Mount Abu- राजस्थान का एक मात्र हिल स्टेशन
Five Colors of Travel
जब भी हमारे जेहन में राजस्थान का नाम आता है तो स्वतः ही दूर-दूर तक फैले रेत के धोरे, तेज गर्म हवाएं, कीकर के झाड़, भव्य हवेलियां या गर्वीले इतिहास की विरासत को अपने अंदर संजोए रजवाड़ों के किले और महल तैरने लगते हैं या फिर राजपूताना शान के प्रतीक अनेक रंगों को अपनी पहचान बनाए यहाँ के शहर लेकिन अलग-अलग रंगों को अपने में संजोए इस राजस्थान का एक खूबसूरत रंग ऐसा भी है जिसकी पहचान एक शानदार हिल स्टेशन के तौर पर दुनिया भर में है और वो है माउंट आबू। यह खूबसूरत जगह किसी जमाने में राजस्थान की जबरदस्त गरमी से बदहाल राजघरानों के शाही लोगो का ‘समर-रिज़ॉर्ट’ हुआ करता था। (Mount Abu)
धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में
क्योंकि इस शहर के साथ अनेक धार्मिक और सामाजिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं इसलिए भी माउंट आबू धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में भी अच्छा खासा प्रसिद्ध है। यहां की चटटानों एवं जंगलों में ऋषियों, मुनियों और साधकों की आज भी अनेकों गुफाएं आसानी से देखने को मिल जाती हैं जो प्राचीन भारतीय संस्कृति और अध्यात्म की याद को तरोताजा कर देती हैं। बेइंतहा तेजी से भागती-दौड़ती जिन्दगी में सुकून के पलों की तलाश करते आदमी को सच्चे सुख और अदद शान्ति का अहसास कराने में सक्षम है राजस्थान के कश्मीर के रूप में प्रसिद्ध- माउंट आबू।
कैसे पहुंचे माउन्ट आबू
आप यहाँ सड़क मार्ग के अलावा रेल मार्ग से भी यहाँ आसानी से पहुँच सकते हैं। माउन्ट आबू के पास में आबू रोड रेलवे स्टेशन है जो लगभग सभी बड़े शहरों से कनेक्ट है। हवाई मार्ग द्वारा माउंट आबू पहुँचने के लिए आप उदयपुर की उड़ान ले सकते हैं जो माउंट आबू का निकटतम हवाई अड्डा है। उदयपुर हवाई अड्डा इस शहर से लगभग 185 किमी. की दूरी पर स्थित है। मेरी ये दूसरी माउन्ट आबू यात्रा थी। हम देर रात यहाँ पहुंचे थे, होटल पहले से बुक था। आबू रोड से माउंट आबू तक पहुँचने के लिए लगभग 30 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। अरावली शृंखला के सर्पीले रास्तों से गुजरते हुए जब आप चढ़ाई चढ़ते हैं तब थोड़ी थकान लाज़िमी है, लेकिन ऐसी यात्रायें रोमांचक भी होती हैं अगर वो दिन में हो। रात का सफर अक्सर थका देता है, सो होटल पहुंचे, डिनर किया और बिस्तर पर लेटते ही कब नींद आ गई पता ही नहीं चला। अगले दिन सुबह नाश्ता किया और निकल पड़े माउंट आबू की हृदयस्थली नक्की झील की और।
माउंट आबू बाजार और गुजराती टच
चारों और पहाड़ों से घिरी इस झील की ख़ूबसूरती ही यही है कि यहां आने वाले पर्यटक झील में बोटिंग किए बिना वापसी का रूख नहीं करते। झील के पास स्थित बाजार में आपको गुजराती संस्कृति का ज्यादा बोलबाला दिखाई देगा वजह शायद यही कि यह जगह बिलकुल गुजरात की सीमा से सटी हुई है। आपको यहाँ के खाने में मीठेपन के साथ ही गुजराती टच का अहसास हो जायेगा। इस बाजार में हस्तकला निर्मित सामग्री जैसे- वस्त्र, चादरें, पर्स, गहने, चप्पलें, खिलौने आदि मिलते हैं।
