मध्य प्रदेश को अगर प्राकृतिक रूप से भारत का सबसे सम्पन्न राज्य कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा। लेकिन ये राज्य सिर्फ प्राकृतिक रूप से परिपूर्ण नहीं है, बल्कि इस राज्य में सांस्कृतिक धरोहरों की भी कमी नहीं है और उन्हीं सांस्कृतिक धरोहरों में से एक हैं यहाँ के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रदर्शित किए जाने वाले लोक नृत्य। मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत में नृत्यों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ के नृत्य उन्हीं संस्कृति को दर्शाते हैं जो इस क्षेत्र की विविधता और समृद्धि को प्रकट करती है। लोकनृत्यों के माध्यम से लोग अपनी परंपराओं, संस्कृति और इतिहास को बयां करते हैं, जबकि क्लासिकल डांस की शैलियाँ (Folk Dances of Madhya Pradesh) इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करती हैं और समृद्धि में योगदान करती हैं।
मध्य प्रदेश में कई प्रकार के पारंपरिक सांस्कृतिक नृत्य प्रदर्शित किए जाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख नृत्यों का वर्णन है:
तेरताली नृत्य
तेरताली नृत्य मध्य प्रदेश की मालवा क्षेत्र का प्रमुख लोक नृत्य है, जो स्त्रियों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इस नृत्य का नाम “तेरताली” उन छोटी थालियों से है, जो कि नृत्यार्थी के हाथों में होती हैं और वह इन्हें आपस में टकराते हैं ताकि ध्वनि उत्पन्न हो। इस नृत्य में, नृत्यार्थी साथ में एक ही थाली का प्रयोग करते हैं। उन्होंने उठाया और पर्वतारोहण करते हुए धार्मिक और सामाजिक कथाओं को दर्शाने के लिए अपने शरीर के विभिन्न भागों पर थालियों को धड़काते हुए नृत्य करते हैं। इस नृत्य का प्रयोग लोक उत्सवों, धार्मिक आयोजनों, और सामाजिक अवसरों में होता है, जिससे समुदाय का सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध मजबूत होता है।
कर्मा नृत्य
कर्मा नृत्य मध्य प्रदेश के छत्तीसगढ़ क्षेत्र का प्रमुख लोक नृत्य है। यह नृत्य छत्तीसगढ़ के बास्तर क्षेत्र के आदिवासी समुदायों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कर्मा नृत्य का उद्देश्य समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना करना होता है। इस नृत्य में, समूह में स्त्रियाँ एक साथ एक प्लेटफ़ॉर्म पर खड़ी होती हैं और फिर वे उच्च स्थान पर जाती हैं। वहाँ, वे धार्मिक गानों के साथ अपने शरीर के विभिन्न भागों को हल्के-फुल्के नृत्य के साथ प्रस्तुत करती हैं। इस नृत्य का महत्वपूर्ण अंग है “मदुआ” या अपने संगीतीय साथियों के साथ जुड़ना, जिससे एक गर्मियों की रात का महत्व और समर्थन होता है। यह नृत्य सामाजिक सम्बंधों को मजबूत करने और समूचे समुदाय की एकता को प्रदर्शित करने का अद्वितीय तरीका है।
मटकी नृत्य
मटकी नृत्य मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र की महत्वपूर्ण पारंपरिक नृत्यशैलियों में से एक है। इस नृत्य को मुख्यतः महिलाएं प्रदर्शित करती हैं, जो एक या एक से अधिक मटकियों (छोटे मिट्टी के बर्तन) को उठाकर ध्वनि और गतिविधि के साथ नृत्य करती हैं। इस नृत्य के दौरान, महिलाएं अपने पूरे शरीर को उपयोग करती हैं, जिससे एक अनूठा और लोकप्रिय नृत्यशैली का निर्माण होता है। मटकी नृत्य को विभिन्न सामाजिक और पारिवारिक अवसरों पर प्रदर्शित किया जाता है, जैसे कि विवाह, त्योहार, और समाज में खुशी के अवसर। इस नृत्य में समूचे समुदाय की भागीदारी का महत्व होता है, जिससे एक सामूहिक भावना और एकता का अनुभव होता है। मटकी नृत्य में संगीत का अहम योगदान होता है, जिसमें ढोल, मृदंग, ताल, और धाक सामान्यतः उपयोग किए जाते हैं। इस नृत्य के माध्यम से समुदाय की भावनाओं, भूमिका, और सांस्कृतिक विरासत को प्रकट किया जाता है, जिससे इसे मध्य प्रदेश की आधिकारिक सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
भगोरिया नृत्य
भगोरिया नृत्य मध्य प्रदेश के नमकनिर्मित इलाकों में प्रचलित एक प्रमुख लोक नृत्य है। यह नृत्य भागोरिया त्योहार के दौरान प्रदर्शित किया जाता है, जो कि आमतौर पर फरवरी और मार्च महीने में मनाया जाता है। यह नृत्य विवाह संस्कार के महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिसमें युवक और युवतियाँ एक-दूसरे के संग नृत्य करते हैं और उनका चयन करते हैं। भगोरिया त्योहार के दौरान, युवक और युवतियों को अपने पसंदीदा संगीत के साथ एक-दूसरे के साथ नृत्य करते देखा जाता है। इस नृत्य के दौरान, उनके परिवार और समुदाय के लोग उन्हें आशीर्वाद देते हैं और उनकी नई ज़िन्दगी के लिए उत्साहित करते हैं। भगोरिया नृत्य में समुदाय की सामाजिक और सांस्कृतिक भावनाओं का प्रदर्शन होता है, जो उनके सामुदायिक बंधनों को मजबूत करता है। इस नृत्य के माध्यम से समुदाय के सदस्य अपनी संख्या को बढ़ाते हैं और समुदाय के विकास और समृद्धि में योगदान करते हैं।