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कुछ ऐसे टिप्स जिन्हें फॉलो करके आप ट्रैवेलिंग को बना सकते हैं किफायती

“नए-नए जगहों की सैर करना और घूमना फिरना किसे पसंद नहीं होता है? हर कोई चाहता है कि अपने 9 टू 7 (Nine to Seven) के जॉब (Job) से ब्रेक (Break) लेकर कहीं ना कहीं घूमने जाए। लेकिन किसी भी ट्रिप की प्लानिंग (Planning for Trip) में सबसे बड़ी बाधा होती है बजट (Budget)!”

खासकर मिडिल क्लास फैमिली (Middle Class Family) में बजट पर काफी ध्यान दिया जाता है। कई लोग इस वजह से अपने ट्रिप को कैंसिल (Cancel) कर देते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि इतने ज्यादा एक्सपेंसेस (Expenses) वाले ट्रिप पर जाने से उनके घर का बजट डगमगा जाएगा। लेकिन आज के इस ब्लॉग (Vlog) में मैं लेकर आई हूं आप सभी के लिए कुछ ऐसे टिप्स (Tips) जिन्हें ध्यान में रखते हुए आप अपने ट्रैवल एक्सपेन्स (Travel Expense) को कम कर सकते हैं।

होटल के चुनाव में दिखाएं समझदारी (show maturity in choosing the hotel):

ट्रैवल ट्रिप प्लान करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप जिस जगह पर होटल ले रहे हैं वह होटल आपके डेस्टिनेशन (Destination) से वाॅकिंग डिस्टेंस (Walking distance) पर हो। या ऐसे जगह होटल का चुनाव करें जहां से सारे विजिटिंग डेस्टिनेशन कवर (Cover all Visiting destination) हो जाए। जिससे आपको बार-बार होटल बदलने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी और आप कम खर्च में ट्रैवल कर पाएंगे।
ट्रैवलिंग (Traveling) करते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि आपको उस शहर के नक्शे (Map) के बारे में पूरी जानकारी हो। ताकि आप शॉर्टकट (Shortcut) से आसानी से और कम खर्चे में अपने विजिटिंग डेस्टिनेशन पर पहुंच जाएं। बहुत से होटलों में रूम के साथ-साथ खाना भी उपलब्ध करवाया जाता है। ऐसे में उन्हीं होटलों का चुनाव करें। ताकि आपको खाने के ऊपर एक्स्ट्रा खर्च (Extra cost) ना करना पड़े।

धर्मशाला में ठहरने का करें प्रबंधन (try to stay in Dharmshala) :
भारत के बहुत से शहरों में धर्मशालाओं की सुविधाएं मौजूद हैं। अगर आप कहीं घूमने जाते हैं तो आप पहले हीं पता कर ले कि उस शहर में कहां-कहां धर्मशालाएं हैं? जहां आप रुक सकते हैं। क्योंकि धर्मशाला में कम से कम खर्च पर ठहरा जा सकता है। इससे आपके ट्रैवल के बजट में थोड़ी सी कमी आएगी। खासकर अगर आप किसी धार्मिक स्थल (Religios place) वाले शहर में घूमने जा रहे हैं तो वहां आपको धर्मशालाएं आसानी से मिल जाएंगी। यहां का माहौल काफी शांत होता है और यह काफी साफ-सुथरा भी होता है। साथ ही साथ यह आपके ट्रैवल डेस्टिनेशन से भी नजदीक पड़ेंगे।

ऑफ सीजन में करे ट्रिप की प्लानिंग (plan your trip in off season) :
अगर आप कहीं का ट्रिप प्लान कर रहे हैं तो ट्रिप की प्लानिंग ऑफ सीजन (Off season) में करें। क्योंकि ऑफ सीजन में भीड़ भी कम होती है। साथ ही महंगाई भी घट जाती है। आपको ऑफ सीजन में गोवा जैसे डेस्टिनेशन पर भी 500-600 में सी फेसिंग होटल मिल जाएंगे। ऑफ सीजन में कई जगहों के विजिटिंग टिकट की प्राइस (Price of Visiting ticket) भी कम जाते हैं। इस बात का भी ध्यान रखें।

ऑनलाइन पेमेंट ऑप्शन को अपनाएं (book your ticket online) :
कई स्मारकों पर ऑनलाइन टिकट बुकिंग (Booking of Online ticket) ज्यादा सस्ता होता है। ऐसे में ऑनलाइन टिकट बुकिंग करना आपके लिए फायदेमंद साबित होगा। इससे आपको लंबे समय तक लाइन (Line) में खड़ा होना भी नहीं पड़ेगा। साथ ही साथ पैसों की भी बचत हो जाएगी। आप अपने फोन में पहले से ही ऑनलाइन पेमेंट ऑप्शन डाउनलोड (Option of Download) करके रख ले।

लोकल पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करें (use local public transport) :

कैब या गाड़ी (Cab or Vechile) की बुकिंग को अवॉइड (Avoid) करें और कोशिश करें कि लोकल पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करें। किसी नए शहर में लोकल पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करने में परेशानी आती है। लेकिन अगर आप समझदारी से काम लेंगे तो बहुत ही कम खर्च में आप पूरे शहर को घूम पाएंगे। इससे ट्रेवल बजट में भी थोड़ी रिलीफ (Relief) मिलेगी।

रात के समय करें यात्रा (travel at night) :

अगर आप किसी भी ट्रैवल ट्रिप पर जाना चाहते हैं तो अपने ट्रैवल डेस्टिनेशन तक पहुंचने के लिए रात में ट्रेवल करें। इससे आपके समय की भी बचत होगी। साथ ही साथ आपको रात में ठहरने के लिए होटल का चुनाव नहीं करना होगा। इस तकनीक का उपयोग करके आप काफी खर्च बचा सकते हैं।

एक प्रथा ऐसी भी- जहाँ नवविवाहिता एक हाथ से मछली काटकर करती है गृहस्थ जीवन की शुरुआत

आप यह तो जानते होंगे कि भारत के हर भाग में अलग-अलग तरह की संस्कृति (culture) बसती हैे। ऐसे में हर जगह अलग-अलग तरह के रीति रिवाजों (rituals) और परंपराओं का चलन है। कहीं जनजातियों(tribes) की संस्कृति का बसेरा है तो कहीं शहरी संस्कृति(modern culture) का प्रभाव। अलग अलग कल्चर होने के कारण अलग-अलग जगहों की परंपराओं और प्रथाओं में जमीन आसमान का फर्क होता है। आज इस ब्लॉग में हम आपको बताने वाले हैं एक ऐसे अजीबोगरीब प्रथा के बारे में जिसके बारे में आप शायद हीं जानते होंगे। यूं तो बिहार के मिथिलांचल का नाम भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। क्योंकि मधुबनी पेंटिंग (Madhubani Painting) को ग्लोबल (Globally) लेवल पर रिकॉग्नाइज किया गया है।

बिहार के मिथिलांचल के प्रसिद्धि की अगर बात करें तो, हिंदू धर्म में इस जगह की खास मान्यता है। क्योंकि श्री राम की पत्नी माता सीता का जन्म मिथिलांचल के ही जनकपुर में हुआ था। जनकपुर इंडो नेपाल बॉर्डर पर हीं स्थित है। जनकपुर जाने के लिए आपको सबसे पहले बिहार के मधुबनी जिला पहुंचना पड़ेगा।

लेकिन क्या आपको यहां के इस प्रथा के बारे में पता है? मधुबनी या यूं कहें कि मिथिलांचल में ऐसी परंपरा मानी जाती है जो शायद ही कहीं और मानी जाती हो!

जी हां, मिथिला में नवविवाहिता दुल्हन के अपने ससुराल आने पर, उनसे एक रस्म करवाई जाती है। अब आप कहेंगे कि इसमें कौन सी बड़ी बात है? नई दुल्हन के स्वागत के बाद हर जगह कई सारी रस्में निभाई जाती हैं। लेकिन इसमें बड़ी बात है। क्योंकि यह रस्म मामूली रस्म नहीं होती है। यह होती है मछली (Fish Cutting) को एक हाथ से कटवाने की रीति! जानकर अजीब लगा ना? अजीब लगना वाजिब भी है। लेकिन यह सच है, मिथिलांचल में जब नई दुल्हन मायके से ससुराल जाती है तो, उसके बाद उन्हें 4 दिनों तक कई तरह के रस्मों रिवाजों को पूरा करना होता है और द्विरांगमन (विदाई) के चौथे दिन, यानी चतुर्थी को दुल्हन से एक हाथ से मछली काटने के लिए कहा जाता है।

वैसे तो इस प्रथा के बारे में कई लोगों की अलग-अलग राय हैं, लेकिन कुल मिलाकर देखा जाए तो यह नई नवेली दुल्हन के लिए एक परीक्षा (test) के तरह होता है। इस परीक्षा के जरिए जाना जाता है कि क्या दुल्हन को रसोई और घर गृहस्ती संभालना आता है? एक हाथ से मछली काटना अपने आप में हीं एक चैलेंज (challange) होता है। जिसमें दुल्हन इस विधि को पूरा करके दिखाती है कि, वह आसानी से रसोई संभाल सकती है।

बताया जाता है कि यह परंपरा मिथिलांचल में सालों पहले से चली आ रही है। वैसे आपको यह बता दूँ कि मिथिलांचल की भूमि मछली पालन के लिए शुभ मानी जाती है और बिहार के सहरसा जिला में एक मत्स्यगंधा टेंपल भी है। जहां मत्स्य कन्याओं की पूजा की जाती है।

These Places are Best for Solo trip for Women

  • सोलो ट्रिप का मतलब होता है कुछ दिन के लिए अपने काम से दूर और अपनों से दूर होकर खुद के साथ समय बिताना और अगर सोलो ट्रिप किसी महिला का हो तो यह और भी ज्यादा स्पेशल हो जाता है। क्योंकि यह उन्हें आजादी का एहसास दिलाता है कि वह भी अकेले कहीं जा सकती हैं और बेफिक्र होकर घूम सकती हैं। यहीं असल खुशी (happiness) है। अब अगर महिलाओं को कहीं जाने की इच्छा होती है तो, उन्हें किसी से पूछने की और किसी को साथ ले जाने की जरूरत नहीं होती। वह खुद ही अपना ट्रिप प्लान भी करती हैं और कहीं घूमने भी जाती हैं। अगर आप भी ऐसे ही अकेले कहीं घूमने का प्लानिंग कर रही हैं तो आइए हम आपको इस ब्लॉग में बताते हैं आपके लिए उन सबसे बेस्ट जगहों के बारे में, जहां आप जाकर ना सिर्फ अपनी आजादी (independence) को महसूस कर सकती हैं, बल्कि साथ ही साथ आपको सामान्य तौर पर किसी भी तरह का खतरा भी नहीं होगा।
  1. GOA :

महिलाओं के लिए फ्रीडम महसूस करने के लिए सबसे बेस्ट जगह है, गोवा। जब आप गोवा के किसी बीच पर खड़े होकर दूर फैले समुंदर को देखेंगे और अपने चेहरे पर आ रही हवा की झोंकों को महसूस करेंगी तो आपको अपने आप ही हर बंधन से आजादी महसूस होगी। हर तरह के तनाव और थकान पल भर में गायब हो जाएंगे।  गोवा है ही ऐसी जगह, जहां आकर समुद्र की लहरों के साथ खुद को महसूस किया जा सकता है। महिलाओं के सोलो ट्रिप के लिए तो यह जगह सबसे बेस्ट है। ऐसा मैं नहीं कह रही, यह तो पिछले कुछ सालों के रिकॉर्ड कह रहे हैं। पिछले कई सालों में महिलाओं का गोवा की ओर रुझान काफी बढ़ा है।

आइए जानते हैं गोवा की कुछ मशहूर घूमने लायक जगहों के बारे में (places to visit in Goa) :-

कलंगुट बीच :- अगर गोवा के बीचों के बारे में बात की जाए तो सबसे पहले आता है – कलंगुट बीच। जिसे समुद्रों की रानी के नाम से भी जाना जाता है। यह गोवा के सबसे खूबसूरत बीचों में से एक है। लेकिन यह ध्यान देने वाली बात यह होती है कि यहां समुद्र की लहरें बहुत ही तेज होती हैं। गोवा का यह कलंगुट बीच लगभग 4 मील तक फैला हुआ है।

बागा बीच :- कलंगुट बीच के बगल में बागा बीच जहां कलंगुट बीच की सीमा खत्म होती है, वहां से बागा बीच की सीमा शुरू होती है। बागा बीच पर आप सुबह से शाम तक इंजॉय कर सकती हैं। यहां जैसे ही सनसेट होता है, चारों ओर पार्टी का माहौल बन जाता है। अगर आपको बीच पार्टी पसंद है तो आपके लिए सबसे बेस्ट डेस्टिनेशन हो सकता है।

बागा बीच और कलंगुट बीच के अलावा गोवा में बटरफ्लाई बीच और पालोलम बीच भी है। यह भी पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। बीजों के अलावा इस शहर में दूधसागर वॉटरफॉल, बॉम जीसस बेसिलिका, चोराव द्वीप, अगवाड़ा किला, सैटरडे नाइट मार्केट, मंगेशी मंदिर, नेवेल एवियशन म्यूजियम,  टीटू नाइटक्लब, मार्टिन कॉर्नर आदि भी हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

गोवा कैसे जाएं? (How to visit Goa) :-

गोवा आने के लिए आप गोवा एयरपोर्ट का रुख कर सकते हैं। या फिर आप सड़क मार्ग से भी गोवा आसानी से जा सकते हैं।  अगर बात किया जाए दिल्ली से गोवा के फ्लाइट के खर्च की तो आपको कम से कम करीब 5000 तक का खर्च आएगा। आप ट्रेन से भी गोवा जा सकती हैं। इसके अलावा सड़क मार्ग से भी गोवा जाया जा सकता है।

  1. Shimla :

अपने आप को नेचुरल रिट्रीट(natural retreat) देने का सबसे बेहतरीन तरीका है पहाड़ों की सैर पर निकल जाना। अब पहाड़ों की बात हो और शिमला का नाम ना आए ऐसा हो नहीं सकता। शोर-शराबे से दूर और प्रकृति के नजदीक स्थित इस शहर की ओर लोगों का काफी रुझान होता है। चारों ओर दिखने वाली बर्फ से ढकी सफेद पहाड़ियां और हरे-भरे देवदार के पेड़ किसी का भी मन मोह लेने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।

शिमला में घूमने के बेहतरीन जगह
(best places to visit Shimla) :

यह जगह सिर्फ सीनरी(scenery) के लिए नहीं बल्कि शॉपिंग के लिए भी प्रसिद्ध है। शिमला स्थित माल रोड शॉपिंग के लिए एक बेहतरीन जगह है। यहां आपको खान-पान से लेकर पुरानी एंटिक चीजों तक का एक बड़ा कलेक्शन देखने को मिल जाएगा। यहां शिमला के पारंपरिक परिधान भी खरीद सकते हैं।
शिमला में एक और फेमस जगह है वह जाखू हिल्स। इस जगह पर हनुमान जी का एक बड़ा मंदिर है। साथ हीं एक बहुत बड़ी मूर्ति भी है, जो काफी दूर से हीं दिख जाती है। इस मंदिर की खासियत है यहां आपको सैकड़ों दर्जनों लंगूर और बंदर खेलते हुए मिल जाएंगे। चारों ओर हरियाली से घिरा यह मंदिर उन लंगूरों और बंदरों के लिए घर की तरह है।

शिमला कैसे आए? (How to reach shimla?) :

शिमला की दिल्ली से दूरी लगभग 340 किलोमीटर है और यहां आप बाय रोड, ट्रेन और फ्लाइट तीनों ही रास्तों से जा सकते हैं। अगर आप टैक्सी(taxi) से शिमला जाना चाहते हैं तो आपको ₹5500 से ₹6000 तक का खर्च आता है। वहीं अगर आप ट्रेन से शिमला जाते हैं तो ₹700 से ₹800 में आपको टिकट मिल जाएगी। अगर आप फ्लाइट से शिमला जाते हैं तो इकोनामी क्लास के फ्लाइट की टिकट्स ₹2900 से शुरू हो जाते हैं।

  1. Mussoorie

खूबसूरत पहाड़ियों के बीच से अगर आप सनराइज सनसेट देखना चाहती हैं तो, इसके लिए मसूरी के गन हिल पॉइंट (gun hill point) और लाल टिब्बा पॉइंट(lal tibba point) से बेहतर कोई जगह नहीं हो सकता। लाल टिब्बा पॉइंट पर अपनों के साथ बैठकर सन सेट को देखना, अपने आप में ही एक अविस्मरणीय दृश्य होता है। वैसे तो यह जगह कपल्स के लिए बेस्ट माना जाता है लेकिन यहां सोलो ट्रिप के लिए भी जाया जा सकता है। मसूरी पहाड़ों झरनों और हरियाली के प्राकृतिक सौंदर्य का एक अद्भुत संगम है।

मसूरी में घूमने की जगह (Best places to visit in Mussoorie) :

अगर आपको वॉटरफॉल (water fall) में ज्यादा इंटरेस्ट है तो, आप यहां के केंपटी फॉल्स(campty falls) का रुख कर सकते हैं। इस शहर में पहाड़ों के बीच एक ज्वाला जी मंदिर भी है, जो अक्सर पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है।

मसूरी में आप कई तरह के एडवेंचरस एक्टिविटीज कर सकते हैं। जिनमें कुछ एडवेंचरस एक्टिविटीज की डिटेल नीचे दी गई है।
स्काईवॉक : यहां आप 120 फुट की ऊंचाई पर स्काईवॉक कर सकते हैं। जिसका खर्च आपको ₹300 पर पर्सन के हिसाब से आएगा। मसूरी में स्काईवॉक करने का समय सुबह 9:00 से श्याम 6:00 तक का होता है।
रिवर राफ्टिंग : यहां आफ रिवर राफ्टिंग का भी लुफ्त उठा सकते हैं, जो बारकोट से लखामंडल तक का एक ट्रिप होता है। यहां रिवर राफ्टिंग का टाइमिंग सुबह 10:00 से दोपहर 3:00  तक का होता है और इसका प्राइस आपके द्वारा तय की गई दूरी पर डिपेंड करता है।

रैपलिंग : मसूरी पहाड़ों का शहर है इसलिए आप यहां रैपलिंग भी कर सकते हैं।  जिसका प्राइस आपको ₹1000 तक का आएगा। रैपलिंग करने का समय सुबह 8:00 से दोपहर 2:00 बजे तक का होता है।

रैपलिंग के अलावा आप यहां रॉक क्लाइंबिंग कैंपिंग ट्रैकिंग आदि भी कर सकते हैं। अगर आप मसूरी को अच्छे से घूमना चाहते हैं तो, आप को कम से कम 3 दिन का समय निकालकर यहां आना होगा।

मसूरी कैसे आए ? (How to reach mussoorie?) :

दिल्ली से मसूरी तक की दूरी तकरीबन 274 किलोमीटर है। मसूरी से सबसे नजदीक एयरपोर्ट भुंटर एयरपोर्ट है। न्यू दिल्ली से भुंटर एयरपोर्ट जाने के लिए आपको ₹3500 से फ्लाइट टिकट मिलने स्टार्ट हो जाते हैं। आप वाया रोड और वाया ट्रेन में मसूरी जा सकते हैं। ट्रेन के लिए आपको ₹250 से ₹1500 तक का खर्च आएगा। वहीं बाय रोड टैक्सी से जाने के लिए आपको 4000 से 5000 तक का खर्च आ सकता है।

  1. जैसलमेर (jaisalmer) :

अगर आपको सोने जैसा रेत (Golden sand) वाला रेगिस्तान (desert), शानदार किले, पुरानी हवेलियां और राजसी ठाट बाट की झलक देखनी हो तो राजस्थान के जैसलमेर से बेहतरीन कोई दूसरा जगह नहीं हो सकता है। जैसलमेर किलों से तो भरा हुआ है हीं, यहां के बाजार में बेहतरीन राजस्थानी ज्वेलरी और राजस्थानी ब्लॉक प्रिंट (Block printing) के कपड़े भी मिल जाते हैं, जो शॉपिंग को पसंद करने वाली महिलाओं का ध्यान अपनी और आकर्षित करते हैं। आज के समय में महिलाओं के लिए जैसलमेर काफी पसंदीदा जगह बनता जा रहा है। अगर आप भी भारतीय संस्कृति को करीब से देखना चाहती हैं तो जैसलमेर आपके लिए एक अच्छा डेस्टिनेशन ऑप्शन हो सकता है।

जैसलमेर में घूमने लायक जगह :

गोल्डन फोर्ट (Golden Fort) :

यह किला दिन के समय में सूरज की रोशनी में बहुत ज्यादा चमकता है। इसलिए इसे सोनार किला के नाम से भी जाना जाता है। यह किला काफी बड़ा है और देखने में बहुत खूबसूरत है। इसे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ रेगिस्तानी किलों में से एक माना जाता है। सुबह के समय जब सूरज की पहली किरण इस पर पड़ती है तो यह किला सुनहरे रंग में चमक उठता है। इस किले को पीले रेत के पत्थरों (yellow sandstone) से जोड़कर बनाया गया है और इस किले को राजा रावल जैसल ने बनवाया था।

पटवों की हवेली :

अगर जैसलमेर के सबसे खूबसूरत नक्काशी दार हवेली की बात की जाए तो पटवों की हवेली का नाम सबसे पहले लिया जाता है। इस हवेली को गुमान चंद पटवा ने बनवाया था। इस को बनाने में 50 साल का समय लगा था। दरअसल यह घर 5 हवेलियों का समूह है। जिसे गुमान चंद ने अपने पांच बेटों के लिए बनवाया था।  लेकिन इस हवेली तक पहुंचने के लिए आपको संकरी गली से गुजरना होगा। यह हवेली शहर के मुख्य रोड (Main road) पर स्थित नहीं है।

बड़ी झील :

राजस्थान में झील या यूं कहें कि रेगिस्तान में झील,,,,, सुनकर थोड़ा अटपटा लगा ना? लेकिन यह सच है! राजस्थान के जैसलमेर में झील भी है। यह झील जैसलमेर के किले से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसे गड़ी सागर झील भी कहा जाता है। इसे लेक गार्सीयर के नाम से भी जाना जाता है। यह झील सैलानियों के बीच काफी प्रसिद्ध है। इस झील तक जाने के लिए एक शाही विशाल द्वार से रास्ता जाता है। जो फोटोग्राफी (photography) का मुख्य केंद्र बनता है।

बड़ा बाग स्मारक

जैसलमेर से लगभग 6 कि. मी. दूर चलने पर हम बड़ा बाग़ पहुंचे। दरअसल बड़ा बाग़ एक खूबसूरत पार्क है जो भाटी राजाओं की याद में बनाया गया है। यहाँ जैसलमेर के राजाओं की कब्रें मौजूद हैं, वो छतरियों की शेप में बनाई गयी हैं। छतरियों की अद्भुत कलाकृति एक बार तो आपको अचंभित कर सकती है। 

इसके अलावा इस शहर में कुलधारा हांटेड विलेज (haunted village) भी है। जिस गांव के उजड़ने के पीछे कई तरह की भूतिया कहानी बताई जाती हैं। अगर आप हांटेड प्लेस जाने में रुचि रखते हैं तो, आप यहां का रूख कर सकते हैं।

यहां घूमने जाने का सबसे बेस्ट समय :

वैसे तो साल भर यहां पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। लेकिन फिर भी अक्टूबर से मार्च का महीना यहां आने के लिए सबसे अच्छा रहता है। क्योंकि देखा जाए तो राजस्थान में साल भर गर्मी ही रहती है।
जब आप कहीं भी घूमने जाए तो किस दिन कहां जाएं? क्या दिख रहा है? सब का शेड्यूल पहले ही बना लें। इसका फायदा यह होता है कि आप बिना किसी फालतू के आपाधापी के आराम से घूम पाएंगी।  जैसलमेर घूमने के लिए आपको कम से कम 3 दिनों के ट्रिप का शेड्यूल बनाना होगा।

जैसलमेर कैसे जाएं
(How to visit Jaisalmer) :

