Best Hindi Travel Blog -Five Colors of Travel

इस IRCTC पैकेज के साथ घूमिए पूरा राजस्थान सिर्फ 7 दिनों में

अगर आपको सोने जैसे रेतों वाला रेगिस्तान, शानदार किले, पुरानी हवेलियों और राजशाही ठाठ-बाट की झलक देखनी हो तो राजस्थान से बेहतरीन कोई दूसरा जगह नहीं हो सकता है। भारत में राजस्थान को राजा महाराजाओं का गढ़ माना जाता है। यहीं वजह है कि इस राज्य का नाम राजस्थान रखा गया है। यहां के बाजारों में मिलने वाली ऑक्सिडाइज्ड ज्वैलरी की बात हो या फिर यहां के महलों की, हर जगह राजसी शान की झलक देखने को मिल जाती है। अगर आप भी राजस्थान के टूर का प्लान बना रहे हैं तो यह ब्लॉग आपके लिए ही है। आईआरसीटीसी ने राजस्थान के टूर के लिए एक बेहतरीन टूर पैकेज प्लान किया है।

आइए इस टूर पैकेज के बारे में अधिक गहराई से जानते हैं।

  • ये पैकेज 7 दिनो और 6 रातों का होगा।
  • इस पैकेज के तहत आप बीकानेर, जयपुर, जैसलमेर, जोधपुर और पुष्कर की यात्रा करेंगे।
  • इस पैकेज का नाम है ‘रॉयल ​​राजस्थान एक्स चेन्नई’
  • आपके इस यात्रा की शुरुआत चेन्नई के एयरपोर्ट से होगी।

कुछ ऐसा होगा आपका टूर प्लानर

दिन 1 (Day 1)

पहले दिन सुबह आप चेन्नई से सुबह 8:00 बजे जयपुर के लिए प्रस्थान करेंगे। हवाई अड्डा पहुंचने के बाद जयपुर (jaipur) से पुष्कर (Pushkar) की ओर सड़क मार्ग से आगे बढ़ेंगे। पुष्कर जाने के मार्ग में अजमेर के दरगाह शरीफ (Dargah Sharif) जाएंगे। पुष्कर पहुंचकर होटल में चेक इन करेंगे। आपको भोजन तथा रात्रि विश्राम पुष्कर में ही करना होगा।

दिन 2 (Day 2)

अगले दिन आप नाश्ते के बाद जोधपुर (jodhpur) की ओर आगे बढ़ जाएंगे। जहां पहुंचकर होटल में चेक इन करेंगे फ्रेश होने के बाद मेहरगढ़ किला (Mehargarh fort) और उन्मेद भवन संग्रहालय (Unmed bhawan palace) का दौरा करेंगे। आप रात्रि विश्राम जोधपुर में ही करेंगे।

दिन 3 (Day 3)

तीसरे दिन आप होटल में सुबह नाश्ता करेंगे। नाश्ते के बाद जैसलमेर की ओर आगे बढ़ेंगे। जैसलमेर पहुंचकर फ्रेश होने के बाद सूर्यास्त का आनंद ले। आप रात्रि विश्राम जैसलमेर के ही डेजर्ट कैंप टेंट (Desert Camp Tent) में करेंगे।

दिन 4 (Day 4)

अगले दिन सुबह नाश्ते के बाद जैसलमेर किला (Jaisalmer Fort), पटवों की हवेली और युद्ध संग्रहालय (War museum) जैसे दर्शनीय स्थल घूमेंगे। दोपहर में बीकानेर की ओर बढ़ जाएंगे। भोजन तथा रात्रि विश्राम आपको बीकानेर में ही करना होगा।

दिन 5 (Day 5)

पांचवें दिन आप नाश्ते करके बीकानेर(Bikaner) के दर्शनीय स्थल जूनागढ़ किला(Joonagarh fort) और देशनोक मंदिर का भ्रमण करेंगे। बीकानेर के पर्यटन स्थलों को घूमने के बाद आप जयपुर की ओर बढ़ेंगे। जयपुर पहुंचकर होटल में चेक इन करेंगे। आपको रात्रि विश्राम जयपुर में ही करना होगा।

दिन 6 (Day 6)

