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मन को मोह लेते हैं मोक्ष नगरी बनारस के ये खूबसूरत घाट

कहते हैं एक शहर है जिसकी हवा में भी खुला हुआ है और इस शहर का नाम है बनारस। बनारस,,,, गंगा किनारे बसे इस शहर के रंग ही अलग हैं। कहीं चिता के भस्म से होली खेली जाती है, तो कहीं गंगा के जल में खड़े होकर सूर्य को नमस्कार किया जाता है। आज के दौर में जहां बाकी सारे शहर आधुनिकीकरण की ओर बढ़ रहे हैं और अपनी संस्कृति के मूल स्वरूप को भूलते जा रहे हैं वहीं यह शहर यह शहर भारतीय संस्कृति को अपने अंदर सहेज कर एक अद्भुत उदाहरण पेश करता है।
इस शहर को वाराणसी और काशी के नाम से भी जाना जाता है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरे हुए शहर का सिर्फ हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि जैन और बौद्ध धर्म में भी बहुत ही विशेष महत्व है, और लोग इसे मोक्ष नगरी के नाम से भी जानते हैं। पुराणों की मान्यता है कि, बनारस आकर मृत्यु को प्राप्त करने वाले लोग सीधा मोक्ष को प्राप्त करते हैं। इसलिए अध्यात्म में विश्वास रखने वाले लोग अपने जीवन के आखिरी क्षणों को बनारस आकर व्यतीत करना पसंद करते हैं।

1. गंगा घाट (Ganga Ghaat)
अब क्योंकि यह शहर नदी के किनारे बसा हुआ है इसलिए यहां 80 से भी अधिक घाट हैं और इसे घाटों का शहर भी कहते हैं।
अगर बात करें यहां के प्रमुख घाटों की तो उनमें दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट, मणिकर्णिका घाट, पंच गंगा घाट आदि प्रमुख हैं।

(i) मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat)
मणिकर्णिका घाट को शमशान स्थल के रूप में भी जाना जाता है। जहां हर साल रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन चिता के भस्म से होली खेली जाती है, जिसे मसान होली या भस्म होली के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है की महादेव स्वयं अपने गणों के साथ उस दिन होली खेलते हैं।

(ii) दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat)
यहां का दशाश्वमेध घाट बनारस की सबसे प्रसिद्ध घाटों में से एक है। मान्यता है कि आदि काल में ब्रह्मा जी ने यहां 10 अश्वमेध यज्ञ करवाया था। जिसके कारण इसे दशाश्वमेध घाट के नाम से जाना जाने लगा। इसे बनारस के सबसे पुराने घाट के रूप में भी जाना जाता है।

(iii) अस्सी घाट (Assi Ghat)
अस्सी घाट बनारस का दक्षिणतम घाट है जो आगंतुकों और विदेशी पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र होता है। यह बनारस के सबसे खूबसूरत घाटों में से एक माना जाता है।

2. गंगा आरती (Ganga Aarti)
गंगा घाट की बात हो और गंगा आरती का जिक्र ना हो भला ऐसा हो सकता है?
जब यहां के घाटों पर संध्या के समय गंगा आरती होती है तब, चारों ओर हो रहे शंखनाद, गंगा की कलकल बहती धारा, ठंडी हवा के झोंके और मंत्र उच्चारण की मधुर ध्वनि वातावरण में एक अलग ही प्रकार की सकारात्मकता का प्रसार करती है। जिसके कारण यहां आने वाले लोगों की संख्या बहुत ज्यादा होती है, और कई खास मौकों पर तो यहां पैर रखने का भी जगह नहीं होता है।
यहां के घाट नदियां और यहां के प्राचीन मंदिर, प्रकृति और संस्कृति के एक अद्भुत समन्वय को दर्शाती है। यही वजह है कि बनारस सिर्फ घाटों ही नहीं बल्कि अपने गंगा आरती के लिए भी सुप्रसिद्ध है।

काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple)
भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग भी बनारस में ही स्थित है। जिसे काशी विश्वनाथ के नाम से भी जाना जाता है।
काशी विश्वनाथ दशाश्वमेघ घाट के निकट स्थित है और श्रद्धालु दशाश्वमेध घाट के पानी में डुबकी लगाकर महाकाल के दर्शन के लिए मंदिर जाया करते हैं। कुछ समय पहले तक घाट और मंदिर के बीच में भवनों के बन जाने के कारण घाट से मंदिर जाना कठिन होता था। लेकिन हाल ही में यहां गंगा कॉरिडोर के निर्माण हो जाने के बाद गंगा नदी से मंदिर पूरी तरह जुड़ गया है।
मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ वास किया था। इस मंदिर का इतिहास भी काफी चर्चा और विवाद का विषय रहा है क्योंकि इसे बार-बार तोड़ा और बनाया गया। वर्तमान के मंदिर को रानी अहिल्याबाई ने मंदिर के बचे अवशेषों के साथ 1770 ईस्वी में बनवाया था। जिसके बाद 1835 में राजा रंजीत सिंह ने इसके गुंबद को सोने से मंडवा दिया था जो इस मंदिर को और भी आकर्षक बनाता है।

3. रामनगर का किला (Ramnagar Fort)
घाटों और मंदिरों के अतिरिक्त यहां एक बेहद खूबसूरत 18वीं शताब्दी का रामनगर का किला भी है, जिसकी शिल्प कला मुगल शिल्प का बेहतरीन उदाहरण पेश करती है।

4. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University)
बनारस सिर्फ संस्कृति के क्षेत्र में आगे नहीं है, बल्कि यह शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत आगे है और इसका जीता जागता उदाहरण है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय जिसे काशी हिंदू विश्वविद्यालय के नाम से भी जाना जाता है। इस की स्थापना स्वतंत्रता पूर्व ही हुई थी। जिसकी नींव पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा रखी गई थी। इसके स्थापना में एनी बेसेंट का भी बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा। आज बनारस हिंदू विश्वविद्यालय भारत के सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में से एक है। इस विश्वविद्यालय को “राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान” का

दर्जा प्राप्त है। इस विश्वविद्यालय के दो परिसर हैं, जिनमें मुख्य परिसर वाराणसी में स्थित है। इसके परिसर में हाल ही में एक नए काशी विश्वनाथ मंदिर की स्थापना की गई है। जो लोगों के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र होता है। 75 छात्रावासों के साथ यह विश्वविद्यालय एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है।

5. बनारस का खान पान (food of banaras)
बनारस के खानपान भी बाकी शहरों से काफी अलग हैं। यहां के बनारसी पान और मलइयो की तो बात ही अलग है। यहां के सबसे प्रसिद्ध व्यंजन में से एक है टमाटर चाट, जो आपको बनारस की गलियों में कहीं भी मिल जाएगा। चाट का खट्टा मीठा और तीखा स्वाद आपको उंगलियां चाटने पर मजबूर हो जाएंगे।

बनारस आने का सबसे सही समय (Best time to visit Banaras)
यूं तो आप बनारस कभी भी जा सकते हैं यह शहर हर समय हर मौसम में आने वाले पर्यटकों का भी खोलकर स्वागत करता है लेकिन महाशिवरात्रि और देव दीपावली के अवसर पर यहां जाना आपके लिए सबसे वर्थईट साबित होगा।
अगर बात महाशिवरात्रि की हो तो इस दिन भारत के कोने कोने से महादेव के भक्त बनारस आकर काशी विश्वनाथ के दर्शन और गंगा स्नान करते हैं। यूं तो बनारस की गलियों में गंगा आरती को लेकर हर दिन ही भीड़ होती है, लेकिन महाशिवरात्रि एक ऐसा दिन है जिस दिन यहां अन्य दिनों के मुकाबले कई गुनी हो जाती है। पुराणों के अनुसार इस नगरी का महादेव के साथ विशेष संबंध रहा है। इसलिए शिव भक्तों के लिए यह शहर किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है। इस दिन भी विवाह उत्सव से पहले बाबा विश्वनाथ को हल्दी लगाई जाती है और मंगल गीत गाए जाते हैं। शाम के समय भगवान शिव को हल्दी लगाते देखने के लिए श्रद्धालुओं में बेहद उत्साह होता है। इसके बाद शिव की बारात निकलती है।

बनारस में देव दिवाली(Dev Diwali in Banaras)
अगर यहां के देव दीपावली की बात की जाए तो यहां गंगा किनारे घाटों पर जलाए जाने वाले दियों और घाटों पर चलने वाले लेजर शो बनारस की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं। देव दीपावली दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। आस्था के पर्व के अवसर पर यहां के घाटों पर हर साल लाखों दिए जलाए जाते हैं। उन लाखों दियों की जगमगाहट सभी के मनो को मोह लेती हैं। इस पर्व को त्रिपुरोत्सव और त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

  • अगर आपको बनारस आना है तो बनारस सड़क मार्ग और रेल मार्ग दोनों से ही जुड़ा हुआ है।
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पर्यटकों को काफी आकर्षित करते हैं संगम नगरी के ये प्रमुख पर्यटन स्थल

प्रयागराज का नाम सुनते ही हमारे मन में सबसे पहले जो ख्याल आता है वह है “कुंभ
प्रयागराज शहर को कुंभ नगरी के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि यहां सिर्फ कुंभ के समय में हीं आया जाता है। आप कभी भी प्रयागराज विज़िट
कर सकते हैं। यह एक बहुत ही खूबसूरत टूरिस्ट प्लेस और आस्था का बहुत ही बेहतरीन केंद्र माना जाता है। इस ब्लॉग में हम आपको प्रयागराज शहर के बेहतरीन जगहों के बारे में तो बताएंगे हीं साथ ही साथ हम आपको यह भी बताएंगे कि प्रयागराज कैसे पहुंचे? और प्रयागराज में कहां ठहरे?

1. त्रिवेणी संगम
त्रिवेणी संगम वह स्थान है जहां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है। इस जगह को देखने के लिए काफी लोग आते हैं। अगर आप भी त्रिवेणी संगम को देखना चाहते हैं तो उसके लिए आपको पहले नाव की सवारी करनी होगी और नाव के जरिए उस पवित्र जगह तक पहुंचना होगा जहां गंगा जमुना सरस्वती एक दूसरे में घुल मिल जाती हैं। जब आप नाव से त्रिवेणी संगम की ओर बढ़ेंगे तो चारों ओर कल कल बहती गंगा, शांत और प्रदूषण रहित वातावरण, आसमान में उड़ती चिड़ियाँ, आपको काफी अट्रैक्टिव लगेंगे। नेचर की खूबसूरती को एंजॉय करने के लिए इससे बेहतरीन कोई दूसरा ऑप्शन तो हो ही नहीं सकता है। अगर आप चाहे तो आकाश में उड़ रहे पंछियों को खाना खिला सकते हैं। इसके लिए आपको नदी के बीचो-बीच ही नमकीन के पैकेट बिकते हुए मिल जाएंगे जिसे खरीद कर आप पक्षियों को खाना खिला सकते हैं और यकीन मानिए जब आप वह नमकीन पक्षियों को खिलाएंगे तो वहां आसपास उमड़ी हुई पक्षियों के भीड़ को देखकर आपको भी ऐसा महसूस होगा जैसे आप खुद भी एक पंछी हो।
अगर आप चाहे तो त्रिवेणी संगम पहुंचकर आप वहां गंगा जी में डुबकी भी लगा सकते हैं। हालांकि इसके लिए आपको यह भी ध्यान में रखना होगा कि आपके पास एक्स्ट्रा कपड़े रखे हो।