अगर आप जैसलमेर हवाई रास्ते से जाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको जोधपुर हवाई अड्डा तक का टिकट बुक करना होगा। अगर आप ट्रेन या बस के माध्यम से जैसलमेर जाना चाहते हैं तो जैसलमेर रेलवे स्टेशन भारत के अन्य राज्यों से अच्छी तरीके से जुड़ा हुआ है। बस की सुविधा के लिए आपको परेशानी आ सकती है। लेकिन आप अपनी गाड़ी से भी जैसलमेर आ सकती हैं।

  1. जयपुर (Jaipur) :

जयपुर का नाम सुनते ही सबसे पहला ख्याल आता है गुलाबी शहर (pink city) पिछले कई वर्षों से जयपुर महिला सैलानियों (women visitors) के लिए एक पसंदीदा जलन की तरह उभरा है जहां ना सिर्फ भारत के दूसरे कोनों से बल्कि पूरी दुनिया से लोग घूमने आते हैं। जयपुर का नाम आते ही मन गुलाबी हो उठता है। चाहे दिन का समय हो या रात का, इस नगर का प्रकाश और मन स्थिर नहीं है। चारों और अरावली के पहाड़ों से घिरे, चौड़े और स्पष्ट सुथरी घूमते और अपने संकेत और सैकड़ों साल पुराने बाज़ारों के कारण यह शहर किसी भी पर्यटक के मन को खुश करने में पूरी तरह सक्षम है।

जयपुर में घूमने के बेहतरीन जगह (best places to visit in Jaipur) :

जल महल जयपुर (Jaipur jal Mahal) :

पिंक सिटी जयपुर की ‘मानसागर’ झील के बीचों बीच बना ‘जलमहल’ अद्वितीय सौन्दर्य और अद्भुत स्थापत्यकला का बेजोड़ उदाहरण है। इस महल का निर्माण आज से लगभग 300 साल पहले आमेर के महाराज सवाई मानसिंह ने सन् 1799 में किया था। 
सैर सपाटे और घूमने के साथ-साथ यह क्षेत्र अब लोगों के लिए आय का साधन भी बन गया है। यहां पर आपको राजस्थानी मोजड़ी, राजस्थानी जूती, हैंड बैग, होम डेकोरेटिव आइटम्स, ज्वैलरी और अलग-अलग क्लॉथ्स, मैग्नेटोनेट और कई डेली यूज के सामान मिलते हैं, इसी के साथ आपको यहां खाने-पीने के कई सारे आइटम भी मिलेंगे।

मसाला चौक (Masala chauk) :

भोजन-पीने के मामले में देखें तो पिंक सिटी जयपुर वास्तव में एक ऐसा शहर है जो कि बहुत प्रसिद्ध (famous) है यहां के बेहद लजीज ब्रेक के कारण, यहां के प्रसिद्ध व्यंजन, तरह-तरह की शैली और तरह-तरह की चीजों से बने हुए हैं। इस रॉयल सिटी (Royal city) के लोग खाने के बहुत ही शौकीन माने जाते हैं और यह सिटी फूड लवर्स (food lovers) के लिए विशेष मायने रखता है। अगर बात खाने से जुड़ी हो तो जयपुर की खूबसूरत जगहों में से एक जगह है मसाला चौक जो कि खाने को लेकर अपनी वैरायटी (variety) के लिए और अपनी खूबियों के लिए बहुत ही मशहूर है।

हवा महल जयपुर (Jaipur Hawa Mahal) :

यूं तो जयपुर में बहुत से पर्यटन स्थल (historical places) हैं, लेकिन हवा महल की बात हीं कुछ और है। इस महल का इतिहास, इसकी वास्तुकला, और यहां की शांति पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है। इसके हल्की गुलाबी रंग की बालकनी और जालीदार खिड़कियां आप का मन मोह लेंगे। अगर इसके वास्तुकला की बात की जाए तो, इसमें मुगल और राजपूतानी वास्तुकला का मिश्रण देखने को मिलता है। अगर आप जयपुर आती हैं तो आप यहां खड़े होकर पूरे सिटी का एक बेहतरीन व्यू (view) देख सकती हैं।

जयपुर कैसे जाएं? (How to visit Jaipur) :


जयपुर जाने के लिए आप डायरेक्ट जयपुर एयरपोर्ट (Airport) का टिकट (tickets) ले सकते हैं। अगर आप सड़क या रेल मार्ग से जयपुर आना चाहते हैं तो इसके लिए भी साधन मौजूद हैं। जयपुर हर मार्ग से देश के अन्य शहरों से भलीभांति जुड़ा हुआ है। आप आसानी से ट्रेन या बस से भी जयपुर आ सकते हैं।

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The Most Haunted Places in India

ऐसी जगह जो अपने खौफनाक किस्सों के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं और जिनका इतिहास आपको हैरान कर देगा(The Most Haunted Places in India)

Research By Sakshi Joshi/ Edited by Pardeep Kumar


वैसे तो भारत के हर शहर या हर गांव में कोई ना कोई कहानी या कहें भूतों की कहानियां काफी सुनाई पड़ती हैं। यहां किसी की खौफनाक मनगढ़ंत कहानियां मशहूर हो जाती है तो कुछ लोग इस बारे में बात करने से कतराते हैं, और कुछ साफ मुंह फेर के कह देते हैं कि भूत-वूत कुछ नहीं होता। पर आज भी देश भर में बहुत-सी ऐसी जगहें हैं जिनके इतिहास के पन्नों में लिखी कहानियां भयानक लगती हैं। हालांकि आज के समय इस विषय में बात करना काफी नॉर्मल है, या यूं कहें कि आज इन सब भूत-प्रेत की बातों में काफी कम लोग विश्वास करते हैं। लेकिन क्या आप वाकिफ हैं, भारत की कुछ ऐसी जगहों से जिनका इतिहास आपको इस विषय में सोचने पर मजबूर कर देगा। तो चलिए आज आपको रूबरू कराते हैं भारत की कुछ ऐसी हॉन्टेड जगहों से जिनसे जुड़ी दिलचस्प कहानियां आपको हैरान कर देंगी।(The Most Haunted Places in India)

