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चार धाम यात्रा- यमुनोत्री,गंगोत्री,केदारनाथ और बद्रीनाथ

भारत में लगभग लाखों-करोड़ों की संख्या में छोटे-बड़े धार्मिक स्थल हैं। इन्हीं में शामिल है देव भूमि कहे जाने वाले उतराखंड की गोद में चारधाम। चारधाम मुख्य रूप से हिंदू धर्म के चार पवित्र स्थलों से संबंधित है। जो इस प्रकार हैं यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ। इन्हीं चार पवित्र स्थलों को देखने के लिए यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। 2023 के आंकड़ों के अनुसार 55 लाख श्रद्धालु निकले थे चारधाम यात्रा पर।

यमुनोत्री

सबसे पहले हम बात करेंगे यमुनोत्री मंदिर के बारे में। जो चारधाम मंदिर में अपनी एक अलग पहचान के लिए जाना जाता है। यह मंदिर चारधाम स्थानों में से एक मुख्य स्थान है। यमुनोत्री मंदिर मां गंगे के लिए समर्पित है। मंदिर मां गंगा के तटपर सुशोभित है, जिसके दर्शन करके श्रद्धालु खुसमय महसूस करते हैं। यह मंदिर गडवाल हिमालय से देखने पर पश्चिम किनारे पर दृष्टिगोचर होता है और उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यह मंदिर स्थापित है। भारत में दूसरी सबसे साफ़ और पवित्र कही जाने वाली नदी यमुना।  यही से अपना सफर प्रारंभ करती है और प्रयागराज में मां गंगा से संगम कर लेती है। यहीं यमुनोत्री में मां यमुना का पवित्र मंदिर कालिंदी घाटी के शिखर पर और बंदरपूंछ पर्वत के किनारे पर स्थित है। मंदिर के नजदीक ही मां यमुना की काले संगमरमर पत्थर से बनी दुर्लभ मूर्ति खड़ी हुई है। इस मंदिर के निर्माण का श्रेय टेहरी के राजा नरेश सुदर्शन शाह को जाता है। जिनके नेतृत्व में यह मंदिर 1839 में निर्मित करवाया गया था। शर्दियां का मौसम आने पर मां यमुना के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। अप्रैल मई में मां यमुना फिर से अपने कपाट वैदिक मंत्रों और उत्सव, अनुष्ठानों के बाद खोलती हैं, और श्रद्धालुओं को आत्मा तृप्ति का वरदान देती हैं। मां यमुना के आसपास कई छोटे बड़े कुंड हैं। इन्हीं में से एक है सूर्य कुंड। यह पहाड़ों और मिट्टी की तपन को अपने साथ लेकर खोलते हुए पानी के रूप में धारण करता है। भक्त इसी खोलते पानी में चावल और आलू को पांच मिनट के लिए रखकर फिर उसको प्रसाद के रूप में स्वीकार करते हैं

यमुनोत्री मंदिर में प्रवेश के पूर्व श्रद्धालु स्तंभ शिला के दर्शन कर आगे बढ़ते हैं। मां यमुना का यह दुर्लभ स्थान समुद्र से लगभग 3,291 मीटर ऊंचाई पर बना हुआ है। यह स्थान संत असित मुनि से जुड़ा हुआ है। आध्यात्मिक केंद्र कहे जाने वाले इस स्थान में मां गंगा की पवित्रता और इसका शांत बहाव मनमोहक और आकर्षक प्रतीत होता है। इस दिव्य जगह पर बसंत पंचमी, फूल देई, ओलगिया के त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाए जाते हैं। यमुनोत्री की यात्रा श्रद्धालुओं की आस्था के लिए एक भव्य स्थल है। यहां स्नान करने से श्रद्धालु पाप मुक्त होते हैं।

