देखने को मिलते हैं। यकीन मानिये ऐसी खूबसूरत जगह से कोई दिल लगाए बिना तो रह ही नहीं सकता। इस नर्सरी के अंदर आगे चलकर आपको एक और ईमारत दिखाई देगी। जो है 16वी सदी का लक्कड़ वाला बुर्ज़।
बुर्ज़ की ख़ास बात यह है कि इसे 2017 में इसकी बनावटी खूबसूरती को देखते हुए विश्वविरासत घोषित कर दिया गया। यह पूरी नर्सरी अलग-अलग खूबसूरत फूलों से सुसज्जित है। इसके अलावा यहाँ आपको जगह-जगह पेड़ों की अलग-अलग प्रजातियां देखने को मिलेंगी। हर पेड़ पर उसका नाम देख कर उसकी प्रजाति का पता आप आसानी से लगा सकते हैं। साथ ही साथ यहाँ पक्षियों की भी लगभग 80 प्रजातियां संरक्षित हैं। घूमते हुए रस्ते में आपको तरह-तरह के पक्षियों की आवाजें सुनाई देंगी।
SomethingSpecial about Sunder Nursery
यहाँ की एक और खास बात यह है कि इस खूबसूरत जगह में बांस के पेड़ों की ओट में ठीक झील के सामने आपको एक कैफ़े भी मिल जायेगा। जिससे आपकी पिकनिक या फिर आपका दिन और भी लाजवाब हो जायेगा। सोच के देखिये कुदरत की गोद में बैठ कर लंच करने का मज़ा कैसा होगा। इसकी दूसरी तरफ ठीक सामने फूलों से भरी रंगीन नर्सरी भी है। ऐसे में प्रेमी जोड़ों के हँसते-खिलखिलाते चेहरे किसी का भी दिन मुकम्मल कर दें।
यहाँ जगह-जगह बच्चों के लिए झूलों की व्यवस्था भी की गई है। न केवल युवाओं बल्कि बच्चों और परिवार वालों के लिए भी यह जगह एक बेस्ट पिकनिक स्पॉट है। जगह-जगह बेहद तरतीब से बने गार्डन और मकबरें आपको यहाँ बार बार आने के लिए मजबूर कर देंगे। इसके अलावा इसके अंदर एक भूमिगत रंगमंच भी है जिसका इस्तेमाल सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए किया जाता है। सुन्दर नर्सरी न सिर्फ बच्चों, एडल्ट्स बल्कि पूरे परिवार सभी के लिए एक बेस्ट स्पॉट माना जाता है।
Timing or nearest Metro Station
यह सुबह 7 बजे से शाम 10 बजे तक खुला रहता है। जिसमें लास्ट एंट्री 9:30 PM है। इसका नेअरेस्ट मेट्रो स्टेशन जे एल एन या फिर लाजपत नगर है।
Murthal ke Paranthe: मुरथल के परांठे वाले ढाबे -जहाँ रोजाना लगभग 40-50 हजार से अधिक लोग खाने का लुत्फ उठाते हैं
by Pardeep Kumar
अगर आप परांठे खाने के शौक़ीन हैं तो आज हम आपको अपने इस ब्लॉग में रू-ब-रू करवाएंगे तकरीबन देश भर में प्रसिद्ध मुरथल के मशहूर परांठों के स्वाद से। वैसे तो मुरथल के परांठे पूरे देश में फेमस हैं लेकिन फिर भी दिल्ली से लगते सात राज्यों में अपने पराठों के स्वाद के लिए प्रसिद्ध मुरथल के ढाबों का कोई सानी नहीं।
पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान, उत्तराखंड, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से भी लोग यहाँ आकर परांठों का लुत्फ़ उठाते हैं। खासकर शनिवार और रविवार को यहां दिल्ली-एनसीआर से परांठों के शौकीनों की भारी भीड़ उमड़ती है। अगर आप दिल्ली से चंडीगढ़ जा रहे हैं तो एन एच 1 पर सोनीपत के नजदीक और दिल्ली से तकरीबन घंटे भर के सफर पर एक छोटे से कस्बे मुरथल में यह ढ़ाबे मौजूद हैं। (Murthal ke Paranthe)
किसान आंदोलन और दिल्ली से मुरथल का सफर
काफी दिनों से मुरथल का प्लान बनाया जा रहा था। क्योंकि आजकल किसान आंदोलन के कारण दिल्ली से मुरथल पहुंचना थोड़ा मुश्किल हो गया था इसलिए कई बार प्रोग्राम बना और बिगड़ भी गया। लेकिन इस बार वीकेंड पर हमने ठान लिया था कि कैसे भी करके मुरथल के परांठे खाने ही हैं। सो दिल्ली से हमने औचंदी बॉर्डर का रास्ता लिया और अंदर अलग-अलग गांव से होते हुए सोनीपत शहर से गुजरते हुए तकरीबन दोपहर के 3 बजे मुरथल पहुंचे।
और जब आप इस तरह का सफर तय करते हैं तब भूख कुछ ज्यादा ही लग जाती है और मैं हमेशा कहता हूँ खाने का असली मजा तब है जब आपको जोर की भूख लगी हो। और ऊपर से मुरथल के विख्यात परांठे हो वो भी ताजा मक्खन के साथ तो बस समझ लीजिये आपका दिन बन गया।
वैसे तो मेरा सारा बचपन सोनीपत शहर में ही गुजरा है। 12वीं कक्षा तक मेरी स्कूली एजुकेशन इसी शहर में हुयी और इसी कारण जब भी मेरा और मेरे कुछ दोस्तों का मन करता तब हम सोनीपत से मुरथल आ जाते थे परांठे खाने। सोनीपत से मुरथल यही 6-7 किलोमीटर है और आजकल तो ऐसा लगता है कि मुरथल सोनीपत शहर में ही मिल गया है। वो नब्बें का दशक था। यही 1997-98 का समय।
स्कूल टाइम की यादें और मुरथल के परांठे
मुझे अच्छे से याद है तब मुरथल बस स्टॉप से पानीपत की तरफ थोड़ा आगे निकल कर गुलशन का ढ़ाबा ही फेमस हुआ करता था और उसके आसपास एक दो ढ़ाबे और थे। तब परांठे का साइज आज के परांठों के साइज से बड़ा होता था। तब मुरथल के ढाबों पर सिर्फ दाल मखनी, परांठे, खूब सारा मक्खन और मीठे में खीर ही मिलती थी लेकिन आज यहां पर हर प्रकार के शाकाहारी स्वादिष्ट व्यंजन मिलते हैं। नब्बे के दशक में हम देखते थे कि पहले सिर्फ ट्रक चालक यहां से गुजरते हुए रुककर खाना खाते थे, या फिर सोनीपत के युवाओं की टोलियां जिनका कभी-कभार बाहर खाने का मन करता। लेकिन आज यहाँ का मंज़र बिलकुल बदल चुका है, अब आपको इन फुली एयर कंडीशंड ढाबों की पार्किंग में सैंकड़ों लक्ज़री कार दिखाई देंगी और कई बार तो भीड़ इतनी बढ़ जाती है कि सैंकड़ों गाड़ियों की पार्किंग की जगह होने के बाद भी यहाँ आपको अपनी कार पार्क करने की जगह नहीं मिलती। Murthal Ke Paranthe
