Best Hindi Travel Blog -Five Colors of Travel

देवमाली- राजस्थान के इस गांव में लोगों ने पक्का घर न बनाने की ली है शपथ!

राजस्थान का एक ऐसा गांव, जो न सिर्फ खूबसूरत है बल्कि अपनी अनोखी परंपराओं के लिए पूरे देश में मशहूर है। बात हो रही है, देवमाली की, जो ब्यावर जिले में बसा है। यह गांव हाल ही में भारत का बेस्ट टूरिस्ट विलेज चुना गया है। केंद्र सरकार 27 नवंबर 2025 को दिल्ली में इसे सम्मानित भी करेगी।

देवमाली कोई साधारण गांव नहीं है। यहां की हर गली, हर घर, हर परंपरा आपको पुराने जमाने की याद दिलाती है। क्या आपने कभी सुना कि कोई गांव ऐसा हो जहां लोग अपने घरों में ताला न लगाएं? या जहां एक भी पक्का मकान न हो? देवमाली हूबहू ऐसा ही है। इस गांव में मिट्टी के कच्चे घर हैं, जिनकी छतें फूस और लाल टाइलों से बनी हैं। यहां के लोग भगवान देवनारायण को इतना मानते हैं कि गांव की सारी जमीन उनके नाम पर है। कोई भी व्यक्ति जमीन का मालिक नहीं है, सब कुछ भगवान का।

देवमाली

सुना था कि इस गांव में चोरी जैसी कोई घटना कभी नहीं हुई। यह सुनकर यकीन नहीं हुआ, लेकिन जब और पढ़ा, तो पता चला कि यह सच है। गांव में आपसी भरोसा इतना है कि लोग दरवाजे खुले छोड़ देते हैं। यह गांव सिर्फ पर्यटकों के लिए नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए भी खास है जो भारत की संस्कृति और पुरानी परंपराओं को करीब से देखना चाहते हैं।

देवमाली की कहानी भगवान देवनारायण से शुरू होती है, जिन्हें गुर्जर समाज अपना आराध्य मानता है। कहा जाता है कि सैकड़ों साल पहले भगवान देवनारायण ने यहां आकर कुछ समय बिताया था। उन्होंने गांव वालों से रहने की जगह मांगी। गांव वालों ने उनके लिए घर बनाया, लेकिन अपने लिए पक्के घर न बनाने का वचन दिया। तब से आज तक, इस गांव में सिर्फ मंदिर और सरकारी इमारतें ही पक्की हैं। यह परंपरा आपको हैरान कर देगी, लेकिन यही इस गांव की खासियत है, जो पर्यटकों का ध्यान खींचती है।

अगर आप राजस्थान घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो देवमाली को अपनी लिस्ट में जरूर डालें। यह गांव आपको शांति, सुकून और एक अलग दुनिया का अनुभव देगा। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि देवमाली में क्या-क्या देखने लायक है, वहां कैसे पहुंचें, और वहां की संस्कृति कैसी है आदि।

देवमाली की सबसे बड़ी खासियत है इसकी परंपराएं। यहां के लोग अपनी संस्कृति को इतनी मजबूती से निभाते हैं कि आपको लगेगा समय यहीं रुक गया है। गांव में करीब 350 घर हैं और सभी लोग गुर्जर समाज से हैं। ये लोग एक ही गोत्र के हैं, यानी एक बड़े परिवार की तरह। लेकिन जो बात इस गांव को सबसे अलग बनाती है, वह है इसकी अनोखी मान्यताएं। यहां कोई पक्का घर नहीं बनाता। सभी घर मिट्टी के बने हैं, जिनकी छतें फूस या लाल टाइलों से ढकी हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि गांव वालों का मानना है कि भगवान देवनारायण ने उन्हें कच्चे घरों में रहने का आदेश दिया था। कई लोग धनवान हैं लेकिन फिर भी वे सीमेंट या ईंट का घर नहीं बनाते। यह परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है। इन कच्चे घरों की खास बात यह है कि ये गर्मी में ठंडे और सर्दी में गर्म रहते हैं।

