हिमाचल प्रदेश का राजगढ़ एक ऐसा टूरिस्ट प्लेस है जिसकी खूबसूरती यहां आने वाले टूरिस्ट्स को मंत्रमुग्ध कर देती है। नेचर लवर्स के लिए यह एक बेहतरीन जगह है। इस जगह का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां आकर आपको बिलकुल अलग ही अनुभव होगा।
दिल्ली से दूरी

हम सुबह करीब 5 बजे दिल्ली से रवाना हुए, और रास्ते का भरपूर आनंद लेते तकरीबन 4 बजे हम अपने डेस्टिनेशन राजगढ़ पहुंचे। राजगढ़ दिल्ली से लगभग 340 किलोमीटर दूर है।
गिरी नदी और सुनहरी शाम




शाम के समय पहाड़ों में एक अलग-सा रंगीन मिजाज रहता है, ढलते सूरज की हल्की-हल्की रोशनी मन को मोह लेती है। रिजॉर्ट पहुंच कर हमने कुछ देर आराम किया और फिर निकल पड़े सामने बहती नदी की और, जहां और भी फैमिलीज और टूरिस्ट हमें दिखाई दिए।

शाम के समय नदी किनारे बैठकर नेचर को निहारने का आनंद ही अदभुत है। शाम के समय पहाड़ों में एक अलग-सा रंगीन मिजाज रहता है, ढलते सूरज की हल्की-हल्की रोशनी मन को मोह लेती है। और पहाड़ों के ऐसे खूबसूरत नजारे देखने के बाद सफर की थकान छुमंतर हो जाती है। बस यही नजारें तो हम घुमक्कडों को पहाड़ों की और बार-बार खींच लाते हैं।

जैसे-जैसे रात होने लगी तो हम अपने रिजॉर्ट में वापस आ गए। हमें इंतज़ार था सुबह का, क्योंकि पहाड़ों में आकर भी सनराइज का आनंद नहीं लिया तो फिर यात्रा का कोई मज़ा नहीं। पहाड़ों के बीच से, बादलों से गुस्ताखी करते हुए सुबह-सुबह जब सूरज की किरणें आंखों में पड़ती हैं तो ऐसा लगता है, मानों आपका पूरा ट्रिप वसूल हो गया हो।

सनराइज के दीदार के बाद हम निकले मॉर्निंग वॉक पर, पहाड़ों में सुबह का मौसम मानों देखते ही बनता है। चारों तरफ सिर्फ शांति, पक्षियों की और नदी के बहते पानी की आवाज आपके मन को पॉजिटिव एनर्जी से भर देती है, जिससे आपका पूरा दिन खुशनुमा बीतता है। आप जब भी पहाड़ों में आएं तो ये अनुभव जरुर लेंं।

राजगढ़ का थान देवता मंदिर
रास्ते में हमें एक मंदिर दिखाई दिया। यह मंदिर यहां के स्थानीय लोगों में बहुत फेमस है, यहां सब इस मंदिर को थान देवता मंदिर के नाम से जानते हैं। यहां के लोगों की मान्यता है कि जो भी इस मंदिर में आकर पूजा करके थान यानी कपड़ा बांधकर मन्नत मांगता है तो उसकी मन्नत जरूर पूरी होती है। लोगों ने यहां बहुत सारे कपड़े बांधे हुए थे, जिससे इस मंदिर की शक्तियों का अंदाजा हो जाता है।
आपको उत्तराखंड और हिमाचल के गांवों में ऐसे छोटे-छोटे सिद्ध मंदिर बहुत दिखाई देंगे।



हमनें यहां के स्थानीय होटल व रिजॉर्ट से जुड़े हुए लोगो से रोजगार के मुददे पर बात की, कि किस तरह करोना के बाद यहां के रोजगार पर असर पड़ा।

मॉर्निंग वॉक के बाद हम अपने रिज़ॉर्ट पहुंचे और ब्रेकफास्ट करने के बाद हमने अपने शेड्यूल के अनुसार राजगढ़ हिल्स की एक बेहद फेमस और खूबसूरत जगह बारू साहिब गुरूद्वारे की ओर अपना रूख किया। राजगढ़ से बारू साहिब गुरूद्वारे तक की दूरी लगभग 25 km है।


