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आईआरसीटीसी के इस पैकेज से कीजिए कुर्ग, मैसूर, ऊटी और बैंगलोर की यात्रा

  • इस टूर का नाम है ‘ज्वेल्स ऑफ साउथ इंडिया’ (JEWELS OF SOUTH INDIA)।
  • यह पैकेज सात दिनों और छह रातों का होगा।
  • इस पैकेज के तहत आप कूर्ग, मैसूर, ऊटी और बेंगलुरु की यात्रा करेंगे।
  • इस टूर की शुरुआत 25 नवंबर 2023 और 9 दिसंबर 2023 को होगी।
  • इस यात्रा के पहले दिन आप दिल्ली से बंगलुरु की ओर रवाना होंगे।
  • इस यात्रा के अंतिम दिन आप कोयंबटूर से दिल्ली वापस आएंगे।

कुछ ऐसा होगा आपका टूर प्लानर (Your tour planner will be something like this)

पहला दिन
पहले दिन आप दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Indira Gandhi International Airport) से बंगलुरु के लिए उड़ान भरेंगे। बंगलुरु के केंपेगौडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Kempegowda International Airport) पहुंचकर मैसूर (Mysore) की ओर प्रस्थान करेंगे। मैसूर जाने के मार्ग में श्रीरंगपट्ट्नम (Srirangapatna) का दौरा करेंगे। मैसूर पहुंचकर होटल में चेक इन करेंगे। रात्रि भोजन और विश्राम होटल में ही करेंगे।

दूसरा दिन
अगले दिन आप नाश्ता करने के बाद मैसूर के दर्शनीय स्थलों का दौरा करेंगे। मैसूर के दर्शनीय स्थलों में मैसूर पैलेस (Mysore Palace), सैंट फिलोमिना चर्च (St. Philomena Church) और मैसूर जू (Mysore Zoo) प्रमुख है। शाम में बृंदावन गार्डन (Brindavan Garden) की ओर रवाना हो जाएंगे। बृंदावन गार्डन अपने म्यूजिकल फाउंटेन (Musical Fountain) और लाइट शो (Light Show) के लिए प्रसिद्ध है। रात तक होटल वापस आ जाएंगे। भोजन करके आराम करेंगे।

तीसरा दिन
तीसरे दिन आप सुबह-सुबह चामुंडी हिल्स (Chamundi Hills) का दौरा करेंगे। होटल वापस आकर नाश्ता करेंगे। नाश्ता करने के बाद होटल से चेकआउट करेंगे। होटल छोड़कर कुर्ग (Coorg) की ओर प्रस्थान करेंगे। रास्ते में स्वर्ण मंदिर (Golden Temple), कावेरी निसर्गधाम (Cauvery Nisargadhama), दुबारे एलिफेंट कैम्प (Dubare Elephant Camp) का भ्रमण करेंगे। कुर्ग में होटल में चेक इन करेंगे। रात्रि भोजन और विश्राम होटल में ही करेंगे।

चौथा दिन
अगले दिन सुबह नाश्ता करके ताला कावेरी (Tala Kaveri) और बागमंडला (Bagmandla) का दौरा करेंगे। इसके बाद अब्बे फॉल्स (Abbey Falls), राजा सीट (Raja’s Seat) और ओंकारेश्वर मंदिर (Omkareshwar Temple) भ्रमण करने जाएंगे। शाम में होटल वापस आकर रात्रि भोजन और विश्राम करेंगे।

पांचवा दिन
पांचवे दिन नाश्ता करके होटल से चेकआउट करेंगे। होटल छोड़ने के बाद ऊटी के लिए प्रस्थान करेंगे। रास्ते में पायकारा फाल्स (Pykara Falls) और पाइन ट्री फॉरेस्ट (Pine Tree Forest) घूमेंगे। ऊटी पहुंचकर होटल में चेक इन करेंगे। होटल में फ्रेश होने के बाद ऊटी में बोटैनिकल गार्डन घूमने जायेंगे। रात्रि भोजन और विश्राम ऊटी में ही करेंगे।

छठा दिन
अगले दिन सुबह नाश्ते के बाद आप ऊटी लेक (Ooty Lake) रोज गार्डन (Rose Garden) टी म्यूजियम (Tea Museum) का दौरा करेंगे। शाम में डोडाबेटा पीक (Dodabetta Peak) घूमने जाएंगे। होटल वापस आकर डिनर करेंगे और विश्राम करेंगे।

सातवा दिन
अंतिम दिन नाश्ता कर होटल से चेकआउट करेंगे। होटल छोड़ने के के बाद कोयंबटूर एयरपोर्ट (Coimbatore Airport) के लिए प्रस्थान करेंगे। रास्ते में, आदियोगी शिवा टेम्पल (Adiyogi Shiva Temple) के दर्शन करेंगे। एयरपोर्ट पहुंचकर दिल्ली के लिए उड़ान भरेंगे। दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरकर आपकी यात्रा सुखद यादों के साथ समाप्त हो जाएगी।

बजट (25 नवंबर 2023)

अगर बात करें इस पैकेज के बजट की है तो, सिंगल ऑक्यूपेंसी पर ₹53180, डबल ऑक्यूपेंसी पर ₹41710 और ट्रिपल ऑक्यूपेंसी पर 40380 रुपए आपको भुगतान करना होगा। वही चाइल्ड विथ बेड में ₹36470, वही चाइल्ड विथाउट बेड में ₹35090 और छोटे बच्चो के लिए 26860 रुपए पे करने होंगे।

बजट (9 दिसंबर 2023)

अगर बात करें इस पैकेज के बजट की है तो, सिंगल ऑक्यूपेंसी पर ₹52610, डबल ऑक्यूपेंसी पर ₹42690 और ट्रिपल ऑक्यूपेंसी पर 41090 रुपए आपको भुगतान करना होगा। वही चाइल्ड विथ बेड में ₹37890, वही चाइल्ड विथाउट बेड में ₹35270 और चाइल्ड विथाउट बेड में छोटे बच्चो के लिए 27410 रुपए पे करने होंगे।

इस पैकेज में क्या शामिल है (What is included in this package)?

  • आपको जाते वक्त दिल्ली से बैंगलोर और वापसी के समय कोयंबटूर से दिल्ली के लिए हवाई टिकटें मिलेंगी।
  • आप सभी दर्शनीय स्थलों का दौरा एसी वाहन से करेंगे।
  • आपको यात्रा कार्यक्रम के अनुसार प्रवेश टिकट मिलेगा।
  • आप इस यात्रा के दौरान मैसूर में AC रूम में बिताएंगे।
  • आप इस यात्रा के दौरान ऊटी और कूर्ग में नॉन AC रूम में बिताएंगे।
  • आपको ‘पर पर्सन वन बोतल’ (ऊटी को छोड़कर) हर दिन दिया जायेगा।
  • इस पैकेज के दौरान आपको छह बार सुबह का नाश्ता और छह बार रात का खाना मिलेगा।
  • इस पैकेज में आपको यात्रा बीमा भी मिलेगा।
  • उपरोक्त सेवाओं के लिए जीएसटी लागू होगा।

इस पैकेज में क्या शामिल नहीं है (What is not included in this package)?