एक और मजेदार बात यहां कोई ताला नहीं लगाता। गांव में चोरी का कोई मामला नहीं सुना गया। लोग इतने भरोसेमंद हैं कि दिन-रात घर खुले रहते हैं। एक बार मैंने अपने दोस्त को यह बात बताई, तो उसने मजाक में कहा, “यह तो सपनों का गांव है!” सचमुच, ऐसा विश्वास आज के समय में दुर्लभ है। यहां के लोग शाकाहारी हैं। मांस या शराब को कोई हाथ नहीं लगाता। खाना बनाने के लिए नीम की लकड़ी या केरोसिन का इस्तेमाल भी मना है। ये नियम भगवान देवनारायण के प्रति श्रद्धा की वजह से हैं। गांव में हर साल सितंबर में मेला भी यहां लगता है, जहां हजारों लोग भगवान के दर्शन करने आते हैं। यह मेला गांव की रौनक बढ़ा देता है। लोकगीत, नृत्य और धार्मिक आयोजन इस मेले को और खास बनाते हैं।

देवमाली की परंपराएं सिर्फ नियम नहीं बल्कि एक जीवनशैली हैं। यहां के लोग पर्यावरण की भी रक्षा करते हैं। कच्चे घर और शाकाहारी जीवन इसका सबूत है। अगर आप शहर की भागदौड़ से थक गए हैं, तो इस गांव का सुकून आपको तरोताजा कर देगा।

देवमाली

देवमाली का सबसे बड़ा आकर्षण है, भगवान देवनारायण का मंदिर। यह मंदिर एक पहाड़ी पर बना है और सात बड़ी चट्टानों को जोड़कर बनाया गया है। मंदिर का दृश्य बहुत सुंदर है। इसे देखकर आपको लगेगा कि आप किसी प्राचीन समय में पहुंच गए हैं। मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। खासकर सितंबर में लगने वाले मेले के दौरान यहां बहुत भीड़ होती है। मंदिर के अलावा, गांव की गलियां भी देखने लायक हैं। मिट्टी के घर, फूस की छतें और चारों तरफ हरियाली।

यह सब आपको पुराने जमाने की याद दिलाएगा। आप गांव वालों के साथ बात कर सकते हैं। वे बड़े प्यार से अपनी कहानियां सुनाते हैं। गांव में होम स्टे की सुविधा भी शुरू हो रही है। आप मिट्टी के घर में रह सकते हैं और गांव वालों के साथ खाना खा सकते हैं। यहां का खाना शाकाहारी और स्वादिष्ट है। मक्के की रोटी, लहसुन की चटनी और छाछ का स्वाद आपको हमेशा याद रहेगा। कुछ लोग गांव में लोकगीत और नृत्य का मजा भी ले सकते हैं। खासकर त्योहारों जैसे तीज या दीवाली के समय पर।

देवमाली की प्राकृतिक सुंदरता भी कमाल की है। आसपास की पहाड़ियां और खेत आपको शांति का एहसास देंगे। अगर आप फोटोग्राफी पसंद करते हैं, तो यहां के नजारे आपके कैमरे में जरूर कैद होने चाहिए। हाल ही में बॉलीवुड भी इस गांव की ओर आकर्षित हुआ है। अक्षय कुमार की फिल्म जॉली एलएलबी 3 की शूटिंग यहीं हुई थी। यह गांव अब देश-विदेश में मशहूर हो रहा है।

अगर आप इतिहास और संस्कृति में रुचि रखते हैं, तो गांव की कहानियां सुनें। गांव वाले बताते हैं कि उनकी जमीन भगवान देवनारायण के नाम है। सरकारी रिकॉर्ड में भी यही दर्ज है। यह अनोखी बात आपको कहीं और नहीं मिलेगी।

देवमाली पहुंचना बहुत आसान है। यह ब्यावर जिले के मसूदा उपखंड में है, जो ब्यावर से करीब 6 किलोमीटर दूर है। अगर आप राजस्थान के बड़े शहरों से आ रहे हैं, तो कई रास्ते हैं।

देवमाली

हवाई मार्ग सबसे नजदीकी हवाई अड्डा किशनगढ़ में है, जो देवमाली से 28 किलोमीटर दूर है। जयपुर 189 किलोमीटर और उदयपुर 220 किलोमीटर के हवाई अड्डे भी विकल्प हैं। हवाई अड्डे से आप टैक्सी या बस लेकर यहां पहुंच सकते हैं

रेल मार्ग ब्यावर जंक्शन सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जो 25.3 किलोमीटर दूर है। यहां से कई ट्रेनें गुजरती हैं। स्टेशन से टैक्सी या ऑटो से देवमाली पहुंचें और गांव की संस्कृति का आनंद लें।