2. गंगा आरती (Ganga Aarti)
अब गंगा की नगरी आओ और गंगा आरती ना देखो तो यह तो बहुत बड़ी नाइंसाफी वाली बात होगी। प्रयागराज जैसे शहर में जाकर गंगा आरती को देखना तो मस्ट विजिट हो जाता है। ऐसे में आप शाम के समय रामघाट का रुख कर सकते हैं। जहां हर रोज गंगा आरती होती है। यह गंगा आरती इतना सुकून देने वाली होती है कि आप अपने सारे तनाव को भूलकर एकदम से चार्ज्ड अप हो जाएंगे। पॉजिटिविटी तो यहां के फिजाओं में घुली रहती है। ऊपर से मंत्र उच्चारण के साथ-साथ शंखनाद की ध्वनि दिलो दिमाग पर इस तरह कब्जा कर लेती हैं कि आप कुछ पल के लिए बस उसी समय में ठहर कर रह जाना चाहेंगे।

3. श्री बड़े हनुमान जी मंदिर (Shri Bade Hanuman Ji Temple)
इस मंदिर में हनुमान जी विश्राम की मुद्रा में लेटे हुए हैं। इसलिए इस मंदिर को बड़े हनुमान जी या फिर लेटे हनुमान जी मंदिर के नाम से जाना जाता है। वैसे तो यहां हर रोज हीं भीड़ देखने को मिलती है। लेकिन आप अगर मंगलवार या फिर शनिवार के दिन यहां घूमने आएंगे तो आपको बहुत ज्यादा भीड़ देखने को मिलेगी। यकीन मानिए इस मंदिर में आकर आपको इतनी पॉजिटिविटी मिलेगी कि आप एक पल को अपने लाइफ के सारे नेगेटिव प्वाइंट्स को भूल जाएंगे।

4. अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क (Amar Shaheed Chandrashekhar Azad Park)
हमारे देश में कई सारे स्वतंत्रता सेनानी हुए जिन्होंने आजादी के लिए लड़ते हुए अपनी जान गवा दी। उन्हीं शहीद वीरों की सूची में एक नाम चंद्रशेखर आजाद का भी आता है। जिन्होंने अंग्रेजों से लड़ते हुए अपनी जान दे दी। बताया जाता है कि चंद्रशेखर आजाद इस पार्क में घूम रहे थे। जब किसी ने इसकी सूचना अंग्रेजों तक पहुंचा दी। अंग्रेजों ने उन्हें इस पार्क में चारों ओर से घेर लिया। चंद्रशेखर आजाद काफी देर तक अंग्रेजों के गोलीबारी का जवाब देते रहे। लेकिन जब उनके पास सिर्फ एक गोली बची तो उन्होंने वह गोली खुद को मार ली। क्योंकि वह अंग्रेजों के हाथों नहीं मरना चाहते थे। उस समय का अल्फ्रेड पार्क आज के समय में अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क के नाम से जाना जाता है। अगर आप प्रयागराज आ रहे हैं तो आप इस पार्क को जरुर विजिट करें। यह पार्क आजादी के लिए दिए गए बलिदानों का एक बेहतरीन उदाहरण है।

5. आनंद भवन (Anand Bhawan)
आनंद भवन के विजिट के लिए पहले आपको टिकट लेना पड़ेगा। जहां आपको दो तरह के टिकट ऑप्शन मिलेंगे। एक ₹30 के टिकट की और ₹100 के टिकट की। अगर आप सिर्फ ग्राउंड फ्लोर को घूमना चाहते हैं तो आपको ₹30 का टिकट लेना होगा। जबकि अगर आप ग्राउंड फ्लोर के साथ-साथ फर्स्ट फ्लोर को भी घूमना चाहते हैं तो आपको ₹100 की टिकट लेनी होगी।
आनंद भवन की टाइमिंग सुबह 10:00 बजे से शाम के 5:30 बजे तक की होती है और दोपहर में 1 घंटे का लंच टाइम होता है।