अगले दिन आप सुबह नाश्ता करेंगे नाश्ता करने के बाद आमेर किला (Amer fort), जल महल (Jal mahal), हवा महल (Hawa mahal), सिटी पैलेस (City palace) और जंतर मंतर (Jantar Mantar) को देखने जाएंगे। शाम मे वापस होटल आकर विश्राम करेंगे।

दिन 7 (Day 7)

अंतिम दिन आप सुबह नाश्ता करके होटल से चेक आउट करेंगे। इसके बाद जयपुर एयरपोर्ट (Jaipur airport) के लिए निकल जाएंगे वहां से अपने फ्लाइट (flight) से शाम में चेन्नई एयरपोर्ट पर लैंड करेंगे। चेन्नई पहुंचकर आपकी यात्रा समाप्त हो जाएगी।

बजट (Budget)

अगर आप 24 नवंबर के टूर के लिए यह पैकेज बुक करवाते हैं तो इस टूर पैकेज का बजट आपके लिए कुछ इस प्रकार का होगा।
सिंगल ऑक्युपेंसी की टिकट के लिए आपको पर पर्सन ₹65,100 वहीं डबल ऑक्युपेंसी के लिए आपको पर पर्सन ₹50,100 का भुगतान करना पड़ेगा। अगर आप ट्रिपल ऑक्युपेंसी का टिकट खरीदते हैं तो आपको पर पर्सन ₹47,000 कीमत अदा करनी होगी। अगर आपके साथ चाइल्ड विद बेड है, जिसकी उम्र 5 से 11 साल तक की है तो उस बच्चे की टिकट की प्राइस ₹40,500 होगी।

अगर आप 30 दिसंबर 2023 के टूर के लिए इनरोल करते हैं तो आपको सिंगल बेड ऑक्युपेंसी के लिए पर पर्सन ₹59,100, डबल बेड ऑक्युपेंसी के लिए पर पर्सन ₹54,100, ट्रिपल बेड ऑक्युपेंसी के लिए पर पर्सन ₹51,000 और चाइल्ड विद बेड के लिए ₹44,500 का भुगतान करना होगा।

इस टूर पैकेज में आपको निम्नलिखित सुविधाएं दी जाएंगी (inclusions

  • इस पैकेज के तहत आपको आगमन के समय चेन्नई से जयपुर और वापसी के समय जयपुर से चेन्नई की हवाई टिकट मिलेगी।
  • आप सभी दर्शनीय स्थलों का भ्रमण एसी वाहन द्वारा करेंगे।
  • इस पैकेज के तहत आप को 6 बार सुबह का नाश्ता तथा रात का खाना मिलेगा।
  • इस पैकेज में आपको दर्शनीय स्थलों पर आपको गाइड की सेवाएं भी मिलेगी।
  • इस पैकेज में आपको आईआरसीटीसी टूर मैनेजर की सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाएगी।
  • इस टूर के दौरान सभी प्रकार के कर लागू होंगे।

इस टूर पैकेज में निम्नलिखित प्रकार की सुविधाएं नहीं मिलेंगी (Exclusions)

  • इस टूर पर आपको दोपहर का भोजन नहीं मिलेगा।
  • इस टूर में उल्लेखित सेवाओं के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार का खर्च आपको खुद ही पे करना होगा।
  • सभी दर्शनीय स्थलों के प्रवेश टिकट आपको खुद ही खरीदने होंगे।
  • किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत खर्च जैसे टेलीफोन चार्ज, मिनरल वाटर, टिप्स और पोर्टेज का भुगतान को खुद ही करना होगा।
  • अगर आप किसी भी प्रकार की अतिरिक्त भोजन सेवाएं लेते हैं तो उसका पैसा आपको खुद ही देना होगा।
  • अगर आप किसी भी प्रकार की अन्य सेवाएं लेते हैं जो इस पैकेज में इंक्लूड नहीं है तो आपको उसका भुगतान खुद ही करना होगा।
Categories
Best of My Blogs Culture Destination Rajasthan Travel

