चार धाम यात्रा का सबसे सही सरल रूट (best route for chaardham yatra in uttarakhand) :
कहते हैं आस्था और भक्ति का कोई दिन नहीं होता। भगवान की पूजा कभी भी कहीं और किसी भी स्थिति में की जा सकती है। बस इंसान का मन सच्चा होना चाहिए। आज के आधुनिक दौर में बढ़ते तनाव के बीच मन की शांति का एक सीधा और सरल उपाय है भगवान की भक्ति में खुद को रंग लेना। आस्था की अगर बात हो तो चार धाम यात्रा से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। आज आपको हम बताने जा रहे हैं चार धाम यात्रा से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां। जिनसे आपको चार धाम यात्रा के ट्रिप की प्लानिंग में आसानी होगी।
क्या है चार धाम यात्रा?
The significance of Char Dham Yatra :
उत्तराखंड को देवों की भूमि के नाम से जाना जाता है और यहां कई सारे तीर्थ स्थल भी हैं। उन्हीं तीर्थ स्थलों में से प्रमुख तीर्थ स्थल हैं गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ। इन्हीं चारों तीर्थ स्थलों को मिलाकर बनता है चार धाम! जिसका हिंदू धर्म में बहुत ही खास महत्व है। चार धाम यात्रा ना सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से प्रसिद्ध है बल्कि पर्यटन के दृष्टिकोण से भी यह लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। चारों ओर हिमालय की पहाड़ियां और पहाड़ियों के बीच से पतली सी धारा में बहती गंगा नदी किसी का भी मन मोह लेने में सक्षम है। यहां आकर आपको प्राकृतिक खूबसूरती (scenic beauty) के बेहतरीन नजारे देखने को मिलेंगे। इसके साथ ही पोलूशन फ्री (pollution free) वातावरण (environment) I आपको फिर से तरोताजा कर देंगे।
चारधाम यात्रा के लिए बेस्ट रूट
Best route for chardham Yatra :
अगर चार धाम यात्रा के रूट की बात की जाए तो, चार धाम यात्रा की शुरुआत हरिद्वार से होती है और हरिद्वार पर ही आकर यह यात्रा खत्म होती है।
चार धाम यात्रा पूरी करने के दो मार्ग हैं। एक सड़क मार्ग और दूसरा हेलीकॉप्टर के द्वारा यात्रा। आप दोनों ही मार्गों का चुनाव अपनी सुविधा के अनुसार कर सकते हैं।
सड़क यात्रा के कुछ मुख्य पड़ाव
(Main stops in Chardham Yatra) :
हरिद्वार – बरकोट – जानकी चट्टी – यमुनोत्री जानकी चट्टी – बरकोट – उत्तरकाशी – गंगोत्री – उत्तरकाशी – सोनप्रयाग या गुप्तकाशी – गौरीकुंड – केदारनाथ – गौरीकुंड – सोनप्रयाग या गुप्तकाशी – बद्रीनाथ – पीपलकोटी – हरिद्वार।
अगर बात किया जाए सड़क मार्ग की तो हरिद्वार देश के प्रमुख शहरों से ट्रेन रूट से काफी अच्छी तरह से कनेक्टेड है और यह शहर सड़क मार्ग द्वारा भी देश के बाकी शहरों से जुड़ा हुआ है। हरिद्वार पहुंचकर गंगा स्नान और स्थानीय मंदिरों में पूजा अर्चना करने के बाद चार धाम की यात्रा शुरू होती है। इसके लिए आप पहले से भी ट्रैवल पैकेजे बुक कर सकते हैं या फिर इंस्टेंट कोई गाड़ी बुक करके चार धाम यात्रा के लिए निकल सकते हैं।
पहला धाम यमुनोत्री
(Yamunotri Dham) :
चार धाम यात्रा में हरिद्वार से अगला पड़ाव होता है बरकोट। हरिद्वार से बरकोट पहुंचने के लिए आपको से 7 घंटे तक का समय लग सकता है बारकोड पहुंचकर होटल, रिसॉर्ट, गेस्ट हाउस या फिर धर्मशाला में ठहर सकते हैं। बरकोट में अपना आशियाना ढूंढने के बाद आपको बरकोट में एक रात रुकना होगा। यात्रा के दूसरे दिन बरकोट से आपको जानकीचट्टी के लिए निकलना होगा। जहां से चारधाम यात्रा के पहले धाम यमुनोत्री के लिए आपको पैदल यात्रा पर निकलना होगा। जानकीचट्टी से यमुनोत्री धाम लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है। आप दो से ढाई घंटे में यमुनोत्री पहुंच सकते हैं। आपको यमुनोत्री में पूजा अर्चना करने के बाद वापस बरकोट के लिए निकलना होगा। बरकोट से यमुनोत्री और यमुनोत्री से वापस बरकोट पहुंचने में आपको पूरा 1 दिन का समय लग जाएगा। आप वापस बारकोड आकर उसी होटल में स्टे कर सकते हैं।