गंगोत्री

चारधामाें में से एक गंगोत्री, उत्तरकाशी जिले में एक छोटा शहर है, इसी छोटे और आकर्षक शहर के मध्य में स्थित है, गंगोत्री मंदिर।  जो अपनी अकाट्य, सुंदरता के लिए जाना जाता है। ऋषिकेश से महज़ 12 घण्टे यात्रा करने पर यह पवित्र स्थल गडवाल हिमालय के ऊंचे शिखर, गिलेशियारों और जंगल के बीच में स्थित है। मां गंगा अपने इर्द गिर्द इतनी सुंदरता समेटे हुए हैं की मानो स्वर्ग का द्वार यहीं से शुरू होता है। भारत के सभी हिन्दू धार्मिक स्थलों में से एक गंगोत्री सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बसा हुआ स्थल है। किवदंतियों के अनुसार भगवान शंकर ने मां गंगा को स्वर्ग से अपनी जटाओं द्वारा मुक्त किया था। कितने आश्चर्य और प्रसन्नता की बात है की मां गंगा का उद्गम स्थल गोमुख है, जो गंगोत्री से उन्नीस किलोमीटर दूर स्थित है। यहां आप बस ट्रैकिंग द्वारा ही पहुंच सकते हैं क्योंकि यह काफ़ी दुर्लभ रास्ता है। अन्य कहाबत अनुसार माना जाता है की महर्षि भागीरथी ने कठिन तपस्या कर मां गंगा को स्वर्ग से धरती पर आने के लिए मजबूर किया था। गंगा नदी से बहुत सारी पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। जो अपने आप में अदभुत हैं। मंदिर में स्थित है, गर्भगृह उसी गर्भगृह में मां गंगा की मूर्ति चांदी की पोशाक पहने हुए विराजमान हैं, मंदिर में प्रवेश करने से पूर्व श्रद्धालु पहले गंगा के कंचन पानी में स्नान करते हैं। और स्नान करने के पश्चात वह मंदिर में प्रवेश कर मां गंगा के दर्शन करते हैं। दर्शन कर श्रद्धालु मन की शांति से परिचित होते हैं। यहां का वातावरण सुंदरता के सभी आयामों से लिप्त है।

केदारनाथ

Uttarakhand Char Dham Yatra

केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक पवित्र पावन स्तंभ है। जो गिरिराज हिमालय के केदार नामक पर्वत पर बना हुआ है। केदार घाटी को हम मुख्य रूप से दो भागों बटा हुआ देखते हैं। एक नर और दूसरा नारायण चोटी। भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक नर और नारायण ऋषि की तपोभूमि के रूप में जानते हैं। केदारनाथ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। इसे अर्धज्योतिरलिंग भी कहा जाता है। यहां पर स्थित स्वंभू ज्योतिर्लिंग अतिप्राचीन और भव्य है। माना जाता है इस मंदिर का निर्माण जन्मेजय ने कराया था। और इसका जीर्णोद्वार आदिशंकराचार्य ने किया था।

Uttarakhand Char Dham Yatra

सर्वप्रथम इस मंदिर का निर्माण पांडवो ने करवाया था। प्रकृति के बदलाव और भौगोलिक स्तिथियों के परिवर्तन के कारण यह मंदिर खंडर के रूप में तब्दील हो गया था। लगभग 400 से 500 वर्ष तक यह मंदिर बर्फ में दफन रहा। जिसके बाद आदिशंकराचार्य ने इस मंदिर का जीर्णोद्वार करवाया था। आदिशंकराचार्य की समाधि आज भी इस मंदिर के पिछले भाग में बनी हुई है। इस मंदिर को लगभग 8 वी शताब्दी ईसा पूर्व बनाया गया था।

यहां की खास बात यह है कि  दीपावली पर्व के दूसरे दिन शीतऋतु के प्रारंभ होने पर मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। और इस मंदिर में एक भव्य दीप प्रज्ज्वलित किया जाता है। जो लगभग 6 महीने तक मंदिर बंद रहने तक वैसे ही चलता रहता है, और छः महीने बाद जब मंदिर के कपाट खुलते हैं तो भारी संख्या में श्रद्धालु इस दीपधूप को लेने जाते हैं, और भगवान की पूजा आराधना कर स्वयं को भगवान के श्री चरणों में समर्पित कर देते हैं। हिमाचल की गोद में केदारनाथ के इस भव्य मंदिर में प्राकृतिक विपत्तियां मड़राती रहती हैं। मंदिर के इतिहास में ऐसी कई आपदाएं घटित हो चुकी हैं। जिन पर बॉलीवुड ने फिल्में भी बनाई हैं। एक फिल्म तो केदारनाथ नाम से ही बनी हुई है। जिसके अभिनेता सुशांत राजपूत और अभिनेत्री सारा अली ख़ान थीं।

बद्रीनाथ

Uttarakhand Char Dham Yatra

भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर सौंदर्य, शुद्ध वातावरण, बर्फ सुंदरता, अलकनंदा नदी की छलचलाहट प्राकृतिक सौन्दर्य आदि से परिपूर्ण है। यह एकमात्र ऐसा स्थान है जहां साल भर में लोग सबसे ज्यादा देखने जाते हैं। वैसे तो इस मंदिर में अनेक देवी देवताओं की मूर्तियां हैं लेकिन भगवान विष्णु की एक काले संगमरमर से बनी एक मीटर ऊंचाई वाली यह मूर्ति दुर्लभ और आकर्षक है। मंदिर में सूर्यकुण्ड जैसे एक तप्तकुंड है जो ओषधिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां पर साल में अनेकों भव्य मेलों का आयोजन होता है। जिसका लुत्फ उठाने के लिए पर्यटक और श्रद्धालु हमेशा आतुर रहते हैं।तथाकथित शब्दों के अनुसार इस मंदिर के निर्माण का श्रेय भी आदिशंकराचार्य को दिया जाता है। किबदंतियों के अनुसार भगवान विष्णु एक ऐसे स्थान की तलास कर रहे थे। जो शान्ति का केन्द्र हो जहां वह ध्यान कर सकें। तब भगवान विष्णु बद्रीनाथ नामक इस पवित्र स्थान को चुना था। भगवान विष्णु ध्यान में इतने लीन थे कि उनको हिमालय की कड़कड़ाती सर्दी का बिल्कुल अहसास नहीं हुआ। तब माता लक्ष्मी ने उनकी सुरक्षा के लिए स्वयं को बद्री ब्रक्ष बना लिया। जिसके बाद भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर। इस देव भूमि को बद्रीकाश्रम नाम दिया था।