सड़क मार्ग अगर आप सड़क से आ रहे हैं, तो जयपुर से 300 किलोमीटर, जोधपुर से 150 किलोमीटर और उदयपुर से 200 किलोमीटर की दूरी है। बस या टैक्सी आसानी से मिल जाएगी। रास्ते अच्छे हैं और सफर में आपको राजस्थान की खूबसूरती भी दिखेगी जो रोचक दृश्यों से भरे हुए हैं। मैंने एक बार अपने दोस्त को सुझाव दिया कि वह उदयपुर से देवमाली जाए। उसने टैक्सी ली और रास्ते में खूबसूरत पहाड़ियां देखीं। उसने कहा कि सफर जितना मजेदार था, उतना ही गांव। बस एक सलाह है की स्थानीय बसों की टाइमिंग पहले चेक कर लें, क्योंकि गांव छोटा है और बार-बार बसें नहीं मिलतीं हैं। सबसे अच्छा समय है अक्टूबर से मार्च, जब मौसम ठंडा और सुहावना होता है। गर्मी में तापमान ज्यादा होता है, तो इस समय बचें। अगर मेला देखना चाहते हैं, तो सितंबर में जाएं।

देवमाली में खाना एक अलग ही अनुभव है। यहां का खाना शाकाहारी और देसी है। आप मक्के की रोटी, दाल, गट्टे की सब्जी, केर सांगरी और छाछ ट्राई कर सकते हैं। गांव में होम स्टे की सुविधा है, जहां आप स्थानीय लोगों के साथ रहकर उनका खाना खा सकते हैं। मिट्टी के चूल्हे पर बना खाना आपको अतीत की याद दिलाएगा। होम स्टे में रहना अपने आप में मजेदार है। कच्चे घरों में बिजली, पंखे जैसी सुविधाएं हैं, लेकिन माहौल देसी। आप गांव वालों से उनकी कहानियां सुन सकते हैं। ऐसा अनुभव शहरों में नहीं मिल सकता।

अगर आप बाहर से खाना लाना चाहते हैं, तो ब्यावर में कई रेस्टोरेंट हैं। लेकिन मेरी सलाह है कि गांव का खाना जरूर ट्राई करें। यह सस्ता और स्वादिष्ट है। रहने के लिए होटल ब्यावर में मिल जाएंगे, अगर आप होम स्टे नहीं चाहते। लेकिन आपको बता दूं की गांव का असली मजा होम स्टे में ही है। स्थानीय अनुभव में लोकगीत और नृत्य शामिल हैं। गांव वाले मेहमानों का स्वागत बड़े प्यार से करते हैं। आप उनके साथ खेती या पशुपालन के काम देख सकते हैं। बच्चे आपको गांव की गलियां दिखाएंगे। यह सब आपको शहर की जिंदगी से दूर ले जाएगा और आरामदायक जीवन क्या होता है इसकी परिभाषा देता नजर आएगा।

देवमाली जाना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह आपको भारत की पुरानी संस्कृति दिखाता है। यहां का शांत माहौल, अनोखी परंपराएं और भगवान देवनारायण के प्रति श्रद्धा आपको प्रभावित करेगी। यह गांव पर्यावरण के प्रति भी जागरूक है। कच्चे घर और नीम की लकड़ी न जलाने का नियम इसका सबूत है। हमेशा हल्के कपड़े और आरामदायक जूते ले जाएं। सर्दियों में हल्का जैकेट रखें। स्थानीय लोगों का सम्मान करें और उनकी परंपराओं को फॉलो करें। फोटो खींचने से पहले पूछ लें। अगर मेला देखने जा रहे हैं, तो पहले से होम स्टे बुक करें।

देवमाली अब बॉलीवुड का भी पसंदीदा बन रहा है। यह गांव आपको सुकून और इतिहास का अनुभव देगा। मेरी सलाह है, एक बार जरूर जाएं

final-4

Hello! I Pardeep Kumar

मुख्यतः मैं एक मीडिया शिक्षक हूँ, लेकिन हमेशा कुछ नया और रचनात्मक करने की फ़िराक में रहता हूं।

लम्बे सफर पर चलते-चलते बीच राह किसी ढ़ाबे पर कड़क चाय पीने की तलब हमेशा मुझे ज़िंदा बनाये रखती
है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *