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उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में स्थित गोरखपुर, बाबा गोरखनाथ के नाम से देश भर में जाना-पहचाना जाता है। अगर गोरखपुर की बात की जाये तो यह जगह अनेक अध्यात्मिक, पुरातात्विक और प्राकृतिक धरोहरों को अपने में समेटे हुए है। प्रेमचन्द की कर्मभूमि, फिराक गोरखपुरी की जन्मभूमि, शहीद राम प्रसाद बिस्मिल व चौरीचौरा आन्दोलन के शहीदों की शहादत स्थली के रुप मे गोरखपुर को पूर्वांचल के गौरव का प्रतीक माना जाता है।
यात्राओं के अपने अद्भुत और खास सफर में फाइव कलर आफ ट्रेवल की टीम आज पहुंच चुकी है यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर में।
आज अपने इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे गोरखपुर के बेहद खूबसूरत रामगढ़ ताल के बारे में। एक समय था जब रामगढ़ ताल को कोई पूछता नहीं था, क्योंकि वहां पर ऐसी कोई भी व्यवस्था नहीं थी जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। मगर पिछले कुछ सालों में रामगढ़ ताल को पर्यटन की दृष्टि से डेवलप किया गया है, इस तरह संवारा गया है कि आज वह घूमने फिरने के लिए प्रसिद्ध जगह बन चुका है। पहले तो यहां पर केवल गोरखपुर के लोग ही जाया करते थे, मगर आज इसके सौंदर्यीकरण किये के बाद यहां दूर-दूर से लोग घूमने के लिए आते हैं।
इतिहासकार डॉ. राजबली पांडे के मुताबिक ईसा पूर्व छठी शताब्दी में गोरखपुर का नाम पहले कभी रामग्राम था। यहां पर कोलिय गणराज्य स्थापित हुआ करता था। कोलिया गणराज्य वही गणराज्य है जो हमें गौतम बुध के समय में देखने को मिलता है उस समय की राप्ती नदी आज के रामगढ़ ताल से होकर गुजरती थी। कुछ समय पश्चात राप्ती नदी की दिशा बदलने की वजह से उसके कुछ अवशेष बच गए, जिससे रामगढ़ ताल अस्तित्व में आया। रामग्राम से ही इसका नाम रामगढ़ ताल पड़ा। दूसरी जनश्रुति यह भी है कि प्राचीन समय में इस ताल के स्थान पर एक बहुत बड़ा नगर हुआ करता था। एक राजा का अहंकार ले डूबा। यह नगर एक ऋषि के श्राप की वजह से जमीन में समा गया। जिस वजह से यह पूरा नगर ताल में तबदील हो गया, जिसे आज हम रामगढ़ ताल कहते हैं। यह जनश्रुति गोरखपुरियों से सुनने को बखुबी मिलती है।
रामगढ़ ताल राप्ती नदी से महज कुछ मिनटों की दूरी पर स्थित है। जब आप ताल की विशालता देखोगे तो आपको यह नजारा किसी समुद्र के किनारे से कम नहीं लगेगा। रामगढ़ ताल के किनारे की सड़कें बिल्कुल साफ-सुथरी और ताल का किनारा देखने योग्य है। कहा जाता है कि आज तक ताल की गहराई को नापा नहीं जा सका है। शायद यही कारण होगा कि किसी को भी ताल के किनारे नहाते हुए नहीं देखा गया। यह ताल लगभग 18 किलोमीटर तक फैला हुआ है। ताल का किनारा तो बहुत पहले ही आरंभ हो जाता है। मगर ताल के किनारे बने पार्कनुमा जगह जिसे नौका विहार कहते हैं वहां पर जाने के लिए महज 500 मीटर का सफर तय करना होता है।
अगर आप बाइक से जा रहे हैं तो आपको स्टैंड पर गाड़ी खड़ी करने के लिए 10 रूपये देने होते हैं। अगर चार पहिया है तो उसके 20 रू लिए जाते हैं। स्टैंड पर गाड़ी खड़ी करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि गाड़ी चोरी होने का रिस्क नहीं रहता है जिस से बेफिक्र होकर हम सफर का आनंद ले सकते हैं।
