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भारत के समृद्ध इतिहास के गवाह हैं नालंदा विश्वविद्यालय के ये खंडहर

अगर आप भी ऐतिहासिक धरोहरों (Historical monuments) को देखने और उनके इतिहास के बारे में समझने की चाहत रखते हैं तो, आपको बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय को देखना और समझना भी काफी पसंद आएगा। ऐसा विश्वविद्यालय जिसे पूरे दुनिया में ज्ञान का केंद्र माना जाता था, आज वह मात्र एक वर्ल्ड हेरिटेज साइट (World Heritage Site) के रूप में सिमट कर रह गया है। आइए जानते हैं इस विश्वविद्यालय के विनाश की कहानी और आप कैसे यहां घूमने जा सकते हैं इसके बारे में।
आइए जानते हैं नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में (Lets know about Nalanda University):-

किसने बनवाया ? who was the Founder of Nalanda University?
यह विश्वविद्यालय ना सिर्फ भारत बल्कि संपूर्ण संसार के प्राचीनतम विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है। इस विश्वविद्यालय का निर्माण गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त ने पांचवी सदी में करवाया गया था। बाद में कुमारगुप्त के उत्तराधिकारियों (successors) ने इसे सहेज कर रखा। गुप्त वंश के पतन (Downfall) के बाद आने वाले दूसरे शासकों ने भी इसके विकास में सहयोग दिया। इसे महान सम्राट हर्षवर्धन और पाल शासकों का भी संरक्षण (Protection) मिला।

  • विश्वविद्यालय का निर्माण मुख्यतः तीन राजाओं के द्वारा करवाया गया था। जिसमें पहले राजा थे कुमारगुप्त जिन्होंने इसकी पहली मंजिल का निर्माण करवाया था और इस विश्वविद्यालय की नींव (foundation) रखी थी। कुमारगुप्त एक महान शासक थे और उनका राज्य मगध कहलाता था। मगध की राजधानी राजगृह होती थी जो नालंदा विश्वविद्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। राजगृह आज के समय में राजगीर कहलाता है और बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थलों (major tourist destinations) में से एक है।
  • दूसरे थे कन्नौज के राजा हर्षवर्धन जिन्होंने सातवीं शताब्दी में इसकी दूसरी मंजिल का निर्माण करवाया और इसके बाद नालंदा विश्वविद्यालय पूरे दुनिया में प्रसिद्ध (Famous) हो गया।
  • इसके बाद तीसरे थे बंगाल के राजा देव पाल, जिन्होंने 9वीं शताब्दी में इसकी तीसरी मंजिल का निर्माण करवाया। जिसके बाद इस विश्वविद्यालय को दुनिया भर में और ज्यादा प्रसिद्धि (fame) मिल गई।

किसने खोजा? Discovery of Nalanda University

19वीं शताब्दी में एक अंग्रेज (Englishman) को नालंदा में पढ़ रहे एक चीनी यात्री की डायरी मिली। जब वह उस डायरी (diary) में लिखे पते पर पहुंचा तो वह चारों ओर वीरान खंडहर (deserted ruins) थे। वहाँ टहलते हुए अंग्रेज ने देखा कि वहां कुछ चौथी शताब्दी के बने ईट के अवशेष हैं। फिर उसने हल्के हाथों से उस जगह को कुरेद (scrape) कर देखा तो उसे एक के बाद एक सजी हुई ईटों की श्रंखला (series) दिखाई दिया। उसके बाद उसने हीं वहां की खुदाई (digging) प्रारंभ करवाई और इस प्रकार खोज हुआ विश्व के प्राचीनतम विश्वविद्यालय, नालंदा विश्वविद्यालय की।

19वीं सदी में नालंदा विश्वविद्यालय की खुदाई के समय सिर्फ 5% भाग हीं खुदाई करके बाहर निकाला गया। फिर इसकी खुदाई का काम रोक दिया गया। लेकिन नरेंद्र मोदी की गवर्नमेंट (Goverment) के नेतृत्व में 2016 में इसकी खुदाई और पुनरुद्धार (Restoration) का काम प्रारंभ किया गया। आज के समय में नालंदा विश्वविद्यालय भारत के प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों में से एक है। यूनेस्को (UNESCO) ने भी इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट के रूप में मान्यता दी है।

नालंदा विश्वविद्यालय में 1500 से अधिक शिक्षक थे और 10,000 से अधिक छात्र पढाई किया करते थे। यहां विश्व के कोने-कोने से विद्यार्थी पढ़ने आते थे।
यहां छात्रों के रहने के लिए 300 से अधिक कमरे बने हुए थे। सभी कमरे में रोशनी की व्यवस्था थी। विद्यालय के परिसर में जगह जगह पढ़ने का स्थान, प्रार्थना का प्रांगण (prayer hall) और स्टडी हॉल (study hall) बने हुए थे। एक कमरे में एक या एक से अधिक छात्रों के रहने की व्यवस्था थी।
इन कमरों का प्रबंधन (management) संस्थानों और छात्र संगठनों (Institutions and student organizations) के द्वारा संभाला जाता था।

नालंदा विश्वविद्यालय के नजदीक हीं एक म्यूजियम बनवाया गया है। यहां पर नालंदा विश्वविद्यालय की खुदाई से मिलने वाले मूर्तियों और अवशेषों को संरक्षित करके रखा गया है। इसमें कई तरह की बुद्ध की काँसे की मूर्तियां भी शामिल हैं।

कैसे पहुंचे? how to reach?