गंगोत्री धाम
( Gangotri Dham) :
यात्रा के तीसरे दिन आपको चार धाम की यात्रा के अगले पड़ाव यानि गंगोत्री की ओर कूच करना होगा। जिसमें सबसे पहले आपको बरकोट से उत्तरकाशी की ओर बढ़ना होगा। जिसमें आपको लगभग 4 घंटे का समय लग सकता है। उत्तरकाशी पहुंचकर आप उत्तरकाशी में स्टे ले सकते हैं। यहां भी आपको रहने के लिए हर तरह की सुविधाएं मिल जाएंगी। उत्तरकाशी में अपने ठहरने के स्थान को सुनिश्चित करने के बाद आप गंगोत्री की ओर बढ़ सकते हैं। अगर आप थक गए हो तो गंगोत्री जाने के लिए आप अगले दिन का चुनाव कर सकते हैं। गंगोत्री पहुंचने के बाद पूजा अर्चना कर सकते हैं और समय बिताने के बाद आप वापस उत्तरकाशी के उसी जगह लौट सकते हैं, जहां आपने अपने रुकने का इंतजाम किया है। इस तरह आपके चार धाम के यात्रा का दूसरा पड़ाव पूरा हो जाएगा।
केदारनाथ धाम
( Kedarnath Dham) :
उत्तरकाशी में रुकने के बाद अगले दिन आप अहले सुबह सोनप्रयाग या फिर गुप्तकाशी के लिए निकल सकते हैं। यहां पहुंचने के बाद आपको अगले धाम यानि केदारनाथ धाम के लिए अपनी यात्रा शुरू करनी होगी। उत्तरकाशी से सोनप्रयाग की दूरी लगभग 220 किलोमीटर है और इसे करने में आपको लगभग 8 घंटे का समय लग जाएगा। इस दिन आप उत्तरकाशी से सोनप्रयाग या फिर गुप्तकाशी आकर वहां उस रात रुक सकते हैं। अगले दिन आपको सबसे पहले गौरीकुंड जाना पड़ेगा। जहां से केदारनाथ धाम की आपकी यात्रा शुरू होगी। गौरीकुंड से केदारनाथ लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप आराम से ट्रैकिंग करते हुए और महादेव के जयकारे लगाते हुए केदारनाथ के लिए निकल सकते हैं। आपको केदारनाथ धाम पहुंचते-पहुंचते शाम हो सकती है। ऐसे में आप शाम को मंदिर प्रांगण पहुंचकर भगवान शिव की आरती में शामिल हो सकते हैं और पूजा अर्चना कर सकते हैं। यहां रात में रुकने के लिए आप होटल या फिर गेस्ट हाउस में स्टे ले सकते हैं। आप चाहे तो जीएमवीएन के तहत भी अपना डोरमैट्री बुक कर सकते हैं। जीएमवीएन सर्विस (GMVN Service) को उत्तराखंड सरकार द्वारा चलाया जाता है। अगले दिन वापस आप महादेव की आराधना करने के बाद गौरीकुंड के लिए ट्रेकिंग स्टार्ट कर सकते हैं। फिर से गौरीकुंड पहुंचते-पहुंचते आपको शाम हो जाएगी। गौरीकुंड पहुंचने के बाद आप वापस से गुप्तकाशी या सोनप्रयाग जहां भी आपने अपने रुकने का बंदोबस्त कर रखा हो वहां वापस जा सकते हैं और रुक सकते हैं।
बद्रीनाथ धाम
(Badrinath Dham) :
अगले दिन आपको बद्रीनाथ के लिए निकलना होगा। बद्रीनाथ पहुंचने में 8-9 घंटे का समय लग सकता है। बद्रीनाथ पहुंचकर आप किसी भी धर्मशाला या फिर यात्री निवास या फिर होटल में रुक सकते हैं। यहां आपको ट्रैकिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर आप सुबह सवेरे बद्रीनाथ के लिए निकलेंगे तो आप दोपहर होते-होते तक बद्रीनाथ पहुंच जाएंगे। बद्रीनाथ पहुंचकर भगवान के दर्शन कीजिए पूजा अर्चना कीजिए वापस जाकर अपने होटल में चेक इन कर लीजिए। अगले दिन बद्रीनाथ को अच्छे तरीके