Best Places to Visit in Jaisalmer

Jaisalmer: जैसलमेर - रेगिस्तान, शानदार किलों, पुरानी हवेलियों और राजसी ठाठ-बाट का शहर

by Pardeep Kumar

पिछले काफी अरसे से मैं राजस्थान घूमने का प्लान कर रहा था। क्योंकि राजस्थान शब्द सुनते ही ज़ेहन में खूबसूरत महलों, शानदार किलों और वीरों के इतिहास की झांकी तैरने लगती है। पूरा राजस्थान ऐतिहासिक सांस्कृतिक और प्राकृतिक सौंदर्य से जगमग है। यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज यह “रजवाड़ों की धरती” भारत के सबसे बड़े पर्यटक स्थलों में से एक है। मीलों तक फैली सुनहरी रेत पर अनेक विजय गाथाओं के साक्षी रहे यहाँ के दुर्ग, पिंक सिटी, झीलों का शहर, गोल्डन सिटी, बीकानेरी भुजिया, गजब वास्तुकला, मुँह में पानी लाने वाले व्यंजन, आदिवासी गाँव, तीर्थ स्थल और रंगीन त्यौहार जैसी अनोखी चीज़ें न केवल राजस्थान को दूसरों से अलग करती है बल्कि नायाब भी बनाती हैं।(Jaisalmer)

और अगर आपको सोने जैसी रेत वाला रेगिस्तान, शानदार किलें, पुरानी हवेलियां और राजसी ठाठ-बाट की झलक देखनी हो तो हो देश के पश्चिमी कोने में स्थित जैसलमेर से बेहतरीन दूसरा कोई डेस्टिनेशन नहीं। हम दिल्ली से सम्पर्क क्रांति एक्सप्रेस ट्रैन से जैसलमेर के लिए रवाना हुए । लगभग 15 घंटे के सफर के बाद हम जैसलमेर रेलवे स्टेशन पर पहुंचे। शायद उस समय रात के एक बजे थे। होटल बुक था और उन्होंने टैक्सी पहले ही भेज दी थी इसलिए किसी तरह की कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। जब भी आप ट्रैन से ऐसे किसी भी डेस्टिनेशन पर जाएँ तो होटल और टैक्सी का इंतज़ाम पहले ही कर लें। आजकल सब ऑनलाइन है इसलिए बहुत ज्यादा चिंता की बात है नहीं। मेरे लिए यात्रा का मतलब सिर्फ घूमना कभी नहीं रहा। यात्रा मेरे लिए हमेशा से अपना सर्वोत्तम समय व्यतीत करना रहा है। चाहे जिस भी डेस्टिनेशन की यात्रा का प्रोग्राम बने, वहां के परिवेश को समझना और किस तरह ये रहन-सहन हमारे परिवेश से अलग है, ये भी जानना मुझे हमेशा से ही अच्छा लगता रहा है। बचपन में परिवार के साथ घूमने का कार्यक्रम बनता था, पर वक़्त के साथ जैसे बड़े हुए, कमाने लगे या यूँ कह लीजिये आर्थिक रुप से मजबूत हुए तो यात्रायें करना थोड़ा आसान हो जाता है , फिर तो जब भी मन किया निकल पड़े किसी नई जगह। क्योंकि अगर आप आर्थिक रूप से थोड़े सक्षम हैं तो फिर किसी तरह की कोई टेंशन नहीं रहती आपका जहाँ मन करें उड़ जाइये। खूब घूमिये और खान-पान का आनंद लीजिये।

किस समय यहाँ आना सबसे बेहतर

वैसे तो साल भर यहाँ पर्यटकों और खरीददारों का आना लगा रहता है लेकिन फिर भी अक्टूबर से मार्च का महीना यहाँ आने के लिए बेस्ट रहता है। क्योंकि देखा जाए तो राजस्थान में साल भर गर्मी ही रहती है।

आप जब भी कहीं घूमने जाएँ, किस दिन कहाँ जाना है? क्या देखना है? सब का शेड्यूल पहले ही बना लें। इसका फायदा ये होता है आप बिना किसी फालतू की आपाधापी के इत्मीनान से उस जगह को विजिट कर लेते हैं। इसलिए हमने अगले तीन दिन का पूरा शेड्यूल बना लिया था।(Jaisalmer)

गोल्डन फोर्ट (सोनार किला)

सुबह हमने नाश्ते में स्वादिष्ट पोहा और कड़क चाय को प्राथमिकता दी। एक प्याला कड़क चाय आपके सफर को ऊर्जामयी बना देता है। अच्छे से नाश्ता किया और निकल पड़े जैसलमेर के किले की तरफ। यहां जाएं तो सबसे पहले दिन के समय में जैसलमेर किला विजिट कर लें। क्योंकि एक तो ये काफी बड़ा है दूसरा बेहद खूबसूरत भी। इसे सोनार किला कहते हैं और यह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ रेगिस्तानी किलों में से एक माना जाता है। सुबह-सुबह के समय जब सूरज की चमकीली किरणें इस किले पर पड़ती हैं तो यह पीले रंग से दमक उठता है।