आनंद भवन को 1927 में बनाया गया था। यह नेहरू जी का अपना घर था और यहां नेहरू जी रहा करते थे। गांधी जी भी यहां आया जाया करते थे। आज के समय में आनंद भवन एक म्यूजियम की तरह है। जहां पंडित जवाहरलाल नेहरू के यादों को बहुत हीं बेहतरीन तरीके से संजोकर रखा गया है। यहां आकर पता चलता है कि नेहरू जी किस तरह राजसी शान के साथ रहा करते थे। यहां कांग्रेस का ऑफिस भी हुआ करता था।

ये प्रयागराज के मुख्य विजिटिंग प्लेसेस हैं। इनके अलावा प्रयागराज में और भी बहुत सारे मंदिर और घूमने के लिए बेहतरीन विजिटिंग प्लेसेस हैं। जहां आप घूमने के लिए जा सकते हैं।

प्रयागराज में कहां ठहरे (Where to stay in Prayagraj)

हम जब भी किसी नए शहर जाते हैं तो वहां सबसे बड़ी समस्या आती है कि बसेरा किस जगह बनाया जाए। अगर प्रयागराज की बात करें तो प्रयागराज में आपको हर रेंज में होटल और धर्मशालाएं उपलब्ध हो जाएंगे। अगर आप प्रीमियम होटल में ठहरना पसंद करते हैं तो आप सिविल लाइंस एरिया में होटल देख सकते हैं। वहीं अगर आप नॉर्मल रेंज के होटल और धर्मशाला में ठहरना चाहते हैं तो आप रामबाग या फिर रेलवे स्टेशन रोड के आसपास आपको ऐसे होटल मिल जाएंगे।
प्रयागराज की धर्मशालाएं भी काफी बेहतरीन हैं। आप चाहे तो धर्मशालाओं में भी अपना ठिकाना बना सकते हैं। इससे आपके बजट में भी ज्यादा लोड नहीं आएगा।

बनारस टूर के लिए आईआरसीटीसी (IRCTC) लेकर आया है एक नया पैकेज

तू बन जा गली बनारस की
मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें,,,

गंगा के किनारे बसे बनारस शहर में जाने की ख्वाहिश सभी को होती है। वैसे तो यह शहर ज्यादा आधुनिक नहीं है, फिर भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। हर आयु के लोग यहां घूमने आना चाहते हैं। इस शहर की गंगा आरती की खूबसूरती देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने-कोने से लोगों को अपनी ओर खींच लाती है।

अगर आप भी बनारस (banaras) जाना चाहते हैं तो आपके लिए एक खुशखबरी है। यह सफर आपके लिए और भी आसान होने वाला है। अगर आप भी इस सफर को बजट (Budget) में पूरा करना चाहते हैं तो आईआरसीटीसी (IRCTC) का यह पैकेज आपके लिए ही है। आईआरसीटीसी के इस पैकेज का नाम वाराणसी एक्स जोधपुर जयपुर (VARANASI EX JODHPUR JAIPUR) है। आइए इस पैकेज के बारे में डिटेल (Detail) में जानते हैं।

आईआरसीटीसी का यह पैकेज 4 दिन और 3 रातों का है और यह पैकेज 10 जुलाई 2023 के लिए है।

पहले दिन ट्रेन जयपुर (Jaipur) से जोधपुर (Jodhpur) होते हुए वाराणसी (Varanasi) के लिए निकलेगी और दूसरे दिन सुबह लगभग 10:00 बजे वाराणसी पहुंचेगी। इसके बाद आप होटल में चेक इन (Check In) करेंगे और ब्रेकफास्ट (Breakfast) करने के बाद आप यहां के मंदिरों की सैर के लिए निकल सकते हैं। इन मंदिरों की सूची में आप काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple), काल भैरव मंदिर (Kal Bhairav Temple), अनुपमा टेंपल (Anupama Temple) और भारत माता मंदिर (Bharat Mata Temple) की सैर करते हुए शाम के समय गंगा आरती (Ganga aarti) देखने के लिए जाएंगे। फिर आपको रात में वाराणसी के उसी होटल में रुकना होगा। अगले दिन आप होटल में ब्रेकफास्ट करके फिर से रेलवे स्टेशन (Railway station) पहुंच जाएंगे। जहां से फिर आपको जयपुर के लिए ट्रेन (train) लेनी होगी। जो कि चौथे दिन आपको जोधपुर (Jodhpur) पहुंचा देगी।

किस तरह की सुविधाएं दी जाएंगी?