राजगढ़ में एक लोकल मार्केट भी है, जहां आप अपनी जरूरत का सामान आसानी से खरीद सकतें हैं।

जब आप राजगढ़ सिटी से गुरुद्वारे की और जायेंगे तब आपको रास्ते में बेहद शानदार व्यूज देखने को मिलेंगे। खास बात यह कि यही देखने के लिए दूर-दूर से टूरिस्ट राजगढ़ हिल्स आते हैं। मानसून के मौसम में हरे भरे पहाड़ों के चारों और सफेद बादल उमड़ आते हैं, जिनको देखकर आपको लगेगा जैसे एक बार आप जन्नत में आ गए हों।

हमनें रास्ते में रूककर नेचर को बहुत ही करीब से महसूस किया। यह नजारा कभी न भूले जाने वाले नजारों में से एक था। आप जब यहां आएं तो आप भी इन व्यूज का भरपूर आनंद ले सकते हैं। कुछ देर यहां रूकने के बाद हमारी गाड़ी नागिन जैसे बलखाते रास्तों पर बादलों को चीरते हुए आगे बढ़ी।

पूरे रास्ते सड़क के साथ-साथ बहती गिरी नदी के पानी की मधुर आवाज एकदम मन को मोह रही थी। यक़ीनन यह खूबसूरत नज़ारे किस्मत वालों को मिलता है। कुछ समय बाद हम बारू साहिब गुरूद्वारे पहुंच गए। अंदर जाने के लिए यहां एंट्री बिलकुल फ्री है। और न ही यहां कार पार्किंग के लिए किसी तरह का चार्ज लिया जाता है। यह गुरूद्वारा सभी लोगों की आस्था का बहुत बड़ा प्रतीक माना जाता है।

बारू साहिब को लैंड ऑफ़ मैडिटेशन यानी तपोभूमि भी कहा जाता है। सन 1959 में संत तेजा सिंह ने 15-20 भक्तों के साथ मिटटी के झोपड़ी में अखंड पाठ किया। और यह भविष्यवाणी की थी कि यह स्थल आध्यात्मिक शिक्षा के रूप में विकसित होगा जहां उच्च गुणवत्ता वाली वैज्ञानिक शिक्षा होगी। जहां गुरु नानक जी के लिए दिलों में प्यार होगा। बारू साहिब सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी की यहां की यात्रा के कारण भी फेमस है।


यहां पर लंगर हर समय चलता है और बहुत सारे बच्चे यहां सेवा भी करते हैं और पढ़ते भी है। यहां एक अकाल अकादमी भी है, जहां बच्चों को पढाई के साथ-साथ होस्टल सुविधा भी दी जाती है। यहां पर पहले हमनें दर्शन किये, फिर कुछ देर बैठकर पाठ सुना, यक़ीनन मन को एकदम शांति का अहसास हुआ। आप जब भी राजगढ़ आए तो बारू साहिब गुरूद्वारे के दर्शन जरूर करें। यहां पर लंगर चख के हमनें वापस रिज़ॉर्ट की तरफ गाड़ी घूमा ली।
राजगढ़ की सड़कों पर है एक सुकून
रास्ते में हम एक पहाड़ी गांव में नेचर का आनंद लेने के लिए रुके तो हमें वहां एक महिला-मंडली स्वतंत्रता दिवस मनाती हुई दिखी, तो हमनें भी उनको ज्वाइन कर लिया और उनके साथ मिल कर हमारा राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस बड़े ही श्रद्धाभाव से मनाया। सभी ने देशभक्ति और पहाड़ी नाटी पर डांस किया, फ़ोटोज़ भी क्लिक करवाई। पहाड़ों और बादलों के बीच इस सेलिब्रेशन के यादगार क्षण अपनी यादों की किताब में इस तरह छप गए, जिनको कभी भूलाया नहीं जा सकता। हमनें वहां महिला-मंडल से बातचीत की और स्वतंत्रता दिवस को लेके उनके उत्साह के बारे में जाना।

इसके बाद हमने यहां से रवानगी की और बढ़ चले अपने डेस्टिनेशन की ओर।