यह सोनार किला पीले सेन्ड स्टोन पत्थरों को जोड़कर बनाया गया है। ये किला जितना खूबसूरत है उतने ही रोचक तरीके से इसका निर्माण भी हुआ है। इस किले को राजपूत राजा रावल जैसल ने बनवाया था। इस किले के चारों ओर बनाये गए गढ़ों से आप इसकी विशालता और भव्यता का आंकलन कर सकते हैं। हम जैसे ही किले के मुख्य द्वार पर पहुंचे शानदार नक्काशी और वास्तुकला का नमूना देखने को मिला। यहाँ आने वाले पर्यटकों को लुभाने के लिए जैसे ये मुख्य द्वार ही काफी है।

मुख्य द्वार के पास से ही परम्परागत वस्तुओं की खरीददारी के लिए बाजार शुरू हो जाता है। जहाँ से आप ट्रेडिशनल चीजों की शॉपिंग कर सकते हैं। वैसे इस किले में अखे पोल, सूरज पोल, गणेश पोल और हवा पोल नामक चार दरवाजे हैं। किले में अंदर आपको मोती महल, रंग महल और राज विलास जैसे स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने दिखाई देंगे। किले के अंदर ही खूबसूरत जैन मंदिर भी है।

यह किला शहर के बीचों-बीच बना हुआ है। दिन के समय सूरज की रोशनी में इस किले की दीवारे हल्के सुनहरे रंग की दिखती है. इसी कारण इस किलें को सोनार किला या गोल्डन फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है। देश भर में अनेक किले ऐसे हैं जिनको आलीशान होटलों में बदल दिया गया है लेकिन जैसलमेर के किले की यही सबसे बड़ी खासियत है कि आज भी यह अपने पुराने स्वरुप में मौज़ूद है। इसलिए शायद इसे लाइव फोर्ट भी कहा जाता है।

फिलहाल इस किले के अंदर पांच हजार के लगभग लोग रहते हैं जो यहाँ आने-जाने वाले ट्यूरिस्ट के जरिये ही अपना गुजर बसर कर रहे हैं। अंदर एक चाट पापड़ी वाले ने हमें बताया कि किले में एक हजार से भी अधिक लोग फ्री में रहते हैं वो यहाँ रहने के लिए किसी भी तरह का रेंट नहीं चुकाते। हम ने जब इस बात की तस्दीक की तो हमें यह जानकार हैरानी हुई कि यह बात बिलकुल सही है। कहते हैं राजा रावल जैसल सेवादारों की सेवा से बहुत खुश हुए थे। इसलिये उन्होंने उन सेवादारों को किलें में रहने देने का फैसला किया। तब से आज तक सेवादारों के वंशज इस किले में बिना किराया दिए मुफ्त में रहते हैं। इस किले में रहने वालों की आबादी के हिसाब से यह दुनिया भर के किलों में अलग स्थान रखता है।

हम अनेक छोटी-छोटी रिहायशी गलियों से होकर इस किले के ऊपरी हिस्से में पहुंचे जहाँ एक विशाल तोप रखी गई है, जिसे लोग राजपूताना शान का प्रतीक समझते हैं। ये तोप जिस स्थान पर रखी गई है वहां से पूरा जैसलमेर शहर नजर आता है। किले को घूमते-घूमते सुबह से दोपहर हो गई। हमने किले के बाहर स्थित एक रेस्टोरेंट में भोजन किया। और भोजन के उपरांत वहां से निकल लिए पटवों की हवेली की तरफ।

पटवों की हवेली

पटवों की हवेली वास्तव में जैसलमेर में सबसे बड़ी और सबसे ख़ूबसूरत नक़्काशीदार हवेली है जिसको बनवाया था गुमान चंद पटवा ने। बताते हैं अपनी अद्भुत नक्काशी और बारीक कलाकृति के लिए मशहूर इस भव्य हवेली को बनाने में तकरीबन 50 साल का समय लगा था। दरअसल यह हवेली पांच हवेलियों का समूह है जिसे गुमान चंद ने अपने पांच बेटों के लिए बनवाया था। वहां पहुँच कर एक बात जो थोड़ी अटपटी लगी वो ये की इतनी सुन्दर हवेली जैसलमेर की एक संकरी गली में स्थित थी। हवेली के बीच में एक सुन्दर संग्रहालय भी है, जिसमें आपको कलाकृतियाँ, चित्र और अन्य कलाएँ देखने को मिलेंगी।