इस पवित्र स्थल के कुछ प्रमाण पुराणों में भी दिए गए हैं। मंदिर मौसम  की मार के कारण शर्दियों के समय में बंद कर दिया जाता है। मंदिर में भव्य आरती प्रज्वलित की जाती है और यह आरती श्रद्धालुओं के भाग्य खोल देती है। इस आरती में इतनी आकर्षक ध्वनियों की आवाजें, दीपों की वह लहलहाती धूप और पुजारियों के मंत्र पाठ करने की कला अमूर्त होती है।

चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण कैसे करें –

चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण करने का सबसे सरल तरीका ऑनलाइन है। यदि आप यह निश्चित कर चुके हैं कि आप चारधाम की यात्रा करना चाहते हैं। तो आप उत्तराखंड पर्यटन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट ragistrationandtouriatcare.uk.gov.in पर जाकर पंजीकरण कर सकते हैं। इसके अलावा व्हाट्सएप मैसेज कर भी आप अपना पंजीकरण कर सकते हैं जिसके लिए दूरभाष 8394833833 है। एक और अन्य रास्ता उपलब्ध है पंजीकरण के लिए  आप कॉल करके भी अपना पंजीकरण कर सकते हैं। इसके लिए आपको टोल फ्री नंबर की आवश्यकता होगी जो इस प्रकार है 0135- 1364 । इन माध्यमों से आप अपना रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इसके अलावा आप अपने मोबाइल फोन में गूगल प्ले स्टोर से touristcareuttarakhand नामक एप्लीकेशन डाउनलोड कर भी अपना पंजीकरण कर सकते हैं।

आईआरसीटीसी के इस टूर पैकेज से अब एक ही बार में करें चारो धामों की यात्रा

अगर आपकी भी इच्छा चार धाम के यात्रा की हो और आप भी भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों के दर्शन करना चाहते हो तो आईआरसीटीसी के द्वारा लाया गया यह टूर पैकेज आपके लिए ही है। आईआरसीटीसी ने चार धामों के यात्रा के लिए एक टूर पैकेज का प्लान किया है। जिसका नाम है चार धाम यात्रा! आइये जानते हैं आईआरसीटीसी के इस पैकेज के बारे में :-

  • आईआरसीटीसी का ये पैकेज 17 दिन और 16 रातों का है।
  • इस पैकेज के जरीए आप बद्रीनाथ, द्वारिका, हम्पी, जोशीमठ, मदुरै, नासिक, पुरी, ऋषिकेश, रामेश्वरम और वाराणसी की यात्रा कर पाएंगे।
  • आईआरसीटीसी के इस पैकेज का नाम है – चार धाम यात्रा।
  • इस पैकेज के तहत आप रेल मार्ग का उपयोग करेंगे।
  • इस टूर की शुरूआती तारीख 14 सितंबर 2023 है।
  • 14 सितंबर को आप निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन से रात 7:00 बजे ऋषिकेश के लिए निकलेंगे। अगले दिन 2:00 बजे आप ऋषिकेश पहुँचेंगे।
  • वहीं वापसी के समय 27 सितंबर को आपको द्वारिका से दिल्ली ले जाया जाएगा। जहां आपकी यात्रा समाप्त हो जाएगी।

कुछ ऐसा होगा आपका टूर प्लानर :

दिन 1

पहले दिन आप निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन से ऋषिकेश के लिए निकलेंगे। आपको रात्रि भोजन और विश्राम ट्रेन में हीं करना होगा।

दिन 2

अगले दिन सुबह ट्रेन में हीं नाश्ता करके आप जोशीमठ के लिए बढ़ जाएंगे। जोशीमठ के लिए आगे बढ़ते समय उचित स्थान ढूंढ कर दिन का भोजन कर ले। जोशीमठ पहुंचने के बाद होटल में चेक इन करें और रात्रि भोजन और विश्राम करें।