माउंट आबू का हार्ट – नक्की झील
नक्की झील के बारे में हिन्दू पौराणिक मान्यता है कि इसे देवताओं द्वारा राक्षसों से बचाने के लिए अपने नाखूनों से खोदा गया था। पहले इसे नख की झील ही कहा जाता था, बाद में इसका नाम नक्की झील पड़ गया।
नक्की झील में आपको बोटिंग के अलावा कुछ वाटर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज भी दिखाई देंगी जहाँ आप अपनी पसंद के अनुसार उन एक्टिविटीज का आनंद ले सकते हैं। झील के किनारे पर एक खूबसूरत रेस्तरां बना हुआ है जहाँ आप चाय कॉफी के साथ प्राकृतिक नज़ारों से घिरी झील की ख़ूबसूरती का रसपान कर सकते हैं।
यहाँ पैडल और शिकारा बोट दोनों ही उपलब्ध हैं। हमने पहले बोटिंग की और फिर इत्मीनान से खाया-पिया। जहाँ हम बैठे कॉफी पी रहे थे वहीं से सामने झील के किनारे भारत माता का भव्य मंदिर भी दिखाई दे रहा था। इस तरह के मंदिर आपको कुछ चुनिंदा जगहों पर ही मिलेंगे। (Mount Abu)
जब आप पार्किंग से झील की तरफ जाते हैं तब रास्ते में आपको घुड़सवारी और ऊंट सवारी का विकल्प भी मिलता है। आपको आसानी से बच्चे और कुछ न्यू मैरिड कपल वहां सवारी करते और फोटोग्राफी करते दिख जायेंगे। यह झील नेचर लवर्स और फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए एक बेहद पॉपुलर जगह है। हमने यहाँ फुरसत से अच्छा-खासा समय बिताया।
दिलवाड़ा के प्रसिद्ध जैन मंदिर
और फिर शेड्यूल के अनुसार निकल पड़े अगले पड़ाव दिलवाड़ा के प्रसिद्ध जैन मंदिर की और।
अगर कहें कि दिलवाड़ा जैन मंदिर जैनियों के सबसे सुंदर तीर्थ स्थलों में से एक है तो बिलकुल भी गलत नहीं होगा। इस मंदिर का निर्माण 11वीं और 13वीं शताब्दी के बीच चालुक्य राजाओं वास्तुपाल और तेजपाल द्वारा किया गया था। यह मंदिर अपनी अद्भुत नक्काशी और संगमरमर से सजे होने के लिए प्रसिद्ध है।
बाहर से देखने पर भले ही यह मंदिर सामान्य दिखाई दे लेकिन जैसे ही आप मंदिर के अंदर प्रवेश करते हैं आप यहाँ की छत, मेहराबों, दीवारों और स्तंभों पर करीने से बनाये गए डिजाइनों को देखकर हैरत में पड़ जायेंगे। क्योंकि मंदिर के अंदर फोटोग्राफी मना है इसलिए बहुत से लोग इसकी सुंदरता से महरूम हैं। लेकिन फिर भी गूगल करने पर आपको दिलवाड़ा मन्दिर की बहुत सारी फ़ोटोज़ मिल जाएँगी, जिसे देखकर आप इसकी अद्भुत नक्काशी और सुन्दरता का अंदाजा लगा सकते हैं। यहाँ की मूर्तियों पर पॉलिशिंग इतनी चमकदार है कि सैकड़ों वर्ष पुरानी होने के बाद भी बिलकुल नई-सी लगती है। यहाँ की सभी मूर्तियां संगमरमर की है और उन पर बेहद फाइन कारीगरी की गई है। बताते हैं ये मन्दिर बनाने में लगभग 1500 शिल्पकार और 1200 श्रमिकों की कड़ी मेहनत लगी है। अपनी महीन नक्काशी और बनावट के लिए दुनिया भर में फेमस दिलवाड़ा मन्दिर बनने में 14 साल लगे और करीब 18 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