हमने इन चित्रकारियों और कलाकृतियों को हमेशा अपने जेहन में ज़िंदा रखने के लिए उनके साथ खूब फोटोग्राफी की। यहाँ पर अनेक फिल्मों की शूटिंग भी अक्सर होती रहती है। अपनी भव्यता और सुंदरता के कारण फिल्म निर्देशकों के लिए यह हवेली पसंददीदा जगह है। आपको इस हवेली के गुंबद और खम्भों पर भी सुन्दर कलाकारी देखने को मिलेगी। शायद अपनी इसी ख़ूबसूरती के कारण बहुत सारे सैलानी इस हवेली के दीदार के लिए यहाँ आते हैं। हवेली के बाहर आपको बहुत सारी ट्यूरिस्ट लड़कियां और महिलायें राजस्थानी ड्रेस में फोटो खिचवाते दिखाई देंगी।

आप जब भी जैसलमेर आएं इस हवेली को जरूर देखें। जैसलमेर में पहला दिन हमने गोल्डन फोर्ट और पटवों की हवेली भ्रमण के साथ समाप्त किया। शाम तक थकान लाज़िमी थी सो होटल पहुँचते ही थोड़ा आराम किया।

शाम को होटल के स्विमिंग पूल में फुर्सत से अपनी थकान उतारी। क्योंकि मार्च के महीने में राजस्थान के किसी भी शहर में जहाँ दिन के समय थोड़ी गर्मी रहती है वहीं शाम के वक़्त थोड़ा सर्द मौसम हो ही जाता है। इसलिए स्विमिंग पूल का पानी थोड़ा ठंडा लगा। मार्च के महीने में पानी की ये ठण्डक एक बार तो खूब भाती है। थकान उतारने के बाद डिनर किया और नींद तो जैसे बस हमारा बिस्तर पर लेटने का इंतज़ार ही कर रही थी।

गड़ीसर झील

अगले दिन सुबह तैयार होकर शेड्यूल के हिसाब से हम निकल लिए जैसलमेर के किले से मात्र एक किलोमीटर दूर स्थित गड़ीसर झील की और। इस झील को महाराजा जैसल ने बनवाया था। बताते हैं बाद में इसका पुनर्निर्माण महाराजा गार्सी सिंह ने करवाया। इसलिए उन्हीं के नाम पर इसे ‘लेक गार्सीसर’ के नाम से भी जाना जाता है।

जैसलमेर में गड़ीसर लेक सैलानियों में अच्छी खासी प्रसिद्ध है इसलिए यहाँ भी जाना तो बनता ही है। सबसे अच्छी बात ये कि झील तक जाने के लिए पीले बलुआ पत्थरों का बने एक शाही विशाल द्वार से गुजरना पड़ता है। जो झील को एक अलग ही राजसी लुक प्रदान करता है।

इस विशाल दरवाजे पर की गई बारीक नक्काशी और मेहराबदार खिड़कियाँ वास्तव में देखने लायक हैं। झील के चारों तरफ आपको बहुत सारे छोटे-छोटे छतरीनुमा मंदिर दिखाई देंगे, जो झील की ख़ूबसूरती को बढ़ा रहे थे। साथ ही इस झील में आप घंटे के हिसाब से टिकट लेकर बोटिंग करने का आनंद भी उठा सकते हैं। बहुत सारे सैलानी बच्चों के साथ यहाँ सिर्फ बोटिंग करने आते हैं। हमने भी यहाँ खूब बोटिंग की, तकरीबन 2 घंटे तक, साथ में फोटोग्राफी न करें ये तो मुमकिन ही नहीं। अपने पहले से बनाये शेड्यूल के हिसाब से हमारा अगला पड़ाव था बड़ा बाग़।