भानगढ़ का किला,  Indian Ghost Town of Bhangarh

The Most Haunted Places in India

और इस लिस्ट में सबसे पहले नंबर पर है राजस्थान का भानगढ़ फोर्ट।अरावली की पहाड़ियों के बीच बसा भानगढ़ का किला अपने आप में बहुत लम्बा इतिहास समेटे हुए है। भानगढ़ का किला जयपुर और अलवर शहर के बीच सरिस्का से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस भव्य किले का निर्माण 17 वीं शताब्दी में राजा माधो सिंह, महान मुगल सेनापति, आमेर के मान सिंह के छोटे भाई द्वारा करवाया गया था। शाही महल के अलावा, भानगढ़ में 1720 तक 9,000 से अधिक घर थे जिसके बाद धीरे-धीरे ये आबादी में कम हो गई।

पूरी बस्ती के साथ भानगढ़ किला लगातार तीन किलेबंदी और पांच विशाल दरवाजों से सुरक्षित था। इस किले के परिसर के भीतर भव्य हवेलियों, मंदिरों और सुनसान बाजारों के अवशेष हैं, जो किले की विराटता और समृद्धता का संकेत देते हैं। यह जगह भूत प्रेत की वजह से ज्यादा जानी जाती है, भानगढ़ किला फिर भी अपने शांत वातावरण, सुंदर अरावली पर्वत के कारण पर्यटकों की भीड़ को आकर्षित करता है।


दिलचस्प कहानी : भानगढ़ किले को भारत में सबसे भूतिया स्थानों में से एक माना जाता है और इसे शापित कहा जाता है। किले से जुड़ी कई कहानियां हैं लेकिन दो ऐसी भी हैं जो स्थानीय आबादी के बीच काफी लोकप्रिय हैं। पहली कथा बाबा बालाऊ नाथ नाम के एक साधु की है। राजा माधो सिंह द्वारा भानगढ़ में एक किले का निर्माण करने का निर्णय लेने से बहुत पहले, यह क्षेत्र बाबा बालाऊ नाथ के लिए एक ध्यान स्थल था। साधु ने किले के निर्माण के लिए अपनी अनुमति इस शर्त पर दी थी कि किला या कोई भी इमारत उसके घर से ऊंची नहीं होनी चाहिए और यदि किसी संरचना की छाया उसके घर पर पड़ती है, तो इसका परिणाम किले का विनाश होगा। मगर कहा जाता है कि माधो सिंह के पोते अजब सिंह ने इस चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया और किले की ऊंचाई बहुत बढ़ा दी, जिसके परिणामस्वरूप साधु के घर पर छाया पड़ी, जिससे शहर का विनाश हुआ

ऐसी ही यहाँ के लोगों में बेहद प्रचलित एक दूसरी कहानी राजकुमारी रत्नावती से जुड़ी है, जो बहुत सुंदर थी और देश के शाही परिवारों के कई प्रेमी काले जादू में माहिर थे। एक जादूगर को राजकुमारी से प्यार हो गया। जैसे ही राजकुमारी एक दिन अपने दोस्तों के साथ खरीदारी करने गई, जादूगर ने उसे इत्र या कहें कि परफ्यूम खरीदते हुए देखा और इत्र को एक प्रेम दवाई से बदल दिया। हालाँकि, राजकुमारी को जादूगर की चाल का पता चला और उसने दवाई को पास के एक विशाल पत्थर पर फेंक दिया। इसके कारण वह विशाल पत्थर जादूगर की ओर लुढ़क गया और उसकी कुचलकर मौत हो गई। लेकिन मौत के मुंह में जाने से पहले, उसने शहर को यह कहते हुए शाप दिया कि इसे जल्द ही नष्ट कर दिया जाएगा और कोई भी इसके परिसर में नहीं रह पाएगा। बाद में आक्रमणकारी मुगल सेनाओं द्वारा राज्य को बर्खास्त कर दिया गया, जिससे किले के सभी निवासियों को राजकुमारी रत्नावती के साथ मार दिया गया।

जैसा कि इसे एक भूतिया स्थान माना जाता है, भानगढ़ का किला सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद पर्यटकों के लिए बंद रहता है।

भानगढ़ किले की ये कहानियां इसलिए भी और अधिक खौफनाक लगती हैं क्योंकि ASI यानी Archaeological Survey of India ने भानगढ़ के किले को भारत की सबसे डरावनी जगहों में सबसे ऊपर रखा है। बाकायदा यहाँ इस विषय में सूचना पट लगाया गया है जिसमें ये साफ़ दर्ज़ है कि सूर्योस्त के बाद यहाँ किसी भी व्यक्ति का आना वर्जित है।

अग्रसेन की बावली Agrasen ki Baoli,New Delhi

दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस में स्थित यह खूबसूरत अग्रसेन की बावली कब और किसके द्वारा बनाई गई इसका कोई स्पष्ट ऐतिहासिक रिकॉर्ड नहीं है। हालांकि कई इतिहासकारों का कहना है कि इसका निर्माण किसी और ने नहीं बल्कि अग्रोहा के महान राजा अग्रसेन द्वारा किया गया था। और फिर 14 वी शताब्दी में इसका पुनर्निर्माण तुगलक वंश या लोधी वंश के दिल्ली पर शासन के दौरान किया गया।

ऐसा कहा जाता है कि यहां पर कुएं के अंदर जानलेवा काला पानी है। यह आत्मघाती काला पानी लोगों को अपने वाश में कर लेता है। और इसके पास जाने पर यह लोगों को आत्महत्या करने पर मजबूर तक कर देता है। जैसे ही लोग सीढ़ियों से पानी की ओर जाते हैं, तो उन्हें ऐसा लगता है जैसे कोई अदृश्य शक्ति उन्हें अपनी ओर खींच रही है। ऐसी कितनी ही कहानियां इस बावड़ी के बारे में अच्छी खासी प्रसिद्ध हैं। और कहते हैं ना कि इन्ही कहानियों से भूतिया किरदार गढ़े जाते हैं और ऐसी पुराणी सुनसान जगह डरावनी बन जाती हैं।


लेकिन अग्रसेन की बावली को अक्सर दिल्ली की सबसे खूबसूरत जगहों में गिना जाता है। यह जगह फिल्म शूटिंग के लिए बॉलीवूड द्वारा बहुत पसंद की गई है। अग्रसेन की बावली को कई फिल्मों में दिखाया गया है और यह दिल्ली में प्रसिद्ध फिल्म शूटिंग स्थानों में से एक है