आजकल लोग यहां अपने परिवार के साथ पार्टी व अन्य पारिवारिक कार्यक्रम आयोजित करने आते हैं, मैंने आपको पहले ही बताया कि दिल्ली से महज घंटा भर की ड्राइव कर यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। यही बड़ी वजह है कि दिल्ली और एनसीआर के लोग खासकर युवा यहाँ अक्सर देर रात या वीकेंड पर पराठे खाने के लिए आते हैं। बताते हैं मुरथल के ढाबों की शुरुआत 1950-60 के दशक में हुई थी। बेहद परम्परागत ढाबों के तौर पर शुरू हुए यह ढाबे आज अपनी अलग ही क्रेज बना चुके हैं। एक अनुमान के अनुसार रोजाना लगभग 40-50 हजार से अधिक लोग यहां आकर खाने का लुत्फ उठाते हैं। यह वास्तव में एक अद्भुत संख्या है। वैसे तो यहाँ जितने भी ढाबे हैं चाहे काफी पुराना पहलवान ढाबा हो, आहूजा हो या फिर झिलमिल उन सभी में परांठों का स्वाद लाजवाब है लेकिन फिर भी अमरीक सुखदेव का पिछले एक दशक से यहाँ एक तरफा राज है। शायद यही वजह है अगर आप वीकेंड पर यहाँ आएंगे तो हो सकता है लगभग 20-25 मिनट आपको बैठने के लिए सीट भी न मिले। लेकिन कहते हैं न कि इंतज़ार का फल मीठा होता है, बस यहाँ इंतज़ार का फल बेहद स्वादिष्ट मिलेगा।
सुपर स्टार धर्मेंद्र का गरम-धरम ढाबा
अमरीक सुखदेव के बिलकुल साथ लगता और कुछ साल पहले बना गरम-धरम ढ़ाबा भी है, जोकि अपनी बनावट के कारण लोगों में काफी पॉपुलर भी हो रहा है। इस ढ़ाबे की पूरी थीम बॉलीवुड सुपरस्टार धर्मेंद्र की फिल्मों पर बेस्ड है। पूरे ढ़ाबे को धर्मेंद्र की फिल्मों के अनुसार डिज़ाइन किया गया है।
ढ़ाबे के बाहर मेन गेट पर आपको शोले फिल्म की मशहूर पानी की टंकी दिखाई देगी जिस पर चढ़कर धर्मेंद्र फिल्म की नायिका हेमा मालिनी को परपोज करता है। अंदर ढ़ाबे में आप ऑटो रिक्शा, ट्रक और धर्मेंद्र की फिल्मों के पोस्टरों के बीच में इस ढाबे पर बनने वाले फेमस फ्रूट परांठे का स्वाद भी ले सकते हैं।
हम अमरीक सुखदेव के परांठे कई बार खा चुके थे इसलिए इस बार हमने गरम-धरम ढ़ाबे के परांठे खाने का निर्णय लिया। एंट्री गेट पर ही गार्ड ने हैंड सेनिटाइज करवाए। अंदर वातानुकूलित हॉल में एक अच्छा-सा कार्नर देखकर हमने आसन जमा लिया। भूख लगी थी इसलिए तुरंत चाय और मिक्स वेज परांठे आर्डर किये। तकरीबन 10 मिनट के इंतज़ार के बाद परांठे की थाली आ चुकी थी। कड़क चाय, दो-तीन तरह का अचार, हरी मिर्च और ताजे मक्खन की भरी कटोरी और गरमा-गर्म परांठे।
बिना तले स्वादिष्ट परांठे
अगले कुछ लम्हें सब कुछ भूल कर हमने सिर्फ परांठों पर ही फोकस किया। स्वादिष्ट और एकदम फ्रेश। पराठे खाते वक्त हमने देखा कि यहाँ के परांठों की फिलिंग में ज्यादा चीजें नहीं होती हैं सिर्फ आलू, प्याज हरा धनिया पत्ती और नमक वगैरह भरकर इसे तैयार किया जाता है। खास बात यह की इन पराठों को तवे पर घी में तलकर नहीं बल्कि तंदूर में सेंका जाता है। और बिना घी में तले इन तंदूरी परांठों पर ताजा मक्खन, सच में अद्भुत।