  • आप किसी भी प्रकार की स्थानीय परिवहन का उपयोग करते हैं तो उसके लिए आपको पे करना होगा।
  • आपको दर्शनीय स्थलों के टिकट खुद खरीदने होंगे।
  • आपको सुबह की चाय, शाम की चाय और दोपहर का खाना नहीं मिलेगा।
  • अगर किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत खर्च जैसे कपड़े धोने का खर्च, शराब, मिनरल वाटर, टिप, भोजन या फिर पेय पदार्थ का उपयोग करते हैं तो उसके लिए आपको पे करना होगा।
  • इस टूर पैकेज के दौरान आपको फोटो खिंचवाने, अतिरिक्त भोजन, आदि के लिए आपको पे करना होगा।
  • कोई भी सेवाएं जो इन्क्लूजन में निर्देशित नहीं है तो वे सेवाएं आपको नहीं मिलेंगी।
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अमृतसर के बेस्ट टूरिस्ट प्लेस

अमृतसर– इस शहर का नाम सुनते हीं हमारे मन में कई तरह की भावनाएं जन्म लेती हैं। इस शहर के मायने सभी के लिए अलग-अलग हैं। किसी के लिए यह सिख धर्म का सबसे पवित्र स्थान है, तो किसी के लिए यह स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का सबसे दर्दनाक आहुति देने वाला शहर है। नजरिया भले हीं अलग हो इस शहर के लिए सम्मान सभी के दिलों में एक बराबर हीं है।

आज के युग में हम आपको पंजाब के इस पवित्र शहर की सैर करवाने वाले हैं और बताने वाले हैं इस शहर से जुड़े मुख्य पर्यटन स्थलों के बारे में

  • पार्टीशन म्यूजियम (Partition Museum)
  • वाघा बॉर्डर (Wagah Border)
  • जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh)
  • स्वर्ण मंदिर (Golden Temple)
  • महाराजा रणजीत सिंह म्यूजियम (Maharaja Ranjit Singh Museum)

1. पार्टीशन म्यूजियम (Partition Museum)

पंजाब के अमृतसर शहर में पार्टीशन म्यूजियम के नाम का एक बहुत बड़ा संग्रहालय है। जो भारत-पाकिस्तान के विभाजन के कहानी को बखूबी बयां करता है। आप यहां जाकर उस समय के हालातों और फैसलों के बारे में बहुत हीं डिटेल (detail) से जान सकते हैं। अगर आपको भी भारत पाकिस्तान के बंटवारे को जानने में रुचि है या फिर इतिहास में रुचि है तो आप इस जगह पर एक बार जरूर विजिट करें।
इस म्यूजियम में विभाजन के समय की कुछ नायाब तस्वीरें और आर्टिकल्स (articles) भी रखी गई है। जिसे देखकर यहां आने वाले पर्यटक उसे समय के हालातों को और भी ज्यादा करीब से महसूस कर सकते हैं। यह जगह अमृतसर के हेरिटेज स्ट्रीट (heritage street) का भी हिस्सा है। अगर आप भी कभी अमृतसर आएं तो इस म्यूजियम को एक बार जरूर एक्सप्लोर (explore) करें। इससे आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

2. वाघा बॉर्डर (Wagah Border)

वाघा बॉर्डर को अगर भारत का सबसे चर्चित इंडो पाकिस्तान बॉर्डर कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा। इसका एक कारण यह भी है कि वाघा बॉर्डर भारत-पाकिस्तान के बीच की एकमात्र सड़क सीमा रेखा है। हम कह सकते हैं कि जमीन के रास्ते भारत से पाकिस्तान जाने के लिए एकमात्र रास्ता वाघा बॉर्डर हीं है। इसे अटारी वाघा बॉर्डर के नाम से भी जाना जाता है। यह बॉर्डर पंजाब के अमृतसर और पाकिस्तान के लाहौर के बीच एक सैनिकों की चौकी की तरह स्थित है। अमृतसर शहर से इस बॉर्डर की दूरी तकरीबन 28 किलोमीटर और लाहौर से इसकी दूरी लगभग 22 किलोमीटर है। अटारी वाघा बॉर्डर पर हर रोज “लोवेरिंग ऑफ़ द फ्लैग सेरेमनी” (Lowering of the Flag Ceremony) आयोजित किया जाता है जहां दोनों देशों की सेनाओं का बहुत हीं बेहतरीन कोलैबरेशन (collaboration) देखने को मिलता है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। वाघा बॉर्डर पर स्थित सीमा चौकी के प्रवेश द्वार को स्वर्ण जयंती गेट कहते हैं। अगर आप भी कभी अमृतसर जाए या फिर आप अमृतसर के ही निवासी हैं तो वाघा बॉर्डर जरुर विजिट (visit) करें। यह एक्सपीरियंस (experience) आपके लिए कुछ अलग होगा।

3. जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh)

इस बाग की कहानी किसे नहीं पता? जिसने भी इस बाग की कहानी को सुना, वो रो पड़ा है और जिसने समझा है, वह एक बार के लिए जरूर भावुक हो जाता है। यह वहीं बाग है जहां भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास की सबसे बड़ी आहुति दी गई थी। जिसके निशानियां को आज भी इस बाग में संजोकर रखा गया है।

अगर बात करें इस बाग के इतिहास की तो 13 अप्रैल 1919 को इस बाग में एक शांतिपूर्ण सभा बुलाई गई थी। जो रॉलेट एक्ट के विरोध में थी। जलियांवाला बाग से निकलने का सिर्फ एक रास्ता था। जनरल डायर ने उसे रास्ते को ब्लॉक (block) करते हुए हजारों की भीड़ पर अंधाधुंध गोलियां चलाने का आदेश दे दिया। जिन गोलियों के निशान आज भी यहां की दीवारों में देखे जा सकते हैं। आज के समय में इस बाग को एक स्मारक के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। जहां दूर-दूर से पर्यटक घूमने आते हैं और भारत के इतिहास को जानने और समझने का प्रयास करते है।

4. स्वर्ण मंदिर (Golden Temple)

गोल्डन टेंपल अमृतसर हीं नहीं बल्कि पूरे देश के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में माना जाता है। सिख समुदाय के लोगों के लिए यह गुरुद्वारा बहुत ही विशेष महत्व रखने वाला गुरुद्वारा है। लेकिन यहां हर धर्म के लोग घूमने के लिए आते हैं और हर साल यहां के पर्यटकों की संख्या लाखों में होती है। इस गुरुद्वारे का निर्माण 16वीं शताब्दी में सिखों के पांचवे गुरु अर्जुन देव सिंह जी ने करवाया था। बाद में 19वीं शताब्दी में महाराजा रणजीत सिंह जी ने इस गुरुद्वारे के छत को 400 किलो सोने से जड़ दिया था। तब से यह स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस गुरुद्वारे की बनावट जितनी खूबसूरत है, यहां का माहौल भी उतना ही ज्यादा शांत और सुकून देने वाला है। स्वर्ण मंदिर को सफेद संगमरमर से बनाया गया है और इसे हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है।

5. महाराजा रणजीत सिंह म्यूजियम (Maharaja Ranjit Singh Museum)

महाराजा रंजित सिंह म्यूजियम अमृतसर के रामबाग में मौजूद है। जहां पर गर्मियों के समय में महाराज और उनका परिवार अपना वक्त बिताया करते थे। वर्तमान में इस ऐतिहासिक स्थल को एक म्यूजियम में परिवर्तित कर दिया गया है। पर्यटक यहां पर कई ऐतिहासिक चित्रों, सिक्कों और युद्ध के शस्त्रों को देख सकते हैं और उनके बारे में जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत में कोहिनूर हीरा का एक प्रतिरूप भी है। जिसे इसी म्यूजियम में संजोकर रखा गया है। इस हीरे का नाम परीक परवाना है। जो इस जगह का सेंटर आफ अट्रैक्शन (centre of attraction) माना जाता है।

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Amritsar- आस्था और सुकून का शहर

मुझे जब भी अपने व्यस्त शेड्यूल में या रोज़मर्रा की ज़िंदगी में थोड़े सुकून के पल चाहिए होते हैं तब अनायास ही यात्रा का ख्याल आता है। जब कभी ऐसा लगता है कि इस तनावपूर्ण और भागदौड़ भरी ज़िंदगी से थोड़ी निजात चाहिए तब मेरे पास अंतिम विकल्प यात्रा का ही बचता है। इस बार कार्यक्रम बना अमृतसर का। वो भी प्रसिद्ध त्यौहार बैसाखी के अगले दिन।

स्टेशन से उतरते ही फ्री बस

बैसाखी के त्यौहार की शुरुआत भारत के पंजाब राज्य से ही हुई है और इसे रबी की फसल की कटाई शुरू होने की ख़ुशी के रूप में मनाया जाता है। बैसाखी के दिन गोल्डन टेम्पल को जगमगाती लाइटों से सजाया जाता है। देश भर से सिख श्रद्धालु इस दिन अमृतसर पहुँचते हैं। बैसाखी से अगले दिन जाने का फायदा ये हुआ कि भीड़ इतनी नहीं थी। वैसे अमृतसर घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च ही रहता है। हम हिसार से अमृतसर ट्रैन से पहुंचे। स्टेशन से उतरते ही बाहर फ्री बस सेवा का भी इंतेज़ाम रहता है जो ‘सतनाम वाहेगुरु’ के जयकारें लगाते हुए सीधे गोल्डन टेम्पल ले जाती है। गुरूद्वारे पहुँचते-पहुँचते रात के 11 बज चुके थे। हमनें अंदर परिसर में ही स्थित गंगा निवास में वातानुकूलित रूम बुक करवाया था। भले ही अप्रैल के महीने में ठीक-ठाक गर्मी होती है पर अंदर परिसर में ठंडक थी। थोड़ा आराम करने के बाद जैसे ही हमनें हरमंदिर साहिब में कदम रखा एक हमें अलग ही वातावरण की अनुभूति हुई। और लगा जैसे यहाँ आना पूरी तरह सार्थक हो गया। मेन हाल में दर्शन के लिए लम्बी-लम्बी लाइनें लगी हुयी थी। सुबह तड़के पालकी के दर्शन किये। दर्शन के लिए भले ही भीड़ कितनी ही क्यों न हो पर थकान जरा-सी भी नहीं होती, बस यही खासियत है यहाँ की।

परमात्मा एक है और वो सब जगह मौज़ूद है।
एक औंकार, सतनाम करता पुरख निरभउ निरवैर…...

गोल्डन टेम्पल में दिन रात शब्द कीर्तन और गुरुबाणी चलती रहती है जो दुनिया की भाग दौड़ से थके हारे मन को रूहानी सुकून देती है

अद्भुत और अलौकिक गुरुद्वारा

Golden Temple, Amritsar, Sri Harmandir Sahib

स्वर्ण मंदिर में प्रवेश के लिए चार द्वार है जो इस बात के प्रतीक हैं की यहाँ के दरवाज़े हर धर्म के लोगो के लिए खुले हैं। रात में जगमगाती रौशनी में संगमरमर और सोने के आवरण से बना यह गुरुद्वारा अद्भुत और अलौकिक लगता है

Golden Temple, Amritsar, Sri Harmandir Sahib

दुनिया की सबसे बड़ी रसोई

अंदर परिसर में ही दुनिया की सबसे बड़ी रसोई में से एक गुरु के लंगर में रोज़ाना हज़ारों लोग प्रशाद रूप में भोजन ग्रहण करते है। इतनी बेहतरीन व्यवस्था, इतना स्वाद और इतना अपनापन। सच में अद्भुत। इसी कारण कहते हैं अमृतसर में कोई भूखा नहीं सोता।