दिन 3

अगले दिन सुबह नाश्ते के बाद बद्रीनाथ के लिए निकले और बद्रीनाथ मंदिर का दर्शन करें और दोपहर का भोजन करें। मंदिर में दर्शन के बाद बड़े गांव का दौरा करेंगें और उसके जोशीमठ वापस आ जाएंगे। होटल में चेक इन कर ले। इसी होटल में भोजन तथा रात्रि विश्राम करें।

दिन 4
अगले दिन आप होटल चेक आउट करेंगे और नरसिंह देवी मंदिर के लिए निकल जाएंगे। नरसिंह देवी मंदिर में भ्रमण करने के बाद, ऋषिकेश की तरफ आगे बढ़ेंगे। ऋषिकेश जाने के मार्ग में हीं दिन का भोजन कर ले। ऋषिकेश पहुँच के होटल में चेक इन करें और खाना खाकर रात्रि विश्राम करें।

दिन 5

अगले दिन होटल से चेक आउट करने के बाद ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला और त्रिवेणी घाट का भ्रमण करेंगे और उसके बाद ऋषिकेश के रेलवे स्टेशन से वाराणसी जाने के लिए ट्रेन में चढ़ जाएंगे। दिन का भोजन तथा रात का खाना आपको ट्रेन में ही करना होगा।

दिन 6

छठे दिन ट्रेन में ही नाश्ता करने के बाद आप वाराणसी रेलवे स्टेशन पर उतरेंगे और काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन को निकल जाएंगे। सामने गंगा घाट की आरती का अनुभव लेते हुए आप दोबारा ट्रेन में चढ़ जाएंगे और पुरी के लिए प्रस्थान करेंगे। रात का खाना और विश्राम आपको ट्रेन में हीं करना होगा।

दिन 7

आपको सुबह का नाश्ता और दिन का भोजन ट्रेन में हीं करना होगा। पुरी पहुँच कर होटल में चेक इन करें और शाम में जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करें। होटल वापस लौटे और पुरी के समुद्र तट का आनंद उठाएं। आपको पुरी में ही रात में रहना होगा।

दिन 8
होटल में नाश्ता करें और फिर होटल से चेक आउट कर कोणार्क सूर्य मंदिर और चंद्रभागा समुद्र तट के लिए बढ़ जाएं। रास्ते में किसी सही जगह पर ठहरकर दोपहर का खाना खा ले और पूरी रेलवे स्टेशन पहुंच जाएं। रात का खाना ट्रेन में ही खाएं और आराम करें।

दिन 9

नौवें दिन आपको पूरा दिन ट्रेन में हीं बिताना होगा। सुबह की शुरुआत चाय के साथ होगी और ट्रेन में ही नाश्ता करके आपको स्नान भी करना होगा। दोपहर और रात का भोजन भी आपको ट्रेन में हीं मिल जाएगा।

दिन 10

अगले दिन ट्रेन मदुरै रेलवे स्टेशन पहुंचेगी जहां से आप रामेश्वरम के होटल के लिए प्रस्थान करेंगे। होटल में चेकिंग के बाद आप दोपहर का खाना खाएं और फिर शाम को धनुष्कोटी को एक्सप्लोर करने के लिए बढ़ जाएं। धनुष्कोटी घूम लेने के बाद वापस उसी होटल में आकर रात का खाना खाएं और वही आराम करें।

दिन 11

अगले दिन सुबह-सुबह रामनाथ स्वामी के मंदिर के लिए प्रस्थान करें। मंदिर से लौटने के बाद नाश्ता करके मीनाक्षी मंदिर के विजिट लिए निकल जाएं। मीनाक्षी मंदिर घूम लेने के बाद वापस मदुरै रेलवे स्टेशन पहुंचें और हासपेट जंक्शन रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन में बैठ जाएं। शाम को ट्रेन में चाय का लुफ़्त उठाएं और ट्रेन में हीं रात का खाना खाकर आराम करें।

दिन 12

सुबह उठकर ट्रेन में ही फ्रेश हो जाएं। सुबह के 11:00 आप होसपेट जंक्शन पर पहुंच जाएंगे। इसके बाद आप बस के जरिए हम्पी के होटल तक पहुंचे। होटल में चेकिंग करके दोपहर का खाना खाएं और अंजानाद्री पहाड़ी और विरुपाक्ष मंदिर के दर्शनीय स्थलों के यात्रा के लिए बढ़ जाएं।
इन सभी जगह को एक्सप्लोर करने के बाद वापस होटल में आकर रात्रि भोजन करें और वहीं अपनी नींद पूरी करें।

दिन 13

होटल में नाश्ता करने के बाद विट्ठल मंदिर घूमने के लिए निकल जाएं। 12:00 बजे तक वापस हासपेट जंक्शन के लिए प्रस्थान करें। हासपेट जंक्शन पहुंचकर 2:00 बजे नासिक रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन में बैठ जाएं।