रोजाना हज़ारों की संख्या में खाने के शौक़ीन लोग यूँ ही यहाँ नहीं आते। परांठे खाने के बाद हमने वहां देखभाल कर रहे मैनेजर से थोड़ी बातचीत की तो उसने बड़े गर्व से बताया कि चाहे एक दिन में कितने ही लोग यहाँ खाना खाने आ जाएँ लेकिन वो क्वालिटी के मामले में कभी समझौता नहीं करते। मुझे लगा शायद यही वो वजह है जब किसान आंदोलन के कारण पिछले कई महीनों से दिल्ली के तमाम बॉर्डर बंद हैं फिर भी यहाँ हज़ारों लोग वीकेंड पर परांठे खाने आते हैं। सब स्वाद की माया है।
मुरथल में जिसने बेचा चिकन-कबाब वो हो गया बर्बाद
आपको यहाँ की एक और बात बता दूँ देश भर में पराठों के स्वाद के लिए मशहूर मुरथल के ढाबों पर दूर-दूर तक आपको सिर्फ शाकाहारी व्यंजन ही मिलेंगे। यहाँ के किसी भी ढाबे पर आपको मांसाहारी भोजन नहीं मिलेगा। फिर चाहे वो कोई ढ़ाबा हो, होटल हो या कोई बड़ा रेस्टोरेंट। इसके पीछे की जो कहानी है वो दरअसल आस्था और धार्मिक भावना से जुड़ी है। बताते हैं पहले मुरथल में सिर्फ दो ही ढाबे होते थे। इस इलाके के प्रसिद्ध बाबा कलीनाथ ने दोनों ढाबों को कभी भी भोजन में मांसाहार न परोसने के लिए कहा था। आज भी यहाँ के अधिकतर ढाबे संचालकों का मानना है कि बाबा के आदेश के विपरीत जो भी यहाँ मांसाहार बेचेगा वह बर्बाद हो जाएगा। ये शायद उसी बाबा कलीनाथ की आस्था ही है कि यहाँ के तमाम ढाबा संचालक सिर्फ शाकाहारी खाना बनाते हैं। यहीं के लोग बताते हैं कि दो-तीन बड़े ढाबा संचालकों ने यहाँ नॉन वेज खाना परोसना शुरू किया था। इनमें से एक तो महीने भर में ही बंद हो गया और बाकियों को भी बर्बादी की हद तक बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। इसलिए बाबा के श्राप के कारण अब यहाँ कोई नॉन वेज ढाबा चलाने की हिम्मत भी नहीं करता। इन कहानियों में कितनी सच्चाई है वो तो यहाँ के लोग और ढाबा संचालक बेहतर जानते हैं। लेकिन हमें इस पूरे इलाके में एक भी नॉन वेज ढाबा दिखाई नहीं दिया। साथ ही यहाँ ढाबों पर काम करने वाले कर्मचारियों से जब इस बाबत बात की तो उन्होंने पूरी सिद्दत से इन कहानियों पर मुहर लगा दी।
पिकनिक, आउटिंग या मस्ती करने के लिए मुरथल के ढाबें एक दम परफेक्ट जगह
बाकी आपको यहाँ लगभग सभी ढ़ाबों में बाहर की और काफी सारी दुकानें दिखाई देंगी जिन पर आप खाने पीने की चीजों के अलावा अचार, मुरब्बें , कैंडी, अलग अलग तरह के चूरन, वुडेन क्राफ्ट का सामान और अन्य जरुरत की चीजें आसानी से खरीद सकते हैं। अगर आप अपने परिवार और बच्चों के साथ पिकनिक या आउटिंग के लिए निकले हो तो वहां हर तरह के झूलें और एडवेंचर जोन भी आपको मिल जायेगा। कहने के लिए यह भले ही ढ़ाबे हैं लेकिन किसी बेहतरीन स्तरीय आधुनिक रेस्टोरेंट से कम नहीं हैं। खाने पीने और खूब सारी मस्ती करने के लिए मुरथल के ढाबें एक दम परफेक्ट जगह है। Murthal ke Paranthe