अगर आप नालंदा आना चाहते हैं तो नालंदा का सबसे करीबी हवाई अड्डा पटना में स्थित जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (Jaiprakash Narayan International Airport) है। जहां से नालंदा शहर की दूरी लगभग 90 किलोमीटर है। आपको बता दें कि पटना का जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चंडीगढ़, देहरादून, जयपुर, अहमदाबाद और कोयंबटूर के साथ-साथ देश के काफी सारे अन्य हवाई अड्डों से जुड़ा हुआ है। जिसकी वजह से आपको फ्लाइट (Flight) से पटना पहुंचने में कोई भी तकलीफ नहीं होगी।

नालंदा का सबसे करीबी रेलवे स्टेशन नालंदा जिला में ही स्थित है। लेकिन नालंदा रेलवे स्टेशन के लिए आपको सिर्फ नालंदा के नजदीकी रेलवे स्टेशन पटना, दानापुर, गया, बिहार शरीफ और राजगीर से ही ट्रेन की सुविधा मिल पाएगी। अगर आप इन शहरों से जुड़े हुए हैं, तो आप आसानी से अपने शहर से ट्रेन पकड़ कर नालंदा पहुंच सकते हैं और नालंदा शहर को विजिट कर सकते हैं। लेकिन अगर आपके शहर से नालंदा के लिए डायरेक्ट (Direct) ट्रेन की सुविधा उपलब्ध नहीं है तो आपको अपने शहर से गया या पटना जंक्शन के लिए ट्रेन पकड़नी होगी।

अगर प्राचीनतम इमारतों को देखने और उसके बारे में जानने में आपकी भी रुचि है, तो इस जगह पर आना आपके लिए बेहद ही रोमांचक सफर साबित होगा।

देर किए बिना कर लीजिये कर्नाटक जाने की प्लानिंग, क्योंकि देश भर में प्रसिद्ध “हम्पी महोत्सव” है नजदीक

ये है कर्नाटक एक्सप्लोर करने का बेहतरीन मौका क्योंकि शुरू होने जा रहा है कर्नाटक का पारम्परिक और देश भर में मशहूर “हम्पी महोत्सव”

Sakshi Joshi-Five Colors of Travel


जैसे कि कर्नाटक हमेशा से मेलों और त्योहारों के लिए देश भर का चहेता राज्य माना जाता है क्योंकि यहां आए दिन किसी-न-किसी मेले या फिर त्यौहार का आयोजन बड़े पारम्परिक ढंग से किया जाता है। हां शायद यही कारण है कि कर्नाटक को लैंड ऑफ़ फेस्टिवल भी कहा जाता है। इसका एक कारण और है कि कर्नाटक एक मल्टी-कल्चरल राज्य है, जहां देश भर से लगभग सभी राज्यों के लोग बसे हुए हैं, इस वजह से भी कर्नाटक में आए दिन कोई न कोई त्यौहार देखने को मिलते हैं। यहां सभी त्यौहार पारम्परिक और सांस्कृतिक ढंग से बड़ी ही धूम-धाम से मनाए जाते हैं। कर्नाटक के सभी त्यौहार और मेले काफी शानदार, मनोरंजक और बहुत सारे नृत्यों और कार्यक्रमों से भरपूर होते है, और इन्हीं मेलों और उत्सवों में से एक है “हम्पी मेला” (Hampi Festival)

hampi mahotsav

हम्पी मोहत्सव : हम्पी महोत्सव जोकि पुरे भारत में कर्नाटक की पहचान है, 27 जनवरी से 29 जनवरी तक तीन दिन के लिए मनाया जाएगा। कर्नाटक क्षेत्र में हम्पी का इतिहास काफी पुराना है। हम्पी उत्सव भारत के सबसे पुराने सांस्कृतिक उत्सवों में से एक है, जो विजयनगर साम्राज्य के समय से चला आ रहा है। यह कर्नाटक का बहुत ही अनोखा उत्सव है जो हर साल बड़े लेवल पर मनाया जाता है और इस वजह से यह देश भर में काफी मशहूर है। यह त्यौहार कर्नाटक पर्यटन द्वारा आयोजित किया जाता है जिसमें मुख्य आकर्षण कन्नडिगास नृत्य, नाटक, आतिशबाजी, कठपुतली शो, शानदार परेड, और ड्रम-पाइप जैसे संगीत इंस्ट्रूमेंट हैं

इसमें नृत्य, संगीत, नाटक और अनेक कार्यक्रमों के माध्यम से पुराने टाइम में होने वाले हर एक कार्यक्रमों से रूबरू कराया जाता है। हम्पी के पूरे मार्गों को बड़े सुन्दर तरीके से सजाया जाता है क्योंकि देश भर से कई लोग यहां महोत्सव का आनंद लेने आते हैं। पांच अलग-अलग स्थानों पर कई गायक, पारंपरिक नृत्य करते कलाकार, मेहमानों और पर्यटकों का मनोरंजन करते हैं और कल्चरल प्रोग्राम के अलावा भी यहां बहुत सारे कार्यक्रम होते हैं जैसे वाटर स्पोर्ट, काइट उत्सव, फूड कोर्ट और पेंटिंग कॅाम्पटिशन आदि। इस उत्सव के दौरान पूरे शहर में साफ़-सफाई का भी पूरा ध्यान रखा जाता है, जैसे बाथरुम की सुविधा जगह-जगह उपलब्ध की जाती है और पीने के पानी की सुविधा का ध्यान भी रखा जाता है। Hampi Festival

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