हर साल जब जून के अंत में मानसून की पहली बारिश धरती को भिगोती है, तो जंगलों की हरियाली और भी गाढ़ी हो जाती है। लेकिन क्या आपने गौर किया है कि इसी समय भारत के ज्यादातर नेशनल पार्क और टाइगर रिज़र्व अपने दरवाज़े पर्यटकों के लिए बंद कर देते हैं?
अगर आप जंगल सफारी और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी के शौकीन हैं, तो ये सवाल ज़रूर मन में आता होगा — आख़िर मानसून में नेशनल पार्क क्यों बंद रहते हैं?
फाइव कलर्स ऑफ़ ट्रेवल के इस ब्लॉग में हम इसी सवाल का जवाब जानेंगे, और आपको बताएंगे कि इसके पीछे केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि प्राकृतिक और पारिस्थितिकी (इकोलॉजिकल) कारण भी हैं।

प्रजनन का मौसम – जानवरों को चाहिए शांति
मानसून के महीने यानी जुलाई से सितंबर के बीच अधिकतर वन्यजीवों का प्रजनन (Breeding) समय होता है। बाघ, तेंदुए, हिरण, हाथी जैसे जानवर इसी दौरान अपने शावकों को जन्म देते हैं या उनके पालन-पोषण में व्यस्त रहते हैं। ऐसे समय में टूरिस्ट की हलचल, सफारी जीपों की आवाज़ और कैमरों की क्लिक जानवरों को डरा सकती है।
इसलिए पार्क प्रशासन इन महीनों में नेशनल पार्कों को बंद करके जानवरों को एक शांत वातावरण प्रदान करता है।
खराब रास्ते और जलभराव – सफारी बन सकती है खतरनाक
मानसून में जब लगातार बारिश होती है, तो जंगल के कच्चे रास्ते कीचड़ भरे और फिसलनदार हो जाते हैं।
इससे सफारी जीपों का फँसना आम हो जाता है और कई बार तो दुर्घटनाएँ भी हो सकती हैं।
पार्क प्रशासन इन हालातों में न केवल पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रखता है, बल्कि जंगल की मिट्टी और पेड़ों की रक्षा भी करना ज़रूरी समझता है। भारी वाहन इन नर्म रास्तों को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
बढ़ जाता है कीड़े-मकोड़ों और सांपों का खतरा

बरसात के मौसम में सांप, बिच्छू, मच्छर और अन्य कीड़े-मकोड़े ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं।
इनका सामना पर्यटकों के साथ-साथ सफारी गाइड और कर्मचारियों को भी करना पड़ सकता है।
संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य जोखिमों से बचाने के लिए भी मानसून में पार्कों को बंद रखना समझदारी होती है।
जंगल की हरियाली – लेकिन दिखते नहीं जानवर
मानसून में जंगल हरे-भरे हो जाते हैं, जो देखने में तो बेहद सुंदर लगता है, लेकिन जानवरों को देख पाना बेहद मुश्किल हो जाता है।
घनी घास और पेड़ों के बीच शेर, बाघ या हाथी अक्सर दिखाई ही नहीं देते।
इसलिए सफारी का अनुभव उतना अच्छा नहीं रहता, और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर्स को निराशा हाथ लग सकती है।
भूस्खलन और पर्यावरणीय खतरे
कुछ नेशनल पार्क जैसे जिम कॉर्बेट, राजाजी, या काज़ीरंगा जैसे इलाकों में भूस्खलन या बाढ़ की आशंका बनी रहती है।
ऐसे में टूरिस्ट की जान जोखिम में पड़ सकती है, साथ ही प्राकृतिक नुकसान भी ज्यादा होता है।
मानसून में नेशनल पार्क कब तक रहते हैं बंद?
पार्क का नाम-बंद रहने का समय
जिम कॉर्बेट- 15 जून से 15 नवंबर तक
रणथंभौर टाइगर रिज़र्व – 1 जुलाई से 30 सितंबर
काजीरंगा नेशनल पार्क – जून से अक्टूबर तक
बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व – 1 जुलाई से 15 अक्टूबर
तारीखें मौसम पर निर्भर करती हैं; कुछ क्षेत्रों में बारिश जल्दी या देर से आती है।
लेकिन कुछ पार्क रहते हैं आंशिक रूप से खुले!

कुछ जगह जैसे रणथंभौर, सरिस्का, या पेंच टाइगर रिज़र्व के चुनिंदा जोन मानसून में भी सीमित सफारी की अनुमति देते हैं।
लेकिन यहाँ भी बुकिंग सीमित होती है और पर्यटकों को खास सावधानी बरतनी होती है।
मानसून में पार्क बंद होना नकारात्मक नहीं, बल्कि एक ज़रूरी कदम है। इससे न केवल जानवरों को सुरक्षित और शांत वातावरण मिलता है, बल्कि जंगल की प्राकृतिक पुनर्जीवन प्रक्रिया भी पूरी हो पाती है।
तो अगर आप जंगल प्रेमी हैं, तो अगली बार मानसून के दौरान सफारी की योजना बनाने से पहले इस ब्रेक को ‘नेचर की जरूरत’ समझें – और अगली सीजन में जब पार्क फिर से खुलें, तो एक अद्भुत अनुभव आपका इंतजार कर रहा होगा!