बड़ा बाग स्मारक

जैसलमेर से लगभग 6 कि. मी. दूर चलने पर हम बड़ा बाग़ पहुंचे। दरअसल बड़ा बाग़ एक खूबसूरत पार्क है जो भाटी राजाओं की याद में बनाया गया है। हमारे ड्राइवर सुनील सिंह ने बताया की यहाँ जैसलमेर के राजाओं की कब्रें मौजूद हैं, वो छतरियों की शेप में बनाई गयी हैं। आपको किसी भी ट्यूरिस्ट प्लेस पर ड्राइवर से बेहतरीन दूसरा गाइड नहीं मिल सकता। एक ड्राइवर को गाइड भी होना ही पड़ता है शायद यह उनके करियर के लिए भी जरूरी है।

हमें दूर से देखने पर ही ये छतरियां किसी फिल्म की लोकेशन जैसी लग रही थी। ऐसे लगा जैसे ये जगह फोटोग्राफी के लिए ही बनाई गयी है। छतरियों की अद्भुत कलाकृति एक बार तो आपको अचंभित कर सकती है। यहाँ सैलानियों का खूब जमावड़ा लगा हुआ था। और सब फोटोग्राफी में मग्न थे।

यहाँ की एक और खास बात ये लगी कि बाग़ का काफी हिस्सा हरा-भरा था जहाँ आप शाम के समय सूर्यास्त का आनंद भी उठा सकते हैं।

यहाँ आये तो अपना हल्का-फुल्का खाने-पीने का सामान- स्नैक्स वगैरह साथ लेकर आएं। यहाँ थोड़ा टाइम लगाए और प्रकृति की ख़ूबसूरती का आनंद लें। बेहद शांत जगह, सामने ऊँची-ऊँची पवन चक्की दूर तक फैले रेगिस्तान के टिब्बें जल्दी से आपको यहाँ से जाने नहीं देंगे। कुल मिला कर यह एक शानदार अनुभव था। बहरहाल शाम हो चुकी थी और अब हमें होटल लौटना था। देर रात अगले दिन के शेड्यूल पर चर्चा हुई। हमारा पहले से तय था कि अगले दिन पहले हमें जैसलमेर के बाजार देखने हैं, थोड़ी शॉपिंग करनी है और फिर निकल पड़ना है सैम सैंड ड्युन्स की और जहाँ हमारा रात्रि ठहराव एक रिज़ॉर्ट कैंप में था।

जैसलमेर के बाजार आपको न केवल यहाँ की संस्कृति और परंपरा के दर्शन करायेंगे बल्कि पूरे राजस्थान की छवि आपको इन बाज़ारों में दिखाई देगी। हस्तकला के अद्भुत नमूने, चमड़े की वस्तुएँ, रंग-बिरंगी कठपुतलियाँ और घर को सजाने की तमाम चीजें, चांदी और सोने की जूलरी से लेकर सिल्क की बनी कई वस्तुएँ, सुंदर तस्वीरों से लेकर, हाथ बुनाई की सुन्दर कालीनों तक आपको यहाँ सब देखने को मिल सकता है। हमनें पेंटिंग्स और कालीनों के लिए मशहूर सदर बाजार से दो पेंटिंग खरीदी जिससे राजस्थानी कल्चर की झलक साफ़ दिख रही थी। जैसलमेर में कई पुराने बाजार हैं जहाँ खाने पीने की भी अच्छी क्वालिटी आपको मिल जाएगी। आप जब भी बाजार में जाते हो चाहे कुछ ख़रीददारी करो या न करो लेकिन समय की खपत बहुत होती है। हमें भी यहाँ काफी समय लग गया। हमने बाजार में ही स्थित एक पुराने रेस्टोरेंट में लंच किया वो भी पारम्परिक राजस्थानी थाली के साथ। लहसुन और लाल मिर्च की चटनी और दाल भाटी आपको राजस्थानी थाली में अवश्य मिलेगा। लंच करने के बाद हम चल पड़े जैसलमेर से लगभग चालीस किलोमीटर दूर सैम डेजर्ट की और।