दिन 14

सुबह-सुबह 8:00 बजे आप नासिक पहुंच जाएंगे। नासिक पहुंचकर होटल में चेकिंग करके फ्रेश हो जाएं और नाश्ता करने के बाद त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन के लिए बढ़ जाएं। दोपहर में उचित जगह पर भोजन करें और वापस नासिक रेलवे स्टेशन पहुंच जाएं। जहां से 7:00 बजे द्वारका रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन खुलती है। ट्रेन में बैठकर रात का खाना खाएं और ट्रेन में हीं आराम करें।

दिन 15

अगले दिन ट्रेन द्वारका पहुंचेगी। द्वारका पहुंचकर होटल में चेक इन करें और फुर्सत से शाम में द्वारका को एक्सप्लोर करें। होटल में रात का खाना खाएं और वहीं आराम करें।

दिन 16

सुबह-सुबह द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन के लिए निकल जाएं। दर्शन के बाद नाश्ता के लिए वापस होटल लौटे आए और दोपहर का खाना खाकर होटल से चेक आउट करें। होटल से चेक आउट करने के बाद नागेश्वर ज्योतिर्लिंग और बेट द्वारका के दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए आगे बढ़ जाएं। इन सभी जगहों को एक्सप्लोर करने के बाद द्वारका रेलवे स्टेशन वापस लौटे और ट्रेन में बैठकर वापसी की यात्रा के लिए प्रस्थान करें। ट्रेन में ही रात का खाना खाएं और आराम करें।

दिन 17

अगले दिन ट्रेन आपको निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर पहुंचा देगी। इसके बाद आपकी यह यात्रा समाप्त हो जाएगी।

इस टूर पैकेज में क्या-क्या शामिल होगा (What will be included in this tour package)

  • पूरे सफर के दौरान आपको स्पेशल टूरिस्ट ट्रेन में 1 (AC), 2 (AC) और 3 (AC) क्लास के कोच में यात्रा करने को मिलेगा।
  • इस यात्रा के दौरान 7 दिन एक अच्छे होटल में आपके ठहरने की व्यवस्था की जाएगी।
  • डीलक्स कैटेगरी के एक होटल में और फर्स्ट एसी क्लास में आपको ठहराया जाएगा।
  • सुबह की चाय ब्रेकफास्ट लंच और डिनर सारे खाने आपको इस पैकेज के जरिए फ्री मिलेंगे।
  • सेकंड एसी एंड फर्स्ट एसी क्लास के लिए ट्रेन रेस्टोरेंट में आपको पैकेज की ओर से खाना दिया जाएगा। वहीं 3 एसी क्लास के यात्रियों के बर्थ पर खाना पहुंचा दिया जाएगा।
  • इस पूरी यात्रा के दौरान ट्रेन में 9 दिनों का नाइट स्टे इस पैकेज में शामिल होगा।
  • सभी तरह के यातायात और दर्शनीय स्थलों की यात्रा ऐसी गाड़ी में करवाई जाएगी।
    आपको इस यात्रा के लिए ट्रैवल इंश्योरेंस मिलेगा।
  • आईआरसीटीसी के टूर मैनेजर आपके साथ पूरी यात्रा के दौरान ट्रैवल करेंगे और जरूरत पड़ने पर आपका मार्गदर्शन करेंगे।
  • ट्रेन में आपकी सुरक्षा का ध्यान रखा जाएगा।
  • यात्रा के दौरान लगने वाले सभी प्रकार के कर इस पैकेज में इंक्लूडेड है।

क्या नहीं होगा शामिल (What will not be included)

  • यात्रा के दौरान बोटिंग और एडवेंचरस स्पोर्ट्स के लिए आपको टिकट खुद हीं खरीदनी होगी।
  • मेन्यू के अलावा अलग से किसी भी प्रकार के खाने का खर्च आपको खुद ही उठाना होगा।
  • इस पैकेज में रूम सर्विस शामिल नहीं है।
  • अगर आप लोकल गाइड करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको खुद ही पे करना होगा।
  • किसी भी तरह के टिप के लिए आपको अपने ही जेब पर निर्भर रहना पड़ेगा।
  • पहाड़ियों पर एसी ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं होगी।
  • जो भी इस ट्रैवल पैकेज के इंक्लूडिंग्स में शामिल नहीं है वह सुविधा आपको नहीं दी जाएगी।`

बजट (Budget)

अगर बात करें इस टूर पैकेज के बजट की तो यह पैकेज महंगा दिखता है, लेकिन जब एक हीं बार में चारों धामों की यात्रा और इतने अलग-अलग जगहों पर घूमने का अवसर मिल रहा हो तो इस टूर पैकेज को हम बजट में मान सकते हैं। क्योंकि ₹60,000 से ₹1,00,000 तक में चारों धामों की यात्रा और इतने सारे विजिटिंग प्लेसेस को कवर करना आपके लिए किफायती साबित होगा। अगर इन सभी विजिटिंग प्लेस के इंडिविजुअल विजिट के खर्च को देखा जाए तो इस टूर पैकेज का बजट उसके सामने कुछ भी नहीं होगा।