पुणे का शनिवारवाड़ा, Shaniwar Wada, Pune

भले ही देश में बहुत से लोग शनिवार वाड़ा (महल) के बारे में न जानते हो। पर घुम्मकड़ और खासकर मराठी लोग इसके बारे में बखूबी जानती हैं। शनिवार वाड़ा महाराष्ट्र के पुणे में स्थित है, जिसका निर्माण मराठा-पेशवा साम्राज्य को बुलंदियों पर ले जाने वाले बाजीराव पेशवा ने करवाया था। यह महल 1732 में यह पूरी तरह बनकर तैयार हो गया था। कहा जाता है कि उस समय इसे बनाने में करीब 16 हजार रुपये खर्च हुए थे। तब के समय में यह राशि बहुत अधिक थी।

उस समय इस महल में करीब 1000 लोग रहते थे। यह एक एतिहासिक महल है, जो कभी मराठा साम्राज्य की आन-बान और शान हुआ करता था, लेकिन आज से करीब 246 साल पहले इस महल में एक ऐसी घटना घटी थी, जिसकी गूंज आज भी सुनाई देती है।

जिसकी वजह से ही लोग इस महल को रहस्यमय मानते हैं। कहते हैं कि इसी महल में 30 अगस्त 1773 की रात 18 साल के नारायण राव की हत्या कर दी गई थी, जो मराठा साम्राज्य के नौवें पेशवा बने थे। कहा जाता है कि उनके चाचा ने ही उनकी हत्या करवाई थी। आस-पास के लोगों का कहना है कि आज भी अमावस्या की रात महल से किसी की दर्द भरी आवाज सुनाई देती है, जो बचाओ-बचाओ चिल्लाती है और यही कहानी इस जगह को डरावना बनाने के काफी है। आज भी लोग शाम के समय इस महल के आस पास से गुजरना भी नहीं चाहते।

जैसलमेर का कुलधरा गांव, The Ghost Village

बहुत सी जगह हैं जो अपने रहस्यमयी कारणों के चलते चर्चाओं में बनी रहती हैं। ऐसी ही जगहों में से एक है जैसलमेर का कुलधरा गांव। कहा जाता पिछले सैंकड़ों सालों से यह जगह शापित है। पर सवाल ये है कि ऐसा क्या हुआ था इधर कि सिर्फ एक रात में यहां लगभग 600 घरों के लोग गायब हो गए। करीब 200 साल से यह गांव सुनसान, उजाड़ और खाली पड़ा है। जबकि एक समय में यह काफी सुन्दर और सभी सुख सुविधाओं से भरपूर था। यहां के लोकल लोगों का कहना है कि यहां रात में कभी चूड़ियों के खनकने की आवाज आती है तो कभी किसी बच्चे के रोने की। इसलिए शाम को ६ बजे के यहाँ प्रवेश करने की सख्त मनाही है।

ऐसा माना जाता है कि इस गांव को साल 1300 में पालीवाल ब्राह्मण समाज ने सरस्वती नदी के किनारे इस गांव को बसाया था। किसी समय इस गांव में काफी चहल-पहल रहा करती थी। लेकिन आज यहां कोई इंसान भटकने से भी डरता है और 200 सालों से इस जगह पर फिर कभी कोई बसने नहीं आया।


कहा जाता है कि 1800 के दशक में, गांव मंत्री सलीम सिंह के अधीन एक जागीर या राज्य हुआ करता था, जो कर इख्ठा करके लोगों के साथ विश्वासघात किया करता था। ग्रामीणों पर लगाए जाने वाले कर की वजह से यहां के लोग बेहद परेशान रहते थे। ऐसा कहा जाता है कि सलीम सिंह को ग्राम प्रधान की बेटी पसंद आ गई और उन्होंने गांव वालों को इस पर धमकी दे डाली कि अगर उन्होंने इस बात का विरोध करने की कोशिश की या रस्ते में आए, तो वह और कर वसूल करने लगेगा। अपने गांव वालों की जान बचाने के साथ-साथ अपनी बेटी की इज्जत बचाने के लिए मुखिया समेत पूरा गांव रातों-रात फरार हो गया। गांव वाले गांव को वीरान छोड़कर किसी दूसरी जगह पर चले गए। ऐसा कहा जाता है कि गांव वालों ने जाते समय गांव को ये श्राप दिया था कि यहां आने वाले दिनों में कोई नहीं रह पाएगा। कहते हैं उस श्राप की वजह से उसके बाद यहाँ कभी कोई बस नहीं पाया।


कुलधरा गांव में आप रोजाना सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक घूमना-फिरना कर सकते हैं। ये जगह भूतिया मानी जाती है, इसलिए स्थानीय लोग सूर्यास्त के बाद द्वार बंद कर देते हैं।

दिल्ली कैंट , Delhi Cant, New Delhi

एक ऐसी खौफनाक जगह जहां शाम होने के बाद एक परिंदा भी पर नहीं मार सकता। दिल्ली कैंट इस इलाके में चारों तरफ आर्मी छावनियां है, पर यह रास्ता बिलकुल सुनसान है।

कहा जाता है कि रात में अगर यहां से कोई भी गाड़ी गुज़रती है तो एक औरत सफ़ेद लिबास में आपसे लिफ्ट मांगती है। और गाड़ी न रोकने पर उलटी रफ़्तार में गाड़ी के पीछे भागती है। जिसकी गति गाडी जितनी होती है। आपको बता दें कि सफ़ेद लिबास वाली महिला को देखने की पुष्टि कई लोगों ने की है। हालांकि किसी इंसान को नुक्सान पहुंचाने की कोई खबर नहीं आई है।The Most Haunted Places in India

ऐसी एकांत और सुनसान जगहों के पीछे ऐसी ही ना जाने कितनी कहानियां होती हैं जो इन्हें खौफनाक बनाती हैं। दरअसल कहानियां चाहे कुछ भी हो लेकिन ये सभी जगह बेहद खौफनाक मानी जाती हैं। और शाम ढलने के बाद लोग ऐसी जगहों पर जाने से बचते हैं।