सैम सैंड ड्युन्स डेजर्ट सफारी

सैम सैंड ड्युन्स के नाम से प्रसिद्ध इस जगह पर आपको दूर-दूर तक रेत के टिब्बों के सिवाय कुछ भी दिखाई नहीं देगा। और इन्हीं रेत के टीलों के बीच में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बने हैं बहुत सारे रिजॉर्ट्स जो कैंपिंग के लिए फेमस हैं। हमारा रात्रि पड़ाव यहीं था। दिन भर के थक चुके थे इसलिए कैंप में जाते ही शरीर को थोड़ा आराम दिया। सफ़ेद रंग के ये टेंट हाउस कैंपिंग के लिए बेहद आरामदायक लगे। हर एक कैंप के बाहर छोटा-सा बरामदा बना हुआ था जिसमें बैठने के लिए मूढ़ें रखे हुए थे, जहाँ शाम के समय या सुबह-सुबह बैठ कर चाय पीते हुए रेगिस्तान के खूबसूरत नज़ारों पर चर्चा कर सकते हैं। हमारे जैसे चाय के शौकीनों के लिए तो ये अद्भुत था। यहाँ आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक जीप और ऊँट से इस डेसर्ट की सैर का खूब आनंद उठाते हैं।

थोड़ा आराम किया और शाम को हम भी निकल लिए रेत के इन धोरों का आनंद लेने। पहले ऊंट सवारी की और फिर वहीं बैठ दूर तक फैले रेगिस्तान के खूब नज़ारे लिए। आप को एक और काम की बात बता दूँ इस डेजर्ट ड्युन्स में यात्रा करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च का है। शाम 5 से 7 बजे तक रेत के इन टीलों का लुत्फ़ उठाना आपको सुखद अनुभव देगा।

अच्छा सारा समय रेत के इन टिब्बों में बिताने के बाद हम वापिस अपने कैंप में आ गए। स्नान किया, थकान उतारी और आ गए डिनर के लिए। डिनर की शानदार व्यवस्था की गई थी, रिज़ॉर्ट के बीचोंबीच बुफ़े लगाए गए थे जिसमे तमाम तरह के राजस्थानी व्यंजन मौजूद थे। गट्टे की कढ़ी और चूरमा का आनंद लिया। रात्रि भोज के बाद अब वक़्त था राजस्थानी संगीत का।

इन रिजोर्ट्स की यह एक और खासियत है कि यहाँ आने वाले पर्यटकों के मनोरंजन के लिए यहाँ छोटे-छोटे ओपन एयर थिएटर बनाये गए हैं जिनमें लोक नृतक राजस्थानी नृत्य घूमर और कालबेलिया की प्रस्तुति देते हैं। देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने का सबसे बेहतरीन तरीका और वो भी सौ प्रतिशत कामयाब। खैर देर रात तक नृत्य और संगीत दोनों का ही हमने भी खूब लुत्फ़ उठाया।

अगले दिन सुबह हम तैयार थे डेज़र्ट सफारी के लिए। थार जीप और रेत के ऊँचे नीचे बड़े-बड़े टीलें। आप सैम ड्यून्स जाएँ और जीप सफारी न करें ये खुद के साथ अन्याय ही होगा। मेरी पूरी ट्रिप का सबसे रोमांचक पल था ये जीप सफारी। बीस किलोमीटर से भी ज्यादा की ये जीप सफारी कई जगह आपके रौंगटें खड़े कर देंगी, ऐसी मेरी उम्मीद है। लेकिन इनके ड्राइवर रेगिस्तान में जीप चलाने में पूरी तरह एक्सपर्ट होते है इसलिए जरा भी घबराने की जरूरत नहीं।

रेगिस्तान में सूर्योदय देखने और जीप सफारी के बाद हम कैंप में वापिस लौट आये और तैयारी की वापिस निकलने की। वापिस लौटते समय हमें बीच राह में पड़ने वाला कुलधरा हॉन्टेड विलेज भी देखना था इसलिए पानी और स्नैक्स साथ में ले लिए।