जैन मंदिर जैन भक्तों के लिए सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है और अन्य धर्म के लोगो के लिए यह दोपहर 12 से शाम 6 बजे तक खुला रहता है। मौसम के अनुसार समय में बदलाव संभव है। यहाँ जाने से पहले इस बात का जरुर ध्यान रखे कि इस मंदिर में किसी भी पर्यटक और तीर्थ यात्री को मंदिर परिसर में फोटो खींचने की अनुमति नहीं है।
हमने तकरीबन दो घंटे में इस मंदिर के प्रांगण में बने पांच अलग-अलग मंदिरों को अच्छे से देखा। संगमरमर के बड़े-बड़े पत्थरों पर नक्काशी कर बनाये गए ये अद्भुत मंदिर दुनिया भर में अपनी नायब कारीगरी का बेहतरीन नमूना है। शाम को चार बजे तक हम मंदिर के बाहर आ चुके थे।
हीराभाई की प्रसिद्ध चाय की दुकान
मंदिर के सामने ही पर्यटन की दृष्टि से समृद्ध एक छोटा सा बाजार है जहाँ आप वुडेन क्राफ्ट और मार्बल से बने प्रोडक्ट्स खरीद सकते हैं। वही उसी बाजार में हमें दिखाई दी दशकों पुरानी हीराभाई की प्रसिद्ध चाय की दुकान। हमें चाय का मुरीद जान कर दुकान संभाल रहे सज्जन ने कड़क मसाला चाय बना कर दी।
चाय ठीक-ठाक लगी। लेकिन हमें तरोताजा करने के लिए इतना मसाला काफी था।
प्रकृति प्रेमियों और कपल्स का फेवरिट प्लेस – सनसेट पॉइंट
खैर शाम को हमें सनसेट देखने के लिए सनसेट पॉइंट भी पहुंचना था इसलिए हम चाय पीने के बाद माउंट आबू की एक और प्रसिद्ध जगह सनसेट पॉइंट की और बढ़ चलें। सनसेट पॉइंट नक्की झील के पास ही है। यह पॉइंट प्रकृति प्रेमियों और खासकर कपल्स को बेहद पसंद आता है। यहाँ सनसेट का दीदार करने के लिए अलग-अलग पॉइंट्स बनाये गए हैं जहाँ से आप अरावली के पहाड़ों में डूबते सूरज के विहंगम दृश्यों का मजा ले सकते हैं।
यहाँ सनसेट का दीदार करने के लिए अलग-अलग पॉइंट्स बनाये गए हैं जहाँ से आप अरावली के पहाड़ों में डूबते सूरज के विहंगम दृश्यों का मजा ले सकते हैं। यहाँ पर आपको चाय-पकौड़े, गरमा-गर्म मैगी और अन्य खाने पीने की चीजें भी मिल जाएँगी। यहाँ पहुँचने के लिए घोड़े भी उपलब्ध हैं (जिनका किराया बढ़ता घटता रहता है) क्योंकि यह पॉइंट एक-डेढ़ किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है इसलिए आप वहां तक आसानी से पहुँचने के लिए घुड़सवारी का भी प्रयोग कर सकते हैं। शाम के समय यहाँ पर्यटकों की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिल जाती है। हमने यहाँ सनसेट देखते हुए गर्मागर्म चाय और मैगी का आनंद लिया। पहाड़ों के शिखर से प्रकृति के सौंदर्य पान के साथ बिताये ये यादगार लम्हें लम्बे समय तक याद रहेंगे।
देर शाम तक हम अपने होटल वापिस लौट आये। अगले दिन अध्यात्म के लिए प्रसिद्ध प्रजापिता ब्रह्मकुमारीज, पीस पार्क, गुरुशिखर, अंचलगढ़ और हनीमून पॉइंट जैसी खूबसूरत जगहों का भ्रमण किया, जिसे किसी और ब्लॉग में आपके साथ साँझा करूंगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रकृति के करीब आकर सारा तनाव दूर हो जाता है तथा सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। यकीनन भागदौड़ भरी जिंदगी में से कुछ समय निकालकर ऐसे शुद्ध प्राकृतिक वातावरण में आकर समय बिताना बेहद सुकूनभरा लगता है। (Mount Abu)
Written by Pardeep Kumar