Golden Temple, Amritsar, Sri Harmandir Sahib

पवित्र जल के तालाब के बीचों-बीच गुरुद्वारा साहिब है व चारों तरफ बड़ा-सा प्रांगण है। जहाँ आपको सैंकड़ों श्रद्धालु सिमरन करते मिल जायेंगे। गुरूद्वारे में एक भव्य म्यूजियम भी है जहां सिख धर्म से जुडी ऐतिहासिक चीज़ें रखी गयी है।

Golden Temple, Amritsar, Sri Harmandir Sahib

गुरुओं की देन- अमृतसर शहर

वैसे तो अमृतसर को देश विदेश में सब जानते हैं लेकिन दरबार साहिब (गोल्डन टेम्पल ) इस शहर की लाइफ लाइन है। पूरा अमृतसर शहर गोल्डन टेम्पल के इर्द गिर्द ही बसा हुआ है। अमृतसर शहर गुरुओं की देन माना जाता है। चौथे गुरु रामदास जी ने पांच सौ बीघा जमीन लेकर यह शहर बसाया था। तभी इसका नाम पड़ा रामदासपुर। महाराज रंजीत सिंह ने हरमिंदर साहिब पर उन्नीसवीं शताब्दी में सोने का आवरण चढ़वाया था और तब से अमृतसर को स्वर्ण नगरी भी कहा जाने लगा। एक शहर के तौर पर देखें तो यह सिर्फ अपने गुरुद्वारों के लिए प्रसिद्ध नहीं है बल्कि कौमी एकता का एक बेहतरीन उदाहरण भी है – यहाँ जहां एक तरफ बेहद खूबसूरत दुर्गियाना मंदिर है वहीँ आज़ादी की लड़ाई की गवाह दिल्ली की जामा मस्जिद जैसी दिखती खैरउद्दीन मस्जिद भी है। जहाँ हज़ारों लोग इबादत के लिए आते हैं।(Golden Temple, Amritsar)

Golden Temple, Amritsar, Sri Harmandir Sahib

वाघा बॉर्डर

अमृतसर शहर से 30-32 किलोमीटर एकऔर डेस्टिनेशन है वाघा बॉर्डर। यहाँ पर रोज़ शाम को दोनों देशों के सिपाहियों द्वारा बहुत ही जोशीले ढंग से अपने-अपने राष्ट्रीय ध्वज को वापिस उतरा जाता है। इस दौरान देशभक्ति का ऐसा रंग चढ़ जाता है जिसकी कल्पना करना भी सम्भव नहीं। यहाँ की ये जोशीली परेड देखने के लिए आपको समय से पहले ही जाना पड़ता है वरना भीड़ इतनी हो जाती है कि वहां पर खड़े होने की भी जगह नसीब नहीं होती।

Golden Temple, Amritsar, Sri Harmandir Sahib

जलियावालां बाग

अमृतसर में ही भारत की आज़ादी के इतिहास का साक्षी प्रसिद्ध जलियावालां बाग भी है। आज जलियावालां बाग एक पर्यटक स्थल बन गया है और रोजाना हजारों सैलानी इसे देखने आते हैं। यहाँ की दीवार पर आज भी उन गोलियों के निशान मौज़ूद हैं जो जनरल डायर ने निहत्थी भीड़ पर चलवाई थी जिसमे हज़ारों लोग मारे गए थे।

Golden Temple, Amritsar, Sri Harmandir Sahib

अमृतसर शहर के पुराने बाजार आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं जैसे किसी ज़माने में हुआ करते थे। आप शाम के समय पैदल ही बाजार की सैर पर निकल सकते हैं। भीड़-भाड़ वाले ये बाजार एक बार तो आपको चांदनी चौक की याद दिला देंगे। अगर आप खाने के शौकीन हैं तो अमृतसर आपके लिए किसी जन्नत से कम नहीं होगा। अमृतसर लस्सी, छोले भटूरे, राजमा चावल और पिन्नी का स्वाद पूरी दुनिया में मशहूर है। बात चाहे धार्मिक आस्था की हो, इतिहास की हो, संस्कृति की या फिर खानपान की, अमृतसर का कोई सानी नहीं।

by Pardeep Kumar
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Best Places to visit in Amritsar