कुलधरा हॉन्टेड विलेज

जैसलमेर से 18 कि. मी. दूर कुलधरा एक भूतिया गाँव के तौर पर देश भर में प्रसिद्ध है। बताते हैं कुलधारा गाँव लगभग पांच सौ वर्ष पुराना है और इस गांव के उजड़ने के पीछे तमाम कहानियां प्रचलित है, जो कहानी इस गांव के उजड़ने का सबसे बड़ा आधार बनती है वो यहाँ साँझा करना आवश्यक है। बताते हैं अमीर और मेहनती पालीवाल ब्राह्मणों ने इस गांव को बसाया था। यह भी माना जाता है कि कुलधरा के आसपास 84 गांव थे और इन सभी में पालीवाल ब्राह्मण ही रहा करते थे। ख़ुशी ख़ुशी जीवन जी रहे इन पालीवाल ब्राह्मणों पर वहां के दीवान की बुरी नजर पड़ गई। कहतें हैं दीवान को एक सुन्दर ब्राह्मण लड़की पसंद गई और अपने बुरे इरादे से उसे हासिल करने की कोशिश करने लगा। जब वह किसी भी तरह अपने इरादों में कामयाब नहीं हुआ तब उसने गांव वालों को धमकी दी कि पूर्णमासी तक वे उस लड़की को उसे सौंप दें या फिर वह स्वयं उसे उठाकर ले जाएगा। सारे गांव वालों के सामने एक लड़की की इज़्ज़त बचाने का सवाल था। वह किसी भी सूरत में लड़की को उस दुष्ट को सौंपना नहीं चाहते थे। बस अपनी इज़्ज़त की खतिर गांव के तमाम लोगों ने फैसला लिया कि वे रातोंरात इस गांव को छोड़ कर चले जायेंगे लेकिन उस लड़की के सम्मान को आंच नहीं आने देंगे। फिर क्या था एक ही रात में कुलधरा समेत आसपास के सभी गांव खाली हो गए। जाते समय दुखी होकर वे लोग इस गांव को श्राप दे गए कि इस जगह पर कोई भी नहीं बस पाएगा, जो भी यहां आएगा वह बरबाद हो जाएगा। कहते हैं तबसे उसी श्राप के कारण जिसने भी इस गांव में बसने की हिम्मत की वह बर्बाद हो गया।

आज यहाँ के पुराने घर, गलियां, मंदिर, कुएँ और बावड़ियों देखने दूर-दूर से पर्यटक यहाँ आते हैं। खैर, सच तो इतिहास में दफ़न है लेकिन इन कहानियों ने इसे एक अच्छा खासा टूरिस्ट प्लेस बना दिया। हमने लगभग दो घंटे में पूरा कुलधरा गांव देख लिया। खामोशियों के बीच दूर-दूर तक नज़र आते ये उजड़े और बर्बाद घर बेशक यहाँ आने वाले पर्यटकों को थोड़ा निराश करते होंगे। आज यहाँ के पुराने घर, गलियां, मंदिर, कुएँ और बावड़ियों देखने दूर-दूर से पर्यटक यहाँ आते हैं।

शाम को हमारी ट्रैन का रिजर्वेशन था इसलिए समय से पहले ही हम होटल की और चल पड़ें ताकि अपनी पैकिंग कर सकें और थोड़ा आराम भी फरमा लें। सब निपटा कर नियत समय पर हम स्टेशन पर पहुँच गए थे। इस प्रकार मेरी सबसे यादगार यात्राओं में से एक जैसलमेर यात्रा का यहाँ समापन हुआ। फिर मिलते हैं किसी नई यात्रा के नए पड़ाव पर। बने रहिये फाइव कलर्स ऑफ़ ट्रेवल के साथ और यात्रा के तमाम रंगों का हमारे अनुभव के साथ आनंद खूब लीजिये।

 

क्यों जाएँ जैसलमेर?  Five Reasons to visit this Destination –

1.अगर आपको सोने जैसी रेत वाला रेगिस्तान, शानदार किलें, पुरानी हवेलियां और राजसी ठाठ-बाट की झलक देखनी हो तो जैसलमेर से बेहतरीन दूसरा कोई डेस्टिनेशन नहीं।
2.जैसलमेर का किला दुनिया के सर्वश्रेष्ठ रेगिस्तानी किलों में से एक माना जाता है।
3.एक मात्र ऐसा किला जिसके अंदर पांच हजार के लगभग लोग रहते हैं।
4.दूर-दूर तक फैले रेगिस्तान का मजा लेना हो तो जैसलमेर से बढ़िया कुछ भी नहीं।
5.पटवों की हवेली जैसलमेर में सबसे बड़ी और सबसे ख़ूबसूरत नक़्काशीदार हवेली है जहाँ अक्सर फिल्मों की शूटिंग होती रहती है। पर्यटन के लिहाज़ से बेहद उम्दा जगह है।
जैसलमेर खानपान के मामले में भी बहुत समृद्ध है साथ ही यहाँ के बाज़ारों में आपको पारम्परिक राजस्थान की झलक देखने को मिलेगी।

 

Written by Pardeep Kumar