से एक्सप्लोर (explore) कीजिए और फिर निकल जाइए पीपलकोटी की ओर। जहां आप होटल लेकर उस रात रुक सकते हैं। अगले दिन फिर पीपलकोटी से आप बढ़ सकते अपने आखिरी डेस्टिनेशन (last destination) यानि हरिद्वार की ओर। पीपलकोटी से हरिद्वार की दूरी लगभग 230 किलोमीटर की है और आपको यहां तक आने में 8 से 9 घंटे का समय लग जाएगा। हरिद्वार पहुंचकर आपकी यात्रा समाप्त होगी और हरिद्वार में अपने हिसाब से समय बिताने के बाद आप वापस से अपने घर की तरफ प्रस्थान कर सकते हैं।
हेलीकॉप्टर से चार धाम यात्रा
(Char Dham tour by Helicopter) :
अगर आप हेलीकॉप्टर से चार धाम की यात्रा करना चाहते हैं तो देहरादून सहस्त्रधारा हेलीपैड से चार धाम के लिए आपको हेलीकॉप्टर की सुविधा मिल जाएंगी। यमुनोत्री के लिए हेलीपैड सेवा देहरादून के खरसाली तक है। जोकि यमुनोत्री के मंदिर से लगभग 6 किलोमीटर दूर है। वहीं गंगोत्री के लिए सबसे नजदीक हेलीपैड हरसिल हेलीपैड है। यह हेलीपैड मंदिर से 25 किलोमीटर दूर है। अगर बद्रीनाथ और केदारनाथ के हेलीपैड की बात करें तो वह मंदिर के पास हीं स्थित है।
चारधाम यात्रा का सबसे सही समय (Best time to visit) :
यूं तो आस्था को ऐसे समय में नहीं बांधा जा सकता, लेकिन अगर आप चार धाम की यात्रा अच्छे से पूरी करना चाहते हैं इसके लिए अप्रैल से जून और सितंबर से अक्टूबर तक का समय सबसे बेस्ट होता है।
चारधाम की पुरी यात्रा में लगने वाला समय (Total time taken in whole trip) :
इस यात्रा में लगने वाले समय की बात की जाए तो अगर आप वाया रोड ट्रैवल करते हैं तो आपको लगभग 10 दिन का समय लग सकता है। वहीं अगर आप हेलीकॉप्टर सुविधा का उपयोग करते हैं तो आपको 5 दिन का समय फिर भी लग जाएगा।
चार धाम की यात्रा के वक्त रखें इन बातों का ध्यान (Tips for Char Dham Yatra) :
चार धाम की यात्रा करते वक्त कभी भी बारिश हो सकती है। इसीलिए अपने साथ रेनकोट या फिर छाता जरूर रखें।
चार धाम की यात्रा करते वक्त आपको इंटरनेट कनेक्टिविटी तो मिल जाएगी लेकिन क्योंकि आप अधिकतर समय सफर में रहेंगे ऐसे में अपने साथ एक पावर बैंक ( Power bank) जरूर रखें। जिसे जरूरत पड़ने पर आप फोन चार्ज करने में प्रयोग कर सकें।
अपने साथ एक पानी का बोतल जरूर रखें। चार धाम की यात्रा में हो सकता है कि कहीं कहीं पानी आपको आसानी से ना मिले। इसीलिए अपने साथ एक पानी बोतल जरूर रखें।
चार धाम की यात्रा में ट्रैकिंग भी करनी होती है। इसलिए आप अपने साथ ट्रैकिंग स्टिक (trekking stick) रख सकते हैं।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि चार धाम यात्रा उत्तराखंड में की जाती है और यह सभी हिल स्टेशंस हैं। ऐसे में आप अपने साथ गर्म कपड़े रखना ना भूलें।
चार धाम की यात्रा में ट्रेन और बस के साथ-साथ आपको जगह-जगह उत्तराखंड सरकार द्वारा चलाई जाने वाली बोलेरो मिल जाएंगे। जैसे कि उत्तरकाशी से गौरीकुंड तक के बीच की सफर को आप उत्तराखंड सरकार द्वारा चलाए जाने वाले बोलेरो सेवा की मदद से ₹40 में तय किया जा सकता है।
चार धाम की यात्रा सिर्फ एक यात्रा नहीं बल्कि भक्तिमय (devotional journey) और पूर्णतः भगवान को समर्पित यात्रा है। जिसके लिए आपको प्रॉपर प्लानिंग (route planning) की जरूरत पड़ेगी। वरना आप बीच में ही कहीं अटक सकते हैं। इस ब्लॉग में हमने आपको चार धाम यात्रा से जुड़े सही रूट (correct route) और सबसे सरल रूट के बारे में बताया है। उम्मीद है यह जानकारियां आपके कुछ काम आई होगी।