इस पैकेज के बारे में अधिक से अधिक जानकारी के लिए आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर जाएं। तो फिर देर किस बात की? अगर आप भी इंटरेस्टेड हैं तो अभी बुक कीजिए अपना और अपने फैमिली का टिकट।

IRCTC Char Dham package 2023 – Read full Details

चार धाम यात्रा भारत की सबसे बड़ी और पवित्र धार्मिक यात्राओं में से एक है, हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का ताँता इस यात्रा में लगा रहता है। जैसा की अब चार धाम यात्रा जल्द ही शुरू होने वाली है, और इसके लिए रजिस्ट्रेशन्स भी शुरू हो चुके हैं। ऐसे में हाल ही में आईआरसीटीसी ने अपना एक स्पेशल टूर पैकेज पेश किया है। अगर आप भी चार धाम की यात्रा शानदार और सुविधाजनक बनाना चाहते हैं, तो इसके रजिस्ट्रशन से पहले एक बार जरूर जान लें आईआरसीटीसी का टूर पैकेज।

आईआरसीटीसी चार धाम यात्रा सूची (Schedule)

आईआरसीटीसी के द्वारा जारी किये गए टूर पैकेज के मुताबिक यात्रियों को 11 दिन और 12 रातें बिताने का मौका मिलेगा। जिसमें आप हरिद्वार, यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ और ऋषिकेश जैसे धार्मिक स्थलों की यात्रा कर सकेंगे। यह टूर 21 मई से शुरू होकर, 25 जून तक चलेगा। इन खूबसूरत डेस्टिनेटोन्स तक पहुँचने के लिए आपको मुंबई एयरपोर्ट से फ्लाइट मिलेगी फिर दिल्ली होते हुए हरिद्वार, बद्रीनाथ , बरकोट, गंगोत्री, गुप्तकाशी, जानकी चट्टी , केदारनाथ, सोनप्रयाग, उत्‍तरकाशी, साेनप्रयाग , केदारनाथ, बद्रीनाथ से वापस मुंबई पर यह टूर पैकेज ख़तम होगा

इस पैकेज में प्रति व्‍यक्ति के पैकेज का किराया 67, 000 रुपए है। वहीं दो लोगों के लिए 69,900 रुपए और तीन लोगों के लिए 91400 रुपए का किराया तय किया गया है।

मिलेंगी यह सब सुविधाएँ (Get these special Facilities)

इस पैकेज के अंतर्गत यात्रियों का मुंबई से आने जाने तक का हवाई किराया, होटल या गेस्‍ट हाउस में स्‍टे, कार से लाने ले जाने की सुविधा, नाश्‍ता और रात का खाना लगभग सब कुछ उपलब्ध कराया जायेगा। इसके अलावा ट्रैवल इंश्योरेंस, पार्किंग चार्ज और टोल टैक्स भी इस टूर के तहत शामिल है

चुने अपनी सुविधानुसार तारीख (Dates to remember)

इस पैकेज के दौरान आपको 6 अलग-अलग तारीखें दी गई हैं, आप अपनी सुविधा के अनुसार तारीख चुन सकते हैं।
21 मई- 1 जून
28 मई से 8 जून
4 जून से 15 जून
11 जून- 22 जून
18 जून – 29 जून

रखें इन बातों का ख़ास ध्यान (For Senior Citizens)

पैकेज बुक करने से पहले वरिष्ठ नगरकों को अपना मेडिकल चेकअप करवाना अनिवार्य है।
यात्रा के दौरान फिटनेस सर्टिफिकेट अवश्य साथ रखें।
75 वर्ष से अधिक आयु के यात्रियों के साथ कम उम्र के एक घर के सदस्‍य का जाना जरूरी है।

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Char Dham Yatra 2023 – Kedarnath, Badrinath, Yamunotri and Gangotri 

The sacred Char Dham Yatra in Uttarakhand is one of the most popular Hindu pilgrimages in India. 