अमृतसर- आस्था और सुकून का शहर

मुझे जब भी अपने व्यस्त शेड्यूल में या रोज़मर्रा की ज़िंदगी में थोड़े सुकून के पल चाहिए होते हैं तब अनायास ही यात्रा का ख्याल आता है। जब कभी ऐसा लगता है कि इस तनावपूर्ण और भागदौड़ भरी ज़िंदगी से थोड़ी निजात चाहिए तब मेरे पास अंतिम विकल्प यात्रा का ही बचता है। इस बार कार्यक्रम बना अमृतसर का। वो भी प्रसिद्ध त्यौहार बैसाखी के अगले दिन।

कैसे पहुंचे अमृतसर

बैसाखी के त्यौहार की शुरुआत भारत के पंजाब राज्य से ही हुई है और इसे रबी की फसल की कटाई शुरू होने की ख़ुशी के रूप में मनाया जाता है। बैसाखी के दिन गोल्डन टेम्पल को जगमगाती लाइटों से सजाया जाता है। देश भर से सिख श्रद्धालु इस दिन अमृतसर पहुँचते हैं। बैसाखी से अगले दिन जाने का फायदा ये हुआ कि भीड़ इतनी नहीं थी। वैसे अमृतसर घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च ही रहता है। हम हिसार से अमृतसर ट्रैन से पहुंचे। स्टेशन से उतरते ही बाहर फ्री बस सेवा का भी इंतेज़ाम रहता है जो ‘सतनाम वाहेगुरु’ के जयकारें लगाते हुए सीधे गोल्डन टेम्पल ले जाती है। गुरूद्वारे पहुँचते-पहुँचते रात के 11 बज चुके थे। हमनें अंदर परिसर में ही स्थित गंगा निवास में वातानुकूलित रूम बुक करवाया था। भले ही अप्रैल के महीने में ठीक-ठाक गर्मी होती है पर अंदर परिसर में ठंडक थी। थोड़ा आराम करने के बाद जैसे ही हमनें हरमंदिर साहिब में कदम रखा एक हमें अलग ही वातावरण की अनुभूति हुई। और लगा जैसे यहाँ आना पूरी तरह सार्थक हो गया। मेन हाल में दर्शन के लिए लम्बी-लम्बी लाइनें लगी हुयी थी। सुबह तड़के पालकी के दर्शन किये। दर्शन के लिए भले ही भीड़ कितनी ही क्यों न हो पर थकान जरा-सी भी नहीं होती, बस यही खासियत है यहाँ की।

परमात्मा एक है और वो सब जगह मौज़ूद है।
एक औंकार, सतनाम करता पुरख निरभउ निरवैर…...

गोल्डन टेम्पल में दिन रात शब्द कीर्तन और गुरुबाणी चलती रहती है जो दुनिया की भाग दौड़ से थके हारे मन को रूहानी सुकून देती है

अद्भुत और अलौकिक गुरुद्वारा

स्वर्ण मंदिर में प्रवेश के लिए चार द्वार है जो इस बात के प्रतीक हैं की यहाँ के दरवाज़े हर धर्म के लोगो के लिए खुले हैं। रात में जगमगाती रौशनी में संगमरमर और सोने के आवरण से बना यह गुरुद्वारा अद्भुत और अलौकिक लगता है।

