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Dariba Kalan : चाँदनी चौक के मशहूर दरीबा कलां और किनारी बाज़ार

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देश भर में प्रसिद्ध चाँदनी चौक में जान डालते हैं वहाँ के कई छोटे-बड़े बाज़ार। हर एक मील पर एक नया बाज़ार शुरू हो जाता है और बाज़ार भी कुछ ऐसे जहाँ हर नुक्कड़ और चौराहे पर कुछ अलग व उम्दा दिखना बड़ी बात नहीं। चाँदनी चौक के ऐतिहासिक और बेहद पुराने बाजारों की सूची में शुमार दरीबा कलां और किनारी बाज़ार की भी अपनी अलग खासियत है। यही कारण है कि वहाँ बने बाज़ार पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी पहचान बनाये हुए हैं।( Dariba Kalan, Chandni Chowk)

 

दरीबा कलां ज्वेलरी हब

दरीबा कलां केवल एक बाज़ार तक सीमित न होकर ज्वेलरी की एक पूरी अलग दुनिया है। जहाँ हीरे जवाहरात, सोना, चांदी, सिल्वर, एथनिक और वेस्टर्न हर तरह का ज्वेलरी पीस आसानी से उपलब्ध हो जाता है। 17वीं शताब्दी से चल रही ये मार्किट लाल किले से सिर्फ 5 मिनट की दूरी पर स्थित है। लगभग 2 किलोमीटर लम्बी सड़क पर बनी इस मार्किट में घुसते ही आपके चारों ओर अगर कुछ है तो वह है सोना, चांदी और ज्वेलरी के उम्दा डिज़ाइन।

मार्किट की शुरुवात होती है प्रसिद्ध जलेबी वाले की दुकान से जो न जाने कितने सालों से अपनी जलेबी की मिठास से चाँदनी चौक में मिठास घोल रहा है। आगे बढ़ते ही आपको खुद-ब-खुद महसूस हो जाएगा की चाँदनी चौक नाम में चाँदनी शब्द दरीबा कलां से ही लिया गया है। क्योंकि यहां के अधिकतर दुकानदार चाँदी के गहनों के अलावा चाँदी के बर्तन और चाँदी की बनी देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी सैंकड़ों सालों से बेचते आ रहे हैं। पीढ़ियों से चल रहे इस बाज़ार में आपको हर प्रकार की ज्वेलरी के उम्दा डिज़ाइन आसानी से मिल जाएंगे, जिनकी कला और खूबसूरती देख आप असमंजस में पड़ जाएंगे की क्या ले और क्या नहीं।

सदियों पुराना शाही बाजार

बता दें दरीबा कलां बाज़ार की स्थापना का श्रेय मुगल बादशाह शाहजहाँ को जाता है। माना जाता है कि बाज़ार में बादशाह, उनके परिवार और शाही लोग खरीदारी करने आते थे, खासकर महलों की बेगमों के लिए भी बाजार में गहनों की दुकानें खोली गई। तब से लेकर आज तक यह महिलाओं का पसंदीदा बाजार है।

चाँदी के बर्तन

बताते हैं यह बाजार कई बार लूटा गया लेकिन हर बार फिर से स्थापित हो गया। आज इस बाज़ार में मीरीमल सुल्तान सिंह जैन, धन्नूमल जगाधर मल, लिली डीयाना, भगवान दास खन्ना, श्रीराम हरि राम, राम स्वरूप जैन, राधे कृष्ण, रत्न चंद जैसे अनेक पुराने जौहरियों के वंशजों के अलावा बहुत से नए जौहरी भी अपना कारोबार कर रहे हैं।

 

इसके अलावा बाज़ार में आपको नेपाली, तिब्बती ज्वेलरी भी आसानी से मिल जाएगी। आपको बता दें बाज़ार में रोज़ाना करोड़ो का कारोबार होता है और त्यौहारों के दिनों में डिमांड दुगनी हो जाती है। कीमत के लिहाज से भी दरीबा कलां परफेक्ट है।

किनारी बाज़ार

चांदनी चौक के सबसे मशहूर बाज़ारों में से एक किनारी बाज़ार दरीबा कलां के बिलकुल पास में स्थित है। बाज़ार की शुरुवात होती है प्रेम चंद गोटे वाले चौक से। जहाँ लोग शादी से लेकर, दुकानों और घरों का सामान भी खरीदते हैं। इस बाज़ार में फैंसी गोटा पट्टी, लेस, शादी की पगड़ियाँ, शगुन के लिफाफे, शगुन के थाल, ज्वेलरी बॉक्स और न जाने कितने प्रकार की आइटम मिलते हैं। आपको बता दें वैसे तो किनारी बाज़ार में थोक में सामान ज्यादा बिकता है लेकिन कुछ दुकानदार रिटेल में भी अपना सामान बेचते हैं। यहाँ पर बिकने वाला सामान आपको बेहद किफायती दामों में मिल जाता है।

बात चाहे शादी में प्रयोग होने वाले सजावट के सामान की हो या अन्य वस्त्रों की किनारी बाज़ार में आपको सब मिलेगा। किनारी बाज़ार का नाम सूट और साड़ी के नीचे लगने वाली किनारी के नाम पर ही रखा गया है। यहाँ आपको हर तरह की किनारी, गोटा और लटकन मिल जाएगी।

ये बाजार भले ही संकरी गलियों में बने हुए हैं, भले ही यहाँ की दुकानें छोटी-छोटी हैं लेकिन दुकानें छोटी होने के बावजूद भी यहाँ आने वाले खरीददारों को न केवल बहुत सारी वैरायटी मिल जाती है बल्कि क्वालिटी से भी किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाता। चाँदनी चौक के यह दोनों बाज़ार इसीलिए दिल्ली के सबसे अच्छे बाजारों में गिने जाते हैं। कम कीमत में बढ़िया सामान किसको पसंद नहीं है? ये दोनों ऐतिहासिक बाज़ार अपनी क्वालिटी, प्रोडक्ट के यूनिकनेस और कीमत हर लिहाज़ से परफेक्ट हैं। तो अब जब भी चाँदनी चौक जाएँ दरीबा कलां और किनारी बाज़ार में खरीदारी का लुफ्त जरुर उठाएँ।(Dariba Kalan, Chandni Chowk)

 

Written & Research by Geetu Katyal
Edited by Pardeep kumar

 

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