उत्तराखंड की वादियों में विद्यमान
मैं गंगा की धार हूं
हिंदुत्व का सार हूं
और बद्री का द्वार हूं
मैं छोटी चार धाम हूं।

हिन्दुओं का मान हूं
उत्तराखंड की शान हूं
मैं केदारनाथ में बस्ता पंच केदार हूं
और लाखों की आस्था का प्रतीक हूं
मैं चार धाम हूं

भगवन शिव को हूँ समर्पित
केदारनाथ का धाम हूं
विष्णु का हूं पवित्र स्थल
हां, मैं ही बद्रीनाथ हूं

छः महीने बाद खुलते कपाट
श्रद्धालुओं का करता सत्कार हूं
मैं चार धाम हूं
मैं चार धाम हूं।

हिंदू धर्म के पवित्र स्थल
चार धाम यात्रा भारत की सबसे बड़ी और पवित्र धार्मिक यात्राओं में से एक है। (Char dham Yatra)जिसमें उत्तराखंड के गढ़वाल रीजन में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री की यात्रा शामिल है। लेकिन इस यात्रा को छोटी चार धाम यात्रा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि चार धाम की एक और यात्रा होती है। जिसमें उत्तराखंड का बद्रीनाथ, गुजरात में द्वारका, उड़ीसा में जगरनाथ पुरी, और तमिलनाडु का रामेश्वरम जैसे पवन स्थल शामिल हैं। हिंदू धर्म में मोक्ष प्राप्त करना ही जीवन का लक्ष्य माना गया है। और ये माना जाता है कि चार धाम की यात्रा इस लक्ष्य तक पहुंचने की एक मंजिल है Char Dham Yatra- Kedarnath, Badrinath, Gangotri, Yamunotri.

हिमालय की गोद में बसा चार धाम
पहाड़ो की ऊंचाइयों और श्रद्धालुओं की सेफ्टी का पूरा-पूरा ध्यान रखते हुए यह मंदिर गर्मियों यानि अप्रैल या मई में खुलते हैं, और वहीं सर्दियों की सुरुवात यानि अक्टूबर और नवंबर में बंद हो जाते हैं। माना जाता है कि चार धाम यात्रा दक्षिणावर्त दिशा में पूरी करनी चाहिए और यही कारण है कि, इस चार धाम यात्रा की शुरुआत यमनोत्री से शुरू होती है और बद्रीनाथ में जाकर खतम होती है। श्रद्धालु कोई दो तीर्थ यात्रा जैसे सिर्फ बद्रीनाथ और केदारनाथ के दर्शन भी कर सकते हैं

Time to Visit Chardham Yatra
चार धाम यात्रा यूं तो सिर्फ छः महीने खुलती है। गर्मियों में अप्रैल से मई तक इसके कपाट खोले जाते हैं।


यमनोत्री धाम


उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में समुद्र तल से 3293 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यमनोत्री धाम के कपाट 3 मई से 24 अक्टूबर 2023 तक खोले जायेंगे।
दर्शन का समय सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक है।

गंगोत्री मंदिर


देवी गंगा को समर्पित यह मंदिर समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, गंगोत्री उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यहाँ से हरिद्वार 285 किमी और देहरादून 240 किमी है। गंगोत्री के कपाट खुलने का समय 3 मई से 25 अक्टूबर तक है।
यहां मंदिर में पूजा सुबह चार बजे साथ शुरू होती है और शाम को सात बजे आरती के साथ समाप्त होती है |
मंदिर सुबह 6 बजे तीर्थयात्रियों के दर्शन के लिए खोल दिया जाता है।

केदारनाथ धाम

भगवान शिव को समर्पित और हिमालय की गोद में स्थित यह मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र ताल से 3553 मीटर की ऊंचाई पे स्थित है। इस प्राचीन मंदिर को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भी माना जाता है। केदारनाथ धाम 7 मई से 24 अक्टूबर 2023 तक खुलेगा |
यहाँ सुबह 4 बजे महाभिषेक आरती होती है, और शाम 7 बजे आरती के बाद दर्शन बंद कर दिए जाते हैं।
मंदिर सुबह 6 बजे तीर्थयात्रियों के दर्शन के लिए खुलता हैं |

बद्रीनाथ धाम

Chardham Yatra


उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ धाम समुद्र तल से 3300 मीटर की ऊंचाई पे स्थित है। बद्रीनाथ के कपाट 8 मई से 20 नवंबर 2023 तक खोले जायेंगे |
यहाँ अभिषेक पूजा सुबह 4 :30 बजे और सयन पूजा रात्रि 9 बजे होती हैं|
मंदिर आम जनता के लिए सुबह 7 बजे खुलता हैं |

कैसे करें चार धाम यात्रा का रजिस्ट्रेशन
उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने इस बार रजिस्ट्रेशन में श्रद्धालुओं के लिए कई विकल्प रखे हैं। आप पर्यटन विभाग की ऑफिसियल वेबसाइट registrationandtouristcare.uk.gov.in के जरिये रजिस्ट्रशन करा सकते हैं। इसके अलावा वाट्सएप नंबर 8394833833, टोल फ्री नंबर 1364 और मोबाइल ऐप touristcare uttrakhand app के जरिए भी अपना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन आसानी से करवा सकते हैं। आपको बता दें कि रजिस्ट्रेशन और पैकेज बुकिंग के बाद आप 21 दिन पर अपनी यात्रा कैंसल करते हैं। जिसमें आपके बुकिंग अमाउंट में से 30 प्रतिशत पैसे कट जाते हैं। इसके साथ ही 8 दिन पहले कैंसल करने पर 80 प्रतिशत राशि काटी जाती है, और यात्रा वाले दिन कैंसिल कराने पर कोई रिफंड नहीं मिलेगा।

