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राजस्थान की संस्कृति को बखूबी दर्शाते हैं यहां के प्रसिद्ध पारंपरिक लोक नृत्य

राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत में नृत्यों का विशेष स्थान है। यहां कई प्रकार के नृत्य प्रथमित हैं, जो इस क्षेत्र की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक धाराओं को प्रकट करते हैं। राजस्थानी नृत्य गायन, नृत्य और वाद्य का एक मेल है और इसका महत्वपूर्ण भूमिका भजन, कथा, और इतिहास में होता है।

घूमर:

यह एक प्रसिद्ध राजस्थानी नृत्य है जो महिलाओं द्वारा उत्सवों और विशेष परिस्थितियों में प्रदर्शित किया जाता है। यह नृत्य राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। घूमर एक प्रसिद्ध राजस्थानी नृत्य है जो महिलाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। यह नृत्य राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे विभिन्न उत्सवों और पर्वों में उत्साह के साथ प्रस्तुत किया जाता है। घूमर के विशेषताएँ उसके गतिशीलता, सज धज, और पल्लू की गति हैं। इस नृत्य में महिलाएं छाती और मैदान में घूमती हैं, अपने पल्लू को गाथा गाते हुए अलग-अलग आकृतियों में फैलाते हैं। यह नृत्य लोक गीतों के साथ संगत होता है और इसमें संतुलन, गति, और आकर्षण होता है। घूमर का प्रदर्शन अधिकतर विवाह, तीज, और अन्य पर्वों में किया जाता है। इस नृत्य के माध्यम से महिलाएं अपनी आत्मा को व्यक्त करती हैं और समृद्धि की कामना करती हैं। घूमर का प्रदर्शन दर्शकों को मनोहारी अनुभव प्रदान करता है और राजस्थानी सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करता है।

कठपुतली:

यह एक अन्य प्रसिद्ध राजस्थानी नृत्य है जो कथपुतली के साथ किया जाता है। इसमें पुतली भटकते हुए दिखाई देती हैं और वे विभिन्न किरदारों को प्रस्तुत करती हैं। यह एक रंगबज और आकर्षक नृत्य है जो दर्शकों को मनोरंजन करता है। कठपुतली नृत्य एक प्रसिद्ध राजस्थानी नृत्य है जो कठपुतली (पुतले) के साथ प्रदर्शित किया जाता है। इस नृत्य का प्रमुख लक्ष्य कथाओं और किरदारों को प्रस्तुत करना होता है। कठपुतली नृत्य के प्रमुख कलाकार पुतली कलाकार होते हैं, जो विभिन्न रंगमंच पर पुतलियों को बेहद कुशलता से गतिशीलता से गति देते हैं। इन पुतलियों के माध्यम से किरदारों की भूमिकाओं को दर्शाने के लिए कहानी को संबोधित किया जाता है। कठपुतली नृत्य के दौरान, पुतली कलाकार विभिन्न भावनाओं, भूमिकाओं, और किरदारों को प्रस्तुत करते हैं। वे विभिन्न गीतों, संगीत, और लहजों के साथ पुतलियों को हिलाते हैं और किरदारों की भूमिकाओं को विशेषता से दिखाते हैं। कठपुतली नृत्य न केवल मनोरंजन के लिए होता है, बल्कि इसका महत्वपूर्ण भूमिका होती है राजस्थानी सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखने में। इस नृत्य के माध्यम से कथाएं, किरदारों, और लोक कथाओं को जीवंत किया जाता है और संदेशों को दर्शकों तक पहुंचाया जाता है।

भोपा:

यह नृत्य पश्चिमी राजस्थान में प्रसिद्ध है और इसमें भोपाओं की बहुत ही गतिशील नृत्यार्मिकता होती है। इसमें छलकाव, नृत्य, और साहित्य का एक सामंजस्य होता है। भोपा नृत्य राजस्थान का एक प्रसिद्ध लोक नृत्य है जो पश्चिमी राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में प्रचलित है। इस नृत्य का मुख्य उद्देश्य धारावाहिक रूप से किसी अद्भुत कथा का प्रस्तुत करना होता है। भोपा नृत्य में कलाकार अपने शारीरिक और भावात्मक कौशल का प्रदर्शन करते हैं। इस नृत्य के कलाकार अपने गतिशील और चुस्त नृत्य से दर्शकों को प्रभावित करते हैं। भोपा नृत्य के प्रमुख लक्षण में अंगों की गतिशीलता, उच्चारण, और रंगमंच पर भावनात्मक प्रस्तुति शामिल होती है। इस नृत्य का मुख्य अंश भाषण (मुखवाद्य), नृत्य, और गाना होता है। भोपा नृत्य के द्वारा विभिन्न कथाएं, किस्से, और लोक कहानियाँ प्रस्तुत की जाती हैं जो राजस्थानी संस्कृति और धार्मिक विचारों को प्रकट करती हैं। भोपा नृत्य राजस्थानी सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका प्रदर्शन राजस्थान के लोगों के बीच उत्साह और गर्व का स्रोत बनता है।

कच्छी घोड़ी:

यह नृत्य लोक गीतों के साथ किया जाता है और इसमें कच्ची घोड़ी की नकल की जाती है। इसमें नृत्यार्मिकता और सटीकता की आवश्यकता होती है जो इसे बेहद रोमांचक बनाती है। कच्छी घोड़ी एक प्रसिद्ध लोक नृत्य है जो राजस्थान के लोगों के बीच बहुत पसंद किया जाता है। इस नृत्य में कलाकार घोड़े की तरह कपड़े पहनते हैं और एक झूले पर बैठे होते हैं। साथ ही साथ, संगीत बजता है और कलाकार विभिन्न कहानियों को नृत्य के माध्यम से दिखाते हैं। इसमें तेज़ और आनंददायक गतियाँ होती हैं, जो दर्शकों को मनोरंजन प्रदान करती हैं। यह नृत्य न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह राजस्थानी संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। उत्साही संगीत के साथ, जिसमें ढोलक, हारमोनियम, और नगाड़ा (केतल ढोल) जैसे पारंपरिक राजस्थानी लोक वाद्य शामिल होते हैं, कलाकारों द्वारा स्थानीय लोक कथाओं, पौराणिक कथाओं, या ऐतिहासिक घटनाओं के विभिन्न प्रसंगों का अभिनय किया जाता है। यह एक कहानी सुनाने का एक साधन भी है, जो राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं को प्रतिबिंबित करती है।

भवाई:

यह राजस्थान का एक अन्य प्रसिद्ध लोक नृत्य है, जो कहानियों के माध्यम से किया जाता है। इसमें कलाकारों के बीच मॉक लड़ाइयाँ और कॉमेडी देखने को मिलती है। भवाई नृत्य राजस्थानी सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह किसानों की जीवनशैली, परंपरा, और समाज की भावनाओं को प्रकट करता है। इसके अलावा, भवाई नृत्य के माध्यम से राजस्थानी समाज की विभिन्न पहलुओं को समझाया जाता है। यह नृत्य सम्पूर्ण अभिनय, संगीत, और नृत्य की संगति में एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है। भवाई नृत्य में कलाकार कथा के आधार पर विभिन्न भूमिकाओं में अभिनय करते हैं। इस नृत्य की विशेषता यह है कि कलाकारों के बीच मॉक लड़ाइयाँ, हास्य और दर्शकों के साथ संवाद भी होते हैं। कलाकार बाजार, मेले और अन्य सामाजिक आयोजनों में इस नृत्य का प्रदर्शन करते हैं। भवाई नृत्य का परिधान और संगीत भी बहुत विशेष होता है। कलाकार विशेष रूप से विविध और रंगीन परिधान पहनते हैं जो उनके विभिन्न भूमिकाओं को प्रतिनिधित करते हैं। इसके साथ ही, भवाई नृत्य के लिए गीत और ताल का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है जो किसानों की जीवनशैली, सामाजिक संस्कृति और वास्तविकताओं को प्रकट करता है।

कलबेलिया:

यह नृत्य राजस्थान की कलबेलिया समुदाय के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इसमें उच्च गति के नृत्य, शानदार परिधान और धार्मिक तत्त्व होते हैं। कलबेलिया एक प्रसिद्ध राजस्थानी लोक नृत्य है जो कलबेलिया समुदाय के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। यह नृत्य गुज्जर जाति के लोगों के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है, जो पश्चिमी राजस्थान के जिलों में बसे हुए हैं। कलबेलिया नृत्य का विशेषता यह है कि इसमें कलाकार उच्च गति और चमकदार अभिनय के साथ लड़कियों के बीच खिलखिलाते हुए नृत्य करते हैं। इस नृत्य का मुख्य उद्देश्य प्रेम और सौंदर्य की महत्ता को दर्शाना है। कलबेलिया नृत्य में कलाकारों के परिधान और आभूषण बहुत ध्यान दिया जाता है। वे विशेष रूप से रंगीन और आकर्षक परिधान पहनते हैं, जो उनके नृत्य को और भी चमकदार बनाते हैं। कलबेलिया नृत्य के माध्यम से गुज्जर समुदाय की विविधता, उनके संगीत, संस्कृति, और पारंपरिक जीवन का उत्कृष्ट प्रतिनिधित्व किया जाता है। यह नृत्य राजस्थान की रमणीयता और समृद्धि का प्रतीक है और लोगों को उसकी सांस्कृतिक विरासत का अनुभव कराता है।

इस IRCTC पैकेज के साथ घूमिए पूरा राजस्थान सिर्फ 7 दिनों में

अगर आपको सोने जैसे रेतों वाला रेगिस्तान, शानदार किले, पुरानी हवेलियों और राजशाही ठाठ-बाट की झलक देखनी हो तो राजस्थान से बेहतरीन कोई दूसरा जगह नहीं हो सकता है। भारत में राजस्थान को राजा महाराजाओं का गढ़ माना जाता है। यहीं वजह है कि इस राज्य का नाम राजस्थान रखा गया है। यहां के बाजारों में मिलने वाली ऑक्सिडाइज्ड ज्वैलरी की बात हो या फिर यहां के महलों की, हर जगह राजसी शान की झलक देखने को मिल जाती है। अगर आप भी राजस्थान के टूर का प्लान बना रहे हैं तो यह ब्लॉग आपके लिए ही है। आईआरसीटीसी ने राजस्थान के टूर के लिए एक बेहतरीन टूर पैकेज प्लान किया है।

आइए इस टूर पैकेज के बारे में अधिक गहराई से जानते हैं।

  • ये पैकेज 7 दिनो और 6 रातों का होगा।
  • इस पैकेज के तहत आप बीकानेर, जयपुर, जैसलमेर, जोधपुर और पुष्कर की यात्रा करेंगे।
  • इस पैकेज का नाम है ‘रॉयल ​​राजस्थान एक्स चेन्नई’
  • आपके इस यात्रा की शुरुआत चेन्नई के एयरपोर्ट से होगी।

कुछ ऐसा होगा आपका टूर प्लानर

दिन 1 (Day 1)

पहले दिन सुबह आप चेन्नई से सुबह 8:00 बजे जयपुर के लिए प्रस्थान करेंगे। हवाई अड्डा पहुंचने के बाद जयपुर (jaipur) से पुष्कर (Pushkar) की ओर सड़क मार्ग से आगे बढ़ेंगे। पुष्कर जाने के मार्ग में अजमेर के दरगाह शरीफ (Dargah Sharif) जाएंगे। पुष्कर पहुंचकर होटल में चेक इन करेंगे। आपको भोजन तथा रात्रि विश्राम पुष्कर में ही करना होगा।

दिन 2 (Day 2)

अगले दिन आप नाश्ते के बाद जोधपुर (jodhpur) की ओर आगे बढ़ जाएंगे। जहां पहुंचकर होटल में चेक इन करेंगे फ्रेश होने के बाद मेहरगढ़ किला (Mehargarh fort) और उन्मेद भवन संग्रहालय (Unmed bhawan palace) का दौरा करेंगे। आप रात्रि विश्राम जोधपुर में ही करेंगे।

दिन 3 (Day 3)

तीसरे दिन आप होटल में सुबह नाश्ता करेंगे। नाश्ते के बाद जैसलमेर की ओर आगे बढ़ेंगे। जैसलमेर पहुंचकर फ्रेश होने के बाद सूर्यास्त का आनंद ले। आप रात्रि विश्राम जैसलमेर के ही डेजर्ट कैंप टेंट (Desert Camp Tent) में करेंगे।

दिन 4 (Day 4)

अगले दिन सुबह नाश्ते के बाद जैसलमेर किला (Jaisalmer Fort), पटवों की हवेली और युद्ध संग्रहालय (War museum) जैसे दर्शनीय स्थल घूमेंगे। दोपहर में बीकानेर की ओर बढ़ जाएंगे। भोजन तथा रात्रि विश्राम आपको बीकानेर में ही करना होगा।

दिन 5 (Day 5)