अंदर परिसर में ही दुनिया की सबसे बड़ी रसोई में से एक गुरु के लंगर में रोज़ाना हज़ारों लोग प्रशाद रूप में भोजन ग्रहण करते है। इतनी बेहतरीन व्यवस्था, इतना स्वाद और इतना अपनापन। सच में अद्भुत। इसी कारण कहते हैं अमृतसर में कोई भूखा नहीं सोता। पवित्र जल के तालाब के बीचों-बीच गुरुद्वारा साहिब है व चारों तरफ बड़ा-सा प्रांगण है। जहाँ आपको सैंकड़ों श्रद्धालु सिमरन करते मिल जायेंगे। गुरूद्वारे में एक भव्य म्यूजियम भी है जहां सिख धर्म से जुडी ऐतिहासिक चीज़ें रखी गयी है।

गुरुओं की देन- अमृतसर शहर

वैसे तो अमृतसर को देश विदेश में सब जानते हैं लेकिन दरबार साहिब (गोल्डन टेम्पल ) इस शहर की लाइफ लाइन है। पूरा अमृतसर शहर गोल्डन टेम्पल के इर्द गिर्द ही बसा हुआ है। अमृतसर शहर गुरुओं की देन माना जाता है। चौथे गुरु रामदास जी ने पांच सौ बीघा जमीन लेकर यह शहर बसाया था। तभी इसका नाम पड़ा रामदासपुर। महाराज रंजीत सिंह ने हरमिंदर साहिब पर उन्नीसवीं शताब्दी में सोने का आवरण चढ़वाया था और तब से अमृतसर को स्वर्ण नगरी भी कहा जाने लगा। एक शहर के तौर पर देखें तो यह सिर्फ अपने गुरुद्वारों के लिए प्रसिद्ध नहीं है बल्कि कौमी एकता का एक बेहतरीन उदाहरण भी है – यहाँ जहां एक तरफ बेहद खूबसूरत दुर्गियाना मंदिर है वहीँ आज़ादी की लड़ाई की गवाह दिल्ली की जामा मस्जिद जैसी दिखती खैरउद्दीन मस्जिद भी है। जहाँ हज़ारों लोग इबादत के लिए आते हैं।(Golden Temple, Amritsar)

वाघा बॉर्डर

अमृतसर शहर से 30-32 किलोमीटर एकऔर डेस्टिनेशन है वाघा बॉर्डर। यहाँ पर रोज़ शाम को दोनों देशों के सिपाहियों द्वारा बहुत ही जोशीले ढंग से अपने-अपने राष्ट्रीय ध्वज को वापिस उतरा जाता है। इस दौरान देशभक्ति का ऐसा रंग चढ़ जाता है जिसकी कल्पना करना भी सम्भव नहीं। यहाँ की ये जोशीली परेड देखने के लिए आपको समय से पहले ही जाना पड़ता है वरना भीड़ इतनी हो जाती है कि वहां पर खड़े होने की भी जगह नसीब नहीं होती।

जलियावालां बाग

अमृतसर में ही भारत की आज़ादी के इतिहास का साक्षी प्रसिद्ध जलियावालां बाग भी है। आज जलियावालां बाग एक पर्यटक स्थल बन गया है और रोजाना हजारों सैलानी इसे देखने आते हैं। यहाँ की दीवार पर आज भी उन गोलियों के निशान मौज़ूद हैं जो जनरल डायर ने निहत्थी भीड़ पर चलवाई थी जिसमे हज़ारों लोग मारे गए थे।

अमृतसर शहर के पुराने बाजार आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं जैसे किसी ज़माने में हुआ करते थे। आप शाम के समय पैदल ही बाजार की सैर पर निकल सकते हैं। भीड़-भाड़ वाले ये बाजार एक बार तो आपको चांदनी चौक की याद दिला देंगे। अगर आप खाने के शौकीन हैं तो अमृतसर आपके लिए किसी जन्नत से कम नहीं होगा। अमृतसर लस्सी, छोले भटूरे, राजमा चावल और पिन्नी का स्वाद पूरी दुनिया में मशहूर है। बात चाहे धार्मिक आस्था की हो, इतिहास की हो, संस्कृति की या फिर खानपान की, अमृतसर का कोई सानी नहीं।

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