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Sunder Nursery: The Best Picnic spot in Delhi

शहरों के लोगों को अगर किसी चीज़ की कमी सबसे ज्यादा खलती है, तो वो है “प्राकृतिक सौंदर्य”। और दिल्ली में अगर आप ऐसी ही किसी जगह की तलाश में हैं तो आज आपकी तलाश मुकम्मल हो जाएगी। क्योंकि फाइव कलर्स ऑफ़ ट्रेवल के आज के इस ब्लॉग में हम आपको एक ऐसी ही जगह की जानकारी दे रहे हैं, जोकि नाम से ही सुन्दर है जिसका नाम है “सुन्दर नर्सरी”। Sunder Nursery: The Best Picnic spot in Delhi

Not a garden only, but “A Best Picnic Spot” as well :
हुमायूँ टॉम्ब के सामने स्थित यह नर्सरी एक नर्सरी के साथ-साथ बायो-डाइवर्सिटी पार्क, एक ऐतिहासिक विरासत और एक गार्डन भी है। जहां आप 40 रुपए टिकट देकर प्रवेश कर सकते हैं।

नाम से समझ आता है कि यह सिर्फ एक गार्डन है। पर अंदर जाने पर आपको कुछ अलग ही माहौल देखने को मिलेगा। परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताने, दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने और नेचर के करीब जाने के लिए यह जगह बिलकुल परफेक्ट है

Short History

टाइम्स मैगज़ीन ने 2018 के अपने सर्वे में सुन्दर नर्सरी को 100 सर्वश्रेष्ठ घूमने लायक जगहों में शामिल किया था। इस नर्सरी का ज़र्रा-ज़र्रा इसके बदलाव की तस्वीरों की गवाही देता है। दरअसल यह जगह लगभग पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी थी। अर्कोलॉजिकल डिपार्टमेंट के मार्ग दर्शन से इस जगह का पुनर्निर्माण शुरू किया गया। आज यह नर्सरी देखने के लिहाज़ से काफी सुन्दर है।

मुग़ल आर्किटेक्चर और बाग़-बगीचों से सजी ये नर्सरी लगभग 90 एकड़ में फैली हुई है। आप जब भी यहां आएं तो इस बात को ध्यान में जरूर रख लें कि खूब सारा पैदल चलना पड़ेगा, तभी इसकी नायाब खूबसूरती का आप दीदार कर पाएंगे

Best Place for Photoshoot or Videography

एंट्री करते ही सबसे पहले आपको एक मकबरा नज़र आएगा, जिसका नाम सुन्दर बुर्ज़ है। इस मकबरे की अंदरूनी खूबसूरती का बखान करना मुश्किल है। 13वी सदी की इस मुग़ल कालीन ईमारत के अंदरूनी हिस्से में सफ़ेद चूना पत्थर से सजावट की गई है। पूरा मकबरा कुरान की आयतों से सजा हुआ है।

इस बेहतरीन मकबरे के दीदार से सफर की शुरुआत ही काफी शानदार और खूबसूरत होती है। ख़ास बात तो यह है कि यहां आपको जगह-जगह पर इस पूरी नर्सरी की बदलती तस्वीरों को दिखाया गया है। जो इस खूबसूरत क्षेत्र की हर कहानी को दिखने के लिए जरुरी भी है। चलते-चलते झील के सुन्दर नज़ारे भी आराम से देखने को मिलते हैं। यकीन मानिये ऐसी खूबसूरत जगह से कोई दिल लगाए बिना तो रह ही नहीं सकता। इस नर्सरी के अंदर आगे चलकर आपको एक और ईमारत दिखाई देगी। जो है 16वी सदी का लक्कड़ वाला बुर्ज़।

बुर्ज़ की ख़ास बात यह है कि इसे 2017 में इसकी बनावटी खूबसूरती को देखते हुए विश्वविरासत घोषित कर दिया गया। यह पूरी नर्सरी अलग-अलग खूबसूरत फूलों से सुसज्जित है। इसके अलावा यहाँ आपको जगह-जगह पेड़ों की अलग-अलग प्रजातियां देखने को मिलेंगी। हर पेड़ पर उसका नाम देख कर उसकी प्रजाति का पता आप आसानी से लगा सकते हैं। साथ ही साथ यहाँ पक्षियों की भी लगभग 80 प्रजातियां संरक्षित हैं। घूमते हुए रस्ते में आपको तरह-तरह के पक्षियों की आवाजें सुनाई देंगी

Something Special about Sunder Nursery

यहाँ की एक और खास बात यह है कि इस खूबसूरत जगह में बांस के पेड़ों की ओट में ठीक झील के सामने आपको एक कैफ़े भी मिल जायेगा। जिससे आपकी पिकनिक या फिर आपका दिन और भी लाजवाब हो जायेगा। सोच के देखिये कुदरत की गोद में बैठ कर लंच करने का मज़ा कैसा होगा। इसकी दूसरी तरफ ठीक सामने फूलों से भरी रंगीन नर्सरी भी है। ऐसे में प्रेमी जोड़ों के हँसते-खिलखिलाते चेहरे किसी का भी दिन मुकम्मल कर दें।

यहाँ जगह-जगह बच्चों के लिए झूलों की व्यवस्था भी की गई है। न केवल युवाओं बल्कि बच्चों और परिवार वालों के लिए भी यह जगह एक बेस्ट पिकनिक स्पॉट है। जगह-जगह बेहद तरतीब से बने गार्डन और मकबरें आपको यहाँ बार बार आने के लिए मजबूर कर देंगे। इसके अलावा इसके अंदर एक भूमिगत रंगमंच भी है जिसका इस्तेमाल सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए किया जाता है।
सुन्दर नर्सरी न सिर्फ बच्चों, एडल्ट्स बल्कि पूरे परिवार सभी के लिए एक बेस्ट स्पॉट माना जाता है।

Timing or nearest Metro Station

यह सुबह 7 बजे से शाम 10 बजे तक खुला रहता है। जिसमें लास्ट एंट्री 9:30 PM है। इसका नेअरेस्ट मेट्रो स्टेशन जे एल एन या फिर लाजपत नगर है।

Sunder Nursery: The Best Picnic spot in Delhi