यात्रा के दौरान कहाँ ठहरे ? (Where to stay During Chardham Yatra)
चार धाम यात्रा के दौरान रुकने के लिए काफी होटल, गेस्ट हाउस, रिसॉर्ट्स, आश्रम, और धर्मशाला आदि आपको आसानी से मिल जाएंगे। लक्ज़री होटल्स से लेकर अफोर्डेबल रेंज के होटल्स भी आपको मिल जाएंगे। यात्री अपनी सुविधा के अनुसार गेस्ट हाउस या होटल्स चुन सकते हैं।

कैसे पहुंचे : (How to reach Char Dham)
चारधाम यात्रा देहरादून या हरिद्वार से शुरू होती है। यात्रा शुरू करने के दो तरीके हैं – सड़क और हेलीकाप्टर। आप दोनों में से किसी भी साधन का उपयोग कर तीर्थ स्थलों तक जा सकते हैं।
सड़क मार्ग
आप चार धाम यात्रा हरिद्वार, दिल्ली, ऋषिकेश,और देहरादून से शुरू कर सकते हैं। हरिद्वार रेलवे स्टेशन इन पवित्र स्थानों से सबसे निकटम रेलवे स्टेशन है। जहां से आप सबसे पहले हरिद्वार में गंगा आरती कर इन पवित्र स्थलों तक पहुँच सकते हैं। हरिद्वार सड़क और रेल लाइन्स के ज़रिये दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। उत्तराखंड परिवहन और निजी बसें इन पवित्र तीर्थ स्थलों के लिए उपलब्ध हैं । आपको हिरद्वार, ऋषिकेश, और देहरादून से टैक्सी भी आसानी से मिल जाएगी।

हेलीकॉप्टर द्वारा
देहरादून सहस्त्रधारा हेलीपैड से चार धाम के लिए हेलीकाप्टर सेवा उपलब्ध है। हेलीकॉप्टर सेवा देहरादून से खरसाली तक है, जो यमुनोत्री मंदिर से लगभग 6 किमी दूर है। गंगोत्री मंदिर के लिए निकटतम हेलिपैड हरसिल हेलीपैड है, जो मंदिर से 25 किमी दूर स्थित है। बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के हेलिपैड मंदिर के पास ही स्थित हैं।

Research by Sakshi Joshi/ Edited by Pardeep Kumar

चार धाम यात्रा की अंतिम तिथि करीब : जानिए यात्रा से सम्बन्धित तमाम डिटेल्स


साक्षी जोशीFive Colors of Travel

चार धाम यात्रा २०२२ – विश्व प्रसिद्ध चार धाम यात्रा की अंतिम तिथि का ऐलान कर दिया गया है। जैसे -जैसे अक्टूबर महीने की अंतिम तिथि नजदीक आ रही है ,वैसे -वैसे चार धाम की यात्रा भी अपने अंतिम पड़ाव पर है। क्योकि जैसे-जैसे सर्दियां बढ़ती हैं यात्रियों का पहाड़ों में जाना दुर्लभ हो जाता है। जब देश भर में अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है , तब उत्तराखंड में चार धाम की यात्रा शुरू हो जाती है। इस बार ३ मई को चार धाम की यात्रा शुरू हुई थी। जिसके चलते अब तक चालीस लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन कर चुके है। विजयदशमी के शुभ अवसर पर चारों धामों के कपाट बंद होने की तिथि भी घोषित कर दी गयी।

कपाट बंद होने की तिथियां

मंदिर समितियों के अनुसार गंगोत्री के कपाट सबसे पहले बंद होंगे और आखिर में बद्रीनाथ के। 26 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा के दिन दोपहर 12:01 बजे गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो जायेंगे। इसके बाद 27 अक्टूबर भैया दूज के शुभ अवसर पर केदारनाथ व यमनोत्री दोनों के कपाट बंद हो जायेंगे, और आखिर में 19 नवंबर बद्रीनाथ के कपाट भी बंद कर दिए जायेंगे।

शीतकालीन में कपाट बंद क्यों किये जाते है

जहाँ एक तरफ बढ़ती ठंड व भारी बर्फ़बारी के चलते सड़को का बंद हो जाना एक कारण हैं , वहीं दूसरी तरफ धार्मिक मान्यता के चलते भी कपाट बंद किए जाते है। कहा जाता है कि शीतकालीन में कपाट बंद होने पर स्वर्ग से देवता धरती पर आते हैं और केदारनाथ व बद्रीनाथ में पूजन करते है।

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