  • इस पैकेज में आपको ट्रेन का रिजर्वेशन (Reservation) मिलेगा जोकि डीलक्स पैकेज (Deluxe Package) में थर्ड एसी क्लास (Third AC Class) का होगा वही स्टैंडर्ड पैकेज (Standard Package) में स्लीपर क्लास (Sleeper Class) का होगा।
  • अगर आप शेड्यूल (Shedule) के हिसाब से मंदिर घूमने जाएंगे तो आपका ट्रांसपोर्टेशन (Transportation) दी पैकेज में शामिल होगा।
  • एक रात के लिए आपकी होटल की बुकिंग करवाई जाएगी और 2 दिनों का ब्रेकफास्ट और एक रात का डिनर (Dinner) भी इस पैकेज में इंक्लूड (Include) होगा।


क्या नहीं होगा शामिल?

  • इस पैकेज में आपको ट्रेन यात्रा के दौरान खाना उपलब्ध नहीं करवाया जाएगा।
  • किसी भी प्रकार के हवाई यात्रा का खर्च नहीं उठाया जाएगा।
  • होटल में किए जाने वाले किसी भी तरह के खर्च जैसे टिप (Tip), इंश्योरेंस (Insurance), मिनरल वाटर (Minral Water), टेलीफोन चार्ज (Telephone Charge) या लॉन्ड्री (Laundry) इन सब की जिम्मेदारी नहीं ली जाएगी।
  • किसी भी पर्यटन स्थल का एंट्री फीस (Entry Fees) पैकेज में शामिल नहीं होगा।
  • अगर आप बनारस में बोटिंग (Boating) करना चाहे तो इसका खर्च भी आपको खुद ही देना होगा।
  • किसी तरह के टूर गाइड (Tour Guide) की सर्विस (Service) नहीं दी जाएगी।
  • अगर आप अलग से कुछ खाना खाते हैं तो उसका खर्च भी नहीं उठाया जाएगा।

क्या होगा टिकट प्राइस?

आईआरसीटीसी के इस पैकेज का अगर आप अकेलेे ठहरते हैं तो कंफर्ट क्लास (Comfort Class) के लिए ₹14825 रुपया पे होगा। वहीं अगर आप स्टैंडर्ड क्लास (Standard Class) के लिए जाते हैं तो ₹11575 पे करना होगा।
अगर आप डबल शेयरिंग (Double Sharing) में जाते हैं तो पर पर्सन (Per Person) ₹10665 रुपया कंफर्ट क्लास के लिए और ₹7420 रूपया स्टैंडर्ड क्लास के लिए देना होगा। ट्रिपल शेयरिंग कंफर्ट क्लास (Triple Sharing Comfort Class) की फीस प्रति व्यक्ति ₹9405 है और स्टैंडर्ड क्लास की फीस ₹6155 रुपया है। अगर आप 5 से 11 साल के बच्चे के साथ जाते हैं तो उस बच्चे के टिकट की प्राइस कंफर्ट क्लास के लिए विथ बेड (With Bed) ₹6680 होगी और विदाउट बेड (Without Bed) ₹5520 होगी। वहीं स्टैंडर्ड क्लास के लिए बच्चे के टिकट की फीस विथ बेड ₹3635 और विदाउट बेड ₹2275 होगी।

इस पैकेज के बारे में ज्यादा जानकारी (information) के लिए आप आईआरसीटीसी की वेबसाइट (Website) को विजिट (Visit) कर सकते हैं।

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