गाड़ी खड़ी करने के बाद जैसे ही नौका विहार की और प्रवेश करते हैं तो बड़ा सा बुध द्वार देखने को मिलता है।
पार्कनुमा नौका विहार के अंदर चहल-पहल इस तरह की थी मानो यहां पर कोई मेला लगा हुआ है। मगर ऐसा कोई भी मेला वहां पर नहीं लगा हुआ था, फिर भी वहां घूमने वालों की संख्या कम नहीं थी। इससे इस बात का अंदाजा भी लगाया जा सकता है कि ताल की प्रसिद्धि और वहां की व्यवस्था लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
आसपास लगे बाजार को देखकर ऐसा लग रहा था मानो ताल नहीं बाजार में घूमने आये हो। वहां पर बैठने की व्यवस्था किसी पार्क से कम नहीं थी। कपल्स भी यहां पर घूमने के लिए आते हैं और कपल्स के लिए यह सबसे बेस्ट जगह भी है। कपल्स के लिए किसी भी तरह की रोक टोक नहीं है।
स्पेशली यहां पर अधिकतर लोग फोटोशूट के लिए भी आते हैं। सेल्फी लेने वालों की संख्या कि कोई गिनती नहीं थी। बाजारों में मिल रहा समान बहुत ज्यादा महंगा नहीं है। आप 20 से 100 रूपये तक बहुत अच्छा समान खरीद सकते हैं।
अगर किश्ती में घूमने का आनंद लेना चाहते हैं तो उसका भी मूल्य बहुत ज्यादा नहीं है, आप महज 60 से 100 रू के बीच में 15 या 20 मिनट तक बोटिंग का आनंद ले सकते हैं।
ठिठुरन पैदा करने वाली ठंड और खिलखिलाती धूप दोनों के मेलजोल ने शरीर में एनर्जी का लेवल इस कदर बढ़ाया हुआ था कि लोग वहां पर कई घंटों तक समय बिता रहे थे। घर से सुबह के निकले लोग शाम में वापसी कर रहे थे। लोग ठंड में धूप सेकने का आनंद भी ले रहे थे।
जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था वैसे-वैसे भीड़ लगातार बढ़ती जा रही थी और भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही थी। हालांकि ताल के किनारे किसी भी तरह की कोरोना गाइडलाइन को फॉलो नहीं किया जा रहा था, ना ही अधिकतर लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे थे। बस वहां पर इक्का-दुक्का लोग ही मास्क पहने हुए दिख रहे थे।
अभी ताल पर सौन्दर्यकरण का काम चल रहा है। जिससे उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में इसकी सुंदरता में और भी इजाफा होगा। यहाँ आने वाले पर्यटक इस ताल की खूबसूरती की तुलना मुंबई के मरीन ड्राइव और जुहू चौपाटी से करते हैं।
यहां से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर आपको सबसे पहले बौद्ध संग्रहालय और चिड़ियाघर देखने को मिल जाएगा। अगर आप गोरखपुर घूमने का प्लान बना रहे हैं या गोरखपुर के पास से गुजर रहे हैं या गोरखपुर के आस-पास रहते हैं तो एक बार जरूर रामगढ़ ताल और उसके पास बने पार्कनुमा नौका विहार का आनंद जरूर उठाएं।
अगर आप ट्रेन से आ रहे हैं तो गोरखपुर रेलवे स्टेशन से आपको आसानी से कैब या ऑटो रिक्शा मिल सकता है। गोरखपुर स्टेशन से रामगढ़ ताल की दूरी महज 6 किलोमीटर की है।
अगर आप सड़क मार्ग से आ रहे हैं तो गोरखपुर बस अड्डा से रामगढ़ ताल की दूरी भी महज 6 किलोमीटर के आसपास ही है।
हवाई अड्डे की बात करें तो गोरखपुर एयरपोर्ट से रामगढ़ ताल लगभग छह किलोमीटर की दूरी पर है यहां से भी आप टैक्सी से आसानी से रामगढ़ ताल पहुँच सकते हैं।
Written and Research by Pravesh Chauhan
Edited & compiled by Pardeep Kumar