पांचवें दिन आप नाश्ते करके बीकानेर(Bikaner) के दर्शनीय स्थल जूनागढ़ किला(Joonagarh fort) और देशनोक मंदिर का भ्रमण करेंगे। बीकानेर के पर्यटन स्थलों को घूमने के बाद आप जयपुर की ओर बढ़ेंगे। जयपुर पहुंचकर होटल में चेक इन करेंगे। आपको रात्रि विश्राम जयपुर में ही करना होगा।

दिन 6 (Day 6)

अगले दिन आप सुबह नाश्ता करेंगे नाश्ता करने के बाद आमेर किला (Amer fort), जल महल (Jal mahal), हवा महल (Hawa mahal), सिटी पैलेस (City palace) और जंतर मंतर (Jantar Mantar) को देखने जाएंगे। शाम मे वापस होटल आकर विश्राम करेंगे।

दिन 7 (Day 7)

अंतिम दिन आप सुबह नाश्ता करके होटल से चेक आउट करेंगे। इसके बाद जयपुर एयरपोर्ट (Jaipur airport) के लिए निकल जाएंगे वहां से अपने फ्लाइट (flight) से शाम में चेन्नई एयरपोर्ट पर लैंड करेंगे। चेन्नई पहुंचकर आपकी यात्रा समाप्त हो जाएगी।

बजट (Budget)

अगर आप 24 नवंबर के टूर के लिए यह पैकेज बुक करवाते हैं तो इस टूर पैकेज का बजट आपके लिए कुछ इस प्रकार का होगा।
सिंगल ऑक्युपेंसी की टिकट के लिए आपको पर पर्सन ₹65,100 वहीं डबल ऑक्युपेंसी के लिए आपको पर पर्सन ₹50,100 का भुगतान करना पड़ेगा। अगर आप ट्रिपल ऑक्युपेंसी का टिकट खरीदते हैं तो आपको पर पर्सन ₹47,000 कीमत अदा करनी होगी। अगर आपके साथ चाइल्ड विद बेड है, जिसकी उम्र 5 से 11 साल तक की है तो उस बच्चे की टिकट की प्राइस ₹40,500 होगी।

अगर आप 30 दिसंबर 2023 के टूर के लिए इनरोल करते हैं तो आपको सिंगल बेड ऑक्युपेंसी के लिए पर पर्सन ₹59,100, डबल बेड ऑक्युपेंसी के लिए पर पर्सन ₹54,100, ट्रिपल बेड ऑक्युपेंसी के लिए पर पर्सन ₹51,000 और चाइल्ड विद बेड के लिए ₹44,500 का भुगतान करना होगा।

इस टूर पैकेज में आपको निम्नलिखित सुविधाएं दी जाएंगी (inclusions

  • इस पैकेज के तहत आपको आगमन के समय चेन्नई से जयपुर और वापसी के समय जयपुर से चेन्नई की हवाई टिकट मिलेगी।
  • आप सभी दर्शनीय स्थलों का भ्रमण एसी वाहन द्वारा करेंगे।
  • इस पैकेज के तहत आप को 6 बार सुबह का नाश्ता तथा रात का खाना मिलेगा।
  • इस पैकेज में आपको दर्शनीय स्थलों पर आपको गाइड की सेवाएं भी मिलेगी।
  • इस पैकेज में आपको आईआरसीटीसी टूर मैनेजर की सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाएगी।
  • इस टूर के दौरान सभी प्रकार के कर लागू होंगे।

इस टूर पैकेज में निम्नलिखित प्रकार की सुविधाएं नहीं मिलेंगी (Exclusions)

  • इस टूर पर आपको दोपहर का भोजन नहीं मिलेगा।
  • इस टूर में उल्लेखित सेवाओं के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार का खर्च आपको खुद ही पे करना होगा।
  • सभी दर्शनीय स्थलों के प्रवेश टिकट आपको खुद ही खरीदने होंगे।
  • किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत खर्च जैसे टेलीफोन चार्ज, मिनरल वाटर, टिप्स और पोर्टेज का भुगतान को खुद ही करना होगा।
  • अगर आप किसी भी प्रकार की अतिरिक्त भोजन सेवाएं लेते हैं तो उसका पैसा आपको खुद ही देना होगा।
  • अगर आप किसी भी प्रकार की अन्य सेवाएं लेते हैं जो इस पैकेज में इंक्लूड नहीं है तो आपको उसका भुगतान खुद ही करना होगा।
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