एक ऐसी यात्रा जिसमें जरा-सी शरारतें, थोड़ी-सी ज़िद, मासूम हंसी और ढेर सारे सवाल साथ चलते हों, कितनी प्यारी लगती है। ऐसी यात्रा का लुत्फ़ बच्चों के साथ उठाया जा सकता है। बच्चों के साथ यात्रा करना एक ऐसा अनुभव है, जो बहुत कुछ सिखाता है। धैर्य, प्लानिंग और सबसे ज़्यादा – छोटी-छोटी चीज़ों में खुशी ढूंढ़ना।
अगर आपने कभी किसी छोटे से बच्चे को ट्रेन की खिड़की से बाहर झांकते हुए “माँ देखो गाय!” कहते सुना है, तो आप जानते होंगे कि वो पल किसी महंगी फ्लाइट या लग्ज़री होटल से बड़ा होता है। पर हकीकत यही है कि बच्चों के साथ सफर करने में मेहनत ज़रूर लगती है।
आपको हर पल अलर्ट रहना होता है, कब बच्चा भूखा हो जाए, कब बोर हो जाए, कब ऊबकर रोने लगे। लेकिन यकीन मानिए, थोड़ी सी समझदारी, थोड़ा सा धैर्य और थोड़ी सी तैयारी से यह सफर न केवल आसान हो सकता है, बल्कि ज़िंदगी की सबसे सुंदर यादों में बदल सकता है।

मंज़िल का चुनाव
सबसे पहले तो मंज़िल चुनने से शुरुआत कीजिए। बच्चे किसी भी जगह को अपने नज़रिए से देखते हैं — उनके लिए झील की सैर, पहाड़ों की ठंडी हवा, या समुंदर की लहरें किसी परी-कथा से कम नहीं होतीं। पर आपको देखना है कि वह जगह बच्चे की उम्र और ज़रूरतों के मुताबिक है या नहीं। क्या वहाँ अस्पताल पास है? क्या मौसम बहुत कठोर तो नहीं? क्या सफर बहुत लंबा तो नहीं? ऐसे सवाल छोटे लग सकते हैं, लेकिन ये बहुत जरूरी हैं।
पैकिंग (बच्चों के साथ)
फिर आती है पैकिंग। बच्चों के साथ पैकिंग का मतलब है हर छोटी से छोटी चीज़ के बारे में सोचना — खाने पीने के सामान तथा कपड़ों से लेकर उनका पसंदीदा खिलौना तक। पर इसका मतलब यह नहीं कि आप ज़रूरत से ज़्यादा सामान ले लें। सामान कम हो लेकिन उसका चुनाव स्मार्टनेस के साथ होना चाहिए। ऐसे कपड़े जो जल्दी सूख जाएँ, ऐसा खाना जो खराब न हो, जैसे मिल्क पॉउडर, फल, सूखे स्नैक्स वगेरह और ऐसी चीजें जो सफर में उनका ध्यान बाँधे रखें जैसे लूडो व पज़ल इत्यादि गेम्स — इस तरह से अच्छी पैकिंग की जा सकती है।
बच्चों को ध्यान में रखकर समय का चुनाव
बच्चों को लेकर निकलने से पहले समय का चयन भी समझदारी से करना चाहिए। बहुत सुबह निकलना या देर रात तक सफर करना, आमतौर पर बच्चों के लिए थका देने वाला हो सकता है। दिन के समय निकलना बेहतर रहता है जब बच्चे तरोताज़ा हों और सफर को एन्जॉय कर सकें। और बीच-बीच में थोड़ा रुकना, कुछ देर खुली हवा में चलना, उनके मूड को भी अच्छा बनाए रखता है। साथ ही, मौसम का चुनाव भी आवश्यकतानुसार करना चाहिए ।
खान पान की व्यवस्था
अब बात करें खाने की — बच्चे के खाने के समय व भोजन का ध्यान भी हमें ही रखना होगा ताकि वह भूख से चिड़चिड़ा न हो जाए। उनकी पसंद का कुछ हल्का-फुल्का खाना हमेशा साथ रखें। कुछ फल, नमकीन, घर का बना परांठा या बिस्किट इत्यादि अच्छे विकल्प हो सकते हैं । और हाँ, यात्रा के दौरान पानी साथ रखना तो सबसे ज़्यादा जरूरी है। इससे आप न केवल उनके पेट का ख्याल रख पाएंगे, बल्कि सफर के दौरान उनका मूड भी अच्छा बना रहेगा ।
मनोरंजन
यात्रा के दौरान मनोरंजन भी एक महत्वपूर्ण तत्व है, इसकी भूमिका को कम नहीं आँकना चाहिए। चाहे कार की लम्बी यात्रा हो या ट्रेन का सफर, थोड़ी देर बाहर के नज़ारे देखने के बाद बच्चे ऊब सकते हैं। इसलिए उनके लिए कहानियों की किताब, रंग भरने वाली कॉपी, लूडो, या पज़ल गेम वगेरह ले जाना अच्छा रहता है। इस तरह के गेम्स या एक्टिविटीज़ के ज़रिये न केवल बच्चों का मनोरंजन होता है बल्कि इससे उनकी एकाग्रता (concentration) का स्तर भी बढ़ता है।

और सबसे जरूरी-उनसे बातें कीजिए। उन्हें बताइए कि आप कहाँ जा रहे हैं, वहाँ क्या देखने को मिलेगा। इससे उनका उत्साह बढ़ता है और वे खुद को इस अनुभव का हिस्सा मानते हैं। साथ ही, इससे उनकी जिज्ञासा भी बढ़ती है, जिसकी शांति वे भ्रमण के दौरान करते हैं।
होटल का चुनाव
इसके अलावा, होटल चुनते समय भी देखें कि वह बच्चों के अनुकूल है या नहीं। वह इलाका कैसा है, वहाँ खान पान की सुविधा कैसी है, तथा थोड़ी खुली जगह है या नहीं इत्यादि। अतः होटल भी बच्चों के अनुसार होना चाहिए ।
इसलिए अगली बार जब आप बच्चों के साथ निकलें, तो घबराएँ नहीं — बस थोड़ा सोच समझकर एक अच्छी यात्रा प्लैन करें। और बच्चों के साथ स्वयं भी बच्चे बनकर यात्रा का लुत्फ़ उठाएँ। यात्रा अपने आप आसान हो जाएगी।